desiaks
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अपडेट-31
दिनेश—नही मैने आज तक उसको फोन नही किया…उसने एक दो बार किया था लेकिन मैने उठाया नही…समझ मे नही आया कि क्या बात करू.
राज—इसका मतलब कि आप ने अपनी होने वाली बीवी को नही देखा…और ना ही उसने आपको देखा.
दिनेश—ह्म्म्म्मम
मिंटो फ्रेश खाते ही मेरे दिमाग़ की बत्ती जल उठी….मेरे दिमाग़ मे कयि आइडिया कुल बुलाने लगे और मैं उनके विषय मे सोचने लग गया.
राज (मंन मे)—मामा ने मामी को नही देखा….मामी ने मामा को नही देखा…इसका मतलब दोनो ने एक दूसरे को नही देखा….अगर मैं
दिनेश मामा बन कर होने वाली मामी को पेल दूं तो….?
अब आगे…….
ये सुंदर विचार मन मे आते ही मैने मामा के मोबाइल से होने वाली छोटी मामी अरषि का नंबर जल्दी से अपने मोबाइल मे सेव कर लिया.
दिनेश (रेकॉर्ड नेम करण)—राज...तुम यहाँ बैठो मैं जब तक खेत का एक चक्कर लगा कर आता हूँ फिर घर चलते हैं.
राज (खुश होकर)—ठीक है मामा.
दिनेश (करण) मामा के जाते ही मैने भगवान कामदेव का नाम लेकर छोटी मामी अरषि का नंबर डाइयल कर दिया….काफ़ी देर तक रिंग जाने के बाद आख़िर किसी ने कॉल उठा ही लिया और मेरे कानो मे एक सुरीली सी आवाज़ सुनाई देने लगी….मैने अनुमान लगा लिया कि ये ही मेरी होने वाली मामी होनी चाहुए.
“हेलो….कौन बोल रहा है….किससे बात करनी है….?” सामने से सुरीली आवाज़ मे किसी ने कहा.
राज—क्या बात है जानेमन.......शादी होने से पहले ही अपने होने वाले पति से ऐसी बेरूख़ी बाते...... ?
"ओमाइ गॉड....करण जीजू....आज पहली बार आप ने कॉल किया ना शायद...इसलिए पहचान नही पाई " उसने जवाब दिया.
राज (मन मे)—जिजुउुउ....कहीं ग़लत नंबर तो नही लग गया....नंबर तो यही है.
"हेलो….आप चुप क्यो हो गये" फिर से दूसरी तरफ से वही मधुर आवाज़ आई.
राज—जी..मुझे अरषि से बात करनी थी….क्या ये नंबर उनका ही है….?
"आप ने बिल्कुल सही जगह पर कॉल किया है….ये अरषि का ही नंबर है…..बाई दा वे मैं अरषि की छोटी बहन पॉली बोल रही हूँ… मतलब कि आप की होने वाली साली……दीदी अभी खाना बना रही हैं….मैं अभी बुलाती हूँ उनको." उसने एक बार फिर से अपनी प्यारी आवाज़ मे कहा.
राज (धीरे से)—पॉली.....ये कैसा नाम है भला..... ? खैर मुझे क्या करना है नाम से.....अगर पेलने लायक हुई तो लगे साथ इसको भी पेल
दूँगा.....मामा गया लवडे से, मामी की कर दूँगा चौड़े से.
कुछ देर बाद फिर से एक सुंदर मधुर आवाज़ आई....मैं समझ गया कि ये ज़रूर अरषि ही होगी अब....लेकिन मन मे एक डर भी था कि कही ये भी कोई दूसरी साली ना हो.
"हेलो...कुछ तो बोलिए...आज कैसे याद आ गयी हमारी" सामने वाली ने कहा.
राज—बस अपनी अरषि की एक चुम्मि लेने का मन कर रहा था आज बहुत.
"मैं अरषि नही….उसकी भाभी बोल रही हूँ….होने वाले नंदोई जी….रुकिये बुला देती हूँ अरषि का जो जो लेने का मन करे ले
लेना….हिहिहीही" उसने हँसते हुए कहा.
