Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला - Page 16 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला

धीरज भैया मेरी चूत में तेज़ी से अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर कर रहे थे, और अपनी उंगलियों से मुझे छोड़ रहे थे. वो अपने होंठों से मेरे छूट के दाने को चूस रहे थे, और जीभ से उसको सहला रहे थे. मैं हाँफ रही थी, और काँप रही थी, गुर्रा रही थी. मैं झडने के लिए तय्यार हो रही थी, और बस किसी भी वक़्त मेरी चूत से पानी निकलने ही वाला था. 


मैने अपना ध्यान भैया के लंड पर लगाना शुरू कर दिया. उनका लंड तो इसका इंतेजार ही कर रहा था, और मेरे खुले हुए मूँह से बस कुछ ही इंचों की दूरी पर था. मैं भैया के लंड को उत्सुकता से चाटने लगी. मैने अपना हाथ उनके लंड से हटा कर उनके पैर पर रख दिया. अब मेरे दोनो हाथ उनके पैरों का सहारा ले रहे थे. तो अब ऐसा कुछ भी रखने की चीज़ नही थी, जो रोक पाती कि भैया का लंड मेरे मूँह में कितना अंदर तक घुसेगा. 

लेकिन मुझे अब कोई फिकर नही थी.

धीरज भैया की जीभ जल्दी जल्दी मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए रगड़ रही थी, और तभी उन्होने अपनी तीसरी उंगली मेरी चूत में घुसा दी. मैं अपना सिर आगे करते हुए, ज़ोर से कराही. मुझे सुपाडे को मूँह में भरते हुए थोड़ी भी झिझक नही हुई. भैया का लंड मेरे मूँह में 3-4 इंच अंदर घुस कर मेरे गले तक पहुँच चुका था, और मैं गूणगूँग की आवाज़ निकाल रही थी. किसी तरह मैने आप को थोड़ा पीछे किया. मैने लंड को अपने मूँह में से पूरा नही निकलने दिया, और फिर आगे बढ़कर उसको अंदर ले लिया.

भैया ने अपनी चौथी उंगली मेरी चूत में घुसा दी, मैं एक ज़ोर की साँस ली. अब चार उंगलियों के साथ, करीब करीब लंड वाला साइज़ ही बन चुका था. बस फरक इतना था कि वो उंगलियों को मेरी चूत में डाल के फैला सकते थे. वो उनको मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे, मानो मेरी चुदाई कर रहे हो. 

मैं भी भैया के लंड को जल्दी जल्दी अपने मूँह में अंदर बाहर करने लगी. मेरा शरीर काँप रहा था, और मुझे पसीने आ रहे थे. मेरे शरीर के निचले हिस्से में तो मानो तूफान आ रखा था. मेरे पूरे बदन में आग लगी हुई थी. मैं किसी भी वक़्त झड सकती थी. मैने अपने हाथों से सहारा लेकर अपने आप को स्थिर किया, और फिर अपने मूँह से लंड को चोदने लगी. भैया का लंड जल्दी जल्दी मेरे होंठों के अंदर बाहर हो रहा था. वो मेरी चूत में मूँह घुसाए हुए ही कराह रहे थे, और मैं उनका लंड अपने मूँह में लेकर.

तभी कुछ विस्फोट सा हुआ. मुझे पता नही, पहले कहाँ हुआ.

मेरा शरीर अकड़ने लगा. मैं झड रही थी. मुझे पता भी नही चला ये कब हुआ. एक सेकेंड पहले वो शुरू हुआ, और अगले ही पल मेरे सारे शरीर पर इसका असर होने लगा, मेरे पूरे बदन में अजीब सी गुदगुदी होने लगी. उसी वक़्त भैया का शरीर ज़ोर से काँपने लगा. मैं अपने होंठ उनके लंड पर दबा रही थी, और वो अपने हिप्स से मेरी तरफ धक्का मारने लगे, जिस की वजह से उनका लंड मेरे मूँह में पहले से ज़्यादा अंदर घुसने लगा. उनका लंड अपनी पूरी लंबाई का करीब आधा मेरे मूँह में घुस गया था, तभी उस में से निकली पिचकारी मेरे गले के पिछले हिस्से से जा टकराई.

भैया के लंड से निकली पिचकारी के लिए मैं तय्यार नही थी, और मेरी साँस एक दम रुक गयी. लेकिन उस घबराहट को उसी समय मेरे झडने ने काफ़ी हद काबू में कर लिया, और मैं गहरी साँसें लेने लगी. अपने हाथों से भैया के पैरों का सहारा लेते हुए मैने भैया के लंड से अपने चेहरे को दूर कर लिया. जैसे ही लंड का सुपाड़ा मेरे मूँह में से निकला, उसके छेद में से एक और जोरदार धार निकली. वो धार मेरी आँखों पर गिरी, और मैने अपनी आँखें बंद कर ली. अब भैया के लंड से निकला वीर्य मेरे पूरे चेहरे पर से टपक रहा था. 

मेरे शरीर में आनंद का तूफान आया हुआ था, तभी मैने खांस कर अपने गले को सॉफ किया. मैं काँप रही थी. खाँसते हुए भी मेरी आहें निकल रही थी. धीरज भैया की जीभ अभी भी मेरी चूत के दाने को सहला रही थी, हालाँकि अब उन्होने मेरी चूत में अपनी उंगलियों की हरकत बंद कर दी थी, लेकिन उंगलियाँ अभी भी मेरी चूत में ही घुसी हुई थी. 


जैसे ही मैने अपना सिर घुमाया, तभी धीरज भैया की आहह सुनाई दी, और तभी उनके लंड से एक और पिचकारी निकली. उसके गरम गरम पानी ने मेरे चेहरे को और गीला कर दिया. मैं अपनी आँख भी नही खोल पा रही थी. मेरे गाल तरबतर हो रहे थे. लेकिन मुझे इसकी कोई फिकर नही थी. जैसे जैसे मैं झडने के बाद नॉर्मल होने लगी, मेरा शरीर काँपने लगा. मेरा दिल अभी भी जोरों से धड़क रहा था. 

भैया ने मेरी चूत के दाने को एक बार फिर से चाटा, और फिर वहाँ से अपना चेहरा हटा लिया. जहाँ पर भैया चूस रहे थे, चूत का वो हिस्सा फड़कने लगा. मैने मूँह खोल कर एक गहरी साँस ली. जैसे ही मैने मूँह खोला, भैया के लंड से एक और पिचकारी निकली, और मेरी जीभ पर आ गिरी, एक दम मैं थोड़ा हिचकिचाई. मैने उसको बिना कुछ सोचे, पूरा अंदर निगल लिया. वो वाकई में.... यम्मी था.

झडने के बाद नॉर्मल होते हुए, मेरे पूरा शरीर में चीटियाँ सी चल रही थी. भैया मेरी चूत के द्वार से सामने ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे, और उनका सिर मेरी जाँघ पर रखा हुआ था. मैने अपना चेहरा बेड की बाड़शीट से घिस कर पोछा, और फिर अपनी आँखें खोली. मैं भैया के अपने आप सलामी देते हुए लंड को देखने लगी, कि कहीं इसमे से वीर्य की और धार तो नही निकल रही. लेकिन वैसे कुछ नही था. जैसे ही मैने लंड को एक आख़िरी बार चूसा, भैया काँप उठे.

एक मिनिट को मैं भैया के पिछवाड़े को निहारने लगी. मैं भैया के शरीर की बनावट को अपनी आँखों में क़ैद करने लगी, और उनकी गान्ड की नाज़ुक गोलाईयों को नोट करने लगी. वाकई में भैया का बदन पर्फेक्ट था. मैं भैया के बदन से प्यार करने लगी थी. मैं.... भैया से प्यार करने लगी थी.

जैसे जैसे मेरा दिमाग़ कड़ियों को जोड़ने का प्रयास कर रहा था, मेरा शरीर अकड़ने लगा. मैं भैया के प्यार में डूबती जा रही थी. मैं भैया के प्यार में डूब चुकी थी. और मैं अब भैया के बिना जीने की कल्पना भी नही कर सकती थी. इस सब में खुशी और दुख दोनो का मिश्रित भाव था, और मैं थोड़ा परेशान हो गयी. मैं हँसना नही चाहती थी, और साथ में रोना भी. मैं भैया से दूर नही होना चाहती थी. ये सोचकर मैं सोचने लगी कि भैया को खोने की बात सोचकर ही मुझे डर लगने लगा है. 

मुझे नही मालूम था, कि सब कैसे संभव हो पाएगा. मैने जीवन में पहली बार किसी बाय्फ्रेंड के साथ अपनी लाइफ के भविश्य के बारे में सोच रही थी, लेकिन ये भी असंभव लग रहा था. और हां, मैं भैया को बाय्फ्रेंड के रूप में ही देख रही थी. वाकई में मुझे ऐसा ही लग रहा था, और हम दोनो की फीलिंग्स शायद एक जैसी थी. जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से हम दोनो आपस में बात कर रहे थे. और अब ये दिमाग़ के सारे पेंच हिला देने वाला सेक्स.

भैया ने विंडो को थोड़ा खटखटाया, और मेरी विचार तंद्रा टूट गयी. मैने जैसे ही अपना सिर हिलाया, और तभी भैया ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया. 
 
मैने अपना सिर भैया की छाती पर रख दिया, और तब मुझे महसूस हुआ कि भैया रो रहे हैं. उन्होने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और पूछा, “क्या सोच रही थी, संध्या?”

"मैं...,"जैसे ही मैने कुछ कहना शुरू किया.

"मैं क्या" भैया ने पूछा.

मैने उपर उनके चेहरे की तरफ देखा, मेरे गालों पर पानी और आँसू दोनों टपक रहे थे. “मैं आपको खोना नही चाहती,” मैं फुसफुसाई.

उन्होने ने मुझे और ज़ोर से जकड लिया, और फुसफुसाए, “तो फिर मुझे कभी जुदा मत करना."

मैने भैया की छाती से सिर टिकाए हुए ही, हामी में अपनी गर्दन हिला दी. हम दोनो बारी बारी से नहाए, पहले भैया और फिर मैं. और फिर जल्दी से अपने कपड़े पहन कर मेरे रूम में एक ही बिस्तर पर मियाँ बीवी की तरह चिपक कर सो गये.

अगली सुबह जब मेरी आँख खुली, तो मैने अपने आप को भैया से चिपके हुए पाया. भैया शायद पहले ही जाग चुके थे, और उन्होने मुझे अपने से चिपका कर सुला रखा था. 

मैने उठकर बेड पर बैठते हुए ही भैया से पूछा, “भैया, क्या हम सारी जिंदगी ऐसे ही नही रह सकते?”

