vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार - Page 7 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार

मैंने बाजी को छोड़ दिया और पीछे हट गया और बोला- क्यों बाजी, क्या बात है? आप ने ऐसा क्यों बोला?

बाजी हँसते हुये बोली- “बुद्धू मुरी जाने से पहले मेरी शहजादी छुटियों पे है, और आराम करेगी और नो गड़बड़। अब जो होगा मुरी में ही, तब तक मैं नहा लूंगी."

मैं बाजी की बात सुनकर ठंडा हो गया और बोला- “क्या यार, उधर नीलू के साथ भी ये ही पंगा है और यहाँ तुम्हारे साथ भी..." और इतना बोलकर अपने रूम की तरफ चल दिया और फिर बाजी की तरफ मुड़ा और बोला
लेकिन आप मुरी जाने तक फिट हो जाओगी ना?”

तो बाजी ने हँसते हुये हाँ में सिर हिला दिया।

उसके बाद के 5 दिन तक हम सिर्फ मुरी की तैयारी में लगे रहे, क्योंकी मेरा इरादा वहाँ कोई एक महीने से ज्यादा रुकने का था, तो मैंने इसीलिए वहाँ एक घर रेंट पे ले लिया। और सारी तैयारी करने के बाद हमने एक टोयोटा शटल रेंट पे ले ली ड्राइवर समेत, जो कि सिर्फ मुरी तक के लिए ही थी। जिसमें हमने अपना-अपना । समान रखा और हम मुरी के लिए निकल लिए। रात दो बजे हम घर से निकले, क्योंकी हम चाहते थे के जब हम मुरी पहुँचे तो सुबह हो चुकी हो।

गाड़ी लाहोर से निकली और मोटेरवे पे ट्रैवेल करने लगी तो अम्मी और निदा जो अगली सीटोम पर थीं आँखें बंद कर सोने लगीं। तब मैं और फरी बाजी जो कि पीछे बैठे मेरे मोबाइल पे एक मूवी देख रहे थे, थोड़ी देर बाद जब मैंने देखा कि अम्मी और निदा सो गये हैं और क्योंकी गाड़ी में लाइट बंद थी, जिससे ड्राइवर को पीछे कुछ खास नजर नहीं आ रहा था, तो मैंने बाजी की अपनी तरफ खींच लिया और अम्मी और निदा की तरफ देखते हुये किस करने लगे।

बाजी ने भी किस में मेरा साथ दिया और फिर मुझसे अलग होते हुये धीरे से मेरे कान में बोली- “भाई क्या पागल हो गये हो, अगर अम्मी या निदा ने देख लिया तो क्या होगा? कुछ तो शर्म करो?”
 
मैं- अरे यार, वो सो रही हैं और हम कौन सा सारे कपड़े उतारकर कुछ करेंगे।

बाजी- भाई, इंसान बनो ड्राइवर ने देख लिया तो वो क्या सोचेगा?

मैं- यार हम उसे कुछ सोचने ही नहीं देंगे उसे भी मजा करवा देंगे और तुम भी दो का मजा ले लोगी एक साथ।

बाजी- नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। क्योंकी अम्मी और निदा किसी भी वक्त उठ सकती हैं।

मैं- “यार गाड़ी में अंधेरा है और ड्राइवर को कुछ नजर नहीं आएगा। बाकी अम्मी और निदा भी सो चुकी हैं...”

लेकिन बाजी किसी भी तरह नहीं मान रही थी तो मैंने बाजी को अपने करीब से परे धकेल दिया और बाहर अंधेरे में देखने लगा।

कुछ देर तक मैं ऐसे ही बाहर देखता रहा तो बाजी ने अपना हाथ मेरे लण्ड पे रखकर हल्का सा दबा दिया। मैंने बाजी की तरफ देखा जो कि मेरी तरफ ही देख रही थी, और हल्का सा मुश्कुरा भी रही थी। अब मैंने ड्राइवर की तरफ देखा और उसे ड्राइविंग में मसरूफ देखकर मैंने बाजी की टांगें पकड़कर सीट पे रख दीं जिससे बाजी गाड़ी में पीछे टेक लगाकर लेट सी गई। क्योंकी गाड़ी काफी खुली थी और बाजी की गाण्ड के नीचे हाथ डालकर बाजी की सलवार को उनके घुटनों तक खींच दिया और उनकी टांगें भी थोड़ी खोल दीं और जल्दी से अपनी सलवार भी नीचे खिसका दी।

