Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है - Page 4 - SexBaba
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Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है

अब मैने उसे सीधी लिटाया और चुदाई करने लगा उसके कुल्हो की थिरकन बढ़ ती ही जा र्है थी तभी उसने अपने चुतड पूरी तरह उठा दिए और अपने बदन को ऐंठते हुवे झड़ने लगी चूत मे पानी की बढ़ आ गयी थी जिस से लंड फिसलने लगा मैं भी लग भग करीब आ ही गया था और कुछ देर में एक ज़ोर की आह भरते हुवे चूत मे ही झाड़ गया…………

अब वो उठी और अपने कपड़े उठाने लगी तो मैने उसके हाथ को पकड़ ते हुवे कहा कि अभी क्यों पहन रही हो अभी थोड़ी देर रुक जाओ पर वो नही मानी और बोली तुम को जो चाहिए था वो तो तुम्हे दे ही दिया है मैं तुम्हारी लगती भी क्या हू मैं तो तेरे लिए एक रांड़ हू बस चोदने के लिए उसकी बात मुझे चुभ गयी

मैने कहा कि क्या तुम मेरी दोस्त नही हो तो वो बोली कि रे बावले दोस्ती को क्यों बदनाम करता है ये तू भी जानता है कि जिस दिन मुझसे अच्छी मिल जायगी मुझे भूल जायगा और थोड़ी एमोशनल होगयि बात तो उसने 100% सही कही थी आख़िर उसका मेरा रिश्ता ही क्या था दोस्ती तो बस चुदाई के लिए ही थी

तो मैने भी पूछ लिया कि जब तुम्हे पता ही हैं तो क्यों आती हो वो बोली अच्छा लगता हैं तेरा साथ जब तेरे साथ होती हू तो थोड़ा हँसने-मुस्कुराने का बहाना मिल जाता है ना जाने क्यो उसकी बात दिल के अंदर धाड से लगी मैने कुछ भी नही कहा और बस उस को अपनी बाहों मे भर लिया

उसने मुझे हटाया कि छोड़ो पेशाब करना है और बाहर जाके मूतने बैठ गयी साली कमिनी थी पूरी ज़ालिम मेरी ओर मूह कर की ही मूत रही थी मैं चूत से बहती पेशाब की धार को देख रहा था जो उसकी फांको को भिगोरहि थी फिर वो मेरे पास आके बैठ गयी और बोली क्या सोचने लगे तो मैने कहा कुछ नही मैने अपनी जेब मे हाथ डाला और 300 रुपये उसको देते हुवे बोला ये मेरी तरफ से रख लो

तो वो नाराज़ होती हुए बोली मैं तेरे साथ सोती हू पर रंडी नही हू जो पैसो से तोल रहा है तो मैं बोला तुम ग़लत समझ रही हो ये तो मेले के लिए गिफ्ट है तो वो बोली अगर गिफ्ट देना ही था तो खुद खरीद भी सकते थे और गुस्से मे पैर पटक ते हुए चली गयी मैं उसे रोकना चाहता था पर ना रोक सका ना चाहते हुवे भी आज उसने दिल मे एक हूक सी जगा दी थी

मैं भी उठा और थोड़ा पानी पिया और मुँह धोया पता नही चुदाई के बाद प्यास कुछ ज़्यादा ही लगती थी फिर घर की ओर चल दिया वहाँ जाके देखा कि मेन गेट पे ताला लगा हैं तो ध्यान आया कि घर वाले तो मेले मे गये हैं भूख भी लग रही तो मैं भी मेले की ओर चल दिया

हालाँकि मुझे पसंद नही था पर मेरे कदम चल ही पड़े उस ओर या यूँ कहूँ कि तक़दीर कुछ ओर ही खेल खेलना चाहती थी वहाँ पहुच के सबसे पहले दो समोसे खाए तब थोड़ी जान आई गरम हवा सरपट दौड़ रही थी और कुछ भीड़ गर्मी सब कुछ जैसे उबल सा रहा था तो सोचा कि लगे हाथ क्यों ना गन्ने का रस भी पी लिया जाए मैं भी अब मेले के रंग मे रंगने लगा था

तभी एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम की लिए कुछ खरीद लूँ थोड़ा डर भी था कभी कोई देखना ले कि मैं लड़कियों का समान किस के लिया खरीद रहा हू और कुछ गले मे पहन ने के लिए देखने लगा

तभी पीछे से कोई मुझसे टकरा गया मैने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो बस देखता ही रह गया साँवली रंगत चेहरे पे हल्की सी ज़ुल्फ़िें बिखरी हुई उसने फॉरन ही मुझसे सॉरी कहा तो मैं भी मुस्कुरा दिया ये उसकी ऑर मेरी पहली मुलाकात थी वो मुस्कुराइ और इठलाती हुई आगे बढ़ गयी मैं बस उसे जाते हुवे देखता ही रहा…………………….. ……..
 
वो लड़की कुछ ही सेकेंड मे एक छाप से छोड़ गयी थी फिर प्रीतम के लिए कुछ खरीदा और थोड़ी देर मेले मे घूमने के बाद घर की ओर प्रस्थान किया शाम हो चली थी लाइट भी नही आ रही थी तो ओर भी मुश्किल सी हो गयी थी मैने आँगन मे खाट बिछाई और उसी पे लेट गया

चाची झाड़ू लगा रही थी उनकी पीठ मेरी ओर थी मैं उनकी गान्ड को देख रहा था साली जिंदगी भी दो तरह से चल रही थी एक तरफ मैं लुस्ट मे डूबा जा रहा था और दूसरी ओर एक नयी राह भी थी जिसपे चलने की तैयारी होने लगी थी मेरा ध्यान पूरी तरह से चाची पे ही था जी कर रहा था कि उसी वक़्त उन्हे चोद दूं पर मजबूरी थी तो सीधा उठके बाथरूम मे घुस गया और उनकी कच्छि को लंड पे रगड़ते हुए मूठ मारने लगा

अब जाके थोड़ा चैन आया उन दिनो साला लंड भी जब चाहे खड़ा हो जाता था पेंटी को उसकी जगह पे रखा और हाथ मूह धोके मैं फिर वापिस आ गया पापा और चाचा भी आ चुके थे तो मैं उनसे बाते करने लगा मई के लास्ट दिन चल रहे थे

तभी चाचा बोले कि 10+2 मे वो मेरा अड्मिशन सिटी मे करवाएँगे ताकि मैं बेहतर ढंग से स्टडी कर सकूँ ये सुनके मैं बहुत ही खुश हो गया तभी चाचा बोले कि जा रसोई मे देखके आ कि खाना बन ने मे कितनी देर हैं मैं वहाँ पे गया तो देखा कि चाची आटा ही लगा रही थी वो बोली बस बना ही रही हैं वो स्लॅब के पास खड़ी आटा लगा रही थी अचानक मुझे पता नही क्या सूझा मैं उनके पीछे खड़ा हो गया

थोड़ी चापलूसी करते हुए बोला चाची आप सारा दिन कितना काम करती हो कभी आराम भी किया करो घर मे ऑर भी हैं वो भी खाना बना सकते है तारीफ औरत की सबसे बड़ी कमज़ोरी होती हैं मैं थोड़ा और मक्खन लगाते हुए बोला कि क्या मैं उनकी हेल्प करू और थोड़ा और उनके करीब सट गया अब मेरी जांघी उनके पिछवाड़े पे टच हो रही थी मेरा नागराज भी खड़ा होने लगा था मैने थोड़ी हिम्मत करते हुए अपना हाथ उनके पेट पे रख दिया और उसपे हाथ फेरने लगा चाची थोड़ा कसमसा गयी पर कुछ ना बोली और आटा लगाती रही मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी और मैं उनसे बिल्कुल ही चिपक गया था लंड उनके कुल्हो पे रगड़ खा ने लगा था मुझे सॉफ पता चल रहा था कि उनकी सांसो मे ठहराव आ गया था तभी उन्होने भी अपने कुल्हो को थोड़ा पीछे कर दिया

