Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है - Page 20 - SexBaba
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Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है

बुआ अपनी तारीफ़ सुन कर बेहद खुश हो गयी और मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबा लिया और मज़े से अपनी चूत की चुसाई करवाने लगी उनकी चूत का खारा पन मेरे मुँह मे समा ने लगा बुआ बड़ी ही मस्त हो चुकी थी मैं लगातार उनको अपनी जीभ से मज़ा दिए जा रहा था तो कुछ देर बाद उन्होने मुझे हटने को कहा वो बोली वो ऐसे नही झड़ना चाहती है फिर वो नीचे उतरी और स्लॅब पर अपने दोनो हाथ रखते हुए थोड़ा सा झुक गयी मैं उनके पीछे आया और अपने लड को चूत से सटा दिया


बुआ बोली अब देर ना कर जल्दी से अंदर डाल तो मैने एक झटके मे ही पूरा लड घुसा दिया वो बोली अरे आअर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्राआआआम से कर ना मैने अपने हाथ उनके कंधो पर रखे और उनकी चूत की हसीन वादियो मे खोता चला गया बुआ की चूत ने पूरे लड को निगल लिया बुआ बोली ओह क्या कर दिया है तूने मुझे देख अपने ही सगे भतीजे से चुदवा रही हू तूने तो मुझे बिल्कुल ही बेशरम कर दिया है और अपनी गान्ड को पीछे करके हिलाने लगी मैं उनके गौरे गौरे गालो को चूमता हुआ उनको चोदने लगा मैं उनके सेब से गालो को अपने दाँतों से काटने लगा बुआ की चूत मेरे लड को अपने मे समेटे जा रही थी मैं बस बड़े ही प्यार से धीरे धीरे लड को चूत मे अंदर बाहर करे जा रहा था बुआ की टांगे थर थराने लगी तो उन्होने मस्ती मे आकर अपनी गान्ड को और भी ज़्यादा उभार लिया और मरवाने लगी तो मेरे हाथ उनकी कमर से हट कर उनकी चूचियो पर पहुच गये और मैं मज़े से उनको दबाने लगा बुआ और मैं पूरी तरह से मस्ती मे जैसे खो ही गये थे थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद मैं उन्हे हॉल मे ले आया और सोफे पर बैठ गया बुआ ने एक नज़र मेरी ओर देखा और फिर झट से आकर मेरी गोदी मे चढ़ गयी और लड पर तेज तेज कूदने लगी बुआ काँपति हुई आवाज़ मे बोली तेरे फूफा भी मुझे बहुत चोद ते है पर ऐसी तसल्ली वो भी नही कर पाते है तूने तो मुझे एक अलग ही सुख दिया है तो मैने अपने होंठ उनके मुँह पर रख दिए और चूमने लगा बुआ मेरी जीभ को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी थी बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था और उपर से कूलर की ठंडी हवा एक अलग सा ही आनंद प्रदान कर रही थी तभी बुआ बोली कि मैं उपर आ जाउ उनका होने ही वाला है तो मैने उनको अपने नीचे किया और बेहद तेज गति से उनकी चूत को चोदना शुरू किया बुआ अब अपने काबू मे नही थी उनको ना कोई होश था बस थोड़ी देर मे उन्होने अपने बदन को इतना टाइट कर लिया और उनकी चूत बह चली बुआ मुझसे लिपट ते हुए अपने चरम सुख को प्राप्त करने लगी कुछ देर मैने और धक्के लगाए फिर मैने अपने लड को चूत से बाहर निकाला और बुआ के मूँह मे डाल दिया जैसे ही मेरे सुपाडे को उनकी जीभ का स्पर्श हुआ मेरे लड ने भी मैदान छोड़ दिया और मैं अपना वीर्य उनके मुँह मे गिराने लगा बुआ उसको ऐसे चाटने लगी जैसे कि कोई चॉकलेट हो लड के मुरझाने तक बुआ उसको चाट ती ही रही फिर उन्होने अपने कपड़े समेटे समेटे और बाथरूम मे चली गयी मैने भी कपड़े चेंज किए और ताइजी के घर चला गया

ताइजी की हालत कुछ खास ठीक नही थी उनका घुटना और भी सूज गया था और दर्द भी ज़्यादा ही हो रहा था तो मैने कहा कि ऑपरेशन कब होना है तो ताऊ जी ने बताया कि एक हफ्ते बाद इधर ताइजी भी ठीक नही थी उधर नाना जी भी बीमार थे साला ये पंगा भी अभी होना ही था कुछ देर उनके वही बैठा रहा साक्षी को खिलाया फिर वापिस अपने घर आ गया तो मैने देखा कि बुआ आराम कर रही है मैं भी उनकी बगल मे जाकर लेट गया और उसे छेड़खानी करने लगा मैं उनके कुल्हो को दबाते हुए बोला बुआ एक बार गान्ड भी मरवा लो तो वो बोली कि अभी वो बहुत ही ज़्यादा थक गयी है मैं उनको परेशान ना करू तो मैने कहा कि ठीक है आप आराम करो मैं बाहर जा रहा हू आपके लिए कुछ लेकर आना है क्या तो उन्होने मना कर दिया तो मैं शीला की तरफ चला गया बाहर से देखा तो पप्पू घर पर ही था तो तुरंत ही वापिस हो लिया ये छुट्टियाँ बड़े ही बोरिंग तरीके से कट रही थी निखट दोपहर का टाइम था लू चल रही थी अब जाउ भी तो कहा जाउ ना कोई दोस्त था यहा पर जिसके सहारे थोड़ा टाइम पास ही हो जाए तो मैं मंदिर की बगीची मे चला गया सब कुछ जैसे उबल रहा हो गर्मी आज हद से ज़्यादा ही पड़ रही थी ये वो जगह थी जहा मैं अक्सर निशा के साथ अपने सुख-दूख की बाते कर लेता था सूखे पत्ते हवा से उड़ रहे थे एक बार फिर निशा की यादो ने मेरे दिल को झींझोड़ दिया था मैं बड़ा ही परेशान था उसको लेकर कहाँ पर होगी , कैसी होगी
 

आख़िर मैं क्यो उसको इतना याद किया करता था जिंदगी के सफ़र मे पता नही कितने लोग मिलते है कितने बिछड़ जाते है फिर मैं क्यो निशा को अपनी लाइफ से अलग नही कर पा रहा था आख़िर क्यो मुझे हर पल वो इतनी अज़ीज़ थी क्यो वो मेरे लिए मिता से भी ज़्यादा बढ़ कर होने लगी थी जब गर्मी को सहना मुश्किल हो गया तो मैं वापिस घर आ गया और थोड़ी देर सो गया दो दिन और ऐसे ही गुजर गये थे मैने सोच लिया था कि आज गीता से ज़रूर मिलने जाउन्गा मैं तैयारी कर ही रहा था कि पापा का फोन आ गया उन्होने बताया कि तेरे नाना जी एक्सपाइर हो गये है ये सुनते ही मुझे सॉक लगा वो बोले कि डेड बॉडी को गाँव लेकर आ रहे है अंतिम संस्कार मे आ जाना तो मैने तुरंत ही चाचा को फोन किया और बताया तो उन्होने कहा कि मैं अभी आता हू कोई आधे घंटे बाद वो घर आ गये तो मैं रवि और चाचा चल पड़े मामा के गाँव सूकर है चाचा ने कार बुक कर ली थी वरना कहाँ धक्के खाते जब हम वहाँ पर पहुचे तो माहौल काफ़ी गमगीन सा था चारो तरफ चीख पुकार मची थी मेरी भी रुलाई फुट पड़ी शाम तक अंतिम संस्कार भी हो गया था सभी घरवालो का हाल परेशान सा था चूँकि मैने पहले किसी की डेथ देखी नही थी तो मुझे थोड़ा सा अजीब अजीब लग रहा था खैर ये बारह दिन तो बड़े ही मुश्किल गुजरने थे रोज अलग अलग रिश्तेदारियो से लोग आते थे अपनी संवेदना प्रकट करने के लिए तीन चार दिन ऐसे ही बीत गये अब ताइजी का ऑपरेशन भी करवाना था तो पापा मुझे बोले कि वैसे तो तेरे मामा है ही पर फिर भी तू भी थोड़ा संभाल लियो हमे जाना पड़ेगा भाभी का ऑपरेशन है तो पापा और चाचा निकल गये घर मैं शाम को होदि पे नहा रहा था तो मेरी मुलाकात सरोज से हो गयी वो मेरे पास आई और बोले अरे तुम तो हमारा रास्ता भूल ही गये तो मैने कहा हाँ वो थोड़ी छुट्टियो की प्राब्लम रहती है तो उसने कहा कि अभी तो यही हो फिर हमारी तरफ भी कुछ ध्यान देना तो मैने कहा कि इधर घर पे तो सारा दिन रोना- पीटना ही चलता रहता है मैं तो खुद ही परेशान हू तो उसने कहा कि कल मेरे कुँए पे आ जाना फिर मैं तुम्हारा मूड तोड़ा हल्का करती हू तो मैने कहा कि पर मुझे तो आपके कुँए का पता ही नही है तो उसने कहा तुम अपना नंबर मुझे दे दो मैं कल तुम्हे फोन करूगी तो मैने अपना नंबर उसके फोन मे सेव कर दिया


मैने सोचा चलो ये भी ठीक है कल इसको ही चोद लुगा और अगले दिन का इंतज़ार करने लगा रात को मैं सोया ही था कि मिता के फोन की वजह से मेरी नींद टूट गयी वो मुझसे मिलना चाहती थी तो मैने उसको अपनी मजबूरी बताई पर मैने कहा कि मैं जल्दी ही टाइम सेट कर लुगा अब मिता से बात हो रही थी तो नींद किसे आनी थी मैं नीम के पेड़ के नीचे अपनी खाट डाले अपनी प्रेयसी से बाते कर रहा था मिता की कशिश मुझे अपनी ओर खीचे जा रही थी मैं अपना दिल जो हार बैठा था उसपे जब तक हमारा बॅलेन्स नही ख़तम हो गया हम लगे रहे दिल मे एक तस्सल्ली थी कि चलो कोई तो है अपना भी इस दुनियाँ मे एक आस थी उसको अपना बना ने की जिस के सहारे मैं जी रहा था आँखो मे एक सपना संजोया था अपनी प्रेयसी के साथ घर बसाने का .

अगले दिन मैं थोड़ा सा खुश था कि आज तो सरोज की चूत मारने को मिलेगी कोई 11 बजे मुझे सरोज का फोन आया और उसने मुझे बताया कि कौशल्या के घर के पास जो आम का बाग है उस के थोड़ी आगे चलने पर ही उसका कुँआ है मैं उधर ही आ जाउ तो मैं पैदल ही उस तरफ सरक लिया और आधे घंटे बाद मैं सरोज की आँखो के सामने था मैं बोला मामी इधर कोई आ गया तो ?????????????????


