hotaks444
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रणवीर थोड़े दिन से लॅब से बाहर था. उसने और सोनिया ने कुछ दिन अपने लिए निकाल लिए थे. वो खुश था कि इन दिनों में कोई फोन वगेरह ना आया उसको डिस्टर्ब करने के लिए और उसने यह सारा वक़्त सोनिया के साथ बिताया. सोनिया भी खुश थी कि उसके बर्तडे पर उसको यह प्रेज़ेंट मिला. उसको यकीन था कि रणवीर को उसका बर्तडे याद नही रहेगा पर वो बहुत सर्प्राइज़्ड हुई जब रणवीर ने ना सिर्फ़ उसका बर्तडे याद रखा, बल्कि 2 दिन की छुट्टी भी ली थी. आज 2 दिन बाद वो दोनो फिर रेगिस्तान में पहुँच गये थे. रेगिस्तान की उस गर्मी में आज एक अजीब सी चुभन थी. किसी चीज़ के जलने की बू बहुत तेज़ आ रही थी. हेलिकॉप्टर से उतर कर रणवीर और सोनिया उस टीले के पास गये. पासवर्ड देने के बाद दरवाज़ा खुला लेकिन पूरा नही खुला. अंदर से बहुत ज़्यादा धुआँ बाहर निकला.
रणवीर का दिल उसके गले में आ गया. उसको किसी अनहोनी की आशंका होने लगी. उसने धक्का दे कर दरवाज़ा खोला तो अंदर का माहौल देख कर दंग रह गया. सारी मशीन्स टूटी पड़ी थी. इस लोहे को पिघलाने के लिए तो बहुत ज़्यादा गर्मी की ज़रूरत थी. हर एक कदम के साथ रणवीर का दिल और भारी हो रहा था. सोनिया का भी हैरत के मारे मूह खुले का खुला ही था. उसने साइड में जा कर सारे स्विच ऑन कर दिए. लाइट्स तो नही जली पर थोड़े से एग्ज़ॉस्ट फँस ऑन हो गये जिनसे वो धुआँ बाहर जाने लगा. चारों तरफ सिर्फ़ विनाश ही विनाश था. उनके साइंटिस्ट्स की बॉडी इधर उधर पड़ी हुई थी. कोई भी ज़िंदा नही लग रहा था. यह सब देख के सोनिया की आँखों में आँसू आ गये.
"यह क्या हो गया रणवीर"
"हिम्मत करो सोनिया. हमे मामले की तह तक जाना होगा. मुझे नही लगता कि यह किसी की ग़लती से हुआ है. यह पक्का किसी के अटॅक का नतीजा है. पर यहाँ कौन अटॅक करेगा."'
"सब बर्बाद हो गया रणवीर. इतने सालों की मेहनत..." कहकर सोनिया फूट फूट के रोने लगी. "कोई भी यहाँ ज़िंदा नही लगता रणवीर. इन बेचारों ने किसी का क्या बिगाड़ा था. यह क्यूँ हो गया"
"थोड़ी हिम्मत रखो सोनिया. मैं अभी सीसीटीवी रेकॉर्ड्स चेक करता हूँ. मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है"
रणवीर ने धीरे धीरे सारे केमरे चेक किए. उन सब की फीड या तो करप्टेड थी या कॅमरास खराब हो चुके थे. उसके पास अब देखने का कोई ज़रिया नही बचा था. तभी उसे याद आया कि उसने एक कमेरे का कंट्रोल्स सिर्फ़ अपने ऑफीस में ही रखा है. वो एक 360 डिग्रीस रिवॉल्विंग कॅमरा था जो पूरी लॅब में घूमता था पर नज़रों से ओझल था. रणवीर का ऑफीस भी एक कोने में दीवार के पीछे था. अगर पहली बार आओ तो वो दिखता नही था. दिल में थोड़ी सी होप ले कर वो अपने ऑफीस में गया और अपने कंप्यूटर पे बैठ गया. उसका ऑफीस बिल्कुल अनटच्ड था और यह पक्का था कि वहाँ कोई नही आया. कंप्यूटर स्टार्ट करके उसने सीधा केमरे की रेकॉर्डेड फीड को आक्सेस किया. जो उसने देखा वो किसी के भी होश उड़ा देने वाला मंज़र था. उसने देखा के 8 घंटे पहले एक आदमी लक के अंदर आया था. उस आदमी की शकल बिल्कुल रणवीर से मिलती थी. सिर्फ़ एक डिफरेन्स था कि वो रणवीर नही था. रणवीर ने देखा कि वो सीधा मास्टर कंप्यूटर पे गया और कुछ करने लगा. पर उसने शायद ग़लत पासवर्ड डाल दिया था.. फिर उस आदमी ने अपने फिंगरप्रिंट को पासवर्ड की तरह यूज़ करने की कोशिश करी लेकिन वो भी रिजेक्ट हो गया.