अब हम दोनो ही जानते थे कि ये चाची-बेटे के प्यार से थोड़ा बढ़ कर कुछ ऑर ही हो रहा था तभी चाचा ने आवाज़ लगाई और मैं घबराते हुए बाहर की ओर भाग चला. फिर कुछ नही हुवा डिन्नर के बाद मैने अपना बिस्तर छत पे लगाया और रेडियो को ऑन करके लेट गया आज गाने भी कुछ ज़्यादा ही रोमॅंटिक चल रहे थे

मुझे तभी उस लड़की का ध्यान आया जो मेले मे टकराई थी दो पल की मुलाकात फिर से मुझ पे हावी होने लगी थी कुछ तो रोमॅंटिक गानो का सुरूर ओर कुछ उस लड़की की कशिश हालाँकि कशिश तो मैने भाबी और प्रीतम मे भी महसूस की थी पर ये कुछ अलग ही था नींद उड़ गयी थी मैने सोचा गाँव की तो नही हो सकती है होती तो पता चल ही जाता पता नही कॉन थी कहाँ रहती थी

एक तो वैसे ही बैचैन था उपर से लव गुरु भी रेडियो पे उस खुमारी को ऑर भी बढ़ा रहे थे गला सूखने सा लगा था पानी की बॉटल टटोली तो पाया आज तो बोतल नीचे ही भूल आया था मैं नीचे की ओर चल पड़ा रसोई मे जा ही रहा थी कि तभी किसी के हल्के से हँसने की आवाज़ आई तो मेरे कान खड़े हो गये

थोड़ा दीवार की पास चिपक के आँगन की ओर देखा कि चाचा ने चाची को पलंग पे घोड़ी बनाया हुवा हैं . दोनो संभोग करने मे मस्त हैं मैं छुप के उन्हे देखने लगा जाने कब मैने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे हिलाने लगा

कुछ ज़्यादा सॉफ तो नही दिख रहा था पर जितना भी था काफ़ी था अब चाची चाचा के लंड पे बैठ के उछल कूद मचा रही थी मेरा पानी भी निकलने ही वाला था तभी साला जुलम हो गया लाइट अचानक आ गयी और पूरे आँगन मे बल्ब की रोशनी मे नहा गयी मैं एक दम से हड़बड़ा गया छिपने की कोई जगह भी नही थी और तभी चाची की नज़र मेरे उपर पड़ी

उनकी आँखे हैरत से फैल गयी मेरे हाथ मे मेरा तना हुआ लंड झूल रहा था और उधर वो नंगी अपने पति के लंड पे कूद रही थी मैने आव देखा न ताव और सीढ़ी पर दौड़ लगा दी और घर के बाहर चबूतरे पे आके बैठ गया …………..


सुबह हुई तो मैं सीधा प्लॉट मे चला गया रात का घटना क्रम आँखो के सामने ही घूम रहा था समझ नही आ रहा था कि कैसे चाची को फेस करूँगा फिर प्रभु का नाम लिया और सोचा कह दूँगा ग़लती हो गयी और माँफी माँग लूँगा

नहाया धोया पशुओ को नहलाया उसी मे काफ़ी टाइम हो गया था पेट मे चूहे भी दौड़ने लगे थे पर हिम्मत नही हो रही थी घर जाने की तो मैने सोच कि गाँव के बस स्टॅंड की ओर घूम आता हू और वही कुछ खा भी लूँगा

जैसे ही जेब मे हाथ दिया तो वो खाली थी कोई बात नही दिल को समझाया और फिर भी उधर ही चल पड़ा तभी विचार बदला और सोचा क्यों ना प्रीतम के घर की तरफ राउंड लगाया जाए कई दिन से उसका दीदार भी नही हुआ था

तो वो अपने गेट मे ही खड़ी थी मैने उसे देखा और स्माइल पास की उसने अपनी छोटी को घूमाते हुए मुझे चिड़ाया तभी उसने आने का इशारा किया मैने चारो ओर देखा और साव धानी से उसके घर मे घुस गया
 
उसने फॉरन ही गेट बंद कर दिया मैने पूछा घर वाले कहाँ गये तो वो मंद मंद मुस्कते बोली कि उसकी मा और भाई सहर गये हैं और और शाम तक ही वापिस आएँगे मेरे चेहरे पे कुटिल मुस्कान छा गयी

पर मुझे भूक लग रही थी तो मैने उस से रोटी के लिए कहा तो बोली अभी तो कुछ नही हैं रात की बासी रोटी ही हैं और थोड़ी चटनी हैं तुम चाहो तो वो ख़ालो या रुक जाओ मैं गरम बना दूं

तो मैने कहा कि जो है वो ही दे दो और रोटी खाने लगा उसने एक गिलास मे लस्सी भी डाल दी. उस दिन पता चला कि खाने का स्वाद क्या होता हैं थी तो बस चटनी रोटी पर आज तक उस स्वाद को तरसता हू

मुझे खाना खाते देख प्रीतम बहुत ही खुश हो रही थी खाना ख़तम हुवा उसने बर्तन समेट दिए और मुझे उनके चॉबारे मे ले आई और मेरी गोद मे आ के बैठ गयी

मैं उसकी पीठ सहला रहा था उसने अपने होंठ आगे को बढ़ाए तो मैने मना करते हुए कहा कि पहले मैं उस से कुछ बात करना चाहता हू तो बोली हाँ क्यों नही मैं तो बेताब हू कि कब तू मेरी तारीफ करेगा

तो मैने उसकी नशे से भरी आँखो मे देखते हुए पूछा कि तू मेरी कॉन है तो बोली तुझे क्या लगता है तो मैने कहा घुमा मत और बता कि तू मेरी क्या लगती हैं तो बोली कि मैं तेरी अधूरी प्यास हू जो जितना बुझती है उतना ही भड़कती जाती हैं

तो मैने कहा तेरे मेरा क्या रिश्ता है तो वो बोली नदी के दो किनारों का मैने फिर पूछा कि तेरे- मेरे रिश्ते का क्या अंजाम वो हँसते हुए बोली ना कोई आगाज़ ना कोई अंजाम

बोली इतना मत सोचो आख़िर एक ना एक दिन तो हमे बिछड़ना ही होगा तो फिर हम क्यों आस करे कुछ तो बात थी उस लड़की मे उसने मेरी तरफ बढ़ते हुए कहा कि जो चल रहा हैं उसी तरह चलने दो या सब बंद कर दो पर कोई आस कभी मत पालना

क्योंकि जब उम्मीद टूट ती है तो संभालना मुश्किल हो जाता हाँ और नीचे चली गयी कुछ देर बाद वो एक प्याला लेके आई जिसमे कुछ रसगुल्ले थे और मेरी और बढ़ाते हुए बोली कि लो खाओ तो मैं बोला तुम ही खिला दो क्या पता फिर तुम्हारे हाथ से कुछ खाने को मिले या ना मिले

तो वो मेरी गोद मे वापिस आके बैठ गयी और बड़े ही प्यार से मुझे खिलाने लगी उसकी उंगलिया चाशनी मे भीग गयी थी रसगुल्ले के साथ साथ मैं उसकी उंगलियो को भी चाटने लगा वो बस मुस्कुरा रही थी

दो-तीन पीस खाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगा और खुद के भी उतार दिए अब हम दोनो एक दूसरे के जिस्मो अपनी आँखो से तोल रहे थे मैने एक रसगुल्ला उठाया और उसकी चाशनी प्रीतम के होंटोपे निचोड़ दी

तो वो बोली अरे ये क्या कर रहे हो तो मैने उसे खामोश रहने को कहा कि वो मुझे मेरी मर्ज़ी से उसे प्यार करने दे और उसके मीठे मीठे अधरो को चूमने लगा बहुत ही मनमोहक पल था वो चासनी हमारे मूह मे घुलने लगी थी

ना जाने कितनी देर हम ऐसे हुए एक-दूसरे को चूमते रहे उसकी सांसो को मैं अपने अंदर महसूस कर रहा था अब उसे लिटाया और उसकी 36 इंची चूचियों पे भी थोड़ा रस बिखेर दिया