सरोज बोली अरे मैं तुम्हारे साथ हू ना पहली बात तो ये है कि इतनी गर्मी मे कोई आएगा ही नही और फिर अगर कुछ बात हुई भी तो मैं हू ना संभालने के लिए तुम तो बस जो आग मेरे अंदर लगी पड़ी है उसको बुझा दो बस सरोज ने अपने घाघरे का नाडा खोला और उसको उतार कर साइड मे रख दिया अंदर कच्छि ना पहनी होने के कारण नीचे से वो नंगी ही थी कुछ ही देर मे उसने अपना ब्लाउज और ब्रा भी उतार कर जनमजात अवस्था मे आ गयी और खड़ी खड़ी ही अपनी चूचियो को दबाती हुई मेरी तरफ हवस से भरी हुई नज़रो से देखने लगी उनको नंगी देखते ही मेरा लड तो झट से अपनी औकात मे आ गया तो मैने भी अपने कपड़ो को उतार फेंका और उनको अपने से सटा ते हुए उनके होंठो को चबाने लगा उनके गुलाबी होंठ देखकर ऐसा लगा जैसे अभी उसमे से खून छलक उठेगा और दूसरी तरफ अपने हाथो से उसके मोटे मोटे कुल्हो को थाम लिया और उनको दबाने लगा मैं कई दिनो से गान्ड मे लड नही डाला था तो मैने कहा मामी पहले मैं तुम्हारी गान्ड मारूगा तो वो बोली पर मेरी तो इसमे आग लगी है और अपनी चूत मे उगली करने लगी तो मैने कहा मामी बहुत दिन हो गये गान्ड नही मारी है तो पहले मैं आपकी गान्ड ही मरूगा आप जल्दी से तैयार हो जाओ तो वो बोली अब तुम्हारी इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी मैं तो तुम्हारी गुलाम हो गयी हू चलो आओ और खोल डालो मेरी गान्ड का ढक्कन मैं खुश हो गया उसके कुल्हो का कटाव देखते ही बनता था बीते सालो मे उसकी जवानी और भी निखर आई थी अब उसको चुदाई के अलावा और काम भी क्या था मैं उसकी गान्ड पर थूका और अपनी एक उगली को अंदर सरका दिया उसने अपने कुल्हो को भींच लिया और इतराते हुए बोली कि आह तोड़ा सा आराम से इसको फाड़ोगे क्या मैं उगली अंदर बाहर करने लगा
 
जब मुझे लगा कि अब उसकी गान्ड लड लेने के लिए एक दम तैयार है तो मैने मोर्चा संभाला और अपने लड पर भी थोड़ा थूक लगाया और उसको सरोज की गान्ड पर सटा दिया और एक झटके के साथ मेरा सुपाडा उसके छेद को चीरते हुए गान्ड मे घुसता चला गया सरोज थोड़ा सा आगे की ओर हो गयी और उसके चूतड़ टाइट हो गये तो मैने कहा आराम से डलवा ले ना तो वो फिर से सही पोज़िशन मे आ गयी 2 मिनट बाद पूरा का पूरा लड मामी सरोज की गान्ड की शोभा बढ़ा रहा था

मैं उनकी पीठ को चूमते चूमते उनकी गान्ड मारने लगा इतनी टाइट गान्ड थी उनकी कि लगा जैसे मेरे लड का दम ही घुट जाएगा घप घाप लड अंदर बाहर हुए जा रहा था मेरे घुटने फर्श पे धँसने को ही थे मुझे लगा कि कही घुटने छिल ना जाए तो मैने उसको फर्श पर उल्टा लिटा दिया और दुबारा से उसकी गान्ड मारने लगा वो बस दर्द भरी आहे लेते हुए अपनी गान्ड मरवा रही थी 15-20 मिनट तक मैं उनकी रागड़ाई कर ता रहा फिर मैने उनके कुल्हो पर ही अपना पानी छोड़ दिया और साइड मे पड़ गया


कुछ देर हम दोनो पड़े रहे फिर सरोज उठी और पानी के डब्बे से अपनी गान्ड सॉफ की और मेरे लड को भी धो दिया ठंडे पानी के एहसास से मेरे बदन मे कंपकपि हो गयी मैं ऐसे ही लेटा पड़ा था तो सरोज मेरी तरफ पीठ की ओर मेरे लड पर अपने चेहरे को झुका लिया और उस पर अपनी जीभ फेरने लगी मैं उसके चुतडो के बीच से झाँकती उसकी चूत को देखने लगा काफ़ी गीली और चिपचिपी सी लग रही थी वो उसके होंठो के जादू से मेरा लड दुबारा अपना सर उठाने लगा था लड चूसने मे तो वो बड़ी ही कुशल थी तो मैने अपनी बीच वाली उगली उसकी चूत मे उतार दी और उसको गोल गोल घुमाने लगा सरोज को और भी ज़्यादा जोश चढ़ गया और वो बड़ी ही तल्लिन्ता से लड को चूसने लगी


12-15 मिनट तक वो उसको चूस्ति ही रही फिर वो हटी और लेट गयी अब टाइम था मेरे पोज़िशन मे आने का मैं उसकी खुली पड़ी टाँगो के बीच मे आया और अपने लड को चूत पर उपर से लेके नीचे तक रगड़ने लगा उसकी उत्तेजना और भी ज़्यादा बढ़ने लगी वो बोली अब यूँ ना तडपाओ मेरा भी कुछ ख़याल करो ना तुम्हारे बारे मे सोच सोच कर रात से ही इसका बुरा हाल हुआ पड़ा है अब जल्दी से मुझ मे समा जाओ तो मैने कहा मेरी जान ले अभी और अपने लड को चूत का रास्ता दिखा दिया जैसे ही लड अंदर गया सरोज के चेहरे पे ऐसे भाव आ गये जैसे रेगिस्तान मे भटकते हुए किसी को पानी का दरिया मिल जाए मैं पूरी तरह से उसपर छा चुका था और उसकी चुदाई शुरू हो गयी


सरोज भी पूरी एक्सपर्ट थी तो चुदाई का मज़ा ही अलग हो गया था वो बड़ी ही तेज़ी से मेरे होंठो को अपने मुँह मे दबाने लगी मैने कहा सांस तो लेने दो पर अब वो जंगली बिल्ली कहाँ सुन ने वाली थी बड़े ही आक्रामक अंदाज मे वो किस किए जा रही थी मेरे धक्को की स्पीड अपने आप ही बढ़ती जा रही थी उसकी उछलती हुई गान्ड बता रही थी कि सरोज भी पूरा मज़ा ले रही है हम दोनो का मुँह लार से भर चुका था जिसे सरोज ने अपने पेट मे उतार लिया मैं लगातार उसकी चूत के छेद को और भी ज़्यादा खोले जा रहा था मस्ती का तूफान ही आ गया था वहाँ पर जिसमे मैं और सरोज दोनो गोते खा रहे थे उसने अब अपनी टाँगो को मेरी कमर के चारो तरफ लपेट दिया था तो और भी आसानी से लड चूत को रौदते जा रहा था सरोज अपने हाथो से मेरे कुल्हो को दबाते हुए बोली कि बस ऐसे ही मुझे चोद्ते रहो पसीने से भीगे उसके बालो से एक मदहोश करने वाली खुश्बू आ रही थी कोई 5-7 मिनट और बीते होंगे कि सरोज का बदन एक दम से आकड़ा और फिर निढाल हो गया उसका स्खलन हो गया था कोई 5 मिनट और मैने उसकी मारी फिर मैने भी अपने रस से उसकी चूत को लबा लब भर दिया ऐसे ही एक बार और उसको चोदा और शाम को साढ़े तीन बजे मैं वापिस चल पड़ा

मैं घर आया तो थोड़ी सी थकान भी हो रही थी तो मैं नींबू पानी पी ही रहा था कि कौशल्या मामी मेरे पास आकर बैठ गयी उनको भी कई दिनो बाद फ्री टाइम मिला था मैने कहा मामी कैसे हो आप तो वो बोली कि ठीक हू तुम्हारे मामा की ड्यूटी अब गाँव के स्कूल मे ही है तो बढ़िया गुजर रही है मैने कहा चलो ठीक है अब आपकी खुजली का इलाज तो हो गया अब तो हर रात आपके मज़े ही मज़े है तो वो बोली अरे कहाँ वो तो बस मेरी गान्ड ही बजाते है कभी कभी मैं जब नाराज़ हो जाती हू तभी मेरी लेते है ना जाने कहाँ से उनको गान्ड मारने की लत लग पड़ी मेरी चूत तो प्यासी ही पड़ी रहती है


मेरा पिछला छेद तो इतना बड़ा कर दिया है कि दो उग्लिया ऐसे ही अंदर चली जाती है मुझे थोड़ी हँसी आ गयी मैने कहा मामी मुझे सेवा का मौका दो फिर करते है आपकी प्यास बुझाने का इंतज़ाम तो वो बोली मैं तो कब्से तैयार हू पर घर मे माहौल ठीक नही है और इतने सारे लोग है कैसे होगा फिर बच्चे भी है किसी ने देख लिया तो अलग मुसीबत समझ नही आ रहा कि क्या करू तो मैने कहा देख लेना कोई चान्स बने तो इशारा कर देना फिर कुछ देर बैठने के बाद वो चली गयी वैसे तो दो दो मामियाँ थी चुदने को बेसबर पर मौका नही बन सकता था इधर मिता भी बुला रही थी पर मैं जाने से पहले एक बार दोनो मामियों की सेवा ज़रूर लेना चाहता था तो मैं बड़ी मामी के पास गया और उसे पूछा कि कुछ जुगाड़ हो जाएगा क्या तो वो बोली मैं तो तैयार हू पर करेंगे कैसे तुम्हारे मामा भी है और घर मे रिश्तेदार भी है कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए तो वो बोली कि एक उपाय हो सकता है मैं बोला क्या वो बोली कि कल जब मैं नहाने जाउ तो तू भी मोका देख कर अंदर घुस जाना फिर हमे इतना टाइम मिल जाएगा कि छोटी सी चुदाई तो कर ही लेंगे मामी के आइडिया मे दम था तभी मैने कहा मामी क्या ऐसा हो सकता है कि मैं आपको और कौशल्या मामी दोनो को एक साथ मेरा मतलब है कि हम तीनो एक साथ सेक्स कर सके तो मामी बोली तू दोनो मामियों को चोद्ता है इसका मतलब ये नही है कि कुछ भी मन मे आया वो करेगा हमारे बीच मे थोड़ी शरम तो रहने दे और फिर क्या मुझे शरम नही आएगी उसके आगे तुमसे चुद्ते तो मैने कहा मामी मेरी बात मान लो ना बड़ा मज़ा आएगा पर उन्होने सॉफ सॉफ मना कर दिया और बोली कि तुझे मेरी चाहिए तो कल जब मैं नहाऊ तो बाथरूम मे घुस जइयो और चली गयी पर मैं और कुछ ही सोच रहा था कि तभी मेरे फोन पर सरोज का फोन आया तो उसने कहा कि उसकी एक सहेली है जो उसकी ही तरह मस्ती से भरपूर है और जब सरोज ने उसे मेरे बारे मे बताया तो वो भी मुझे मिलना चाहती है अगर तू कहे तो बात करू तो मैने कहा कि मामी मैं देखूँगा तो सरोज बोली अरे वो ठकुराइन है और उस से भी ज़्यादा मस्त औरत है उसको चोद के तुमको मज़ा आ जाएगा और मैने उसको वादा भी कर दिया है तो मैने कहा कि मामी अभी मैं थोड़ा सा बिजी हू मैं आपको कल बताउन्गा और फोन काट दिया मैं सोचने लगा कि अगर मैं एक लड़की होता तो अब तक एक नंबर की रंडी बन गया होता मैं ऐसा तो ना था इस चूत नामक छोटे से छेद के लिए मैं क्या से क्या बन गया था जब मैने गौर किया तो पाया कि सदा से मैं ऐसा ही तो था एक नंबर का अय्याश आवारा अपने से दोगुनी उमर की औरतो को भी चोद चुका था मामी , बुआ किसी को भी तो नही छोड़ा था ना जाने मुझे आज क्यो खुद से ही घिंन सी आने लगी थी ऐसे ही सोचते सोचते मैं सो गया रात को कोई डेढ़ दो बजे मैं उठा बड़ी ही प्यास लगी थी तो मैने देखा कि बगल वाली खाट पर मामा का लड़का अशोक भाई नही था जबकि सोए तो हम साथ ही थे



