hotaks444
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तभी अमन बाथरूम से वापस आता है। वो सामने ऐसा नज़ारा देखकर पहले थोड़ा ठिठक जाता है। उसे ऐसी उम्मीद नहीं थे इन दोनों से। फिर दिल ही दिल में खुश होता
हुआ-“चलो अच्छा है, मेरे लण्ड का दर्द थोड़ा कम होगा इससे…” और अमन आगे आकर फ़िज़ा की गाण्ड पे जोर से थप्पड़ मारता है।
फ़िज़ा-“औउचह अह्म्मह…”
अमन फ़िज़ा की कमर पकड़कर थपाथप लगातार 5 से 6 जोरदार थप्पड़ मार देता है। जिससे फ़िज़ा की गाण्ड लाल हो जाती है, और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।
रेहाना-“आराम से जी, बच्ची है…”
अमन-“अच्छा बच्ची है… साली लण्ड तो किसी रंडी की तरह लेती है…” आज पता नहीं अमन को गालियाँ देने का बड़ा मन कर रहा था। शायद वो चाहता था कि ये दोनों माँ-बेटी पूरा उसकी मुट्ठी में आ जाएं।
रेहाना की बाहों में अभी भी फ़िज़ा लेटी हुई थी और रेहाना फ़िज़ा की गाण्ड सहला रही थी, वहाँ अमन ने थप्पड़ मारा था। फ़िज़ा हल्के-हल्के सिसकारियाँ भर रही थी। ये सब देखकर अमन का दिमाग़ घूम जाता है। आज इन दोनों को रंडी के तरह चोदना पड़ेगा। इसलिये अमन फ़िज़ा के बाल पकड़कर-“सुन… तेरी माँ के मुँह पे बैठ जा चूत खोलकर जल्दी…”
और फ़िज़ा उठकर रेहाना के मुँह पे बैठ जाती है, अपनी दोनों पैर खोलकर।
अमन-“रेहाना, चाट फ़िज़ा की चूत…” अमन रेहाना के पैर खोल देता है, और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पे रखकर अपना खड़ा लण्ड अंदर पेल देता है।
रेहाना-“अह्म्मह… आराम से, जान से मारेंगे क्या? उंन्ह…” और रेहाना अपनी चूत का गुस्सा, फ़िज़ा की चूत पे निकालती है, उसकी क्लिट को काटते हुए जिससे फ़िज़ा के जिस्म में झटका लगता है।
फ़िज़ा काफी देर से चुपचाप सब सुन रही थी। पर जैसे ही रेहाना ने उसकी चूत को काटा तो उसकी जोरदार चीख निकल गई-“अम्म्मी जी अह्म्मह… उंन्ह… अह्म्मह…”
अमन-“चुप करो अह्म्मह… अह्म्मह…” वो ताकत से रेहाना को चोदने लगता है।
रेहाना इतनी बेचैन थी सुबह से कि वो क्या करती? मुँह पे फ़िज़ा की चूत थी और चूत में अमन का मूसल लण्ड… बेचारी के मुँह से आवाज़ भी घुन-घुन की शकल में निकल रही थी।
अमन फ़िज़ा के बाल पकड़कर-“देख फ़िज़ा, तेरी अम्मी कैसे चुदती है मुझसे? देख साली इधर अह्म्मह…”
फ़िज़ा-“हाँ हाँ उंन्ह… अम्मी जी दर्द होता है?” फ़िज़ा आँखें फाड़े रेहाना को चुदते देख रही थी। ऐसा मंज़र शायद ही कोई लड़की सोच सकती हो कि उसके बड़े पापा का बेटा, उसका भाई, अपनी चाची को चोदे और वो लड़की अपनी चूत को अपनी अम्मी के मुँह पे रगड़ते हुए ये सब देखे। ये देख-देखकर फ़िज़ा की चूत पानी छोड़ने लगती है, वो सीधा रेहाना के मुँह में गिरने लगता है।
