desiaks
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अपडेट-39
वो सब मुझसे डर कर अपनी जान बचाने के लिए यहाँ वहाँ भागने लगे ....लेकिन मेरे उपर तो अब खून सवार हो चुका था.....मैं भी उनके पीछे दौड़ पड़ा.
राज (चिल्लाते हुए)—कहाँ भाग रहे हो हिंझड़ो......साले लवडे…… तुम्हारी माँ को चोदु....
दौड़ते हुए ही मैने उनकी एक हॉकी उठाई...और फेंक कर एक के सिर पर मारा तो वो वही गिर गया.....उसके गिरते ही मैं तरीके से उसको
बजाने लगा और तब तक बजाता रहा जब तक कि उसने दम नही तोड़ दिया.
राज (गुस्से मे )—फटेगी आज से सब की फटेगी,...इस सांड़ से किसी की नही बचेगी.
बाकी तीन साले कहाँ भाग गये अपनी गान्ड बचा कर पता नही......लेकिन ये सब वाक़या पास के ही गन्ने के खेत से छुप कर कोई देख रहा था....
अब आगे.......
उन्न तीनो के भाग जाने के पश्चात मैं कुछ देर तक वही रुका रहा जब गुस्सा कुछ कम हुआ तब मुझे वास्तविक परिस्थिति का अंदाज़ा हुआ कि अभी अभी क्या किया है मैने.
राज (मन मे)—उउई साला ये दोनो तो लगता है सच मूच मे टपक गये....अब तक तो उन्न तीनो हरमियो ने ठाकुर को पूरी राम कहानी भी सुना दी होगी.....ये ठाकुर और देशराज मादरचोद मुझे चैन से बुर भी नही चोदने देते...जल्दी से यहा से खिसक लेना ही फ़ायदेमंद है इन्न
हरामियों के आने से पहले ही.
मैं वहाँ से उठ कर जैसे ही जाने को हुआ तो तभी किसी ने आवाज़ देकर मुझे रुकने को कहा....वैसे तो मैं बिल्कुल भी रुकने के मूड मे नही था किंतु आवाज़ किसी औरत की थी और जानी पहचानी लगी तो रुकना पड़ा.
मैं जैसे ही पलटा तो समने के गन्ने के खेत से छमिया निकल कर बाहर आई और हान्फते हुए मेरे आगे खड़ी हो गयी... दिन के उजाले मे जैसे ही मैने छमिया की खूबसूरती को देखा तो बस देखता ही रह गया.....पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा लेकिन फिर रात की घटना याद आते ही उसकी तरफ से तसल्ली हो गयी.
राज—तुम यहाँ क्या कर रही हो..... ?
छमिया (हान्फते हुए)—वो देशराज के आदमी मुझे खोजते हुए सुबह सुबह मेरे घर आ गये थे तो मैं खिड़की से कूद कर यहाँ खेत मे छिप गयी थी.....लेकिन तुमने इन्हे जान से क्यो मार दिया..... ?
राज—ओह्ह्ह...इसका मतलब तूने सब देख लिया.....ये देशराज और ठाकुर के ही आदमी हैं....कल रात मे मैने तुम्हे बचाया था ना तो आज
मुझे ढूँढ रहे थे......अब मैं अगर इनको नही मारता तो ये मुझे मार देते.
छमिया—यहाँ से जल्दी चलो....नही तो वो देशराज कमीना कभी भी यहाँ आ सकता है.....खेत के अंदर ही अंदर से निकल चलो.
राज (चलते हुए)—तो अब तुम कहाँ जाओगी..... ?
छमिया—समझ मे नही आता कि कहाँ जाउ……?
राज—तुम्हारा आदमी अभी नही छूटा क्या जैल से..... ?
छमिया—वो हरामी देशराज कहता है कि थाने आ कर उनको ले जौ....लेकिन मैं जानती हूँ कि वो मुझे क्यो बुला रहा है वहाँ.
राज (मन मे)—देशराज की क्या ग़लती है.....तेरा हुष्ण ही इतना जान लेवा है कि जो भी देख ले उसका लंड खड़ा हो जाएगा....एक ना एक
दिन इसको पूरी नंगी कर के चोदुन्गा ज़रूर और वो भी इसकी पूरी मर्ज़ी से....
अभी हम गन्ने का खेत पार कर के जा ही रहे थे कि सामने से उसका पति गोविंद आता हुआ दिख गया....उसकी हालत देखते ही समझ मे आ गया की उसको बहुत पीटा गया है.