अब इतनी रात को ये कहाँ पर गया तो मेरे फ़ौजी दिमाग़ ने अपने घोड़े दौड़ाए मैने आस पास देखा तो कुछ समझ नही आया मैं मुड़ने ही वाला था कि मुझे छप्पर के पीछे की तरफ से कुछ आवाज़ सी आई तो मेरे कान किसी कुत्ते की तरह खड़े हो गये तो मैं उस ओर गया तो मैने देखा कि अशोक भाई किसी लड़की के साथ लगा पड़ा था तो मैं वही छुप कर उनकी चुदाई को देखने लगा देखने क्या लगा इतना अंधेरा था तो कुछ सॉफ सॉफ तो दिख नही रहा था पर अब मैं कहाँ जाउ तो मैं वही रुक गया जब भाई का काम ख़तम हो गया तो वो आया तो मैने कहा हम भाई काम हो गया तो वो थोड़ा हकलाते हुए बोला कि को सा काम भाई मैं तो बस ऐसे ही टहलने गया था तो मैने कहा यार रात को ढाई बजे तू बड़ा टहल रहा है पागल समझा है क्या मैने लाइव देखा है सब कुछ मैं बोला भाई अब बता भी दे मुझसे क्या छुपाना तो वो बोला कि ये अपने पड़ोस की लड़की है इसका नाम लिली है मेरा इस से टांका भिड़ा है कई बार चोद चुका हू इसको तो मैने कहा फिर घबराने की क्या बात है जो करना है बिंदास कर वो बोला भाई किसी को बताना मत तो मैने कहा तू चिंता मत कर चल अभी सो जा और मुझे भी सोने दे तो मैने पानी पिया और सो गया
 
अगले दिन मैने लिली को देखा तो मैने सोचा यार इतने ज़ोर का माल साला मेरी नज़र से कैसे बच गया मैं सोचने लगा कि इसको तो चोदना ही पड़ेगा पर वो तो भाई की सेट्टिंग थी तो समस्या थी तो मैने एक प्लान बनाया और सरोज को फोन किया और कहा कि मामी मेरी एक समस्या है जिसका समाधान आप ही कर सकती हो तो वो बोली बताओ मैने कहा कि मामी आपको मेरे लिए किसी को एक बार अपनी चूत देनी पड़ेगी तो वो बोली किसको तो मैने कहा अशोक भाई को तो वो बोली पागल है क्या मोहल्ले का मामला है और फिर वो तो मेरे बेटे जैसे ही तो है उसकी मम्मी मेरी सहेली है तो मैने कहा मैं भी तो आपके बेटे सा ही हू जब मुझसे चुद सकती हो तो उस से भी चुद लेना प्लीज़ बहुत समझाने पर मामी मानी वो बोली देख मैं बस तेरे क़म के लिए उस को दे रही हू


अब बारी थी अशोक से लिली के बारे मे पूछने की मैने उसको कहा भाई मुझे भी लिली की दिलवा दे तो वो भड़क गया और बोला यार वो मेरी सेट्टिंग है वगेरह वगेरह तो मैने कहा कि भाई मैं भी बदले मे तुझे एक मस्त चूत दिलवा दूं तो ये सुनते ही वो बोला कौन किसकी जल्दी बता तो मैने कहा सरोज की तो वो बोला सरोज चाची की क्या बात कर रहा है तू कब कैसे तो मैने कहा तू आम खा ना भाई बोल मंजूर है या नही तो वो बोला भाई मुझे थोड़ा टाइम दे मैं लिली से बात करता हू फिर बताउन्गा इधर इन सब बातों के चक्कर मे मैं बड़ी मामी के बारे मे भूल ही गया अब वो नाराज़ थी वो अलग शाम को भाई ने बताया कि यार लिली मान ही नही रही तो मैने कहा की ठीक है अब तुझे सरोज की चाहिए तो मुझे लिली की दिलवानी ही पड़ेगी चाहे कुछ भी कर . वो बोला कोशिस कर तो रहा हू


इधर मैने कौशल्या को कहा कि मामी मेरी छुट्टियाँ क्या ऐसे ही बीत जाएँगी प्लीज़ मेरा कुछ तो ख़याल करो तो वो बोली ठीक है चाहे कुछ हो जाए आज रात तेरी प्यास ज़रूर बुझा दुगी तो मैने कहा कि कैसे तो वो बोली कि रात को मैं अपने घर पे रहूंगी तेरे मामा तो यहाँ पर रहेंगे तू वही आ जाना फिर मैं अड्जस्ट कर लुगी तो मैने कहा ठीक है डार्लिंग जब मामी जाने लगी तो उन्होने मामा से कहा कि बच्चे भी यही है तो मामी मेरा नाम लेते हुए बोली कि इसको भी घर ले जाती हू इधर गम के माहौल मे ये थोड़ा सा उदास है तो थोड़ा सा फ्रेश भी हो जाएगा तो मामा बोले हम ठीक है वैसे भी फौज मे परेशान ही है बेचारा फिर मैं और कौशल्या मामी उनके घर चल पड़े


मामी आज बड़ा ही मुस्कुरा रही थी उनके घर पहुचते ही मामी बोली मैं पहले नहा लेती हू पूरा शरीर पसीने से भरा पड़ा है तो मैने कहा चलो साथ ही नहाते है तो वो बोली कि नही कही कोई आ गया तो तुम बाहर होदि पे नहा लो तो मैने अपने कपड़े उतारे और पानी के होद मे उतार गया ठंडे पानी मे जाते ही मेरी सारी थकान एक दम गायब ही हो गयी मैं बहुत देर तक ठंडे पानी मे पड़ा रहा फिर मैं बाहर आया और कपड़े पहने जब मैं अंदर गया तो मामी ने बस एक ढीली सी मॅक्सी ही डाल रखी थी वो भी आधे से ज़्यादा गीली थी उनके बालो से टपकती बूँदो की वजह से उनकी पीठ पूरी भीगी हुई थी


मैं सीधा उनके पास गया और उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उनके बतख से होंठो का रस निचोड़ने लगा मामी ने भी एक मजेदार किस दिया और फिर बोली कि तुमसे कभी भी सबर नही होता है तुम हमेशा ही इतने उतावले रहते हो तो मैने कहा कि मामी चार साल बाद आज आपकी चूत मारने का मौका मिला है अभी भी उतावला ना होऊ तो कैसे चलेगा तो मामी बोली रूको बाहर का दरवाजा तो बंद कर लू मामी ने दरवाजा बंद किया और बोली आँगन मे ही चारपाई बिछा लेते है यही पर सोएंगे तो मैने कहा कि मामी आज की रात कौन सोएगा तो मामी मुझे अपनी आँखे दिखाने लगी खाना वाना खाने के बाद रात को कोई साढ़े 9 बजे मैं कौशल्या मामी के साथ बिस्तर मे लेटा हुआ था मेरे हाथ मामी के शरीर पर साँप की तरह रेंगने लगे थे मामी बोली मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी तुम्हारे बारे मे सोच कर ना जाने कितनी बार मैने अपनी चूत मे उगली करके ही गुज़ारा किया है तो मैने कहा मामी कुछ ऐसा ही हाल मेरा है अब बात मत करो और बस मुझ मे खो जाओ…

अट प्रेज़ेंट
मैं क्या कहूँ तुझे ज़िंदगी अगर तू इतनी कठोर है तो मुझे कभी तू चाहिए ही नही थी मैं अकसर यही सोचता रहता हू कि लोग कहते है कि ज़िंदगी खूबसूरत होती है फिर तू ऐसी क्यो है क्यो कोई रंग नही है मेरे इस जीवन मे क्यो मैं ऐसा हू पर आख़िर मैं तुम्हे क्यो दोष दे रहा हू वो मैं ही तो था जिसने इस राह को चुना था पर अब मैं तंग आ चुका हू अपने इस बन्जारेपन से एक घुटन सी महसूस करता हू मैं अपने आप मे सिमट कर रह गया हू कोई भी तो नही है पास मेरे बस मैं हू और मेरा परिचय है ज़िंदगी मैं अक्सर सोचता हू कि तू इतनी बेरहम कैसे है अगर तू ऐसी है तो मौत कैसी होगी क्या बो खूबसूरत होगी या वो भी बस तेरी तरह एक छलावा भर ही है भटक ता रहता हू मैं यहाँ से वहाँ मैं वो मुसाफिर हू जिसकी कोई मंज़िल कोई ठिकाना नही है बस एक खाना बदोश ज़िंदगी ज़ीनी है

मैं हू कौन, एक सैनिक या एक कातिल एक प्रेमी या एक आवारा बहुत कोशिश करता हू खुद को एक पहचान देने की पर नाकामी ही मिला करती है मैं घुट ता रहता हू हर पल एक लाश ही हू मैं बस फरक इतना है कि सांस कुछ बाकी सी है इस सफ़र मे साथी तो कई मिले पर हमसफ़र पास होकर भी दूर है मैं आज एक ऐसे मुकाम पर आ खड़ा हू कि वापिस जाने को कोई राह दिखाई ही नही देती है बस अकेलेपन को ही साथ लेकर चलना है यार-दोस्त सन्गि-साथी कभी मिले ही नही जो भी मिला बस लूट ही ले गया थोड़ा थोड़ा किसी ने देखा ही नही कि इस सीने मे भी एक चीज़ धड़कती है जिसे लोग दिल कहा करते है ये खूबसूरत वादियाँ भी मेरे दर्द को कम नही कर पाती है इतने नकाब है मेरे कि अब भूल ही गया हू मैं कि असल मे मैं हू कौन एक आम इंसान या कोई छलावा दिल मे एक उमंग थी तो मैने ये राह चुन ली पर कांटो के इस सफ़र मे रोज मेरे पाँव छिलते गये हर अपना मुझ से दूर और दूर होता गया घर छूट गया अपने रूठ गये पर सबर कर लिया कि देश तो अपना ही है लोग अपने है पर कौई साला कदर करता है हीरो की और फिर क्या फरक पड़ता है हम रहे या ना रहे सबकुछ अपना दाँव पर लगा दिया सोचा था कि एक छोटा सा आशियाना अपना भी होगा पर साली तकदीर जब लेने पे आई तो कुछ भी बाकी ना छोड़ा सब कुछ वसूल कर लिया मैं हैरान परेशान सोचता रहता हू कि आख़िर मैने कौन सी ग़लती करदी क्या गुनाह हो गया मुझ से ऐसा कि ये सज़ा मिली है मुझ को मैं तो हार ही चुका हू ज़िंदगी तेरे आगे बस इतनी सी मेरी गुज़ारिश मान ले और मुझे इस दर्द से आज़ाद कर दे


मौत तू मुझे कोई दुख ना देना मैं बहुत थक गया हू तुझसे पनाह माँगता हू मैं बहुत भाग लिया अब रुकना चाहता हू थमना चाहता हू मुझे अपनी बाहों मे ले ले ना तू कम से कम तू तो मेरी बात मान ले आख़िर कब तक मैं यू ज़िंदा रहूं अब कुछ भी तो नही है ना वो गाँव मेरा है ना वो घर मेरा है अब सर्दियो मे लहराती वो सरसो की फसल नही दिखती है मुझे ना गाँव मे नीम के पेड़ पे झूला झूलती वो मुटियारे दिखती है सब कुछ खो गया है इस चका चौध मे वैसे तो अब पूरी दुनियाँ ही मेरी है पर वो छत कहाँ है जहा मैं दो पल आराम कर सकूँ कहाँ है वो आँगन जहाँ मैं बैठ कर अपने बचपन को याद कर सकूँ कुछ भी तो नही है फिर क्यो मैं इस ज़िंदगी का एहसान लूँ आख़िर क्या लगती है ये मेरी होगी वो बहुत खूबसूरत होंगी उसमे हज़ारो रंग पर मैं क्यों फिर बेरंग हू है कोई जवाब तेरे पास

