vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार - Page 8 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार

बाजी ने कहा- भाई, जब अम्मी ने मना किया था तो हमें नहीं जाना चाहिए था वहाँ।

बाजी की बात का जवाब मैं देने ही लगा था कि तभी निदा ने कहा- “बाजी भाई ने ठीक ही तो कहा है कि जब हम यहाँ एंजाय करने आए हैं तो फिर घूमने से माना क्यों किया जा रहा है?”

बाजी कुछ नहीं बोली तो निदा ने बाजी का हाथ पकड़कर एक साइड पे किया और उसके कान में कुछ कहा, तो बाजी ने हाँ में सिर हिला दिया और मेरे पास आकर बोली- “भाई तुम यहाँ ही बैठकर टीवी देखो, मैं निदा के साथ रूम में हूँ हमने कुछ बात करनी है...”

बाजी की बात सुनकर मुझे गुस्सा तो आया लेकिन मैं निदा की तरफ घूरते हुये बोला- “अच्छी बात है। लेकिन मैं ज्यादा देर यहाँ नहीं बैठूबगा, जो बात करनी है जल्दी कर लेना..” और टीवी का रिमोट लेजाकर बैठ गया।

मैं कोई एक घंटे तक टीवी के चैनेल चेंज करता और बार-बार रूम की तरफ भी देखता रहा। लेकिन जब एक घंटे गुजर गया और ना तो निदा और फरी बाजी में से कोई रूम में से बाहर आया और ना ही अम्मी के रूम का। दरवाजा खुला तो मैं तंग आ गया और टीवी आफ करके अभी उठा ही था रूम में जाने के लिए।

तभी मेरे रूम का दरवाजा खुला और निदा बाहर आ गई और मेरी तरफ देखकर एक अजीब सी मुश्कान के साथ बोली- “भाई आपको बाजी बुला रही हैं...” और खुद टीवी का रिमोट लेकर टीवी के सामने बैठ गई।

मैं रूम की तरफ चल दिया कि अब क्या पंगा हो गया? रूम में आया तो देखा कि बाजी बेड पे बैठी हुई थी। लेकिन उनके चेहरे से मुझे परेशानी साफ नजर आ गई कि बाजी कुछ परेशान हैं।

मैं भी दरवाजा बंद करके बाजी के पास जा बैठा और बोला- बाजी क्या बात है, आप कुछ परेशान लग रही हैं?
 
बाजी ने अपनी आँखें मेरी आँखों में डाल दीं और कुछ देर तक मुझे देखती रही, और फिर जो बोली तो मेरी गाण्ड फाड़ के रख दी। बाजी ने कहा- “भाई निदा को सब पता चल गया है कि हमारे बीच क्या चल रहा है?”


मैं कुछ देर हैरानी और बेयकीनी से बाजी की तरफ देखता रहा और फिर फंसी हुई आवाज में बोला-“लऽलेकिन उसे किस तरह पता चला? किसने बताया है उसे क्या आपने?”

बाजी- “नहीं सन्नी ऐसी बात नहीं है कि मैंने उसे कुछ बताया हो। लेकिन जब हम तालाब पे जाने से पहले बातें कर रहे थे तब निदा बाथरूम में थी और क्योंकी हमारी तरफ वाला दरवाजा कुछ खुला हुआ था, जिसपे हमने। ध्यान नहीं दिया तो उसने वहाँ खड़े-खड़े हमारी सारी बातें सुन ली थी...”

बाजी की बात ने मेरा पशीना छुड़वा दिया था। जिसे मैं साफ करते हुये बोला- अब क्या होगा बाजी? क्या उसने अम्मी को बता दिया है जो अम्मी इतना गुस्से में थीं इस वक़्त?

बाजी- नहीं भाई, उसने अभी तक तो किसी को भी कुछ नहीं बताया है।
मैं- फिर वो क्या चाहती है? आखिर कुछ तो डिमांड की ही होगी ना उसने आपसे?