गोविंद को देखते ही छमिया उससे लिपट के रोने लगी और जो कुछ देशराज ने उसके साथ किया वो सब बताने लगी...उसने मेरे बारे मे भी
बताया तो उसने मेरे आगे हाथ जोड़ लिए.
गोविंद—साहब आप ने मुझ ग़रीब की इज़्ज़त बचा कर बहुत बड़ा उपकर किया है....जो मैं कभी नही चुका सकता... मुझे जैल से छुड़ाने मे भी ज़रूर आपका ही कोई हाथ है वरना वो जानवर मुझे कभी नही छोड़ता.
छमिया—मेरे चक्कर मे देशराज इनका भी दुश्मन बन गया है.....आज भी उसने इनके उपर हमला करवाया जिसमे उस कुत्ते के दो आदमी
मर गये.....ये सच मे बहुत बहादुर हैं वरना देशराज और ठाकुर के सामने कोई सिर तक नही उठाता है.
गोविंद—जो भी हुआ बहुत ग़लत हुआ.....वो अब आपको जीने नही देगा और ना ही हम दोनो को....साहब आप कहीं शहर छोड़ कर दूर चले जाओ.
राज—और तुम कहाँ जाओगे...... ?
छमिया—हम दोनो के पास आत्म हत्या करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नही है अब......जिंदा रही तो वो हरामी मेरी इज़्ज़त लूटे बिना नही
मानेगा इससे अच्छा मरना ही ठीक है.
राज—जब यही करना था तो मेरा तुम्हे बचाने और ठाकुर और देशराज से दुश्मनी लेने का क्या फ़ायदा निकला.... ? वाह... बहुत बढ़िया एहसान चुका रहे हो दोनो.
गोविंद—तो आप ही बताओ कि हम क्या करे... ? कहाँ जाए हम….? हमारे पास तो इतने पैसे भी नही हैं कि कहीं दूर जाकर गुजर बसर कर
ले….मालिक के मरने के बाद सब हमारे दुश्मन बन गये हैं.
तभी वहाँ बहुत सी गाडियो के आने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो हम एक पेड़ के पीछे छुप कर देखने लगे….करीब चार गाड़ियाँ पोलीस की
और बीस गाड़ियाँ ठाकुर के आदमियो की थी….
राज—इससे पहले कि वो हमे देख ले यहाँ से फ़ौरन निकल चलो
च्चामिया—लेकिन जाएँगे कहाँ.... ?
राज—चलो तो सही पहले
वो मेरे पीछे पीछे एक खेत मे घुस गये फिर से....उसके अंदर ही अंदर चलते हुए हम मैन रोड तक पहुच गये… वहाँ से ऑटो पकड़ कर बस स्टॅंड आ गये.
बस स्टॅंड पहुच कर मैने एसीपी ज्योति को कॉल कर के पूरी घटना बताई तो उसने मुझे छमिया और गोविंद के साथ अपने घर आने को कहा.
मैं वहाँ से बस पकड़ कर दोनो के साथ ज्योति के घर चला गया जहाँ वो मेरा ही इंतज़ार कर रही थी….अब तक दोपहर हो चुकी थी…..अरषि मामी, डिंपल, शिल्पा और रश्मि दीदी का फोन भी काई बार आया लेकिन मैने ध्यान नही दिया…. छमिया और गोविंदा तो अपने
सामने पोलीस वाली को देख कर घबरा गये और मेरी ओर देखने लगे.
राज—घबराने की कोई ज़रूरत नही है….यहाँ तुम दोनो सुरक्षित हो….?
छमिया—लेकिन……
ज्योति—चिंता मत करो…तुम दोनो के बारे मे राज ने मुझे सब बता दिया है…..तुम दोनो यहाँ रह सकते हो….देशराज और ठाकुर के आदमी यहा तक नही पहुच सकते.
गोविंदा—शुक्रिया मेडम….इसमे हमारा कोई दोष नही है…हमारे साथ ज़ुल्म ही इतना किया है पोलीस ने कि अब……
ज्योति—सब पोलीस वाले एक जैसे नही होते….यहाँ तुम लोग निश्चिंत हो कर रहो.
छमिया—जी मेम साहब
ज्योति—और तुम….अपने आप को बहुत बड़ा हीरो समझते हो….? तुम्हे पता भी है कि तुमने क्या किया है…..?
