Desi Porn Stories आवारा सांड़ - Page 2 - SexBaba
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Desi Porn Stories आवारा सांड़

राज—ठीक है नही बोलोगि तो फिर नंगी करके देखूँगा

सरला—नही…नंगी नही….देख ले….मेरी बुर देख ले….अब तो बोल दिया ना….जल्दी से चड्डी किनारे खिसका के मेरी बुर देख ले

राज—भाई रोज चोदता है ना…?

सरला—नही...10-15 दिन मे एक दो बार

राज—खूब मज़ा आता होगा ना बुर चुदवाने मे

सरला (गरम होकर)—नही….

राज—क्यो…?

सरला (मदहोश)—उसका बहुत छोटा और पतला है...डालते ही झड जाता है

सरला अब पूरी गरम होकर मदहोश हो चुकी थी.....राज की गंदी गंदी बाते भी अब उसको अमृत लग रही थी...चुदासी होकर वो खुल कर राज की बातो का जवाब देने लगी थी...इस बीच राज ने मौका देख कर सरला की पैंटी खीच कर उसके पैरो से निकाल दी और अपनी जेब मे रख ली

सरला इतनी चुदासी हो चुकी थी कि उसको अपनी चड्डी उतर जाने का पता तक नही चला....चड्डी उतार कर राज ने जैसे ही उसकी गोरी
गोरी जाँघो को फैलाया तो दोनो जाँघो के बीच छोटी छोटी काली घुंघराली झान्टो से भरपूर सरला की बुर खुल कर राज के सामने आ गयी

राज ने जैसे ही उसकी बुर पर हाथ फेरा तो सरला चिहुक उठी मारे आनंद के...हाथ फेरते हुए राज ने एक उंगली धीरे से सरला की बुर के
छेद मे अंदर सरका दी....उसकी बुर लार टपकाने से पूरी गीली हो गयी थी

सरला—आआहह...मत करो..राज...आहह...मैं मर जाउन्गी....उउउइंाआ....आहह

राज—भाभी चुचि दबा लूँ आपकी थोड़ा सा

सरला—आआहह....दबा ले.....कोई आ जाएगा...राज....जल्दी से मसल ले मेरी चुचि भी

राज जान बूझकर सरला को फुल चुदासी कर दिया था जिससे कि फिर दुबारा उसे चोदने का मौका मिलने पर कोई दिक्कत ना रहे....वो तुरंत उसकी चुचियो को दोनो हाथो मे भरकर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और साथ मे अपना मूह सरला की रस नहाती बुर के मुहाने पर भिड़ा दिया

राज की इस हरकत से सरला तड़प उठी....उसके आदमी ने उसके साथ कभी ऐसा नही किया था....सरला असीम सुख की अनुभूति करने लगी...ऐसा मज़ा उसे पहले कभी नही मिला था जैसा आज राज के हाथो मिल रहा था उसको
 
अपडेट-8

राज—भाभी चुचि दबा लूँ आपकी थोड़ा सा

सरला—आआहह....दबा ले.....कोई आ जाएगा...राज....जल्दी से मसल ले मेरी चुचि भी

राज जान बूझकर सरला को फुल चुदासी कर दिया था जिससे कि फिर दुबारा उसे चोदने का मौका मिलने पर कोई दिक्कत ना रहे....उसने तुरंत उसकी चुचियो को दोनो हाथो मे भरकर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और साथ मे अपना मूह सरला की रस नहाती बुर के मुहाने पर भिड़ा दिया

राज की इस हरकत से सरला तड़प उठी....उसके आदमी ने उसके साथ कभी ऐसा नही किया था....सरला असीम सुख की अनुभूति करने लगी...ऐसा मज़ा उसे पहले कभी नही मिला था जैसा आज राज के हाथो मिल रहा था उसको

अब आगे......

राज—तुम तो हुमच हुमच के चोदने लायक माल हो भौजी

सरला—अब बस कर..आआहह….छोड़ लेना…..पहले थोड़ा सा अपना भी तो दिखा ना…..मेरा तो सब देख लिया

राज (खुश होकर)—लो अभी देख लो भौजी

राज ने तुरंत अपना लोवर नीचे खिसका दिया…..चड्डी तो वो बहुत कम पहनता था….क्या पता कहाँ जल्दी वाली चुदाई करने का मौका मिल
जाए…ऐसे मे चड्डी उतारने पहनने का लफडा ही ख़तम….सीधे लोवर खिस्काओ और पेल दो धका धक

राज के तन तनाए लंड पर नज़र पड़ते ही सरला के होश गायब हो गये…..आश्चर्य से उसने अपने मूह पर हाथ रख लिया…. उसे यकीन नही हो रहा था

सरला (हैरान)—हाय राम…..ये क्या है….? तू तो सच मूच का सांड़ है….किसी कुवारि लड़की के उपर अगर ग़लती से भी चढ़ गया तो उसकी बुर तो फॅट के चिथड़े हो जाएगी…..दूसरो की क्या कहूँ..अगर ये मेरी ही बुर मे घुस गया तो मेरी बुर फाड़ डालेगा…इतना मोटा और लंबा भी किसी का होता है…..? ये असली है क्या….?

राज—छुकर देख लो…

सरला (हाथ मे पकड़ते हुए)—हे भगवान…..ये तो मेरे हाथ मे भी नही आ रहा है….बहुत मोटा है…..क्या खा के मालती काकी ने तुझे पैदा
किया था…..? तुझे पैदा करने मे ही उनकी बुर का क्या हाल हुआ होगा…..?

