vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार - Page 13 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार

बाजी मुश्कुरा रही थी और बोली- लगता है अब निदा की खैर नहीं है।


मैं- बाजी सच पूछो तो बड़ा दिल करता है, लेकिन मैं कोई भी काम उसकी मर्जी के बिना नहीं करूंगा।


बाजी- अच्छा अब क्या प्रोग्राम है?

मैं- यार प्रोग्राम तो आपने बताना है जब बोलोगी।

बाजी- अरे भाई आज तो हिम्मत ही नहीं है मुझमें। तुम आज की रात अम्मी को अपने साथ ले जाओ सफदर अंकल की तरफ।

मैं- “क्यों जी, क्या तुम ये चाहती हो कि जिस तरह तुम्हें दर्द उठाना पड़ा है, अम्मी की भी ये हालत हो? तो ये बात अपने दिमाग से निकल दो, क्योंकी अम्मी तो इसमें ज्यादा एंजाय करेंगी..."

बाजी हैरानी से बोली- “वो किस तरह? क्या अम्मी एक साथ दो लण्ड अपने अंदर ले सकती हैं? क्या अम्मी ने खुद बताया तुम्हें?”


मैं- “नहीं, बताया तो नहीं। लेकिन मुझे अंदाजा है कि अम्मी एक साथ दो का मजा ले चुकी हैं और वो भी कई बार..” अभी हम ये बातें ही कर रहे थे के मुझे बाथरूम में पानी गिरने की आवाज सुनाई दी तो मैंने बाजी की। तरफ देखा।
तो बाजी मुश्कुरा दी और बोली- “मेरा खयाल है कि अगर तुम निदा को बिना कपड़ों के देखना चाहते हो तो ये अच्छा मोका है, क्योंकी इस तरफ का दरवाजा खुला है...”


मैंने बाजी की तरफ देखा जो कि मुझे ही देख रही थी और हल्का-हल्का मुश्कुरा रही थी, तो मैंने धीरे से कहा
कहीं नाराज ही ना हो जाए?”

बाजी ने कहा- “यार तुम बोल देना कि पता नहीं था कि कोई बाथरूम में है भी या नहीं?”

मैं उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया, जहाँ से अब पानी गिरने की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी। मैं बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया जाकर और एक बार बाजी की तरफ देखा जो कि अभी भी मेरी तरफ ही देख रही थी।

बाजी ने मुझे इशारे से हौसला दिया तो मैंने एक झटके से बाथरूम का दरवाजा खोला तो देखा की मेरी छोटी बहन निदा बाथरूम में नंगी खड़ी अपना जिम मल रही थी।
 
जैसे ही दरवाजा खुलने की आवाज सुनी निदा ने और बाथरूम में मुझे खड़ा देखा, तो सीधी खड़ी हो गई और अपने हाथ अपने पीछे करके दीवार से लग गई और बोली- “भाई यहाँ मैं नहा रही हूँ आपको दरवाजा नाक करके
आना चाहिए था..."


मैंने एक बार सिर से पाओं तक निदा को बड़े प्यार से देखा और बोला- “सारी यार, मुझे पता नहीं था कि तुम नहा रही हो...” और इतना बोलकर मैंने दरवाजे को बंद कर दिया और बाजी के पास वापिस आ गया।


बाजी मेरी तरफ देखकर मुश्कुराए जा रही थी, तो मैंने कहा- “क्या हुआ इतना खुश क्यों हो रही हो?”


बाजी ने कहा- “तुम्हें देखकर लग रहा है कि अगर तुम्हारा बस चल जाए तो तुम बेचारी निदा को अभी चीर के रख दो...”


मैं- यार क्यों मजाक उड़ा रही हो? अब ऐसा भी कुछ नहीं है।

बाजी- अच्छा जी, तो फिर जरा बताओ तो कैसा कुछ है?

मैं- बाजी की बातों से झुंझला सा गया और बोला- “बाजी आप क्यों इतना तंग कर रही हो? सीधी तरह बोलो ना के इस वक़्त मैं चला जाऊँ यहाँ से..”

बाजी- यार मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा है, जिससे तुम इतना गुस्सा कर रहे हो? मैं तो बस ये पूछ रही थी कि क्या इरादा है?