राज—वो साले मरियल थे….एक थप्पड़ मे ही मर गये तो अब इसमे मेरी क्या ग़लती है…..वैसे भी क्या फरक पड़ता है….?
ज्योति—शायद तुम अभी ठाकुर को अच्छी तरह से जानते नही हो…..तुम्हारी पूरी फॅमिली कितनी बड़ी मुसीबत मे फँस जाएगी अगर तुम्हारा स्केच बनवा दिया उन्न तीनो लोगो ने तो, ये तुम नही जानते.
राज—मेरी फॅमिली की तरफ अगर किसी ने आँख भी उठाई तो उसकी पूरी ज़मीन बंज़र कर दूँगा मैं..…..
ज्योति—ठाकुर की ताक़त को तुम अभी जानते नही हो….
राज—तो अब मुझे क्या करना चाहिए…..?
ज्योति—अब वोही एक तरीका है, जो मैने बताया था….वरना तुम और तुम्हारी फॅमिली को ठाकुर से कोई नही बचा सकता फिर.
राज (कुछ सोच कर)—ठीक है…मुझे आपकी बात मंज़ूर है.
ज्योति—तो ठीक है, कल यही पर आ जाना….सबसे पहले मैं तुम्हे ट्रेंड करूँगी…..आगे क्या करना है ये कल मैं तुम्हे समझा दूँगी.
राज—ओके…तो मैं चलता हूँ
ज्योति—कहाँ जाओगे…..वहाँ अभी सब तुम्हे कुत्ते की तरह तलाश कर रहे होंगे…..अभी रूको यही
उसके बाद ज्योति ने छमिया और गोविंदा के रहने के लिए कमरा दिखाने ले गयी, मैं भी उनके साथ ही गया…अनायास ही मेरा ध्यान चलते
समय उसके मटकते हुए चुतड़ों पर चला गया.
राज (मन मे)—हाय…क्या मस्त चूतड़ हैं…..जब कपड़े के उपर से इतने बड़े बड़े हैं तो नंगे होने पर कैसे दिखते होंगे….? हाए ज्योति मेडम
एक बार एक बार अपने इन चुतड़ों को नंगे कर के दिखा दो…..काश एक बार ये गान्ड पेलने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा.
जाते हुए ज्योति ने पलट के मुझे घूर के देखा तो मैं सकपका गया और दूसरी ओर देखने लगा…..ज्योति ने एक रूम खोल कर दोनो को दिखाया…..उसमे बेड वग़ैरह सब कुछ था.
ज्योति—आज से तुम दोनो यहाँ रहो…..बाथरूम अटॅच्ड है….बगल मे किचन है….अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बता देना.
छमिया—जी मेम साहब
ज्योति—ठीक है तुम दोनो फ्रेश हो जाओ….और कुछ खा लो…..राज तुम चलो मेरे रूम मे
ज्योति आगे आगे चलने लगी….ना चाहते हुए भी मेरा नज़र उसके मदमस्त चुतड़ों पर फिर से अटक गयी….चलते हुए उसके मटकते चूतड़ कहर ढा रहे थे….लंड तो पूरे उफान पर आ चुका था….मुझसे कुछ कहने के लिए जैसे ही ज्योति पलटी तो उसने मुझे फिर से अपने चुतड़ों
को ललचाई नज़रों से घूरते पकड़ लिया.
ज्योति (आँखे दिखाते हुए)—क्या हरकत है ये सब…..?
राज (सकपका कर)—ना…नाअ….मेडम…मैने आपकी गान्ड बिल्कुल नही देखी.
ज्योति (शॉक्ड)—व्हातटत्ट…..?
राज (सिर झुका कर)—आइ’म सॉरी मेडम…..दुबारा ऐसी ग़लती नही होगी
ज्योति—दुबारा ये ग़लती तो तुम कर चुके हो…..लेकिन ध्यान रहे आगे ऐसा ना हो……ये सब हरकते बंद कर दो.
राज (धीरे से)—एक बार अपनी ये फूली हुई गान्ड दे दो फिर सब बंद कर दूँगा ज्योति डार्लिंग.
ज्योति (आँखे फाड़ कर)—क्याआ कहाआ तुमने…..?
राज—नही..नही मेडम…मैने आपकी गान्ड के बारे मे कुछ नही कहा, सच्ची…..
ज्योति (सख्ती से)—मतलब सुधरोगे नही तुम……?