धीरज भैया ने मेरी तरफ देखा और कुछ नही बोले. फिर उन्होने अपना हाथ बढ़ाकर मेरी ठोडी को पकड़ा, और हां में गर्दन हिलाते हुए बोले, “मैं भी ऐसा ही चाहता हूँ.”

जिस तरह से हम दोनो भाई बेहन इस तरह की बातें कर रहे थे, पूरे रूम का माहौल रोमॅंटिक और कामुक हो गया था. मैने भैया से कहा, “चलो भैया, थोड़ी बातें करते हैं ,और हम दोनो एक दूसरे को और ज़्यादा बेहतर जानने की कोशिश करते हैं, पहले मैं एक सवाल पूछूंगी फिर आप.” भैया इसके लिए तुरंत तयार हो गये.

मैने अपना पहला सवाल पूछा, “भैया क्या आप बहुत ज़्यादा मूठ मारते हो?”

"हां, कभी कभी," वो बोले. "अभी पिछले कुछ दिनों से कुछ ज़्यादा मारने लगा हूँ, लेकिन इतना ज़्यादा भी नही, मैं इस बात का ख़ास ध्यान रखता था, कि कहीं तुम मुझे ऐसा करते हुए पकड़ ना लो."

"ओह. बहुत अच्छे," मैं बोली.

"इसमे बहुत अच्छे वाली कौन सी बात है?" भैया ने पूछा.

"क्यों कि मैने एक रात तुम को नींद में झडते हुए देखा था, और वहीं से हम दोनो के बीच इस सब की शुरूवात हुई,” मैं धीरे से बोली.

भैया उठ कर सीधे होकर बैठ गये, “क्या, कब , क्या देखा तुमने?”उन्होने पूछा.

"पता नही. मुझे आपकी आवाज़ सुनाई दी, आप कराह रहे थे. इसलिए मैने सोचा देखूं ये कैसी आवाज़ है, और मुझे लगा आप कोई सपना देख रहे थे. और फिर आप झड गये," मैने बताया.

"तुमको कैसे मालूम की मैं झड गया था?" भैया ने पूछा.

"उः, क्योंकि मैने आपके बॉक्सर्स पर गीला गोल निशान देखा था? उसका तो सॉफ सॉफ वो ही मतलब था," मैं बोली. मैं कंबल ओढकर थोड़ा सकुचाते हुए बेड पर बैठ गयी.

"वाउ, मुझे नही मालूम था. लेकिन जब मैं झड रहा था तो तुम वहाँ पर कर क्या रही थी?" भैया ने पूछा.

"बताया ना, मैने अपने रूम में आपकी आवाज़ सुनी थी. मुझे उत्सुकता हुई कि क्या हो रहा है, इसलिए मैं जानने के लिए बाहर निकल आई," मैं जल्दी से जवाब दिया. मुझे नही मालूम था कि मुझे कितना और क्या स्वीकार करना चाहिए.

"और फिर क्या हुआ?" उन्होने पूछा.

मैने भैया की तरफ देखा, वो मुझे ही घूर रहे थे. मैं आगे बोली, “मैं सोफे के पास खड़े होकर आपको देखती रही. आप नींद में ही कराह रहे थे, इसलिए मैं चुपचाप खड़े होकर आपको देखती रही. और फिर...”

"..और फिर क्या?" भैया ने साँस रोक कर पूछा.

"...और फिर मैने आप को झडते हुए देखा. और जब आप झडे तो आपके बॉक्सर गीला हो गया. और एक तरह से...," मेरी आवाज़ लड़खड़ाने लगी.

"एक तरह से क्या?" भैया ने पूछा.

मैने थोड़ा खांस कर गला सॉफ किया और बोली, "और एक तरह से वो सब देख कर मैं भी थोड़ा थोड़ा गरम होने लगी. थोड़ा नही शायद बहुत ज़्यादा."

भैया मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दिए. मैने अपनी आँखें बंद की, और तकिये के उपर बेड का सहारा लगाकर बैठ गयी. मेरी आँखों में सब कुछ घूमता हुआ नज़र आ रहा था. लेकिन मैं नही चाहती थी, कि मेरी और भैया की बातें इतनी जल्दी ख़तम हो जायें. मुझे भैया से इस तरह सवाल जवाब करने में बहुत मज़ा आ रहा था.

"अब आपकी बारी," मैं धीरे से बोली.

"ओके. मुझे थोड़ा सोचने दो," वो बोले और मैने सहमति से अपनी गर्दन हिला दी, जिस से वो थोड़ा सोचकर विचार कर सकें. आख़िर कार उन्होने पूछा, “ओके, क्या तुम भी बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन करती हो?"

मैने कंधे उँचका कर कहा, "हां, कभी कभी."

"ठीक है," वो बोले. "अब तुम्हारी बारी है."

मैं एक मिनिट सोचती रही, फिर मेरे दिमाग़ में कुछ विचार आया, और मैने पूछा, “आप को ज़्यादा क्या अच्छा लगता है, हाथ से करवाना या मूँह से चुसवाना?”

"कहना थोड़ा मुश्किल है. वैसे आज तक ज़्यादा चुसवाने का मौका ही नही मिला. लेकिन फिर भी मुझे तो दोनो में बराबर ही मज़ा आता है, और अगर दोनो एक साथ मिले तब तो बहुत ही ज़्यादा मज़ा आता है," वो बोले.

मैने सहमति से अपनी गर्दन हिलायाई और बोले, "ये तो आप सही कह रहे हो."

"अब मेरी बारी," वो बोले. भैया भी तकिये का सहारा लगाकर बेड पर बैठ गये, और कुछ देर सोचकर बोले, "क्या तुम को चूसने में मज़ा आता है?"

"शायद इस का जवाब मेरे पास नही है, क्यों कि इस का मुझे ज़्यादा तजुर्बा नही है," मैने जवाब दिया.

"चलो ठीक है, मैं इस को दूसरी तरीके से पूछता हूँ. जब तुमने मेरा चूसा तो क्या तुमको मज़ा आया?" उन्होने पूछा.

मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, और हां में अपनी गर्दन हिला दी. "सच में, बहुत मज़ा आया," मैने फुसफुसाते हुए कहा.


जब भैया एक मिनट तक कुछ नही बोले, तो मैने अपनी आँखें खोल कर देखा. मेरी आँखों के सामने अब भी सब कुछ घूम रहा था. भैया मेरी तरफ ही देख रहे थे. “तुमको किस चीज़ में सबसे ज़्यादा मज़ा आया?”

"पता नही. शायद, उसको अपने मूँह में महसूस करने बहुत मज़ा आया," मैं स्वीकार करते हुए बोली. मुझे विश्वास नही हो रहा था, कि मैं अपने सगे बड़े भाई से इस तरह की बातें बिल्कुल बेशरम होकर कर रही हूँ. लेकिन अच्छा ही था, हम दोनो बेझिझक होकर आपस में बातें कर रहे थे. 

"क्या अच्छा महसूस किया? मेरा लंड, या फिर... तुम समझ रही हो ना," वो बोले.
 
मेरा दिमाग़ घूम रहा था, मैने भैया की तरफ देखा, मेरे बदन में भी कुछ कुछ होने लगा था, मैं गरम होने लगी थी. मैने उनकी लंड की जगह नज़र डाली, उसने अब भी खड़ा होकर, पाजामे में टेंट बना रखा था. “आपके वीर्य का पानी, ये ही कहना चाह रहे थे ना?” मैने पूछा.

भैया ने हां में अपनी गर्दन हिलाई और बोले, "हाँ, क्या वो ज़्यादा अच्छा लगा?"

"नही" मैं बोली. "मुझे आपके लंड को अपने मूँह में महसूस करना बहुत ज़्यादा अच्छा लगा, जब मैं उसको चूस रही थी." इस तरह भैया के सामने बोलने के बाद, मेरा फिर से उसको चूसने का मन करने लगा. ऐसा आज पहली बार हुआ था.

मेरे शब्दों का शायद भैया पर भी असर हुआ था. उन्होने बेड पर अपने बैठने की पोज़िशन ठीक की, और हाथ से अपने लंड को पाजामें में ढंग से सेट किया. “बहुत गरम हो रहा है...मेरा ये,” उन्होने एक गहरी साँस लेते हुए बोला.

मैं थोड़ा सा भैया की तरफ झुकी, और उनकी तरफ देखा, “हां, मुझे पता चल रहा है," मैं बोली.

"और मेरे लंड से निकला वीर्य का पानी?" भैया ने पूछा.

"हां तो उसका क्या?" मैने पूछा.

"क्या तुमको वो.... अच्छा लगा?" भैया ने धीरे से सवाल किया.

"लेकिन अब तो मेरे सवाल करने की बारी है?" मैं बोली.

"ओह, हां. सॉरी, तुम पूछो," भैया ने माफी भरे लहजे में कहा.

मैने एक मिनट सोचा, और कोई दूसरी तरह का सवाल सोचने लगी. लेकिन मेरा ध्यान भैया के लंड के उपर से हट ही नही रहा था. मैं भैया के लंड को ही एक तक देख रही थी. फिर मैं फुसफुसा कर बोली, “मुझे आपका ये बहुत अच्छा लगा. जैसे मैने सोचा था उस से भी कहीं ज़्यादा अच्छा. मैने पहली बार जो किया था, उस से ये कहीं बहुत बेहतर और अलग था.”

"क्या अलग था?" भैया ने पूछा.

मैने अपने कंधे उचकाये और बोली, "उस लड़के का बहुत कड़वा लगा था. मैं अंदर निगल ही नयी पाई. और फिर उसके बाद मैने उसको अपने मूँह में दोबारा नही लिया."

"और मेरे वाले का टेस्ट कैसा था?" उन्होने उत्सुकता से पूछा.

मुझे भैया के वीर्य का स्वाद अच्छी तरह से अभी भी याद था. मैं धीरे से बोली, “आपका तो थोड़ा सा स्वीट था, लेकिन ज़्यादा नही. वो भी थोड़ा कड़वा था, लेकिन ज़्यादा स्ट्रॉंग नही. मुझे लगता है, इसका जनरली टेस्ट ऐसा ही होता होगा. लेकिन फिर भी यदि कंपेर करना हो तो उस लड़के का टेस्ट ऐसा था जैसे ब्लॅक कॉफी पी रहे हो, और आप वाले का ऐसा जैसे कि नॉर्मल दूध वाली कॉफी.”

धीरज भैया मेरी बातों को सुनकर हँसने लगे, मैं भी थोड़ा सा हँसी. मैने भैया के लंड को देखते हुए, अपने होंठों पर जीभ फिराई. अब जिस तरह से हम दोनो खुल कर बातें कर रहे थे, मेरे फिर से भैया के लंड को चूसने का मन कर रहा था.

"मेरे ख्याल से अब तुम्हारी बारी है," धीरज भैया एक गहरी साँस लेते हुए बोले.