फिर अपना लण्ड बाहर निकालकर एक बार फिर से इधर-उधर देखा। लेकिन अम्मी और निदा को मजे से सोता देखकर और ड्राइवर को गाड़ी में मगन देखकर, मैंने अपना लण्ड धीरे से अपनी बहन की फुद्दी पे रख दिया और बाजी की आँखों में देखते हुये अपना लण्ड बाजी की फुद्दी में घुसाने लगा।

लण्ड घुसते ही बाजी ने अपना सिर उठा लिया और अम्मी और निदा की तरफ देखते हुये मुझे जल्दी करने का इशारा करने लगी, तो मैंने भी बाजी की बात मान ली और अपना लण्ड अपनी बहन की फुद्दी में तेजी से । हिलाना शुरू कर दिया और साथ-साथ ड्राइवर की तरफ भी देख लेता। क्योंकी अगर उसे जरा भी हरकत महसूस हो जाती तो मिरर में पीछे देख लेता।

इसी डर और टेन्शन की वजह से मैं दो मिनट में ही फारिघ् होने पे आ गया और जैसे ही मेरा पानी निकलने लगा, मैंने अपना लण्ड फरी बाजी की फुददी से निकाल लिया और फुददी के ऊपर ही अपना सारा पानी गिरा दिया और पीछे हटकर अपनी सलवार बाँधकर बैठ गया। बाजी ने अपने बैग में से टीस्सू निकालकर अपनी फुद्दी पे लगे पानी को साफ किया और कपड़े ठीक करके बैठ गई और गुस्से भरी निगाहों से मेरी तरफ देखने लगी। मैं मुश्कुरा दिया और बाजी का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया जिससे बाजी मेरे साथ लग के बैठ गई।
 
मेरे नजदीक होते ही बाजी ने धीरे से कहा- “क्या मिला तुम्हें इस तरह करके इर के मारे जान निकल रही थी अगर अम्मी या निदा देख लेतीं। तो पता है क्या होता? यहीं हमारी मरम्मत हो जानी थी...”

मैं- “अरे छोड़ो ना बाजी जो हुआ नहीं उससे क्यों डर रही हो? बस मुरी पहुँच जाने दो उसके बाद तो बस मजे ही मजे हैं हमारे..." और इतना बोलते हुये मैंने अपना बाजू बाजी के कंधों पे रख दिया जिससे मेरा हाथ बाजी की। चूचियों तक पहुँच गया, मैं अपना हाथ बाजी की चूचियों पे घुमाने लगा।

बाजी ने मेरा हाथ अपनी चूचियों में महसूस किया तो मेरे हाथ को अपने कंधे से हटा दिया और मेरा कान पकड़कर अपने करीब खींचा और बोली- “भाई अब इंसान बन जाओ और मस्ती नहीं चलेगी समझे...”

अब मैंने भी बाजी का कान पकड़ लिया और बोला- “यार तुम्हें नजर नहीं आता, मैं इंसान ही हैं। लेकिन तुम फिर भी बोल रही हो कि इंसान बनो, तो आखिर मैं तुम्हें नजर क्या आ रहा हूँ?”


बाजी मेरी बात सुनकर हल्का सा हँस दी और बोली- “इस वक़्त तुम मुझे पूरे बहनचोद दिखाई दे रहे हो...”

और इससे पहले कि मैं कुछ बोलता आगे से ड्राइवर की आवाज सुनाई दी जो कि पूछ रहा था कि यहाँ कुछ देर रुक के थोड़ा आराम कर लें तो बेहतर है, क्योंकी एक घंटे तक हम रावलपिंडी पहुँच जायेंगे तो फिर मुरी तक । रुकने के लिए कोई अच्छी जगह नहीं मिलेगी हमें।

मैंने बाजी से पूछा- क्या ख्याल है रुक जायें या चलते रहे?