रेहाना-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह…”
इधर अमन के धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। रेहाना का भी पानी निकलने लगता है। पर रेहाना चुदक्कड़ औरत थी, वो कई बार झड़कर भी जल्दी से फिर से चुदने के लिये तैयार हो जाती थी। अमन अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है। वो जानता था कि रेहाना को दुबारा तैयार होने में थोड़ा वक्त लगेगा। वो फ़िज़ा को अपनी तरफ खींचते हुए उसे अपनी गोद में उठा लेता है।
फ़िज़ा-“उंन्ह…” अपनी पैर अमन की कमर पे लपेटते हुए उसकी बाहों में हाथ डाल देती है, जैसे कोई छोटा बच्चा अपने अब्बू के गले में प्यार से डालता है।
फ़िज़ा दुबली होने की वजह से आसानी से अमन से चिपक जाती है। दोनों एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे। अमन नीचे से अपना लण्ड फ़िज़ा की चूत के मुँह पे लगा देता है, और धक्का मार देता है।
फ़िज़ा-“अम्मी उंन्ह…” वो दूसरी बार अमन के लण्ड को ले रही थी। इस बार दर्द थोड़ा कम था और जोश बहुत ज्यादा। वो मचलने लगती है, सिसकने लगती है।
उसकी कमर रेहाना की तरफ थी। जिससे रेहाना भी देख रही थी कि कैसे अमन दनादन अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा है। उसे अमन की मर्दानगी पे फख्र होने लगता है। रेहाना दिल में “कितना गबरू जवान है। अमन, दो-दो औरतों को चोदकर भी नहीं थकता मेरा शेर और रेहाना अपनी चूत को रगड़ते हुए उसे तैयार करने लगती है।
फ़िज़ा-“उंन्ह… अम्मी, अमन से कहो ना धीरे-धीरे चोदें, मुझे दुखता है…”
अमन फ़िज़ा से-“कहाँ दुखता है फ़िज़ा बाजी?”
फ़िज़ा-“उंह्म्मह… चूत में अमन… बाजी भी बोलते हो और चोदते भी हो?” फ़िज़ा भी गंदी बातें सीखने लगी थी।
अमन फ़िज़ा को नीचे खड़ा कर देता है, और उसे बेड पे हाथ टिकाकर खड़ा कर देता है, और पीछे से चूत मारने लगता है-“आह्म्मह… उंन्ह…”
फ़िज़ा की चुचियाँ नीचे बेड के किनारे लटक रही थी और बाल खुले हुए थे। वो चुदते हुए अपनी अम्मी रेहाना की आँखों में देख रही थी। ना जाने क्यों उसे ऐसे चुद ना बड़ा अच्छा लग रहा था।
रेहाना फ़िज़ा की चुचियाँ मसलते हुए फ़िज़ा को चूमने लगती है-“तू ठीक तो है ना… बेटा…”
फ़िज़ा-“हाँ अंह्म्मह… धीरे अमन्ं उंन्ह… अह्म्मह…” वो भी रेहाना के होंठ को काटने लगती है और झड़ जाती है। फिर हान्फते हुए-“बाहर निकालो प्लीज़्ि अमन… उंन्ह…”
रेहाना अमन को देखते हुए-“बेटी मिली तो बीवी को भूल गये?”