मैने उनके चेहरे की तरफ देखा, उनकी आँखें बंद थी, और वो थोडा परेशान लग रहे थे. मैने पूछा, “भैया क्या आपका मन कर रहा है, आपका अभी भी खड़ा हुआ है?”

भैया ने हां में गर्दन हिलाई और बोले, “हां.”

"एक से दस तक के स्केल पर आपका कितना मन कर रहा है?" मैने पूछा. मैं थोड़ा सा उठकर अपने घुटनो पर बेड पर ही बैठ गयी. मुझे आभास भी नही हुआ, कि मैं कब उस पोज़िशन में जा पहुँची. फिर मैं धीरे से भैया की तरफ बढ़ी, मेरी नज़र लगातार भैया के लंड पर ही टिकी थी.

भैया ने फुसफुसाकर जवाब दिया, “पंद्रह.”

जैसे ही मैने उनके घुटनों को छूआ वो ठिठक गये, और फिर हल्का सा कराह उठे. मैने भैया के चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा, “मैं उसको देख सकती हूँ?”

धीरज भैया ने अपना हाथ नीचे लेजाकर बिना झिझक के, अपने पाजामे के नाडे को खोला. मैने उनकी सहायता करते हुए, उनको पाजामे और बॉक्सर्स को एक साथ टाँगों में से निकालने में उनकी मदद की. भैया का लंड अब पूरी तरह से स्वतन्त्र होकर, दोनो टाँगों के बीच सलामी मारने लगा. मैं उसको घूर कर देखने लगी, और उसके शेप और साइज़ को निहारने लगी. वो वाकई मैं बहुत मस्त था.

"मुझे आपका ये लंड बहुत अच्छा लगता है," मैं बोली. फिर मैने अपना एक हाथ बढ़ाकर उसको अपनी मुट्ठी में भर लिया. भैयआ के मूँह से आहह निकल गयी. मैं खिसक कर भैया के और नज़दीक आ गयी.

मैं भैया के लंड की बनावट को गौर से देखने लगी. उनका लंड तीन अलग अलग सेक्षन्स में बनता हुआ था. नीचे जड़ से उपर बढ़ते हुए, करीब एक चौथाई लंबाई के बाद लंड की स्किन का कलर थोड़ा सा चेंज हो रहा था. उसके उपर वाला हिस्सा जो कि हल्का सा गुलाबी था, वो सुपाडे तक पहुँच रहा था, और ये सबसे लंबा भाग था, जो शायद 5 इंच के करीब लंबा होगा. उनका लंड मोटा भी बहुत था, और बस किसी तरह मेरी मुट्ठी में आ रहा था. और सबसे उपर वो नुकीला सुपाड़ा सबसे ज़्यादा चौड़ा था. वो किसी मशरूम की टोपी की तरह लग रहा था. ये मुझे सबसे ज़्यादा पसंद था. वो थोड़ा गहरा गुलाबी था, क्योंकि वो सबसे ज़्यादा हार्ड भी था.
 
जैसे ही मैं भैया के लंड को एक बार फिर से अपने मूँह में लेने की तैयारी कर रही थी, मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई, मेरे सारे शरीर में निचले हिस्से से उपर तक करेंट सा दौड़ गया. मेरे को मीठी मीठी गुदगुदी होने लगी.

जैसे ही मैने अपनी उंगलियाँ, लंड पर उपर से नीचे तक फिराई, सुपाडे में हरकत शुरू हो गयी. उनके लंड की स्किन बहुत मुलायम थी, वो भी तब जब लंड की बनावट ज़्यादा उबड़ खाबड़ थी. शुपाडे को छोड़ कर, लंड के कुछ भाग, अन्य भागों से ज़्यादा उभरे हुए थे. सुपाड़ा तो एक दम पर्फेक्ट था. मैं उसको जल्दी से अपनी जीभ से चाट लेना चाहती थी. मैं बुदबुदाई, “मुझे पता है कितना मज़ा आता है, बिल्कुल रेशमी है ये.”

"एम्म," भैया कराहे.

"अच्छा लग रहा है?" मैने पूछा, और सुपाडे को एक उंगलियों से बनी अंगूठी में लेकर बारबार उपर नीचे करने लगी. भैया ज़ोर से कराहने लगे.

मैने अपना सिर आगे बढ़कर झुकाते हुए, अपनी जीभ बाहर निकाल ली और उस से भैया के लंड के सुपाडे को छू लिया. भैया के मूँह से गुर्राने की आवाज़ निकली. धीरे से, मैं अपनी उंगलियाँ नीचे लंड की जड़ तक लेजाकर, उसको उपर नीचे करने लगी, और सुपाडे को अपने होंठों से सहलाने लगी. जैसे ही मैने लंड को उपर झटका मारा, और होंठों के बीच में से लंड को मूँह के अंदर लिया. भैया का शरीर काँप उठा.

मैं अपनी जीभ लंड के सुपाडे पर लगातार फिरा रही थी, और ज़्यादा से ज़्यादा लंड को अपने मूँह में अंदर ले जा रही थी. अपने हाथ से मैं जल्दी जल्दी भैया की मूठ मार रही थी, और होंठों की लंड पर ग्रिप बना रखी थी, जिस से उनको चूत जैसा एहसास हो. अपने मूँह को और ज़्यादा नीचा कर के मैं लंड को और अंदर ले जाकर चूसने लगी. मेरे गाल हवा भरने के कारण फूल गये थे. भैया के लंड से मेरा मूँह पूरा भर गया था, और मुझे अब अपनी जीभ को घुमाने के लिए जगह नही बची थी. भैया का लंड बहुत बड़ा था.

मैं अपने हाथों को जल्दी जल्दी उपर नीचे चलाने लगी, भैया का पूरा लंड मेरे थूक से गीला हो चुका था. मेरे लंड को चूसने से चाटने की आवाज़ें भी निकल रही थी, लेकिन मुझे अब इन चीज़ों की कोई परवाह नही थी. मैने अपना सिर थोड़ा उपर उठाया, और होंठों से सुपाडे को जकड लिया. जैसे ही मैने ऐसा किया, भैया कराह उठे, और उन्होने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया. मुझे समझे में आ गया की भैया को सुपाडे को चूसवाने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है. 

मैं अब लंड के सुपाडे पर ज़्यादा ध्यान देने लगी. और मैं अपने मूँह में जानबूझ कर और ज़्यादा थूक ले आई, और हाथ से मूठ मारना जारी रखा. भैया का शरीर काँप रहा था, और मैं अपने हाथ से लंड को उपर नीचे करने की स्पीड को बढ़ाती जा रही थी. मेरा दिल भी जोरों से धड़क रहा था. मेरा दिमाग़ घूम रहा था, लेकिन मुझे इन सब चीज़ों की कोई चिंता नही थी. मेरे मूँह में बस लंड का सुपाड़ा था, और उस पर जीभ फिराना अब आसान था. मैं थोड़ा फिर से झुकी, और नीचे से उपर तक चूसति हुई उपर की तरफ आई. और फिर जब बस थोड़ा सा लंड मेरे मूँह में रह गया, तभी मैने जल्दी से फिर से नीचे होकर उसके सुपाडे पर जीभ फिराते हुए, उसको मूँह में भर लिया. 

"हे भगवान,"भैया बोले.

मैं अपने होंठों को भैया के लंड के मोटे हिस्से तक ले गयी, और फिर वापस उपर तक चूसते हुए आ गयी. उन्होने दो बार गहरी साँस ली. मैं अपने हाथ और तेज़ी से चलाते हुए, भैया की जल्दी जल्दी मूठ मारने लगी. मैं चाहती थी कि वो झड जायें, मैं उनके लंड को लावा उगलते हुए देखना चाहती थी. 

तभी अचानक मुझे भैया का हाथ मेरे सिर पर महसूस हुआ, वो मेरे सिर को अपने से दूर धकेल रहे थे. वो हान्फते हुए बोले, “रूको संध्या, मैं झड जाउन्गा.”

लेकिन मैं नही रुकी, और अपने मूँह और हाथ को उनके लंड पर एक साथ चलाना जारी रखा. उन्होने मुझे फिर से झटके से दूर करने का प्रयास किया और फुसफुसा कर बोले, “मैं तुम्हारे साथ ही एक साथ झडना चाहता हूँ.”

मैने भैया के चेहरे की तरफ देखा, लेकिन उनका लंड अभी भी मेरे मूँह में था. वो मेरी तरफ ऐसे देख रहे थे, मानो मेरे से भीख माँग रहे हो. मैं अपने मूँह में उनके लंड को मोटा होते हुए महसूस कर रही थी. मुझे अच्छा लगा कि भैया मेरे झडने का इंतेजार करना चाहते थे. लेकिन मैं काफ़ी आगे निकल चुकी थी, और भैया के लंड से निकले वीर्य के पानी का तभी, उसी वक़्त स्वाद चखना चाहती थी. 

अब ऐसा कोई रास्ता नही था, मैं भैया के झडे बिना इस को ख़तम नही होने देना चाहती थी.

मैने एक नयी ऊर्जा के साथ भैया के लंड को मूँह से चोदना जारी रखा. मेरा सिर घूमने लगा था, और मेरे हाथ अभी भी लंड को उपर नीचे करते हुए चल रहे थे. मैने अपने होंठों को थोड़ा खोला, जिस से मूँह से थोड़ा थूक निकाल कर लंड को और मेरी उंगलियों को गीला कर दे. मैने अपनी जीभ से थूक को लंड के चारों तरफ उपर से नीचे तक चाट कर फैला दिया. 

धीरज भैया का शरीर अब जवाब देने लगा था. उनकी मसल्स रिलॅक्स होना शुरू हो गयी थी, और मैने उनके सिर को बेड के हेडरेस्ट से टकराते हुए सुना. भैया अपनी उंगलियों को फिर से मेरे बालों में फिराने लगे, और मेरे सिर को दबाने लगे. मैं अपने सिर को उनके लंड पर उपर नीचे कर के, लंड को अपने मूँह में अंदर बाहर कर रही थी, और होंठों को खड़े हुए लंड के और ज़्यादा से ज़्यादा निचले हिस्से तक पहुँचाने की कोशिश कर रही थी.
 
मैं भी अब गरम हो चुकी थी, और मेरी चूत का दाना भी फड़कने लगा था. मुझे लग रहा था कि यदि मैने थोड़ा और इस बारे में सोचा, तो मैं भी कहीं झड ना जाऊं. लेकिन उस वक़्त तो मेरा ध्यान बस भैया का किसी तरह पानी निकालने पर ही था.