बाजी ने कहा- “भाई हमने कौन सा गाड़ी चलाना है? लेकिन इस बेचारे को आराम कर लेने दो तो बेहतर है। ये ना हो कि रात का सफर है कहीं ठोंक ही दे तो?

मैंने कहा- ठीक है। रोक लो गाड़ी यहाँ थोड़ी देर।

ड्राइवर ने गाड़ी डेवू रेस्टोरेंट पे ले जाकर खड़ी की तो मुझे और बाजी को उतरने के लिए निदा को उठाना पड़ा। क्योंकी हम सबसे पीछे बैठे हुये थे, जिससे अम्मी भी उठ गई और बोली- “क्या हुआ सन्नी, गाड़ी क्यों रुक गई है?”

मैंने अम्मी को बताया कि ड्राइवर थक गया है, थोड़ा आराम करके चलेंगे। वहाँ जब हम सब गाड़ी से बाहर निकल आए तो निदा ने कहा- “भाई हम कहाँ पहुँच गये हैं?”

मैंने उसे कलर-कहर का बता दिया जहाँ से इस्लामाबाद एक घंटे की ड्राइव से ही था। वहाँ हमने एक घंटे तक रेस्ट किया और फिर से गाड़ी में जा बैठे।

जिसके बाद सब जागते ही रहे, क्योंकी सुबह हो रही थी। जिसके बाद हम मुरी अपने रेंट के मकान में जा पहँचे जो कि दो कमरों का था और एक ही बाथरूम, जो कि अटैच था दोनों रूम के लिए और एक किचेन के साथ एक छोटा सा टीवी लाउंज। जहाँ हमने गाड़ी वाले को फारिघू किया और अपना-अपना समान सेट करने लगे, तो फरी मेरे साथ और निदा अम्मी के साथ रूम में सेट हो गई।
 
उसके बाद हम सब नहाकर फ्रेश हुये और साथ लाया हुआ नाश्ता किया मिलकर और उसके बाद सब लोग घूमने के लिए तैयार होने लगे, तो मैंने मना कर दिया कि आप जाओ मैं यहीं हूँ।

अम्मी ने कहा- क्यों तुम क्यों नहीं चल रहे?

मैंने सिर दर्द का बहाना बना दिया, तो सब लोग मुझे वहीं छोड़कर घूमने निकल गये। सबके जाने के बाद मैं भी घर से निकल गया और घूमने लगा और साथ ही सोचने लगा कि आखिर ऐसा क्या किया जाए कि जिससे यहाँ हम पूरी तरह मस्ती कर सकें? लेकिन कुछ भी समझ में नहीं आया तो, वापिस मकान की तरफ चल दिया।

जब मैं मकान के पास पहुँचा तो अचानक मेरे दिमाग में आइडिया आया कि क्यों ना मकान के साथ बने जंगल का जायजा लिया जाए, और ये सोच आते ही मैं जंगल में घुस गया जो कि काफी घना था, झाड़ियों की वजह से। मैं जंगल में थोड़ा आगे गया तो वहाँ एक पहाड़ी नाला था, जिसमें एक छोटा सा तालाब सा बना हुआ था और इधर-उधर काफी दरख़्त और झाड़ियां भी थीं, जिससे कहीं ऊपर से वो जगह भी किसी को नजर नहीं आ सकती
थी।

ये जगह मुझे काफी पसंद आई तो मैंने अपने कपड़े उतार दिए और पानी में घुस गया नहाने के लिए, और नहाते हुये अचानक मेरे दिमाग में आया कि बाजी के साथ मस्ती के लिए ये एक आइडियल जगह हो सकती है। उस जगह क्योंकी थोड़ी जगह तालाब के साथ साफ थी, जहाँ हम बैठ या लेट भी सकते थे। लेकिन क्योंकी दायें बायें काफी घने दरख़्त और झाड़ियां थीं, तो वहाँ दिन में सूरज की रोशनी भी ज्यादा देर नहीं रहती थी, और। कुछ पानी जिसकी वजह से वो जगह काफी ठंडी भी थी।

मैंने नहाकर अपने कपड़े पहन लिए और मकान की तरफ चल दिया जब (घर ही लिखूगा मैं यहाँ मुरी वाले मकान को) मैं घर पहुँचा तो अम्मी बाजी और निदा भी वापिस आ चुके थे।

अम्मी- तुमने तो कहा था सिर में दर्द है आराम करना है, लेकिन अब तुम बाहर से आ रहे हो?

