vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार - Page 15 - SexBaba
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vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार

तब इरम “आअहह... सन्नी प्लीज़... मेरी जान मेरे सीने से लग जाओ उफफ्फ़... जानू मैं झड़ने वाली हँन् ऊऊहह सन्नी कुत्ते क्यों जलील कर रहा है मुझे बहनचोद गान्डू...” की तेज आवाज के साथ ही इरम का पूरा जिम एक बार अकड़ा और फिर हल्का-हल्का काँपने लगा जिसके बाद उसकी फुद्दी में पानी का तेज सैलाब सा आ गया।

इरम के फारिघ् होते ही मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, क्योंकी मैं अभी फारिघु नहीं होना चाहता था। इम थोड़ी देर तक लंबी सांसें लेती रही। उसके बाद इरम ने अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ और फिर मेरे फनफनाते हुये लण्ड की तरफ देखा और हल्का सा मुश्कुराकर बोली- “सन्नी तुम सच्ची में बहुत बड़े हरामी हो। पता है आज तक मुझे कोई मेरी मर्जी के बिना फारिघ् नहीं करवा सका है, लेकिन तुमने कर डाला। मेरा सारा मान तोड़ दिया है आज तुमने। बहुत जालिम हो...”

इरम की बात सुनकर मैं हँस दिया और बोला- “अभी तुमने जुल्म देखा ही कहाँ है? अभी तो तुम देखोगी कि आज होना क्या कुछ है तुम्हारे साथ?” और साइड से कपड़े उठाकर एक बार फिर से इरम की फुद्दी को साफ करने लगा।


तब इरम ने खुद ही कपड़ा पकड़ लिया और अपनी फुद्दी साफ करते हुये बोली- “कुछ तो गीली रहने दो, वरना आज के बाद एक हफ्ते तक हम दोनों ही किसी काम के नहीं रहेंगे...”

अबकी बार मैंने इरम की बात मान ली, क्योंकी मुझे भी अब लण्ड पे जलन का एहसास हो रहा था, जो कि इरम की खुश्क फुद्दी में घुसने की वजह से ही हो रही थी। खैर, फुद्दी को अच्छे से साफ करके इरम ने मुझे अपनी जगह पे लिटा दिया और खुद अपने पापा की तरफ मुँह करके जो कि मेरे पैरों की तरफ थे, मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी पे सेट करते हुये धीरे से मेरे लण्ड को अपनी फुद्दी में लेती हुई नीचे बैठ गई। मैंने भी पीछे से। इरम की गाण्ड पकड़ ली और उसे सहलाते हुये ऊपर नीचे होने में मदद देने लगा।

पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में घुसाकर इरम ने मुड़कर मेरी तरफ देखा और बोली- “क्या खयाल है जरा प्यार से मजा ना करें?”

मैंने हाँ में सिर हिला दिया, तो इरम ने खुद को धीरे से मेरे ऊपर गिरा लिया और अपने हाथ मेरे सिर के पिछली तरफ बेड से लगाकर अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड पे रगड़ते हुये चुदाई का मजा लेने लगी। लेकिन इस तरह इरम की चुदाई मेरे लिए भी बड़ी मुसीबत बन रही थी, क्योंकी शायद ये इरम के गरम जिस्म का कमाल था, जो मुझसे अब बर्दाश्त खतम होती जा रही थी।

इस स्टाइल में मुझसे दो मिनट भी कंट्रोल नहीं हो पाया, और मैंने इरम को अपने ऊपर से धकेल दिया और खुद उठकर इरम को अपने नीचे लिटा लिया और फिर से उसकी टांगें उठाकर अपने कंधों पे रख लीं और अपना लण्ड घुसाकर इरम की फुद्दी मारने लगा। लेकिन क्योंकी इस बार इरम की फुद्दी ज्यादा खुश्क नहीं थी और लण्ड भी आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था।