भैया का लंड मेरे थूक से और ज़्यादा गीला हो गया था. मैं भी अब कराहने लगी थी. भैया के लंड की स्किन जिस तरह से मेरे होंठों के बीच फिसल रही थी, वो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. और जैसे जैसे लंड और ज़्यादा गीला हो रहा था, उसका एहसास और ज़्यादा सिल्की महसूस हो रहा था. मेरे होंठ शिथिल होने के बावजूद, अपने चारों तरफ चीटियाँ चलती हुई महसूस कर रहे थे. मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और अपने आप को उस कामुक क्षण में बहने के लिए खुला छोड़ दिया. 

मैं दुगनी तेज़ी से अपना हाथ भैया के लंड पर चला रही थी. मैने भैया को गुर्राते हुए सुना, और वो अपने हाथ से मेरे सिर को बार बार पकड़ रहे थे. उनका लंड मेरी जीभ पर झटके मार रहा था. मैं उसको हर बार नीचे तक जाकर अपने मूँह में भर लेती, और फिर से उपर तक आ जाती. जैसे ही आधा लंड मेरे मूँह में आता, मेरी जीभ का चलना असंभव हो जाता.

मैं और ज़ोर से मूठ मारने लगी. भैया ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे, और हर साँस के साथ कराह रहे थे. मैं अपना सिर उठाकर, थोड़ा सा और थूक उनके लंड पर उंड़ेला, और फिर जल्दी जल्दी उसको अपने मूँह में अंदर बाहर करने लगी. मुझे अपना खुद का शरीर गरम होता महसूस हो रहा था, और चूत में मच रही हलचल को शांत करने के लिए मैने अपनी दोनो टाँगों को आपस में ज़ोर से चिपका लिया. मैं बेहद गरम हो चुकी थी.

मैने अपना सिर थोड़ा उपर उठाया, और बस सुपाडे को अपने होंठों मे दबाए हुए रुक गयी. और सुपाडे पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगी, और होंठों से उसको चूसने लगी. भैया ज़ोर से कराह उठे, और उनका शरीर अकड़ने लगा. वो एक गहरी साँस लेते हुए धीरे से बोले, “संध्या, मैं तो हो गया.”

मैं जल्दी जल्दी अपनी उंगलियाँ लंड पर उपर नीचे करे हुए चलाने लगी. लंड पर उंगलियों के फिसलने की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी. तेज़ी से मूठ मारते हुए, अपनी जीभ को सुपाडे पर फिरा रही थी. धीरज भैया ज़ोर से कार्आआहए, “उहह.” मैने अपने सिर को एक दो इंच उपर नीचे किया, और फिर से उनके लंड को अपने मूँह में भर लिया.

"ऊऊऊः," वो ज़ोर से कराहे.

मैं पागलों की तरह मूठ मार रही थी. मेरी चूत के दाने में आग लगी हुई थी, ऐसे लग रहा था जैसे मैं खुद भी चुद रही हूँ. लंड को मूँह में लिए हुए ही मेरे मूँह से कराह निकल गयी. भैया का शरीर अकड़ रहा था. मुझे उनके लंड में कुछ बदलाव सा महसूस हुआ, लेकिन पता नही ये कैसा बदलाव था, मैने मूठ मारते हुए, लंड को चूसना और सुपाडे को जीभ से चाटना जारी रखा. मेरी चूत में आग लगी हुई थी. और तभी मुझे लगा.... और मेरी आँखें अपने आप चौड़ी होकर खुल गयी. मेरी दोनो टाँगों के बीच गजब की हलचल मची हुई थी, मानो मैं खुद भी झडने वाली हूँ.

और तभी भैया के लंड का ज्वालामुखी फुट पड़ा. 

"उहंंनननणणन्," वो ज़ोर से चीखे. लंड से निकले वीर्य के पानी की बौछार ने मेरे मूँह को लबालब भर दिया. मैं अब भी अपने हाथ से मूठ मार रही थी, लेकिन अपने होंठों को सुपाडे पर एक जगह रखा हुआ था, बस हल्के हल्के चूस रही थी. सबसे पहली पिचकारी जोरदार थी, और मैं उसके सारे पानी को बिना कुछ सोचे पी गयी. जब मैं पहली पिचकारी को निगल ही रही थी, तभी दूसरी पिचकारी मेरी जीभ पर गिरी, लेकिन मैं वैसे ही उसी पोज़िशन में डटी रही. 

"ऊवू भगवान," वो फुसफुसाए, और गुर्राने लगे. उनका शरीर काँप रहा था. मैं अब भी अपनी उंगलियों से उनके लंड की मूठ मार रही थी. मेरी चूत में लगी आग बढ़ती जा रही थी. धीरज भैया ने तीसरी पिचकारी मेर मूँह मे छोड़ दी. मैने उसे तुरंत नही निगला, मैं उसको कुछ देर संभाल कर रखना चाहती थी, हो सकता था कहीं ये उनकी आख़िरी ना हो. 

मैने मूठ मारने की स्पीड को धीमा कर दिया, और धीरे धीरे उंगलियों को लंड पर थोड़ा सा घुमाते हुए उपर नीचे करने लगी. भैया धीरे से कराहे, उनका शरीर अब भी हिल रहा था. मैने उनके लंड को अपने होंठों पर दबाव बनाते हुए महसूस किया, और तभी सुपाडे के छेद में से वीर्य उबलता हुआ बाहर टपक पड़ा. मैं करीब 10 सेकेंड तक वैसे ही उसको थामे रही, और प्यार से लंड के सुपाडे को चूसति रही, और फिर अपने होंठों को सुपाडे पर से हटा कर दूर कर लिया.

धीरज भैया की मसल्स अब शांत होने लगी थी. उनका हाथ मेरे सिर से हट कर बेड पर नीचे गिर पड़ा, और भैया बिना हिले डुले बेड पर शांत लेट गये. अभी भी लंड से निकला ढेर सारा पानी मेरे मूँह में भरा हुआ था. उसका स्वाद..... अच्छा था. वो देखने में कुछ अजीब सा ज़रूर था. वो दूध से थोड़ा गाढ़ा था, और मेरी जीभ पर भी चिपक गया था. मैने उसको निगलने से पहले कुछ देर अपने मूँह में संभाले रखा. मुझे शायद तीन बार उसको अंदर निगलना पड़ा, तब जाकर मुझे अपने मूँह थोड़ा सॉफ महसूस हुआ.
 
मैने उपर भैया के नंगे बदन पर एक नज़र दौड़ाई. उनका लंड सिंकूड कर आधा रह गया था. मेरे शरीर में अभी भी झडने के इतने करीब पहुँचने के कारण झुनझुनी सी हो रही थी. मैं अभी भी बहार कामुक और गरम हो रही थी.

मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया, और मैं अपने आप को उसके अनुसार करने से रोक नही पाई. मैं बेड से नीचे उतरकर लड़खड़ाते हुए अपने पैरों पर खड़ी हुई. मेरी आँखों के सामने पूरा रूम घूम गया. एक बार को लगा जैसे मुझे चक्कर आ रहे हो. लेकिन मुझे जो करना था उसको किए बिना मैं रुकने वाली नही थी. मैने अपनी नाइट ड्रेस की एलास्टिक वाली पॅंट को खिसका कर नीचे उतार दिया, और उसके साथ ही पैंटी को भी निकाल फेंका. फिर मैने अपनी टी-शर्ट को गले में से निकाल दिया, और ब्रा को हुक खोल कर उतार दिया. जब मैं पूरी नंगी हो गयी तो बेड पर भैया के उपर चढ़ गयी. 

जैसे ही मैं धीरज भैया के उपर चढ़ कर लेटी, उन्होने अपनी आँखें हल्की सी खोल कर देखा. वो मुझे देख कर मुस्कुराए, मैने उनको किस कर लिया. और साथ ही साथ, मैं अपना एक हाथ उनके पैरों के बीच ले गयी, और उनके लंड को पकड़ कर उसका मूँह अपनी चूत की तरफ कर लिया, भैया ने अपनी आँखें पूरी खोल दी, और मेरी तरफ देखने लगे. उन्होने किस को बीच में ही छोड़ दिया, पर बोले कुछ नही. मैं अभी भी उनके सिंकूड चुके लंड को ठीक जगह लगाने का प्रयास करने लगी. मुझे मालूम था, कि अगर उनका लंड एक बार मेरी चूत में घुस गया, फिर तो तुरंत दोबारा खड़ा हो जाएगा. 

भैया ने भी अपना एक हाथ नीचे लेजाकर अपने लंड को पकड़ लिया, और मेरी मदद करने लगे. हम दोनो की कोशिश के बाद, मुझे भैया का लंड मेरी चूत में घुसता हुआ महसूस हुआ. पहले उसका बस आधा सुपाड़ा ही घुसा. वो भी अभी मुरझाया हुआ था. मैं अपनी चूत को उनके लंड पर घिसने लगी, जिस से उनका लंड और ज़्यादा अंदर घुस सके. धीरे धीरे, मेहनत रंग लाने लगी. थोड़ा थोड़ा, हल्के हल्के, मैं चूत को उपर नीचे करती रही, जब तक कि उनका लंड फिर से खड़ा होकर लक्कड़ नही हो गया. जैसे जैसे वो खड़ा होता जा रहा था, मैं उसको अपनी चूत में घुसाती जा रही थी. 

मुझे ऐसा आनंद जिंदगी में पहले कभी नही आया था. जैसे ही भैया का लंड मेरी चूत में दो इंच से थोड़ा ज़्यादा अंदर घुसा होगा, मैं कराहने लगी. मेरी चूत में घुसे हुए ही उनके लंड के आकर का बड़ा होना, मुझे पागल कर रहा था. और उसको महसूस करते हुए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. वो बहुत सॉफ्ट था, लेकिन वो मेरी चूत में था. लेकिन फिर भी उस सॉफ्ट फॉर्म में भी इतना बड़ा था, कि मेरी चूत की सुरंग को पूरा भर रहा था. 

धीरे धीरे, वो बड़ा होने लगा. वो मेरी चूत की दीवार को फैलाता हुआ मोटा और लंबा हो रहा था. जैसे जैसे लंड खड़ा हो रहा था, मैं अपनी गान्ड को थोड़ा तेज़ी से हिलाने लगी. मेरी चूत में से रस टपक रहा था, उनका लंड तो पहले से ही चिकना हो रखा था. मैं अपनी गान्ड को उपर नीचे करने की स्पीड को धीरे धीरे बढ़ाने लगी. मेरी साँसें तेज़ी से चल रही थी. मैं बेहद गरम होकर, झडने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी. भैया का लंड फिर से फुल फॉर्म में आकर खड़ा होकर, मेरी चूत में ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसने का प्रयत्न कर रहा था. मैं हाँफ रही थी.

