vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार - Page 3 - SexBaba
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vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार

काशी- अरे मेरी जान, अगर तुम चाहो तो मैं किसी के साथ मिलवा हूँ?

फरी- नो थैक्स।

काशी- लेकिन क्यों या?

फरी- मुझे अभी बदनाम नहीं होना।

काशी- लेकिन अगर तुम चाहो तो ऐसा हो सकता है और बदनामी भी नहीं होगी।

फरी- वो कैसे?

काशी- “अगर तुम चाहो तो मैं रूम में बेड के बीच में एक मोटा पर्दा लगा हूँगा, जिसमें तुम्हारे पास मैं हूँगा, लेकिन दूसरी तरफ वो होगा जो तुम्हें बड़े लण्ड का मजा देगा और मजे की बात ये होगी कि तुम दोनों एक दूसरे का चेहरा भी देख नहीं पाओगे।


फरी- “रहने दो, मुझे नहीं करना है ऐसा कुछ भी। अगर कहीं कुछ गड़बड़ हो गई तो मैं क्या करूंगी? ना बाबा ना... मुझे डर लगता है...”

काशी- अच्छा ये बताओ? मुझ पे ट्रस्ट है या नहीं तुम्हें?

फरी- अगर तुम पे ट्रस्ट ना करती तो क्या आज मिलती तुमसे?

काशी- तो फिर भरोसा रखो कि ऐसा कुछ नहीं होगा, जिससे तुम्हारा पहचान लिए जाने का डर हो।

फरी- अच्छा अभी मैं आफलाइन होने लगी हैं, बाद में बात करूंगी।

काशी- ओके... लेकिन सोचना जरूर?

फरी- ओके... मैं सोचूंगी बाइ।

काशी- बाइ और आई लव योउ जान।

फरी- “लोव योउ टू और उम्माह..” उसके बाद फरी आफलाइन हो गई।

तो काशी ने कहा- “ले यार, तेरा काम मुझे लगता है हो ही जाएगा अब..”

तो मैंने कहा- “साले, वो तो ठीक है लेकिन अभी इसका तो कुछ सोच ये फटने को है...”

काशी हँसता हुआ उठा और बोला- “मैं अभी जाकर बात करता हूँ नीलू से, फिर तुझे बताता हूँ.." और रूम से निकल गया।

तो मैं अपने लण्ड को मसलने लगा, फरी बाजी और नीलू की फुद्दी का सोचकर। मैं वहीं बैठा अपने लण्ड को सहलाता रहा और दिल में दुआ माँगता रहा कि नीलू मना ना कर दे।

फिर काशी जब 10 मिनट के बाद वापिस आया तो उसके चेहरा पे मुझे खुशी नजर आई।
तो मैं भी खुश हो गया और पूछा- मान गई हमारी बहन?
 
तो काशी ने हाँ में सर हिलाते हुये कहा- “यार वो हमारी बातें सुनकर गई थी जब मैंने तुम्हें अपने और उसके बारे में बताया था तो उसने तैयारी भी कर रखी थी पहले से ही। वो भी दो लण्ड का मजा एक साथ लेना चाहती है...”

मैं- तो जा ना यार, अब यहाँ क्यों गाण्ड मरवा रहा है?

काशी- “चल यार आ जा फिर। आज हम दोनों अपनी बहन नीलू की फुद्दी और गाण्ड का बाजा बजाते हैं...”

मैंने वहाँ से सिगरेट और लैपटाप उठाया और काशी के साथ चल दिया। जो मुझे अपने साथ अपनी बहन नीलू के रूम में ले गया, जो कि वहाँ बेड के पास ही सर पे दुपट्टा लिए खड़ी थी। मैंने नीलू को दुपट्टा लिए हुये । देखा तो हैरानी से काशी की तरफ देखा।

तो उसने हँसते हुये कहा- “यार ये बड़ी ड्रामेबाज है, इस वक़्त ये शरमाने का ड्रामा कर रही है...”

नीलू काशी की बात पे गुस्सा होते हुये बोली- “भाई आप भी ना..” और पांव पटकते हो बेड पे चढ़कर बैठ गई। तो काशी उसके पास गया और उसके सर पे दुपट्टा ठीक करने के बाद बोला- “सन्नी, देख तो जरा मेरी बहन हम दोनों की नई दुल्हन लग रही है कि नहीं?”