दो चार बार और कोशिश करने के बाद रणवीर ने देखा कि रसल उस आदमी के पास गया और उससे कुछ बात करने लगा. अनफॉर्चुनेट्ली यह कॅमरा आवाज़ें रेकॉर्ड नही करता था. पर रणवीर के लहज़े से सॉफ झलक रहा था कि उसको कोई शक्क नही था कि उसके सामने खड़ा शक्स रणवीर ही है. उसने रसल से कुछ कहा तो रसल ने खुद ही पासवर्ड डाल दिया और आदमी को घूर घूर के देखने लग गया. रणवीर के देखते ही देखते उस आदमी ने अपनी हथेली में पकड़ी एक डिस्क नुमा चीज़ उस मास्टर कंप्यूटर में डाल दी. रणवीर ने नोटीस किया कि जब वो डिस्क वो अपनी कलाई से निकाल रहा था तो एक डिस्क उसमें से निकल कर नीचे गिर गयी थी. लेकिन उस आदमी को शायद यह पता नही चला. रसल की आँखें हैरत में फटी की फटी रह गयीं थी. वो 2 कदम पीछे हुआ कि तभी उस आदमी ने अपना हाथ एक्सटेंड कर के रसल की गर्दन दबोच ली. उस आदमी का हाथ एक्सटेन हुए जा रहा था और रसल को एक कोने में ले कर जा रहा था. वो हाथ शायद अपने आप ही चल रहा था क्यूंकी उस आदमी की पूरी अटेन्षन उस मास्टर कंप्यूटर पे थी और दूसरा हाथ कीबोर्ड पे नाच रहा था. थोड़ी देर तक रसल स्ट्रगल करता रहा पर फिर उसने दम तोड़ दिया. वो हाथ वापस रिट्रॅक्ट हो कर उस आदमी के पास आ गया और अब वो दोनो हाथों से कीबोर्ड पे बटन दबा रहा था. तभी कुछ सेक्यूरिटी गार्ड्स आए और उन्होने गोलियाँ चलानी शुरू कर दी.
लेकिन वो गोलियाँ उस आदमी तक पहुँचने से पहले ही नीचे गिर गयी. अब उस आदमी ने अपना पूरा ध्यान उन सेक्यूरिटी गार्ड्स और बाकी साइंटिस्ट्स पे लगा दिया. उसके शरीर से 4 और "हाथ" निकल कर बाहर आ गये और इधर उधर की चीज़ें पकड़ कर उन्हे तोड़ने लगे. एक ने करेंट की वाइयर उखाड़ी और उसका एक एंड उस आदमी की बॉडी पे लगा दिया. अब उस आदमी के अंदर करेंट खून की तरह दौड़ने लगा था. वो हाथ बंदूक से निकली गोलियों की तरह करेंट को अपने हाथों के थ्रू सब पे मारने लगा. थोड़े ही समय में सारे साइंटिस्ट्स और सेक्यूरिटी गार्ड्स नीचे गिर गये. फिर वो आदमी आगे बढ़ा और हर कंप्यूटर और मशीन के पास गया. उसने अपनी टाँग में से एक अजीब सी एक्सटेन्षन निकाली जो हर एक मशीन में घुस जाती थी. मशीन ऑन होती और फिर थोड़ी देर में पिघलने लग जाती. शायद वो कुछ ढूँढ रहा था. अब चारों तरफ सिर्फ़ धुआँ ही धुआँ हो गया था. उसको भी शायद वो चीज़ मिल गयी थी जिसकी तलाश में वो आया था. उसने अपनी सारी एक्सटेन्षन्स वापस अंदर करी और फिर से रणवीर बन के लॅब से बाहर आ गया.
