hotaks444
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मैने कहा यार अब क्या करता पता है कहाँ कहाँ धक्के खाए पर तुम्हारा कोई पता ही नही चल रहा था तो फिर आख़िर एसबीआइ का डेटाबेस हॅक करके तुम्हारा पता लिया वो बोली स्मार्ट हो गये हो आजकल मैने कहा पर तू ये सब छोड़ और बता की आख़िर ऐसा क्या हो गया था कि गाँव को हमेशा क लिए ही बाइ बोल दिया तो वो बोली मैं खाना बना रही हूँ बाद मे बात करेंगे
तो मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा कि निशा, बता ना तो वो बोली, मनीष तुम तो जानते ही हो कि पिताजी कारगिल युद्ध मे शहीद हो गये थे तो उनकी पेन्षन से माँ ने मुझे जैसे तैसे करके पढ़ाया लिखाया एक खेत हिस्से आया था और छोटा सा घर था काका-ताऊ का हाल तो तुम्हे पता ही था सब लालची कही के कभी मदद करने तो आए नही पर निगाह उस खेत पर थी
फिर तुमसे दोस्ती हो गयी थी तो मैं अपने हालत भूलने लगी थी पर फिर तुम भी चले गये फोज मे और मुझे भी बॅंक मे नोकरी मिल गयी तो मैं मुंबई आ गयी पर पीछे से चाची – ताई माँ से लड़ाई झगड़ा करने लगे एक दिन मैं गाँव मे गयी हुई थी तो मेरे आगे ही काफ़ी बड़ा झगड़ा हो गया उनसे तो फिर मैं माँ को लेकर यहाँ आ गयी मेरी सॅलरी अच्छी थी तो मुझे वैसे भी ज़रूरत नही थी किसी रिश्तेदार की
माँ ही मेरा सब कुछ थी जब मैं उन्हे ही अपने पास ले आई तो फिर वैसे भी गाँव का अब कोई मतलब रह नही गया था
मैने कहा पर तूने मुझे भुला दिया तो वो बोली ऐसा नही है मनीष बस तुम और तुम्हारी यादे ही तो है मेरे जीवन मे जिनके सहारे बस कभी कभी मुस्कुरा लेती हू , मैं तुम्हे चिट्ठि लिखा करती थी मैने कहा हाँ पर फिर तुम्हारी तरफ से जवाब आने बंद हो गये तो मैने फिर घर के पते पर भी कई लेटर्स पोस्ट किए पर तुम्हारा कोई जवाब कभी आया ही नही
मैने कहा यार खडकवासना से मुझे फिर देहरादून जाना पड़ा कुछ हालत ऐसे हुए कि फोन टूट गया तो सारे कॉंटॅक्ट्स डेलीट हो गये और जब मैं घर गया तो पता चला कि घरवालो ने नया घर बना लिया है और मम्मी ने मेरा सारा पुराना समान जला दिया है तो सब कुछ ख़तम ही हो गया मेरे लिए पर चाची ने तुम्हारी कुछ चिट्ठिया बचा ली थी उन्ही से पता चला कि तुम मुंबई मे हो
तो फिर मैं उधर भी गया पर मकान मालिक बोला निशा तो गयी खाली करके तो फिर मैं हताश हो गया पर तुम ने भी कभी चिट्ठी नही डाली फिर दुबारा तो निशा बोली, मनीष मैं एक बार तुम्हारे घर गयी थी तो तुम्हारी मम्मी ने मुझे लताड़ दिया और कड़े शब्दो मे कहा कि मेरे बेटे से दूर रहना , वैसे तो उनकी बात का मुझे बुरा नही लगा पर फिर मैने सोच लिया कि शायद वक़्त की तरह तुम भी बदल गये होंगे तो फिर हिम्मत नही हुई दुबारा चिट्ठी डालने की
उफफफफफ्फ़ ये मम्मी भी ना पता नही क्या क्या करती रहती है आख़िर क्या ज़रूरत थी निशा से झगड़ा करने की, मैने निशा से कहा चल जो हुआ वो हुआ पर अभी मैं हर पल तेरे साथ ही हूँ और तू मेरे तो वो मुस्कुरा पड़ी बोली आओ तुम्हे कुछ दिखाती हूँ और मुझे अपने बेडरूम मे ले गयी तो मैने देखा कि दीवारो पर कुछ पुरानी तस्वीरे टॅंगी हुवी थी जिनमे वो और मैं थे
हमारे पुराने दिनो की बस वो थी और मैं था मैने कहा अब तक है तुम्हारे पास वो बोली बस मेरी तो यही अमानत है तो मैने उसे अपने गले से लगा लिया और अपनी बाहों मे कस लिया निशा रोते हुए बोली मनीष अब मुझे छोड़ कर कही नही जाना मैं बहुत ही अकेली हूँ कुछ भी नही मेरे पास बस तुम्हारी यादो के सिवा तो मैने कहा बस निशा इंतज़ार ख़तम हुआ अब मैं आ गया हू