राज (मंन मे)—अरे यार ये क्या हो रहा है…..हर बार एक नयी चूत वाली आ जाती है…..मामा की ससुराल मे चूतो का तबेला है क्या….?
“कुछ बोलिए भी लंडोई जी….” उसकी भाभी ने छेड़ते हुए कहा
राज (मन मे)—वाह…नंदोई से सीधे लंडोई…..बड़ी चालू माल लग रही है रे बाबा….लगता है एक चूत के साथ कयि चूत फ्री मिलने वाली हैं.
राज—नमस्ते भाभी जी…..अरषि नही है तो आप ही चुम्मि दे दीजिए.
“आप आइए तो सही यहा एक बार….फिर चुम्मि क्या पूरा इंडिया गेट ही खोल के दिखा दूँगी….हिहिहीही.” एक बार फिर से भाभी ने मज़ाक करते हुए कहा.
राज—देखिएगा कहीं आप का इंडिया गेट हमारे क़ुतुब मीनार के घुसने से टूट फूट ना जाए.
"आइए तो सही...हम भी तो ज़रा देखे कि आप के क़ुतुब मीनार मे कितना दम है....कितनी देर टीकेगा हमारे इंडिया गेट के सामने आने के बाद.... " भाभी ने मज़ाक के लहजे मे जवाब दिया.
राज—लगता है आप का इंडिया गेट घने जंगलो के बीच बना है.
"चिंता मत करिए लंडोई राजा….हमारे इंडिया गेट के चारो तरफ एक दम चिकनी फर्श है.…..देखते ही फिसल जाओगे…. इंडिया गेट के पीछे साइड दो बड़े बड़े पहाड़ हैं और उपर जाएँगे तो दो बड़ी बड़ी दूध की टंकी भी हैं." अरषि की भाभी ने फिर डबल मीनिंग मे कहा.
राज—फिर तो आप के इंडिया गेट की सैर करनी ही पड़ेगी अब तो……वैसे आप की ननद का इंडिया गेट भी आप के जैसा ही है या उबड़ खाबड़ है…?
"बेचारी के इंडिया गेट का तो अभी दरवाजा भी नही खुला है….लेकिन पीछे के पहाड़ ज़रूर बड़े बड़े हैं." भाभी ने कहा.
राज—तो कब आ जाउ..आप दोनो के इंडिया गेट की सैर करने….?
"मैं तो दोनो पैर फैलाए..मेरा मतलब है कि इंडिया गेट का दरवाजा खोले बैठी हूँ..आप जब चाहे आ जाओ….लीजिए अपनी बुलबुल से बात करिए..उसको गुस्सा आ रहा है." भाभी ने जवाब दिया.
राज—हेलो अरषि….
अरषि—आ गयी आपको हमारी याद….? और ये आप भाभी से क्या अनाप शनाप बाते कर रहे थे…?
वाक़ई मे अरषि मामी की आवाज़ मे शहद जैसी मिठास थी….दिल खुश हो गया इस मीठी आवाज़ को सुन कर…मैने एक बार अपने चारो
तरफ देख कर जायज़ा लिया कि कहीं मेरा गान्डु मामा तो नही आ रहा है…लेकिन अभी वो बहुत दूर थे…तो मैं आश्वस्त हो गया.
राज—तुम्हारी याद तो हमेशा ही आती है जान.
अरषि—रहने दीजिए….मुझे पता है….आज तक एक बार भी फोन नही किया…फोन करना तो दूर मेरा फोन तक नही उठाया……और ये किस का नंबर है….?
राज (झूठ)—ये मेरा ही नंबर है….उस नंबर पर फोन मत करना…..वो ज़्यादातर घर मे ही रखा रहता है….तुमसे बात करने के लिए ही आज मैने नया फोन और नंबर लिया है.
अरषि—पता है मेरी सभी सहेलिया मुझे चिढ़ाती थी कि मेरा होने वाला हज़्बेंड भोंडू है जो बात भी नही करता.. मुझे दुख लगता था….सोचती थी की जाने कैसा होगा मेरा हज़्बेंड…? आप फोन भी तो नही उठाते थे….?