अब रणवीर ने फॉर्वर्ड कर के सारी फीड को चेक किया और उस समय पर रुक गया जहाँ से उसने और सोनिया ने एंटर किया था लॅब में. जो उसने देखा वो सच मुच कल्पना के परे था. यह कौन आदमी था, इसको लॅब की लोकेशन कैसे पता चली और इसके पास इतनी पवर्स कहाँ से आई... सबसे बड़ा सवाल था कि वो क्या इन्फर्मेशन ढूँढने आया है यहाँ. तभी उसको पीछे से सोनिया के सुबकने की आवाज़ आई. वो पीछे मुड़ा तो देखा के सोनिया उसके जस्ट पीछे खड़ी है. शायद उसने भी सब कुछ देख लिया था स्क्रीन पर.
"यह क्या हुआ रणवीर... कौन था यह आदमी" हैरत में आँसू टपकाते हुए उसने पूछा.
"सोनिया जितना तुम्हें पता है, उतना ही मुझे भी पता है. प्लीज़ थोड़ी देर डिस्टर्ब ना करो. मैं कोशिश करता हूँ कि कुछ इन्फर्मेशन निकाल पाऊँ. और प्ल्ज़ यह रोना धोना बंद करो. इससे कुछ हासिल नही होने वाला है. दुख मुझे भी है. पर अपने उपर काबू किया हुआ है. यू आर आ स्ट्रॉंग वुमन. प्लीज़ सम्भालो अपने आप को." रणवीर उठा और उस डिस्क को ढूँढने के लिए चल दिया जो उस आदमी में से गिरी थी
रणवीर को वो डिस्क ढूँढने में ज़्यादा मुश्किल नही हुई. रणवीर ने वो डिस्क उठाई और अपने कॅबिन में ले आया और उसको अपने कंप्यूटर में डाल दिया. डिस्क में जो था, वो उसकी समझ से परे था. उसको लगा कि शायद डिस्क खराब हो गयी है या उसमें कुछ था नही इसलिए नीचे फेकि गयी है क्यूंकी कंप्यूटर उस डिस्क के अंदर सिर्फ़ उल्टे सीधे लेटर्स ही पढ़ पा रहा था. उस आदमी के बारे में जान-ने की रणवीर की यह आखरी उम्मीद भी चली गयी. सोनिया के आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे. रणवीर उसके पास गया और उसको उठा के अपनी बाहों में भर लिया
"मत रो सोनिया. मत रो. मैं जानता हूँ कि जो कुछ भी हुआ अच्छा नही हुआ. लेकिन हम लोगों को इस मामले की तह तक पहुँचना ही होगा"
"कौन सा मामला रणवीर.. कुछ नही रहा अब.. सब कुछ तबाह हो गया.. कितनी जाने गयी है.. क्या हो गया यह रणवीर"
"बस सोनिया बस.. अगर तुम ही ऐसे टूट जाओगी तो मैं किसका सहारा लूँगा... यहाँ पे काम करता एक एक आदमी मेरे परिवार के जैसा था. इस डिज़ास्टर से उबरने के लिए हम दोनो को ही एक दूसरे का सहारा बनना पड़ेगा. प्ल्ज़ ऐसे मत टूटो"
"सही कह रहे हो रणवीर. मसला यह नही है कि यह किसने किया. यह है कि क्यूँ किया. क्यूँ उसने हमारी सालों की मेहनत का ऐसे सर्वनाश कर दिया..."
