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अगले दिन वो नीचे घूमने जाता है और दुसरे चौकीदार श्याम को बुलाता है.
लाला: तू किसी काम का नहीं बे. तुझे एक काम बोला था लेकिन तुझसे वो भी नहीं हुआ.
श्याम: साहब हमने बहुत कोशिश किया पता करने का लेकिन वो साला सलमान पीने के बाद भी बहुत कण्ट्रोल में रहता है. दिव्या मेमसाब का नाम लेते ही चुप हो जाता है लेकिन हाँ हमने उसको एक बार नशे में एक पेंटी में मुठ मारते देखा था और वो मुठ मारते मारते दिव्या मेमसाब का नाम भी ले रहा था.
लाला: क्या बोल रहा था.
श्याम: बोल रहा था की दिव्या तुम्हारे मम्मे कितने मुलायम है. तुम्हारी चूत कितनी नमकीन है. यही सब गन्दी बाते कर रहा था साब.
लाला: तो क्या उसने दिव्या के साथ सेक्स किया है?
श्याम: ये तो नहीं मालूम साहब लेकिन करना चाहता है ये पता है और वो पेंटी जरूर वो दिव्या मेमसाब के घर से चुरा लाया है.
लाला: चल बे चूतिये भाग यहाँ से.
कर्नल ऊपर आकर दिव्या के घर की बेल बजा देता है. दिव्या डोर ओपन करती है और कर्नल को देख कर चौंक जाती है.
लाला: दिव्या मैं तुमको शाम के फंक्शन के लिए न्योता देने आया हूँ. तुमको जरूर आना है.
दिव्या: अरे अंकल मैं फंक्शन में अकेले क्या करूंगी.
लाला: अकेले क्यों? मैं भी वहां रहूँगा और ऐसे ही तो सोसाइटी के लोगों से जान पहचान बढ़ेगी.
दिव्या: नहीं अंकल जब राजेश यहाँ होंगे तब अटेंड करूंगी सोसाइटी के फंक्शन.
लाला: नहीं नहीं तुमको आज आना ही होगा. रेणुका भी वहां होगी तो मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए होगी.
दिव्या: ओके मैं देखती हूँ.
लाला: थैंक्स दिव्या मैं तुमको आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान करता हूँ. सॉरी तुमको डिस्टर्ब किया लेकिन...
दिव्या: अरे नहीं अंकल ऐसी कोई बात नहीं है. आप अन्दर आइये न. कॉफ़ी पीजिये.
कर्नल भी अन्दर आ जाता है और दिव्या के बदन को अपनी आँखों से पीने लगता है. जब दिव्या उसको कॉफ़ी देने के लिए झुकती है तो वो उसके मम्मों की गहराईयों में खो जाता है.
दिव्या को भी एहसास होता है की कर्नल की निगाहे कहाँ है लेकिन दिव्या सोचती है की इतने वक़्त से ये आदमी अपनी बीवी के बिना रह रहा है तो जवान औरत को घूरना तो नार्मल बात है. कर्नल भी अपनी निगाहे हटा कर दूसरी तरफ कर लेता है.
लाला: तू किसी काम का नहीं बे. तुझे एक काम बोला था लेकिन तुझसे वो भी नहीं हुआ.
श्याम: साहब हमने बहुत कोशिश किया पता करने का लेकिन वो साला सलमान पीने के बाद भी बहुत कण्ट्रोल में रहता है. दिव्या मेमसाब का नाम लेते ही चुप हो जाता है लेकिन हाँ हमने उसको एक बार नशे में एक पेंटी में मुठ मारते देखा था और वो मुठ मारते मारते दिव्या मेमसाब का नाम भी ले रहा था.
लाला: क्या बोल रहा था.
श्याम: बोल रहा था की दिव्या तुम्हारे मम्मे कितने मुलायम है. तुम्हारी चूत कितनी नमकीन है. यही सब गन्दी बाते कर रहा था साब.
लाला: तो क्या उसने दिव्या के साथ सेक्स किया है?
श्याम: ये तो नहीं मालूम साहब लेकिन करना चाहता है ये पता है और वो पेंटी जरूर वो दिव्या मेमसाब के घर से चुरा लाया है.
लाला: चल बे चूतिये भाग यहाँ से.
कर्नल ऊपर आकर दिव्या के घर की बेल बजा देता है. दिव्या डोर ओपन करती है और कर्नल को देख कर चौंक जाती है.
लाला: दिव्या मैं तुमको शाम के फंक्शन के लिए न्योता देने आया हूँ. तुमको जरूर आना है.
दिव्या: अरे अंकल मैं फंक्शन में अकेले क्या करूंगी.
लाला: अकेले क्यों? मैं भी वहां रहूँगा और ऐसे ही तो सोसाइटी के लोगों से जान पहचान बढ़ेगी.
दिव्या: नहीं अंकल जब राजेश यहाँ होंगे तब अटेंड करूंगी सोसाइटी के फंक्शन.
लाला: नहीं नहीं तुमको आज आना ही होगा. रेणुका भी वहां होगी तो मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए होगी.
दिव्या: ओके मैं देखती हूँ.
लाला: थैंक्स दिव्या मैं तुमको आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान करता हूँ. सॉरी तुमको डिस्टर्ब किया लेकिन...
दिव्या: अरे नहीं अंकल ऐसी कोई बात नहीं है. आप अन्दर आइये न. कॉफ़ी पीजिये.
कर्नल भी अन्दर आ जाता है और दिव्या के बदन को अपनी आँखों से पीने लगता है. जब दिव्या उसको कॉफ़ी देने के लिए झुकती है तो वो उसके मम्मों की गहराईयों में खो जाता है.

दिव्या को भी एहसास होता है की कर्नल की निगाहे कहाँ है लेकिन दिव्या सोचती है की इतने वक़्त से ये आदमी अपनी बीवी के बिना रह रहा है तो जवान औरत को घूरना तो नार्मल बात है. कर्नल भी अपनी निगाहे हटा कर दूसरी तरफ कर लेता है.