मैं बाजी के पास से उठा और रूम से बाहर निकला और अम्मी के रूम की तरफ चल दिया। लेकिन फिर पता नहीं क्या दिल में आई कि बाहर निकला और रात 8:00 बजे तक यूं ही आवारा फिरता रहा। खाना भी मैंने बाहर से ही खा लिया और 8:00 बजे घर वापिस आया तो देखा कि अम्मी बाजी और निदा के साथ-साथ सफदर अंकल भी घर पे ही थे, और काफी परेशान लग रहे थे।
 
मुझे घर में इन होता देखकर अम्मी झट से बोली- “कहाँ चले गये थे तुम? पता है कब से तुम्हें ढूँढ़ रहे थे और ऊपर से अपना मोबाइल भी साथ लेकर नहीं गये थे तुम अपने?”


अम्मी की बात सुनकर मुझे शर्मिंदगी हुई और अपनी बेवकूफी का एहसास भी हुआ तो मैं- “सारी अम्मी, बस गलती से रह गया था घर पे, याद ही नहीं रहा मोबाइल साथ ले जाना.." और अपने रूम की तरफ चल दिया।

अभी मैं 3-4 कदम ही चला था कि बाजी की आवाज सुनाई दी, जो खाने को पूछ रही थी।


मैंने कहा- “नहीं, मुझे नहीं खाना। मैं खाकर आया हूँ..." और टपक से अपने रूम में जा घुसा।

मैं रूम में आकर सीधा अपना लूज पाजामा निकालकर बाथरूम में जा घुसा और ड्रेस चेंज करके रूम में आया।

और आराम के लिए लेट गया और सोचने लगा कि मुझे जाने अंजाने में भी ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी जिससे कि किसी का भी दिल दुखे। ये सोच आते ही मैं उठने लगा कि चलकर बाहर सबके साथ सो जाता हूँ।

तभी बाजी और निदा रूम में आ गईं। बाजी आते ही मुझे देखकर बोली- “भाई आप आज अम्मी के रूम में सो जाओ, क्योंकी सफदर अंकल भी आज यहाँ ही रुक गये हैं, तो निदा यहाँ मेरे साथ सो जाएगी...”


मैं हाँ में सिर हिलाया और रूम से बाहर निकल आया और अम्मी के रूम में जा घुसा, जहाँ अम्मी और सफदर अंकल बेड पे बैठे बातें कर रहे थे।

मुझे रूम में इन होता देखकर सफदर अंकल ने कहा- “क्या बात है सन्नी बेटा, किसी ने कुछ कहा था तुमसे जो ऐसे नाराज होकर घर से निकल गये थे?”


मैं हँस दिया और बोला- “आपसे किसने बोल दिया अंकल कि मैं किसी से नाराज होकर गया था कहीं? बस जरा दिल चाह रहा था घूमने को तो निकल गया। बस मोबाइल घर भूल गया था जाते हुये...”
 
मेरी बात सुनकर अम्मी ने जरा गुस्से से मुझे देखा और बोली- “तुम्हें कुछ पता भी है कि यहाँ हमारा क्या हाल हो रहा था तुम्हारी इस हरकत से? कुछ शर्म होनी चाहिए खुद को ही...”


मैं आगे बढ़ा और अम्मी के पैरों में बैठकर अपना सिर उनकी गोदी में रख दिया और बोला- “सोरी अम्मी, मैंने जान के ऐसा कुछ नहीं किया था। बस अंजाने में हो गया। आइन्दा से खयाल रखूगा कि ऐसा कुछ ना हो...”


अम्मी ने मुझे नीचे से उठाकर अपने साथ बिठा लिया और अपनी तरफ झुकाकर मेरा माथा चूम लिया और बोली- “सन्नी एक तुम ही तो हम माँ बेटियों का सहारा हो, मत तंग किया करो ऐसे...”



अम्मी की आँखों में आँसू आ चुके थे जिन्हें मैंने साफ किया और अम्मी को अपने साथ लिपटा के फिर से माफी माँगी और उसके बाद अंकल और मैं अम्मी को हँसाने में लग गये। इस तरह हम रात 10:00 बजे तक हँसी मजाक करते रहे, और 10:00 बजे अंकल ने अम्मी से कहा- “जाओ देखकर आओ जरा, दोनों सो गई हैं क्या?