अमन अपना लण्ड निकालकर रेहाना के मुँह में डालते हुए-“पहले चूस… ले मेरा और तेरी बेटी का पानी अह्म्मह…”
रेहाना-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प… वो तो यही चाहती थी। 5 मिनट तक लण्ड चूसने के बाद रेहाना अपने पैर खोल देती है, जैसे अमन को इनवाइट कर रही हो।
अमन रेहाना पे चढ़ जाता है, और उसको चूमते हुए चोदने लगता है। आज की रात भी कमाल थी। वहाँ अमन को नई चूत मिल गई थी वहीं रेहाना को ये डर सताने लगा था कि अमन उसके बजाए फ़िज़ा पे ज्यादा ध्यान ना दे बैठे? औरत तो आखीरकार औरत ही होती है।
वहीं फ़िज़ा इन सब बातों से अलग अपनी चूत में लण्ड का मज़ा पाकर जन्नत में घूम रही थी। उसे कोई फिकर नहीं थी कि उसके साथ आगे क्या होगा? कौन उसे अपनाएगा? उसका फ्यूचर क्या होगा? कुछ नहीं। कहते हैं ना… चूत की आग सारी बातें भुला देती है। वही हाल इस वक्त फ़िज़ा का था।
उस रात दोनों माँ-बेटी अमन से कितनी बार चुदी उन्हें खुद याद नहीं। पर तीनों बिल्कुल नंगे एक साथ सोये हुए थे। सुबह जब अमन की आँख खुली तो 8:00 बज रहे थे। वो तो अच्छा हुआ कि नींद की गोलियों का असर मलिक पे कुछ ज्यादा ही हुआ था, जोकि वो अब तक सोया हुआ था। अमन दोनों उठाता है, और खुद भी कपड़े पहनकर अपने घर चला जाता है, फ्रेश होने।
फ़िज़ा और रेहाना किचिन में काम करते हुए बात कर रहे थे-
फ़िज़ा-अम्मी, कितना अच्छा होगा अगर अमन हमेशा के लिये हमारे साथ रहे।
रेहाना-“हाँ, मैं भी यही चाहती हूँ, पर ये मुमकिन नहीं है बेटा…”
अमन नहाते हुए अपने लण्ड को देखने लगता है। उसके लण्ड के ऊपर का चमड़ा थोड़ा सा निकल गया था। अमन को थोड़ा सा दर्द भी होने लगा था। जोश-जोश में इंसान को होश नहीं रहता वो क्या कर रहा है? इतनी लगातार चुदाई से यही होना था बेटा अमन। वो दिल में सोचता है-“तुझे खुद पे थोड़ा काबू पाना होगा, वरना वो दिन दूर नहीं जब तेरा लण्ड उठने के काबिल भी नहीं रहेगा…” अमन ठान लेता है कि उसे किस तरह इन चुदक्कड़ औरतों को कंट्रोल करना है।
पर इस वक्त तो उसे फैक्टरी जाना था। वो बाथरूम से बाहर आता है। तभी रजिया का फोन आता है। और वो अमन को बताती है कि वो कल आएंगे, क्योंकी उसके नाना जान ने उन्हें रोक लिया है।
अमन-“ठीक है…” कहकर फोन रख देता है।
हुआ-“चलो अच्छा है, मेरे लण्ड का दर्द थोड़ा कम होगा इससे…” और अमन आगे आकर फ़िज़ा की गाण्ड पे जोर से थप्पड़ मारता है।
फ़िज़ा-“औउचह अह्म्मह…”
अमन फ़िज़ा की कमर पकड़कर थपाथप लगातार 5 से 6 जोरदार थप्पड़ मार देता है। जिससे फ़िज़ा की गाण्ड लाल हो जाती है, और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।
रेहाना-“आराम से जी, बच्ची है…”
अमन-“अच्छा बच्ची है… साली लण्ड तो किसी रंडी की तरह लेती है…” आज पता नहीं अमन को गालियाँ देने का बड़ा मन कर रहा था। शायद वो चाहता था कि ये दोनों माँ-बेटी पूरा उसकी मुट्ठी में आ जाएं।
रेहाना की बाहों में अभी भी फ़िज़ा लेटी हुई थी और रेहाना फ़िज़ा की गाण्ड सहला रही थी, वहाँ अमन ने थप्पड़ मारा था। फ़िज़ा हल्के-हल्के सिसकारियाँ भर रही थी। ये सब देखकर अमन का दिमाग़ घूम जाता है। आज इन दोनों को रंडी के तरह चोदना पड़ेगा। इसलिये अमन फ़िज़ा के बाल पकड़कर-“सुन… तेरी माँ के मुँह पे बैठ जा चूत खोलकर जल्दी…”