तो इरम भी अपनी गाण्ड नीचे से मेरे लण्ड की तरफ उछलते हुये बोली- “क्या हुआ मेरे हरामी राजा, गाण्ड फट रही है क्या? और तेजी से चोद ना बहनचोद। ये तेरी माँ की बूढ़ी फुदी नहीं है जो एक दो बार में थक जाएगी। साले ये मेरा जवान जिश्म है, 10 बार भी माँ चुदवाएगा ना तो ताजा दम मिलेगी उफफ्फ़ सन्नी और तेज चोद बहन के लौड़े उउन्नम्म्मह आअहह.. पापा इसकी गाण्ड में उंगली करो, इसे बोलो तेज चोदे उउफफ्फ़..." की आवाज में चिल्ला-चिल्ला के मेरा जोश बढ़ा रही थी। जिसने इतना काम किया कि मैं दो मिनट में ही इरम की फुद्दी में झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटकर हाँफने लगा।
 
इरम ने इसी तरह मुझे अपने साथ जकड़ लिया बाहों में और थोड़ा जोर लगाकर मुझे अपने ऊपर से घुमाकर साइड में कर लिया और मेरा लण्ड ऐसे ही अपनी फुद्दी में लिए मुझे किस करने लगी। इम की तरफ से ये पहली किस थी जो उसने मुझे की थी और वो भी काफी जोश के साथ।

कुछ देर मैं इरम के साथ ऐसे लिपटा लेटा रहा और किस करता रहा। फिर मैं पीछे हटा जिससे मेरा मुरझाया हुआ लण्ड इरम की फुद्दी में से निकल आया तो मैं अंकल की तरफ देखकर मुश्कुराया और बोला- “क्यों अंकल मजा आया या नहीं?”


अंकल ने कहा- “तुम्हें तो आ ही गया है लेकिन मेरा अभी बाकी है..” और इतना बोलते हुये इरम को अपनी तरफ खींचकर उसे अपने ऊपर आने को कहा।

तब मैं वहाँ से उठा और नंगा ही बाथरूम में जा घुसा और अपने आपको साफ सफाई करके जब 5 मिनट बाद बाहर निकला तो देखा कि सफदर अंकल भी इरम की फुद्दी में झड़ चुके थे, और अब दोनों बाप बेटी साथ-साथ लेटे हाँफ रहे थे।

थोड़ी देर तक आराम करने के बाद इरम उठी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराते हुये बोली- “लगता है। तुम्हें काफी तजुर्बा है सेक्स का, जो कि अभी तक मेरे पापा को भी नहीं है। कसम से अभी तक जलन हो रही है। मुझे। वैसे सच्ची बात बताऊँ तुम्हें सन्नी... मजा बहुत आया है मुझे...”

मैं हँसते हुये उठा और बोला- “लेकिन यार इरम, मुझे कुछ खास मजा नहीं आया। पता नहीं क्यों तुमने दिल से मेरे साथ एंजाय नहीं किया है.”

इरम हँस दी और बोली- “शुरू-शुरू में सचमुच ऐसा ही था। लेकिन बाद में जब तुमने अपना कमाल दिखाया तब तो मैंने दिल से ही करवाया था ना?”

अब मैं उठा और अपने कपड़े लेकर लण्ड को अच्छे से साफ करता हुआ कपड़े पहनने लगा।

सफदर अंकल ने कहा- “क्या बात है सन्नी, कहाँ जा रहे हो?”

मैंने कहा- “बस अंकल, आप लोग अपनी मस्ती जारी रखो। मुझे कुछ काम है, बाद में आऊँगा आप लोगों की तरफ..." और वहाँ से निकलकर अपने घर आ गया, जहाँ निदा बाहर हाल में ही बैठी टीवी देख रही थी।

मुझे देखते ही निदा एक स्माइल देते हुये धीरे से बोली- “लगता है आज हमारे भाई को कोई खजाना मिल गया है, जो इतना खुश दिखाई दे रहा है..."

मैं हँसता हुआ निदा के पास ही जा बैठा और बोला- “क्यों किसी खजाने के मिलने से ही मेरे चेहरा पे चमक आ सकती है क्या? कुछ और भी तो मिल सकता है ना?”
निदा- अच्छा जी, तो बताओ फिर ये कुछ और कहाँ से मिला और किसने दिया तुम जैसे चांदिस को?