राज—अरषि मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ…बहुत मन है मिलने का यार.
अरषि—ये मुझसे नही होगा…..वैसे भी कुछ दिन मे हमारी शादी तो होने वाली है फिर मिल लेना.
राज—अच्छा अरषि..तुम्हारी भाभी कह रही थी कि तुम्हारा इंडिया गेट बहुत बड़ा है…और उसके पीछे की पहाड़ी भी.. क्या ये सही है….?
अरषि—छी….ऐसी गंदी बाते मैं नही करती और आप भी मत किया करो….मेरी भाभी की तो आदत ही है गंदी बाते करने की…आप मत सुना करो.
राज—मुझसे शरमाओगी तो कैसे काम चलेगा यार….? अच्छा ये ही बता दो कि मैं तुमसे मिलने कल आउन्गा तो अपना दूध तो पिलाओगी ना…?
अरषि—फिर वही गंदी बात..
राज—इसमे गंदा क्या है... ? क्या तुम्हारे दूध पर मेरा हक नही है.... ?
अरषि—मुझे नही मालूम....
राज—समझ गया यार....शायद किसी और के लिए तुम्हारे दूध हैं...ठीक है अब नही पूछूँगा कुछ भी...ओक बाइ
अरषि (जल्दी से)—नही...नही...ऐसी बात नही है.....शादी के बाद तो मेरा सब कुछ आपका ही है.
राज—मतलब शादी से पहले किसी और का है... ?
अरषि—नही...अब भी आपका ही है.....आपकी कसम मैने आज तक किसी लड़के की तरफ देखा तक नही है.
राज—मुझे चेक करना पड़ेगा....
अरषि—क्या चेक करना पड़ेगा.... ?
राज—यही कि सच मे किसी ने तुम्हारे साथ कुछ किया है नही.... ?
अरषि—मैने किसी के साथ कुछ नही किया है अब तक.
राज—तो फिर मैं कल आ रहा हूँ तुमसे मिलने.
अरषि—कहाँ…?
राज—तुम्हारे घर और कहाँ….?
दिनेश—नही मैने आज तक उसको फोन नही किया…उसने एक दो बार किया था लेकिन मैने उठाया नही…समझ मे नही आया कि क्या बात करू.
राज—इसका मतलब कि आप ने अपनी होने वाली बीवी को नही देखा…और ना ही उसने आपको देखा.
दिनेश—ह्म्म्म्मम
मिंटो फ्रेश खाते ही मेरे दिमाग़ की बत्ती जल उठी….मेरे दिमाग़ मे कयि आइडिया कुल बुलाने लगे और मैं उनके विषय मे सोचने लग गया.
राज (मंन मे)—मामा ने मामी को नही देखा….मामी ने मामा को नही देखा…इसका मतलब दोनो ने एक दूसरे को नही देखा….अगर मैं
दिनेश मामा बन कर होने वाली मामी को पेल दूं तो….?
अब आगे…….
ये सुंदर विचार मन मे आते ही मैने मामा के मोबाइल से होने वाली छोटी मामी अरषि का नंबर जल्दी से अपने मोबाइल मे सेव कर लिया.
दिनेश (रेकॉर्ड नेम करण)—राज...तुम यहाँ बैठो मैं जब तक खेत का एक चक्कर लगा कर आता हूँ फिर घर चलते हैं.
राज (खुश होकर)—ठीक है मामा.
दिनेश (करण) मामा के जाते ही मैने भगवान कामदेव का नाम लेकर छोटी मामी अरषि का नंबर डाइयल कर दिया….काफ़ी देर तक रिंग जाने के बाद आख़िर किसी ने कॉल उठा ही लिया और मेरे कानो मे एक सुरीली सी आवाज़ सुनाई देने लगी….मैने अनुमान लगा लिया कि ये ही मेरी होने वाली मामी होनी चाहुए.
“हेलो….कौन बोल रहा है….किससे बात करनी है….?” सामने से सुरीली आवाज़ मे किसी ने कहा.
राज—क्या बात है जानेमन.......शादी होने से पहले ही अपने होने वाले पति से ऐसी बेरूख़ी बाते...... ?