बाजी- हाँ भाई, वो चाहती है कि हम जो भी करना चाहें कर सकते हैं उसे कोई ऐतराज नहीं होगा। लेकिन जब भी मैं और तुम दोनों किया करेंगे तो उसे बताकर किया करें, क्योंकी वो ये सब देखना चाहती है। और ये ही उसकी शर्त है कि जिससे वो कभी किसी को कुछ नहीं बताएगी...”

- बाजी कहीं निदा भी तो हमारे साथ मिलकर सेक्स तो नहीं करना चाहती?

बाजी- मैंने भी उससे ये बात पूछी थी लेकिन उसका कहना है कि ऐसा कुछ सोचना भी गलत है, क्योंकी वो ऐसा कभी नहीं करेगी। लेकिन हमें तंग भी नहीं करेगी और जहाँ तक हो सका हमारा साथ भी देगी।


मैं- ठीक है बाजी। अगर वो बस देखने तक ही रहना चाहती है तो फिर कोई मसला ही नहीं है।

बाजी- अगर निदा भी हमारे साथ मिलना चाहती तो फिर क्या कोई मसला हो जाना था क्या?

मैं- अरे नहीं बाजी, सच्ची बात तो ये है कि इस तरह ज्यादा मजा आता। लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं?
 
बाजी- ठीक है भाई। लेकिन निदा ने कहा है कि तुम्हें ये भी समझा दें कि तुम उसके साथ कोई भी बदतमीजी नहीं करोगे।

मैं- “यार बाजी, मैं भला ऐसा क्यों करने लगा? आप परेशान नहीं हो, जो होना था हो गया। अब आइन्दा से अहतियात किया करना, कहीं अम्मी को पता चल गया होता निदा की जगह तो अब तक हमारी गाण्ड फट चुकी होती...”

बाजी- हाँ भाई ये बात भी है, अब हमें एहतियात और ज्यादा करना पड़ेगी।

उसके बाद बाकी का दिन हमने घूम फिर के गुजारा। लेकिन उस दौरान ना तो मैंने निदा से बात की और ना ही निदा ने मेरे साथ कोई बात की।
लेकिन जब भी मेरी नजर निदा पे पड़ती, निदा मुझे अपनी तरफ अजीब से अंदाज में देखकर मुश्कुराती ही मिली।

अब तक अम्मी का मूड भी काफी हद तक ठीक हो गया था, और रात का खाना खाते हुये अम्मी ने हमें समझाया भी था कि बेटा मुझे पता है कि हम लोग यहाँ घुमाने आए हैं लेकिन घूमने के लिए क्या जंगल अच्छी जगह है? माना कि वहाँ कोई जानवर नहीं हैं, लेकिन फिर भी आप लोगों को एहतियात करनी चाहिए। वहाँ कोई और हादसा भी तो हो सकता है?

हमने अम्मी की बात सुनकर अम्मी को यकीन दिलाया कि अब हम बिना आपको बताए कहीं नहीं जाया करेंगे।

अम्मी हँस दी और बोली- “मुझे पता है बेटा कि आप लोग जवान हो और किसी को खातिर में नहीं लाओगे। लेकिन फिर भी एहतियात अच्छी होती है, और अब इन बातों को छोड़ो और ये बताओ कि कल का क्या प्रोग्राम है? कहाँ जाना है?”

निदा झट से बोल पड़ी- अम्मी कल चेयर लिफ्ट की सैर को चलेंगे।

निदा की बात सुनकर अम्मी ने कहा- “ठीक है, तो कल हम लोग चेयर लिफ्ट की सैर को चल रहे हैं."

अम्मी की बात खतम होते ही मैंने कहा- “ठीक है, आप लोग चेयर लिफ्ट की सैर कर आओ, मैं यहीं रहूंगा...”

अम्मी ने हैरानी से मेरी तरफ देखा और बोली- लेकिन क्यों बेटा, तुम क्यों नहीं जा रहे हमारे साथ?

