hotaks444
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मै चुपके से वाशरूम में घुस आया और पूरे कपडे उतार अपने खड़े लंड को हाथ से मसलने लगा। बहु की बड़ी गांड देख मेरा खुद पे कण्ट्रोल नहीं रहा और में बहु को वाशरूम में कस के पकड़ लिया।।
सरोज - बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं?
मै - बहु तुम्हारी चूचियां और भरी गांड देख कर भला मैं कैसे रोक पाता खुद को। मैं अपने लंड को बहु के चूचियों के बीच दबा कर पेलने लगा।
सरोज - बाबूजी प्लीज जाइये न यहाँ से। मुझे डर लग रहा है।
मै - कैसा डर बहु, तुम तो पहले भी मुझसे चुदवा चुकी हो।
सरोज - तब की बात अलग थी बाबूजी तब मैं और आप घर में अकेले थे अब पापा है।। आह बाबूजी बस।। (मैंने अपनी ऊँगली बहु की गिली चिपचिप बुर में डाल दिया। )
सरोज - ओह बाबू जी।।। उम्मम्मम बस करिये
मै - बहु तुम्हारी गिली बुर से अपनी ऊँगली निकालने का मन नहीं करता।। क्या तुम अपनी गरम बुर चटवाना चाहोगी ?
बहु ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसकी ख़ामोशी से मैं समझ गया की इस वक़्त बहु को अपना बुर चटवाने का मन है। मैंने बिना कोई देर किये अपना मुह बहु के बुर से सटा दिया। बहु आनन्द से भर उठि, उसने अपनी टाँगे फैला दी, वो मेरे बाल पकड़ कर अपने बुर के अंदर खींच रही थी।
बहु के बुर से एक अजीब सी गंध आ रही थी मैं उत्तेजित हो कर उसकी महकती बुर को चाट्ने लगा।। क़रीब २-३ मिनट चाटने के बाद बहु के बुर से कुछ गरम गरम पानी सा निकला जिसे मैं पी गया। बहु अब स्खलित हो चुकी थी, लेकिन मेरा माल निकलना अभी बाकी था। मैंने अपने लंड को हाथो में लिया और बहु के जाँघो के बीच जगह बनाते हुये उसकी चुत में अपना लंड पेल दिया।। बहु आनन्द से कराह उठी।। मैंने उसे कस कर पकड़ लिया, वो मेरे काँधे और पीठ पे अपने नाख़ून चुभाने लगी। मैंने जोर से धक्का दिया और फिर 20-25 मिनट तक बहु को पेलने के बाद अपना माल बहु की बुर में गिरा दिया।
अपना मूठ निकाल कर मैं अपने कमरे में आ गया, मैंने कपडे चेंज किये और वापस बहु के रूम की तरफ चल दिया। बहु भी नहा कर निकल चुकी थी। मैं जब रूम में गया तो बहु अपने बेहोश पड़े पापा के सामने ब्रा पैन्टी में खड़ी थी और टॉवल से पानी सुखा रही थी
मै - बहु।। तुम इस तरह से कपडे बदल रही हो, कहीं समधी जी की नींद खुल गई तो अपनी जवान बेटी का गदराया बदन देख कर वो झड जाएंगे।
सरोज - छी: बाबूजी।। आप भी न मेरे और मेरे पापा के बीच कितनी गन्दी बात करते हैं (बहु ने टॉवल बेड पे रख दिया और और अलमारी से जीन्स निकालने लगी)
मै - क्या? मैं गन्दी बात करता हूँ? तुम्हारे पापा जो तुम्हारी पेंटी में मूठ मारते थे, तुम्हारी तस्वीर पे अपना माल गिराया करते थे वो सब ठीक है।
सरोज - मैंने कभी उन्हें ऐसा करते हुये नहीं देखा।। तो मैं कैसे मान लू। ऐसा आपने बोला है मुझे। मुझे यकीन है मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं और अपनी बेटी के बारे में ऐसी गन्दी बात सोच भी नहीं सकते।
मै - बहु मैं तुम्हे कैसे समझाऊँ तुम्हारे पापा सिर्फ तुमसे प्यार ही नहीं करत, तुम्हे चोदना भी चाहते है।
सरोज - बस चुप करिये बाबूजी। अगर आप ये सब कुछ अपनी फैंटेसी के लिए बोल रहे हैं तो फिर ठीक है। लेकिन मेरे पापा ने मुझे हमेशा प्यार दिया है एक अच्छे पिता की तरह मैं उनकी सबसे अच्छी बेटी हू।
सरोज - बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं?