"ओमाइ गॉड....करण जीजू....आज पहली बार आप ने कॉल किया ना शायद...इसलिए पहचान नही पाई " उसने जवाब दिया.
राज (मन मे)—जिजुउुउ....कहीं ग़लत नंबर तो नही लग गया....नंबर तो यही है.
"हेलो….आप चुप क्यो हो गये" फिर से दूसरी तरफ से वही मधुर आवाज़ आई.
राज—जी..मुझे अरषि से बात करनी थी….क्या ये नंबर उनका ही है….?
"आप ने बिल्कुल सही जगह पर कॉल किया है….ये अरषि का ही नंबर है…..बाई दा वे मैं अरषि की छोटी बहन पॉली बोल रही हूँ… मतलब कि आप की होने वाली साली……दीदी अभी खाना बना रही हैं….मैं अभी बुलाती हूँ उनको." उसने एक बार फिर से अपनी प्यारी आवाज़ मे कहा.
राज (धीरे से)—पॉली.....ये कैसा नाम है भला..... ? खैर मुझे क्या करना है नाम से.....अगर पेलने लायक हुई तो लगे साथ इसको भी पेल
दूँगा.....मामा गया लवडे से, मामी की कर दूँगा चौड़े से.
कुछ देर बाद फिर से एक सुंदर मधुर आवाज़ आई....मैं समझ गया कि ये ज़रूर अरषि ही होगी अब....लेकिन मन मे एक डर भी था कि कही ये भी कोई दूसरी साली ना हो.
"हेलो...कुछ तो बोलिए...आज कैसे याद आ गयी हमारी" सामने वाली ने कहा.
राज—बस अपनी अरषि की एक चुम्मि लेने का मन कर रहा था आज बहुत.
"मैं अरषि नही….उसकी भाभी बोल रही हूँ….होने वाले नंदोई जी….रुकिये बुला देती हूँ अरषि का जो जो लेने का मन करे ले
लेना….हिहिहीही" उसने हँसते हुए कहा.
राज (मंन मे)—अरे यार ये क्या हो रहा है…..हर बार एक नयी चूत वाली आ जाती है…..मामा की ससुराल मे चूतो का तबेला है क्या….?
“कुछ बोलिए भी लंडोई जी….” उसकी भाभी ने छेड़ते हुए कहा
राज (मन मे)—वाह…नंदोई से सीधे लंडोई…..बड़ी चालू माल लग रही है रे बाबा….लगता है एक चूत के साथ कयि चूत फ्री मिलने वाली हैं.
राज—नमस्ते भाभी जी…..अरषि नही है तो आप ही चुम्मि दे दीजिए.
“आप आइए तो सही यहा एक बार….फिर चुम्मि क्या पूरा इंडिया गेट ही खोल के दिखा दूँगी….हिहिहीही.” एक बार फिर से भाभी ने मज़ाक करते हुए कहा.
राज—देखिएगा कहीं आप का इंडिया गेट हमारे क़ुतुब मीनार के घुसने से टूट फूट ना जाए.
"आइए तो सही...हम भी तो ज़रा देखे कि आप के क़ुतुब मीनार मे कितना दम है....कितनी देर टीकेगा हमारे इंडिया गेट के सामने आने के बाद.... " भाभी ने मज़ाक के लहजे मे जवाब दिया.
राज—लगता है आप का इंडिया गेट घने जंगलो के बीच बना है.
"चिंता मत करिए लंडोई राजा….हमारे इंडिया गेट के चारो तरफ एक दम चिकनी फर्श है.…..देखते ही फिसल जाओगे…. इंडिया गेट के पीछे साइड दो बड़े बड़े पहाड़ हैं और उपर जाएँगे तो दो बड़ी बड़ी दूध की टंकी भी हैं." अरषि की भाभी ने फिर डबल मीनिंग मे कहा.
राज—फिर तो आप के इंडिया गेट की सैर करनी ही पड़ेगी अब तो……वैसे आप की ननद का इंडिया गेट भी आप के जैसा ही है या उबड़ खाबड़ है…?