मैंने कहा- बस अम्मी मुझे अच्छा नहीं लगता आप लोगों के साथ।

निदा- छोड़ो ना अम्मी, भाई को भी यहाँ कोई गर्लफ्रेंड बनानी होगी, और अगर ये हमारे साथ घूमेगा तो गर्लफ्रेंड कैसे मिलेगी?
 
अम्मी- निदा बदतमीजी नहीं, तुम्हारा बड़ा भाई है। तुम्हें शर्म आनी चाहिए अपने भाई को ऐसा बोलते हुये।

मैं- अरे नहीं अम्मी, कोई बात नहीं। ये ही तो दिन हैं इसके मस्ती मजाक के। अगर अब हम इस पे पाबंदी लगाए रखेंगे तो शादी के बाद तो वैसे ही इसकी बोलती बंद रहनी है।

बाजी- “भाई अब तुम शुरू हो गये, अगर तुमने हमारे साथ नहीं जाना तो मत जाओ लेकिन अब ये लड़ाई बंद करो प्लीज़्ज़..."

खाना खत्म करके सब लोग कमरों की तरफ खिसक लिए और सोने की तैयारी करने लगे, तो निदा भी हमारे रूम में ही आ गई और बाजी को इशारा करते हुये मुश्कुराने लगी। बाजी ने इनकार में सिर हिला दिया तो निदा का मुँह बन गया और वो मुँह बिसूरते हुये बाथरूम के रास्ते अपने रूम में चली गई।

निदा के जाते ही मैंने बाजी की तरफ देखकर कहा- “ये क्या इशारे कर रही थी आपको?”

बाजी ने कहा- भाई आप पहले बाथरूम का दरवाजा लाक कर लो, कहीं अम्मी हमारी बातें ना सुन लें?

मैंने झट से बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और बाजी के पास आकर बेड पे बैठ गया और बोला- “हाँ बाजी, अब बताओ क्या इशारे चल रहे थे?”

बाजी हँसते हुये बोली- “निदा पूछ रही थी आज कुछ करना है हमने या नहीं? तो मैंने मना कर दिया...”

मैं- लेकिन बाजी आज क्यों नहीं करना?

बाजी- सन्नी इंसान बनो, अगर पकड़े गये ना तो कसम से बहुत बुरा होगा। और वैसे भी यहाँ की दीवारें ही इतनी पतली हैं कि खुदा की पनाह। हल्की से हल्की आवाज भी दूसरे रूम में सुनी जा सकती है।

मैं- चलो ठीक है कुछ नहीं करते। लेकिन सुबह आप निदा को बोल देना कि जब वो और अम्मी वापिस आने लगें तो हमें काल करके बता दें।

बाजी- क्या मतलब कहाँ से वापिस आते वक़्त?
 
मैं- यार बाजी, कल निदा ने जो चेयर लिफ्ट का प्रोग्राम बनाया है मैंने तो मना कर दिया है। आप भी सुबह कोई बहाना बना देना, उसके बाद कुछ मस्ती ही हो जाएगी। क्या ख्याल है?

बाजी- नहीं भाई मुझे डर लग रहा है।


मैं- कुछ नहीं होगा बाजी और एक बार का ही डर है। फिर सारी टेन्शन खतम और वैसे भी अब तो निदा भी हमारा साथ देगी तो डर क्यों रही हो आप?

बाजी- ठीक है मैं निदा से बात करूंगी। अगर वो मान गई तो ठीक है। वैसे कल करना क्या है? कुछ खास है क्या?

मैं- बाजी निदा मना नहीं करेगी और कल हम थ्री-सम करेंगे।

बाजी- किसके साथ?

मैं- अरे देख लेंगे कुछ ना कुछ हो ही जाएगा। ये मेरा काम है आप टेन्शन नहीं लो।

बाजी- हाँ... तुम तो हर बात पे बोल देते हो ना कि टेन्शन नहीं लो, जैसे हर चीज तुम्हारी मर्जी के मुताबिक ही तो होती है।

मैं- अच्छा बाबा, मैं पूरा ख्याल रखूगा, आप कोई परेशानी नहीं लो, और अब सो जाओ क्योंकी कल आपको काफी मजे भी तो करने हैं।
 
मेरी बात सुनकर बाजी ने मुझे एक मुक्का मारा पेट में और बोली- “हाँ हाँ जैसे तुम तो बस मेरे मजे के लिए ही कर रहे हो ना ये सब?”