"हां सोनिया. और इस बात की तह तक पहुँचने के लिए हम दोनो को अपनी तरफ से पूरा ज़ोर लगाना पड़ेगा. अगर इस समय कोई भी पीछे हट गया तो मतलब यह किस्सा सॉल्व नही हो पाएगा. हम दोनो को एक दूसरे की ज़रूरत सब से ज़्यादा है अभी"
"मैं मानती हूँ रणवीर. लेकिन अब यहाँ रहने से कोई फ़ायदा नहीं है. चलो घर चलते हैं और डिसाइड करते हैं कि आगे क्या करना है" सोनिया ने अपने आप को संभालते हुए बोला. रणवीर भी उठ गया. वो जानता था कि जब तक इस जगह से दूर नही जाएगा, उसका दिमाग़ काम नही करेगा. उसने जाते जाते अपने कंप्यूटर से वो डिस्क भी निकाल ली और एक आखरी बार अपनी लॅबोरेटरी को जी भर के देख लिया. उसको यकीन था कि यह लॅब जहाँ उसने अपनी ज़िंदगी के 30 साल बिताए हैं, शायद ही उसके अंदर कभी वापस आएगा.
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"हां तो कल हम ने क्या पढ़ा था कौन सम्म्रिज़ करेगा... तुम... कल का चॅप्टर सम्म्रिज़ करो"
अपनी तरफ उंगली होते देख बिट्टू को बहुत गुस्सा आया. एक तो वो आज पहली बार क्लास में टाइम से पहुँचा था, उपर से उसको सवाल भी पूछ लिया.. "मेडम मैं तो कल क्लास में था ही नहीं. आपने ही तो बाहर निकाला था.. फिर भी मुझसे ही सवाल पूछ रही हो.. आप तो सच मच निर्दयी हो..."
"शट अप... कल क्लास में नही थे इसका यह मतलब नही है के क्या हुआ तुम वो भी नही पढ़ोगे"
"मेडम मेरे फ्रेंड का आक्सिडेंट हो गया था.. इसलिए नही पढ़ पाया.."
"रोज़ नया बहाना... कभी नींद नही खुली, कभी पेट दर्द... कभी सर दर्द.. क्या मज़ाक है यह..."
"मेडम पेट दर्द नही लूस मोशन... सर दर्द का बहाना तो कल करने वाला था"
"शट अप आंड गेट आउट ऑफ दा क्लास"
"काहे को मेडम??"
"जब तुम्हें कल का चॅप्टर नही पता तो आज क्या खाक करोगे" अब टीचर को भी बिट्टू की रोज़ रोज़ के बहानो से प्राब्लम होने लगी थी और यह बात उसके लहज़े में सॉफ झलक रही थी
"यह कहाँ का इंसाफ़ है मेडम... अगर आप किसी शादी में जाओ और स्टार्टर्स का टाइम चला गया हो तो क्या आप को खाना खिलाए बिना भेज दिया जाएगा?? बल्कि आपको तो ज़्यादा खाना खाना पड़ेगा"
"तुम्हें यह शादी लगती है? यह स्कूल है कोई तुम्हारे फ्रेंड्स का अड्डा नहीं जहाँ जब जहा जैसे चाहा आ गये. गेट आउट ऑर आइ विल नोट टीच दा क्लास फॉर फुल वीक"
रणवीर का दिल उसके गले में आ गया. उसको किसी अनहोनी की आशंका होने लगी. उसने धक्का दे कर दरवाज़ा खोला तो अंदर का माहौल देख कर दंग रह गया. सारी मशीन्स टूटी पड़ी थी. इस लोहे को पिघलाने के लिए तो बहुत ज़्यादा गर्मी की ज़रूरत थी. हर एक कदम के साथ रणवीर का दिल और भारी हो रहा था. सोनिया का भी हैरत के मारे मूह खुले का खुला ही था. उसने साइड में जा कर सारे स्विच ऑन कर दिए. लाइट्स तो नही जली पर थोड़े से एग्ज़ॉस्ट फँस ऑन हो गये जिनसे वो धुआँ बाहर जाने लगा. चारों तरफ सिर्फ़ विनाश ही विनाश था. उनके साइंटिस्ट्स की बॉडी इधर उधर पड़ी हुई थी. कोई भी ज़िंदा नही लग रहा था. यह सब देख के सोनिया की आँखों में आँसू आ गये.
"यह क्या हो गया रणवीर"
"हिम्मत करो सोनिया. हमे मामले की तह तक जाना होगा. मुझे नही लगता कि यह किसी की ग़लती से हुआ है. यह पक्का किसी के अटॅक का नतीजा है. पर यहाँ कौन अटॅक करेगा."'