अम्मी धीरे से उठी और बाथरूम की तरफ से मेरी बहनों के रूम में झाँकने चली गई।
मैंने अंकल से कहा- अंकल एक बात तो बताओ?


अंकल ने मेरी तरफ देखकर कहा- हाँ पूछो क्या बात है?

मैंने कहा- अंकल क्या अम्मी ने कभी एक साथ दो का मजा लिया है?

तो अंकल हँस दिए और बोले- “सन्नी तुम्हारी अम्मी तीन का एक साथ मजा ले चुकी है और वो भी कई बार। घबराओ नहीं फरी की तरह रोएगी नहीं सलमा बेगम...”


अभी हम ये बातें ही कर रहे थे के अम्मी बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से लाक करके हमारे पास आकर बैठ गई। अंकल ने अम्मी को सीधा बेड पे लिटा दिया और बोले- “चलो जान-ए-मन आज पुरानी याद ताजा हो। जाए..."


तब अम्मी अंकल की बात सुनकर मुश्कुरा दी बोली कुछ नहीं।

अम्मी को मिटाने के बाद अंकल ने अम्मी की सलवार में हाथ डाला और एक झटके के साथ मेरी माँ की सलवार उतारकर एक तरफ फेंक दी और फिर अम्मी की टाँगों को मोड़ दिया जिससे अम्मी का निचला नंगा जिश्म नजर आने लगा। अम्मी की इस तरह टांगें मोड़ लेने से अम्मी की फुद्दी साफ मेरी आँखों के सामने आ गई थी, जो कि उनकी नरम और सफेद रानों में से बड़े प्यारी सी लग रही थी। जिसे मैं बड़े प्यार भरी निगाहों से देख रहा था।


तभी सफदर अंकल ने एक बार फिर से अम्मी का हाथ पकड़कर उठाया और अम्मी की कमीज को पकड़कर ऊपर को खींचने लगे, जिसमें अम्मी भी अपने हाथ ऊपर करके उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अंकल ने अम्मी की कमीज को निकालकर एक तरफ फेंक दिया और उसके बाद ब्रा का हुक खोलकर अम्मी को नंगा कर दिया।
 
अम्मी के नंगा होते ही अंकल ने मेरी तरफ देखा और बोले- “क्या बात है सन्नी बेटा, ऐसे क्यों बैठे हुये हो? चलो जल्दी से कपड़े निकालो कहीं हमारी सलमा जान नाराज ही ना हो जाएं?”


सफदर अंकल की बात सुनकर मैं हल्का सा हँस दिया और बोला- “अरे नहीं अंकल, ऐसा कुछ नहीं होगा। आप परेशान ना हों, हमारी सलमा रानी बहुत बड़ी रंडी है, इसकी चुदाई सही से होनी चाहिए बस फिर ये नाराज नहीं होगी कभी भी हमसे..” और इतना बोलते हुये मैं उठ खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतारने लगा।


अंकल भी खड़े हो गये और कपड़े उतारकर नंगे हो गये। मैं कपड़े उतारते ही अपनी अम्मी के पैरों में आ गया और उनकी रानों को पूरी तरह फैला दिया और सफदर अंकल की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराया और फिर झुक के अपनी अम्मी की फुद्दी पे अपनी जुबान रखकर चलाने लगा। जैसे ही मेरी जुबान की नोक ने अम्मी की फुद्दी को छुवा अम्मी के मुँह से ‘आअहह... सन्नी उन्म्मह... की आवाज निकली और साथ ही मेरे सिर के बमैंलों में अपनी उंगली घुमाने लगी।


जैसे-जैसे मैं अपनी जुबान को अपनी अम्मी की फुद्दी के लबों में ऊपर से नीचे की तरफ घुमाता जा रहा था। वैसे-वैसे अम्मी के मुँह से भी सिसकियां निकलने की रफ़्तार और उनका हाथ मेरे सिर पे तेज होता जा रहा था, और वो अपने हाथ से मुझे अपनी फुद्दी पे दबाते हुये- “आअह्ह... सन्नी मेरे बच्चे अपनी जुबान मेरी फुद्दी में घुसाकर चाटो ऊऊहह सन्नी खा जाओ अपनी अम्मी की फुद्दी को उफफ्फ़... सन्नी आआहह... मादरचोद कुत्ते और घुसाकर चाट मेरे हरामी ब्चचे..” की आवाज भी करती जा रही थी।