और उसके निप्पल को चूसने लगा प्रीतम के निप्पल बहुत ही सेन्सिटिव थे और जैसे ही मैं उन्हे चूस्ता तो वो झट से गरम हो जाती थी धीरे धीर मैं उसके पूरे शरीर को चाटने चूमने लगा वो पड़ी पड़ी बस आहें भर रही थी

अब मैं उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत के बालो पे फेरने लगा उसने अपनी जांघे थोड़ा उपर की ऑर फैला ली कमरे मे बस हमारी गहरी साँसे ही गूँज रही थी जीभ अब उसके दाने पे घूमने लगी थी और उसके हाथ उसकी गोल गोल चुचियों को मसल रहे थे

मैने कुछ चाशनी चूत पे भी गिरा दी थी जिस से उसकी चूत का रस और मीठी चासनी मिक्स हो गये थे और खारा मीठा सा टेस्ट आ रहा था अब पूरी गहराई में जहाँ तक मैं जीब डाल सकता था प्रीतम की चूत मे डाल थी

और अंदर बाहर करने लगा वो तो सातवे आसमान मे पहुच गयी थी और उसकी टाँगे बुरी तरह से मेरे चेहरे पे कसी पड़ी थी उसकी चूत की गर्मी मेरे चेहर पे सॉफ पड़ रही थी तभी वो ज़ोर से चीख मारते हुए ढीली पड़ गयी मैं उसका सारा रस पी गया और वो हाँफने लगी

मैने फिर से उसके होटो पे एक लंबा चुंबन दिया और उसके चेरे पे अपना लंड रगड़ने लगा अब लंड उसके होंटो पे रगड़ खा रहा तो उसने अपना मूह खोला और सुपाडे को अपने मूह मे ले लिया और किसी कुलफी की तरह उसे चूसने लगी

चूस्ते चूस्ते उसने लंड को बाहर निकाल दिया तो मैने कहा क्या हुवा तो वो बोली सारा मज़ा क्या तू ही लेगा और बची हुवी चाशनी मेरे लंड और गोलियों पे गिरा दी मैं अब फरश पे खड़ा होके उसे लंड चूसा रहा था और वो नीचे बैठी हुवी थी मैने उसके सर को पकड़ लिया और हल्के हल्के धक्के से मारने लगा

तभी उसने अपनी चूत मे उंगली रगड़नी शुरू कर दी ये देख कर मुझे और भी जोश आ गया 5-7 मिनिट और चूसने के बाद मैने उसे घुटनो के बल झुकाया और चूत मे लंड को सरका दिया उसकी कमर को थामे मैं उसे चोद रहा था प्रीतम भी पूरा सहयोग कर रही थी

तभी मैं अपना एक हाथ उसकी कमर से हटाया और चूत पे रख दिया मेरी उंगली अब उसके दाने को टटोल ने लगी थी ऐसा करने से प्रीतम की उत्तेजना मे और भी इज़ाफा हो गया था वो बोली रे जालिम ये क्या कर दियाआआअ आआआआआआआआआआआआआअ आआआआआआआआ

आज तो मेरी जान ही निकाले गा क्या और बोली ऐसे चोद्ता रह मुझे जब तब मेरी जान ना निकले बस चोद्ता ही रह मुझे बस इसी तरह मेरी प्यास बुझाता रह रुक मत और हाँफने लगी मेरी भी साँस फूलने लगी थे पर मैं अभी झड़ना नही चाहता था

तो मैने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे लिटा ते हुए अपने होंठ एक बार फिर उसकी गरमा गरम चूत पे रख दिए प्रीतम तो जैसे बावली हो गयी थी उसने काँपति आवाज़ मे कहा आक्टिंग मत कर और चोद मुझे ये सुन के मुझे हँसी आ गयी और मैने उसकी टाँगो को अड्जस्ट किया और उसे चोदने लगा
 
वो भी पूरे जोश मे थी कुल मिलाके कमरे मे एक तूफान आया हुवा था काफ़ी देर तक चुदाई चलती रही और फिर ऐसे ही हम काम सुख की ओर बढ़ गये पता नही कितनी देर मैं उसके उपर ही पड़ा रहा फिर उसने धक्का देते हुए कहा कि उठो और मैं साइड मे लेट गया दोपहर हो गयी थी

वो बोली मैं खाना बना लूँ तब तक तुम लेट जाओ तो मैने कहा पहले एक राउंड और मार लू तो वो हंसते हुए बोली कि खाना बनाने के बाद और कपड़े पहने और नीचे चली गयी मैने भी अपने को अड्जस्ट किय और उसके पीछे पीछे नीचे चल पड़ा

वो रसोई मे खाने की तैयारी कर रही थी मैं भी वही बैठ गया और उस से बाते करने लगा फिर हम ने खाना खाया इस सबमे लग भग एक घंटा तो लग ही गया होगा कुछ समय बाद हम फिर से बिस्तर पे पहुच चुके थे कपड़े नीचे फर्श पे पड़े हुए थे मैं लगा तार उसकी गान्ड के छेद को सहला रहा था तो वो बोली क्या इरादा है

तो मैं अपनी उंगली गान्ड मे डालने की कोशिश करता हुआ बोला मुझे ये चाहिए अभी तो वो बोली तुम कब से कुछ पूछ के लेने लगे जो अब पूछ रहे हे मैं खुश हो गया और उसको चूम लिया मैने उंगली पे थूक लगाया और गान्ड मे सरका दी प्रीतम की गान्ड तो अनिता भाभी से भी ज़्यादा टाइट थी खैर मोर्चा तो फ़तेह करना ही था

मैने प्रीतम को उल्टा लिटाया और ढेर सा थूक उसकी गान्ड पे लगा दिया और लंड को वहाँ पे रगड़ने लगा प्रीतम को मैने थोडा रिलॅक्स होने को कहा तो वो बोली जिसकी गान्ड मे लंड घुसने वाला हो वो रिलॅक्स कैसे हो सकता हैं तभी मैने लंड को अंदर डालने की कोशिश की पर वो फिसल रहा था मैं थोड़ा थूक और लगाया और थोड़ा ज़ोर लगाते हुए लंड को थोड़ा अंदर डाल ही दिया

जैसे ही लंड अंदर गया उसकी आँखो की आगे अंधेरा छा गया और वो बेहोशी के कगार पे पहुच गयी पर मैने लंड निकाला नही क्योंकि मुझे पता था कि अगर निकाल लिया तो फिर ये डालने नही देगी आँसू आ गये उसकी आँखो मे और वो ज़ोर से रोती हुए बोली ओहमेरी मा आज तो मर ही गयी

तुम अभी इसको बाहर निकाल लो पर मैने उसे थोड़ा सबर करने को कहा और उसे बातो मे उलझाने लगा कुछ देर बाद अब मैने लंड को अंदर सरकाने का सोचा और थोड़ा और अंदर डालने लगा अब वो भी थोड़ा सहज फील कर रही थी तो मुझे भी तसल्ली हुवी और ऐसे ही धीरे धीरे मैने पूरा लंड अंदर घुसा दिया अब मेरे अंडकोष उसके गद्देदार चुतडो पे टकरा रहे थे मुझसे रुका नही जा रहा था आधे लंड को बाहर की ओर खिचा और फिर से अंदर डाल दिया

अब उसकी गान्ड भी थोड़ा रेस्पॉन्स करने लगी थी मैने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए प्रीतम अभी भी दर्दभरी सिसकारिया निकल रही थी धक्को की रफ़्तार भी अब बढ़ने लगी थी मैं प्रीतम के गालो को मस्ती से काट ते हुए गान्ड चोद रहा था दास-पंद्रह मिनिट तक ऐसे ही करने के बाद मैने अपने लंड को निकाला और उसके मांसल कुल्हो पे अपने वीर्य की धार छोड़ दी उस दिन प्रीतम को कुल तीन बार चोदा घड़ी देखी तो4 .30 हो गये थे प्रीतम बोली अब तुम जाओ घर वाले भी आने ही वाले होंगे और फिर एक किस के बाद मैं उसके घर से निकलकर अपने घर की ओर चल पड़ा