"सब बर्बाद हो गया रणवीर. इतने सालों की मेहनत..." कहकर सोनिया फूट फूट के रोने लगी. "कोई भी यहाँ ज़िंदा नही लगता रणवीर. इन बेचारों ने किसी का क्या बिगाड़ा था. यह क्यूँ हो गया"
"थोड़ी हिम्मत रखो सोनिया. मैं अभी सीसीटीवी रेकॉर्ड्स चेक करता हूँ. मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है"
रणवीर ने धीरे धीरे सारे केमरे चेक किए. उन सब की फीड या तो करप्टेड थी या कॅमरास खराब हो चुके थे. उसके पास अब देखने का कोई ज़रिया नही बचा था. तभी उसे याद आया कि उसने एक कमेरे का कंट्रोल्स सिर्फ़ अपने ऑफीस में ही रखा है. वो एक 360 डिग्रीस रिवॉल्विंग कॅमरा था जो पूरी लॅब में घूमता था पर नज़रों से ओझल था. रणवीर का ऑफीस भी एक कोने में दीवार के पीछे था. अगर पहली बार आओ तो वो दिखता नही था. दिल में थोड़ी सी होप ले कर वो अपने ऑफीस में गया और अपने कंप्यूटर पे बैठ गया. उसका ऑफीस बिल्कुल अनटच्ड था और यह पक्का था कि वहाँ कोई नही आया. कंप्यूटर स्टार्ट करके उसने सीधा केमरे की रेकॉर्डेड फीड को आक्सेस किया. जो उसने देखा वो किसी के भी होश उड़ा देने वाला मंज़र था. उसने देखा के 8 घंटे पहले एक आदमी लक के अंदर आया था. उस आदमी की शकल बिल्कुल रणवीर से मिलती थी. सिर्फ़ एक डिफरेन्स था कि वो रणवीर नही था. रणवीर ने देखा कि वो सीधा मास्टर कंप्यूटर पे गया और कुछ करने लगा. पर उसने शायद ग़लत पासवर्ड डाल दिया था.. फिर उस आदमी ने अपने फिंगरप्रिंट को पासवर्ड की तरह यूज़ करने की कोशिश करी लेकिन वो भी रिजेक्ट हो गया.
दो चार बार और कोशिश करने के बाद रणवीर ने देखा कि रसल उस आदमी के पास गया और उससे कुछ बात करने लगा. अनफॉर्चुनेट्ली यह कॅमरा आवाज़ें रेकॉर्ड नही करता था. पर रणवीर के लहज़े से सॉफ झलक रहा था कि उसको कोई शक्क नही था कि उसके सामने खड़ा शक्स रणवीर ही है. उसने रसल से कुछ कहा तो रसल ने खुद ही पासवर्ड डाल दिया और आदमी को घूर घूर के देखने लग गया. रणवीर के देखते ही देखते उस आदमी ने अपनी हथेली में पकड़ी एक डिस्क नुमा चीज़ उस मास्टर कंप्यूटर में डाल दी. रणवीर ने नोटीस किया कि जब वो डिस्क वो अपनी कलाई से निकाल रहा था तो एक डिस्क उसमें से निकल कर नीचे गिर गयी थी. लेकिन उस आदमी को शायद यह पता नही चला. रसल की आँखें हैरत में फटी की फटी रह गयीं थी. वो 2 कदम पीछे हुआ कि तभी उस आदमी ने अपना हाथ एक्सटेंड कर के रसल की गर्दन दबोच ली. उस आदमी का हाथ एक्सटेन हुए जा रहा था और रसल को एक कोने में ले कर जा रहा था. वो हाथ शायद अपने आप ही चल रहा था क्यूंकी उस आदमी की पूरी अटेन्षन उस मास्टर कंप्यूटर पे थी और दूसरा हाथ कीबोर्ड पे नाच रहा था. थोड़ी देर तक रसल स्ट्रगल करता रहा पर फिर उसने दम तोड़ दिया. वो हाथ वापस रिट्रॅक्ट हो कर उस आदमी के पास आ गया और अब वो दोनो हाथों से कीबोर्ड पे बटन दबा रहा था. तभी कुछ सेक्यूरिटी गार्ड्स आए और उन्होने गोलियाँ चलानी शुरू कर दी.