राज—थोड़ा सा बुर मे घुसेड दूं भौजी….बस इत्तु सा घुसेड लेने दो

सरला (घबरा कर)—न्नाहि….इत्तु सा भी नही घुस्वाना मुझे….बाद मे घुसेड देना जितना घुसेड़ना हो…अभी टाइम नही है

राज—अच्छा तो थोड़ा सा बुर मे लंड को घिस ही लेने दो….बस ज़रा सा

 
सरला—नही…मैं जानती हूँ तू घुसेड देगा…..तू मेरी बुर फाड़ने की फिराक मे है..मैं सब जानती हूँ

राज ने उसकी चुचियो को चूस्ते हुए दूसरे हाथ से कस कस के मसलना जारी रखा...तभी किसी के बाहर से बाते करने की आवाज़ आने
लगी....तो सरला डर गयी

सरला—अब छोड़ राज....देख कोई आया है....मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ....छोड़ ना अभी

राज—पहले बताओ....मुझे अपनी बुर कब दे रही हो पेलने को

सरला—बाद मे देखूँगी....अभी उठ मेरे उपर से

राज—नही पहले मेरी बात का जवाब दो.....कब दे रही हो अपनी बुर..... ?

सरला—कल दोपहर मे खेत जाउन्गी तब ले लेना....अभी जा यहाँ से

राज—ऐसे नही ....मैं रेकॉर्डिंग करता हूँ ...अब बोलो कि मैं लाला की छोटी बहू वादा करती हूँ तुमसे राज कि कल दोपहर मे मैं तुमको अपनी
बुर चोदने को दूँगी....अब ये बोल के बताओ

सरला—रेकॉर्ड मत कर....बंद कर ना...तू मुझे बदनाम कर देगा..

राज—मैं वादा करता हूँ कि ऐसा कुछ नही करूँगा…..बस तुम मुझे अपनी बुर चोदने को देती रहना..जब भी मेरा तुम्हे चोदने का मन करे

सरला—ठीक है मैं बोल देती हूँ लेकिन अपना वादा याद रखना…

राज—ठीक है..बोलो

सरला—राज मैं सुखिया लाला की छोटी बहू सरला तुमसे वादा करती हूँ कि कल दोपहर मे मैं तुम्हे अपनी बुर चोदने को दूँगी… ले अब तो
बोल दिया…अब छोड़ ना जल्दी

राज—बस थोड़ा सा लंड को बुर मे घुसेड लूँ फिर

सरला—ना…ना….कल जितना चाहे घुसेड लेना…..चाहे तो मैं रोज दोपहर मे खेत जाती हूँ नहाने….तू रोज वही आकर मेरी बुर चोद लिया
कर…पर अभी छोड़ दे

मैने सरला भाभी की चुचियो को एक बार ज़ोर से मसल कर उनके होंठो को चूमा और 8-10 बार बुर मे सतसट तीन उंगली अंदर बाहर पेल कर उनके उपर से हट गया और दरवाजा खोल कर धीरे से दुकान के बाहर निकल गया

दुकान से मैं सीधा घर आ गया…..माँ और चाची खेत से आ चुकी थी जबकि दोनो चाचा अभी नही आए थे…खेत मे पानी लगाने का काम चल रहा था

माँ—आ गया…बेटा..चल खाना खा ले गरम गरम

किंजल (धीरे से)—आ गया सांड़....कहीं से मूह मार के

राज—क्या बना रही हो चाची आज

सीमा—वही जो रोज बनता है.....सब्जी और रोटी

राज (गान्ड को घूरते हुए)—किसकी सब्ज़ी है

सीमा—आलू और टमाटर का भुर्ता है

राज (मन मे)—मस्त गान्ड है चाची की……भोसड़ी का चाचा खूब चोदा होगा चाची को लगता है….कपड़े के उपर से देखने मे जब इतनी मस्त लगती है तो पूरी नंगी कितनी मस्त दिखती होगी….? हाए चाची एक बार अपने भतीजे को भी नंगी होकर दिखा दो

राज ने जब कुछ देर से कुछ नही कहा तो किंजल ने उसकी नज़रों का पीछा किया….उसे समझते देर नही लगी कि ये सीमा चाची की गान्ड को घूरते हुए अपने मन मे गंदी गंदी बाते सोच रहा है…तभी किंजल की नज़र को राज के लोवर मे हाथ भर का तंबू नज़र आ गया…ये देख कर उसका तो गला ही सूखने लग गया

 
किंजल (मन मे)—कितना बड़ा कमीना है…पूरा सांड़ है….हे राम एक हाथ से कम का नही लगता…..अपनी चाची की गान्ड कोभी नही छोड़ रहा….पूरा सांड़ है….अगर इसकी जल्दी शादी नही हुई तो पक्का गाओं की कोई ना कोई लड़की इसके बच्चे की माँ बन जाएगी….अगर मेरी ही शादी जल्दी नही हुई तो ये सांड़ मुझे ही कही गर्भिन ना कर दे किसी दिन मेरे उपर चढ़ के……कब तक खुद को इस सांड़ से बचाती
रहूंगी…कभी ना कभी तो इसे मेरे उपर चढ़ने का मौका मिल ही जाएगा…इसकी शादी करने के लिए बड़ी माँ से बोलना पड़ेगा

किंजल (मन मे)—जिनके उपर ये सांड़ चढ़ता होगा पता नही उनकी क्या हालत होती होगी….लगता है तभी गाओं की बहुत सी लड़किया और औरते हमेशा दोनो पैर फैला कर चलती हैं…पक्का उनपर ये ज़रूर चढ़ा होगा ये सांड़

सीमा—कहाँ खो गया….जा हाथ पैर धो के खाना खाने आ जा

राज—हाँ..हम…अभी आया चाची मैं

मैं हाथ पैर धोने के लिए आँगन मे बने टूटे फूटे बाथरूम मे जाकर फ्रेश चला गया....मैं अभी वहाँ पहुचा ही था कि मेरे कानो मे तभी किसी
मधुर सीटी बजने की आवाज़ आई