ज्यों ज्यों घर नज़दीक आ रहा था अब मेरी गान्ड फटने लगी थी कि अगर चाची ने रात वाली बात मम्मी को बता दी हो गी तो आज तो गया पर घर तो जाना ही पड़ता वो ही तो एक ठिकाना था दरवाजे पे ही मम्मी के दर्शन हो गये वो मुझे देखते ही गुस्से से बोली कहाँ मर गया था तू सुबह से कुछ अता-पता नही हैं यहाँ हम कितने परेशान है और ये साहिब आवारगार्दी करते घूम रहे थे आज आने दे तेरे पापा को अंदर गया तो चाची टीवी देख रही थी उन्होने मुझ पर एक भरपूर निगाह डाली और उठकर मेरे लिए खाना डालने लगी
 
मैं भी रसोई मे चला गया था मुझे प्लेट देते हुए बोली कहाँ गये थे सुबह से तो मैं कुछ नही बोला तो वो हल्के से डाँटते हुए बोली कि आज कल बहुत बड़ा हो गया है तू मैं चुप ही रहा तो वो बोली कल रात को क्या देख रहा था तो मैने गर्देन नीचे करली और कुछ नही बोला उन्होने फिर सवाल किया बोली आजकल तुम कुछ ज़्यादा ही उड़ रहे हो लगता हैं तुम्हारी शिकायत दीदी से करनी पड़ेगी तो मैं उनके पाँवो मे गिर गया और माफी माँगने आगा तो वो बोली जा अभी खाना खा ले बाद मे बात करेंगे अब कैसा खाना खाना था

पर फिर भी खा ही लिया थोड़ा बहुत तभी चाचा भी आ गये मैं टीवी देखने लग गया रात घिर आई थी मैं तो रोज छत पे ही सोता था दिनभर जो चुदाई की थी तो थकान से जल्दी ही सो गया अगले दिन जब मैं नहा रहा था तो देखा कि आज वहाँ एक सुंदर सी ऑरेंज कलर की पेंटी रखी थी अब तो मेरी आदत ही बन गयी थी चाव्ही की पेंटी मे मूठ मारने की की एक बार फिर मैने वैसे ही दोहराया और फिर नहा के बाहर आ गया मम्मी खेत पे जाने की तैयारी कर रही थी तभी चाची बोली दीदी क्यों ना आज मैं खेत मे चली जाउ

इधर घर ही घर में रहते हुए थोड़ा बोर सा हो गयी हू तो मम्मी ने हाँ करदी और मुझे बुला के कहा कि चाची के साथ खेतो पे चले जाओ और उनकी मदद करना मैं थोड़ा खुश सा हो गया एक घंटे बाद हम खेतों की ओर चल पड़े खेत कोई एक-डेढ़ किलोमीटर दूर पड़ ते थे हम पैदल ही जा रहे थे चाची ने आज हल्केहरे रंग की साड़ी और वाइट ब्लाउज डाला हुवा था जिसमे उनकी खूबसूरती और भी बढ़ गयी थी धूप तेज होने के कारण उनको पसीना आने लगा था तो मैने रुमाल उनको देते हुए कहा चाची पसीना पोंछ लो

तो वो बोली तुझे आजकल मेरी बहुत पड़ी है बड़ा ध्यान रखने लगा हैं मेरा तो मैं बोला यह तो मेरा फर्ज़ है तो वो चुटकी लेते हुवे बोली कि हां तभी तो आज कल मेरी कछियो पे बड़ा फ़र्ज़ निभा रहे हो और मेरी ओर देखने लगी मैने कुछ नही कहा तो बोली अब बड़ा शर्मा रहा हैं जब ये कांड करते हो जब शरम नही आती तो मेरे मूह से निकल गया कि चाची आप हो ही इतनी मस्त रुका ही नही जाता ये सुनके उनके गाल लाल हो गये और मुझे हल्की सी चपत लगाते हुए बोली शरम नही आती अपनी चाची पे लाइन मारते हुए और जोरो से हँसने लगी

तो मैं भी मुस्कुरा दिया अब मेरा डर पूरी तरह से दूर हो गया था मैने विचार किया कि शायद वो भी रूचि ले रही है और ऐसे ही बाते करतहुए हम खीतो मे पहुच गये मैं तो सीधा ही पानी की होदि मे कूद गया और नहाने लगा चाची वही पड़ी चारपाई पे बैठ गयी और मुझे देखने लगी मैं नहाते हुए बोला क्या देख रही हो तो वो कुछ नही बोली और उठ के होदि के पास आ गयी और अपना मूह धोने लगी तो मैने कहा कि अगर इच्छा है तो नहा ही लो तो वो बोली कपड़े नही है और उपर से तुम भी तो हो जो वैसे ही इतनी तान्क झाँक करते रहते हो तो ना चाहते हुए भी मेरे होंटो पे एक शरारती स्माइल आ गयी .
 
नहा के मैने वापिस कपड़े पेहन लिए और बोला कि चलो चाची अब थोड़ा काम कर लेते है और खेतो की उस तरफ चल पड़े जहा कुछ घास उगी हुई थी हम घास काट रहे थे तो चाची जल्दी ही थक गयी क्यों कि वो ऐसे भारी काम थोड़ा कम ही करती थी तो मैं भाग के एक डब्बे मे उनकेलिए पानी लाया और उन्हे दिया जब वो पानी पी रही तो थोड़ा पानी उनके ब्लाउज पे भी गिर गया जिस से अंदर ब्रा दिखने लगी वैसे भी उनके उभार हमेशा ब्लाउज की क़ैद से बाहर आने को मचलते रहते थे मैने उन्हे बैठने को कहा और खुद घास काटने लगा फिर उसको पोटली मे बाँधा और चाची के सर पे रख दिया वो घास की पोटली उठाए मेरे आगे आगे मटकती हुई चल रही थी

मुझे लगा आज उनकी गान्ड कुछ ज़्यादा ही मटक रही थी फिर हम कुवे के पास बने कमरे पे पहुचे और उन्होने पोटली वहाँ रख दी आज कई काम करने थे मैने अब कस्सि उठाई और उग आई खरपतवार को काटने लगा दोपहर होने को आई थी और उपर से गर्मी का क़हर मैने काम को रोका और चाची की पास आके बैठ गया ऑर उन्हे देखने लगा वो भी थका थका महसूस करने लगी थी तो मैने कहा कि अगर वो चाहे तो थोड़ी देर चारपाई पे लेट जाए और चारपाई को कमरे के अंदर डाल दिया वो अब लेट गयी और मैं बाहर आके बचा काम खातम करने लगा पूरे काम मे एक घंटे से भी ज़्यादा लग गया था

जब मैं कमरे मे गया तो चाची अपनी आँख बंद करके लेटी हुई थी पर मेरे जाने से वो जाग गये और बोली अगर काम हो गया तो तुम भी थोड़ा आराम कर्लो मैं बोला मैं नीचे ही लेट जाता हू तो उन्होने कहा कि नही इधर मेरे पास ही चारपाई पे आ जाओ ये सुनके मुझे बड़ी ख़ुसी हुई मैं तो निक्कर बनियान मे ही लेट गया खाट दो लोगो के लिए थोड़ी छोटी थी पर अड्जस्ट तो करना ही था थोड़ी देर बाद मैने अपना हाथ उनके पेट पे रख दिया और उसे सहलाने लगा चाची की आँख बंद थी मैं धीरे धीरे उनके पेट को सहलाता रहा और फिर अपनी एक उंगली उनकी नाभि मे डाल दी और उस से छेड़खानी करने लगा