मैंने हँसते हुये कहा- “हाँ यार सच पूछो तो इस वक़्त हमारी बहन दूल्हन ही लग रही है..” और इतना बोलकर मैं बेड पे नीलू के पास ही उसके पैरों की तरफ बैठ गया और काशी भी उसके बाजू में बैठ गया। फिर नीलू का दुपट्टा उतार दिया और उसे अपनी तरफ खींचकर किस करने लगा।

मैं उन दोनों को मसरूफ देखकर फिर से खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारकर नंगा होकर नीलू के पास बेड पे चला गया।

तो काशी अपनी अपनी बहन को छोड़कर खड़ा हो गया और बोला- “आ जा भाई..." और साइड पे होकर अपने कपड़े उतारने लगा।

तो मैंने बेड पे लेटकर नीलू को अपनी तरफ खींचा और उसे किस करने लगा और साथ ही उसे अपने ऊपर लिटा लिया और अपने एक हाथ से नीलू की कमीज को ऊपर उठाकर उसकी नंगी कमर पे हाथ फेरने लगा। काशी भी हमें किस करता और मस्ती करता देखकर अपने कपड़े उतारकर हमारे करीब आया और उसने आते ही नीलू की शलवार को अपने हाथों से पकड़कर नीचे को खींच दिया और अपनी बहन को नीचे से नंगा कर दिया। अब मैं । भी नीलू को छोड़कर खड़ा हो गया और उसकी कमीज भी उतार दी और नीलू को पूरा नंगा कर दिया। क्योंकी नीलू ने पैंटी और ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो अब वो भी हमारी तरह नंगी हो चुकी थी।

नीलू नंगी बेड पे पड़ी हमारी तरफ देख रही थी कि काशी आगे बढ़ा और उसेके मुँह के पास जाकर अपना लण्ड नीलू के मुँह पे मारने लगा। तो नीलू ने अपने भाई का लण्ड हाथ में पकड़ लिया और बेड से उतरकर नीचे बैठ गई और अपना मुँह खोलकर भाई का लण्ड मुँह में लेने लगी।

थोड़ी देर तक नीलू अपने भाई के लण्ड के सुपाड़े को मुँह में भरकर चूसती और कभी उसके लण्ड के सुपाड़े पे अपनी जुबान घुमाने लगती। काशी ने अपना एक हाथ नीलू के सिर के पीछे रखा और अपनी एक टांग बेड पे रखते हुये अपना पूरा लण्ड अपनी सगी बड़ी बहन के मुँह में घुसा दिया और चुसवाने लगा। अब काशी अपना पूरा लण्ड अपनी बहन के गले तक घुसाकर चुसवा रहा था और साथ ही उसके मुँह से- “आहह... चूस साली कुतियाऽ उन्म्मह... मेरी गश्ती पूरा लण्ड खा जा मेरा... ऊओ...” की आवाज भी कर रहा था।

और उस वक़्त नीलू के मुँह से भी पूँऊन्न्न घुड़प्प्प्प्प की आवाज निकल रही थी।

ये नजारा देखकर मेरा लण्ड बुरी तरह मचलने लगा तो मैंने काशी को पीछे किया और खुद आगे होकर अपना लण्ड नीलू के हाथ में दे दिया। तो कुछ देर तक वो मेरे लण्ड को देखती रही और फिर अपनी सांस ठीक करती हुई मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेने लगी।

मेरा लण्ड क्योंकी काशी के लण्ड से काफी मोटा और बड़ा था, जिसकी वजह से मेरा लण्ड पूरी तरह उसके मुँह में नहीं आ सकता था। तो वो मेरे लण्ड के सुपाड़े और टोपी को ही चूसती रही।

फिर मैंने थोड़ी देर के बाद ही उसके मुँह से अपना लण्ड निकाल लिया और उसे उठाकर बेड पे बिठा दिया। नीलू को बेड पे इस तरह बैठा देखकर काशी ने कहा- “साली मेरे यार को अपनी फुद्दी दिखा जरा...” और साथ ही हाथ से धक्का देते हुये नीलू को बेड पे लिटा दिया।

उसने अपनी बेड पे लेटते ही अपनी दोनों टाँगों को खोला और अपने दोनों हाथों से अपनी फुद्दी को फैलाते हुये अपना सर उठाकर मेरी तरफ देखा।

अब मुझसे ज्यादा सबर नहीं हुआ तो मैं बेड पे चढ़कर बैठ गया और नीलू को अपनी तरफ खींचकर उसे अपनी गोदी में बिठा लिया, जिससे मेरा लण्ड नीलू की पानी से लथफथ गीली फुद्दी के नीचे दब गया तो मैं उसकी चूचियों की तरफ झुका। तो वो भी थोड़ा पीछे को झुक गई और अपना एक हाथ नीचे बेड से टिका लिया। तो मैंने उसकी एक चूची अपने मुँह में भर लिया। मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही नीलू की दोनों चूचियों को बारी-बारी चूसता रहा।

तो आखिरकार काशी ने कहा- “यार क्या सारी रात इसकी चूचियां ही चूसता रहेगा या फुद्दी भी मारेगा?”
 
