hotaks444
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अब मैने उसे सीधी लिटाया और चुदाई करने लगा उसके कुल्हो की थिरकन बढ़ ती ही जा र्है थी तभी उसने अपने चुतड पूरी तरह उठा दिए और अपने बदन को ऐंठते हुवे झड़ने लगी चूत मे पानी की बढ़ आ गयी थी जिस से लंड फिसलने लगा मैं भी लग भग करीब आ ही गया था और कुछ देर में एक ज़ोर की आह भरते हुवे चूत मे ही झाड़ गया…………
अब वो उठी और अपने कपड़े उठाने लगी तो मैने उसके हाथ को पकड़ ते हुवे कहा कि अभी क्यों पहन रही हो अभी थोड़ी देर रुक जाओ पर वो नही मानी और बोली तुम को जो चाहिए था वो तो तुम्हे दे ही दिया है मैं तुम्हारी लगती भी क्या हू मैं तो तेरे लिए एक रांड़ हू बस चोदने के लिए उसकी बात मुझे चुभ गयी
मैने कहा कि क्या तुम मेरी दोस्त नही हो तो वो बोली कि रे बावले दोस्ती को क्यों बदनाम करता है ये तू भी जानता है कि जिस दिन मुझसे अच्छी मिल जायगी मुझे भूल जायगा और थोड़ी एमोशनल होगयि बात तो उसने 100% सही कही थी आख़िर उसका मेरा रिश्ता ही क्या था दोस्ती तो बस चुदाई के लिए ही थी
तो मैने भी पूछ लिया कि जब तुम्हे पता ही हैं तो क्यों आती हो वो बोली अच्छा लगता हैं तेरा साथ जब तेरे साथ होती हू तो थोड़ा हँसने-मुस्कुराने का बहाना मिल जाता है ना जाने क्यो उसकी बात दिल के अंदर धाड से लगी मैने कुछ भी नही कहा और बस उस को अपनी बाहों मे भर लिया
उसने मुझे हटाया कि छोड़ो पेशाब करना है और बाहर जाके मूतने बैठ गयी साली कमिनी थी पूरी ज़ालिम मेरी ओर मूह कर की ही मूत रही थी मैं चूत से बहती पेशाब की धार को देख रहा था जो उसकी फांको को भिगोरहि थी फिर वो मेरे पास आके बैठ गयी और बोली क्या सोचने लगे तो मैने कहा कुछ नही मैने अपनी जेब मे हाथ डाला और 300 रुपये उसको देते हुवे बोला ये मेरी तरफ से रख लो
तो वो नाराज़ होती हुए बोली मैं तेरे साथ सोती हू पर रंडी नही हू जो पैसो से तोल रहा है तो मैं बोला तुम ग़लत समझ रही हो ये तो मेले के लिए गिफ्ट है तो वो बोली अगर गिफ्ट देना ही था तो खुद खरीद भी सकते थे और गुस्से मे पैर पटक ते हुए चली गयी मैं उसे रोकना चाहता था पर ना रोक सका ना चाहते हुवे भी आज उसने दिल मे एक हूक सी जगा दी थी
मैं भी उठा और थोड़ा पानी पिया और मुँह धोया पता नही चुदाई के बाद प्यास कुछ ज़्यादा ही लगती थी फिर घर की ओर चल दिया वहाँ जाके देखा कि मेन गेट पे ताला लगा हैं तो ध्यान आया कि घर वाले तो मेले मे गये हैं भूख भी लग रही तो मैं भी मेले की ओर चल दिया
हालाँकि मुझे पसंद नही था पर मेरे कदम चल ही पड़े उस ओर या यूँ कहूँ कि तक़दीर कुछ ओर ही खेल खेलना चाहती थी वहाँ पहुच के सबसे पहले दो समोसे खाए तब थोड़ी जान आई गरम हवा सरपट दौड़ रही थी और कुछ भीड़ गर्मी सब कुछ जैसे उबल सा रहा था तो सोचा कि लगे हाथ क्यों ना गन्ने का रस भी पी लिया जाए मैं भी अब मेले के रंग मे रंगने लगा था
तभी एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम की लिए कुछ खरीद लूँ थोड़ा डर भी था कभी कोई देखना ले कि मैं लड़कियों का समान किस के लिया खरीद रहा हू और कुछ गले मे पहन ने के लिए देखने लगा
तभी पीछे से कोई मुझसे टकरा गया मैने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो बस देखता ही रह गया साँवली रंगत चेहरे पे हल्की सी ज़ुल्फ़िें बिखरी हुई उसने फॉरन ही मुझसे सॉरी कहा तो मैं भी मुस्कुरा दिया ये उसकी ऑर मेरी पहली मुलाकात थी वो मुस्कुराइ और इठलाती हुई आगे बढ़ गयी मैं बस उसे जाते हुवे देखता ही रहा…………………….. ……..