बुरा लगता है मुझे जब लोग साले समझ ही नही पाते है कि क्या खोते है मेरे जैसे लोग दिन महीनो मे और महीने साल मे बदल जाते है पर हम मजबूरी का घूँट पी कर रह जाते है हाँ सही है कि हम अपनी तकदीर खुद लिखते है पर किस के लिए कोई नही समझता बहुत दर्द होता है बदन मे पीठ ज़ख़्मी है करवट नही बदल पाता हू मैं शूकर है हाथ सही सलामत है और थॅंक्स टू टेक्नालजी जिसने ये आइपॅड जैसे गॅड्जेस्ट्स बनाए जिनके सहारे मैं अपने मन की बात आप तक पहुचा पाता हू कल पूरी रात दर्द से कराहता ही रहा कभी कभी सो नही पाता हू इसको मैं सोच ता हू कि काश कोई अपना होता जो मेरा थोड़ा दर्द बाँट लेता पर अब तो आदत सी हो गयी है दर्द मे भी मुस्कुराने की मेरी इन भीगी आँखो मे भी कुछ सपने है जो मैं शायद कभी पूरा ना कर पाऊ सबकुछ पैसा नही होता अगर होता तो आज मैं दुखी नही होता कभी जब घर की याद आती है तो कलेजा चीर जाती है तब दारू का पेग भी गम भुलाने मे कोई मदद नही कर पाता है इच्छा होती है कि बुढ़ापे मे घर वालो का सहारा बनू उनकी राह देखती आँखो का सुना पन दिखता है मुझे पर मजबूर हू तकदीर के हाथो
क्या लिखू इन कागज के टुकड़ो पे अब कुछ बाकी ना रहा जबसे छूटा तेरा साथ अपना कोई साथी ना रहा
बस मैं हू और ये अधूरी हसरते है और एक ये दिल है जो साला मानता ही नही है क्या करू
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मामी मुझसे और भी चिपक गयी और मेरे पयज़ामे को नीचे सरकाते हुए मेरे लंड को अपने हाथ मे ले लिया और उसको सहलाने लगी मैने उनकी गर्दन मे हाथ डाला और उनके चेहरे को अपनी ओर करते हुए उनके पतले पतले होंठो को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगा करीब दस पंद्रह मिनट तक बस मैं उनके होंठो का रस ही पीता रहा इधर लगातार उनका हाथ मेरे लड पर था तो वो भी पूरी तरह तन्कर एक दम टाइट हो चुका था और मामी की चूत की बखिया उधेड़ने को तैयार हो गया था मामी ने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और अपनी मॅक्सी भी उतार कर साइड मे रख दी और मामी का संगमरमरी बदन मेरी आँखो के सामने था मामी का फिगर आज भी ऐसा ही था जैसे पहले हुआ करता था एक इंच भी फरक नही आया था

तो मैने मामी को लिटाया और दुबारा से उनके होंठो को चूमने लगा थोड़ी देर चूमा था कि मामी बोली बस ज़्यादा मत चूसो होंठ सूज गये तो कही तुम्हारे मामा शक ना कर ले तो मैने कहा ठीक है मैं थोड़ा नीचे आया और और अपना मुँह उनकी एक साइड की चूची पर लगा दिया और उनके निप्पल को चूसने लगा और दूसरे वाले को अपने हाथ से दबाने लगा कुछ ही देर मे मामी की चूचियो मे कठोरता आ गयी वो ऐसे हो गयी जैसे की ठोस गोले हो आधे घंटे से भी ज़्यादा टाइम तक मैं मामी की दोनो चूचियो को पीता ही रहा जब मैने अपना मुँह उनसे से हटाया तो वो बिल्कुल लाल हो गयी थी मामी की आँखो मे वासना के डोरे तैरने लगे थे उन्होने मेरे हट ते ही अपनी टाँगो को चौड़ा कर लिया काली झान्टो से भरी हुई उनकी चूत के अंदर से आती सुगंध ने मुझ पर जैसे जादू सा कर दिया था मैने उनकी मांसल जाँघो को थामा और अपना मुँह उनकी पानी छोड़ती थी हुई चूत पर लगा दिया

मामी की चूत हद से ज़यादा पानी बहा रही थी तो मैं उस रिश्ते हुए पानी को अपनी जीभ से चाट ने लगा जैसे ही मेरी जीभ उनकी चूत से टच हुई मामी के बदन मे जैसे शोले से उठने लगे मामी ने अपनी टाँगो को थोड़ा सा टाइट सा कर लिया नीचे मैने चूत के छेद मे अपनी जीभ फसाई हुई थी और उपर मैं चूत के दाने को अपने अंगूठे से रगड़ने लगा तो मामी है है करने लगी मामी के होंठो से फुट ती हुई कामुक सिसकारियो से मेरे कान भी गरम होने लगे थे 5 मिनट मे ही कौशल्या के चूतड़ उपर की तरफ उठ गये थे अब वो चारपाई पर थोड़ा बैठी सी हो गयी थी मैं पूरे मज़े से उनकी रस से भरी हुई चूत को चाटे जा रहा था जब मैं अपने दाँतों से उनकी चूत की फांको को दबाता तो खारा पानी झट से मेरे मुँह मे भर जाता

मामी को थोड़ा दर्द होता पर वो बस मस्ती से मुस्कुरा ही देती मामी के सरीर मे अब कंपन बढ़ने लगा था तो मुझे हिंट मिल रहा था कि बस कुछ ही देर मे वो झड़ने को ही है तो मैं और ज़ोर से अपनी जीभ को चूत पर रगड़ने लगा और 4-5 मिनट बाद ही उनका कामुक शरीर अकड़ गया और चूत से रस का फव्वारा छूट गया मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने नमक की पूरी कटोरी को ही मेरे मुँह मे उडेल दिया हो मैने मामी की चूत को चाट चाट कर एक दम चमका दिया मैं अपना मुँह उनकी चूत से हटाने ही वाला था तो मामी बोली थोड़ी देर और चाटो ना मज़ा आ रहा है तो मैने फिर से अपनी जीभ उनकी योनि से सटा दी और दुबारा से चूत से छेड़खानी करने लगा शायद मामी आज बहुत ही आतुर थी तो थोड़ी देर बाद ही उनकी योनि फिर से गीली होने लगी

तो मैने अपना मुँह वहाँ से हटा या और अपने लड को जो कि काफ़ी देर से परेशान हो रहा था उसको मामी की चूत पर टिका दिया मामी ने अपने चुतडो के नीचे एक तकिया लगा या और बोली चलो अब डाल भी दो इसको अंदर मेरी प्यासी चूत देखो कैसे फाड़ फाडा रही है इसको अपने अंदर लेने के लिए तो मैने एक धक्का लगाया और पहले धक्के मे ही आधा लड अंदर चला गया मामी के चेहरे पे एक चमक सी आ गयी जिसे शायद उस वक़्त मैं ही समझ सकता था और अगले धक्के के साथ मेरा लड मामी की चूत की गहराइयो को नाप रहा था अब मैं मामी के उपर नीचे होने लगा हर धक्के के साथ उनकी आँखो मे नशा उतरने लगा था मामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी और मैं उसको चूमने लगा मेरी उग्लिया उनकी उग्लियो मे उलझ गयी थी

बेहद खामोशी से सितारो से भरी रात के नीचे हम दोनो अपनी चुदाई मे मशगूल थे मैं अपने हर एक धक्के के साथ मामी मे समाए जा रहा था आज एक आह भी नही फुट रही थी हमारी साँसे भी जैसे आज गूंगी हो गयी थी पर पसीने से लथ पथ हमारे शरीर एक अलग ही दास्तान कह रहे थे अब मैने मामी को अपनी तरफ टेढ़ी कर लिया और उनकी टाँगो को अपनी कमर पर रख लिया और उनके चूतड़ को थामते हुए उनकी धुँआधार चुदाई शुरू कर दी मैं तेज तेज धक्के लगाते हुए मामी को उनकी मंज़िल की ओर पहुचाने लगा मामी के साथ साथ मैं भी बहुत मस्त हो गया था मेरा वीर्य मेरे टट्टो मे इकट्ठा होने लगा था मैं मामी के कान को काट ते हुए बोला जान मैं बस झड़ने ही वाला हू तो मामी बोली कि दो मिनट और बस मैं भी जाने ही वाली हू और कहते कहते ही इधर उनकी चूत से रस छूटा और मेरे लड से वीर्य की पिचकारी एक साथ ही हम दोनो अपनी अपनी मंज़िल को पा गये थे कुछ देर बाद हम दोनो अपनी अपनी सांसो को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे थे

फिर मामी उठी और अपनी मस्त गान्ड को मतकती हुई अंदर चली गयी और एक ठंडे पानी की बॉटल ले आई थोड़ा खुद पिया थोड़ा मुझे पिलाया गला एक दम तर हो गया फिर मामी वापिस मेरे पास आकर लेट गयी और हम बाते करने लगे वो कहने लगी कि आज कितने दिन बाद मेरी चूत को आराम मिला है तुम्हारे मामा तो बस मेरे चूतड़ छोड़े करने मे ही लगे रहते है महीने मे बस दो चार बार ही चूत मरते है पर गान्ड उनको डेली चाहिए तुम ही बताओ मैं क्या करू तो मैने कहा अब मैं क्या कर सकता हू ये आप हज़्बेंड –वाइफ के बीच का मॅटर है मैं भला क्या कर सकता हू

मामी ने मेरे लड को हाथ लगाया और बोली तेरा ये कभी डाउन भी होता है जब देखो खड़ा ही रहता है तो मैने कहा मामी जब आप जैसा चोखा माल पास हो तोये कैसे ढीला रह सकता है मामी बोली बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे और हँसने लगी तो मैने कहा कि मामी लड चूसो ना तो वो बोली अरे ये भी कोई कहने की बात है अभी लो और अपने चेहरे को मेरे लड पर झुका दिया और उसको चाटने लगी मामी के मुँह मे जाते ही लड और भी फुफ्कारने लगा मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था कि तभी मामी ने उसे अपने मुँह से निकाल दिया और बोली मैं अभी आई और अंदर चली गयी कुछ मिनट बाद जब वो वापिस आई तो उनके हाथ मे एक कटोरी थी जिसमे मलाई पड़ी थी तो मामी ने ढेर सारी मलाई मेरे लड पर चुपड दी और फिर उसको अपने मुँह मे ले लिया मलाई लगने से लड बेहद मुलायम और चिकना हो गया था मामी बड़े ही चटखारे लेते हुए बड़े ही मज़े से अब मेरे लड को चूसे जा रही थी

मैने उनके चेहरे के सामने आ गये उनके बालो को साइड मे किया मामी के गुलाबी होंठ मेरे लड पे किसी लॉक की तरह कसे हुए थे अब वो खाली बस मेरे सुपाडे को ही चूस रही थी और अपने हाथो से मेरी गोलियो को लगातार सहलाए जा रही थी मुझे वहाँ पर बेहद गुद गुदि महसूस हो रही थी मुझे अब लगने लगा था कि कही उनके मुँह मे ही मेरा वीर्य ना छूट जाए तो मैने उनको अपने लड से हटा दिया और मामी को घोड़ी बना दिया जब मैने उनको घोड़ी बनाया तो मैने गौर किया कि उनकी गान्ड का छेद दो बेहद खुल गया है शायद रोज गान्ड मरवाने के कारण तो अब मैने अपना लड एक बार फिर से चूत पर सटा दिया मामी ने अपनी गान्ड को थोड़ा सा हिलाया और अगले ही पल मेरा लड उनकी चूत मे घुस गया था और मेरी गोलिया उनके चुतडो से टकराने लगी थी मैने उनकी चूचियो को अपने हाथो मे दबा लिया

और उनको बेरहमी से दबाते हुए मामी की चूत मारने लगा मामी भी लगातार अपने कुल्हो को आगे पीछे करे जा रही थी मैं बहुत ज़ोर से उनके बोबो को भिंचे जा रहा था उनको दर्द भी हो रहा था पर उन्होने मुझे एक बार भी नही रोका वो तो बस आज जी भर कर चुदना चाहती थी बस चुदना और कुछ नही उनकी चूत से पच पुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ आने लगी थी उनकी चूत से बहता पानी लड को लगातार भिगोएे जा रहा था तो अब मैं उनको चोद्ते चोद्ते उनकी पीठ को भी चूमने लगा था मामी के हर एक अंग से मस्ती जैसे फूटने लगी थी मैं अपने दाँत भींचे चूत को चोदे जा रहा था तभी मुझे पता नही क्या सूझा मैने लड को निकाला और उनके चुतडो को थामते हुए उनकी चूत को पीछे से ही चूमने लगा