आँखें बंद किए हुए ही, मैं फुसफुसाई, “धीरज भैया.” मेरी गान्ड उनके लंड पर ज़ोर ज़ोर से थाप मार रही थी, और वो अपने लंड को ज़्यादा से ज़्यादा मेरी चूत में अंदर घुसा रहे थे. मैं हाँफ रही थी, और मैं बस झडने ही वाली थी. मेरे मूँह से अहह निकली, ‘ऊऊऊः.” मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, और मेरा सिर घूम रहा था. 

धीरज भैया ने अपनी बाहों में मुझे भर लिया, और यकायक अपनी गान्ड, बेड से उठा ली, और बेड से उतार कर खड़े हो गये. मैने अपनी टाँगें भैया की कमर के गिर्द लपेट ली, और अपने पंजों को उनकी गान्ड के पास क्रॉस कर लिया, और उनकी कंधे और गर्दन को कस कर पकड़ लिया, ताकि कहीं मैं गिर ना जाऊं. भैया का लंड मेरी चूत में और ज़्यादा गहराई तक अंदर घुस गया, और मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गयी, मुझे अब हल्का सा दर्द हो रहा था. भैया ने बहुत अंदर तक अपना लंड घुसा दिया था. अब कुछ भी कंट्रोल में नही था, तभी भैया थोड़ा लड़खड़ाए, और मैने उनको और कस के पकड़ लिया. मैं झडने का इंतेजार कर रही थी, जो शायद अब थोड़ा दूर था. मैं सिर से पैर तक काँप रही थी, और मैं एक अलग ही दुनिया में थी.

भैया मुझे ऐसे ही गोदी में उठा कर दूसरे रूम में लेकर चल दिए. ये क्या हो रहा था? मैं समझ नही पा रही थी. बस मुझे एक बात का होश था, कि भैया का बड़ा सा लंड मेरी चूत में अंदर तक घुसा हुआ है. मैने अपने आप को कराहते हुए सुना, और मेरी गान्ड उनके लंड पर थाप मार रही थी, जब भैया मुझे गोदी में उठाए चल रहे थे. मैं ज़ोर से कराह उठी, “ओह.” मेरी चूत के दाने में लगी आग अब अचानक बेकाबू हो रही थी.

तभी भैया ने मुझको मेरे रूम में लेजाकर मेरे बेड पर लिटा दिया, और अपना सारा वजन डाल कर मेरे उपर लेट गये. मुझे उनका लंड अपनी चूत की गहराई में अंदर तक महसूस हो रहा था. थोड़ा दर्द भी हो रहा था. लेकिन जो मज़ा आ रहा था, उसके सामने वो दर्द कुछ भी नही था. मुझे लगा मैं बस झडने ही वाली हूँ. मेरा सिर घूमने लगा, और मुझे कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया. बस वो झडने का एहसास ही था, जो मुझे बेहोश होने से रोक रहा था. मेरे पूरे बदन में आनंद की लहर दौड़ने लगी, और मैं खुश होकर चिल्लाने लगी. 

मेरी दुनिया बदल चुकी थी. मुझे पता नही मैं कब झड कर बेसूध हो गयी. 
***

जब मैं सो कर उठी तो मीठे मीठे दर्द और खुशी का एहसास था. मैं साइड से लेटी हुई थी, और धीरज भैया मेरे पीछे अपनी टाँग मेरे पैरों पर रख का सो रहे थे, उनका एक हाथ मेरे हाथ के उपर था. जैसे ही मैने अपना एक हाथ जो उनके हाथ से दबा हुआ था, उसको बाहर खींचा, तब मुझे एहसास हुआ कि भैया का लंड अभी भी मेरी चूत में घुसा हुआ है. मैने थोड़ा हिलने का प्रयास किया, लेकिन जिस तरह से भैया ने मुझे दबोच रखा था, आसानी से निकलना असंभव था. 

मेरी चूत में भी हल्का हल्का दर्द हो रहा था, क्यों कि सारी रात वो भैया के लंड ने चौड़ा के रखी हुई थी. भैया का लंड थोड़ा सा खड़ा था. क्या सारी रात उनका खड़ा रहा होगा? वैसे भी भैया का लंड काफ़ी बड़ा था. धीरे धीरे मैने अपनी चूत की मसल्स को बार बार फैलाना और सिकोड़ना शुरू किया. ऐसा करने से दर्द थोड़ा कम हुआ, और मज़ा आने लगा. भैया का लंड फिर से खड़ा होना शुरू हो गया था. तभी मुझे याद आया सोने से पहले हम दोनो ने क्या क्या किया था.


"भैया?" मैने फुसफुसा कर पूछा. मेरा दिल अभी भी जोरों से धड़क रहा था, और मेरा बदन भावनाआओं में बह रहा था.

"ह्म?" भैया ने पूछा.

"क्या आप... रात को अच्छा वाला हो गये थे?"मैने थोड़ा घबराते हुए पूछा.

भैया ने धक्के मारने धीमे कर दिए. और अपना सिर उठाकर मेरी तरफ देखा, और मूँह बनाते हुए बोले, “पता नही संध्या. सच में तुम ने जब मेरे लंड को चूसा था, उस के बाद को मुझे कुछ याद नही आ रहा.”

मेरे बदन में फिर कुछ कुछ होने लगा, मानो वो फिर से चुदने के लिए तय्यार हो रहा था. लेकिन मेरे दिमाग़ ऐसा करने से माना कर रहा था. किसी तरह मैने ना चाहते हुए भी भैया को कंधे पर धक्का मार कर दूर किया, और वो भी थोड़ा पीछे हो गये.

जैसे ही भैया का लंड मेरी चूत में से निकला, एक अजीब सी पूच की सी आवाज़ आई. एक आनंद की लहर मेरे सारे बदन में दौड़ गयी, और मैने अपना होंठ दाँतों से काट लिया. मेरी चूत अभी भी चौड़ी होकर खुली हुई थी, और मुझे मालूम था कि वो इतना जल्दी सिंकूड कर बंद होने वाली नही है. ठंडी ठंडी हवा मेरी चूत में अंदर घुस रही थी. मैं उठते हुए बोली, “मैं नहा लेती हूँ.”
 
मैं अपनी चूत को अपने हाथ से छुपाती हुई, बेड से उतरकर बाथरूम की तरफ तेज़ी से चल दी. मैने शवर ऑन किया तो महसूस हुआ, कि पानी बहुत ठंडा था, मैने गेयिज़र ऑन किया और पानी के थोड़ा गरम होने का इंतेजार करने लगी. थोड़ी देर इंतेजार करना ही बहुत लंबा लग रहा था. मैने अपना हाथ अपनी चूत पर लगा कर देखा, सब कुछ ठीक था, और शूकर है चूत में से कुछ नही निकल रहा था. 

शवर निकलता गुनगुना पानी मेरे चेहरे पर गिरा, और फिर मेरी चूंचियों पर से बहता हुआ नीचे गिरने लगा. मैने पीछे घूमकर अपनी पीठ पर पानी को कुछ देर गिरने दिया. मेरे बदन को बहुत आराम मिल रहा था.

और तभी मुझे महसूस हुआ, कि मेरी टाँगों पर कुछ गीला गीला बह रहा है.मैने गहरी साँस ली. क्या भैया मेरी चूत के अंदर ही झड गये थे. मुझे लगा उनके वीर्य का पानी ही मेरी चूत में से निकल कर टपक रहा है. 

लेकिन जैसे ही मैने नीचे देखा, मैं एक गहरी साँस ली. ये वीर्य का पानी नही, बल्कि ब्लड था. मेरा मन रोने को करने लगा. मैं सूबकने लगी. नीचे गिरता हुआ पानी मेरी चूत में से निकल रहे ब्लड की वजह से गुलाबी हो गया था. 

"क्या तुम रो रही हो?" धीरज भैया ने बेडरूम से पूछा.

"हां, लेकिन वैसे ही, सब ठीक है," मैं सुबक्ते हुए बोली.

मुझे लगा भैया बाथरूम की तरफ आ रहे हैं, उनकी आवाज़ पास आती हुई महसूस हुई, भैया ने बाथरूम ने पास आकर पूछा, “तुम रो क्यूँ रही हो संध्या?”

"क्यूँ कि..." मैं सूबकते हुए बोलते बोलते रुक गयी. मुझे बाथरूम के डोर को खुलने की आवाज़ सुनाई दी. मैने नीचे देखा, ब्लड ने पानी को और ज़्यादा लाल कर दिया था. मैं भैया को डोर खोलकर बाथरूम में अंदर आते हुए देखने लगी. “भैया, मैं इसलिए रो रही हूँ ,क्यूंकी मुझे खुशी है कि मैं प्रेग्नेंट नही हूँ,” मैं खुश होकर सूबकते हुए बोली. 

भैया ने मेरी तरफ देखा, और फिर उस लाल बहते हुए पानी की तरफ, और फिर मुस्कुराते हुए पूछा, "पीरियड.?" 

मैने हामी में गर्दन हिला दी.

इस से पहले की मैं कुछ और बोलती, भैया मेरे पास आकर शवर के नीचे खड़े हो गये. 

मैने अपनी बाहें भैया की कमर पर लपेट ली, और हम दोनो के होंठ करीब आकर एक दूसरे को चूमने लगे. भैया की जीभ मेरे मूँह में अंदर घुसकर सब तरफ घूमने लगी, और उनके हाथ मेरे शरीर के हर अंग की खोजबीन लेने लगे. भैय मेरी दोनो चूंचियों को बारी बारी दबाया. पानी मेरी पीठ पर गिरकर नीचे बह रहा था, और जो मेरे कंधों पर गिर रहा था, वो छिटक कर भैया के बदन पर गिर रहा था. भैया ने मुझे जैसे ही थोडा पीछे किया, पानी मेरे चेहरे पर गिरने लगा. जैसे ही हम दोनो ने फिर से किस किया, पानी हमारे चिपके हुए होंठों के उपर गिरने लगा.

धीरज भैया मुझे किसी भूखे जानवर की भाँति किस कर रहे थे. हम दोनो कराह रहे थे. हम दोनो के मूँह गीले हो चुके थे, और पानी मेरी जीभ पर गिर रहा था. हालाँकि मुझे साँस लेने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी, लेकिन मुझे उसकी कोई परवाह नही थी. भैया ने मुझे साइड में किया, और हल्का सा धक्का देकर मुझे बाथरूम की दीवार से चिपका दिया. मैने हाथ आगे बढ़ा कर गेयिज़र के पानी का टेंपरेचर थोड़ा और बढ़ा दिया. शवर का पानी अब हम दोनो के बीच गिर रहा था, और हमारी छाति पर बहता हुआ नीचे गिर रहा था.

भैया मेरे होंठों के उपर जीभ फिराते हुए, उनसे थोड़ा अलग हुए और नीचे झुक कर मेरी गरदन को चाटने और चूसने लगे. मैं ज़ोर से कराहने लगी. भैया ने मेरी एक टाँग को अपने हिप्स तक उपर उठाकर उसको घुटने पर से मोड़ दिया. फिर मेरी जाँघ के नीचे हाथ ले जाकर मुझे थोड़ा उपर किया.