मैंने नीलू को बेड पे सीधा लिटाया और उसकी टाँगों को उठाकर अपना लण्ड उसकी फुद्दी में घुसा दिया तो काशी भी बेड पे आ गया और अपनी बहन के चेहरा पे पूरी तरह झुक के अपना लण्ड नीलू के मुँह में डाल दिया, जिसे वो अपने हाथ में पकड़कर चूसने लगी।

कुछ देर तक मैं अपना पूरा लण्ड घुसाए ऐसे ही नीलू की फुद्दी मारता रहा और काशी अपना लण्ड चुसवाता रहा और उसके बाद काशी उठा और मुझसे बोला- “यार, अब तू मेरी जगह पे आ जा और मैं इसकी फुद्दी पे आता हूँ

तो मैंने अपना लण्ड जैसे ही बाहर निकाला, काशी ने नीलू को उठाया और घोड़ी बना लिया और अपना लण्ड अपनी बहन की फुद्दी में घुसा दिया। मैंने आगे होकर अपना लण्ड नीलू के हाथ में दे दिया जिसे वो बड़े मजे से चूसने लगी, चूमने लगी और साथ-साथ अपने छोटे भाई से फुद्दी भी मरवाने लगी।

काशी अब पूरा मजे में अपनी बहन की फुददी मार रहा था और साथ ही- “आह्ह साली कुतियाऽ ले अपने भाई का लण्ड ले... साल्ली गश्ती ऊओ...” की आवाज के साथ लगातार अपनी बहन की फुद्दी मार रहा था और साथसाथ उसकी गाण्ड पे थप्पड़ भी मारता जा रहा था।

अब इस लगातार चुदाई और थप्पड़ों की वजह से नीलू ने भी- “आह्ह... भाई हरामी क्या कर रहे हो? प्लीज़... भाई, थप्पड़ नहीं मारो... उन्म्म ह... भाई और तेज चोदो अपनी गश्ती बहन को...” की आवाजें करने लगी थी।

नीलू की आवाजों में जो लज्जत भरी हुई थी, उन आवाज़ों ने काशी को भी पागल कर दिया था और वो अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर अपनी बहन की फुद्दी में घुसा रहा था और साथ ही- “आह्ह... सालीऽs क्यों क्या हुआ कुतिया? तुझे तो बड़ा शौक है ना नये-नये लण्ड से चुदवाने का? हाँन्न् हरामजादी रंडी... आज तेरी फाइ डालूंगा ऊओSS..” की तेज आवाज़ों के साथ नीलू की फुद्दी मार रहा था।

दूसरी तरफ नीलू की भी बुरी हालत हो रही थी मजे से और वो भी- “आह्ह भाई... मैं तुम्हारी रंडी हूँ... भाई फाड़ डालो मेरी फुद्दीss को ऊओ भाई जान्न्ऽ मजा आ रहा है और तेज चोदोऽ...” की आवाज करती जा रही थी।

अब मुझे लग रहा था कि काशी अपने चरम पे है क्योंकी वो बहुत जनूनी होकर चुदाई कर रहा था और तभी काशी के जिश्म को तेज झटका लगा और उसके मुँह से- “आहह... नीलूऽऽ...” की आवाज के साथ ही फारिघ् हो गया और अपना लण्ड नीलू की फुद्दी से बाहर निकालकर पीछे हो गया।

काशी के हटते ही मैंने नीलू को अपनी तरफ खींचा और एक ही झटके में अपना लण्ड उसकी फुद्दी में डाल दिया और झटके मारने लगा।

तो नीलू के मुँह से- “आह्ह जानSS जोर से चोदो प्लीज़.. ऊओ... जानूऽ तुम्हारा लण्ड पूरा अंदर तक मजा दे रहा है उन्म्म ह... देखो भाई अपनी गश्ती बहन को आईईइ जोर से उन्म्मह... फाड़ डालो मेरी फुद्दी को मेरे । भाई के सामने ही ऊओऽ भाई देखो मेरा निकलने वाला है ऊओऽऽ...” की एक तेज आवाज से नीलू के जिश्म ने झटका खाया और उसकी फुद्दी से पानी का लावा सा बह निकला।

जिससे मेरा भी पूरा जिम कॉप उठा और मैं भी उसके बाद 4-5 तेज और जानदार झटकों के बाद उसकी फुद्दी में ही फारिघ् हो गया। फारिघ् होकर मैंने भी अपना लण्ड बाहर निकाला और बगल में बैठकर सिगरेट निकाला। और पीने लगा।
 
तो नीलू ने मेरे हाथ से छीन लिया और बोली- “क्यों क्या तुम ही अय्याशी करोगे?” और सिगरेटे पीने लगी।

नीलू की बात सुनकर मैं और काशी हँस दिए, और काशी ने कहा- “क्यों सन्नी मेरे यार, मजा आया मेरी बहन के साथ या नहीं?”

तो मैंने कहा- “यार सच तो ये है कि लाइफ में इतना मजा कभी नहीं आया मुझे...”