मामी का तो पूरा बदन ही कांप गया मैं उनके दाने को कुरेदे जा रहा था मामी बहुत ही ज़्यादा मस्ता गयी थी वो लरजती हुई आवाज़ मे बोली आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ आईईईीीइसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स मात्त्तटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबभहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मुझीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबब ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबबुउुउउस्सुउुुुुुुुुउउस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स लाआआआआआाअंद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड ही ईईईईईईईईईईईईईईईई चाहियीईईइईईईईईईईईईईईईईईईई तो मैं हटा और

लड को दुबारा घुसा कर उनकी ढलती हुई जवानी को लूटने लगा मैने कोई 25-30 धक्के और मारे थे कि मामी एक बार फिर ढह गयी और औधी पड़ गयी मामी झड चूँकि थी और उनकी हिम्मत अब जवाब दे गयी थी वैसे तो मैं भी बेहद ही करीब था तो मैं उनपर लगा ही रहा और तेज तेज धक्के मारने लगा जब मुझे लगा कि अब बस काम होने ही वाला है तो मैने अपने लड को बाहर निकाला और मामी के मुँह मे दे दिया वीर्य की धार उनके गले से टकराई और फिर लगातार टकराती ही गयी मामी ने मेरा सारा वीर्य पी लिया फिर उन्होने मेरी बनियान से अपने मुँह को सॉफ किया और मेरी बाहों मे आकर लेट गयी और हाँफती हुई बोली कि बस अब मेरी ओर हिम्मत नही है एक बार और चुदि तो फिर सुबह उठ नही पाउन्गि तो मैने कहा कोई बात नही आप आराम कर लो तो मामी और मैं एक दूसरे से चिपक कर ही सो गये
 
सुबह 5 बजे ही मामी ने मुझे जगा दिया मैं नंगा ही खाट पर पड़ा था मैने झट से अपने कपड़े पहने तो मामी बोली तुम फ्रेश हो जाओ मैं चाइ बना देती हू फिर तुम सबके लिए चाइ लेकर बड़ी मामी के घर चले जाना मैं घर का सारा काम निपटाने के बाद आ जाउन्गि तो मैं फ्रेश वगेरह हुआ और चाइ का थर्मस ले कर बड़े मामा के घर आ गया चाइ पीते पीते मैने जेब से मोबाइल निकाला तो मिता के कई मिस कॉल आए पड़े थे फोन वाइब्रेशन मोड पे था तो पता ही नही चला तो मैने सोचा कि बाद मे तस्सली से बात करलुगा उस से फिर मैं बाल्टी भरने के लिए नलके पर गया तो सुबह सुबह ही मेरी मुलाकात लिली से हो गयी मुझे बड़ी कॅटिली छुरी लगी वो पर भाई की सेट्टिंग थी तो कुछ कर भी नही सकता था तो दिल को मसोस कर अपनी बाल्टी भरी और वापिस आ गया

नहा –धोकर रोटी खा ही रहा था कि चाचा का फोन आ गया वो बोले कि तेरी ताई जी का ऑपरेशन एक दम ठीक हो गया है पर अभी कुछ दिन हॉस्पिटल मे ही रहना पड़ेगा और तुम्हारी मम्मी भी थोड़ी गमगीन है और पीहर मे ही है तो और अनिता बहू तो हॉस्पिटल मे ही है फिर साख्सी को भी संभालना है अब जीजी अकेली क्या क्या संभालेगी तो तू एक काम कर आज के आज तू तेरी चाची को लेने चला जा मैने फोन कर दिया है वो तैयार होंगी तो मैने कहा ठीक है जैसी आपकी आग्या और फोन काट दिया मैने अपना सामान पॅक किया मम्मी को सारी बात बताई और चल पड़ा अशोक भाई ने मुझे सहर तक छोड़ दिया था शाम तक मैं धक्के खाते हुए चाची के गाँव पहुच गया सभी ने मेरा बहुत ही आदर-सत्कार किया

चाची तो मुझे देख कर बहुत ही ज़्यादा खुश थी अगली सुबह मैं उनको लेकर चल पड़ा लंबा सफ़र और वो भी बस का मेरी तो पूरी कमर ही जैसे टूट गयी हो जैसे तैसे गाँव पहुचे मैं तो इतना ज़्यादा थक चुका था कि पड़ ते ही सो गया फिर सुबह ही होश आया मैं नीचे आया और चाची से पूछा कि बुआ कहाँ है तो उन्होने कहा कि वो तो तेरे चाचा के साथ हॉस्पिटल चली गयी है वो क्या है ना अनिता रात भर वही पर रुकी थी तो वो अब घर आ जाएगी और बुआ वहाँ रुक जाएगी तो चाची ने नाश्ता लगा दिया पर मैं तो बस उससे ही बाते करना चाहता था तो मैने उनको अपनी गोद मे बिठा लिया और बोला चाची कितने दिनो बाद मैं छुट्टी आया और आप गाँव चली गयी तो वो बोली कि अरे मुझे पता होता कि तुम आने वाले हो तो मैं जाती ही नही

फिर मैने उनको किस किया तो वो बोली चल अभी शरारत मत कर मुझे घर का काम करना है और वो रसोई मे चली गयी मैं नहाने चला गया कोई दस बजे अनिता भाभी भी आ गई तो मैने साख़्शी को ले लिया और भाभी का खाने लगी तभी मैने देखा कि जब मैं साक्षी को खिला रहा था तब मैने चाची की आँखो मे नमी देखी फिर अनिता भाभी बोली मैं कुछ देर सोउंगी और साक्षी को लेकर अपने घर चली गयी मैं टीवी देख ही रहा था कि चाची बोली तू यही बैठ मैं अभी आई जब वो वापिस आई तो उनके हाथ मे कुछ चिट्ठिया थी पुरानी सी उन्होने कहा कि ले तेरी अमानत तेरी मम्मी से नज़र बचाकर मैने डाकिये से ले ली थी मैने उन लेटर्स को देखा तो सेनडर वाली जगह पर वो नाम लिखा था जिसे मैं डर डर ढूँढ रहा था

वो लेटर्स निशा के थे ठीक कोई 1 साल पुरानी थी मुझे तो विश्वास ही नही हुआ मैने चाची को अपनी बाहों मे ले लिया और बोला चाची आपने मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है आपका उपकार मैं कभी नही भूल सकता हू तो वो बोली कि निशा की कई चिट्ठिया आई थी पर तुम्हारी मम्मी ने ज़्यादतर को जला दिया बस ये कुछ ही मैं बचा पाई हू तुम पढ़ लो मैने खोल के देखा नही है इनको मैं आती हू कुछ देर मे मैने तुरंत ही उनको खोला और पढ़ने लगा उसने लिखा था कि जब वो पहली बार मुंबई आई थी तो उसका सूटकेस स्टेशन पर ही चोरी हो गया था तो वो थोड़ी टेन्स हो गयी थी फिर कुछ दिन उसे जाय्न करने और घर का जुगाड़ करने मे लग गये उसने मुझे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की थी पर एक दिन उसका मोबाइल रिसेट हो गया

और सभी कॉंटॅक्ट्स के नंबर डेलीट हो गये तो वो फिर कोई संपर्क ना कर पाई हर पल उसे मेरी याद आती है मुंबई मे वो खुद को बहुत ही तन्हा महसूस करती है मैने उसकी सारी चिट्ठिया पढ़ी ना जाने कब मेरी आँखो से आँसू बहने लगे झार झार आँसू बहते ही रहे एक चिट्ठी मे उसने अपना अड्रेस भी लिखा था पर मेरी छुट्टिया तो बस 10 दिन की ही बची थी फिर मुझे मिता से भी मिलने जाना था मैं बुरी तरह से फस गया था हालात के आगे मजबूर सा हो गया था मेरा दिल मचल रहा था पर मैं अभी मुंबई भी नही जा सकता था की तभी चाची आ गयी और मुझे रोता देख कर चकित हो गयी

मैने अपना मुँह उनके आँचल मे छुपा लिया और रोते हुए बोला चाची आपने पहले मुझे इन चिट्ठियो के बारे मे क्यू नही बताया पर वो क्या कहती निशा के इन लेटर्स ने मेरे दिल मे इक तूफान खड़ा कर दिया था जो अब आसानी से नही थमने वाला था बहुत देर तक मैं चाची की गोदी मे ही सुबक्ता रहा मेरा दिमाग़ बहुत ही ज़्यादा खराब हो गया था ये साला दिल भी ना बड़ा ही कमीना होता है

फिर शाम को मैं अनिता भाभी को हॉस्पिटल छोड़ने गया और वापसी मे बुआ को साथ ले आया अब एक हार्डकोर चुदाई ही मुझे आराम दे सकती थी तो मैने रास्ते मे ही बुआ को बता दिया था कि रात को चाचा तो चाची को चोदेन्गे ही तो मैं आपके कमरे मे आ जाउन्गा और फिर हम भी कुछ तूफ़ानी करेंगे तो बुआ बोली देख ले कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए तो मैने कहा तुम सब कुछ मुझ पर छोड़ दो और बस चुदने की तैयारी करो तो बुआ बोली बेशरम सीधे सीधे ही बोलता है बाहर तो थोड़ी शरम कर लिया कर रास्ते मे मैने बाइक रोकी और दो किलो रसगुल्ले खरीद लिए बुआ बोली इतने का क्या करेगा तो मैने कहा आपको पता चल ही जाएगा फिर हम घर आ गये दोनो औरते रसोई मे बिजी हो गयी मैने एक बियर की बॉटल खोली और छत पर बैठ गया

और पीते पीते निशा के बारे मे सोचने लगा जब दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया तो मैं नीचे आया मैं ऐसे ही खाक छान रहा था तो मुझे अपना पुराना सीसी रेडियो मिल गया धूल खाए पड़ा था तो उसको सॉफ किया नये सेल डाले और उसको चला दिया गुज़रते हुए वक़्त के साथ वो भी बदल गया था चॅनेल्स तो वो ही थे पर अब अपने प्रोग्राम नही आते थे रेडियो सिटी पे अब लव गुरु का प्रसारण नही होता था फिर भी कुछ देर गाने सुनता ही रहा अपने मन को तसल्ली देने के लिए ये टाइम भी ना एक बार हाथ से निकल जाए तो फिर कभी वापिस नही आता रात को साढ़े दस बजे के लगभग पूरा घर अंधेरे मे डूबा पड़ा था चाचा चाची अपने कमरे मे मस्त थे पापा बैठक मे सो रहे थे तो मैं बुआ के कमरे मे घुस गया
 
वो मेरा इंतज़ार ही कर रही थी मैने झट से कुण्डी लगाई और अपनी बुआ को बाहों मे भर लिया और उनके थोड़े सूखे से होंठो को अपने होंठो से गीला करने लगा वो भी किसी प्यासी की तरह मेरा साथ देने लगी उनको किस करते करते ही मैं उनके कपड़े उतारने लगा मैने अपनी उग्लिया उनकी सलवार के नाडे मे फसाई और उसको खीच दिया सलवार सीधे उनके पैरो मे जा गिरी मेरा मुँह जैसे बुआ के मुँह से लॉक ही हो गया था तो मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनकी कच्छि के उपर से ही उनके चुतडो को दबाने लगा मुझे ऐसा लगा जैसे मैं फूलो को मसल रहा हू तभी बुआ ने कहा कि तू जल्दी से कर ले कही कोई आ ना जाए तो मैने कहा आप खम्खा ही चिंता कर रही हो अब मैं उनकी गर्दन पे चूमने लगा बुआ भी धीरे धीरे गरम होने लगी

मैने उनकी कच्छि के साइड से अपनी उगली अंदर डाली और चूत मे सरका दी चूत तो पहले से ही गीली हुई पड़ी थी मैं अपनी उगली चूत मे रगड़ने लगा बुआ ने भी अब मेरी पॅंट को खोल दिया और मेरे नागराज को अपने हाथ मे पकड़ लिया मैने उनके सूट और ब्रा को भी उतार दिया अब वो बस खाली कच्छि मे ही खड़ी थी तो मैने बिना देर किए उसको भी उनके जिस्म से अलग कर दिया और नंगी बुआ को देखने लगा उनकी उठी हुई चूचिया , बेहद ठोस और चिकनी जंघे और सबसे बेहतर चीज़ उनकी भूरी सी चूत जिसका मैं रसिया बन चुका था बुआ मेरे लड को अब चूत पर रगड़ने लगी थी तो मैने उनकी टाँग को थोड़ा सा उठाया और अपने लड को चूत मे घुसा दिया बुआ ने एक हल्की सी आह भरी मैने उनके चुतडो को थाम लिया