जैसे ही मैने भैया के लंड को अपनी चूत में घुसता हुआ महसूस किया, मैने एक गहरी साँस ली. भैया अभी भी मेरी गर्दन को चूमे चाटे जा रहे थे, और एक हाथ से मेरी जाँघ को सहला रहे थे. मैं अपनी बाहें भैया की कमर के पीछे ले गयी, और उनको सहलाने लगी. भैया मुझे दीवार से चिपका कर, ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहे थे. जैसे ही भैया का लंड मेरी चूत के और ज़्यादा अंदर घुसा, मेरी एक हल्की सी चीख निकल गयी, लेकिन वो आनंद से भरी चीख थी, ना कि दर्द भरी. 

"ऊऊओ," मैं कराही, और भैया अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करते हुए पेलने में लगे हुए थे. भैया मेरी गर्दन में मूँह घुसा कर कराह रहे थे, और उसको चूसे भी जा रहे थे. 

मेरा सारा बदन काँप रहा था. मैं बस झडने ही वाली थी. भैया मस्त होकर, मेरी चूत में लंड जल्दी जल्दी अंदर बाहर करते हुए, मेरी चुदाई कर रहे थे. मेरी चूत तृप्त होकर किसी भी वक़्त पानी छोड़ने वाली थी. लेकिन मैं नही चाहती थी कि ये सब इतनी जल्दी ख़तम हो.

मुझे भैया से चुदने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं भैया को सचमुच प्यार करने लगी थी. आइ लव्ड... भैया. और मैं इस बात को उनको बता देना चाहती थी.

"भैया," मैं फुसफुसाई , मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं इतना ज़्यादा गरम हो चुकी थी, मानो पागल हो गयी थी, मेरा सारा बदन चुदाई के आनंद में डूबा हुआ था. भैया का लंड अभी भी मेरी चूत में लगातार अंदर बाहर हो रहा था.

भैया मगन होकर मेरी चुदाई कर रहे थे, गुर्रा रहे थे, और कराह रहे थे. मैने फिर से बोला, “भैया.”

"प्लीज़ मुझे रुकने के लिए मत कहना संध्या," वो फुसफुसाए, और मेरी तरफ देखा.

"मैं रुकने के लिए नही कह रही भैया, आप करते रहो," मैने मुस्कुरा कर फुसफुसाते हुए जवाब दिया. 

भैया मुझे देख कर मुस्कुराए और फिर से हम दोनो किस करने लगे. मैं भैया के लंड को अपनी चूत में झटके मारते हुए महसूस कर रही थी. भैया का लंड मेरी चूत के दाने को गोल गोल मसल मसल कर घिसते हुए मेरी चूत की चटनी बना रहा था. मैं गहरी साँसें भर रही थी. मेरा सारा बदन चुदाई का आनंद ले रहा था. भैया अपना लंड मेरी चूत में पेले जा रहे थे. भैया अपने लंड को कुछ इंच बाहर निकालते और फिर से मेरी चूत में और अंदर तक घुसा देते. भैया का लंड एक दम लक्कड़ हो चुका था, किसी लोहे की गरम रोड की तरह, जो चोदने के लिए आतूरता की सभी हदें पार कर रहा था..

"मैं..." जैसे ही मैने कुछ बोलने की कोशिश ही, वो कराह में बदल गयी. मैने भैया को फिर से किस किया, और अपनी जीभ भैया के मूँह में घुसा दी. शवर से गिरता हुआ पानी मेरे पेट पर गिर रहा था, और थोड़ा ज़्यादा गरम लग रहा था. 
 
धीरज भैया जोरों से हाँफ रहे थे, और छोटी छोटी साँसें ले रहे थे. वो बस झडने ही वाले थे. भैया ने मेरी आँखों में देखा, और मैं तो मानो पिघल ही गयी. और आख़िरकार, मैने भैया के चेहरे को अपने दोनो हाथों में भरा, और फुसफुसा कर बोला, “आइ लव यू, भैया.”

भैया ने अपनी आँखें चौड़ी कर के खोल ली, और फर कराहे, “उहनन्न,” और उनकी आँखें फिर से बंद हो गयी. वो काँप रहे थे. मेरे शरीर में मस्त लहरें उठ रही थी. जैसे ही वो लंड का एक ज़ोर का झटका लगाते, में फिर से झड्ने को आतुर हो जाती. मैं भी काँप रही थी. भैया के होंठों ने मेरे होंठों को ढूँढ लिया, और आतूरता के साथ उनकी जीभ मेरे मूँह में घुस कर अठखेलियाँ करने लगी. ऐसा लग रहा था मानो भैया उपर और नीचे दोनो जगह से मुझे चोद रहे हो. उनकी जीभ और लंड एक साथ ताल में ताल मिलाते हुए मेरे अंदर घुस रहे थे. मेरी चूत झडने के लिए उतावली होती जा रही थी, भैया के लंड के हर झटके के साथ मुझे बिजली का सा झटका लग रहा था. मुझे साँस लेने में बहुत तकलीफ़ हो रही थी.

"हे भगवान," मैं कराहते हुए बोली.

भैया ने झटके मारने की स्पीड बढ़ा दी. उनका शरीर अकड़ने लगा, और उनके हाथ ने मेरे घुटने को ज़ोर से पकड़ लिया, और भैया ने लंड अंदर तक पेल दिया, और फिर बाहर निकाल लिया. भैया ने ज़ोर की आहह भरी और फिर मुझे किस कर लिया. उनके होंठ भी मुझे किस करते हुए काँप रहे थे.

जैसे ही भैया ने एक उपर की तरफ झटका लगाया, और वो मेरी चूत के अंदर पानी छोड़ने लगे. मेरे शरीर में आनंद की लहरों का अद्धत संचार हो रहा था, और मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी. मैं रुक रुक कर साँसें ले रही थी. और आनंद की लहरों को मेरे बदन में अनवरत संचार हो रहा था. शवर से गुनगुना पानी अभी भी हम दोनो के उपर गिर रहा था. मैने नीचे देखा, अभी भी मेरी चूत से पीरियड के निकलते ब्लड ने, फ्लोर पर बह रहे पानी का कलर गुलाबी कर रखा था, लेकिन मुझे इस सब की अब कोई परवाह नही थी.

भैया अभी भी मेरी चूत में अपने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ रहे थे, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. लंड से निकल रही गरम गरम पिचकारी को मैं अपनी चूत में छूटता हुए महसूस कर रही थी, और मुझे ये भी महसूस हो रहा था, कि वो अपने साथ ब्लड में मिक्स होकर मेरी चूत से निकलकर मेरी जांघों पर बहते हुए नीचे गिर रहा था. कुछ देर बाद जब हम झड्ने के बाद तृप्त होकर शांत हुए, तो फिर से एक साथ कराहे. भैया आख़िर तक मेरी चूत में अपने लंड को अंदर बाहर करने में लगे हुए थे.

जैसे ही भैया शांत होकर रुके, मैने किसी तरह मूँह से आवाज़ निकाली "म्म्म्मम."

धीरज भैया अभी भी मुझे दीवार से चिपका कर खड़े थे, और उनका लंड मेरी चूत में था. हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे, और हम दोनो की आँखें बंद थी. हम दोनो के शरीर पर से पानी टपक रहा था. मैं भैया को इतनी आसानी से अपने से दूर होने नही देना चाहती थी, इसलिए मैं भैया से ज़ोर से चिपकी हुई थी. जब मैने अपनी आँखें खोली, तो भैया को मेरी तरफ देखता हुआ पाया. वो मेरी तरफ नही, मेरी आँखों में घूर रहे थे. मुझे लगा वो मुझे अपनी आँखों से सहला रहे हो.

"मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ, संध्या," भैया फुसफुसाते हुए बोले.

हम दोनो ने फिर से एक बार किस किया, लेकिन इस बार कुछ अलग था. बहुत नाज़ुकता के साथ. भैया ने मेरी आँखों पर आ रहे बालों को अपने एक हाथ से हटाकर पीछे किया. हम दोनो एक दूसरे को किस करते हुए मुस्कुरा रहे थे. मैं दुनिया की सबसे खुश किस्मत लड़की थी.





तो राज सुन ली, धीरज और उसकी छोटी बेहन संध्या के बीच चुदाई शुरू होने की दास्तान. कैसी लगी?

“मज़ा आ गया स्टोरी सुनकर दीदी,” मैं डॉली दीदी की तरफ मुस्कुराते हुए बोला. 

ये सब बताते हुए, मुझे और दीदी को टाइम का पता ही नही चला, जब मैने घड़ी की तरफ देखा, तो सुबह के पाँच बज रहे थे. मैने पूछा, दीदी ये तो ठीक है, लेकिन ....

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
 
मैं और डॉली दीदी फिर सोफे पर ही बैठ गये. धीरज बेड पर अब ही बेसूध पड़ा हुआ था. उसको देखते हुए मैने दीदी से बोला, “दीदी अब जल्दी ही सुबह होने वाली है, धीरज उठने ही वाला होगा, मैं अपने रूम में जाता हूँ. आपकी स्टोरी ने मेरा लंड फिर से खड़ा कर दिया है, जाकर सुहाग रात में तान्या को भी एक बार चोद लूँ?”

“चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ,” दीदी बोलते हुए उठ कर खड़ी हो गयी.

“मैं भी अपने छोटे भाई की सुहागरात, छुप कर देखूँगी, तान्या को पता भी नही चलेगा,” डॉली दीदी मेरा हाथ पकड़कर मुझे उठने में सहारा देते हुए बोली. 

जब मैं और डॉली दीदी मेरे रूम को खोल कर अंदर पहुँचे तो तान्या उसी घाघरा चोली पहने हुए, गहरी नींद में सोई हुई थी. दीदी ने मुझे इशारों में डोर को बंद करने के लिए बोला, और खुद जाकर कर्टन के पीछे छुप गयी. और मुझे तान्या को उठाने के लिए इशारा करने लगी.

मैने तान्या को हल्के हल्के झकझोर कर उठाया, “तान्या, तान्या उठ जाओ, सुबह हो गयी है...”

तान्या अपनी आँखों को मल्ति हुई उठी, और मुझे अच्छे मूड में देखकर मुस्कुराने लगी.

मैं भी तान्या की तरफ देखकर मुस्कुराया, और बोला, “अभी थोड़ी सी रात बाकी है, कहो तो सुहागरात की रसम भी पूरी कर लें?” तान्या तो मानो इसी बात का इंतेजार कर रही थी, वो तुरंत उठ कर खड़ी हुई और बोली, “बस 2 मिनट मे अभी फ्रेश होकर आती हूँ.”