काशी ने हँसते हुये कहा- “यार ये मजा कुछ भी नहीं है, जब तू अपनी बहन फरी की फुद्दी मारेगा तब देखना कितना मजा आएगा तुम्हें? अपनी बहन की फुद्दी मारने में अपना ही मजा है...”

काशी की बात सुनकर मैं हँस दिया।

नीलू ने कहा- अच्छा जी... तो सन्नी साहब, आप भी मेरे इस हरामी भाई की तरह बहनचोद बनना चाहते हो?

नीलू की बात सुनकर में हँस दिया और बोला- क्यों, नहीं बनना चाहिए?

कुछ देर हँसने मुश्कुराने के बाद नीलू ने कहा- “वैसे अगर तुम्हें अपनी बहन को चोदने के लिए मेरी मदद की जरूरत हो तो बताओ? क्या मैं कुछ मदद करें उसे सेट करवाने में?”

मैं- लेकिन तुम क्यों चाहती हो कि मैं भी अपनी बहन को चोदूं?

नीलू- “सन्नी जी, एक सच्ची बात है और वो ये कि जब लण्ड को फुद्दी दिख जाती है ना... तो फुद्दी में घुसने के लिए तैयार हो जाता है, ये नहीं देखता कि ये किसकी है और किसकी नहीं? और दूसरी बात ये है जो मजा बहन को भाई से चुदवाने में मिलता है वो कहीं और नहीं मिलता...”

काशी- “अरे नीलू, बात ये है कि मैं सन्नी की मदद से आज ही इसकी बहन को चोद चुका हूँ और अब इसकी बारी है बस उसे तैयार करना है...”

नीलू- किस तरह तैयार करोगे इसकी बहन को तुम?

काशी ने नीलू को सारी बात बता दी तो नीलू सोच में पड़ गई और बोली- “हाँ ठीक है, लेकिन हर बार ऐसा नहीं हो सकता है। तुम ऐसा करो कि अभी तो करो जो करना है। लेकिन जो पर्दा लगाओ वो पतला होना चाहिए, जिसमें आर-पार नजर आता हो। लेकिन रूम में अंधेरा रखना ताकी उसे कुछ नजर ना आ सके। लेकिन जब सन्नी अपना लण्ड अपनी बहन की फुद्दी में घुसा दे, तो तुम लाइट ओन कर देना किसी बहाने से और सन्नी तुम बस सर झुकाए रखना लाइट ओन होने के बाद। ताकी वो अगर देखना भी चाहे तो ना देख सके और जब फारिघ् हो जाओ तब अपना सर उठाना..”
 
मैंने कहा- “लेकिन उस वक़्त ही क्यों? पहले क्या होगा और ये कौन सा जरूरी है कि इस तरह वो कुछ नहीं बोलेगी? नहीं नीलू, अगर फरी बाजी मेरे साथ नाराज हो गई तो ठीक नहीं होगा। मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो कि फरी बाजी मेरे साथ नाराज हो जाएं...”

नीलू कुछ सोचकर काशी से बोली- “तुम इसकी बहन को काल करो अभी, देखो जाग रही है अभी तक या सो रही है?”

काशी ने काल की फरी को तो दूसरी बेल पे ही फरी ने काल पिक कर ली। तो काशी ने कहा- “अगर नींद नहीं आ रही तो आनलाइन आ जाओ, बात करते हैं कुछ देर..”

फरी ने भी ओके कहा और काल कट कर दी। तो मैंने अपना लैपटाप उठाकर काशी की तरफ बढ़ा दिया। तो काशी फौरन ही लैपटाप को ओन करके आनलाइन हो गया तो देखा कि फरी भी आनलाइन हो चुकी थी।

काशी- क्यों जान, नींद नहीं आ रही क्या?

फरी- नहीं जान जी, नींद तो मेरी तुमने उड़ा रखी है।

काशी- क्यों क्या हुआ?

फरी- “आग लगी हुई है मेरे जिस्म में, दो बार अपनी लकड़ी में कंडोम चढ़ाकर अपनी चूत में ले चुकी हैं, लेकिन आज मजा नहीं आ रहा है। दिल करता है कि रियल चीज मिले, ऐसे मजा ही नहीं आ रहा...”

काशी- “यार मैंने तो कहा था कि अगर तुम कहो तो मैं किसी मोटे और तगड़े लण्ड के लिये कुछ करूं?”

फरी- “ठीक है काशी जी, लेकिन देखना कोई पंगा ना हो जाए...”

काशी- कब का इरादा है?

फरी- “अगर अभी हो सके तो क्या बात है? लेकिन कल दिन का अगर हो सके तो अच्छा है अब ज्यादा सबर नहीं होता...”

काशी- अगर अभी करना है तो अपने भाई के पास चली जाओ, उसका भी काफी बड़ा है।

फरी- तुम्हें कैसे पता?