मैं समझ गया कि ये किसी औरत की बुर से निकलती मूत के धार की आवाज़ है....मेरे मन मे उसकी बुर को देखने की अत्यंत तीव्र अभिलाषा
होने लगी.....मैं तुरंत दबे पावं बाथरूम के पास जाकर दरवाजे के होल मे अपनी आँखे फेविकोल की तरह चिपका दिया

अंदर का नज़ारा देख कर मेरे खून मे गर्मी बढ़ने लगी....लंड महाराज गुस्सा होने लग गये…शायद उनके नथुनो मे भी किसी बुर की मादक खुश्बू पहुच गयी थी

अंदर दादी अपनी साड़ी को कमर से उपर उठाए दोनो पैर फैला कर छर्र छर्र करते हुए सीटी बजाते बुर से मूत रही थी... मेरी आँखे तो
उनकी पावरोटी जैसी फूली बुर पर ही टिक गयी

दादी की बुर मे खूब बड़ी बड़ी और घनी झान्टे थी....पता नही कब से उन्होने अपनी बुर के जंगल की कटाई सफाई नही की थी ...बुर की
दोनो फांके फैली हुई थी और दोनो फांको के बीच मे से उनकी बुर के अंदर का लाल हिस्सा दिखाई दे रहा था

राज (मन मे)—हाए ..दादी की बुर कितनी फूली हुई है इस उमर मे भी…..जवानी मे तो कयामत ढाती रही होगी....दादा ने खूब पेला होगा
दादी की बुर को...

अच्छा हुआ दादा मर गया...नही तो अब तक दादी की चूत को चोद चोद कर चबूतरा बना देता….वैसे दादी की बुर को अभी चोद चोद कर फाड़ने की काफ़ी गुंजाइश लग रही है

अगर कोशिश करू तो हो सकता है कि मुझे दादी की बुर छोड़ने को मिल जाए...मुझे कैसे भी कर के दादी को चुदासी करना पड़ेगा एक बार उन्हे अपना लंड दिखा देता हू...शायद कुछ काम बन जाए

मैं बाथरूम से झँकते हुए दादी की बुर को चोदने की प्लॅनिंग कर ही रहा था कि दादी पानी से बुर को रगड़ कर धोने के बाद दरवाजा खोलने
को खड़ी हुई तो मैं जल्दी से वहाँ से दौड़ लगा दिया

बाहर आकर रुका लेकिन लंड था कि बैठने का नाम ही नही ले रहा था....साला बुर की खुश्बू बहुत जल्दी सूंघ लेता है...मुझे ढूँढते हुए मीनू
दीदी वहाँ आ गयी और खाने को कहने लगी...तो मैने जल्दी से पकड़ कर उन्हे अपनी ओर खीच लिया

मीनू (धीरे से)—आहह....छोड़ क्या कर रहा है... ?

राज—स्शह....जल्दी से तबेले मे चलो

मीनू (धीरे से)—क्यो.... ? दोपहर मे तो किया था ना.....अभी तक बहुत दर्द है वहाँ पर

राज—मेरा बहुत मन है अभी चोदने का....देखो ना दर्द से लंड फटा जा रहा है...अगर जल्दी ही इसको किसी की बुर मे ना घुसेड़ा तो मैं
पागल हो जाउन्गा

मीनू (धीरे से)—हाथ से कर ले

राज—ऊहह...चलो ना दीदी

मैं दीदी को गाय भैंसो के तबेले मे ले गया और वही उनकी सलवार खोल के चोदने लगा....अंधेरा होने के कारण पकड़े जाने का भी ज़्यादा ख़तरा नही था

पहले तो दीदी दर्द से तिलमिलाई लेकिन बाद मे उनको भी मज़ा आने लगा तो उन्होने पूरा साथ देते हुए अपनी बुर चुदवाने लगी...मैं दनादन
उनकी चुचियो को मसल्ते चूस्ते हुए मीनू दीदी की बुर मे लंड पेलने लगा
 
अपडेट—9

मीनू दीदी को गाय भैंसो के तबेले मे जमकर चोदने के बाद मैं हाथ पैर धोकर अंदर खाना खाने आ गया....सीमा चाची के पास बैठ कर
खाना खाने लगा और बीच बीच मे उनकी हिलती गान्ड भी देख लेता था

राज—चाची मैं आज कल्लू के साथ रात मे रहूँगा तो घर नही आउन्गा आप माँ को बता देना

सीमा—क्यो रात मे तो अपने घर मे रहा कर...दिन भर तो तेरा पता रहता नही है ……कहाँ घूमता रहता है

राज—चिंता मत करो चाची..जल्दी ही मैं बड़ा आदमी बनूंगा..तब देखना सब को खूब सारी शॉपिंग कराउन्गा

सीमा—जीता रह…तुझसे ही तो अब उम्मीदे हैं…तभी तो सब को तेरी फिकर लगी रहती है

राज—ठीक है चाची….आज मैं जाउ कल्लू के घर

किंजल (मन मे)—कल्लू की मम्मी तो गाओं गयी है….मुझे सुबह गाओं मे मिली थी जाते हुए वो….पक्का ये सांड़ उसकी बहन को पेलने के चक्कर मे हैं आज रात

सीमा—ठीक है जा…मैं दीदी को बता दूँगी

मैं चाची को बता कर खाना खाने के बाद घर से निकल गया कल्लू के घर.....चंपा भी आ गयी थी.....कजरी ने मुझे अंदर बुला कर दरवाजा बंद कर लिया

कजरी—राज तुम यहाँ कल्लू के रूम मे सो जाना और चंपा मेरे साथ सो जाएगी

राज—मुझे अकेले सोने की आदत नही है…

चंपा—तो क्या अब कजरी को सुलाएगा अपने साथ….?