बाजी की बात सुनकर मैं हँस दिया और बाजी को अपनी तरफ खींचकर एक किस की और बोला- “नहीं बाजी, मजा तो हम दोनों ही करेंगे और फिर हम एक दूसरे से लिपट के सो गये...”

अगली सुबह मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम का दरवाजा खोला तो मुझे सामने ही निदा नजर आई जो कि हमारे रूम का दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ा ही रही थी। लेकिन क्योंकी मैंने दरवाजा खोल दिया था तो निदा मुझे देखकर मुश्कुराते हुये बोली- “बैंक्स भैया, आप कितना ख्याल रखते हो हमारा?”

मैंने निदा की बात का जवाब दिए बिना बोला- अगर तुमने अभी नहाना नहीं है तो बाहर निकलो, मुझे नहाना

निदा मुश्कुराती हुई बाथरूम से हमारे रूम में आ गई और बाजी के पास जाकर बैठ गई। मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया और जब नहाकर बाहर निकला तो फरी बाजी और निदा दोनों ही बेड से नीचे बैठी बातें कर रही थीं। लेकिन मेरे रूम में आते ही दोनों खामोश हो गईं और अब मेरी तरफ देखने लगीं। लेकिन निदा की स्माइल कुछ शरारती सी थी।

मैंने बाजी की तरफ देखते हुये कहा- “चलो यार, अब तुम लोग भी नहा लो 8:00 बज रहे हैं। अभी तक नाश्ता भी नहीं किया है हम लोगों ने...”

बाजी ने कहा- “भाई आप जाओ नाश्ता ले आओ, तब तक हम लोग भी तैयार हो जायेंगे...”

मैंने कपड़े चेंज किए और बाजार से नाश्ते लाने चल दिया। मुझे काफी दूर से नाश्ता लाना पड़ा, जिसमें मुझे 9:00 बजे से ऊपर का टाइम हो गया था। जब मैं घर वापिस आया तो सब लोग नहा धो के फ्रेश हो चुके थे। जिसके बाद सबने मिलकर खाना खाया।

नाश्ता खतम करते ही निदा ने कहा- “अम्मी क्या ख्याल है अब निकलें?”

अम्मी ने हाँ में सिर हिला दिया। अम्मी जैसे ही तैयार होने के लिए उठी तो बाजी ने अम्मी से कहा- “आप दोनों चली जाओ, मैं नहीं जा रही चेयर लिफ्ट में आपके साथ...”

अम्मी ने हैरानी से फरी की तरफ देखा और बोली- क्यों अब तुम्हें क्या मसला है?

बाजी ने रोनी सी सूरत बनाकर अम्मी से कहा- “रात से मेरा पेट खराब है इसीलिए मना कर रही हैं। क्योंकी अगर बाहर जाने के बाद फिर से दर्द उठा तो मुझे वहाँ कोई जगह भी नहीं मिलेगी। आप निदा के साथ चली जाओ मैं फिर किसी दिन घूम आऊँगी...”
 
अम्मी ने ओके कहा और अपने रूम में चली गई। निदा थोड़ी ही देर में तैयार होकर बाहर आ गई तो उसे देखते ही मैंने दिल में कहा- “साली क्या किसी यार को दिखाने जा रही है अपने आपको या अम्मी के साथ घूमने के लिए जा रही है कामीनी...”