काशी- “यार तुम मानो चाहे ना मानो, लेकिन मैं जान गया हूँ कि तुम सन्नी की बड़ी बहन हो और सन्नी मेरा जिगरी यार है और हम दोनों मिलकर कई लड़कियों को चोद भी चुके हैं। मैंने उसका देखा हुआ है.”

फरी- कोई जवाब नहीं।

काशी- हेलो क्या हुआ?

फरी- फिर कोई जवाब नहीं।

काशी- “देखो जान, डरो नहीं मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा तुम्हारे बारे में। प्लीज़... अब तो बात करो...”
 
फरी- “देखो अगर तुमने सन्नी को कुछ बताया तो मैं जीते जी मर जाऊँगी, अपनी नजरों से और भाई की नजरों से भी गिर जाऊँगी...”

काशी- “यार इतना क्यों डरती हो अपने भाई से? अगर उसे कुछ पता चल भी गया तो वो खुद तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाएगा, लेकिन किसी को बताएगा नहीं। मैं जानता हूँ उसे...”

फरी- “नहीं, मेरा भाई ऐसा नहीं है समझे तुम..”

काशी- अच्छा छोड़ो, ये बताओ फिर क्या सोचा तुमने बड़े लण्ड के लिए?

फरी- “नहीं काशी अब मैं नहीं करूंगी, किसी के साथ भी नहीं... तुम्हारे साथ भी नहीं...”

फरी ने ये बात कहकर हम सबको परेशान कर दिया था और हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करें कि तभी मैंने काशी को वीडियो कि याद दिलाई तो वो खुश हो गया और फिर चैट करने लगा।

काशी- “देखो फरी, मैं किसी को नहीं बताऊँगा। लेकिन याद रखो कि अगर तुमने मेरी बात ना मानी और मेरे दोस्त से नहीं चुदवाया तो मैं उस दिन जो वहाँ मेरे साथ तुमने किया उसकी वीडियो नेट पे डाल देंगा..”

फरी- क्या बकवास कर रहे हो? कौन सी वीडियो?

काशी- जब नेट पे डालूंगा तो देख लेना तुम भी।

फरी- “नहीं, तुम झूठ बोल रहे हो ऐसी कोई वीडियो नहीं बनी... तुम झूठ बोल रहे हो...”

काशी- “अच्छा ऐसा है तो आफलाइन मत होना, मैं अभी थोड़ी देर बाद तुमसे बात करूंगा जब मैं नेट पे मूवी डाल दूंगा...”

फरी- देखो अगर ऐसा कुछ है तुम्हारे पास तो पहले मुझे दिखाओ।

काशी- “30 मिनट बाद तुम्हें दिखाऊँगा फिर बात करूंगा बाइ..”

फरी- काशी, प्लीज़.. मेरी बात सुनो।

लेकिन अब काशी कोई जवाब नहीं कर रहा था और मेरी तरफ देखकर बोला- यार, वो वीडियो है अभी तेरे पास?

मैंने कहा- “हाँ है क्यों? क्या करना चाहता है तू उस वीडियो के साथ?

काशी ने कहा- “यार, तू ऐसा कर.. वीडियो की कापी करके ले जा अपने साथ और घर के गेट से अंदर डालकर वापिस आ जा बस... बाकी हर काम हो जाएगा और परेशान ना हो ये सब सेट हो जाएगा..."
 
मैंने अपने मोबाइल में से मेमोरी कार्ड निकाला जिसमें कि फरी की मूवी मैंने कापी की थी और बाकी हर चीज उसमें से डेलीट करके कपड़े पहने और बाइक निकालकर घर की तरफ चल दिया और गेट पे जाकर मैंने गेट के नीचे से काई अंदर की तरफ खिसका दिया जो कि एक बड़े पोस्ट लेटर में था और वहाँ से फौरन वापिस आ गया। मुझे इस काम में कोई 40 मिनट लग गये थे।

मैं काशी के घर में बाइक को खड़ा करके फिर उन दोनों के पास जाकर बैठा और उसे बता दिया कि मैंने कार्ड कहाँ डाला है? तो काशी ने लैपटाप अपनी तरफ खींचा और फरी से बात करने लगा।

काशी- “हाँ जान, अब तुम ऐसा करो कि रूम से बाहर निकलो और घर के में गेट के पास जाओ वहाँ तुम्हें एक पोस्ट लेटर मिलेगा उसमें एक मोबाइल का मेमोरी कार्ड है। वो निकालकर देखो कि उसमें क्या है फिर बात करना...”

फरी- “ओके...” उसके बाद फरी का जवाब कोई 15 मिनट के बाद आया- “काशी तुम जलील कमीने हो, तुम्हें शर्म नहीं आई मेरी ऐसी मूवी बनाते हुये? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो तुमने मेरे साथ ऐसा किया? मैंने तो तुम पे भरोसा किया और तुमने क्या किया मेरे साथ?”