राज—क्या हम एक कमरे मे नही सो सकते…? बड़ा मज़ा आएगा

कजरी—ठीक है तू भी मेरे कमरे मे आ जा….मैं नीचे बिस्तर लगा देती हूँ…सब नीचे सोएंगे आज.......क्यो चंपा...

चंपा (मुश्कुरा कर)—ठीक है

कजरी ने अपने रूम मे नीचे बिस्तर लगा दिया...मैं उसके रूम मे जाकर लेट गया....दोनो बाहर निकल कर आपस मे खुसुर फुसर करने
लगी....मैने कजरी की ओर देखा तो उसने मेरी तरफ देख कर आँख मार दी

थोड़ी देर बाद दोनो हँसते हुए आकर लेट गयी….चंपा की कुवारि बुर चोदने के ख्याल से ही मेरा लंड खुशी से बल्लियो उछल्ने लगा था

राज—चंपा तुम्हारे घर मे कौन कौन है.... ?

चंपा—दीदी, मम्मी, पापा, चाची, चाचा,एक बुआ,एक छोटी बहन , एक भाभी , भैया और मैं

राज—अब तो तेरी दीदी और बुआ की तो शादी हो गयी होगी

चंपा—अभी नही हुई है….

राज (खुश होकर)—अच्छा...शादी लायक तो हो गयी होंगी ना..... ?

चंपा—हाँ…वो तो मुझसे बड़ी हैं तो शादी लायक क्यो नही होंगी

राज—तुम सुंदर हो..चंपा…तुम्हारी शादी जल्दी हो जाएगी

कजरी—तू कर ले ना शादी चंपा से

राज—कर तो लूँ पर मैं पहले अच्छे से चेक करने के बाद ही सोचूँगा

कजरी—तो चेक कर ले ना...चंपा आज रात यही तो है...जितना चेक करना है कर ले

राज—मुझे तो चंपा मे कमी लग रही है

कजरी—कैसी कमी…?

राज—वही कमी जो इसकी घर की बाकी लड़कियो मे है…मैने एक बार देखा था इसकी दीदी और बुआ को

चंपा—क्या कमी है मुझ मे…..?

राज—रहने दो तुम बुरा मान जाओगी

चंपा—नही मानूँगी तू बता

राज—नही तू मान जाएगी

चंपा—नही मानूँगी ना...बोल तो दिया..चल बता अब

राज—तू पहले कजरी को देख और फिर खुद को...कुछ अंतर दिखा.... ?

चंपा—ना...मुझे तो कुछ नही दिखा..तू ही बता

 

कजरी (मुश्कुरा कर)—सीधे सीधे तू ही बता दे ना…वो बुरा नही मानेगी…तू बोल जो बोलना है

राज—चंपा तुम्हारे दूध अभी छोटे हैं..जबकि कजरी की चुचि और चूतड़ देखो कितने बड़े हैं

चंपा (शरमाते हुए)—नही ऐसा नही है....मेरे भी हैं बड़े

राज—खुद ही देख लो..कजरी के कितने बड़े दूध हैं..उसके मुक़ाबले मे तेरे छोटे हैं

चंपा (धीरे से)—बस कपड़ो के उपर से ऐसा लगता है..मेरे इतने भी छोटे नही हैं....कजरी के तो तूने इतने बड़े .....

कजरी—हाँ…हाँ…बोल दे कि कजरी के दूध तूने दबा दबा के बड़े किए हैं….वैसे ये सच भी है कि मेरे दूध राज ने ही मसल मसल के इतने
बड़े कर दिए हैं….और मेरी गान्ड भी

चंपा—तू कितनी बेशरम है

कजरी—जब दो दिन से मेरे पीछे पड़ी थी कि मुझे राज से चुदवा दो तब शरम नही थी

राज—क्याअ…? सच मे

कजरी—हां राज….इसे सब मालूम है कि तू मुझे चोदता है....यहाँ तक कि ये हमारी चुदाई भी कयि बार देख चुकी है छुप के….दो दिन से
मुझ से रोज जब भी मिलेगी यही कहती है मैं तुझे इसको चोदने के लिए बोलू

राज—सच मे चंपा….? क्या तू मुझे अपनी बुर देना चाहती है.... ? बता ना...देगी अपनी बुर

कजरी—अब बोल ना...खुद ही

राज—जाने दो कजरी मैने तो पहले ही कहा था कि चंपा अभी चोदने लायक नही हुई है

चंपा (जल्दी से)—नही...नही....मैं हो गयी हूँ

चंपा ने जल्दीबाजी मे बोल तो दिया लेकिन जब उसे समझ आया कि उसने क्या बोला है तो खुद ही बुरी तरह से शरमा गयी और अपने उपर चादर खिच ली

राज—चलो कजरी हम दूसरे रूम मे चलते हैं....बाहर से दरवाजा ठीक से बंद कर देना....बच्चो के सामने चुदाई करना ठीक नही है

कजरी (मुश्कूराते हुए)—हाँ चलो....मेरी बुर बहुत चुदासी हो रही है

चंपा—मैं बच्ची नही हूँ

राज—अभी तो तूने खुद कहा कि तुम अभी चोदने लायक नही हुई हो

चंपा (धीरे से)—हो गयी हूँ

राज—मुझे ऐसे समझ मे नही आता....जो कहना है खुल कर कहो वरना सो जाओ

कजरी—बोल दे ना खुल के

चंपा—बोल तो दिया कि मैं भी हो गयी हूँ

राज—क्या हो गयी हो…?

चंपा—वोही जो तूने कहा.

राज—क्या कहा मैने..... ?