कुछ देर तक मैं बड़ी दिल जमी से अपनी अम्मी की फुद्दी चाटता रहा और फिर जरा सांस लेने के लिए सिर उठाकर अम्मी की तरफ देखा तो वहाँ मुझे सफदर अंकल अम्मी की चूचियों को अपने हाथों से मसलते और मुँह में भरकर उनका रस चूसते हुये नजर आए।


मेरे उठने का एहसास सफदर अंकल को भी हो गया था और वो अम्मी की चूचियों को छोड़कर उठे और मेरी तरफ देखकर मुश्कुराते हुये अम्मी से बोले- “चलो सलमा, जरा तुम भी मेरे लण्ड को थोड़ी प्यार की सलामी दे। ही डालो...” और इतना बोलते हुये सफदर अंकल उठकर अम्मी की चूचियों से थोड़ा आगे गर्दन के पास अम्मी के दोनों तरफ अपनी टाँगों को करके अपना लण्ड अम्मी के मुँह के पास ले गये, जिसे अम्मी ने बिना शर्माये हुये अपना मुँह खोलकर चाटना शुरू कर दिया।
 
मैं कुछ देर तक ऐसे ही बैठा रहा और फिर अम्मी के चेहरे की तरफ अपनी टांगें करके लेट गया और अम्मी की लण्ड चुसाई देखने लगा। सफदर अंकल ने कोई दो-तीन मिनट तक ही मेरी अम्मी से लण्ड चुसवाया होगा कि अम्मी ने अंकल को अपने ऊपर से हटा दिया और उठकर बैठ गई और फिर हम दोनों की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराई और सफदर अंकल को अपनी जगह पे लिटा दिया और खुद उठकर उनके लण्ड के ऊपर आकर उनका लण्ड पकड़ा और गर्दन मोड़कर मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराती हुई अपनी फुद्दी पे अंकल के लण्ड को सेट करके आराम से बैठ गई।


अम्मी बड़े आराम-आराम से सफदर अंकल का लण्ड अपनी फुद्दी में ले रही थी और मैं पीछे से ये मंजर बड़े मजे से देख रहा था। जैसे-जैसे अंकल का लण्ड मेरे सामने मेरी अम्मी की फुद्दी में जा रहा था, वैसे-वैसे मेरा जोश बढ़ता जा रहा था, और फिर अम्मी अंकल का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में लेकर उनके ऊपर ही लेट गई तो अंकल ने अम्मी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। इस मंजर ने मुझे बहुत गरम कर दिया था और मैं अपना । लण्ड हिलाने लगा।


थोड़ी देर तक अम्मी और सफदर अंकल ऐसे ही एक दूसरे से चिपके लेटे रहे फिर अम्मी थोड़ा ऊपर हुई और अपने पैरों पे बैठकर अंकल के कंधों पे पकड़कर ऊपर नीचे होने लगी। जैसे ही अम्मी ऊपर होती तो सफदर अंकल का लण्ड उनकी फुद्दी से बाहर निकलता और जैसे ही पूरा सुपाड़े तक बाहर आ जाता तो अम्मी एक तेज झटके से अपनी गाण्ड को नीचे की तरफ दबा देती, जिससे एक पुचाक्क की आवाज के साथ अम्मी की फुद्दी में अंकल का पूरा लण्ड जड़ तक समा जाता, और अम्मी के मुँह से 'सस्सीईई... आअहह... की आवाज निकल जाती।

सफदर अंकल ने भी अब अपने दोनों हाथों से मेरी अम्मी की गाण्ड को पकड़ लिया और अम्मी जैसे ही ऊपर होकर लण्ड की तरफ अपनी गाण्ड को दबाती नीचे से सफदर अंकल भी एक तेज झटका मारते, जिससे थप्प थप्प की आवाज के साथ अम्मी की 'आआअह्ह.. सफदर उन्म्मह... ऊऊह्ह...' की आवाज निकलने लगती।