काशी- “जान, अब बस करो अब क्या फायदा इन बातों का? मैं नहीं चाहता था कि मैं तुम्हें ये सब दिखाऊँ, लेकिन तुमने मजबूर किया है...”’

फरी- क्या चाहते हो?

काशी- अपने दोस्त से चुदवाना चाहता हूँ।

फरी- कौन है वो?

काशी- “देखो तुम्हें इससे गरज नहीं होना चाहिए, ना तुम उसे देख पाओगी और ना वो तुम्हें...”

फरी- मैं जानना चाहती हैं कि वो कौन होगा?

काशी- ये जरूरी नहीं, तुम बस इतना बताओ करोगी या नहीं?

फरी- “देखो काशी, तुम जो कहोगे मैं करूंगी। लेकिन मुझे इतना तो पता होना चाहिए कि मैं किसके साथ कर रही हूँ..”

काशी- “देखो डार्लिंग, इस वक़्त अगर मैं तुम्हें कहूँ कि तुम्हें किसी गली के आवारा कुत्ते से चुदवाना है तो भी तुम मना नहीं कर सकती...”

फरी- मैं मना नहीं कर रही, लेकिन प्लीज़... ये बता दो कि तुम किसके साथ करवाना चाहते हो।

काशी- सन्नी से।

फरी- क्या तुम पागल तो नहीं हो गये हो? वो भाई है मेरा।।

काशी- “साली, एक बात कान खोलकर सुन ले कि तुम्हें उससे चुदवाना है तो बस चुदवाना है, और कल ही । चुदवाना है... वरना ये मूवी तुम्हारी माँ बहन भाई और तुम्हारे मुहल्ले के हर बच्चे तक पहुँचा दूंगा और फिर नेट पे डालूंगा समझी की नहीं?”

फरी- आखिर तुम्हें क्या मिलेगा मेरे साथ ऐसा करके?

काशी- देखो फरी, मैं चाहता हूँ कि तुम्हारा भाई भी मेरी तरह बहनचोद बन जाए।
फरी- क्या मतलब? तुम अपनी बहन के साथ? ऐसा कैसे हो सकता है?
 
काशी- चलो ऐसा करूंगा कि कल मैं अपनी बहन को भी साथ ही रखूगा, तुम खुद उससे पूछ लेना।

फरी- “नहीं काशी, प्लीज़... ऐसा मत करो। मैं अपने भाई से आँखें नहीं मिला सकेंगी कभी भी..."

काशी- यार तुम्हें पता होगा लेकिन उसे कुछ पता नहीं होग कि वो जिसे चोद रहा है, वो कौन है? बस मैं उसे बता दूंगा कि बहन की दोस्त है और मेरी बहन भी तो वहाँ होगी ही...”

फरी- क्या काशी जानता है तुम्हारा और तुम्हारी बहन का चक्कर?

काशी- हाँ वो जानता भी है और मेरी बहन को चोदता भी है।

फरी- मुझे सोचने का वक़्त चाहिए।

काशी- “देखो फरी, आखिरी बात सुन लो कि कल तुम्हें आना ही आना है और अगर तुम ना आई तो जान लो कि फिर क्या होगा? बाकी ये मेरा वादा है कि मैं सन्नी को कुछ नहीं बताऊँगा तुम्हारे बारे में...”

फरी- प्लीज़... काशी, मुझे दो दिन का टाइम दो, मैं सोच लँ।

काशी- नहीं, कल तो कल और बाइ।

काशी ने अपने घर का पता भी उसे बता दिया और लैपटाप आफ कर दिया और मेरी तरफ देखकर हँसते हुये बोला- “ले भाई, तेरा काम तो हो गया। कल मजे करना अपनी बहन के साथ...”

यार मुझे नहीं लगता कि वो आएगी...”

तो नीलू ने कहा- “मैं लिखकर देती हैं कि वो जरूर आएगी.” और मुझे पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और बोली- “कल तुम अपनी बहन को चोदोगे ही... अभी तो अपने दोस्त की इस बहन को मजा दे दो मेरी जान...”

और किस करने लगी।

तो मैं भी उसका साथ देने लगा। उस रात हमने कुल दो बार ही किया और उसके बाद तीनों नंगे ही एक साथ सो गये।

अगली सुबह मैं नीलू के हिलाने से ही उठा तो नीलू ने मुझे उठता देखकर कहा- “उठ भी जाओ सन्नी जी... आपको आज आपकी बड़ी बहन ही आकर उठाएगी तो उठोगे क्या? 8:00 बज चुके हैं.”