राज—सॉरी मेडम
ज्योति—तुम हाल मे टीवी देखो तब तक… जब तक मैं नहा लेती हूँ….फिर खाना लगाती हूँ.
ज्योति मेडम अपने कपड़े ले कर बाथरूम मे घुस गयी और मैं हाल मे आ गया....लेकिन मन मे बार बार ये इच्छा पैदा होने लगी कि क्यो ना ज्योति मेडम को नहाते हुए एक बार देख लू...शायद कुछ दिख ही जाए.
बस क्या था ये विचार मन मे आते ही मेरे कदम खुद बा खुद ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ गये….कमरे मे पहुचते ही मैने बिना कोई आवाज़ किए बाथरूम मे लगे दरवाजे के की होल पर अपनी आँखे चिपका दी.
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वो सब मुझसे डर कर अपनी जान बचाने के लिए यहाँ वहाँ भागने लगे ....लेकिन मेरे उपर तो अब खून सवार हो चुका था.....मैं भी उनके पीछे दौड़ पड़ा.
राज (चिल्लाते हुए)—कहाँ भाग रहे हो हिंझड़ो......साले लवडे…… तुम्हारी माँ को चोदु....
दौड़ते हुए ही मैने उनकी एक हॉकी उठाई...और फेंक कर एक के सिर पर मारा तो वो वही गिर गया.....उसके गिरते ही मैं तरीके से उसको
बजाने लगा और तब तक बजाता रहा जब तक कि उसने दम नही तोड़ दिया.
राज (गुस्से मे )—फटेगी आज से सब की फटेगी,...इस सांड़ से किसी की नही बचेगी.
बाकी तीन साले कहाँ भाग गये अपनी गान्ड बचा कर पता नही......लेकिन ये सब वाक़या पास के ही गन्ने के खेत से छुप कर कोई देख रहा था....
अब आगे.......
उन्न तीनो के भाग जाने के पश्चात मैं कुछ देर तक वही रुका रहा जब गुस्सा कुछ कम हुआ तब मुझे वास्तविक परिस्थिति का अंदाज़ा हुआ कि अभी अभी क्या किया है मैने.
राज (मन मे)—उउई साला ये दोनो तो लगता है सच मूच मे टपक गये....अब तक तो उन्न तीनो हरमियो ने ठाकुर को पूरी राम कहानी भी सुना दी होगी.....ये ठाकुर और देशराज मादरचोद मुझे चैन से बुर भी नही चोदने देते...जल्दी से यहा से खिसक लेना ही फ़ायदेमंद है इन्न
हरामियों के आने से पहले ही.
मैं वहाँ से उठ कर जैसे ही जाने को हुआ तो तभी किसी ने आवाज़ देकर मुझे रुकने को कहा....वैसे तो मैं बिल्कुल भी रुकने के मूड मे नही था किंतु आवाज़ किसी औरत की थी और जानी पहचानी लगी तो रुकना पड़ा.
मैं जैसे ही पलटा तो समने के गन्ने के खेत से छमिया निकल कर बाहर आई और हान्फते हुए मेरे आगे खड़ी हो गयी... दिन के उजाले मे जैसे ही मैने छमिया की खूबसूरती को देखा तो बस देखता ही रह गया.....पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा लेकिन फिर रात की घटना याद आते ही उसकी तरफ से तसल्ली हो गयी.
राज—तुम यहाँ क्या कर रही हो..... ?
छमिया (हान्फते हुए)—वो देशराज के आदमी मुझे खोजते हुए सुबह सुबह मेरे घर आ गये थे तो मैं खिड़की से कूद कर यहाँ खेत मे छिप गयी थी.....लेकिन तुमने इन्हे जान से क्यो मार दिया..... ?
राज—ओह्ह्ह...इसका मतलब तूने सब देख लिया.....ये देशराज और ठाकुर के ही आदमी हैं....कल रात मे मैने तुम्हे बचाया था ना तो आज
मुझे ढूँढ रहे थे......अब मैं अगर इनको नही मारता तो ये मुझे मार देते.
छमिया—यहाँ से जल्दी चलो....नही तो वो देशराज कमीना कभी भी यहाँ आ सकता है.....खेत के अंदर ही अंदर से निकल चलो.
राज (चलते हुए)—तो अब तुम कहाँ जाओगी..... ?
छमिया—समझ मे नही आता कि कहाँ जाउ……?