बेड से उठते हुए तान्या ने मेरी तरफ देखा, उसकी आँखों में थोड़ा पस्चताप था और उम्मीद भरी चमक भी थी, शायद वो भी अपनी सुहागरात को ऐसे बिना चुदाई के वेस्ट होने देना नही चाहती थी. जैसे ही तान्या ने बेड से उतरते हुए अपना पैर ज़मीन पर रखा, मैने उसकी एक बाँह पकड़ ली, और उसके गाल पर एक प्यार भरा किस कर लिया, फिर उसके माथे पर, और उसके लिप्स पर. मैं थोड़ा पीछे होकर उसके गालों को सहलाने लगा. मैं धीरे से बोला, “तान्या शायद आज से पहले मैने तुम से ये कभी नही कहा है, तुम वाकई में बेहद खूबसूरत हो, और तुम को पाकर मैं अपने अपने आप को बहुत खुशकिस्मत समझता हूँ, कि मेरी किस्मत में इतनी अच्छी बीवी लिखी थी.” तान्या मेरी आँखों में आँखें डाल कर मुस्कुराइ, और बोली, “थॅंक यू राज, तुम बहुत अच्छे हो.”

मुझे लगा तान्या बहुत कुछ बोलना चाहती है, लेकिन मैं सब कुछ समझ रहा था, शब्दों की शायद कोई ज़रूरत नही थी. शायद हम दोनो एक दूसरे के प्रति हमेशा वफ़ादार रहने की प्रतिग्या ले रहे थे.

"तुम थोड़ा घबराई हुई लग रही हो तान्या, कहीं तुमको डर तो नही लग रहा, कि ना जाने मैं तुम्हारे साथ कैसे पेश आउन्गा?"

मेरी तरफ एकटक देखते हुए तान्या बोली, “नही राज, मुझे वैसा कोई डर नही लग रहा, तुम तो हमेशा ही मेरे साथ प्यार से पेश आते हो, सच में मैं भी तुम्हारी बीवी बनकर बहुत खुश हूँ. मुझे तुमसे डर क्यों लगेगा?” तान्या के चेहरे पर अब संतुष्टि और उत्सुकता के भाव थे.

ऐसा कहते हुए, तान्या मेरे हाथों से अपनी बाँह छुड़ाकर टाय्लेट की तरफ भाग गयी, और उसने डोर को बंद कर लिया.

जैसे ही तान्या टाय्लेट के अंदर घुसी, मैं कर्टन के पीछे छुपी डॉली दीदी के पास पहुँच गया. दीदी ने अपने होंठों पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने का इशारा किया, और पास आकर मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली, “राज, तुम आराम से अपनी सुहाग रात मनाओ, इस बात को अपने दिमाग़ से निकाल दो कि रूम में तुम दोनो के अलावा कोई और भी है. तान्या को पता नही चलना चाहिए, चलो जाओ जल्दी से बेड पर जाकर लेट जाओ.”

तान्या जब पिंक नाइटी पहने हुए टाय्लेट से निकल कर आई, तो बेड पर चढ़ कर उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी, और शरमाते हुए मुझे अपने हाथों से सहलाने लगी. तान्या ऐसे बिहेव कर रही थी, मानो वो कुँवारी हो, और आज पहली बार चुदने वाली हो.

हम दोनो एक दूसरे को बिना कुछ बोले देखे जा रहे थे, हमारी आँखें ही आपस में बातें कर रही थी. मैने मजाकिया लहजे में कहा, “तो फिर क्या इरादा है? चलो अपने विवाहित जीवन को शुरू करते हुए, सबसे पहले मैं ही शुरूवात करता हूँ, मैं तुम्हारे सारे कपड़े उतारकर, तुम्हारे नंगे बदन को जी भरकर देखना चाहता हूँ. ” ऐसा कहते हुए मैने बेडसाइड पर लगे सारे लाइट स्विच को ऑन कर दिया, सारा रूम रोशनी से जगमगा उठा.

तान्या थोड़ा मुस्कुराइ, और अपने हाथों को पीछे ले जाकर उसने अपने बालों को खोल दिया, उसके बाल उसके कंधे पर आ गये, वो और ज़्यादा मादक लगने लगी. तान्या ने गहरी साँस लेते हुए बोला, “मैं भी तुमको पूरा देखना चाहती हूँ.” तान्या की आवाज़ में एक गहरी चाह छुपी हुई थी, और उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. 

धीरे धीरे, हम दोनो ने एक दूसरे की कपड़े उतारने शुरू कर दिए. तान्या बेहद शालीनता के साथ बिहेव कर रही थी, और उसको मेरे सामने नंगा होने में किसी तरह की कोई परेशानी नही थी. और परेशानी होती भी क्यों? वो अपने पति के सामने नंगी हो रही थी, उसको ये कहाँ मालूम था कि डॉली दीदी हम दोनो को देख रही हैं. लेकिन मुझे बेहद रोमांच का अनुभव हो रहा था, क्योंकि मुझे मालूम था, कि दीदी हम दोनो को सुहागरात मनाते हुए कर्टन के पीछे छुप कर देख रही हैं.

तान्या मेरे कपड़े उतार कर उसको नंगा करते हुए, मेरे नंगे बदन को उत्सुकता के साथ मज़े से निहार रही थी. और एक मर्द के शरीर की बनावट को अचरज से देख रही थी. तान्या के नज़रें मेरे गठीले बदन के हर उभार को अपने दिमाग़ में क़ैद कर रही थी, और अपना हाथ फिराकर उनको फील कर रही थी.

तान्या शांत होकर बेड पर मेरे पास लेट गयी, और मैं उसके शरीर को सहलाने लगा. पहले उसके नग्न कंधों को, फिर उसकी नरम मुलायम चूंचियों को, उसके गरम गरम चिकने समतल पेट को, उसकी गोल गोल गान्ड की गोलाईयों को, उसकी लंबी खूबसूरत टाँगों को, उसकी नाज़ुक सी बाहों को. उसकी आँखें एक मर्दाने स्पर्श के एहसास में खुशी में फटी की फटी ही रह गयी थी. और फिर वो खिसक कर अपने आप मेरे पास आ गयी. मैने तान्या को अपनी बाहों में भर लिया, और उसके चेहरे को किस करने के लिए, अपने हाथ से उपर उठा दिया. 

हम दोनो एक दूसरे को होंठ से होंठ चिपका कर फ्रेंच किस करने लगे. तान्या के शरीर की भूख उसके दिमाग़ पर हावी होने लगी थी. तान्या को गरम होने, मज़ा करने, प्लास्टिक के डिल्डो से अपनी आग शांत करने और चुदवाने का अनुभव तो पहले से था, लेकिन सुहाग रात को अपने पति से चुदने का आनंद उसके लिए नया था. उसकी आज पहली ऐसी चुदाई होने वाली थी, जिसकी सारा समाज मान्यता दे चुका था, और किसी को कोई ऐतराज नही था. उसके तन बदन में आग सी लगी हुई थी. 

तान्या को मालूम था कि आज उसकी चूत में लगी ये आग, किसी रब्बर के लंड या उसकी अपनी उंगलियों से नही, बल्कि एक असली मर्द के लंड से शांत होने वाली थी. तान्या की चूत पनियाने लगी थी, और वो असली लंड को अपने अंदर लेने के लिए लालायित हो रही थी. 

हम दोनो पूरे नंगे होकर एक दूसरे को सहला रहे थे, तान्या ने अपना शरीर मेरे शरीर से ज़ोर से चिपका रखा था. तान्या ने अपना मूँह मुझे फ्रेंच किस करने के लिए खोल रखा था, और अपनी टाँगें मेरे लंड को चूत में घुस्वाने के लिए खोल के चौड़ा रखी थी. तान्या ने अपनी बाहें मेरे गिर्द लपेट कर मुझे अपने से चिपका लिया. और फिर उठ कर बैठ गयी और मेरे फन्फनाते हुए लंड को हैरानी भरी नज़रों से देखने लगी. तान्या अपने पति की लंड को ऐसे निहार रही थी, जैसे कि ये अब उसकी संपत्ति हो, और वो उसकी मालकिन हो. 
 
लंड को निहारते हुए उसने अपनी आँखें बंद कर ली, जैसे लंड की तस्वीर वो अपने दिमाग़ में क़ैद कर रही हो. कुछ देर बाद उसने अपनी आँखें खोली, तब उसको एहसास हुआ कि मैं उसकी चूंचियों को दबाने में मगन था, और उसकी निपल्स को मीजते हुए मुझे अपार आनंद आ रहा था. उसने अपनी चूंचियों को अपने हाथ से मेरी तरफ बढ़ाया, मानो कह रही हो, दबा लो मेरी जान, जितना चाहे दबा लो, ये तुम्हारी बीवी की चूंचियाँ है. तान्या को भी अपनी चूंचियाँ दब्वाने में मज़ा आ रहा था, और मैं मसल मसल के उसकी चूंचियाँ दबाए जा रहा था. 

तान्या कुछ कहना चाहती थी, वो शायद कहना चाहती थी, कि मैं अब उसको और ज़्यादा परेशान ना करूँ, और बस बेड पर लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड घुसेड दूं, लेकिन वो ऐसा कह नही पा रही थी. तान्या को किसी तरह का कोई होश नही था, वो तो बस एक नदी की तरह बहे चली जा रही थी. उसको अपने पति पर पूरा भरोसा था, की मैं जो करूँगा वो ही ठीक होगा.

मैने तान्या को फिर से अपने पास लिटा लिया, और उसका नाम बोलते हुए उसके उपर छा गया. तान्या को कुछ भी बोलने की कोई ज़रूरत नही थी. जैसे ही मैं उसके उपर आया, उसके बदन में खुशी की लहर दौड़ गयी, और सारे बदन में हलचल होने लगी. उसके शरीर को एहसास होने लगा, कि बस अब उसकी भूख मिटने ही वाली है. आसमान में बादल छा गये हैं, बरसात बस होने ही वाली है. 

“कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है

ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है.”


जब मैने तान्या की चूंची के निपल को मूँह में लिया, तो उसकी तो खुशी के मारे चीख ही निकल गयी. मुझे लगा कहीं मैने उसके निपल को काट तो नही लिया है, जैसे ही मैं थोड़ा पीछे हटने को हुआ, तभी तान्या ने मुझे अपनी तरफ खींच कर मेरे चेहरे को अपनी चूंची पर दबा लिया. बिना कुछ बोले, मैं भी सब कुछ समझ गया.