मैं- क्यों जेलस हो रही हो? तुम क्या जानो कि क्या चीज थी? आअह्ह... कसम से मजा आ गया जब से देखा है। और मिला हूँ बस उसी का खयाल ही हर वक़्त मेरी आँखों के सामने नाचता रहता है।

निदा जो कि अभी तक शोखी दिखा रही थी एकदम से मुँह बनाते हुये उठी और अपने रूम में चली गई, और जाते हुये बोली- “भाई वैसे आपने बाजी के साथ ज्यादती नहीं की है?"

मैं- “यार ये बात फरी से ही क्यों नहीं पूछ लेती तुम? वो तुम्हें अच्छे से समझा देगी सब कुछ...”
 
निदा जो कि अभी तक शोखी दिखा रही थी एकदम से मुँह बनाते हुये उठी और अपने रूम में चली गई, और जाते हुये बोली- “भाई वैसे आपने बाजी के साथ ज्यादती नहीं की है?"

मैं- “यार ये बात फरी से ही क्यों नहीं पूछ लेती तुम? वो तुम्हें अच्छे से समझा देगी सब कुछ...”

निदा के जाने के बाद मैं भी उठा और अपने रूम में आ गया, जहाँ अब निदा फरी बाजी का सिर खा रही थी कि मैं पता नहीं कहाँ से मुंह काला करवा के आ रहा हूँ? और फरी बाजी को मुझसे सख्ती से पूछना चाहिए। लेकिन फरी बाजी थी कि बेड पे बैठी हल्का सा मुश्कुरा रही थी। जिससे निदा को गुस्सा आ गया और उसने कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोला ही था कि मुझ पे नजर पड़ते ही बोली- “लो आ गये आपके नाबाब साहब, पूछो अब । इससे कहाँ गया था ये?”

फरी बाजी ने अब सीरियस होते हुये निदा से कहा- “यार क्यों बच्चों की तरह रिएक्ट कर रही हो तुम? जैसे सन्नी मेरी हर ख्वाहिश का ख्याल करता है और मुझे हर तरह की आजादी दी हुई है इसने, तो क्या इसे इस बात का हक नहीं है कि अपनी लाइफ के कुछ पल अगर किसी और के साथ भी गुजरना चाहे तो गुजर सके?”

फरी की बात सुनकर निदा का गुस्सा थम सा गया। लेकिन मुझे उसके चेहरा पे अब भी एक नागवारी सी दिखाई दे रही थी, जिसका मतलब था कि निदा को मेरा किसी और के साथ करना अच्छा नहीं लगा था। जिसका एक ही मतलब निकलता था कि निदा भी जेहनी तौर पे मेरी तरफ झुक रही थी, जो कि मेरे लिए सप्टइज ही था। क्योंकी निदा बहूत हाट लड़की थी और मैं खुद भी उसके लिए पागल हुआ फिर रहा था। जिस बात का एहसास निदा को भी अच्छी तरह था कि मैं उसके लिए क्या सोचता हूँ?

अभी निदा कुछ बोलने ही लगी थी कि अम्मी की आवाज सुनाई दी जो निदा को बुला रही थी कि वो उनके रूम की अच्छी तरह झाड़-पोंछ कर दे। तो निदा मुँह ही मुँह में बुदबुदाती हुई रूम में से निकल गई।

बाजी ने कहा- “हाँ तो मजा आया मेरे भाई को इरम के साथ?”

मैंने बुरा सा मुँह बनाते हुये कहा- “अरे बाजी, एकदम गश्ती है साली। लेकिन आज मैंने भी उसकी वो ठुकाई की है कि पीछे-पीछे भागेगी मेरे...”
 
फरी बाजी हँसते हुये बोली- “अच्छा जी, ऐसा क्या कर दिया मेरे शेर भाई ने?”

तब मैंने बाजी को सारा वाकिया सुना दिया, जो वहाँ हुआ था।

फरी बाजी ने हैरानगी से कहा- “क्या मतलब? भाई तुम ये कहना चाहते कि अगर वो अपनी और अपने बाप की मर्जी से करवा रही है तो वो काल-गर्ल है?"