निदा के बाद अम्मी भी तैयार होकर बाहर आ गई तो फरी उठकर बाथरूम की तरफ चल दी।

अम्मी ने कहा- सन्नी आज अगर तुम यहाँ ही रहो अपनी बहन के साथ तो अच्छा है जरा उसका ख्याल रखना।

मैंने अम्मी की तरफ देखकर मुश्कुराते हुये कहा- अम्मी आप कोई टेन्शन नहीं लो। अगर जरूरत हुई तो मैं बाजी को डाक्टर के पास भी ले जाऊँगा।

अम्मी ने हाँ में ही सिर हिलाया और निदा को लेकर घर से निकल गई।

अम्मी और निदा के जाते ही मैं भी रूम में गया और बाजी को जो कि बाथरूम में थी बोला- “यार अम्मी निकल गई हैं, अब तुम भी तैयार होकर निकल आओ...”

बाजी ने दरवाजा खोला और बोली- “यार भाई मैं बस अभी 5 मिनट में आ रही हूँ तैयार होकर, तुम भी तब तक तैयार हो जाओ...”

बाजी सचमुच 5 मिनट में तैयार हो गई और फिर हम दोनों घर को लाक करके बाजार की तरफ जाने लगे। उस वक़्त बाजी के चेहरे पे एक अजीब से खुशी भी नजर आ रही थी मुझे। हम घर से अभी कुछ ही आगे निकले थे कि बाजी ने कहा- “भाई क्या इरादा है, क्या करना है?”

मैंने कहा- “यार यहाँ हमारी तरह कई लोग आए हुये हैं घूमने के लिए, उनमें से ही किसी ना किसी को ले चलेंगे साथ..."

बाजी- पागल हो गये हो क्या? वो क्या समझेगा मुझे?

मैं- यार बाजी, वो आपको ज्यादा से ज्यादा कोई गश्ती ही समझेगा ना... तो क्या फर्क पड़ता है? लोगों को समझने दें, वो कौन सा हमारे जानने वाले होंगे? बस टाइम पास और मजा ही तो करना है।

बाजी- नहीं भाई, ये तरीका ठीक नहीं है। कोई भी मसला बन सकता है?

मैं- यार कुछ नहीं होगा। तुम घबराओ मत। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। ये मेरा सिर दर्द है तुम्हारा नहीं।

हम ये बातें ही कर रहे थे कि बाजी एक साइड पे होकर बैठ गई और बोली- “भाई थोड़ा बैठ जाते हैं यहाँ...”

मैंने देखा कि वहाँ कुछ लड़के जो कि एक 4-5 लड़कों का यूप था, बाजी को ही ताड़ने में लगे हुये थे। मैंने उन्हें नजरअंदाज कर दिया और बाजी की तरफ देखा जो कि किसी तरफ देख रही थी। मैंने बाजी की नजर का पीछा किया तो वहाँ एक स्मार्ट सा लड़का खड़ा बाजी की तरफ देखकर मुश्कुरा रहा था।

मैंने बाजी की तरफ देखकर हल्का सा खाँसी किया तो बाजी ने भी मेरी तरफ देखा और मुश्कुरा दी। मैं समझ गया कि बाजी का दिल किस तरफ झुक रहा है, तो मैंने बाजी को हाँ में सिर हिला दिया।
 
कुछ देर बाद जब वो लड़के जो बाजी को ही ताड़ रहे थे वहाँ से चले गये, तो मैंने बाजी से कहा- “आप उस लड़के को अपने पीछे आने का इशारा करो, और अगर वो आ गया तो आप घर की तरफ चल देना। ओके?”

बाजी ने हाँ में सिर हिला दिया तो मैं वहाँ से उठा और एक साइड पे जाने लगा तो बाजी ने थोड़ी देर बाद उस लड़के को अपनी तरफ आने का इशारा किया और उठकर घर की तरफ चल दी। मैं अब करीबी दुकान के पीछे खड़ा हुआ सब देख रहा था। कुछ देर तक वो लड़का इधर-उधर देखता रहा, लेकिन जब मैं उसे कहीं दिखाई नहीं दिया तो उसने थोड़ी हिम्मत की और बाजी के पीछे कुछ फासला रखकर चलने लगा।

तो मैं भी उसके पीछे चलने लगा। थोड़ी दूर आने के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और उस लड़के के पास पहुँच गया और बोला- “क्या हाल है भाई?”