चाची की छातिया जोरो से उपर नीचे होने लगी थी माथे पे पसीना छलक आया था पर उन्होने आँखे नही खोली और ना ही मुझे रोका मेरा लंड निक्कर मे टॅंट बना ने लगा था अब मैने सोचा जो होगा देखलेंगे और अपना हाथ उनके ब्लाउज पे रख दिया और धीरे से उनकी चूची को दबा दिया उनके मुँह से आहा निकल गयी मुझे पता चल गया कि वो सोने का नाटक कर रही है मैं धीरे से उनके बोबो को दबाने लगा उनका बदन काँपने लगा था अब मेरी हिम्मत बहुत ही बढ़ गयी थी और मोका भी ठीक ही था

तो मैने उनके हाथ को अपनी लंड पे रख दिया उन्होने फॉरन हाथ हटा लिया मैं दुबारा से उनका हाथ अपने लंड पे रख दिया और इस बार अपने हाथ से थोड़ा दबाव भी डाल दिया अब मैं मस्ती से उनकी चूची भींच रहा था और तभी उन्होने अपने हाथ से मेरे लंड को हल्का सा दबा दिया हम दोनो का बुरा हाल था उत्तेजना से परंतु अभी कुछ शरम बाकी थी मैने अपने होंठ उनकी गर्देन पे रख दिए और हल्का सा चूम लिया वो कुछ ना बोली मैं पूरी मस्ती से उनकी गर्देन चूमने लगा

उनका हाथ धीमे धीमे मेरे लंड को निक्कर के उपर से ही सहलाने लगा था मैने अब अपने काँपते होंठ उनके गालो पे रख दिए और उनको चूमने लगा मैं उनके गालो पे लगे सारे . को चाटने लगा चाची मदहोश होने लगी थी उनके हाथ का दबाव मेरे लंड पे बढ़ने लगा था अब मैने उनके गालो को छोड़ा और काँपति हुई आवाज़ मे बोला चाची अब तो आँख खोल दो उन्होने अब आँखे खोली और बोली उफफफफफफ्फ़ ये तुम क्या कर रहे हो मैं चाची तुम्हारी हू रुक जाओ हमे ये नही करना चाहिए हालाँकि कोई विरोध नही था

तो मैं बोला मैं आपको बहुत पसंद करता हू प्लीज़ बस एक बार ऑर उनकी चूत को साड़ी के उपर से कस्के मसल दिया ये ही जो लम्हा था जब मैने उनके होंटो पे अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा और साथ साथ चूत को मसलता भी जा रहा था अचानक उन्होने मुझे धक्का दिया और बाहर की ओर भागी मैं समझ ना पाया कि उन्हे क्या हुआ पर फुर्ती दिखाते हुए उन्हे फिर से अपनी बाहों मे जाकड़ लिया पर वो छूटने के लिए ज़ोर लगा रही थी तो मैने पूछा कि क्या हुवा तो वो शरमाते हुए बोली कि उन्हे पेशाब आ रहा हैं

जाने दो प्लीज़ पर मैने भी शरारत करते हुए कहा कि चाची यही करदो ना तो वो बोली नही मुझे जाने दो वो लरजते हुए बोली जाने दो कहीं यही ना निकल जाए तभी मुझे कुछ सूझा और उनकी साड़ी उठा के अंदर घुस गया और कछि के उपर मूह लगाते हुए बोला कि चाची आप मेरे मूह मे पेशाब कर दो तो वो हैरनहो गयी मैने फॉरन उनकी चड्डी नीचे सरका दी और चूत को मूह में भर लिया और उनकी कमर को मजबूती से थाम लिया और चाची का कंट्रोल भी खो गया और पेशाब की मोटी धार मेरे मूह मे गिरने लगी
 
मेरा मूह किसी लॉक की तरह उनकी चूत पे कसा हुआ था पेशाब की आखरी बूँद तक मैने पी ली और अपने दाँत हल्के से गढ़ाते हुए चूत को चूम लिया और वापिस उन्हे चड्डी पहना दी और उनके बराबर मे खड़ा हो गया चाची मुझे गाली देते हुए बोली कमिने कुत्ते तो तो बहुत बड़ा खिलाड़ी निकला मैं तो तुझे बच्चा समझती थी मैने हँसते हुए कहा कि बहुत ही टेस्टी था तो वो शरमा गयी और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया मैं कमरे का गेट बंद करने ही वाला था कि

तभी मेरी निगाह हमारी ओर आती हुई मम्मी पे पड़ी मैने कहा चाची मम्मी आ रही हैं उन्होने फॉरन अपने कपड़ो को ठीक किया और सलीके से चारपाई पे बैठ गयी और मैं बाहर पानी की होदि की तरफ चल पड़ा और हाथ मूह धोने का बहाना करने लगा मेरा तो साला खड़े लंड पे धोका हो गया था चाची खुद पके फल की तरह गोद मे गिरने को तैयार हो गयी थी पर पता नही मम्मी क्यों टपक पड़ी

अब कर भी क्या सकता था चान्स तो चला ही गया था मम्मी भी पहुच गयी थी और बोली कि तुम लोग दोपहर का खाना तो घर पे भूल आए थे तो मैं ले आई अब उन्हे कैसे बता ता कि उनके बेटे को किस चीज़ की भूक लगी थी, अब दबा के कहाँ या थोड़ी देर आराम किया फिर मम्मी बताने लगी कि कहाँ कहाँ से खरपतवार हटानी थी दिन ढलने तक उन्होने हमे खेतो मे जोता फिर हम घर की ओर चल पड़े चाची अब ओर भी प्यारी लगने लगी थी

मैं मायूस सा उनके साथ साथ चल रहा था एक तो चाची की मटकते चुतड और दूसरा मेरा लंड कुलबुला रहा था घर पहुचे फिर मैं टीवी की आगे बैठ गया पर मन नही लग रहा था तो मैं बाहर की ओर चला गया रास्ते मे मुझे प्रीतम का भाई मिला तो उसने बता या कि उसको आरपीएफ मे जॉब लग गयी है तो मैने उसे बधाई दी तो वो बोला चल यार तुझे मिठाई खिलाता हू और हम गाँव के अड्डे की तरफ चल पड़े वो बोला कि अगर मैं बुरा ना मानूं तो वो एक दो पॅक ड्रिंक करले तो मैने कहा अरे बिंदास होके करना अभी तो तू जॉब वाला हो गया और हम हँसने लगे और दारू के ठेके पे चल दिए

मैं पेप्सी पीने लगा और उसने साले ने पूरा हाफ ही टाँग दिया बिना पानी के और थोड़ी देर मे ही झूम ने लगा उसके कदम बहकने लगे अब साली नयी प्राब्लम हो गयी थी तो मैने फ़ैसला किया और उसको लादे लादे उसके घर पे गया छोड़ने के लिए तो देखा कि प्रीतम की मा आराम कर रही थी और प्रीतम रोटी बना रही थी मैने उसके भाई को खाट पे लिटाया और सुला दिया फिर उसकी मा के बारे मे पूछा तो उसने बताया की मा को बुखार सा हैं इसलिए वो आराम कर रही हैं पर हमारी बाते सुनके वो भी आ गयी और प्रीतम के भाई को देख के गुस्सा करने लगी और मुझे धन्यवाद दिया कि मैं उसको लेके आया तो मैने कहा कि कोई बात नही और वापिस होने के लिए मुड़ा

तो मैने सुना कि प्रीतम की मा कह रही थी कि ये कमीना तो नशे मे पड़ा हैं और मेरी तबीयत ठीक नही हैं अब तू ही जाके बाडे मे सो जइयो आजकल पशु चोर बहुत आते हैं और बॅट्री भी ले जाना और कोई दिक्कत हो तो पड़ोस वाली ताई को जगा लियो ये सुनके मेरा दिल खुराफाती हो गया और मुझे चूत का जुगाड़ दिखने लगा था दौड़ के घर गया और जल्दी से डिन्नर किया और फिर पापा को हुक्का भर के दिया और चापलूसी करते हुए बोला पापा आज कल पशु चोरो ने आतंक मचाया हुवा हैं रोज अख़बार मे आता हैं अगर आप कहे तो मैं प्लॉट मे सो जाया करू उन्होने हैरानी से मेरी ओर देखा ओर कहा तू कब से ज़िम्मेदार होने लगा