मै - बहु तुम्हारी चूचियां और भरी गांड देख कर भला मैं कैसे रोक पाता खुद को। मैं अपने लंड को बहु के चूचियों के बीच दबा कर पेलने लगा।
सरोज - बाबूजी प्लीज जाइये न यहाँ से। मुझे डर लग रहा है।
मै - कैसा डर बहु, तुम तो पहले भी मुझसे चुदवा चुकी हो।
सरोज - तब की बात अलग थी बाबूजी तब मैं और आप घर में अकेले थे अब पापा है।। आह बाबूजी बस।। (मैंने अपनी ऊँगली बहु की गिली चिपचिप बुर में डाल दिया। )
सरोज - ओह बाबू जी।।। उम्मम्मम बस करिये
मै - बहु तुम्हारी गिली बुर से अपनी ऊँगली निकालने का मन नहीं करता।। क्या तुम अपनी गरम बुर चटवाना चाहोगी ?
बहु ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसकी ख़ामोशी से मैं समझ गया की इस वक़्त बहु को अपना बुर चटवाने का मन है। मैंने बिना कोई देर किये अपना मुह बहु के बुर से सटा दिया। बहु आनन्द से भर उठि, उसने अपनी टाँगे फैला दी, वो मेरे बाल पकड़ कर अपने बुर के अंदर खींच रही थी।
बहु के बुर से एक अजीब सी गंध आ रही थी मैं उत्तेजित हो कर उसकी महकती बुर को चाट्ने लगा।। क़रीब २-३ मिनट चाटने के बाद बहु के बुर से कुछ गरम गरम पानी सा निकला जिसे मैं पी गया। बहु अब स्खलित हो चुकी थी, लेकिन मेरा माल निकलना अभी बाकी था। मैंने अपने लंड को हाथो में लिया और बहु के जाँघो के बीच जगह बनाते हुये उसकी चुत में अपना लंड पेल दिया।। बहु आनन्द से कराह उठी।। मैंने उसे कस कर पकड़ लिया, वो मेरे काँधे और पीठ पे अपने नाख़ून चुभाने लगी। मैंने जोर से धक्का दिया और फिर 20-25 मिनट तक बहु को पेलने के बाद अपना माल बहु की बुर में गिरा दिया।
अपना मूठ निकाल कर मैं अपने कमरे में आ गया, मैंने कपडे चेंज किये और वापस बहु के रूम की तरफ चल दिया। बहु भी नहा कर निकल चुकी थी। मैं जब रूम में गया तो बहु अपने बेहोश पड़े पापा के सामने ब्रा पैन्टी में खड़ी थी और टॉवल से पानी सुखा रही थी
मै - बहु।। तुम इस तरह से कपडे बदल रही हो, कहीं समधी जी की नींद खुल गई तो अपनी जवान बेटी का गदराया बदन देख कर वो झड जाएंगे।
सरोज - छी: बाबूजी।। आप भी न मेरे और मेरे पापा के बीच कितनी गन्दी बात करते हैं (बहु ने टॉवल बेड पे रख दिया और और अलमारी से जीन्स निकालने लगी)
मै - क्या? मैं गन्दी बात करता हूँ? तुम्हारे पापा जो तुम्हारी पेंटी में मूठ मारते थे, तुम्हारी तस्वीर पे अपना माल गिराया करते थे वो सब ठीक है।
सरोज - मैंने कभी उन्हें ऐसा करते हुये नहीं देखा।। तो मैं कैसे मान लू। ऐसा आपने बोला है मुझे। मुझे यकीन है मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं और अपनी बेटी के बारे में ऐसी गन्दी बात सोच भी नहीं सकते।
मै - बहु मैं तुम्हे कैसे समझाऊँ तुम्हारे पापा सिर्फ तुमसे प्यार ही नहीं करत, तुम्हे चोदना भी चाहते है।
सरोज - बस चुप करिये बाबूजी। अगर आप ये सब कुछ अपनी फैंटेसी के लिए बोल रहे हैं तो फिर ठीक है। लेकिन मेरे पापा ने मुझे हमेशा प्यार दिया है एक अच्छे पिता की तरह मैं उनकी सबसे अच्छी बेटी हू।