मैंने हाँ में सिर हिला दिया।

बाजी ने कहा- “अच्छा? तो फिर जरा एक नजर अपनी तरफ और दूसरी नजर मेरी तरफ देखकर बताओ कि हम क्या हैं फिर? क्योंकी करते तो हम भी मजे के लिए ही हैं ना?”

फरी बाजी की बात सुनकर मुझे बड़ी शर्म आई खुद पे कि अगर हम करें तो सब अच्छा और दूसरों को करता देखते हैं तो बुरा भला कहते हैं उन्हें।

तभी बाजी ने कहा- “अच्छा, और बुरा महसूस नहीं करो कुछ भी और जाओ जरा अम्मी के रूम में से निदा को बुलाओ, कुछ काम है उससे...”

मैं बाथरूम के रास्ते अम्मी के रूम में गया लेकिन वहाँ जो नजारा देखा तो वहीं दिल थामकर खड़ा हो गया।


निदा अम्मी के रूम की सफाई कर चुकी थी और अब अम्मी के बेड पे झुकी हुई उसकी चादर ठीक कर रही थी।

लेकिन निदा के इस तरह झुकने से उसका पाजामा काफी नीचे तक खिसक आया था और नीचे से पहनी हुई उसकी ब्लैक पैंटी की स्ट्रिप साफ दिखाई दे रही थी और पूरी गाण्ड अपनी शेप में नजर आ रही थी। निदा की चिकनी गाण्ड का ये रूप देखते ही मेरा लण्ड सलामी देने खड़ा होने लगा।

तभी निदा भी चादर ठीक करते हुये उठ खड़ी हुई और जैसे ही मुड़ी और बाथरूम के दरवाजा में मुझे खड़ा देखा तो बोली- “क्या बात है भाई तुम कब आए?” और तभी उसकी नजर मेरे खड़े होते लण्ड पे गई तो निदा गुस्सा दिखाते हुये बोली- “भाई कुछ शर्म है कि नहीं तुममें? अभी-अभी अपना मुँह काला करवा के आए हो और घर
आते ही तुम फिर से मुझपे लाइन मारने लगे हो?"

मैं- “अरे नहीं ये... ये तो बस ऐसे ही... वो मैं तो तुम्हें बुलाने आया हूँ कि बाजी को कुछ काम है तुमसे...”

निदा मुझे खा जाने वाली नजरों से देखते हुये मेरे पास से गुजरने लगी तो मैं जो कि पूरा रास्ता बंद किए खड़ा हुआ था साइड के बल हुआ तो जैसे ही निदा गुजरने लगी, तभी पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने खुद को थोड़ा सा निदा को तरफ दबाया तो मेरा खड़ा लण्ड निदा के हाथ से टच हो गया, तो निदा को जैसे कोई झटका लगा हो और वो वहीं खड़ी होकर कुछ देर मेरे लण्ड को अपने हाथ से लगा हुआ देखती रही लेकिन फिर कुछ बोले । बिना ही निकल गई।

THE END
 
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बाजी- काश मैं आपकी बहन होती तो कितना मजा आता?

मैं- आप भी अगर मजा लेना चाहती हो तो बताओ, हम मिल भी तो सकते हैं?

बाजी- नो चान्स बेबी।

मैं- क्यों जी?

बाजी- तुम ये सब जो बता रहे हो, ये अपनी बहन के साथ ही करो। उसे ही मजा आएगा मुझे मुआफ्फ़ ही रखो।

मैं- क्यों, आप मेरी बहन नहीं बन सकतीं?

बाजी- हम जस्ट नेट दोस्त तक ही रहेंगे, ओके।

मैं- ओके जी.. लेकिन ये तो बताओ कि मैं अपनी बहन के साथ सेक्स किस तरह करूं?

बाजी- पागल, अगर तुम्हें लगता है कि वो किसी के साथ सेक्स कर चुकी है और कुँवारी नहीं है और हिम्मत भी नहीं है तो आसान काम करो।

मैं- कौन सा आसान काम?

बाजी- “तुम कल उसे उसकी पसंद का जूस लाकर देना, लेकिन उसमें नींद की गोलियां मिला देना। जिसे पीकर वो गहरी नींद में चली जाएगी और उसके बाद तुम पूरी रात अपनी बहन के साथ मजे करना...”

