desiaks
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अब वो मेरे अंदर अपनी ऊँगली चारो तरफ फिराते हुए मजे लेते कहने लगा, “अंदर तो मौसम बहुत गर्म हैं और गीला हैं।”
फिर उसने अपनी ऊँगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी। मेरी ना चाहते हुए भी सिसकिया निकलने लगी।
वो दोनों हँसने लगे और बोले “अब आया न मजा इसको भी।”
तभी मेरी सिसकिया सुनकर संजू उठ गया, अपना सर ऊपर उठाते हुए अमित पर चिल्लाया “अबे छोड़ ना अमित, उसको तेरे से नहीं कराना तो क्यों पीछे पड़ा हैं”
अमित ने अपनी ऊँगली मेरी चुत से बाहर निकाल दी। संजू अब उठ खड़ा हुआ। अमित ने मेरे हाथ और पाँव पर पकड़ भी छोड़ दी। पति ने भी मुझे छोड़ दिया। और अमित बिस्तर के कोने पर जाकर बैठ गया।
मैं भी अपने घुटने मोड़ कर बैठ गयी और अपने सीने से चिपका कर अपना मुँह घुटनो के बीच छुपा लिया।
संजू ने भाभी का हाथ पकड़ कर उनको भी उठाया और उनको बोला “चलो हम वाशरूम में खुद की थोड़ी सफाई करके आते हैं।”
अमित ने अपना कंडोम निकाल कर फेंक दिया जो भाभी पर यूज़ किया था। मैंने सर उठा के देखा, संजू और भाभी कमरे के बाहर निकल गए।
तभी अमित ने अब दूसरा कंडोम पहन लिया। मैं डर गयी उसके इरादे नेक नहीं लगते।
मैं सही थी, पर कुछ समझ पाती उससे पहले ही अमित पीछे मुड़ा और पति से बोला “संजू गया, अब लेते हे इसकी फिर से”।
उन दोनों ने मुझे फिर से पकड़ लिया, मैंने विरोध किया। उन्होंने मुझे घुटनो के बल बैठाया और मेरी पीठ को दबाते हुए मुझे मुँह के बल नीचे झुका दिया।
मेरा मुँह मास्क सहित बिस्तर से चिपका था और पति ने पीठ से दबा कर मुझे वहां चिपका ही रहने दिया।
अमित अब मेरे पिछवाड़े आ गया था और मेरे दोनों कूल्हो को अपने हाथों में भर लिया। उसका कड़क लंड रह रह के मेरे नितंबो को छू रहा था।
अब शायद वो घड़ी आ चुकी थी जब भाई बहन का रिश्ता तार तार होने वाला था। एक पाप होने वाला था। मेरी आँखों के सामने एक पिक्चर रील चल रही थी जिसमे मेरे पिछले सारे कांड चल रहे थे।
मैं आज जिस स्तिथि में थी उसकी जिम्मेदार शायद मैं ही थी। आँखों के सामने चलती हुई वो पिक्चर अचानक थम सी गयी, जब मैंने एक कड़क मांस का लोथड़ा मेरी चुत में धीरे धीरे घुसते हुए महसूस किया। मेरी दिल की धड़कने कुछ सेकंड्स के लिए रुक सी गयी थी। भाई बहन के रिश्ते पर दाग लगा गया था।
अमित का लंड पूरा अंदर तक आ गया था और मेरी बच्चे दानी को थपकी मारते हुए फिर धीरे धीरे बाहर आने लगा। पूरा बाहर आने से पहले ही वो रुक गया और एक बार फिर रगड़ करते हुए अंदर जाने लगा। मेरी रुकी धड़कने एक बार फिर चलने लगी।
मुझे उन दोनों की हंसी कही दूर से आती हुई सुनाई पड़ रह थी, जब की वो दोनों मेरे पास ही बैठे थे।
अमित मुझे पीछे से जोर जोर से चोद रहा था और लाचारी में मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया “बहनचोद”। जो कि एक कड़वा सत्य भी था।