राज—तुम्हारा आदमी अभी नही छूटा क्या जैल से..... ?
छमिया—वो हरामी देशराज कहता है कि थाने आ कर उनको ले जौ....लेकिन मैं जानती हूँ कि वो मुझे क्यो बुला रहा है वहाँ.
राज (मन मे)—देशराज की क्या ग़लती है.....तेरा हुष्ण ही इतना जान लेवा है कि जो भी देख ले उसका लंड खड़ा हो जाएगा....एक ना एक
दिन इसको पूरी नंगी कर के चोदुन्गा ज़रूर और वो भी इसकी पूरी मर्ज़ी से....
अभी हम गन्ने का खेत पार कर के जा ही रहे थे कि सामने से उसका पति गोविंद आता हुआ दिख गया....उसकी हालत देखते ही समझ मे आ गया की उसको बहुत पीटा गया है.
गोविंद को देखते ही छमिया उससे लिपट के रोने लगी और जो कुछ देशराज ने उसके साथ किया वो सब बताने लगी...उसने मेरे बारे मे भी
बताया तो उसने मेरे आगे हाथ जोड़ लिए.
गोविंद—साहब आप ने मुझ ग़रीब की इज़्ज़त बचा कर बहुत बड़ा उपकर किया है....जो मैं कभी नही चुका सकता... मुझे जैल से छुड़ाने मे भी ज़रूर आपका ही कोई हाथ है वरना वो जानवर मुझे कभी नही छोड़ता.
छमिया—मेरे चक्कर मे देशराज इनका भी दुश्मन बन गया है.....आज भी उसने इनके उपर हमला करवाया जिसमे उस कुत्ते के दो आदमी
मर गये.....ये सच मे बहुत बहादुर हैं वरना देशराज और ठाकुर के सामने कोई सिर तक नही उठाता है.
गोविंद—जो भी हुआ बहुत ग़लत हुआ.....वो अब आपको जीने नही देगा और ना ही हम दोनो को....साहब आप कहीं शहर छोड़ कर दूर चले जाओ.
राज—और तुम कहाँ जाओगे...... ?
छमिया—हम दोनो के पास आत्म हत्या करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नही है अब......जिंदा रही तो वो हरामी मेरी इज़्ज़त लूटे बिना नही
मानेगा इससे अच्छा मरना ही ठीक है.
राज—जब यही करना था तो मेरा तुम्हे बचाने और ठाकुर और देशराज से दुश्मनी लेने का क्या फ़ायदा निकला.... ? वाह... बहुत बढ़िया एहसान चुका रहे हो दोनो.
गोविंद—तो आप ही बताओ कि हम क्या करे... ? कहाँ जाए हम….? हमारे पास तो इतने पैसे भी नही हैं कि कहीं दूर जाकर गुजर बसर कर
ले….मालिक के मरने के बाद सब हमारे दुश्मन बन गये हैं.
तभी वहाँ बहुत सी गाडियो के आने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो हम एक पेड़ के पीछे छुप कर देखने लगे….करीब चार गाड़ियाँ पोलीस की
और बीस गाड़ियाँ ठाकुर के आदमियो की थी….
राज—इससे पहले कि वो हमे देख ले यहाँ से फ़ौरन निकल चलो
च्चामिया—लेकिन जाएँगे कहाँ.... ?
राज—चलो तो सही पहले
वो मेरे पीछे पीछे एक खेत मे घुस गये फिर से....उसके अंदर ही अंदर चलते हुए हम मैन रोड तक पहुच गये… वहाँ से ऑटो पकड़ कर बस स्टॅंड आ गये.
बस स्टॅंड पहुच कर मैने एसीपी ज्योति को कॉल कर के पूरी घटना बताई तो उसने मुझे छमिया और गोविंद के साथ अपने घर आने को कहा.
मैं वहाँ से बस पकड़ कर दोनो के साथ ज्योति के घर चला गया जहाँ वो मेरा ही इंतज़ार कर रही थी….अब तक दोपहर हो चुकी थी…..अरषि मामी, डिंपल, शिल्पा और रश्मि दीदी का फोन भी काई बार आया लेकिन मैने ध्यान नही दिया…. छमिया और गोविंदा तो अपने
सामने पोलीस वाली को देख कर घबरा गये और मेरी ओर देखने लगे.
राज—घबराने की कोई ज़रूरत नही है….यहाँ तुम दोनो सुरक्षित हो….?