अम्मी की सफदर अंकल के साथ जारी चुदाई और अम्मी के मुँह से निकलने वाली लज्जत भरी आवाजों ने मुझे दीवाना सा कर दिया, और मैंने उठकर अम्मी का हाथ पकड़ लिया और झटके से अपनी तरफ खींच लिया, तो अम्मी भी अंकल के लण्ड से उतरकर मेरी तरफ आ गई। मैंने अम्मी को अपने साथ लिपटा के एक भरपूर किस किया और फिर अम्मी को बेड से उतारकर उन्हें घुटनों के बल नीचे झुका दिया जिससे अम्मी का ऊपरी जिम बेड के ऊपर आ गया तो मैंने उनके पीछे आकर अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी पे सेट किया और एक तेज झटका लगाते हुये अपना पूरा लण्ड घुसा दिया।
 
लण्ड के घुसते ही मेरी अम्मी के मुँह से- “आअह्ह... सन्नी बेटा, और जोर से चोदो आज मुझे ऊऊहह... सन्नी आज से मैं तुम्हारी अम्मी नहीं रही बेटा, मैं तुम्हारी रखैल बन गई हँन् उउफफ्फ़... जालिम क्या लण्ड है तेरा? फाड़ दे आज अपनी माँ की फुद्दी को..." की आवाज करने लगी।


अंकल भी अपनी जगह से खिसक के अम्मी के सामने हो गये और घुटनों के बल खड़े होकर अपना लण्ड अम्मी के मुँह के सामने कर दिया, जिसे अम्मी ने बिना देर किये अपने हाथ में पकड़ लिया और चूसने लगी। कुछ देर मैं ऐसे ही तेज झटकों से अम्मी की फुद्दी मारता रहा और अम्मी सफदर अंकल का लण्ड किसी लोलीपोप की तरह पूरे मजे से चूसती रही। फिर मैंने अम्मी को एक झटके से पीछे हटाया और बेड से नीचे फेंक दिया, जिससे मेरा लण्ड भी अम्मी की फुद्दी से निकल गया।


लण्ड के निकलते ही अम्मी उठी और मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे मुँह पे दोनों तरफ टांगें करके बैठ गई। अंकल ने अम्मी को वहीं आगे से झुकाकर कुतिया की तरह कर लिया, और पीछे से अम्मी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसा दिया। अब मेरा सिर अम्मी के नीचे उनकी फुद्दी के बिल्कुल नीचे था और मैं नीचे से अपनी जुबान अपनी माँ की फुद्दी पे चलाने की कोशिश कर रहा था और ऊपर से सफदर अंकल का लण्ड अम्मी की फुद्दी में अंदर-बाहर हो रहा था।


अम्मी आगे को झुक के मेरे लण्ड को हिला रही थी ओर साथ ही- “आआहह... सन्नी देख बेटा अपनी कुतिया माँ को देख... उनम्म्मह... सफदर और तेज चोदो आज मुझे मेरे बेटे के साथ मिलकर उन्म्मह ऊऊओह... जानू आअह्ह...” की आवाज करती जा रही थी।
 
अम्मी का पूरा जिश्म उस वक़्त हल्का सा काँपने लगा था, जिससे मुझे ये समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि अम्मी की फुद्दी अब किसी भी वक़्त पानी छोड़ने वाली है, और अम्मी अंकल के हर झटके पे- “आअह्ह... सफदर और तेज करो मेरीईई जान... मेरा होने वाला है ऊऊहह फाड़ डालो मेरी फुद्दी को... कुतिया बना डालो मुझे उनम्म्म ह... ऊऊओ... आऐईयईई... सफदर...” की एक तेज आवाज के साथ ही अम्मी का जिम एक बार जरा मचला और फिर ढीला पड़ गया।


अम्मी निढाल सी होकर मेरे ऊपर गिर सी गई कि तभी बूंद-बूंद मेरी अम्मी की फुद्दी से बहता पानी उनकी रानों पे बहने लगा, जिसे मैंने चाट के साफ कर दिया और नीचे से निकल गया।