उनके होंठो को पीते हुए उनकी चूत मे लड आगे पीछे करने लगा हम खड़े खड़े ही चुदाई करने लगे थे मैं उनके निचले होंठ को बुरी तरह से काटने लगा था बुआ की मक्खन जैसी चूत मे मेरा गरम लड की छुरी की तरह घुसा पड़ा था थोड़ी देर उनको उसी पोज़िशन मे छोड़ने के बाद मैने उनके हाथ बेड की साइड पर टिकाए और उनको झुका दिया और फिर से अपने लड को सैर करवाने लगा तभी मैने अपनी उगली से उनकी गान्ड के छेद को सहलाना शुरू किया जब वो थोड़ा सा नरम हुआ तो मैने अपनी थोड़ी उगली गान्ड मे डाल दी बुआ ने अपने जिस्म को थोड़ा सा टाइट कर लिया और पीछे मुँह करके बोली ये मत करो तो मैने कहा अभी तो आपकी गान्ड मारनी तो बाकी ही है आज वहाँ भी अपना लड घुसाउन्गा ही तो बुआ बोली अरे नही मुझे दर्द होगा

तो मैने कहा आप नाटक मत करो क्या पहले कभी गान्ड मे नही लिया क्या तो वो चुप हो गयी मैं लगातार उनको चोदे जा रहा था कूलर की ठंडी हवा मे हमारी गरमा गरम चुदाई चल रही थी अब मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनके चुतडो को थोड़ा सा चौड़ा किया और गपा गॅप उनकी चूत मारने लगा बुआ भी लगातार अपनी गान्ड को हिलाए जा रही थी फिर कोई बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनो आगे पीछे ही झाड़ गये तो मैने अपने लड को उनकी चूत से निकाल लिया उनकी चूत से मेरा गाढ़ा वीर्य अभी भी रिस रहा था तो उन्होने अपनी चुन्नी से चूत को सॉफ किया और मेरे बगल मे बैठ गयी रात के बारह बज चुके थे तो वो बोली कि चलो अब तुम भी जाकर सो जाओ और मुझे भी सोने दो तो मैनें कहा कि अभी तो गान्ड लेउगा तो

वो बोली कि अभी तुम जाओ मैं कल ज़रूर तुम्हे अपनी गान्ड दे दुगी तो मैने अपने कपड़े पहने और वापिस अपने कमरे मे आ गया पर मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत की दूसरी साइड की तरफ आ गया और मैने देखा कि

एक कौने मे चाची खड़ी थी मुझे ऐसे लगा कि जैसे वो सूबक रही हो तो मैं उनके पास गया और पूछा कि क्या बात है तो उन्होने कहा कुछ नही और तुरंत ही अपने कमरे मे चली गयी मैं हैरान-परेशान वही पर खड़ा रहा वैसे भी मुझे लग ही रहा था कि चाची के स्वाभाव मे कुछ अंतर आ गया है वो पहले की तरह नही चहक्ती थी एक अलग सी उदासी उनके चेहरे पर थी जिसका कारण मुझे पता करना ही था


अगले दिन मैं पापा मामा के गाँव चले गये बुआ हॉस्पिटल तो घर पर बस मैं और चाची ही थे तो मैं उनके कमरे मे गया और बोला कि चाची आप आजकल इतने उदास क्यो रहते हो रात को भी आप रो रहे थे बात क्या है मुझे तो बताओ तो वो बोली कि बस ऐसे ही थोड़ी डिस्टर्ब थी तो मैने ज़ोर देते हुए कहा कि आप झूट मत बोलो और सच सच बताओ कि बात क्या है तो वो थोड़ी सी एमोशनल हो गयी और बोली कि जब वो साक्षी को देखती है तो उसे तकलीफ़ होती है कि मैं अभी तक माँ नही बन पाई हू मुझे भी हसरत है कि मेरी भी औलाद हो मेरा भी मन करता है कि मैं अपनी गोदी मे बच्चे खिलाऊ तो मैने कहा कि चाची हम सब आपके ही बच्चे तो है तो वो बोली हम पर एक फीलिंग होती है तो मैने कहा की चाची एक उपाय है अगर मानो तो कहूँ तो वो बोली हाँ बोलो तो मैने कहा कि आप मुझसे सेक्स करके देख लो ना क्या पता आप प्रेग्नेंट हो जाओ तो वो बोली तू तो हमेशा मुझे लपेटने की ही सोचता रहता है तो मैने उका हाथ पकड़ा और बोला कि चाची मज़ाक की बात नही है आप एक चान्स तो ले कर देखो क्या पता आपका काम हो जाए और अगर प्रेग्नेंट ना हुई तो समझ लेना कि आपने अपनी चूत मुझे गिफ्ट मे दी थी तो चाची बोली कि पर मैं तेरे चाचा से पूरी तरह सॅटिस्फाइ हू तो मैने कहा कि मैं जानता हू डार्लिंग पर यहाँ बात एक बच्चे की है क्या पता आप मुझ से प्रेग्नेंट हो जाओ
 
चाची ने एक ठंडी आह भरी और कहा कि ठीक है वो सोचेंगी और बाद मे मुझे बता देंगी फिर उन्होने कहा कि चल खाना खाते है फिर मिता का फोन आ गया तो उसने बताया कि आज वो शाम को माता के मंदिर मे आरती मे जाएगी तो अगर हो सके तो मैं आ जाउ मैने कहा कि ठीक है मैं आ जाउन्गा ज़्यादा कुछ करने को था नही तो मैं और अनिता भाभी गप्प्पे लड़ाने लगे चाची भी हमारी बातों मे शामिल हो गयी फिर मैं थोड़ी देर के लिए सो गया शाम को मैं उठा जल्दी से नाहया धोया और साढ़े 6 बजे मैं मिता के गाँव की तरफ निकल पड़ा काफ़ी दिनो बाद आज उधर का रास्ता पकड़ा था जब मैं पहुचा तो देखा कि मंदिर अब और भी बड़ा हो गया था और बहुत ही सुंदर भी सबसे पहले मैने माता के दर्शन किए आरती होने मे थोड़ी देर थी फिर मैने देखा कि हाथो मे पूजा की थाली लिए मेरी दिलरुबा चली आ रही है कुछ तो बात थी उस साँवली सलोनी मे जो पहली ही नज़र मे मेरा दिल चुरा ले गयी थी बड़ी ही नज़ाकत से उसने मुझे देखा और मेरा अभिवादन किया फिर हम आरती मे खड़े हो गये ये पल भी बड़े ही अलग से थे बस हमारी धड़कने ही एक दूसरे को सुन पा रही थी

आरती के बाद वो मेरे पास आई और बोली कैसे हो तुम तो मैने कहा कि अपनी जान के बिना अधूरा हू ना जाने कब मेरी जान मुझे मिलेगी और कब मैं पूरा हो पाउन्गा वो हँसने लगी अब उसका गाँव था तो खुल के बात भी नही कर सकते थे बस ये एक छोटी सी मुलाकात थी कुछ देर रुकने के बाद वो अपनी राह चली गयी और मैं वही मंदिर मे बैठ गया मुझे बहुत ही सुंकून मिलता था मंदिरो मे एक अलग सी शांति मिलती थी मुझे टाइम 8 होने ही वाला था तो मैं भी अपनी राह उड़ चला घर पहुचा खाना वाना खाया और अपने कमरे मे आ कर लेट गया कोई 9 बजे मिता का फोन आया उसने बताया कि आज मंदिर मे तुमसे मिल कर बड़ा ही अच्छा लगा तो मैने कहा कि तू किसी दिन मेरे घर भी आ जाना तो वो बोली कि ससुराल तो वो फेरे लेने के बाद ही आएगी और हँसने लगी मुझे भी हँसी आ गयी


मैने उस से बोला कि यार तुझे क्या लगता है तेरे घर वाले मान जाएँगे क्या तो वो बोली कि उसके पिताजी पे डिपेंड करता है उसमे इतनी हिम्मत नही है कि वो अपने पिता से डाइरेक्ट्ली मेरे बारे मे बता सके तो मैने कहा देख एक ना एक दिन तो हमे ये सब फेस करना ही पड़ेगा तो वो कहने लगी कि उसे बड़ा डर लगता है प्रेम कहानिया सुन ने मे तो ठीक लगती है पर असली ज़िंदगी मे बड़ी ही मुश्किल राह है ये तो मैने कहा अगर तू मेरे साथ खड़ी रही तो मैं जमाने से भी तुझे जीत लाउन्गा मिथ्लेश मेरी थी और मेरी ही रहेगी मिता गहरी सांस लेते हुए बोली मेरा तो बस ये ही सपना है की दुल्हन बनूँगी तो तुम्हारी वरना फिर मर ही जाउन्गि तो मैने कहा ऐसा क्यो सोचती है भगवान हमारे साथ है फिर क्यो घबराना देख मेरी फॅमिली तो ऑलमोस्ट तैयार है ही अभी थोड़ा तू भी देख ले तू सब से पहले अपनी मम्मी से बात कर फिर देखते है आगे क्या होता है तो वो बोली कि मुझे डर लगता है धीरे धीरे रात गुजरने लगी हम दोनो अपनी बाते करते रहे पर उसका कहना भी उचित ही था प्यार करना और प्यार पाना दो अलग अलग बाते थी फिर समाज की बंधिशे भी थी मैं एक आम आदमी का बेटा और वो ठहरी ठाकूरो की कन्या ना जाने क्यो मुझे आज पहली बार एक डर सा लगा कि अगर उसके घरवाले ना माने तो ????????????????????????????????????????????????????????????????????????

ये प्रेम का धागा भी बड़ा ही मजबूत होता है एक बार जुड़ जाए तो फिर उलझ ही सकता है पर आसानी से
टूट नही सकता गुस्ताख़ी तो कर ली थी मोहब्बत करने की अब ना जाने अंजाम क्या होगा सोचते सोचते मैं
कमरे से बाहर आया और छत की मुदेर पर बैठ कर उस चाँद के सुने पन को निहारने लगा रात आज
बिल्कुल खामोश थी हवा भी नही चल रही थी पर मेरे इस दिल मे एक तूफान ज़रूर चल रहा था
मोहब्बत करना एक अलग बात थी और उसको अंजाम तक ले जाना अलग बात थी मेरे सामने
एक बेहद मुश्किल चुनोती खड़ी थी कि कैसे मिथ्लेश को अपनी दुल्हन बना पाउन्गा पर वो मोहब्बत
ही क्या हो इतनी आसानी अपने अंजाम तक पहुच जाए एक डर सा लगने लगा था मुझे कि अगर मिता मेरी
ना हो पाई तो मैं क्या करूगा मैं कैसे जी पाउन्गा उसके बिना रात के सन्नाटे को मेरे दिल की
धड़कने चीरे जा रही थी मैं सोचने लगा कि एक बार ट्रैनिंग ख़तम हो जाए फिर पोस्टिंग के बाद
ही चर्चा करूगा मिथ्लेश के घरवालो के साथ .