मैं तान्या के उपर लेटा हुआ था, और वो गहरी गहरी साँसें ले रही थी. मैने कनखियों से कर्टन की तरफ देखा, दीदी चुपचाप हमारी रास लीला का आनंद ले रही थी. तान्या ने अपनी बाहें मेरी कमर के पीछे कर के मुझे जकड लिया, और अपने होंठों से मेरे होंठों को चूमने के लिए ढूँढने लगी. मैने अभी भी अपने लंड को तान्या की चूत में नही घुसाया था. अपने एक्सपीरियेन्स का भरपूर इस्तेमाल करते हुए, मैं अपने हिप्स को आगे पीछे करते हुए, तान्या की चूत के गीले गीले होंठों पर अपने लंड को रगड़ रहा था. और हर झटके के साथ तान्या कराह उठती और एक गहरी साँस लेती. लेकिन वो अपने आप को शब्दों से व्यक्त नही कर रही थी. तान्या ने अपनी टाँगों को फैला कर अपनी जांघों को ज़्यादा से ज़्यादा चौड़ा कर लिया था, मानो मुझे चोदने के लिए आतुर होकर आमंत्रित कर रही हो.

मेरा भी दिमाग़ घूमने लगा था, ऐसा पहली बार था जब कोई मुझे चोदते हुए देख रहा था. मैं थोड़ा इस बात को लेकर कॉन्षियस भी था, कि मेरी सग़ी बड़ी बेहन मुझे मेरी सुहागरात पर हमारी चुदाई का दीदार कर रही है. मैने अपने लंड के सुपाडे को तान्या की चूत के छेद पर हल्का सा दबावे बनाते हुए तोड़ा सा अंदर घुसाया, और फिर धीरे धीरे उसको अंदर घुसाने लगा. तान्या ने बहुत दिनों से शायद अपनी चूत में डिल्डो नही घुसाया था, इसी वजह से उसकी चूत कुछ ज़्यादा ही टाइट लग रही थी.

तान्या चुपचाप लेटी हुई थी, वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. जैसे ही मैं अपना लंड थोडा सा और उसकी चूत में घुसाता, मैं नीचे झुक कर उसके खुले हुए होंठों को चूम लेता. एक बार मैने अपनी जीभ उसके मूँह में घुसा दी, लेकिन फिर जल्द ही बाहर निकाल ली, क्यूँ कि मैं जानता था कि मुझे इस वक़्त चूत लंड के खेल पर ध्यान लगाना है. धीरे धीरे मैं अपना पूरा लंड तान्या की चूत में घुसाने के प्रयत्न करने लगा. तान्या को हल्का सा दर्द भी हुआ, लेकिन वासना की जिस लहर पर वो सवार थी, उसपर इन छोटी छोटी बातों के लिए कोई होश नही था. 

और आख़िर में, मेरा पूरा लंड तान्या की चूत में घुस गया. तान्या को जब इस बात का एहसास हुआ, तो उसने भी शांति भरी एक गहरी साँस ली. तान्या अपने हिप्स से मेरे लंड को अपनी चूत में घुसाए हुए थोड़ा सा हिलाने लगी, मानो एक्सपेरिमेंट कर रही हो. तान्या को थोड़ा दर्द भी हो रहा था, लेकिन मज़ा भी पूरा आ रहा था. एक ऐसा मज़ा जो प्लास्टिक के लंड (डिल्डो) या फिर अपनी उंगलियों से नही आता था. 

मैं धीरे धीरे तान्या की चूत में झटके मारने लगा, जब तक कि उसकी चूत मेरे मोटे लंड को अपने अंदर लेने की अभ्यस्त होकर पनिया नही गयी. 

मुझे तो चुदाई का अब तक बहुत एक्सपीरियेन्स हो चुका था, और मेरी समझ में भी आ गया था कि लड़की को चोदते समय, क्या सब करने से लड़की को और ज़्यादा मज़ा आता है. मैं ताल से ताल मिलाते हुए तान्या की चूत में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. तान्या की चूत की अन्द्रुनि दीवार, सिंकूड़ते हुए, फैलते हुए, खुल कर चौड़ी होकर मेरे लंड को अपने अंदर अड्जस्ट कर रही थी, मेरे लंड के हल्के हल्के झटके तान्या को अपार आनंद दे रहे थे. ऐसा लग रहा था कि यदि मैने झटके मारने बंद कर दिए तो तान्या की कहीं जान ही ना निकल जाए. तान्या चुदते हुए मस्त हुए जा रही थी. तान्या का चेहरा वासना की आग में लाल हो चुका था. मैं बहुत देर तक हल्के हल्के झटके मार के तान्या की चूत का आनंद लेटा रहा, बीच बीच में कनखियों से मैं डॉली दीदी को भी कर्टन के पीछे से हमारी चुदाई का आनंद लेते हुए देख लेता था. आख़िर में तान्या ने अपनी साँसों पर काबू करते हुए कुछ बोलने का प्रयास किया. 

“राज, तुम अगर ऐसे ही करते रहे तो मैं मर जाउन्गि, कुछ करो प्लीज़!” तान्या भीख माँगते हुए बोली.

"तेरे लिए तो कुछ भी कर दूँगा मेरी जान,” मैं मज़े लेते हुए बोला, "मुझे मालूम है अब मुझे क्या करना चाहिए.” मैने अपने शरीर का वजन एक हाथ पर लेते हुए, दूसरे हाथ को तान्या की चूत के फूले हुए दाने पर ले आया. मैने सोचा उसकी चूत पर कुछ मिनट हाथ लगाने के बाद कुछ होगा, लेकिन तान्या तो मेरा हाथ लगाते ही किसी एक्सपीरियेन्स्ड चुदक्कड लड़की की तरह अपनी गान्ड उठाने लगी. तान्या के शरीर में लहरें दौड़ने लगी, और अपनी चूत पर मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही वो परम आनंद की उँचाइयों को छूने लगी. तान्या का मूँह खुला हुआ था, और उसमे से निकल रही उसके बिंदास कराहने की आवाज़, उस शांत सुबह में सॉफ सुनाई दे रही थी. चरम पर पहुँचते हुए, उसकी कराहने की आवाज़ें चीख में बदलने लगी थी. जैसे ही तान्या झडि, मैं भी अपनी सुध बुध खो बैठा, और अपने लंड को तान्या की चूत में जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा. जब उसकी चूत का झडने के बाद फड़कना बंद हुआ, तब तान्या को होश आया. तान्या ने मेरे चेहरे की तरफ देखा, और ऐसे देखने लगी, मानो वो भी मेरे लिए वो सब कुछ करना चाहती हो, जिसकी वजह से वो इतनी अच्छी तरह झडि थी. उसको शायद नही मालूम था कि उसको क्या करना चाहिए, लेकिन अब वो शांत होकर चुदवाने की जगह चुदाई में सहयोग देने लगी, जिस से अपने आप को व्यक्त कर सके कि वो भी चुदने को आतुर है. तान्या को चुदते हुए बहुत मज़ा आ रहा था, उसने थोड़ा खिसकते हुए अपनी टाँगें उठा कर, घुटनों को उपरकर मुझे अपनी टाँगों से जकड लिया, जिस से मुझे और ज़्यादा मज़ा आए. 

अभी तक तान्या का अपनी चूत और अपने झडने पर ध्यान था, लेकिन जब उसका ध्यान मेरी तरफ गया, तो वो मेरे लंड की बनावट को अपनी चूत के द्वारा महसूस करने लगी. वो महसूस करने लगी, मानो वो खुद तो गीली उप्जाउ ज़मीन हो और मैं एक बीज, जो एक दूसरे को जीवन देने वाला थे. उसकी चूत मेरे वीर्य की पिचकारी का बेसब्री से इंतेजार करने लगी. वो फिर से हर झटके के साथ चीखने लगी, और संपूर्ण रूप से तृप्त होने के लिए बेकरार होने लगी.

और जब मैं झडा, तो वो एक टक मेरे चेहरे को देखती रही, मानो किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गयी हो, उसके शरीर को आज पहली बार ऐसी तृप्ति मिली थी. जैसे ही मैने अपना लंड अगली बार उसकी गीली गीली चूत में अंदर घुसाया, उसने भी वैसे ही संतुष्ट होकर गहरी गुर्राने की आवाज़ निकाली, जैसे कि मैने कुछ सेकेंड्स पहले झडते हुए निकाली थी.

जैसे ही मैं तान्या के उपर से हटने को हुआ, उसने अपनी बाहों और टाँगों से मुझे जकड लिया, और मुझे अपने से दूर नही होने दिया. वो मेरे लंड को अभी भी अपनी चूत में घुसाए रखना चाहती थी. मेरे शरीर का भार उसके शरीर पर था, और जहाँ जहाँ हम दोनो के बदन का स्पर्श हो रहा था, वहाँ वहाँ मानो स्वर्ग सा महसूस हो रहा था. शायद वो सोच रही थी, कि जिस आनंद की अनुभूति हम दोनो ने कुछ देर पहले की है, वो ही इस दुनिया को आगे बढ़ाने और बच्चे पैदा करने का मूल कारण है. और हो सकता है, इस चुदाई के बाद वो खुद भी गर्भवती हो जाए, और उसके गर्भ में भी नये जीवन की उत्पत्ति शुरू हो गयी हो. 

हालाँकि हम दोनो चुदाई के तूफान से गुजर चुके थे, लेकिन फिर भी तान्या बीच बीच में आनंद लेते हुए, हल्का सा कराह उठती, और मेरे लंड को अपनी चूत में से निकालने को बिल्कुल तयार नही थी.

वो अभी भी किसी दूसरी दुनिया में खोई हुई, छत पर बने एसी वेंट को देख रही थी. जैसे ही उसने मुझे अपने उपर से थोड़ा सा हटने दिया, वो मेरे चेहरे को देखने लगी, उसने मेरी आँखों में अचरज, उमंग और आशा भरे भाव को महसूस किया. मैने जब उसकी आँखों में झाँक कर देखा, तो मुझे अचरज और परम आनंद के भाव दिखाई दिए. मैं मुस्कुरा दिया.

"अब तुम पूरी तरह से मेरी पत्नी बन चुकी हो," मैं संतुष्ट होते हुए बोला.

तान्या ने अपने हाथों से मेरे गालों को चू लिया और बोली, "ओह मेरे पतिदेव, मुझे नही मालूम था कि अपने पति से बिना कॉंडम के चुदवाने में इतना ज़्यादा मज़ा आएगा." 

"और वो भी जब हमारी शादी हो चुकी है, और हमको चुदाई का लाइसेन्स मिल चुका है,” मैं मज़ाक में बोला. "और ऐसी चुदाई हम जब चाहे तब कर सकते हैं, अलग अलग अंदाज में और लग अलग पोज़ में, जिसकी तुमने कल्पना भी नही की होगी." 

तान्या ने एक नये जोश के साथ मुझे अपने आप से चिपका लिया, और हँसते हुए बोली, “अब कुछ दिनों त
 
Back
Top