लेकिन वो गोलियाँ उस आदमी तक पहुँचने से पहले ही नीचे गिर गयी. अब उस आदमी ने अपना पूरा ध्यान उन सेक्यूरिटी गार्ड्स और बाकी साइंटिस्ट्स पे लगा दिया. उसके शरीर से 4 और "हाथ" निकल कर बाहर आ गये और इधर उधर की चीज़ें पकड़ कर उन्हे तोड़ने लगे. एक ने करेंट की वाइयर उखाड़ी और उसका एक एंड उस आदमी की बॉडी पे लगा दिया. अब उस आदमी के अंदर करेंट खून की तरह दौड़ने लगा था. वो हाथ बंदूक से निकली गोलियों की तरह करेंट को अपने हाथों के थ्रू सब पे मारने लगा. थोड़े ही समय में सारे साइंटिस्ट्स और सेक्यूरिटी गार्ड्स नीचे गिर गये. फिर वो आदमी आगे बढ़ा और हर कंप्यूटर और मशीन के पास गया. उसने अपनी टाँग में से एक अजीब सी एक्सटेन्षन निकाली जो हर एक मशीन में घुस जाती थी. मशीन ऑन होती और फिर थोड़ी देर में पिघलने लग जाती. शायद वो कुछ ढूँढ रहा था. अब चारों तरफ सिर्फ़ धुआँ ही धुआँ हो गया था. उसको भी शायद वो चीज़ मिल गयी थी जिसकी तलाश में वो आया था. उसने अपनी सारी एक्सटेन्षन्स वापस अंदर करी और फिर से रणवीर बन के लॅब से बाहर आ गया.
अब रणवीर ने फॉर्वर्ड कर के सारी फीड को चेक किया और उस समय पर रुक गया जहाँ से उसने और सोनिया ने एंटर किया था लॅब में. जो उसने देखा वो सच मुच कल्पना के परे था. यह कौन आदमी था, इसको लॅब की लोकेशन कैसे पता चली और इसके पास इतनी पवर्स कहाँ से आई... सबसे बड़ा सवाल था कि वो क्या इन्फर्मेशन ढूँढने आया है यहाँ. तभी उसको पीछे से सोनिया के सुबकने की आवाज़ आई. वो पीछे मुड़ा तो देखा के सोनिया उसके जस्ट पीछे खड़ी है. शायद उसने भी सब कुछ देख लिया था स्क्रीन पर.
"यह क्या हुआ रणवीर... कौन था यह आदमी" हैरत में आँसू टपकाते हुए उसने पूछा.
"सोनिया जितना तुम्हें पता है, उतना ही मुझे भी पता है. प्लीज़ थोड़ी देर डिस्टर्ब ना करो. मैं कोशिश करता हूँ कि कुछ इन्फर्मेशन निकाल पाऊँ. और प्ल्ज़ यह रोना धोना बंद करो. इससे कुछ हासिल नही होने वाला है. दुख मुझे भी है. पर अपने उपर काबू किया हुआ है. यू आर आ स्ट्रॉंग वुमन. प्लीज़ सम्भालो अपने आप को." रणवीर उठा और उस डिस्क को ढूँढने के लिए चल दिया जो उस आदमी में से गिरी थी
रणवीर को वो डिस्क ढूँढने में ज़्यादा मुश्किल नही हुई. रणवीर ने वो डिस्क उठाई और अपने कॅबिन में ले आया और उसको अपने कंप्यूटर में डाल दिया. डिस्क में जो था, वो उसकी समझ से परे था. उसको लगा कि शायद डिस्क खराब हो गयी है या उसमें कुछ था नही इसलिए नीचे फेकि गयी है क्यूंकी कंप्यूटर उस डिस्क के अंदर सिर्फ़ उल्टे सीधे लेटर्स ही पढ़ पा रहा था. उस आदमी के बारे में जान-ने की रणवीर की यह आखरी उम्मीद भी चली गयी. सोनिया के आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे. रणवीर उसके पास गया और उसको उठा के अपनी बाहों में भर लिया
"मत रो सोनिया. मत रो. मैं जानता हूँ कि जो कुछ भी हुआ अच्छा नही हुआ. लेकिन हम लोगों को इस मामले की तह तक पहुँचना ही होगा"
"कौन सा मामला रणवीर.. कुछ नही रहा अब.. सब कुछ तबाह हो गया.. कितनी जाने गयी है.. क्या हो गया यह रणवीर"
"बस सोनिया बस.. अगर तुम ही ऐसे टूट जाओगी तो मैं किसका सहारा लूँगा... यहाँ पे काम करता एक एक आदमी मेरे परिवार के जैसा था. इस डिज़ास्टर से उबरने के लिए हम दोनो को ही एक दूसरे का सहारा बनना पड़ेगा. प्ल्ज़ ऐसे मत टूटो"
"सही कह रहे हो रणवीर. मसला यह नही है कि यह किसने किया. यह है कि क्यूँ किया. क्यूँ उसने हमारी सालों की मेहनत का ऐसे सर्वनाश कर दिया..."