मैं- अम्मी अब मैं आप लोगों के साथ घूमता हुआ अच्छा लगूंगा क्या? आप लोग अपनी एंजोयमेंट करो मैं अपनी।

निदा- अच्छा जी तो अब आपको हमारे साथ घूमते हुये भी शर्म आने लगी है?

मैं- नहीं पागल ये बात नहीं है। अब तुम लोग अपनी बातें करोगे घूमते फिरते तो वहाँ भला मेरा क्या काम?

बाजी- अच्छा बाबा अगर नहीं घूमना चाहते हमारे साथ तो मत घूमो, हम कौन सा तुम्हारी मिन्नतें कर रहे हैं।

अम्मी- वैसे तुम गये कहाँ थे अभी?

मैं- अम्मी, बस यहाँ जंगल में ही गया था। साथ ही एक बहुत प्यारी सी जगह है, वहाँ नहाकर वापिस आ गया।

बाजी- भाई जंगल में जानवर भी तो होंगे ना? दोबारा वहाँ जाने की जरूरत नहीं है समझे।

मैं- अरे बाबा यहाँ जानवर नहीं हैं। अगर ऐसा होता तो यहाँ आता ही कौन?

अम्मी- कैसा जंगल है यहाँ का?

मैं- अम्मी कैसा का क्या मतलब? जैसा जंगल होता है वैसा ही है।

अम्मी- मैं पूछ रही हूँ कि जहाँ तुम गये थे वो कैसी जगह है?
 
मैं- अम्मी वहाँ एक पहाड़ी नाला है लेकिन जिस जगह मैं गया था वहाँ थोड़ी जगह प्लेन है तो वहाँ एक छोटा सा तालाब बन गया है थोड़ी देर नहाने से ही सर्दी लगने लगी थी वहाँ।

बाजी- अम्मी हम भी चलें वहाँ?

अम्मी- रहने दो, कोई जरूरत नहीं है वहाँ जाने की।

इसके बाद हम सबने बाहर से लाया हुआ खाना ही खाया और आराम करने अपने रूम में चले गये। रूम में आते ही बाजी ने कहा- “भाई, मुझे भी जाना है वहाँ नहाने के लिए...”

मैंने बाजी का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और किस करते हुये बोला- “अरे जाना वहाँ सिर्फ तुम नहाओगी ही नहीं चुदवाओगी भी... क्या समझी?”

बाजी मुझे पीछे धकेलते हुये बोली- “क्यों, मैं भला क्यों करूं वहाँ कुछ भी नहाने के इलावा?”

मैंने बाजी को अपने साथ फिर से जकड़ लिया और बोला- तो मेरी जान यहाँ आई ही क्यों हो?

बाजी ने कहा- मैं तो यहाँ एंजाय करने आई हूँ बस, और कुछ नहीं समझे?

बाजी की बात खतम होते ही मैंने कहा- “तो जान-ए-मान मैं भी तो मजे करने के लिए ही बोल रहा हूँ तुम्हें...”

बाजी हँस दी और बोली- लेकिन पहले मैं वो जगह देखूँगी बाकी सब बाद में...”

मैंने हाँ में सिर हिलाया।

बाजी ने कहा- तो फिर चलो चलते हैं।

मैंने बाजी को खुद से अलग करके बोला- “बाजी क्या आपका दिमाग खराब हो गया है अभी कैसे जा सकते हैं?


बाजी ने कहा- “क्यों अभी क्यों नहीं जा सकते? अभी दोपहर का टाइम है रात नहीं है, जो वहाँ नहीं जा सकते...”