"बेचारी के इंडिया गेट का तो अभी दरवाजा भी नही खुला है….लेकिन पीछे के पहाड़ ज़रूर बड़े बड़े हैं." भाभी ने कहा.
राज—तो कब आ जाउ..आप दोनो के इंडिया गेट की सैर करने….?
"मैं तो दोनो पैर फैलाए..मेरा मतलब है कि इंडिया गेट का दरवाजा खोले बैठी हूँ..आप जब चाहे आ जाओ….लीजिए अपनी बुलबुल से बात करिए..उसको गुस्सा आ रहा है." भाभी ने जवाब दिया.
राज—हेलो अरषि….
अरषि—आ गयी आपको हमारी याद….? और ये आप भाभी से क्या अनाप शनाप बाते कर रहे थे…?
वाक़ई मे अरषि मामी की आवाज़ मे शहद जैसी मिठास थी….दिल खुश हो गया इस मीठी आवाज़ को सुन कर…मैने एक बार अपने चारो
तरफ देख कर जायज़ा लिया कि कहीं मेरा गान्डु मामा तो नही आ रहा है…लेकिन अभी वो बहुत दूर थे…तो मैं आश्वस्त हो गया.
राज—तुम्हारी याद तो हमेशा ही आती है जान.
अरषि—रहने दीजिए….मुझे पता है….आज तक एक बार भी फोन नही किया…फोन करना तो दूर मेरा फोन तक नही उठाया……और ये किस का नंबर है….?
राज (झूठ)—ये मेरा ही नंबर है….उस नंबर पर फोन मत करना…..वो ज़्यादातर घर मे ही रखा रहता है….तुमसे बात करने के लिए ही आज मैने नया फोन और नंबर लिया है.
अरषि—पता है मेरी सभी सहेलिया मुझे चिढ़ाती थी कि मेरा होने वाला हज़्बेंड भोंडू है जो बात भी नही करता.. मुझे दुख लगता था….सोचती थी की जाने कैसा होगा मेरा हज़्बेंड…? आप फोन भी तो नही उठाते थे….?
राज—अरषि मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ…बहुत मन है मिलने का यार.
अरषि—ये मुझसे नही होगा…..वैसे भी कुछ दिन मे हमारी शादी तो होने वाली है फिर मिल लेना.
राज—अच्छा अरषि..तुम्हारी भाभी कह रही थी कि तुम्हारा इंडिया गेट बहुत बड़ा है…और उसके पीछे की पहाड़ी भी.. क्या ये सही है….?
अरषि—छी….ऐसी गंदी बाते मैं नही करती और आप भी मत किया करो….मेरी भाभी की तो आदत ही है गंदी बाते करने की…आप मत सुना करो.
राज—मुझसे शरमाओगी तो कैसे काम चलेगा यार….? अच्छा ये ही बता दो कि मैं तुमसे मिलने कल आउन्गा तो अपना दूध तो पिलाओगी ना…?
अरषि—फिर वही गंदी बात..
राज—इसमे गंदा क्या है... ? क्या तुम्हारे दूध पर मेरा हक नही है.... ?
अरषि—मुझे नही मालूम....
राज—समझ गया यार....शायद किसी और के लिए तुम्हारे दूध हैं...ठीक है अब नही पूछूँगा कुछ भी...ओक बाइ
अरषि (जल्दी से)—नही...नही...ऐसी बात नही है.....शादी के बाद तो मेरा सब कुछ आपका ही है.
राज—मतलब शादी से पहले किसी और का है... ?
अरषि—नही...अब भी आपका ही है.....आपकी कसम मैने आज तक किसी लड़के की तरफ देखा तक नही है.
राज—मुझे चेक करना पड़ेगा....
अरषि—क्या चेक करना पड़ेगा.... ?
राज—यही कि सच मे किसी ने तुम्हारे साथ कुछ किया है नही.... ?
अरषि—मैने किसी के साथ कुछ नही किया है अब तक.
राज—तो फिर मैं कल आ रहा हूँ तुमसे मिलने.
अरषि—कहाँ…?
राज—तुम्हारे घर और कहाँ….?