मैं 8:00 बजे का सुनते ही जल्दी से उठ बैठा और सीधा बाथरूम में जा घुसा और नहाकर बाहर आया तो काशी भी जो कि रूम से बाहर था रूम में आ गया और बोला- “यार अभी तेरी बाजी से बात हुई है मेरी वो 9:00 बजे तक आ जाएगी। तू निकल यहाँ से। उसके आने से पहले ही उसे यहाँ तेरी शकल नजर नहीं आनी चाहिए समझा?"

मैंने कहा- “यार मैं बैठक में बैठ जाता हूँ, उसे थोड़ा ही पता चलेगा कि मैं पहले से ही यहाँ हूँ...”

तो काशी हँस दिया और बोला- “चल ठीक है, तू अपनी बाइक को अपनी गाण्ड में घुसाकर बैठक में ही बैठ जा, मुझे कोई ऐतराज नहीं है तेरे वहाँ बैठने पे..”

काशी की बात सुनकर नीलू ने कहा- “भाई आप ऐसा करो कि सन्नी की बाइक को बाहर किसी दोस्त की तरफ खड़ा करके आ जाओ। ये यहाँ बैठा रहेगा और फरी के आने तक कुछ नाश्ता भी कर लेगा..."

तो मैंने कहा- “हाँ यार, भूख भी बड़े जोरों की लगी हुई है."

तो काशी हाँ में सर हिलाता हुआ मेरी बाइक की चाबी लेकर रूम से निकल गया।
 
नीलू ने कहा- “सन्नी आप बैठो, मैं आपके लिए नाश्ता लाती हूँ.." और इतना बोलते ही रूम से निकल गई।

नीलू के जाते ही मैं बेड पे चढ़कर बैठ गया और नीलू का इंतेजार करने लगा, जो कि 10 मिनट बाद नाश्ता लेकर आ गई। तो मैंने जल्दी से नाश्ता खतम किया और नीलू की तरफ देखने लगा। जो कि मेरे पास ही बैठी नाश्ता करता मुझे देख रही थी और बोला- “लो जी नाश्ता तो हो गया...”

नीलू एक सेक्सी स्माइले के साथ बोली- “हाँ, वो तो मैंने देख ही लिया। अब क्या करना है चाय पियोगे या दूध?”

मैं- नीलू जी, अगर अभी यहाँ बाजी ना आने वाली होती तो ताजा दूध ही पीता लेकिन क्या करूं?

नीलू- चलो कोई बात नहीं सन्नी जी, पिला ही देंगे आप को भी ताजा दूध... आज नहीं तो फिर सही..” और हेहेहेहे करके हँस दी।

और फिर बर्तन उठाने लगी और बोली- “जनाब 8:35 हो चुके हैं। अभी भाई और तुम्हारी बहन भी आने वाली है। आप अभी निकलो यहाँ से और जाओ बैठक में, मुझे रूम भी सेट करना है...”

मैं नीलू की बात सुनकर बोला- “तुम ऐसा करो, बर्तन रखकर आ जाओ। मैं रूम में पर्दा लगवाने में तुम्हारी मदद करता हूँ। जब फरी आएगी तो मैं बैठक में चला जाऊँगा तुम्हारे दरवाजा खोलने से पहले ही...”

नीलू मेरी बात सुनकर हँसती हुई बर्तन उठाकर रूम से बाहर को जाते हुये बोली- “कितनी जल्दी है बहना को चोदने के लिए?”


मैं भी नीलू की बात सुनकर हँस दिया और नीलू की वापसी का इंतजार करने लगा। जो कि दो मिनट में ही आ गई तो मैंने उसके साथ मिलकर बेड के बीच में दोनों तरफ एक रस्सी बाँधी और फिर दो बेडशीटों को मिलाकर बेड को बीच में से बांट दिया। अब बेड के तकिये वाली साइड का आधा हिस्सा दूसरी तरफ से नजर नहीं आ । सकता था, जब तक कि पर्दा हटा ना दिया जाए। अभी हमने पर्दा ही सेट किया था कि हमें बाहर वाला दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी, तो हमने जल्दी से बाहर देखा तो काशी था जो कि दरवाजा लाक करके हमारी तरफ ही आ रहा था।

काशी रूम में आया और बेड पे लगा पर्दा देखकर बोला- “हाँ ये ठीक है..." और फिर मेरी तरफ देखकर बोलादेखो सन्नी, अभी मेरी बात हुई है फरी से। वो घर से निकल चुकी है आने ही वाली होगी यहाँ। लेकिन एक बात का गुस्सा नहीं करना, बल्की पूरे मजे और आराम से फरी के साथ मजे करना और जब मैं तुम्हारे साथ फरी का नाम लेकर कोई बात करूं तो बिना झिझके दिल की बात बताना। क्योंकी इससे हो सकता है कि फरी खुद ही तुम्हारे साथ खुला सेक्स करने को मान जाए."
 