मैंने हाँ में सिर हिला दिया और बाजी के साथ जैसे ही रूम से बाहर निकला तो निदा हमें सामने ही बैठी नजर आ गई।

हम दोनों जैसे ही बाहर निकले तो निदा ने कहा- “भाई तालाब पे ले चलो ना प्लीज़... मुझे भी देखना है."

बाजी ने कहा- ठीक है आ जाओ।

बाजी की बात सुनकर मेरी झांटें भी सुलग गईं, क्योंकी मैं वहाँ बाजी के साथ मस्ती की सोच रहा था। लेकिन अब तो निदा भी साथ चल रही थी तो वहाँ मस्ती क्या खाक होती? और ये सोचकरर बे-दिली के साथ चल दिया।

जैसे ही हम लोग तालाब में पहुँचे तो वहाँ का साफ और ठंडा पानी देखकर बाजी ने कहा- “वाव... भाई कितनी अच्छी जगह है और ये पानी देखो कितना ठंडा और साफ है, दिल करता है कि अभी नहा लू यहाँ..."
 
निदा भी बाजी की बात सुनकर बोली- “हाँ बाजी, सच में कितना मजे का पानी है नहाने के लिये दिल कर रहा है मेरा..."

निदा की बात सुनकर बाजी हँस दी और बोली- तो फिर क्या ख्याल है, नहा लें?

निदा- “लेकिन बाजी यहाँ तो भाई भी है और ऊपर से और कपड़े भी नहीं हैं, जो हम इनके गीला होने के बाद पहन लें...”

बाजी ने कहा- “तो क्या हुआ भाई ही है ना, कोई गैर तो नहीं है। बाकी हम अपने कपड़े उतारकर दुपट्टा अपने जिश्म पे लपेट लेते हैं, इस तरह कपड़े गीले नहीं होंगे...”

निदा बाजी की बात सुनकर धीरे से बाजी से कुछ बोली।

बाजी ने मेरी तरफ देखकर कहा- भाई अगर हम नहा लें तो तुम अम्मी को तो नहीं बताओगे ना?


मैंने कहा- यार, अगर तुम लोग नहाओगे तो में भी नहा लूंगा फिर मैं अम्मी को कैसे बता सकता हूँ?

बाजी मेरी बात सुनकर हँस दी और निदा को अपने साथ लेकर दरख्तों की ओट में चली गई, तो मेरा लण्ड पैंट में ही टाइट होने लगा। निदा को बिना कपड़ों के सिर्फ गीले दुपट्टे में ही सोचकर।

थोड़ी देर के बाद बाजी और निदा अपने कपड़े हाथों में पकड़े और जिम पे अपने दुपट्टे लपेटे जो कि उनके घुटनों तक ही आ रहे थे चूचियों से लेकर, पेड़ों के पीछे से निकलीं और मेरी तरफ आने लगीं तो मैं निदा की जवानी को निहारने लगा। और इस बात को निदा ने भी महसूस कर लिया और अपने सीने के सामने अपने उतारे हुये कपड़े कर लिए, तो बाजी भी समझ गई कि मैं निदा को घूर रहा हूँ।

बाजी ने कहा- यार सन्नी, तुम नहीं नहाओगे क्या हमारे साथ?

बाजी की बात सुनकर मैं भी थोड़ा संभाल गया और बोला- हाँ हाँ बाजी, क्यों नहीं? मैं भी नहाऊँगा।

बाजी ने कहा- क्या ऐसे ही नहाओगे?

मैंने कहा- “नहीं बाजी मैंने अंडरवेर पहना हुआ है.." और इतना बोलते ही पेड़ों के थोड़ा पीछे हो गया और अपनी पैंट और शर्ट उतार दी। लेकिन अब पंगा ये था कि मेरा लण्ड जो कि पूरा हाई हो रहा था, वो साफ महसूस हो रहा था, तो मैंने थोड़ा सा सिर पेड़ों के पीछे से निकाला और बाजी की तरफ देखा।
 
बाजी मेरी तरफ ही देख रही थीं। लेकिन निदा तालाब के किनारे बैठी पानी में हाथ मार रही थी।

मैंने बाजी को अपने लण्ड की तरफ इशारा करके बोला- अब इसका क्या करूं, ये तो खड़ा है?