चंपा—कान मे बोलूँगी

राज—ठीक है बोल

चंपा (कान मे)—मैं....भी...च....च....चोदने लायक हो...गयी.....हूँ

राज—मुझे तो नही लगता कि तू छोड़ने लायक हो गयी है.....तेरे दूध भी छोटे हैं

चंपा (धीरे से कान मे)—नही राज.....मैं भी कजरी की तरह तेरे खूब चोदने लायक हो गयी हूँ.....और मेरे दूध भी छोटे नही हैं तू चाहे तो दबा के देख ले

राज—मुझे तो नही लगता....अभी तो तेरी बुर मे झान्ट भी ठीक से नही आई होंगी

चंपा (कान मे)—नही राज….खूब बड़ी बड़ी झान्ट हैं मेरी बुर मे…..तू मुझे दूसरे कमरे मे ले जाकर चाहे तो पूरी नंगी कर के देख ले मेरी बुर
को…..तब तो मानेगा ना कि मैं तेरे खूब चोदने लायक हूँ

राज—तो क्या तू अपनी बुर आज रात मुझे चोदने देगी….?

चंपा—हाँ

राज—कैसे चोदु.... ?

चंपा (कान मे)—मुझे पूरी नंगी कर के....खूब चोदना आज

राज—बस आज..... ?

चंपा—नही...रोज करना

राज—तो दबा लूँ तेरे दूध.....बाद मे नखरा मत करना

चंपा—हाँ दबा ले राज….जितना मन करे उतना दबा ले….रोज दबा दिया कर मेरे दूध…मैं कभी तुझे अपने दूध दबाने से नही रोकूंगी

राज—मुझे रोज देगी ना अपनी बुर….?

चंपा (कान मे)—हां रोज दूँगी….तू जहाँ बुलाएगा…जिस समय बुलाएगा….वहाँ तुझे अपनी बुर देने रोज आउन्गी…..राज तुम डेली मेरे पूरे कपड़े उतार के मुझे पूरी नंगी करना….रोज नंगी करना मुझे….मैं तुम्हे रोज खूब अपनी बुर देना चाहती हूँ… बोलो ना राज….. लोगे ना मेरी बुर रोज…..? करोगे ना मुझे रोज पूरी नंगी….?
 
अपडेट-10

राज—तो दबा लूँ तेरे दूध.....बाद मे नखरा मत करना

चंपा—हाँ दबा ले राज….जितना मन करे उतना दबा ले….रोज दबा दिया कर मेरे दूध…मैं कभी तुझे अपने दूध दबाने से नही रोकूंगी

राज—मुझे रोज देगी ना अपनी बुर….?

चंपा (कान मे)—हां रोज दूँगी….तू जहाँ बुलाएगा…जिस समय बुलाएगा….वहाँ तुझे अपनी बुर देने रोज आउन्गी…..राज तुम डेली मेरे पुर कपड़े उतार के मुझे पूरी नंगी करना….रोज नंगी करना मुझे….मैं तुम्हे रोज खूब अपनी बुर देना चाहती हूँ… बोलो ना राज….. लोगे ना मेरी
बुर रोज…..? करोगे ना मुझे रोज पूरी नंगी….?

अब आगे........

राज—चिंता मत कर मेरी चंपा रानी....चोद चोद कर तेरी फुद्दि का फुद्दा बना दूँगा

चंपा—हाँ, चोद चोद के फुकला कर दे मुझे

मैने चंपा का हाथ पकड़ के अपनी तरफ खिच लिया और उसके होंठो पर जीभ फिराते हुए चूमने लगी....वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी,
शायद ये उसका पहला पुरुष स्पर्श था जिसकी छुवन से उसकी कामग्नी भड़क कर मचल उठी थी

चंपा खुद ही मेरे होंठो को जल्दी जल्दी चूमने लगी....उसके ऐसा करने से ही पता चल रहा था कि वो बहुत ज़्यादा चुदासी हो चुकी है.....किस
करते हुए मैने उसके कुरती के उपर से ही दोनो चुचियो को अपने हाथो मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा

चंपा—आआहह....आहह.....थोडा धीरीई....राज्ज्ज...दर्द होता हाीइ...आआहह.....धीरीए....थोड़ा धीरे.... दबाऊओ

लेकिन मैं उसकी एक ना सुनते हुए उसकी चुचियो को ऐसे ही निचोड़ता रहा.....उसके होंठो को अपने होंठो से लॉक कर दिया और किस करते हुए दोनो चुचियो को खूब ज़ोर ज़ोर से मसलता रहा

चंपा की दर्द और मज़े मे डूबी हुई सिसकारिया मेरे मूह के अंदर ही दब कर रह जा रही थी.....उसकी चुचिया ज़्यादा बड़ी तो नही थी लेकिन इतनी भी छोटी नही थी कि उनको दबा दबा कर उनका रस निचोड़ा ना जा सके, ..नागपुरी संतरे साइज़ की चुचिया थी चंपा की....एकदम
गदराई माल हो गयी थी चंपा

जब किस करते करते उसकी साँस भरने लगी तो मैने अपने होंठ हटा लिए….होंठ हटाते ही वो अपनी चुचियो की ज़ोर ज़ोर से मीसाई इतनी देर से लगातार होने से सिसक उठी

चंपा—आआअहह.......आआअहह.....आअहह....उखाड़ लेगा क्या...इनको....आआ......ऐसे जोर्र्र...जोर्र्र..से....खिच...खिच के....मसल...रहा....हाीइ....आआहह

कजरी—अरे तेरी चुचिया तो कम ही तेज़ी से मीस रहा है.........मुझे तो जब इसने पहली बार चोदा था ना तो दो घंटे तक तो मेरी चुचियो को
ही खूब ज़ोर ज़ोर से दबाता रहा था....लाल होकर पूरी फूल गयी थी मेरी चुचिया....उसके बाद पूरे पंद्रह दिन तक दर्द करती रही वो

चंपा—आआहह....तो मेरी चुचि भी कौन सा धीरे धीरे दबा रहा है.....आआहह....देख ना कितनी ज़ोर ज़ोर से...मसल मसल के मीस रहा है मेरी चुचियो को....आआआहह.....आधे घंटे से ज़्यादा देर तो हो गयी दबाते दबाते....अभी पूरी नंगी करने के बाद भी तो दबाएगा......बुर चोदते हुए भी तो दबाएगा......तो मेरे भी तो दो घंटे दबा ही लेगा ना ऐसे मे...आअहह

राज—क्यो...ज़ोर से दबाने मे मज़ा नही मिल रहा क्या.... ?