और फ़िज़ा उठकर रेहाना के मुँह पे बैठ जाती है, अपनी दोनों पैर खोलकर।
अमन-“रेहाना, चाट फ़िज़ा की चूत…” अमन रेहाना के पैर खोल देता है, और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पे रखकर अपना खड़ा लण्ड अंदर पेल देता है।
रेहाना-“अह्म्मह… आराम से, जान से मारेंगे क्या? उंन्ह…” और रेहाना अपनी चूत का गुस्सा, फ़िज़ा की चूत पे निकालती है, उसकी क्लिट को काटते हुए जिससे फ़िज़ा के जिस्म में झटका लगता है।
फ़िज़ा काफी देर से चुपचाप सब सुन रही थी। पर जैसे ही रेहाना ने उसकी चूत को काटा तो उसकी जोरदार चीख निकल गई-“अम्म्मी जी अह्म्मह… उंन्ह… अह्म्मह…”
अमन-“चुप करो अह्म्मह… अह्म्मह…” वो ताकत से रेहाना को चोदने लगता है।
रेहाना इतनी बेचैन थी सुबह से कि वो क्या करती? मुँह पे फ़िज़ा की चूत थी और चूत में अमन का मूसल लण्ड… बेचारी के मुँह से आवाज़ भी घुन-घुन की शकल में निकल रही थी।
अमन फ़िज़ा के बाल पकड़कर-“देख फ़िज़ा, तेरी अम्मी कैसे चुदती है मुझसे? देख साली इधर अह्म्मह…”
फ़िज़ा-“हाँ हाँ उंन्ह… अम्मी जी दर्द होता है?” फ़िज़ा आँखें फाड़े रेहाना को चुदते देख रही थी। ऐसा मंज़र शायद ही कोई लड़की सोच सकती हो कि उसके बड़े पापा का बेटा, उसका भाई, अपनी चाची को चोदे और वो लड़की अपनी चूत को अपनी अम्मी के मुँह पे रगड़ते हुए ये सब देखे। ये देख-देखकर फ़िज़ा की चूत पानी छोड़ने लगती है, वो सीधा रेहाना के मुँह में गिरने लगता है।
रेहाना-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह…”
इधर अमन के धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। रेहाना का भी पानी निकलने लगता है। पर रेहाना चुदक्कड़ औरत थी, वो कई बार झड़कर भी जल्दी से फिर से चुदने के लिये तैयार हो जाती थी। अमन अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है। वो जानता था कि रेहाना को दुबारा तैयार होने में थोड़ा वक्त लगेगा। वो फ़िज़ा को अपनी तरफ खींचते हुए उसे अपनी गोद में उठा लेता है।
फ़िज़ा-“उंन्ह…” अपनी पैर अमन की कमर पे लपेटते हुए उसकी बाहों में हाथ डाल देती है, जैसे कोई छोटा बच्चा अपने अब्बू के गले में प्यार से डालता है।
फ़िज़ा दुबली होने की वजह से आसानी से अमन से चिपक जाती है। दोनों एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे। अमन नीचे से अपना लण्ड फ़िज़ा की चूत के मुँह पे लगा देता है, और धक्का मार देता है।
फ़िज़ा-“अम्मी उंन्ह…” वो दूसरी बार अमन के लण्ड को ले रही थी। इस बार दर्द थोड़ा कम था और जोश बहुत ज्यादा। वो मचलने लगती है, सिसकने लगती है।
उसकी कमर रेहाना की तरफ थी। जिससे रेहाना भी देख रही थी कि कैसे अमन दनादन अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा है। उसे अमन की मर्दानगी पे फख्र होने लगता है। रेहाना दिल में “कितना गबरू जवान है। अमन, दो-दो औरतों को चोदकर भी नहीं थकता मेरा शेर और रेहाना अपनी चूत को रगड़ते हुए उसे तैयार करने लगती है।
फ़िज़ा-“उंन्ह… अम्मी, अमन से कहो ना धीरे-धीरे चोदें, मुझे दुखता है…”
अमन फ़िज़ा से-“कहाँ दुखता है फ़िज़ा बाजी?”