बाजी की बात सुनकर मैं समझ गया कि बाजी ये मशवरा क्यों दे रही है? क्योंकी जब मैं बाजी को जूस देता तो बाजी जूस नहीं पीती बल्की ये शो करती कि उसने जूस पी लिया है लेकिन वो पूरी तरह होश में रहकर मजा लेना चाहती थी लेकिन मुझे बेहोश ही शो करती।

मैं- चलो मैं ट्राई करूंगा, लेकिन इसमें भी एक पंगा है।

बाजी- वो क्या?

मैं- इस तरह मैं तो पूरा मजा लूंगा लेकिन बाजी को वो मजा नहीं मिलेगा और अगर उसे सुबह शक हो गया तो अम्मी को भी बता सकती है।

कास मेरी दीदी भी ऐसे हीकोई दोसत फस जाती तो हमलोग भी।ऐस
 
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तो काशी ने हाँ में सर हिलाते हुये कहा- “यार वो हमारी बातें सुनकर गई थी जब मैंने तुम्हें अपने और उसके बारे में बताया था तो उसने तैयारी भी कर रखी थी पहले से ही। वो भी दो लण्ड का मजा एक साथ लेना चाहती है...”

मैं- तो जा ना यार, अब यहाँ क्यों गाण्ड मरवा रहा है?

काशी- “चल यार आ जा फिर। आज हम दोनों अपनी बहन नीलू की फुद्दी और गाण्ड का बाजा बजाते हैं...”

मैंने वहाँ से सिगरेट और लैपटाप उठाया और काशी के साथ चल दिया। जो मुझे अपने साथ अपनी बहन नीलू के रूम में ले गया, जो कि वहाँ बेड के पास ही सर पे दुपट्टा लिए खड़ी थी। मैंने नीलू को दुपट्टा लिए हुये । देखा तो हैरानी से काशी की तरफ देखा।

तो उसने हँसते हुये कहा- “यार ये बड़ी ड्रामेबाज है, इस वक़्त ये शरमाने का ड्रामा कर रही है...”

नीलू काशी की बात पे गुस्सा होते हुये बोली- “भाई आप भी ना..” और पांव पटकते हो बेड पे चढ़कर बैठ गई। तो काशी उसके पास गया और उसके सर पे दुपट्टा ठीक करने के बाद बोला- “सन्नी, देख तो जरा मेरी बहन हम दोनों की नई दुल्हन लग रही है कि नहीं?”

मैंने हँसते हुये कहा- “हाँ यार सच पूछो तो इस वक़्त हमारी बहन दूल्हन ही लग रही है..” और इतना बोलकर मैं बेड पे नीलू के पास ही उसके पैरों की तरफ बैठ गया और काशी भी उसके बाजू में बैठ गया। फिर नीलू का दुपट्टा उतार दिया और उसे अपनी तरफ खींचकर किस करने लगा।

मैं उन दोनों को मसरूफ देखकर फिर से खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारकर नंगा होकर नीलू के पास बेड पे चला गया।

तो काशी अपनी अपनी बहन को छोड़कर खड़ा हो गया और बोला- “आ जा भाई..." और साइड पे होकर अपने कपड़े उतारने लगा।

तो मैंने बेड पे लेटकर नीलू को अपनी तरफ खींचा और उसे किस करने लगा और साथ ही उसे अपने ऊपर लिटा लिया और अपने एक हाथ से नीलू की कमीज को ऊपर उठाकर उसकी नंगी कमर पे हाथ फेरने लगा। काशी भी हमें किस करता और मस्ती करता देखकर अपने कपड़े उतारकर हमारे करीब आया और उसने आते ही नीलू की शलवार को अपने हाथों से पकड़कर नीचे को खींच दिया और अपनी बहन को नीचे से नंगा कर दिया। अब मैं । भी नीलू को छोड़कर खड़ा हो गया और उसकी कमीज भी उतार दी और नीलू को पूरा नंगा कर दिया। क्योंकी नीलू ने पैंटी और ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो अब वो भी हमारी तरह नंगी हो चुकी थी।