बाजी ने मुझे रुकने का इशारा किया और खुद निदा को लेकर पानी में उतर गई और निदा का मुँह दूसरी तरफ ही रखते हुये मुझे इशारा कर दिया तो मैं तेजी से तालाब में जा घुसा। पानी में घुसते ही मेरा लण्ड पहले तो थोड़ा नरम हुआ, लेकिन जब निदा जो कि पानी में डुबकियां लगा रही थी और नहा रही थी पानी से सिर निकाल कर खड़ी हुई तो उसका दुपट्टा जो काफी पतला था और गीला होने से उसका जिम साफ दिखने लगा था और उसकी ब्लैक ब्रा आआहह... क्या बताऊँ कितना प्यारा मंजर था उस वक़्त।

तभी बाजी ने मुझे आवाज दी और कहा- “भाई कितना मजे का पानी है ना...”

मैंने बाजी की बात सुनकर निदा से नजर हटाई और बोला- “हाँ बाजी, मजे का तो है ये लेकिन क्या कर सकते हैं?” और एक ठंडी ‘आअह्ह' भरी।

बाजी जरा गुस्से से बोली- “भाई मैंने क्या पूछा है तुमसे और तुम क्या जवाब दे रहे हो मुझे?

तो मैंने बात को संभाला- “अरे बाजी, मैं इस जगह की बात कर रहा हूँ का कितनी अच्छी और मजे की है। लेकिन अपनी नहीं है ना तो हम सिर्फ देखकर ठंडी ‘आआहह' ही भर सकते हैं। लेकिन आप क्या समझी थी?”
 
बाजी ने सिर्फ मुझे घूरा और कुछ बोली नहीं।

निदा ने कहा- “बाजी आप किन बातों में लग गई। नहा लो बातें तो होती ही रहनी है...”

तो मैं भी हाँ ना बाजी कहते हुये पानी में बैठ गया और नहाने लगा कि तभी मैंने बाजी की नजर बचाकर जब निदा पानी में बैठी तो मैं पानी में अपनी टांगें निदा की तरफ बढ़ाकर लेट गया और अपना एक पांव निदा की गाण्ड पे लगा दिया। मेरा पांव जैसे ही निदा की गाण्ड पे लगा, निदा एकदम से उठी। क्योंकी वहाँ तालाब में पानी सिर्फ घुटनों से थोड़ा ही ऊपर था, तो कोई खास मसला तो था नहीं। निदा ने मेरा पांव लगते ही उठकर एक बार मेरी तरफ देखा लेकिन मैं वैसे ही लेटा रहा और निदा की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा भी दिया।

निदा ने अपना चेहरा घुमा लिया और उसी वक़्त बाजी ने भी अपना सिर पानी से निकाल लिया और बोली“सन्नी काश मुझे पता होता कि इतनी अच्छी जगह है तो शैम्पू भी ले आती...”

निदा ने बाजी की बात के जवाब में कहा- “हाँ बाजी, यहाँ कितना सकून है। कोई आता जाता भी नहीं है। यहाँ जिस तरह मर्जी एंजाय करें, कोई मसला ही नहीं है। अगली बार हम शैम्पू तौलिया सब कुछ लेकर आयेंगे...”

बाजी ने भी कहा- “हाँ यार.." और साथ ही पानी में फिर से सिर घुसा दिया।

अचानक निदा भी पानी में बैठ गई, क्योंकी मैं वैसे ही लेटा हुआ था पत्थर पे हाथ टिकाकर। निदा के पानी में बैठते ही उसकी गाण्ड मेरे पांव के ऊपर आई और इस बार निदा उठी नहीं और बड़े आराम से बैठकर पानी में डुबकी लगाई और फिर अपनी गाण्ड को मेरे पांव में दबाती हुई उठ गई।
 