वो लड़का एकदम से उछल पड़ा और इससे पहले के कुछ करता मैं बोल पड़ा- “घबराओ नहीं यार, मैं तुम्हारा दोस्त बन सकता हूँ और वो भी जिसके पीछे तुम जा रहे हो...”

लड़का- मैं कब किसी के पीछे जा रहा हूँ?

मैं- यार मेरा नाम सन्नी है अगर तुम भी अपना नाम बता दो तो आसानी रहेगी बात करने में।

लड़का- मेरा नाम विक्की है। लेकिन तुम क्या बात करना चाहते हो मेरे साथ?

मैं- यार मैं थरी-सम करना चाहता हूँ, क्या तुम उसमें मेरा साथ दोगे?

विक्की हँसते हुये- “देखो सन्नीजी, यहाँ इस तरह तुम मुझे उल्लू नहीं बना सकते समझे? माना कि मैं यहाँ घूमने आया हूँ, लुटने नहीं..."

मैं- “यार अगर तुम्हें यकीन नहीं है तो जाओ जहाँ जाना है, मुझे कोई और मिल जाएगा। अगर दिल मान जाए तो आ जाना, वो सामने मेरा घर है.." और साथ ही अपने घर की तरफ इशारा कर दिया, जहाँ फरी दरवाजे में ही खड़ी हमारी तरफ देख रही थी।

विक्की फरी की तरफ देखकर बोला- क्या तुम सच में थरी-सम करना चाहते हो?

मैं- हाँ... और बाकी अगर तुम चाहो तो? वरना कुछ और इंतजाम करना होगा मुझे।

विक्की- लेकिन मैं ही क्यों, कोई और नहीं मिला तुम्हें?

मैं- अब तुम ही सबसे पहले अकेले नजर आए, जो उसे उल्लू की तरह भूखी निगाहों से खा जाने की कोशिश कर रहे थे, तो मैंने सोचा कि तुम्हें ही साथ मिला लिया जाए। इसलिए तुमसे बात की है।
 
विक्की- ठीक है सन्नीजी मैं तैयार हैं। लेकिन अगर लूटना चाहते हो तो अभी से बता देता हूँ कि मेरे पास से तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।

मैं- यार चल तो सही, मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए।

मेरी बात सुनकर विक्की ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर फरी की तरफ देखते हुये बोला- “तो चलो अब जो होगा देखा जाएगा...”

मैं उसकी बात सुनकर हँस दिया और उसका हाथ पकड़कर घर की तरफ चल दिया, तो फरी दरवाजा खुला छोड़कर अंदर चली गई हमें आता देखकर। मैं विक्की को अपने साथ लेकर घर में आया तो वो काफी झिझक रहा था लेकिन बोला कुछ नहीं।

मैंने दरवाजा लाक किया और अपने रूम की तरफ चल दिया विक्की को साथ लिए हुये और जब हम रूम में इन हुये तो देखा कि फरी बाजी रूम में नहीं थी। लेकिन बाथरूम की लाइट को जलता देखकर मैं समझ गया कि बाजी बाथरूम में थी, तो मैंने विक्की को बेड पे बैठने का बोला और बाथरूम में गया तो देखा कि बाजी वहाँ खामोश खड़ी हुई हैं।

मैंने बाजी से कहा- “अब क्या हुआ, यहाँ क्यों खड़ी हो?”

बाजी ने कहा- “भाई बड़ी घबराहट हो रही है मुझे। क्या ये सब ठीक है? कहीं कुछ उल्टा सीधा हुये गया तो क्या होगा?

मैंने बाजी को होसला दिया और साथ ही बाजी की शर्ट भी ऊपर करने लगा। बाजी ने कहा- भाई एक बार और सोच लो?

मैंने कहा- यार तुम बस इतना बताओ की तू मजा लेना चाहती हो या नहीं?

बाजी ने कहा- भाई मैं मजा तो लेना चाहती हैं, लेकिन बदनामी का भी तो डर लगा रहेगा ना?