वैसे बात तो ठीक है पर तू एक काम करियो तेरे चाचा को भी साथ ले जइयो. ये ऑर मुसीबत हो गयी मैने चाचा को बताया कि आज उन्होने भी मेरे साथ जाना है प्लॉट मे और उधर ही सोना हैं तो वो बोले कि तू खुद तो उल्टे काम करता है और मुझे भी लप्पेट लिया तो मैने कहा कि आप मत जाओ बस पापा को पता ना चले मैं अकेला चला जाउन्गा तो वो बोले ये मेहरबानी किसलिए तो मैने कहा कल 100 रुपये दे देना तो वो हँसने लगे मैं नो बजे प्लॉट मे पहुच गया और अपना बिस्तर लगाया और लेट गया
 
प्रीतम के बाडे पे नज़र मारी तो वहाँ कोई दिखा नही था अब बस इंतज़ार ही था कोई आधे घंटे बाद फिर देखा तो वहाँ पे लाइट जल रही थी तो मैं समझ गया कि वो आ गयी होगी मैं कच्छे-बनियान मे ही था सावधानी से इधर उधर देखा और उसके बाडे की दीवार पे चढ़ के अंदर कूद गया धम्म्म्म की आवाज़ हुई तो वो थोड़ा चोंक गयी और थोड़ा ज़ोर से पूछा कॉन है मैं जल्दी से उसके पास गया तो वो मुझे देखते हुए बोली तुम यहाँ कैसे क्या कर रहे हो तो मैने उसे चुप करते हुए कहा मैं तो तुमसे मिलने आया हू उसने फॉरन लाइट बंद की ओर हम वहाँ बैठ गये

वो फुसफुसाते हुए बोली कि तुम भी मुझ मरवा के छोड़ोगे एक दिन इतनी भी क्या आग लगी है अब उसे क्या बता ता कि किस कदर आग लगी पड़ी थी मैने उसे मक्खन लगाते हुए कहा कि बिना आग के तुमसे मिलने नही आ सकता क्या तो वो थोड़ा फूल गयी और मेरा हाथ हल्का सा दबा दिया मैने उसे कहा कि चलो मेरे प्लॉट मे चल ते है मैने पूरा इंतज़ाम कर दिया हैं बस तुम्हारा ही इंतजार था तो वो बोली कि यहाँ पे रहना भी तोजरूरी है अगर कोई पशु चोर आ गया तो मैने उसे आश्वस्त करते हुए कहा कि डार्लिंग मेरा प्लॉट पास ही तो हैं और कुछ ऐसा होगा तो हमे पता चल ही जायगा

पर वो मान ही नही रही थी बहुत मिन्नते करने के बाद वो मानी और बोली अभी तुम जाओ मैं कुछ देर मे यहाँ पे पूरी तसल्ली करने के बाद आउन्गी तुम लाइट बंद रखना और गेट खुला छोड़ देना. फिर मैं बचते बचाते वापिस आ गया और उसका इंतज़ार करने लगा पूरे एक घंटे बाद वो आई और खुद ही गेट बंद कर्दिया और सीधा मेरे सीने से आके लग गयी आज रात भर के लिए वो मेरे पास थी ये सोचते ही मेरे बदन मे आग जल उठी

मैं बेतहाशा उसे चूमने लगा वो भी नागिन की तरह मुझे लिपटी हुई थी आज दो प्यासे फिर इस युद्ध के मैदान मे आ डटे थे प्रीतम बहुत ही खुली हुई लड़की थी ख़ासकर सेक्स के मामले मे जिस से मेरा मज़ा और भी बढ़ जाता था मैं उसके निचले होंठ को अपने दांतो से काट रहा था और उसने मेरे कच्छे मे हाथ डालके मेरे लंड को हिलाने लगी थी वो अपने अंगूठे से मेरे सुपाडे की खाल को रगड़ने लगी मेर मूह से आह फूट गयी तो वो और ज़ोर से रगड़ने लगी मैं उसकी अदा का कायल हो गया

मैने एक झटके मे उसका सूट निकाल दिया और खाट पे रख दिया मैं उसके पीछे आके खाड़ा हो गया और पीछे से उसको बाहों मे भर लिया लंड महा राज प्रीतम की गान्ड मे घुसने को मचल उठे ब्रा के उपर से ही उसके गदराई हुई चूचियो को सहलाने लगा वो मदहोश होने लगी कुछ ही देर मे ब्रा भी उतर चुकी थी मैं बोला डार्लिंग क्या बात हैं तुम्हारी चूची तो बहुत ही मोटी हो गयी है तो वो बोली तुमने ही तो किया हैं और मुझसे ही पूछ रहे हो और हम हँसने लगे मैने फॉरन सलवार खोली और कच्छि के साथ ही उतार दिया और अपनी बनियान भी उतार दी



मैने उसे अपनी बहो मे उठाया और वहाँ बने बाथरूम की ओर लेके चल दिया उसने भी अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी बाथरूम तो क्या था बस इटो को लगा के नहाने का जुगाड़ सा किया हुआ था वो मुझसे चिपके हुई खड़ी थी मैने पानी दोनो के शरीर पे डालना शुरू किया ठंडा पानी जब उसके गरम शरीर पे पड़ा तो उसे कंपकंपी होने लगी मैने साबुन उठाया और उसके कोमल जिस्म पे लगाना शुरू किया उसकी बूबो पे साबुन बार बार फिसल रहा था बहुत ही मज़ा आ रहा फिर उसकी पीठ से होते हुए उसकी गान्ड पे ढेर सारा साबुन लगा दिया था अब मेरे हाथ उसकी ठोस जाँघो पे थे

और चूत की ओर बढ़ रहे थे उसके पूरे शरीर पे साबुन लगाने के बाद अब साबुन प्रीतम के हाथ था उसने भी वो ही प्रिकिरया दोहराई और मेरे लंड को पूरा साबुन के झाग से ढक दिया चुदाई का कीड़ा अब कुलबुलाने लगा था मैने प्रीतम को वही पे घोड़ी बनाया और अपना लंड चूत मे पेल दिया प्रीतम की चूत मे घप से लंड घुस गया और उसके कूल्हे पीछे की ओर हो गये मैं उसे चोदने लगा बीच बीच मे मैं हमारे शरीर पे पानी भी डालता जा रहा था जिस से साबुन भी अपना कमाल दिखा रहा था

मेरे हाथ प्रीतम की बोबो पे फिसल रहे थे बहुत ही जोरो से हम चुदाई मे लगे हुए थे टाँगो के बीच से फ़च पच की सर्ली आवाज़ आ रही थी अब प्रीतम खड़ी हुई और मेरी गोदी मे बैठ के चुदने लगी हमारे होंठ एक दूसरे स जुड़ चुके थे वो पूरी जोश से अपने कुल्हो को हिला रही थी बहुत ही जबरदस्त अनुभूति हो रही थी प्रीतम पूरे जोशमे लंड पे कूद रही थी उसकी साँस फूलने लगी थी पर वो पूरी ताल मेरे लंड पे दे रही थी मेरे हाथ उसके कुल्हो को सहला रह थे कुछ देर तक कूदने के बाद वो आकड़ी और निढाल होके गोदी मे ही लेट सी गयी मैने थोड़ी देर झटेक दिए और फिर मैं भी झाड़ गया

पर वो ऐसे ही गोदी मे बैठी रही कुछ देर बाद वो उठी ओर अपने शरीर पे पानी डालने और चूत को भी पानी से सॉफ करने लगी और फिर उसने मेरे लंड को भी सॉफ किया हम काफ़ी देर तक ऐसे ही छेड़खानी करते हुए नहाते रहे फिर मैने उसके संगमरमरी बदन को तोलिये से पोन्छा और उसको उठा के बिस्तर पे लिटा दिया और खुद भी उस हुस्न की अप्सरा के पास लेट गया वो मेरे सीने को सहलाते हुए बोली तुम पता नही क्या करते हो मैं तुम्हे कभी मना कर ही नही पाती हू तो मैने भी कहा कि मैं कॉन सा तुम्हारे बिना तड़प ता ही रहता हू उसने पूछा कि कभी ओर किसी को चोदा हैं क्या तुमने तो मैने सॉफ झूट बोल दिया कि नही तुम ही मेरी पहली चूत हो