अम्मी के नीचे से निकलते ही मैंने अम्मी को अपनी तरफ खींचा और सीधा लिटा दिया और अपना लण्ड घुसाकर अपनी अम्मी की चुदाई करने लगा। तब सफदर अंकल ने अपना लण्ड अम्मी के मुँह में घुसा दिया और बड़ी बेदर्दी से अपना लण्ड अम्मी के मुँह में अंदर-बाहर करने लगे।

उस वक़्त अम्मी की हालत बड़ी काबिल-ए-रहम लग रही थी क्योंकी एक तरफ तो मैं उनकी ताबड़तोड़ फुद्दी मार रहा था और दूसरी तरफ सफदर अंकल उनके मुँह में अपना लण्ड घुसाकर चुसवा रहे थे। जिससे अम्मी के मुँह से पूँ-घून गलप्प्प-गलप्प्प की आवाज निकल रही थी, जो मुझे भी चरम की तरफ ले जा रही थी।


लेकिन मेरे पानी छोड़ने से पहले ही सफदर अंकल के मुँह से सिसकियों की आवाज निकलने लगी जो किऊऊहह सलमा सालीईई चुस्स ले आअहह... मेरा निकलने वाला है ऊऊओह...” की आवाज निकली। और फिर सफदर अंकल के जिश्म को हल्का झटका सा लगा और उनका सारा पानी अम्मी के मुँह के अंदर और बाहर भर गया, जिसे अम्मी बड़े प्यार से अपनी जुबान निकालकर अंकल के लण्ड को चाट के साफ करने लगी


ये मंजर देखकर मेरी अपनी बर्दाश्त भी खतम हो गई और में भी 6-7 तेज झटकों के साथ ही- “ऊओहह... अम्मी मैं आया...” की आवाज के साथ अम्मी की फुद्दी में फारिघ् हो गया, और उनके ऊपर ही निढाल सा होकर गिर गया।


फारिघ्र होने के बाद कुछ देर तक तो मैं अम्मी के ऊपर ही लेटा रहा। फिर उठकर अम्मी की साइड पे होकर लेट गया, तो अम्मी साइड से एक कपड़ा उठाकर अपनी फुद्दी को साफ करके उठी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ चल दी।

अंकल ने कहा- “क्या हुआ सलमा बेगम, कहाँ चल दी?”

तो अम्मी ने कहा- “बाथरूम जा रही हूँ जरा साफ सफाई भी तो करनी है ना?”

अम्मी की बात सुनकर अंकल ने कहा- “क्यों यार क्या और इरादा नहीं है तुम्हारा?”

अम्मी ने कहा- “नहीं जनाब अब जो भी करना है कल दिन में करेंगे, वो भी तुम्हारे मकान पे यहाँ नहीं.."

अंकल- यार सलमा, क्यों मजा खराब कर रही हो? तुम्हें पता है ना मुझे कितनी उलझन होती है इस तरह?

अम्मी- जी पता है, लेकिन आप शायद भूल रहे हैं कि साथ वाले रूम में फरी और निदा भी सो रही हैं।
 
अम्मी की बात सुनकर अंकल ने कहा- “क्यों यार क्या और इरादा नहीं है तुम्हारा?”

अम्मी ने कहा- “नहीं जनाब अब जो भी करना है कल दिन में करेंगे, वो भी तुम्हारे मकान पे यहाँ नहीं.."

अंकल- यार सलमा, क्यों मजा खराब कर रही हो? तुम्हें पता है ना मुझे कितनी उलझन होती है इस तरह?

अम्मी- जी पता है, लेकिन आप शायद भूल रहे हैं कि साथ वाले रूम में फरी और निदा भी सो रही हैं।

अंकल- तो क्या हुआ यार? उनको क्या पता यहाँ क्या चल रहा है? और फिर सन्नी भी तो है ना यहाँ और फरी भी सब जानती है तो क्यों हम बेचारों को सूली पे लटका रही हो तुम?

अम्मी- देखो सफदर, माना कि फरी को सब पता है। लेकिन निदा तो अभी बच्ची है, वो ये सब नहीं जानती और मैं नहीं चाहूंगी कि उसे कुछ पता चले। समझे आप? इसलिए अब जो करना होगा तुम दोनों कल कर लेना।


मैं अंकल का हाथ दबाते हुये अम्मी से बोला- “ठीक है अम्मी कोई बात नहीं, आप जाओ और चेंज करो बाकी कल देखा जाएगा...”