फ़िज़ा-“उंह्म्मह… चूत में अमन… बाजी भी बोलते हो और चोदते भी हो?” फ़िज़ा भी गंदी बातें सीखने लगी थी।
अमन फ़िज़ा को नीचे खड़ा कर देता है, और उसे बेड पे हाथ टिकाकर खड़ा कर देता है, और पीछे से चूत मारने लगता है-“आह्म्मह… उंन्ह…”
फ़िज़ा की चुचियाँ नीचे बेड के किनारे लटक रही थी और बाल खुले हुए थे। वो चुदते हुए अपनी अम्मी रेहाना की आँखों में देख रही थी। ना जाने क्यों उसे ऐसे चुद ना बड़ा अच्छा लग रहा था।
रेहाना फ़िज़ा की चुचियाँ मसलते हुए फ़िज़ा को चूमने लगती है-“तू ठीक तो है ना… बेटा…”
फ़िज़ा-“हाँ अंह्म्मह… धीरे अमन्ं उंन्ह… अह्म्मह…” वो भी रेहाना के होंठ को काटने लगती है और झड़ जाती है। फिर हान्फते हुए-“बाहर निकालो प्लीज़्ि अमन… उंन्ह…”
रेहाना अमन को देखते हुए-“बेटी मिली तो बीवी को भूल गये?”
अमन अपना लण्ड निकालकर रेहाना के मुँह में डालते हुए-“पहले चूस… ले मेरा और तेरी बेटी का पानी अह्म्मह…”
रेहाना-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प… वो तो यही चाहती थी। 5 मिनट तक लण्ड चूसने के बाद रेहाना अपने पैर खोल देती है, जैसे अमन को इनवाइट कर रही हो।
अमन रेहाना पे चढ़ जाता है, और उसको चूमते हुए चोदने लगता है। आज की रात भी कमाल थी। वहाँ अमन को नई चूत मिल गई थी वहीं रेहाना को ये डर सताने लगा था कि अमन उसके बजाए फ़िज़ा पे ज्यादा ध्यान ना दे बैठे? औरत तो आखीरकार औरत ही होती है।
वहीं फ़िज़ा इन सब बातों से अलग अपनी चूत में लण्ड का मज़ा पाकर जन्नत में घूम रही थी। उसे कोई फिकर नहीं थी कि उसके साथ आगे क्या होगा? कौन उसे अपनाएगा? उसका फ्यूचर क्या होगा? कुछ नहीं। कहते हैं ना… चूत की आग सारी बातें भुला देती है। वही हाल इस वक्त फ़िज़ा का था।
उस रात दोनों माँ-बेटी अमन से कितनी बार चुदी उन्हें खुद याद नहीं। पर तीनों बिल्कुल नंगे एक साथ सोये हुए थे। सुबह जब अमन की आँख खुली तो 8:00 बज रहे थे। वो तो अच्छा हुआ कि नींद की गोलियों का असर मलिक पे कुछ ज्यादा ही हुआ था, जोकि वो अब तक सोया हुआ था। अमन दोनों उठाता है, और खुद भी कपड़े पहनकर अपने घर चला जाता है, फ्रेश होने।
फ़िज़ा और रेहाना किचिन में काम करते हुए बात कर रहे थे-
फ़िज़ा-अम्मी, कितना अच्छा होगा अगर अमन हमेशा के लिये हमारे साथ रहे।
रेहाना-“हाँ, मैं भी यही चाहती हूँ, पर ये मुमकिन नहीं है बेटा…”
अमन नहाते हुए अपने लण्ड को देखने लगता है। उसके लण्ड के ऊपर का चमड़ा थोड़ा सा निकल गया था। अमन को थोड़ा सा दर्द भी होने लगा था। जोश-जोश में इंसान को होश नहीं रहता वो क्या कर रहा है? इतनी लगातार चुदाई से यही होना था बेटा अमन। वो दिल में सोचता है-“तुझे खुद पे थोड़ा काबू पाना होगा, वरना वो दिन दूर नहीं जब तेरा लण्ड उठने के काबिल भी नहीं रहेगा…” अमन ठान लेता है कि उसे किस तरह इन चुदक्कड़ औरतों को कंट्रोल करना है।
पर इस वक्त तो उसे फैक्टरी जाना था। वो बाथरूम से बाहर आता है। तभी रजिया का फोन आता है। और वो अमन को बताती है कि वो कल आएंगे, क्योंकी उसके नाना जान ने उन्हें रोक लिया है।
अमन-“ठीक है…” कहकर फोन रख देता है।