तो मेरे सीने मे मुक्का मारते हुए बोली कुत्ता कहीं का और अपना चेहरा मेरे सीने मे छुपा लिया मैं उसकी गोल गान्ड को सहलाने लगा था जो नहाने के बाद थोड़ा चिकनी हो गयी थी प्रीतम ने भी देर ना करते हुए मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और पपोल्ने लगी उसकी उंगलियो मे भी नशा था मेरा लंड हौले हौले झूमने लगा था शरीर मे जोश का संचार होने लगा था मैने प्रीतम के चुतडो को थपथपाया और उसे 69 की पोज़िशन मे कर दिया प्रीतम ने बड़े ही प्यार से अपनी चूत मेरे मूह से लगा दी और दूसरी तरफ लंड को अपने होंटो की तपिश देने लगी

उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ उसकी चूत से क्या मोहक सुगंध आ रही थी मैं उपर से नीचे पूरी चूत को चाट रहा था चूत से हल्का हल्का पानी बहने लगा था वो बाद ही प्यार से मेरे लंड को चूस रही थी अब उसके चुतड हिलने लगे थे वो मेरे चेहरे पे अपने कुल्हो का दबाव डालने लगी थी अब मैने अपनी जीभ उसकी चूत मे सरका दी दो उसने भी मेरे लंड को जड़ तक अपने मूह मे भर लिया अपने थूक से सान दिया तभी प्रीतम ने लंड को मूह से निकाला और बोली बस अब देर ना करो और जल्दी से डाल दो और अपनी टाँगे फैला की लेट गयी मैने लंड को उसकी चूत की छेद पे रगड़ना शुरू किया
 
वो ओर भी गरम हो गयी और बोली अब डाल भी दे ना कितना तडपाएगा मुझसे रुका नही जा रहा है तो मैने ईक शॉट मारा और उसपे छाता चला गया मैं बहुत धीरे धीरे अपनी कमर को हिला रहा था तभी उसने अपना एक बोबा मेरे मूह मे दे दिया और मैने भी उसे गॅप से अपने मूह मे भर लिया वो थोड़ा टेढ़ी हो गयी मेरी तरफ मूह करके अब मैं उसकी चूची पीते हुए उसे गपा गॅप रगड़ रहा था मैं उसकी गान्ड को भी मसल रहा था अब उसका निचला होंठ मेरे मूह मे था और मैं बहुत ही मज़े से उसे निचोड़ रहा था

कुछ देर बाद उसकी जांघे मेरे कंधो पे थी वो अपने बोबे खुद ही मसल्ने लगी थी और मेरे लंड को अपनी चूत मे ले रही थी मैने लंड को चूत से निकाला और उसके मूह मे दे दिया और बोला ले आज अपनी चूत का रस भी चख ले प्रीतम ने बुरा सा मूह बनाया और लंड को मूह मे भर लिया 5 मिनिट चूसने के बाद मैने फिर से चूत की शोभा बढ़ाई और लंड को उसकी गहराइओ मे उतार दिया प्रीतम का बदन हर धक्के पे हिल रहा था और तभी उसकी चूत की फांके फड़फडाने लगी उसने अपनी टाँगो को मेरी कमर पे कस दिया और चूत से काम रस की नदी बह चली

उसने चूत से लंड निकाल दिया और सुसताने लगी मैने कहा इसका तो काम करो वो बोली कुछ देर रुक जाओ पर मेरा भी बुरा हाल था मैने फॉरन उसे उल्टा लिटाया और ढेर सारा थूक उसकी गान्ड पे लगाया और लंड को गान्ड मे उतार दिया चूँकि ये सब बहुत ही जल्दी हो गया था वो संभाल ना पाई उसकी दबी दबी सी चीख निकल गयी और मुझे गालियाँ देने लगी मैने कहा इतरा मत पहले भी तो गान्ड मरवाई थी तूने तो वो बोली आराम से करना मेरी जान निकाले गा क्या मैने उसकी बातों पे ध्यान नही दिया और गान्ड मारने लगा लंड मस्ती से गपा गॅप अंदर बाहर हो रहा था सच कहूँ तो चूत से ज़्यादा मज़ा गान्ड मारने मे आ रहा था प्रीतम हाई हाई कर रही थी ऐसेही 15-20 शॉट मारने के बाद मैं भी गान्ड मे ही झाड़ गया और उसके उपर ही पसर गया और अपनी सांसो को समेटने लगा


कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे रात अपने पूरे शबाब मे थी फिर वो उठी और पेशाब करने गयी सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर उसकी चूत से बहते पेशाब की आवाज़ मुझे सॉफ सॉफ सुनाई दे रही थी तो मैंभी उसकी ओर चल पड़ा मुझे देख के वो बोली अब क्या है चैन से मूतने भी नही देगा क्या तो मुझे हँसी आ गयी फिर मैने भी पेशाब किया और लंड को पानी से धोया औ फिर से बिस्तर पा आ गये मैने उसके सर के बालो को सहलाना शुरू कर दिया रोमॅन्स अपने चरम पे था प्रीतम भी मेरी बाहों मे सिमट सी गयी थी

रात काफ़ी बीत चुकी थी पर हमारी हसरते अभी भी बाकी थी मैं उसे छेड़ते हुए बोला आज कल तू बहुत मोटी हो गयी है क्या बात हैं कुछ मुझे भी तो बता दे तो वो बोली इतना चुदुन्गि तो माँस तो चढ़ेगा ही ना मैं अपनी टाँगो को उसकी टाँगो से रगड़ने लगा वो बोली अब मैं जाती हू तो मैने कहा कुछ देर ओर रुक जाओ ना तो वो बोली अब कर तो लिया और क्या बाकी हैं अब मुझे जाने दे ना पर मैं चाहता था कि वो आज पूरी रात मेरे साथ गुज़ारे क्यों कि ये बहुत ही अनोखे पल थे जो हर किसी को नसीब नही होते हैं अब मैने उसको खींच और अपने उपर लिटा लिया उसके गोल मटोल बोबे मेरी छाती मे धँस गये बिल्कुल किसी फोम की तरह

और लंड उसकी चूत पे रगड़ खाने लगा मैने उसके माथे को चूम लिया और धीरे से अपने होन्ट उसकी गालो से लगा दिए टमाटर से लाल गाल मुझे उसके गाल चूमना बहुत पसंद था साथ ही साथ एक हाथ से उसके चुतड भी सहलाता जा रहा था उसने लंड को अपनी मोटी मोटी जाँघो मे दबा लिया तभी उसे पता नही क्या सूझा उसने अपने होन्ट आगे बढ़ाए और मेरे होंटो को चूसने लगी मैं भी उसका साथ देने लगा अचानक से ही वो बहुत ही आक्रामक हो गयी थी मुझे उसका ये अंदाज बहुत अच्छा लगा मैं उंगली से उसकी गान्ड के छेद को कुरेदने लगा उसके चुतड मचलने लगे थे वासना का संचार शरीर मे होने लगा था
 
प्रीतम की चूत के गीले पन को मेरा लंड महसूस करने लगा था उसे घुमाया और मैं उसके उपर आ गया उसने लंड को अपने हाथ मे लिया और चूत पे रगड़ने लगी मेरे बदन मे सिरहन दौड़ गयी ओर मैं और भी ज़ोर से उसकी जीभ को चूसने लगा वो लगातार लंड को रगडे जा रही थी मैं बुरी तरह से उत्तेजित होता जा रहा था कुछ ऐसा ही हाल उसका भी था मैने अंदर घुसाने को थोड़ा सा धक्का लगाया तो उसने इशारे से मुझे रोक दिया और वैसे ही लंड को रगड़ती रही मज़ा भी बहुत आ रहा था अब रुकना मुश्किल था मैने उसका हाथ हटाया लंड को थोड़ा सेट किया और सीधा उसकी चूत के अंदर पहुचा दिया और एक दूसरे मे समा गये

