desiaks
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11 बाप रे बाप
नाश्ते के बाद सोनिया एक नॉवल ले कर पूल के पास आराम कुर्सी पर पाँव लंबे कर के लेट गयी। उसका विचलित मन कहाँ उसे नॉवल पढ़ने देता ? वो तो आने वाले मजे की उत्सुकता में हिलोरें ले रहा था। कल्पन में उड़ती सोनिया को अचानक एक मर्दाना आवाज ने चौंका कर यथार्थ के धरातल पर उतार दिया।
आज बहुत चहक रही हो !” आवाज़ उसके डैडी मिस्टर शर्मा की थी।
वाकई ? आप भी बड़े स्मार्ट लग रहे हैं सामने कुर्सी पर बैठते अपने डैडी से फ़िल्मी अंदाज में बोली।
मिस्टर शर्मा ऐसे मुस्कुरा रहे थे, जैसे हर बाप जो अपनी बेटी को बड़ा होते देखता है, मुस्कुराता है। उन्हें लग रहा था कि बिल्कुल अपनी माँ जैसी सुंदर है। वे नहीं जानते थे कि माँ से उसे सुंदरता ही नहीं, सैक्स की प्रबल भूख भी वरदान में मिली थी।
“बेटा अगर तुम भी हमारे साथ चलती तो जय का हौसला और बढ़ जाता ?”
और कोई दिन होता तो सोनिया जवाँ छोरो को खेलते देखने के लिए फट से राजी हो जाती।
“आज नहीं डैडी। मैं कुछ आराम करना चाहती हूं।”
*जैसे तुम्हारी मर्जी बेटा।” मिस्टर शर्मा कुछ सालों से सोनिया के जवाँ जिस्म को उम्र के साथ निखरते देख रहे थे। देखें क्यों ना ? उसके परिपक्व होते स्त्रियांगों की मर्यादा को उसका लिबास ठीक से ढक भी नहीं पाता था। आज भी ऐसा ही कुछ पहन रखा था। फटी तंग जीन्स की चड्ढी जिससे उसके नितंबों की झलक दिखती थी। अंदर से पैन्टी नदारद। मिस्टर शर्मा में भी गबरू मर्द की प्रकृतिक सैक्स भवना रखते थे। इस आकर्षक नजारे से उनका दिल क्यों न मचले। लगे गिद्ध निगहें बेटी के शबाब पर फेरने। टी-शर्ट लो-कट की थी - यौवना के नारन्गी जैसे पुख्ता स्तनों का उभार साफ़ दिखता था। मुए निप्पल ऐसे कड़क रहते थे कि दो बेरों की तरह टी-शर्ट के कपड़े के नीचे उभार दे कर उन्हें और तर्पा रहे थे। मिष्टर शर्मा चाहत की ठंडी आह भर के अपनी जवाँ सेक्सी बेटी को खुल्लम-खुल्ला घूरते जा रहे थे। |
नाश्ते के बाद सोनिया एक नॉवल ले कर पूल के पास आराम कुर्सी पर पाँव लंबे कर के लेट गयी। उसका विचलित मन कहाँ उसे नॉवल पढ़ने देता ? वो तो आने वाले मजे की उत्सुकता में हिलोरें ले रहा था। कल्पन में उड़ती सोनिया को अचानक एक मर्दाना आवाज ने चौंका कर यथार्थ के धरातल पर उतार दिया।
आज बहुत चहक रही हो !” आवाज़ उसके डैडी मिस्टर शर्मा की थी।
वाकई ? आप भी बड़े स्मार्ट लग रहे हैं सामने कुर्सी पर बैठते अपने डैडी से फ़िल्मी अंदाज में बोली।
मिस्टर शर्मा ऐसे मुस्कुरा रहे थे, जैसे हर बाप जो अपनी बेटी को बड़ा होते देखता है, मुस्कुराता है। उन्हें लग रहा था कि बिल्कुल अपनी माँ जैसी सुंदर है। वे नहीं जानते थे कि माँ से उसे सुंदरता ही नहीं, सैक्स की प्रबल भूख भी वरदान में मिली थी।
“बेटा अगर तुम भी हमारे साथ चलती तो जय का हौसला और बढ़ जाता ?”
और कोई दिन होता तो सोनिया जवाँ छोरो को खेलते देखने के लिए फट से राजी हो जाती।
“आज नहीं डैडी। मैं कुछ आराम करना चाहती हूं।”
*जैसे तुम्हारी मर्जी बेटा।” मिस्टर शर्मा कुछ सालों से सोनिया के जवाँ जिस्म को उम्र के साथ निखरते देख रहे थे। देखें क्यों ना ? उसके परिपक्व होते स्त्रियांगों की मर्यादा को उसका लिबास ठीक से ढक भी नहीं पाता था। आज भी ऐसा ही कुछ पहन रखा था। फटी तंग जीन्स की चड्ढी जिससे उसके नितंबों की झलक दिखती थी। अंदर से पैन्टी नदारद। मिस्टर शर्मा में भी गबरू मर्द की प्रकृतिक सैक्स भवना रखते थे। इस आकर्षक नजारे से उनका दिल क्यों न मचले। लगे गिद्ध निगहें बेटी के शबाब पर फेरने। टी-शर्ट लो-कट की थी - यौवना के नारन्गी जैसे पुख्ता स्तनों का उभार साफ़ दिखता था। मुए निप्पल ऐसे कड़क रहते थे कि दो बेरों की तरह टी-शर्ट के कपड़े के नीचे उभार दे कर उन्हें और तर्पा रहे थे। मिष्टर शर्मा चाहत की ठंडी आह भर के अपनी जवाँ सेक्सी बेटी को खुल्लम-खुल्ला घूरते जा रहे थे। |