गाली सुन उसको ओर जोश आ गया और वो ओर भी जोर के झटके मारने लगा।
फिर उसने अपनी ऊँगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी। मेरी ना चाहते हुए भी सिसकिया निकलने लगी।
वो दोनों हँसने लगे और बोले “अब आया न मजा इसको भी।”
तभी मेरी सिसकिया सुनकर संजू उठ गया, अपना सर ऊपर उठाते हुए अमित पर चिल्लाया “अबे छोड़ ना अमित, उसको तेरे से नहीं कराना तो क्यों पीछे पड़ा हैं”
अमित ने अपनी ऊँगली मेरी चुत से बाहर निकाल दी। संजू अब उठ खड़ा हुआ। अमित ने मेरे हाथ और पाँव पर पकड़ भी छोड़ दी। पति ने भी मुझे छोड़ दिया। और अमित बिस्तर के कोने पर जाकर बैठ गया।
मैं भी अपने घुटने मोड़ कर बैठ गयी और अपने सीने से चिपका कर अपना मुँह घुटनो के बीच छुपा लिया।
संजू ने भाभी का हाथ पकड़ कर उनको भी उठाया और उनको बोला “चलो हम वाशरूम में खुद की थोड़ी सफाई करके आते हैं।”
अमित ने अपना कंडोम निकाल कर फेंक दिया जो भाभी पर यूज़ किया था। मैंने सर उठा के देखा, संजू और भाभी कमरे के बाहर निकल गए।
तभी अमित ने अब दूसरा कंडोम पहन लिया। मैं डर गयी उसके इरादे नेक नहीं लगते।
मैं सही थी, पर कुछ समझ पाती उससे पहले ही अमित पीछे मुड़ा और पति से बोला “संजू गया, अब लेते हे इसकी फिर से”।
उन दोनों ने मुझे फिर से पकड़ लिया, मैंने विरोध किया। उन्होंने मुझे घुटनो के बल बैठाया और मेरी पीठ को दबाते हुए मुझे मुँह के बल नीचे झुका दिया।
मेरा मुँह मास्क सहित बिस्तर से चिपका था और पति ने पीठ से दबा कर मुझे वहां चिपका ही रहने दिया।
अमित अब मेरे पिछवाड़े आ गया था और मेरे दोनों कूल्हो को अपने हाथों में भर लिया। उसका कड़क लंड रह रह के मेरे नितंबो को छू रहा था।
अब शायद वो घड़ी आ चुकी थी जब भाई बहन का रिश्ता तार तार होने वाला था। एक पाप होने वाला था। मेरी आँखों के सामने एक पिक्चर रील चल रही थी जिसमे मेरे पिछले सारे कांड चल रहे थे।
मैं आज जिस स्तिथि में थी उसकी जिम्मेदार शायद मैं ही थी। आँखों के सामने चलती हुई वो पिक्चर अचानक थम सी गयी, जब मैंने एक कड़क मांस का लोथड़ा मेरी चुत में धीरे धीरे घुसते हुए महसूस किया। मेरी दिल की धड़कने कुछ सेकंड्स के लिए रुक सी गयी थी। भाई बहन के रिश्ते पर दाग लगा गया था।
अमित का लंड पूरा अंदर तक आ गया था और मेरी बच्चे दानी को थपकी मारते हुए फिर धीरे धीरे बाहर आने लगा। पूरा बाहर आने से पहले ही वो रुक गया और एक बार फिर रगड़ करते हुए अंदर जाने लगा। मेरी रुकी धड़कने एक बार फिर चलने लगी।
मुझे उन दोनों की हंसी कही दूर से आती हुई सुनाई पड़ रह थी, जब की वो दोनों मेरे पास ही बैठे थे।
अमित मुझे पीछे से जोर जोर से चोद रहा था और लाचारी में मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया “बहनचोद”। जो कि एक कड़वा सत्य भी था।
गाली सुन उसको ओर जोश आ गया और वो ओर भी जोर के झटके मारने लगा।