नीलू नंगी बेड पे पड़ी हमारी तरफ देख रही थी कि काशी आगे बढ़ा और उसेके मुँह के पास जाकर अपना लण्ड नीलू के मुँह पे मारने लगा। तो नीलू ने अपने भाई का लण्ड हाथ में पकड़ लिया और बेड से उतरकर नीचे बैठ गई और अपना मुँह खोलकर भाई का लण्ड मुँह में लेने लगी।

थोड़ी देर तक नीलू अपने भाई के लण्ड के सुपाड़े को मुँह में भरकर चूसती और कभी उसके लण्ड के सुपाड़े पे अपनी जुबान घुमाने लगती। काशी ने अपना एक हाथ नीलू के सिर के पीछे रखा और अपनी एक टांग बेड पे रखते हुये अपना पूरा लण्ड अपनी सगी बड़ी बहन के मुँह में घुसा दिया और चुसवाने लगा। अब काशी अपना पूरा लण्ड अपनी बहन के गले तक घुसाकर चुसवा रहा था और साथ ही उसके मुँह से- “आहह... चूस साली कुतियाऽ उन्म्मह... मेरी गश्ती पूरा लण्ड खा जा मेरा... ऊओ...” की आवाज भी कर रहा था।

और उस वक़्त नीलू के मुँह से भी पूँऊन्न्न घुड़प्प्प्प्प की आवाज निकल रही थी।

ये नजारा देखकर मेरा लण्ड बुरी तरह मचलने लगा तो मैंने काशी को पीछे किया और खुद आगे होकर अपना लण्ड नीलू के हाथ में दे दिया। तो कुछ देर तक वो मेरे लण्ड को देखती रही और फिर अपनी सांस ठीक करती हुई मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेने लगी।

मेरा लण्ड क्योंकी काशी के लण्ड से काफी मोटा और बड़ा था, जिसकी वजह से मेरा लण्ड पूरी तरह उसके मुँह में नहीं आ सकता था। तो वो मेरे लण्ड के सुपाड़े और टोपी को ही चूसती रही।

फिर मैंने थोड़ी देर के बाद ही उसके मुँह से अपना लण्ड निकाल लिया और उसे उठाकर बेड पे बिठा दिया। नीलू को बेड पे इस तरह बैठा देखकर काशी ने कहा- “साली मेरे यार को अपनी फुद्दी दिखा जरा...” और साथ ही हाथ से धक्का देते हुये नीलू को बेड पे लिटा दिया।

उसने अपनी बेड पे लेटते ही अपनी दोनों टाँगों को खोला और अपने दोनों हाथों से अपनी फुद्दी को फैलाते हुये अपना सर उठाकर मेरी तरफ देखा।

अब मुझसे ज्यादा सबर नहीं हुआ तो मैं बेड पे चढ़कर बैठ गया और नीलू को अपनी तरफ खींचकर उसे अपनी गोदी में बिठा लिया, जिससे मेरा लण्ड नीलू की पानी से लथफथ गीली फुद्दी के नीचे दब गया तो मैं उसकी चूचियों की तरफ झुका। तो वो भी थोड़ा पीछे को झुक गई और अपना एक हाथ नीचे बेड से टिका लिया। तो मैंने उसकी एक चूची अपने मुँह में भर लिया। मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही नीलू की दोनों चूचियों को बारी-बारी चूसता रहा।

तो आखिरकार काशी ने कहा- “यार क्या सारी रात इसकी चूचियां ही चूसता रहेगा या फुद्दी भी मारेगा?”

काश नीलू के जगह मेरी दीदी होती और कासी की जगह मे तब तो दीदी को सब दोस्तो से चोदवादेता। रात भर लंड उसके बृर मे रहता।अब तो दीदी को चचेरा भाई भी सेट कर रहा है।
 
sexstories said:
मैं- बस फरी जी हंगामा तो हुआ है, अब देखो बाजी क्या फैसला करती हैं?

बाजी- क्या बात हुई है तुम्हारी अपनी बहन से?

मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया।

बाजी ने कहा- सन्नी एक बात पूछू सच बताओगे मुझे?