अब वो उठी और अपने कपड़े उठाने लगी तो मैने उसके हाथ को पकड़ ते हुवे कहा कि अभी क्यों पहन रही हो अभी थोड़ी देर रुक जाओ पर वो नही मानी और बोली तुम को जो चाहिए था वो तो तुम्हे दे ही दिया है मैं तुम्हारी लगती भी क्या हू मैं तो तेरे लिए एक रांड़ हू बस चोदने के लिए उसकी बात मुझे चुभ गयी
मैने कहा कि क्या तुम मेरी दोस्त नही हो तो वो बोली कि रे बावले दोस्ती को क्यों बदनाम करता है ये तू भी जानता है कि जिस दिन मुझसे अच्छी मिल जायगी मुझे भूल जायगा और थोड़ी एमोशनल होगयि बात तो उसने 100% सही कही थी आख़िर उसका मेरा रिश्ता ही क्या था दोस्ती तो बस चुदाई के लिए ही थी
तो मैने भी पूछ लिया कि जब तुम्हे पता ही हैं तो क्यों आती हो वो बोली अच्छा लगता हैं तेरा साथ जब तेरे साथ होती हू तो थोड़ा हँसने-मुस्कुराने का बहाना मिल जाता है ना जाने क्यो उसकी बात दिल के अंदर धाड से लगी मैने कुछ भी नही कहा और बस उस को अपनी बाहों मे भर लिया
उसने मुझे हटाया कि छोड़ो पेशाब करना है और बाहर जाके मूतने बैठ गयी साली कमिनी थी पूरी ज़ालिम मेरी ओर मूह कर की ही मूत रही थी मैं चूत से बहती पेशाब की धार को देख रहा था जो उसकी फांको को भिगोरहि थी फिर वो मेरे पास आके बैठ गयी और बोली क्या सोचने लगे तो मैने कहा कुछ नही मैने अपनी जेब मे हाथ डाला और 300 रुपये उसको देते हुवे बोला ये मेरी तरफ से रख लो
तो वो नाराज़ होती हुए बोली मैं तेरे साथ सोती हू पर रंडी नही हू जो पैसो से तोल रहा है तो मैं बोला तुम ग़लत समझ रही हो ये तो मेले के लिए गिफ्ट है तो वो बोली अगर गिफ्ट देना ही था तो खुद खरीद भी सकते थे और गुस्से मे पैर पटक ते हुए चली गयी मैं उसे रोकना चाहता था पर ना रोक सका ना चाहते हुवे भी आज उसने दिल मे एक हूक सी जगा दी थी
मैं भी उठा और थोड़ा पानी पिया और मुँह धोया पता नही चुदाई के बाद प्यास कुछ ज़्यादा ही लगती थी फिर घर की ओर चल दिया वहाँ जाके देखा कि मेन गेट पे ताला लगा हैं तो ध्यान आया कि घर वाले तो मेले मे गये हैं भूख भी लग रही तो मैं भी मेले की ओर चल दिया
हालाँकि मुझे पसंद नही था पर मेरे कदम चल ही पड़े उस ओर या यूँ कहूँ कि तक़दीर कुछ ओर ही खेल खेलना चाहती थी वहाँ पहुच के सबसे पहले दो समोसे खाए तब थोड़ी जान आई गरम हवा सरपट दौड़ रही थी और कुछ भीड़ गर्मी सब कुछ जैसे उबल सा रहा था तो सोचा कि लगे हाथ क्यों ना गन्ने का रस भी पी लिया जाए मैं भी अब मेले के रंग मे रंगने लगा था
तभी एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम की लिए कुछ खरीद लूँ थोड़ा डर भी था कभी कोई देखना ले कि मैं लड़कियों का समान किस के लिया खरीद रहा हू और कुछ गले मे पहन ने के लिए देखने लगा
तभी पीछे से कोई मुझसे टकरा गया मैने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो बस देखता ही रह गया साँवली रंगत चेहरे पे हल्की सी ज़ुल्फ़िें बिखरी हुई उसने फॉरन ही मुझसे सॉरी कहा तो मैं भी मुस्कुरा दिया ये उसकी ऑर मेरी पहली मुलाकात थी वो मुस्कुराइ और इठलाती हुई आगे बढ़ गयी मैं बस उसे जाते हुवे देखता ही रहा…………………….. ……..