अब मैं कोई फिल्मी हीरो तो था नही जो जमाने से लड़
जाउ उसके लिए सच्चाई फिल्मी दुनिया से बहुत अलग होती है परिवार की इज़्ज़त की तरफ भी देखना था तो कोई
ग़लत कदम भी नही उठा सकते थे और वैसे भी मिता ऐसी लड़की थी ही नही जो भाग कर ब्याह रचा लेगी
मैने एक गहरी सांस ली और अपने आप को तकदीर के हवाले छोड़ दिया पर मैं एक बात भूल गया था कि
मैं तो उन लोगो मे से था जो अपनी तकदीर को खुद ही लिखा करते है फिर वैसे भी मेरी आत्मा तो सेक्स के
दलदल मे धँस चूँकि थी मैं तो दोहरी जिंदगी ही जी रहा था मेरे कुछ राज़ थे जो बस मैं अपने
अंदर ही समेटे पड़ा था मैं आज बहुत गहराई मे उतर गया था मेरे और मिथ्लेश के बीच मे एक
बहुत गहरी खाई थी हमारी ग्रहस्ति के बीच मे कई रोड़े आने वाले थे मैं एक बार चाहता था कि
वो अपने घर वालो से हमारे रिश्ते का जिकर तो कर्दे ताकि उनका जो भी रिक्षन हो पता तो चले पर
मिता तो खुद ही घबराई हुई थी और वैसे भी किसी भी लड़की के लिए ये सब इतना आसान थोड़ी ही ना होता
है मुझे उदासी ने घेर लिया था मैने दुबारा से मिता को फोन मिलाया शायद वो भी जाग ही रही थी
पहली रिंग मे ही फोन पिक हो गया मैने कहा क्या हुआ सोई नही तुम अभी तक उसकी आवाज़ से ही पता
लग गया था कि वो भी परेशान थी मैने कहा मिता कभी ना कभी तो हमे ये सब फेस करना ही
पड़ेगा ना तो वो बोली पर मैं अभी तैयार नही हू हम इंतज़ार करते है तुम्हारी ट्रैनिंग ख़तम होने
तक ,


जब तक मेरी इंटेरन्शिप भी पूरी हो जाएगी और क्या पता मुझे भी कोई जॉब मिल जाए तो मैं भी
इनडिपेंडेंट हो जाउन्गि फिर हम अपनी शादी की बात घरवालो के सामने रखेंगे तो मैने कहा देख ले
तो वो बोली मैने सोच लिया है मैने बस इतना ही कहा कि मेरा इंतज़ार करना तू वो बोली कमिने मैं और
कही भाग के जा रही हू क्या .

मुझे ये तो पता था कि चाहे कुछ भी हो जाए मिता मेरे साथ ही खड़ी रहेगी तो फिर टेंशन किस बात की
जो भी होगा देख लेंगे अपन डरते है क्या किसी से पर अब नींद नही आ रही थी तो मैने अपनी अलमारी
खोली और रंगो को बाहर निकाल लिया और अपने दिमाग़ के ख़यालो को एक चेहरे का रूप देने लगा
थोड़ा टाइम लगा पर मैने अपनी दिलरुबा की एक बेहद शानदार पैंटिंग बनाई आज से पहले मेरी
कला इतना उभर कर कभी नही निखरी थी पर आज तो मैने एक बेहद सुंदर रचना कर दी थी पर दिल मे एक टीस अब भी मोजूद थी
 
लेट सोया तो लेट ही उठा चाची नहा धोकर तैयार थी मैं भी बाथरूम मे घुस गया नाश्ते के बाद हम दोनो उनके रूम मे ही थे तो मैने उनकी चूची पे हाथ रखा और उसको ब्लाउज के उपर से ही दबाने लगा तो चाची बोली तुझे आज बड़ी मस्ती सूझ रही है तो मैने कहा कि अब जब आपके जैसा गर्म माल साथ हो तो मस्ती तो आएगी ही ना और कस्के उनकी चूची को दबा दिया मैं धीरे धीरे उनके ब्लाउस के हुको को खोलने लगा और कुछ ही पलो मे उसको उतार दिया चाची ब्लू कलर की जालीदार ब्रा मे बहुत ही कामुक लग रही थी तो मैने अपना मुँह ब्रा के उपर से ही बोबो पर लगा दिया और उनको सुघने लगा बेहद ही जबरदस्त खुसभू मेरी नाक मे उतरती चली गयी फिर मैं अपना हाथ उनकी पीठ पर ले गया और उनकी ब्रा को भी उतार कर फेक दिया

और उनकी 36 इंची चूचियो को मसल्ने लगा चाची बोली आह थोड़ा आराम से करना ऐसे मत दबा पर मैने उनकी बात पे कोई ध्यान दिया ही नही और उनके बोबो को बारी बारी से चूसने लगा और अपने दूसरे हाथ को उनकी साड़ी मे घुसा दिया और कच्छि के उपर से ही उनकी चूत को मसल्ने लगा चाची भी अपना हाथ मेरी पीठ पर फिराने लगी थोड़ी देर तक उनकी चूचियो को चूसने के बाद मैं हटा और उनकी साड़ी और पेटी कोट को हटा दिया वो बस अब ब्लू पेंटी मे ही बेड पर पड़ी थी तो मैने कहा आप ऐसे ही रहना मैं अभी आया और मैं भागते हुए नीचे गया और फ्रिज से वो रसगुल्ले वाला डब्बा उठा लाया चाची बोली ये किसलिए लाए हो तुमको रसगुल्ले खाने है क्या तो मैने कहा खाने तो है पर ऐसे नही तो वो बोली

फिर कैसे तो मैने कहा आप बस देखो और रसगुल्ले की चासनी उनके चेहरे पे निचोड़ने लगा उनके गालो होंठो पर हर जगह और फिर एक रसगुले को उनके मुँह मे दिया और उसको खाने लगा साथ ही साथ मैं उनके चासनी से सने हुए होंठो को भी चाटने लगा चाची तो एक दम मस्त हो गयी थी धीरे धीरे मैने उनके पूरे चेहरे की चासनी को सॉफ कर दिया फिर मैने उनकी कच्छि को उतारा और उनकी चूत के छेद को थोड़ा खोला और उसको भी चासनी से पूरा भर दिया जब तक मैं रस टपकाता रहा जब तक कि उनके छेद से रस खुद ब खुद बाहर ना रिसने लगा फिर मैने एक उगली चूत के अंदर घुसेड दी और थोड़ी देर तक घुमाने के बाद बाहर निकाली और चाची के मुँह मे डाल दी चाची उस उगली को बड़े ही प्यार से चूसने लगी

तो मैने कहा कि चाची आपकी चूत का टेस्ट कैसा लगा तो वो बोली चुप कर बदमाश तो मैने अपने मुँह मे उनकी छोटी सी प्यारी चूत को भर लिया और चाटने लगा मैं अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगा तो चाची अब होने लगी मस्त वो बेड की चादर को अपने हाथो से उमेठने लगी तो मैने उनकी चूत को थोड़ा सा फैलाया और बड़े ही मज़े से वहाँ पर लगी हुई चासनी को चाट ने लगा चाची पूरी मस्ती से आहे भरने लगी थी मुझे उनकी आहे सुन कर बड़ा अच्छा लग रहा था बबिता चाची के होंठो से निकलती हर एक मादक सीत्कार मेरे जिस्म मे जैसे चिंगारी सी भरने लगी थी मैं जब तक उनकी चूत को चाट ता रहा जब तक कि पूरी चासनी ख़तम ना हो गयी चासनी मे चूत का रस मिक्स होने से उसका टेस्ट भी थोड़ा मीठा थोड़ा खारा सा हो गया था

तो मैने सोचा कि चाची कही ऐसे ही झाड़ ना जाए तो मैं खड़ा हुआ और चाची की आँखो मे देखने लगा मेरा लड तो पैंट मे क़ैद था तो मैने अपनी पॅंट को नीचे कर दिया और लड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ से उसको सहलाने लगा तो बेड पर पड़ी चाची ने कहा कि इसको ऐसे ही हिलाएगा या कुछ आगे भी करेगा तो मैने कहा कि मैं तो जाने कब से तैयार हू चाची पर आप ही नही मानती तो वो बोली अभी तो मान गयी हू ना चल तू भी आज अपने मन की कसर पूरी कर ले जब मैने उनके ये शब्द सुने तो मुझे विश्वास ही नही हुआ तो मैने कहा क्या चाची तुम सच कह रही तो तो उन्होने कुछ नही कहा बल्कि मुझे अपनी ओर खिचा और मेरे लड के सुपाडे को अपनी चूत पर रगड़ने लगी उनकी चूत से उठती हुई भाप से जैसे मेरे सुपाडे की खाल झुलस सी गयी थी तो मैने भी बिना कोई देर करते हुए उनकी मोटी मोटी टाँगो को अपने मजबूत कंधो पर रखा और अपने लड को चूत पे टिका दिया

आज मैं अपने सपनो की रानी को चोदने से बस एक कदम ही दूर था तो मैने एक ज़ोर का झटका लगाया और आधे लड को चूत के अंदर डाल दिया तो चाची थोड़ी कराहते हुए बोली आहह
थोड़ा आराम से डाल ना फाड़ेगा क्या तो मैने कहा कि अब कंट्रोल नही होता चाची और एक धक्का और लगाते हुए अपनी गोलियो को उनके चुतडो से सटा दिया चाची बोली आराम से करना दर्द हो गया है तो मैने कहा अब कहाँ दर्द होगा तुमको चाची तुम भी ना कितना झूट बोलती हो तो वो बोली कमिने सच मे दर्द हो रहा है थोड़ा आराम से कर एक तो तेरा लड इतना मोटा है मेरी तो पूरी चूत ही खिच गयी है

तो मैं आराम आराम से अपने लड को अंदर बाहर करने लगा पर एक बार जब चुदाई शुरू हो जाए तो फिर स्पीड कहाँ काबू मे रहती है गुज़रते हुए लम्हो के साथ साथ उनकी सिसकारियो की आवाज़ और मेरे लड की स्पीड अपने आप बढ़ ती ही गयी कोई दस मिनट तक मैं उनको धीरे धीरे चोदता रहा फिर मैने उनकी टाँगो को अपने कंधो से उतारा और उनके उपर आते हुए उनकी चूत मे लड को डाल दिया और अपने होंठो को उनके शहद से भी मीठे होंठो पर रख दिया और लगा उनकी चुदाई करने उनके होंठ इतने क्रीमी थे कि लग रहा था कि जैसे मक्खन पिघल रहा हो हमारे होंठ एक दूसरे मे घुलने लगे थे लड किसी मशीन के पिस्टन की तरह बड़ी ही तेज़ी से चूत के अंदर बाहर हुए जा रहा था चाची के चूतड़ भी अब उपर उठने लगे थे

तो अब चाची ने अपनी बाहों को मेरी पीठ पर कस दिया और मेरी पीठ को सहलाती हुई मेरा जोश बढ़ाने लगी 20-25 मिनट से लगातार उनकी चुदाई चल रही थी पर चाची भी पूरे रंग मे थी और झड ही नही रही थी पर हर एक धक्के के साथ उनकी चूत मे कंपन बढ़ता ही जा रहा था खास बात ये थी कि हमारा किस नही टूट रहा था सांस तो जैसे जुड़ ही गयी थी मैं लगातार उनके होंठो का रस निचोड़े जा रहा था बहुत ही मज़ा दे रही थी चाची मुझे अब मेरा शरीर मुझे संकेत देने लगा था कि मैं अब जाने ही वाला हू तो मैने अपनी स्पीड और बढ़ा दी जैसे ही मेरे धक्को ने और रफ़्तार पकड़ी तो चाची मुझ से किसी बंदरिया की तरह चिपक गयी और अपने चुतड़ों को बिल्कुल टाइट कर लिया चाची की चूत से एक गरम धारा निकली और मेरे लड को नहलाने लगी मैने कुछ शॉट और मारे और फिर मैने भी अपना पानी उनके अंदर ही छोड़ दिया और उनके उपर ही पसर गया .
 