मैं- जी फरी जी पूछो।

बाजी- क्या अगर तुम्हारी बहन तुम्हें स्वीकार कर लेती है तो तुम उसे पूरी आजादी से एंजाय करने दोगे।

मैं- मतलब? मैं समझा नहीं?

बाजी- मतलब ये कि अगर तुम्हारी बहन तुम्हारे साथ मिलकर किसी और के साथ भी एंजाय करना चाहे तो क्या तुम उसे इजाजत दोगे?

मैं- अरे फरी जी, अगर मेरी बहन मेरे इलावा 10 लोगों से भी चुदवाना चाहेगी ना, तो भी मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा। बल्की मैं खुद बाजी के लिए सारा इंतजाम कर दूंगा।

बाजी- क्या सच में तुम ऐसा करोगे? या ये तुम्हारी तेजना है जो वक़्ती तौर पे ऐसा बोल रहे हो?

मैं- नहीं फरी जी, ये मेरा दिल चाहता है कि मैं अपनी बहन को पूरा मजा उठाने दें, और जो वो चाहे उसमें उसकी मदद करूं और उसके साथ खुद भी मजा करूँ। बाकी अब देखना है कि बाजी क्या सोचती हैं?

बाजी- ठीक है सन्नी तुम्हारी बाजी भी तुम्हारे साथ हैं।

मैं खुशी से- क्या मतलब फरी जी? मैं समझा नहीं।

बाजी- अभी मेरे रूम में आ जाओ, मैं इंतेजार कर रही हूँ तुम्हारा भाई।

मैं- मतलब आप मेरी बाजी फरी ही हो?

बाजी- हाँ। और अब रूम में आ जाओ।

मैं खुशी से उछल पड़ा और बाजी के मान जाने पर झूमता हुआ उनके रूम की तरफ चल दिया। मैं बाजी के रूम के पास पहुँचकर रुक गया और फिर से अपने रूम की तरफ चल दिया और इंतेजार करने लगा कि मेरे बाजी के रूम में ना जाने से बाजी क्या करती हैं? और इस इंतजार में मुझे कोई 10 मिनट लगे कि तब जाकर मेरे मोबाइल पे बाजी का मेसेज आया। जिसमें बाजी ने लिखा हुआ था- आए क्यों नहीं?

मैं उठा और बाजी के रूम की तरफ फिर से चल दिया और इस बार बिना झिझके बाजी के रूम में इन हो गया जब मैं बाजी के रूम में इन हुआ तो बाजी बेड पे बैठी दरवाजे की तरफ ही देख रही थी। मैं बाजी के पास जाकर खड़ा हो गया।

तो बाजी हल्का सा मुश्कुराई और बोली- बैठ जाओ खड़े क्यों हो?

मैं बाजी के साथ ही बेड पे बैठ गया और बाजी की तरफ देखने लगा, जो कि मेरी तरफ ही देख रही थी। कुछ देर तक हम एक दूसरे की आँखों में देखते रहे और हल्का-हल्का मुश्कुराते रहे।

मेरी दीदी का भी कोई जूगार लग जाए तब मे भी दीदी के लिए लंड का इंतजाम कर देता।मेरे दोस्त सब भी दीदी गांर चूची घुरते रहते है कब दीदी चोदने दे दे। साले सब अपने में बात करते रहते है दीदी लगता है चुदवा रही है गांड बरा हो गया चूची बरा हो गया है।
 
sexstories said:
अब मैंने देखा कि काशी ने भी अपने कपड़े उतार दिए थे जो कि बाजी कि पीछे खड़ा हुआ था और बेड पे बाजी के पीछे जाकर बैठ गया और अपने दोनों हाथों से पीछे से ही फरिहा बाजी को कस लिया और उसकी गर्दन पे। किस करने लगा।

बाजी काशी की किसी भी हरकत से उसे मना नहीं कर रही थी। थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा। फिर काशी ने बाजी को अपनी तरफ घुमाया और साथ ही बाजी के होंठों से अपने होंठ लगा दिए और किस करने लगा। तो बाजी भी अपना एक हाथ उसके सर के पीछे रखते हुये किस करने लगी। बाजी को किस करने के साथ ही काशी ने अपना हाथ मेरी बहन की चूचियों पे रख दिया और उन्हें धीरे-धीरे अपने हाथ से दबाने और मसलने लगा, जिससे बाजी और भी गरम होती दिखने लगी।