चंपा—मज़ा ...दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी....

राज—ठीक है तो नही दबाता....मैं कजरी की चुचि ही दबा लेता हूँ...आजा कजरी तेरी चुचि खूब ज़ोर से दबा लेता हूँ

चंपा—नही...नही....मैने तुम्हे अपनी चुचि दबाने से कब रोका है.......तुम दबाओ ना जितनी ज़ोर ज़ोर से दबाना है.... चाहो तो और ज़ोर से दबा लो...कजरी की अगर पहली बार दो घंटे तक दबाई थी...तो मैं अपनी पहली बुर चुदाई मे पूरी रात चुचि दबवाउन्गी अपनी..वो भी खूब
ज़ोर ज़ोर से....तुम बस बिना रुके दबाते रहो मेरी चुचियो को....मैं दवबाती रहूंगी जब तक तुम मेरी चुचियो को दबाते दबाते खुद थक नही
जाते..तब तक दबवाउन्गी...आआआअ.....ऐसे ही दबाते रहो

 
चंपा की ऐसी बातों ने मुझे भी फुल गरम कर दिया था....लंड लोवर फाड़ कर बाहर निकालने तो फुदक रहा था....मैने उसे बिठा कर कुर्ता
निकाल दिया….अंदर उसने ब्रा की जगह समीज़ पहन रखी थी तो उसको एक झटके मे फाड़ कर फेक दिया

चंपा—समीज़ क्यो फाड़ दी.... ? ऐसे उतार लेता ना...अब कैसे घर जाउन्गी मैं.... ?

राज—तू कुर्ते के अंदर नंगी रहना

चंपा—तू मेरे पास रहे तो मैं रात दिन तेरे सामने नंगी रहने को तैयार हूँ

कजरी—जल्दी नंगी करके चोद दे इसको और फिर मुझे भी चोद...मुझसे रहा नही जा रहा है अब

मैने चंपा की सलवार और चड्डी भी निकाल कर उसको पूरी तरह से नंगी कर दिया....और उसको लिटा कर उसके हर अंग को देखने लगा..सहलाने लगा

उसकी चुचिया मेरे ज़ोर ज़ोर से दबाने से पूरी लाल पड़ गयी थी.....बुर के उपर काली घुंघराली झान्टो का घना जंगल था... मैने हाथ से उसकी
झान्टो को सहला कर देखा जो एकदम मुलायम थी...शायद उसने आज तक अपनी झान्टे सॉफ नही की थी कभी

चंपा—राज अब बता ना...मैं हो गयी हूँ ना तेरे खूब चोदने लायक.....मेरी बुर तेरे लंड को घुसेड के चोदने लायक हो गयी है ना....मेरी ये चुचिया तेरे दबा दबा कर मज़ा लेने लायक हो गयी है ना.....और मेरी गान्ड तेरे मारने लायक हो गयी है ना.. बता ना राज...प्लीज़..बता ना....मैं
तेरे चोदने लायक हो गयी हूँ ना

राज—दिख तो रहा है कि खूब हचक हचक के चोदने लायक हो गयी है.....बाकी तेरी बुर चोदने मे मज़ा है या नही ये तो चोदने के बाद ही मालूम चलेगा

चंपा—तो चोद ले ना मेरी बुर...देख तेरे सामने पूरी नंगी है मेरी बुर......मैं तुझे अपनी बर चोदने मे खूब मज़ा दूँगी राज....मैं खूब मज़ा दूँगी अपनी बुर् चोदने मे तुझे राज...जल्दी से अपना लंड घुसेड के मेरी बुर की सील तोड़ दे और फाड़ दे आज मेरी बुर को....मुझे बुर चोदि बना
दे....जल्दी से मेरी बुर को अपने लंड से चोद कर मुझे चुदि बुर वाली बना दे राज

मैने भी अब ज़्यादा देर ना करते हुए चंपा की दोनो नंगी चुचियो को मुट्ठी मे कस लिया और खूब ज़ोर ज़ोर से दबाने मसल्ने लगा बारी बारी से ...साथ ही उसके एक निपल को मूह मे भर के चूसने लगा जिससे वो चिहुक उठी

चंपा—आअहह....ऐसे ही...राज्ज्ज....आअहह.....बहुत....मज़ा..आ रहा है.....और दबाओ....मेरी चुचि को.....ऐसे ही....चूसो....दोनो को चूसो राज......बहुत अच्छा लग रहा है.....पहले क्यो नही ऐसा मज़ा दिया मुझे....अब रोज ऐसे ही...रगड़ना मुझे...आआहह

मैने उसकी चुचियो को चूस चूस कर और मसल कर फूला दिया....उसके चूचुक एकदम कड़क हो गये...धीरे धीरे मैं नीचे आकर उसकी बुर की फांको को फैलाया तो उसके अंदर से पानी की धार बह रही थी चुदासी होने से जो साबित कर रही थी की चंपा की कुवारि बुर अब पूरी
तरह फट कर चुदने को तैयार है