कमरे मे कूलर चल रहा था फिर भी मेरा शरीर पसीने से पूरी तरह लड़ गया था मैने चाची को चूमा और कहा कि चाची थॅंक यू आपने मुझे आज जो दिया है उसका कोई मोल नही है आज आपने मेरी बरसो की मुराद पूरी करदी तो वो कहने लगी कि इसमे उनकी भी गरज है वो बस प्रेग्नेंट होना चाहती है इस लिए ही उन्होने मेरे साथ सेक्स किया है मैने कहा चाची आप भी ना अब मैं क्या कहता हर औरत की इच्छा तो होती ही है माँ बन ने की मैं मन ही मन सोच रहा था कि हे भगवान चाची को भी माँ बन ने का सुख प्रदान कर दो थोड़ी देर बाद चाची खड़ी हुई और बोली देख तूने क्या किया है मेरा पूरी बॉडी चिपचिपी हो गयी है और बेड की चादर भी चासनी से खराब हो गयी है तो मैने कहा कि मेरे शरीर पर भी तो चासनी लगी है तो मैने चाची को अपनी बाहों मे उठाया और बाथरूम मे लेकर आ गया और शवर ऑन कर दिया उपर से गिरता पानी हमारे बदन को भिगोने लगा कुछ देर गीले होने के बाद मैने साबुन लिया और चाची की मुलायम चूचियो पर लगानी शुरू किया फिर उनके पेट जाँघो चूत और कुल्हो पर खूब साबुन लगाया मैं चाची के पीछे खड़ा हो कर उनके चिकने शरीर को दबा रहा था तो मेरा लड उनके कुल्हो का स्पर्श पाकर एक बार फिर खड़ा हो चुका था तो मैने अपने लड पर भी साबुन लगाया और उसको झाग से ढक दिया मैने चाची को पंजो के बल झुकाया और उनके मोटे मोटे चुतडो को थोड़ा सा फैलाया और अपने लड को उनकी लंबी सुरंग के मुँह पर लगा दिया मेरे हाथ चाची की जाँघो पर थे तो चाची ने अपने चुतडो को पीछे करके मुझे सिग्नल दिया और मैने अपने लड को चूत मे क़ैद कर दिया और एक बार फिर हमारी चुदाई शुरू हो गयी थी चाची के सांसो का वजन बढ़ने लगा वो बोली तू तो बढ़िया काम करता है तो मैं बोला आपको मेरा काम पसंद आया तो वो बस मुस्कुरा दी कुछ देर चोदने के बाद चाची ने मुझे हटने को कहा और अपनी चूत को पानी से धोने लगी तो मैने कहा क्या हुआ तो वो बोली की साबुन की वजह से अंदर थोड़ी जलन सी हो रही थी चूत को पानी से धोने के बाद मैने भी लड को सॉफ किया और दुबारा से उनको चोदने लगा 10-15 मिनट तक चाची वैसे ही झूँकि रही फिर वो हटी और मुझे फर्श पर बैठने को कहा और खुद मेरी गोद मे आकर बैठ गयी और अपनी कमर को उचकाने लगी मैने अपने हाथ उनके चुतडो पर लगा दिए और उनके नरम माँस को दबाने लगा चाची की उछलती हुई चूचिया मुझे बड़ी ही प्यारी लग रही थी मैं उनकी ओर देखे ही जा रहा था तो चाची ने अपने हाथो से एक चूची को मेरे मुँह से लगा दिया जिसे मैने अपने मुँह मे भर लिया अब निप्पल्स औरत के सेन्सिटिव पार्ट्स होते है तो चाची और भी उत्तेजित हो गई और पूरी ताक़त से मेरे लड पर उछल कूद मचाने लगी मैं बारी बारी से दोनो चूचियो को पिए जा रहा था और वो मेरे लड पे अपनी गान्ड का ज़ोर दिखा रही थी मैं तो मस्ती के आलम मे डूब गया था जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उनको फर्श पर ही लिटा दिया और उनकी टाँगो को चौड़ा करते हुए चाची के अंदर समा गया उन्होने अपनी टाँगो को मेरी कमर के गिर्द लपेट दिया और नीचे से झटके मारने लगी चाची बोली आज तो वो मर ही जाएँगी चाची अपने दांतो से मेरे होंठो को काटने लगी उन्होने इतनी ज़ोर से काटा की मेरी चीख निकल गयी वो मेरे होंठो गालो और कान पे काटने लगी मैने कहा मेरी जंगली बिल्ली थोड़ा कंट्रोल रख खुद पर मेरा चेहरा बिगाड़ो गी क्या मेरा लड तो इसलिए पूरे जोश मे था कि वो चाची की चूत का साथी बना था आज खुशी से मेरा दिल गोते खा रहा था पर आज तो चाची ने सारे बंधन तोड़ने की कसम ही खा ली थी वैसे तो हम बाथरूम मे चुदाई कर रहे थे पानी की ठंडक थी फिर भी हमारी चुदाई से वहाँ पर भी गर्मी हो गयी थी तो मैने शवर को दुबारा से चला दिया और उसके नीचे फिर चुदाई करने लगे मैने कहा चाची बहुत ही मज़ा आ रहा है उनकी चूत बेहद ही टाइट थी तो लड पे एक कसाव था जो चुदाई के मज़े को बेहद बढ़ा रहा था चाची नीचे से पूरा ज़ोर लगा रही थी इस बार हमे काफ़ी टाइम हो गया था मेरी पीठ दुखने लगी थी इतनी लंबी चुदाई आज से पहले मैने कभी नही की थी मेरे पूरे जिस्म का खून एक जगह इकट्ठा होने लगा मीरी पूरी ताक़त मेरी गोलियो मे समाने लगी मैं फारिग होने के बेहद करीब हो गया था और फिर मेरी टांगे कांप गयी और मेरा साथ छोड़ गयी मेरे लड का गाढ़ा सफेद पानी चाची की चूत को भिगोने लगा जैसे ही मेरा काम हुआ चाची का भी काम तमाम हो गया उनकी चूत ने वीर्य की एक एक बूँद को अपने अंदर समेट लिया

काफ़ी लंबी चली थी ये चुदाई मेरी तो हालत पस्त हो गयी थी कुछ ऐसा ही हाल
चाचिका था कई देर हम बाथरूम मे ही पड़े रहे फिर चाची ने कहा कि तुम नहा कर बाहर जाओ उन्हे थोड़ा टाइम लगेगा क्यों कि बेड की चादर भी धोनी है तो मैं नहा कर बाहर चला गया आधे घंटे बाद चाची भी तैयार होकर आ गयी तो मैने कहा कि मुझे बहुत तेज़ भूख लगी है कुछ बना दो तो वो बोली कि वो भी थक गयी है पूरा बदन टूट के जैसे बिखर रहा है वो अभी रसोई मे नही जा पाएँगी तो मैने कहा कोई बात नही आप आराम करो मैं बाहर से कुछ खाने का ले आता हू तो मैं गाँव के अड्डे से कुछ समोसे और कचोरिया ले आया फिर हम साथ साथ खाने लगे 4 बज गये थे तो मैं सो भी नही सकता था पर चाची को चोद कर दिल मे एक खुशी छा गयी थी

इधर मेरी छुट्टियो का अंत होने ही वाला था और मैं गीता से मिलने नही जा पाया था जब से बुआ की चूत मिली थी मैं गीता को जैसे भूल ही गया था फिर एक तो मम्मी घर नही थी और ताइजी की तबीयत ठीक ना होने के कारण मैं थोड़ा सा परेशान भी था शाम हो चूँकि थी गरम हवा अभी भी चल रही थी तो मैं पैदल ही मंदिर की तरफ चल पड़ा बस अब वो ही तो एक जगह थी जहा थोड़ा मान हल्का हो जाता था मैने अपने कपड़े उतार कर तलब किनारे की सीढ़ियो पर रखे और तालाब के शांत पानी मे उतर गया और तैरने लगा सारी थकान एक पल मे ही उतर गयी थी थोड़ी देर तक मैं पानी मे ही पड़ा रहा फिर मैं बाहर आया मोबाइल देखा तो उसमे रीना की मिस कॉल थी तो मैने उसको फोन किया तो उसने कहा की कल उसके घर मे एक छोटी सी पार्टी है

सभी बॅच मेट्स को बुलाया है तो मैं भी टाइम से पहुच जाउ मैने कहा ठीक है जब मैं वापिस घर आ रहा था तो रास्ते मे शीला भाभी मिल गयी वो अपनी दुकान से सब्ज़ी ले कर आ रही थी तो उसने कहा आज कल तो आप आते ही नही हो क्या बात है तो मैने कहा भाभी चारो तरफ काम बिखरा पड़ा है नाना जी की डेथ हो गयी और ताइजी भी हॉस्पिटल मे है तो एक पाँव इधर रहता है और एक पाँव उधर आप ही बताओ मैं क्या करू वो बोली की देख लेना अगर थोड़ी फ़ुर्सत हो तो आ जाना वैसे भी आप चले जाओगे तो बहुत याद आती है एक बार मिल लेते तो ठीक रहता मैने कहा भाभी मैं ज़रूर आउन्गा अब साली चूते तो इतनी थी चारो तरफ पर टाइम नही था घर पहुचा तो डिन्नर रेडी था तो सबने साथ साथ ही खाया फिर मैं उपर चला गया

चाचा चाची अपने कमरे मे घुसे पड़े थे मैं चौबारे की छत पे चटाई बिछाए पड़ा था और रेडियो पे गाने सुन रहा था कि बुआ ने आवाज़ लगाई मैं उतर के गया तो वो बोली आज कुछ नही करना है क्या तो मैने कहा बुआ जी आज थोड़ा मन नही लग रहा है तो मूड नही है उन्होने कहा कोई बात नही तो मैने कहा बुआ क्या मैं आपके पास सो जाउ वो बोली हाँ क्यो नही तो मैं उनकी गोद मे सर रख कर सो गया सुबह के कोई 3 बजे मैं एक सुंदर सपने मे खोया हुआ था मैं और निशा एक दूसरे के साथ मस्ती कर रहे थे बेहद अच्छा सपना था मैं उस से पूछ रहा था कि तुम्हारा पता क्या है वो मुझे बताने ही वाली थी कि तभी मेरी आँखे खुल गयी मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया मैने देखा तो याद आया कि मैं बुआ के पास ही सोया पड़ा था

बुआ साइड मे लेटी हुई गहरी नींद मे थी उनकी उपर नीचे होती छातियाँ बड़ी ही प्यारी लग रही थी दीन-दुनियाँ से बेख़बर वो अपने सपनो की दुनियाँ मे खोई पड़ी थी मैं उठा और बाहर आया पानी की बॉटल ली और थोड़ा पानी पिया फिर मैने बुआ को जगाया और कहा कि बुआ चलो कुछ करते है तो वो अलसाए अंदाज मे बोली कि अभी इसी टाइम तू दिन मे कर लेना अभी मुझे सोने दे तो मैने कहा नही बुआ बस एक बार करने दो ना फिर सो जाना तो उन्होने कहा ठीक है मैं अभी आती हू और बाहर चली गयी मैने अपने कपड़े उतार दिए और खाली अडरवेर मे ही लेट गया कोई दस मिनट बाद बुआ आ गयी और मेरे सीने पर चढ़ बैठी और अपने होंठ मेरे होंठो पर टिका कर चूसने लगी मैं उनकी पीठ को सहलाने लगा बुआ बड़ी ही बेसब्री से मुझे चूम रही थी

तो मैने अपने हाथो से उनकी मॅक्सी को कमर तक हटा दिया तो पता चला कि अंदर से वो नंगी थी मैने एक झटके मे ही मॅक्सी को उतार कर फेक दिया और उनके भरे हुए गौरे तन को देखने लगा उनकी चूचिया ऐसे चमक रही थी जैसे कि किसी कार की हेडलाइट्स तो बुआ ने मेरे कच्छे को उतार दिया और मेरे इठलाते हुए लड को अपने होंठो से लगा लिया तो मैने कहा मेरी जान एक मिनट रूको वो बोली क्या हुआ तो मैने उन्हे 69 मे आने को कहा बुआ हंसते हुए बोली बदमाश पूरा ठरकी है तू तो अगले ही पर बेड पे हम दोनो के सर एक दूसरे की टाँगो मे घुसे हुए पड़े थे मैने उनकी चूत की फांको को थोड़ा सा फैलाया और उसपर एक लंबी चम्मी ली तो बुआ ने अपने दाँत मेरे लड पर गढ़ा दिए मैं कसमसा कर रह गया बुआ जैसी गान्डस औरत की लेना हर बार नया सा ही लगता था
 
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