तभी मैने पूछा माँ कहा है तो उसने एक फोटो की ओर इशारा किया जिसपर एक फूल माला चढ़ि हुई थी वो बोली सालभर पहले दमे के अटॅक की वजह से वो मुझे छोड़कर चली गयी और फुट फुट कर रोने लगी उफफफफफफफफफ्फ़ भगवान क्या तुम्हे सारे दुख इसे ही देने थे और एक मैं था जो पता नही क्या क्या सोचता रहता था कि निशा मुझे भूल गयी है
तो मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा कि निशा, बता ना तो वो बोली, मनीष तुम तो जानते ही हो कि पिताजी कारगिल युद्ध मे शहीद हो गये थे तो उनकी पेन्षन से माँ ने मुझे जैसे तैसे करके पढ़ाया लिखाया एक खेत हिस्से आया था और छोटा सा घर था काका-ताऊ का हाल तो तुम्हे पता ही था सब लालची कही के कभी मदद करने तो आए नही पर निगाह उस खेत पर थी
फिर तुमसे दोस्ती हो गयी थी तो मैं अपने हालत भूलने लगी थी पर फिर तुम भी चले गये फोज मे और मुझे भी बॅंक मे नोकरी मिल गयी तो मैं मुंबई आ गयी पर पीछे से चाची – ताई माँ से लड़ाई झगड़ा करने लगे एक दिन मैं गाँव मे गयी हुई थी तो मेरे आगे ही काफ़ी बड़ा झगड़ा हो गया उनसे तो फिर मैं माँ को लेकर यहाँ आ गयी मेरी सॅलरी अच्छी थी तो मुझे वैसे भी ज़रूरत नही थी किसी रिश्तेदार की
माँ ही मेरा सब कुछ थी जब मैं उन्हे ही अपने पास ले आई तो फिर वैसे भी गाँव का अब कोई मतलब रह नही गया था
मैने कहा पर तूने मुझे भुला दिया तो वो बोली ऐसा नही है मनीष बस तुम और तुम्हारी यादे ही तो है मेरे जीवन मे जिनके सहारे बस कभी कभी मुस्कुरा लेती हू , मैं तुम्हे चिट्ठि लिखा करती थी मैने कहा हाँ पर फिर तुम्हारी तरफ से जवाब आने बंद हो गये तो मैने फिर घर के पते पर भी कई लेटर्स पोस्ट किए पर तुम्हारा कोई जवाब कभी आया ही नही
मैने कहा यार खडकवासना से मुझे फिर देहरादून जाना पड़ा कुछ हालत ऐसे हुए कि फोन टूट गया तो सारे कॉंटॅक्ट्स डेलीट हो गये और जब मैं घर गया तो पता चला कि घरवालो ने नया घर बना लिया है और मम्मी ने मेरा सारा पुराना समान जला दिया है तो सब कुछ ख़तम ही हो गया मेरे लिए पर चाची ने तुम्हारी कुछ चिट्ठिया बचा ली थी उन्ही से पता चला कि तुम मुंबई मे हो
तो फिर मैं उधर भी गया पर मकान मालिक बोला निशा तो गयी खाली करके तो फिर मैं हताश हो गया पर तुम ने भी कभी चिट्ठी नही डाली फिर दुबारा तो निशा बोली, मनीष मैं एक बार तुम्हारे घर गयी थी तो तुम्हारी मम्मी ने मुझे लताड़ दिया और कड़े शब्दो मे कहा कि मेरे बेटे से दूर रहना , वैसे तो उनकी बात का मुझे बुरा नही लगा पर फिर मैने सोच लिया कि शायद वक़्त की तरह तुम भी बदल गये होंगे तो फिर हिम्मत नही हुई दुबारा चिट्ठी डालने की
उफफफफफ्फ़ ये मम्मी भी ना पता नही क्या क्या करती रहती है आख़िर क्या ज़रूरत थी निशा से झगड़ा करने की, मैने निशा से कहा चल जो हुआ वो हुआ पर अभी मैं हर पल तेरे साथ ही हूँ और तू मेरे तो वो मुस्कुरा पड़ी बोली आओ तुम्हे कुछ दिखाती हूँ और मुझे अपने बेडरूम मे ले गयी तो मैने देखा कि दीवारो पर कुछ पुरानी तस्वीरे टॅंगी हुवी थी जिनमे वो और मैं थे
हमारे पुराने दिनो की बस वो थी और मैं था मैने कहा अब तक है तुम्हारे पास वो बोली बस मेरी तो यही अमानत है तो मैने उसे अपने गले से लगा लिया और अपनी बाहों मे कस लिया निशा रोते हुए बोली मनीष अब मुझे छोड़ कर कही नही जाना मैं बहुत ही अकेली हूँ कुछ भी नही मेरे पास बस तुम्हारी यादो के सिवा तो मैने कहा बस निशा इंतज़ार ख़तम हुआ अब मैं आ गया हू
तभी मैने पूछा माँ कहा है तो उसने एक फोटो की ओर इशारा किया जिसपर एक फूल माला चढ़ि हुई थी वो बोली सालभर पहले दमे के अटॅक की वजह से वो मुझे छोड़कर चली गयी और फुट फुट कर रोने लगी उफफफफफफफफफ्फ़ भगवान क्या तुम्हे सारे दुख इसे ही देने थे और एक मैं था जो पता नही क्या क्या सोचता रहता था कि निशा मुझे भूल गयी है