मैने उसकी बुर मे मूह लगा कर जीभ से उसके इस कुवारे अमृत रस को पीने लगा....चंपा खुशी और मज़े से पागल हो गयी...ये सब उसका पहला अनुभव था

चंपा—आआहह....राज्ज...तुमने ये कर दिया है...मैं तो आज...दीवानी हो गयी हूँ....तेरी.......खा ले...मेरी बुर को....ऐसे ही...इतना मज़ा...है मेरी बुर...मे ...आज पता चला.......और चाटो राज......मेरे बुर के दाने को और चूसो.....बहुत मज़ा आ रहा
है......आअहह.....ममीयायीयी.....आजज्ज...तेरी....बेटी...की...बुर....चुद रही....है......मिठाई....बात पूरे गाओं मे....अपनी बेटी की बुर चुदाई की खुशी मे.........आआहह

बुर चुस्वाते हुए चंपा कयि बार झड गयी....मैने जी भर के उसकी बुर चूसने के बाद उसके दोनो पैरो को फैला दिया...और अपने कपड़े उतार
कर उसकी टाँगो के बीच मे आ गया

कजरी—राज मुझे तेरा लंड चूसना है

चंपा—मुझे भी तेरा लंड पीना है

राज—ठीक है..आ जाओ..दोनो...कजरी तू भी पूरी नंगी हो जा

कजरी—नही....तू अपने हाथ से मुझे नंगी कर....मुझे तेरे हाथो से नंगी होना अच्छा लगता है

चंपा—आज से मैं भी रोज राज के हाथो से नंगी होने उसके पास आया करूँगी

कजरी—तो दोपहर मे मेरे घर आ जाया कर...मेरी माँ और सब लोग खेत मे रहते हैं उस समय....राज उस समय डेली यहाँ आके मुझे नंगी
कर के रोज चोदता है...तू भी आ जाया कर...उसे भी रोज दो दो बुर छोड़ने को मिल जाएँगी

मैने कजरी के कपड़े उतार कर उसे भी पूरी नंगी कर दिया ....दोनो ने मिल कर मेरे कपड़े निकाल दिए....कजरी अपनी बुर मेरे मूह मे रख के लंड को अपने मूह मे भर ली और चूसने लगी ....मैं चंपा की चुचिया दबाने लगा
 


अपडेट*11

चंपा—आज से मैं भी रोज राज के हाथो से नंगी होने उसके पास आया करूँगी

कजरी—तो दोपहर मे मेरे घर आ जाया कर...मेरी माँ और सब लोग खेत मे रहते हैं उस समय....राज उस समय डेली यहाँ आके मुझे नंगी
कर के रोज चोदता है...तू भी आ जाया कर...उसे भी रोज दो दो बुर चोदने को मिल जाएँगी

मैने कजरी के कपड़े उतार कर उसे भी पूरी नंगी कर दिया ....दोनो ने मिल कर मेरे कपड़े निकाल दिए....कजरी अपनी बुर मेरे मूह मे रख
के लंड को अपने मूह मे भर ली और चूसने लगी ....मैं चंपा की चुचिया दबाने लगा

कुछ देर मे ही कजरी की बुर ने पानी छोड़ दिया..और वो थक कर लेट गयी...मैने चंपा को पकड़ कर अपने नीचे लिटाया और उसके दोनो
पैरो को फैला के अपना लंड उसकी बुर मे घिसने लगा

चंपा—राज अब घुसेड दे ना बुर के अंदर....देख नही रहा कि मेरी बुर कितनी चुदासी हो रही है

राज—कितनी चुदासी हो रही है.... ?

चंपा—मेरी बुर चुदने के लिए बहुत बहुत बहुत ज़्यादा चुदासी हो गयी है...प्ल्स इसमे अपना लंड घुसेड कर चोद दे ना मेरी बुर को

राज—बुर फटने पर दर्द होगा थोड़ा सह लेना

चंपा—मैं जानती हूँ...पहली बार चुदने से सील टूट जाती है जिससे दर्द होता है पर बाद मे तू मज़ा भी तो देगा ना मेरी बुर को चोद चोद कर

राज—ज़रूर दूँगा मेरी रानी

चंपा—तो घुसेड दे फिर....मैं कितना भी चिल्लाऊ तू रुकना मत...जब तक अच्छे से फॅट ना जाए मेरी बुर...

मैं चंपा की गरम बाते सुन कर जोश मे आ गया और लंड को उसकी बुर के छेद मे टिका कर एक ज़ोर का शॉट लगा दिया…लेकिन वो
छिटक कर उपर चला गया

चंपा—क्या करता है...पकड़ के अच्छे से घुसेड ना मेरी बुर के छेद के अंदर…रुक मैं अपनी बुर की फांके फैलाती हूँ तू घुसेड

चंपा ने अपने दोनो हाथो से अपनी बुर की दोनो फांको को खूब चीर कर फैला दिया और मुझे लंड घुसेड़ने को कहने लगी... मैने छेद पर लंड
लगा के दोनो चुचियो को मजबूती से पकड़ कर कस कस कर जल्दी जल्दी तीन चार धक्के जड़ दिए उसकी बुर मे

लंड उसकी बुर को ककड़ी की तरह चीरता हुआ आधा अंदर घुस गया....बुर से खून का फव्वारा बहने लगा...चंपा दर्द से बिलबिला उठी...लेकिन उसके चीखने से पहले ही कजरी ने उसका मूह दबा दिया

मैने देर ना करते हुए दनादन दो तीन धक्के और लगाकर पूरा लंड उसकी बच्चेदानी तक पेल दिया....चंपा की आँखो से आँसू बहने लगे...और वो छट पटाते हुए बेहोश हो गयी