उसने अपने टाँगे विपरीत दिशाओ मे चौड़ी कर ली मैं खुल के स्ट्रोक मार रहा था उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ पे रगड़ने शुरू कर दिए थे वो मस्ती के पूरे शबाब मे थी वो लगातार नखुनो को धंसा रही थी जिस से मुझे चुभन भी हो रही थी परंतु उस चुबन का भी एक अलग सा ही मज़ा था जो शब्दो मे व्यक्त किया ही नही जा सकता हैं मैं लंड को पूरा बाहर की तरफ निकालता और झटके से अंदर घुसा देता था तो प्रीतम भी अपने कुल्हो को उठा कर लंड का स्वागत कर रही थी ऐसे ही चुदाई चल रही थी उसकी आर्म्पाइट से बहते पसीने की स्मेल मुझे मदहोश कर रही थी

उसके हाथ मेरे कुल्हो पे पहुच गये थे और वो दबाव डाल रही थी जैसे की मैं पूरा ही उसकी चूत मे घुस जाउ खाट हमारे धक्को से चरमराने लगी थी मैं पूरी ताक़त से उसे चोद रहा था फिर मैने उसे घोड़ी बनाया और पीछे सी चोदने लगा मेरे हाथो ने उसकी कमर को थामा हुवा था और लपा लॅप चूत मारी जा रही थी प्रीतम हाँफ रही थी उसकी चूचिया बहुत नीचे की ओर लटकी हुई थी मैने हाथ बढ़ा के उनको पकड़ लिया लंड चूत मे फिसलता हुए अंदर बाहर हो रहा था मुझे लगने लगा था कि किसी भी पल मैं डिसचार्ज हो सकता हू तो मैने लंड को निकाला और उसके मूह मे दे दिया

और उसके सर को कस के पकड़ लिया और अपना सफेद पानी उसके मूह मे छोड़ दिया जो सीधा उसके गले से होते हुए पेट मे चला गया प्रीतम ने झट से लंड को बाहर निकाला और खांसने लगी और उल्टी करने की कोशिश करने लगी मैं भाग के गया और एक गिलास पानी लाके दिया तब उसकी जान मे जान आई और वो बैठ गयी टाइम 3 से उपर हो गया था तो उसने अपने कपड़े पहने फिर मैं उसको हिफ़ाज़त से उसके बाडे मे छोड़ने चला गया वो खुद की खाट पे लेट गयी मैं भी उसकी बगल मे ही पसर गया वो मुझे जाने को बोली तो मैने एक लंबा किस किया और वापिस आके सो गया

सुबह काफ़ी देर तक सोता रहा धूप सर चढ़ आई थी रात के बाद शरीर बुरी तरह थक गया था बिस्तर से उठने की हिम्मत नही हो रही थी किसी तरह खुद को संभाला और नहाया-धोया और घर का रास्ता नापा. पापा और चाचा जा चुके थे दादी और मम्मी आँगन मे बैठे थे चाची ने मुझे नाश्ता दिया जैसे ही उनका हाथ मेरे हाथ से टकराया पूरे बदन मे झंझनाहट दौड़ गयी चाची मुस्कुरा के रसोई मे चली गयी आज उनकी गान्ड कुछ ज़्यादा ही उभरी हुई लग रही थी जल्दी से नाश्ता किया और रसोई मे प्लेट रखने के बहाने से घुस गया

और इधर उधर देखती हुए उनको पकड़ लिया और गान्ड को मसल दिया तो उन्होने आँख तरेरते हुए कहा बड़ी शैतानी करने लगे हो मेरा हाथ उनकी गोल गान्ड पे रेंग रहा था मैने पूछा कि आज खेत पे चलोगे क्या तो उन्होने मना करते हुए कहा कि नही वो नही जाएँगी तो मेरा दिल टूट गया तभी मम्मी ने आवाज़ लगाई और कहा कि आज तुम्हे पापा के ऑफीस जाना है तैयार हो जाओ मैने बुरा सा मूह बनाया और साइकल उठा के सहर की ओर चल दिया आधे-पोने घंटे बाद मैं वहाँ पहुच गया था उन्होने मुझे बैठने को कहा

और बोले कि अब तुम्हारा दाखिला यहा के ईक स्कूल मे करवा रहे हैं तो चलो तुम एक बार स्कूल देख लो मैं खुश हो गया अब तक तो बस सरकारी मे ही गान्ड घिसी थी अब मोका मिला था प्राइवेट स्कूल मे पढ़ने का ये स्कूल थोड़ा सिटी के आउटसाइड था स्कूल क्या था कॉलेज ही लग रहा था हम अंदर गये फॉर्म वग़ैरा खरीदा और कुछ फॉरमॅलिटीस पूरी की इन्सब मे कोई दो घंटे लग गये थे एक हफ्ते बाद से क्लास लगनी थी जब मैं घर पहुचा तो साढ़े 3 बज गये थे

अंदर गया तो देखा आज मम्मी भी घर पे ही थी ओर सो रही थी दादी भी आराम कर रही थी मैं दबे पाँव चाची के कमरे की ओर बढ़ने लगा वो कुर्सी पे बैठ के कोई किताब पढ़ रही थी मुझे देख के बोली खाना दूं क्या तो मैने मना किया और उनके बेड पे बैठ गया वो बोली भूक नही है क्या तो मैने डबल मीनिंग यूज़ करते हुए कहा भूक है तभी तो आपके पास आया हू तो वो थोड़ा ब्लश करने लगी मैने उन्हे दीवार के सहारे लगा दिया औ उनके मिस्री से भी मीठे होन्ट चूसने लगा

वो थोडा डर रही थी की कही कोई आ ना जाए मैं मस्ती से लगा हुवा था कहा कुछ महीनो पहले बस मुट्ठी ही मार कर गुज़ारा होता था अब चूते ही चूते थी पता नही कितनी देर मैं उन्हे चूमता रहा उफ्फ कितने क्रीमी होंठ थे उनके बहुत ही ज़्यादा सॉफ्ट फिर उन्होने मुझे हटाया और अपनी सांसो को नियंत्रित करनी लगी उनकी चूचिया बहुत तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी फिर वो बाहर की ओर भाग गयी बकरे की मा कब तब खैर मनाएगी ये सोचते हुए मैं भी बरामदे मे आ गया

चाइ का टाइम हो गया था मम्मी भी उठ गयी थी फिर चाइ पी थोड़ी बातचीत दादी से की ओर बाहर खेलने चल पड़ा मैं अब चाची को जल्दी से जल्दी चोदना चाहता था क्यों कि फिर मेरी समस्या का समाधान हो जाता भाभी का साथ तो छूट ही गया था प्रीतम भी रेग्युलर्ली नही मिल पाती थी तो मैं सोच रहा था अगर चाची चुद जाए तो पर वो हाथ नही आ रही थी तो मैं थोड़ा हताश भी होने लगा था तभी मुझे एक आइडिया आया और मैं फॉरन दुकान पे गया और एक कम पॉवर का बल्ब खरीद लिया और मोका देख के आँगन वाले बल्ब से बदल दिया

क्यों कि चाचा-चाची रात को वही सोते थे अब बल्ब की रोशनी कम होगी तो मैं उन्हे छुप के देख पाउन्गा डिन्नर हो ही गया था तभी पापा बोले आज प्लॉट मे सोने नही जाएगा क्या तो मैने झूठ बोल दिया कि उधर मच्छर बहुत ज़्यादा हैं तो नींद नही आती और अपना बिस्तर छत पे लगा दिया और इंतज़ार करने लगा छत से हल्का सा झाँका तो पाया कि आज चुदाई नही हो रही थी और वो दोनो घोड़े बेच के सो रहे थे मैं अब बाथरूम मे गया और चाची की पेंटी उठा लाया और उसपे मुट्ठी मार के सोगया
 
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