"हां सोनिया. और इस बात की तह तक पहुँचने के लिए हम दोनो को अपनी तरफ से पूरा ज़ोर लगाना पड़ेगा. अगर इस समय कोई भी पीछे हट गया तो मतलब यह किस्सा सॉल्व नही हो पाएगा. हम दोनो को एक दूसरे की ज़रूरत सब से ज़्यादा है अभी"
"मैं मानती हूँ रणवीर. लेकिन अब यहाँ रहने से कोई फ़ायदा नहीं है. चलो घर चलते हैं और डिसाइड करते हैं कि आगे क्या करना है" सोनिया ने अपने आप को संभालते हुए बोला. रणवीर भी उठ गया. वो जानता था कि जब तक इस जगह से दूर नही जाएगा, उसका दिमाग़ काम नही करेगा. उसने जाते जाते अपने कंप्यूटर से वो डिस्क भी निकाल ली और एक आखरी बार अपनी लॅबोरेटरी को जी भर के देख लिया. उसको यकीन था कि यह लॅब जहाँ उसने अपनी ज़िंदगी के 30 साल बिताए हैं, शायद ही उसके अंदर कभी वापस आएगा.
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अपनी तरफ उंगली होते देख बिट्टू को बहुत गुस्सा आया. एक तो वो आज पहली बार क्लास में टाइम से पहुँचा था, उपर से उसको सवाल भी पूछ लिया.. "मेडम मैं तो कल क्लास में था ही नहीं. आपने ही तो बाहर निकाला था.. फिर भी मुझसे ही सवाल पूछ रही हो.. आप तो सच मच निर्दयी हो..."
"शट अप... कल क्लास में नही थे इसका यह मतलब नही है के क्या हुआ तुम वो भी नही पढ़ोगे"
"मेडम मेरे फ्रेंड का आक्सिडेंट हो गया था.. इसलिए नही पढ़ पाया.."
"रोज़ नया बहाना... कभी नींद नही खुली, कभी पेट दर्द... कभी सर दर्द.. क्या मज़ाक है यह..."
"मेडम पेट दर्द नही लूस मोशन... सर दर्द का बहाना तो कल करने वाला था"
"शट अप आंड गेट आउट ऑफ दा क्लास"
"काहे को मेडम??"
"जब तुम्हें कल का चॅप्टर नही पता तो आज क्या खाक करोगे" अब टीचर को भी बिट्टू की रोज़ रोज़ के बहानो से प्राब्लम होने लगी थी और यह बात उसके लहज़े में सॉफ झलक रही थी
"यह कहाँ का इंसाफ़ है मेडम... अगर आप किसी शादी में जाओ और स्टार्टर्स का टाइम चला गया हो तो क्या आप को खाना खिलाए बिना भेज दिया जाएगा?? बल्कि आपको तो ज़्यादा खाना खाना पड़ेगा"
"तुम्हें यह शादी लगती है? यह स्कूल है कोई तुम्हारे फ्रेंड्स का अड्डा नहीं जहाँ जब जहा जैसे चाहा आ गये. गेट आउट ऑर आइ विल नोट टीच दा क्लास फॉर फुल वीक"