कजरी को पता था कि ऐसा ही कुछ होगा तो उसने पहले से ही तैयारी कर रखी थी....तुरंत उसने पानी डाल दिया उसके चेहरे पर...होश मे आते ही वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी

चंपा (रोते हुए)—आअहह....उउउउईमाआ....मरररर....गइईए......राज्ज्जज...निकालल्ल्ल बाहर....मुझे...नही चुदना.....कहा फँस ...गयी......आहह

कजरी—बस...जितना दर्द होना था हो चुका....अब तो केवल मज़ा ही मज़ा है.....राज तुम बुर चोदना चालू कर दो

 
चंपा—आअहह…..कहाँ घुसाए जा रहा है……बुर तो फाड़ फूड के बराबर कर दिया…..अब क्या मेरा पेट भी फाड़ देगा….जो घुसेडे चला जा रहा है…….मुझे छोड़ दे……..नही चुदना मुझे……आअहह….मम्मी…….जा जाकर अपनी माँ की बुर चोद
……हरामी….आहह..मम्मीईए…मेरी बुर फॅट गइई…आहह

कजरी—बुर तो होती ही फाड़ने के लिए है…….वो लंड ही क्या जो बुर को अच्छे से फाड़ ना सके..

मैं बिना रुके उसकी दोनो चुचियो को ज़ोर से मीज़ते हुए बुर मे लंड पेलने लगा…..थोड़ी देर मे चंपा को भी मज़ा आने लगा तो वो भी अपनी
गान्ड उपर उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी

चंपा—आहह…..अब कुछ कुछ अच्छा लग रहा है…….ऐसे ही चोदते रहो…..जी भर के चोद लो मेरी बुर को राज….ऐसे ही मुझे पूरी जिंदगी भर चोदना…..

राज—कल को तेरी शादी हो जाएगी तो कोई और चोदेगा तेरी बुर…फिर तू मुझे कहाँ चोदने देगी

चंपा—थोड़ा और ज़ोर से….पेलो मेरी बुर मे लंड …..आअहह….मैं सारी ज़िंदगी तेरी रखैल बन कर रहने को तैयार हूँ… तू मुझे मेरी शादी के बाद भी जब चाहे जहाँ चाहे पकड़ के पूरी नंगी कर देना और मेरी बुर मे अपना लंड घुसेड देना… तेरी कसम मैं कभी उफ्फ तक नही
करूँगी…आअहह…मम्मीयी…देख आज तेरी बेटी बुर चोदि हो गयी है..

राज—बोल कुवारि माँ बनेगी मेरे बच्चे की…..

चंपा—आहह….उउउीमम्माआ…..हाँ बनूँगी……बना दे मुझे अपने बच्चे की माँ……मैं तैयार हूँ तेरा बच्चा पैदा करने के लिए….मुझे किसी की परवाह नही है…..पर तुझे भी वादा करना होगा

राज—कैसा वादा….?

चंपा—यही कि तुझसे गर्भिन होने के बाद अगर मेरे घर वालो ने मुझे निकाल दिया तो तू मुझे अपने पास रखेगा…चाहे भले ही अपनी रखैल बना के रखना…बोल बनाएगा मुझे अपनी रखैल

राज—तू तो मेरी चुदैल बनेगी

चंपा—तेरी चुदैल तो मैं अब बन ही चुकी हू

राज—तेरी शादी कल्लू से करा देता हूँ…..फिर तुझे रोज चोदुन्गा…..पूरा गाओं जानेगा कि तुझे मैं चोदता हूँ डेली…

कजरी—मेरा भाई क्यो…उसके गले मे अपनी चुदीचुदाई लड़की देगा …कैसा दोस्त है तू

राज—कजरी डार्लिंग......कल्लू की शादी जिससे भी होगी उसको तो मैं चोदुन्गा ही....और वो भी सुहागरात के दिन ही....आख़िर मेरा दोस्त है... इतना तो हक़ बनता ही है मेरा उसकी बीवी पर

चंपा—बहुत मज़ा आ रहा है....और ज़ोर ज़ोर से चोद....आअहह....खूब दबा मेरी चुचि....आअहह...ऐसे ही.....मैं गयी.... मैं झड़ने वाली
हूँ.....राज

मैं कस कस कर धक्के उसकी बुर मे पेलने लगा...चंपा के झड़ने के बाद भी मैं उसे हुमच हुमच के पेलता रहा...वो फिर से गरम होकर झड़ने की कगार पर आ गयी...अब मैं भी झड़ने वाला था

राज—आआँ...मैं भी झड़ने वाला हूँ

चंपा—अगर तेरा सच मे मन है मुझे कुवारि माँ बनाने का तो मेरी बुर मे ही झाड़ जा.....भर दे अपना पानी मेरी बुर के अंदर बच्चेदानी
मे....मैं बच्चा पैदा करूँगी तेरा...चाहे कितनी भी बदनामी हो.....मैं बनूँगी तेरे बच्चे की कुवारि माँ.....डाल दे अपना बीज़ मेरी बुर मे ...राज

राज—आहह...चंपा तुझे आज से मैं रोज चोदुन्गा...नंगी कर के

चंपा—चोद लेना...जब तेरा मन करे

राज—जब तेरी बुर इतनी फूली हुई है तो तेरी माँ की कितनी फूली नही होगी.....कैसी है तेरी मम्मी की बुर चंपा बता ना... ?

चंपा—आअहह....तू मुझे चोद ना...मेरी मम्मी की बुर का क्या करेगा... ?

राज—बस एक बार तेरी मम्मी की बुर देखनी है....बोल दिखाएगी ना अपनी मम्मी की बुर मुझे.... ? बता ना कैसी है तेरी मम्मी की बुर... ?

 
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