निदा की इस हरकत ने जहाँ मुझे चकित किया, वहीं खुशी भी हुई।
तभी निदा ने बाजी से कहा- बाजी क्यों ना अब बस किया जाए? ठंड लग रही है।
बाजी ने कहा- “हाँ निदा, अब बस करते हैं. और फिर दोनों पानी से बाहर निकल गईं और अपने कपड़े उठाकर पेड़ों के पीछे चली गईं।
मैं भी बाहर निकला और अपने कपड़े पहन लिए और अंडरवेर उतारकर सूखने के लिए एक पत्थर पे रख दिया।
तभी निदा पेड़ों के पीछे से निकली और मेरे अंडरवेर के साथ ही अपनी ब्रा भी सूखने के लिए रख दी और दुपट्टा भी झाड़ियों में फैला दिया। जब निदा सीधी खड़ी होकर मेरी तरफ मुड़ी तो मेरी तो आँखें ही फटी की
फटी रह गईं, क्योंकी निदा की कमीज उसकी चूचियों वाली जगह से गीली हो रही थी और उसकी कोमल चूचियां मुझे साफ नंगी महसूस हो रही थीं।
70
अभी मैं इस शहर में ही गुम था कि तभी निदा ने कहा- “क्या हुआ भाई, कहाँ गुम हो?”
मैं चौंका और निदा की तरफ देखा जो कि हल्का सा मुश्कुरा रही थी। मैंने कहा- “कुछ नहीं...”
निदा मेरी बात सुनकर साइड में चली गई, क्योंकी अब बाजी भी इधर ही आ रही थी। बाजी हमारे पास आई और अपना दुपट्टा और ब्रा को सूखने के लिए डाल दिया और उसके बाद मेरी तरफ घूरते हुये देखकर बोलीक्या बातें चल रही हैं तुम लोगों में?”
 
अभी मैं इस शहर में ही गुम था कि तभी निदा ने कहा- “क्या हुआ भाई, कहाँ गुम हो?”

मैं चौंका और निदा की तरफ देखा जो कि हल्का सा मुश्कुरा रही थी। मैंने कहा- “कुछ नहीं...”

निदा मेरी बात सुनकर साइड में चली गई, क्योंकी अब बाजी भी इधर ही आ रही थी। बाजी हमारे पास आई और अपना दुपट्टा और ब्रा को सूखने के लिए डाल दिया और उसके बाद मेरी तरफ घूरते हुये देखकर बोलीक्या बातें चल रही हैं तुम लोगों में?”
मैं हँस दिया और बोला- क्या बातें चलनी हैं बाजी? बस ऐसे ही जगह के बारे में बात कर रहे थे कि कितनी पुरसकून जगह है ना?

निदा- हाँ बाजी, सच कोई शोर शराबा नहीं, सबसे अलग थलग जगह है। कितनी खूबसूरत है सच्ची बहुत मजे की जगह है।

बाजी- हाँ निदा ये तो है।

उसके बाद हम वहीं करीब एक पत्थर पे जाकर बैठ गये और कुछ देर गप्प शप करने के बाद जब हमारे कपड़े सूख गये तो हम वहाँ से घर को चल दिए, जहाँ अम्मी हमारा इंतेजार कर रही थीं और हमें देखते ही अम्मी । गुस्से में बोली- “कहाँ गये थे तुम लोग बिना बताए ही?”

बाजी जल्दी से बोली- “वो अम्मी नींद नहीं आ रही थी तो हम लोग घूमते हुये तालाब की तरफ चले गये थे...”

बाजी की बात ने जलती पे तेल वाला काम किया और अम्मी भड़क उठी और बोली- “क्यों गये थे तुम लोग वहाँ जब मैंने माना किया था तुम लोगों को तो क्या तकलीफ थी वहाँ जाने की तुम्हें?”

अब मैं आगे हुआ और बोला- “अम्मी क्या हुआ, आप इतना गुस्सा क्यों हो रही हो? हम लोग यहाँ घूमने ही तो आए हैं, अगर यहाँ आकर भी घर में ही बैठना है तो फिर यहाँ आने का क्या फायदा?”

मेरी बात सुनकर अम्मी खामोश हो गईं। लेकिन उनका गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था इसलिए अबकी बार अम्मी ने कोई और बात नहीं की और अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
 
Back
Top