थोड़ी देर तक सब ऐसे ही चलता रहा और फिर काशी का हाथ जो कि बाजी के पीछे कमर पे था, उस हाथ से ही काशी ने बाजी की ब्रा का हुक कब खोल दिया। पता ही नहीं चला और अचानक काशी का वो हाथ जो बाजी की ब्रा के ऊपर से ही बाजी की चूचियों को दबा रहा था, थोड़ा नीचे हुआ और साथ ही उसने बाजी की ब्रा को हटा दिया, जिससे मेरी नजरों के सामने मेरी ही बहन की चूचियां नंगी हो गईं, जो कि मेरी ही वजह से मेरे दोस्त के हाथों ही मेरी बहन अपनी इज़्ज़त लुट रही थी।

चूचियों को नंगा देखकर जहाँ मेरा लण्ड मेरा ट्राउजर फाड़कर बाहर आने को बेचैन हो रहा था। वहीं मैं उस वक़्त ये भी भूल चुका था कि अभी कुछ देर पहले मैं अपने आप में और अपने दोस्त पे कितना गुस्सा कर रहा था। अब मेरा पूरा ध्यान अपनी बड़ी बहन की नंगे चूचियों पे था, जिनसे मेरा दोस्त अपने हाथों से खेल रहा था। फिर उसने बाजी को नीचे लिटा दिया बेड पे और खुद बैठा-बैठा ही फरी बाजी की चूचियों पे झुक गया और बाजी की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और हाथ से भी बाजी की चूचियों को दबाने और सहलाने लगा। और फिर धीरे-धीरे बाजी के पेट की तरफ बढ़ा और बाजी के पेट पे अपनी जुबान घुमाता और नीचे की तरफ जाने लगा।

और फिर अपना सर उठा लिया और बाजी की तरफ देखा जो कि काशी के इस तरह उठ बैठने से अपनी आँखें खोलकर उसकी तरफ ही देख रही थी। तो काशी ने बाजी की तरफ से नजर हटाकर अब अपना हाथ बाजी की पैंटी की तरफ बढ़ाया और धीरे से बाजी की पैंटी नीचे खिसकाने लगा और आखिरकार बाजी की पैंटी उतारकर वो उठा और बाजी की दोनों रानों को खोलते हुये रानों के बीच में आकर बैठ गया।


उस वक़्त मेरी नजर बाजी की बिना बालों की चूत में पड़ी तो मेरे मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई और हाथ से मैंने अपना लण्ड भींच लिया। (हालांकि मुझे कैमरे में ये सब पूरी तरह साफ-साफ नजर नहीं आ रहा था, लेकिन जितना भी नजर आ रहा था वो भी मेरे होश उड़ाने के लिए काफी था)

खैर अब काशी थोड़ा आगे हुआ और अपने लण्ड पे अच्छी तरह थूक लगाकर बाजी की चूत पे रगड़ने लगा जो कि 54 साइज का ही था और इतना मोटा भी नहीं था तो काशी के इस तरह करने से बाजी जो कि काशी की तरफ ही देख रही थी अपनी आँखों को बंद करके लेट गई और अपने हाथों से बेड की चादर को पकड़कर सिसकने लगी (जिसकी आवाज तो मुझे सुनाई नहीं दे रही थी) अब काशी ने थोड़ा थूक और भी अपने लण्ड और फरी बाजी की चूत पे लगा दिया और बाजी पे झुक गया। फिर मेरी बहन के कंधों पे अपने हाथ जमाकर हल्का सा झटका लगाया, जिससे बाजी का मुँह पूरी तरह एक बार खुला और फिर बंद हो गया।
फरिहाँ जैसी दीदी सबको दे। दीदी की गाड़ चोदने मे जो मज़ा है दुसरा मे कहा। मै तो अपनी दीदी की दोस्तो के साथ गुर्प मे चुदाई कराओ। बुर गाड़ सब मे लंड रहे तब ना कोई बात बने। क्या भाईयो
 
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