मैंने कहा- “बाजी कुछ नहीं होगा। ये हमें नहीं जानता है आज ही आया है, थोड़ा मजा करेगा आपके साथ और चला जाएगा। फिर जिंदगी में इसके साथ हमारी मुलाकात मुश्किल से ही होगी..” और इतना बोलकर मैंने बाजी की शर्ट उतार दी और बोला- “चलो जल्दी से अपनी पैंट भी निकालो...”

बाजी ने मेरी तरफ देखा और फिर सिर झुकाकर पैंट भी निकल दी। मैंने बाजी का हाथ पकड़ा और रूम में ले आया। उस वक़्त बाजी सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही थी, तो मैंने बाजी को अपने साथ लेकर बेड पे लिटा दिया और बोला- "आप यहाँ लेट जाओ..."

और विक्की से बोला- “यार अब डर क्यों रहे हो? अभी तक यकीन नहीं आया तुम्हें?”
 
विक्की हँस दिया और बाजी की तरफ देखने लगा, जो कि उस वक़्त अपने एक बाजू के सहारे बेड पे टिक चुकी थी। विक्की फरी बाजी को देखकर अपनी जुबान अपने होंठों पे घुमाने लगा।

मैंने कहा- “चलो भाई, अब तुम भी कपड़ों से बाहर आ जाओ...” और ये बोलकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा।

विक्की भी खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा। लेकिन उसकी नजर अब भी फरी बाजी की चूचियों पे ही अटकी हुई थी।

मैंने कपड़े उतारकर फरी से कहा- “यार इस बेचारे को थोड़ा अपनी इन प्यारी सी चूचियों का नजारा ही करवा दो। वरना इससे तो कपड़े भी नहीं उतरेंगे...”

बाजी मेरी बात सुनकर हँस दी और साथ ही उठकर बैठ गई और अपनी ब्रा को थोड़ा सा खींचकर अपनी चूचियां दिखाने लगी।

बाजी की चूचियों को देखते ही विक्की जो कि अपने कपड़े उतार चुका था झट से बाजी की चूचियों की तरफ लपका और उन्हें ब्रा से निकालकर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा। मैंने भी आगे बढ़कर बाजी। की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा निकल दी और फिर मैंने विक्की को थोड़ा पीछे हटाया और बाजी की पैंटी को हाथ डाला ही था कि बाजी उल्टी हो गई लेकिन मैंने पैंटी निकाल दी।

मैंने बाजी को ऐसे लेटा देखा तो बोला- “क्या जी, गाण्ड मरवाने का इरादा है? जो उल्टा लेट गई हो...”

बाजी सीधी होकर बैठ गई और बोली- ऐसा सोचना भी नहीं कभी मुझे ये गाण्ड मरवाने वाला मजाक पसंद नहीं है। समझे?

अब मैंने ज्यादा टाइम जाया ना करते हुये बाजी को टाँगों से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया और बाजी की टाँगों को ऊपर की तरफ उठा दिया तो बाजी की प्यारी सी फुद्दी पूरी तरह से हमारे सामने आ गई। फरी बाजी की फुद्दी पे नजर पड़ते ही मैंने विक्की की तरफ देखा तो उसने भी अपनी नजर फरी की फुद्दी से हटाकर मेरी तरफ देखा। मैं हँसते हुये बाजी की टाँगों को छोड़कर पीछे हट गया और विक्की को इशारे से आगे बढ़ने का बोला।

विक्की खुश हो गया और नीचे ही बैठ गया बाजी की टाँगों के पास, और खुद बेड पे झुक के लेट गया और बाजी की टाँगों को खोलता हुआ अपना सिर बाजी की रानों में ले गया और अपना मुँह मेरी बड़ी बहन की फुद्दी। से लगाकर चूसने लगा।

आप सोचिए कि उस वक्त मुझे कितना मजा आ रहा होगा कि मेरी सगी बड़ी बहन मेरे सामने एक अंजान लड़के से अपनी फुद्दी चुसवा रही थी और मैं पास ही नंगा खड़ा अपना लण्ड सहला रहा था।
 
Back
Top