अम्मी के जाने के बाद मैंने अंकल से कहा- “क्या आप मेरी अम्मी से शादी करोगे?”

तो अंकल ने हैरानी से कहा- “क्या मतलब है तुम्हारा? जरा खुल के बताओ?”

मैंने अंकल को अपना सारा प्लान बता दिया जो कि मैं दिन भर सोचता रहा था।

तो अंकल मेरा प्लान सुनकर बोले- “यार हो तो तुम भी पक्के हरामी, लेकिन तुम्हारी अम्मी किस तरह मानेगी शादी के लिए...”

मैंने कहा- “अंकल ये आप का सिरदर्द है। लेकिन अगर मेरी जरूरत पड़ी तो मैं और बाजी फरी भी आप का पूरा साथ दें...”

तब अंकल ने हाँ में सिर हिला दिया और सोच में गुम हो गये। तभी अम्मी भी बाथरूम में से आ गई और आते ही बेड पे सोने को लेट गई।

मैं और सफदर अंकल अम्मी के दोनों तरफ नंगे ही लेटे अपनी-अपनी सोचों में गुम थे कि पता ही नहीं चला कि कब नींद आई और मैं सो गया। मेरी आँख खुली तो अम्मी मुझे जगा रही थी।
 
मैं झट से उठा और अम्मी की तरफ देखकर बोला- “जी अम्मी क्या बात है?”

अम्मी ने कहा- “7:00 बज चुके हैं और निदा नहाकर किचेन में चली गई है। कहीं वो यहाँ इस रूम में हमें उठाने ना आ जाए, इसलिए जल्दी से उठो और कपड़े पहनो नहाकर। कब तक नंगे ही पड़े रहोगे?”

मैं झट से उठा और देखा तो अंकल कहीं नजर नहीं आए। तो अम्मी ने कहा सफदर चला गया है अपने मकान पे। तुम नहा लो।

अब तो मैं झट से कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया और नहाकर फरी बाजी वाले रूम में घुस गया जहाँ बाजी अपने ऊपर कम्बल लिए सो रही थी। मैं आगे बढ़ा और बाजी के ऊपर से हल्का सा कम्बल पकड़कर नीचे को। सरकाया तो बाजी की आँख खुल गई। लेकिन मेरी ये देखकर आँखें खुली की खुली रह गईं कि बाजी की चूचियां बिल्कुल नंगी थीं। बाजी ने मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा के अपनी आँखें बंद कर ली।

कुछ देर तक मैं ऐसे ही खड़ा रहा और बाजी को देखता रहा और फिर एक झटके से बाजी का कम्बल उतार दिया तो मुझे भी झटका लगा, क्योंकी बाजी कम्बल के नीचे बिल्कुल नंगी नजर आ रही थी। मैंने एक हाथ से बाजी की रानों को जरा सा खोला तो बाजी बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा मेरी तरफ से घुमा लिया और अपना एक हाथ चेहरे पे रखकर मुझसे मुँह छुपाने लगी।

अभी मैं बाजी को इस हाल में देख ही रहा था और अपने खड़े हो जाने वाले लण्ड को सहला ही रहा था कि रूम का दरवाजा खुला और अम्मी रूम में आ गई और बाजी को इस हाल में देखकर और मुझे बाजी के पास खड़े। अपना लण्ड सहलाता देखकर अम्मी को थोड़ा गुस्सा सा आ गया और वो जरा गुस्से से बोली- “कुछ शर्म लिहाज भी है तुम लोगों को या नहीं?"


दरवाजा खुलने और अम्मी को इस तरह अंदर आते देखकर बाजी ने एक झटके से कम्बल को फिर से अपने ऊपर खींच लिया सिर से ऊपर तक।

तब अम्मी बोली- “चलो अब ये ड्रामा बंद करो शर्माने का, और जल्दी से नहाकर कपड़े पहन लो...” अम्मी इतना बोलकर रूम से निकल गई।

बाजी ने सिर से कम्बल हटाकर देखा और फिर उठते हये बोली- “भाई देख तो लेते कि दरवाजा भी बंद है या नहीं?” और बाथरूम की तरफ चल दी।
 
Back
Top