मैंने काशी की बात सुनी और सोचा तो मुझे उसमें वजन महसूस हुआ तो मैंने 'हाँ' में सर हिला दिया और बोलाठीक है मैं तैयार हूँ..”

काशी ने कहा- “चलो अब तुम बैठक में चले जाओ क्योंकी 9:20 हो चुके हैं। फरी किसी भी वक़्त आ सकती है,

और जब मैं उसे रूम में ले आऊँ तो तुम भी आ जाना और रूम के बाहर खिड़की के साथ खड़े होकर अपनी बहन को देख भी लेना और बातें भी सुन लेना। लेकिन अपना मोबाइल साइलेंट पे लगा लेना ओके..”

मैंने भी 'हाँ' में सर हिला दिया और वहाँ से निकालकर बैठक में जाकर बैठ गया और दरवाजे को थोड़ा सा खुला ही रखा। ताकी मैं अपनी बहन को आता हुआ भी देख सकें। और इंतजार करने लगा। मुझे वहाँ बैठे ज्यादा देर नहीं हुई थी, कोई 10 मिनट ही हुये होंगे कि मुझे काशी दरवाजा की तरफ जाता नजर आया। तो मैं भी जल्दी से उठा और दरवाजा के पास जाकर खड़ा हो गया और काशी के घर के मुख्य दरवाजे की तरफ देखने लगा। जिसको खोलते ही काशी एक साइड पे हो गया था।

और दरवाजे के खुलते ही एक लड़की जो कि एक बड़ी सी चादर (दुपट्टा) में लिपटी हुई थी, घर में आ गई और उसके अंदर आते ही काशी ने दरवाजा बंद कर दिया और उसे अपने साथ लेकर नीलू के रूम की तरफ चल दिया। जैसे ही काशी उस लड़की को जो कि मेरी बड़ी बहन फरी ही थी, अपने साथ रूम में ले गया तो मैं भी बैठक से निकला और खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया जो कि बेड के करीब ही थी और थोड़ी खुली हुई भी थी। लेकिन उस पे पर्दा गिरा हुआ था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन मैं बातें सुन सकता था।

नीलू- यार बैठ तो जाओ, खड़ी क्यों हो?

फरी- नहीं प्लीज़्ज़... मुझे ना तो बैठना है और ना ही यहाँ कुछ करना है।

काशी- देखो फरी, यहाँ आज जो भी होगा मैं वादा करता हूँ कि किसी को पता नहीं चलेगा और अगर तुम्हें कोई शक हो तो पूरा रूम चेक कर लो यहाँ कोई कैमरा नहीं लगा हुआ है।

फरी- “मैं तुम्हारी किसी बात का यकीन नहीं कर सकती, तुम पहले भी मुझे धोखा दे चुके हो...”

नीलू- “देखो फरी, मैं काशी की सगी बहन हूँ और ये हमारा अपना घर है। मैं तुम्हें यकीन दिलाती हूँ कि यहाँ कोई कैमरा नहीं है जिससे तुम डर रही हो...”

फरी- “देखो आखिरकार तुम लोग ऐसा क्यों चाहते हो कि मैं अपने ही छोटे भाई के साथ ये सब करवाऊँ?”

काशी- “क्यों फरी, अगर तुम्हारा भाई मेरे सामने मेरी बहन को चोद सकता है तो तुम अपने भाई से क्यों नहीं चुदवा सकती?”

फरी- “देखो, अगर सन्नी ने ऐसा किया है तो उसकी सजा तुम मुझे क्यों देना चाहते हो? प्लीज़... काशी, ऐसा मत करो ये मुझसे नहीं हो सकेगा...”

नीलू- “मेरी जान कौन कहता है कि ये सजा है? जब सन्नी का लण्ड तुम्हारी फुद्दी में घुसेगा ना तो यकीन । मानो... तुम मजे की शिद्दत से बेहाल हो जाओगी और वैसे भी सन्नी यहाँ आने ही वाला है और उसके आने से पहले तुम अपना ये ड्रामा खतम कर लो तो अच्छा है। क्योंकी हम नहीं चाहते कि सन्नी को पता चले कि वो अपनी ही बड़ी बहन को चोद रहा है..”

फरी- “प्लीज़... काशी, ऐसा मत करो मेरे साथ, वो भाई है मेरा। तुम जिसके साथ बोलोगे मैं करने को तैयार हैं। लेकिन प्लीज़ज़ सन्नी के साथ नहीं... तुम्हें खुदा का वास्ता मेरे साथ ये जुल्म ना करो..."

नीलू- “भाई, छोड़ो जाने दो इसे। अगर ये नहीं मानती तो हम इसके साथ जबरदस्ती तो कर नहीं सकते। अगर ये जाना चाहती है तो जाने दो। तुम इसकी बनाई हुई वीडियो इसके घर और मुहल्ले वालों तक पहुँचा दो... बाकी इसकी किश्मत?”
 
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