छमिया—लेकिन……
ज्योति—चिंता मत करो…तुम दोनो के बारे मे राज ने मुझे सब बता दिया है…..तुम दोनो यहाँ रह सकते हो….देशराज और ठाकुर के आदमी यहा तक नही पहुच सकते.
गोविंदा—शुक्रिया मेडम….इसमे हमारा कोई दोष नही है…हमारे साथ ज़ुल्म ही इतना किया है पोलीस ने कि अब……
ज्योति—सब पोलीस वाले एक जैसे नही होते….यहाँ तुम लोग निश्चिंत हो कर रहो.
छमिया—जी मेम साहब
ज्योति—और तुम….अपने आप को बहुत बड़ा हीरो समझते हो….? तुम्हे पता भी है कि तुमने क्या किया है…..?
राज—वो साले मरियल थे….एक थप्पड़ मे ही मर गये तो अब इसमे मेरी क्या ग़लती है…..वैसे भी क्या फरक पड़ता है….?
ज्योति—शायद तुम अभी ठाकुर को अच्छी तरह से जानते नही हो…..तुम्हारी पूरी फॅमिली कितनी बड़ी मुसीबत मे फँस जाएगी अगर तुम्हारा स्केच बनवा दिया उन्न तीनो लोगो ने तो, ये तुम नही जानते.
राज—मेरी फॅमिली की तरफ अगर किसी ने आँख भी उठाई तो उसकी पूरी ज़मीन बंज़र कर दूँगा मैं..…..
ज्योति—ठाकुर की ताक़त को तुम अभी जानते नही हो….
राज—तो अब मुझे क्या करना चाहिए…..?
ज्योति—अब वोही एक तरीका है, जो मैने बताया था….वरना तुम और तुम्हारी फॅमिली को ठाकुर से कोई नही बचा सकता फिर.
राज (कुछ सोच कर)—ठीक है…मुझे आपकी बात मंज़ूर है.
ज्योति—तो ठीक है, कल यही पर आ जाना….सबसे पहले मैं तुम्हे ट्रेंड करूँगी…..आगे क्या करना है ये कल मैं तुम्हे समझा दूँगी.
राज—ओके…तो मैं चलता हूँ
ज्योति—कहाँ जाओगे…..वहाँ अभी सब तुम्हे कुत्ते की तरह तलाश कर रहे होंगे…..अभी रूको यही
उसके बाद ज्योति ने छमिया और गोविंदा के रहने के लिए कमरा दिखाने ले गयी, मैं भी उनके साथ ही गया…अनायास ही मेरा ध्यान चलते
समय उसके मटकते हुए चुतड़ों पर चला गया.
राज (मन मे)—हाय…क्या मस्त चूतड़ हैं…..जब कपड़े के उपर से इतने बड़े बड़े हैं तो नंगे होने पर कैसे दिखते होंगे….? हाए ज्योति मेडम
एक बार एक बार अपने इन चुतड़ों को नंगे कर के दिखा दो…..काश एक बार ये गान्ड पेलने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा.
जाते हुए ज्योति ने पलट के मुझे घूर के देखा तो मैं सकपका गया और दूसरी ओर देखने लगा…..ज्योति ने एक रूम खोल कर दोनो को दिखाया…..उसमे बेड वग़ैरह सब कुछ था.
ज्योति—आज से तुम दोनो यहाँ रहो…..बाथरूम अटॅच्ड है….बगल मे किचन है….अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बता देना.
छमिया—जी मेम साहब
ज्योति—ठीक है तुम दोनो फ्रेश हो जाओ….और कुछ खा लो…..राज तुम चलो मेरे रूम मे
ज्योति आगे आगे चलने लगी….ना चाहते हुए भी मेरा नज़र उसके मदमस्त चुतड़ों पर फिर से अटक गयी….चलते हुए उसके मटकते चूतड़ कहर ढा रहे थे….लंड तो पूरे उफान पर आ चुका था….मुझसे कुछ कहने के लिए जैसे ही ज्योति पलटी तो उसने मुझे फिर से अपने चुतड़ों
को ललचाई नज़रों से घूरते पकड़ लिया.
ज्योति (आँखे दिखाते हुए)—क्या हरकत है ये सब…..?
राज (सकपका कर)—ना…नाअ….मेडम…मैने आपकी गान्ड बिल्कुल नही देखी.
ज्योति (शॉक्ड)—व्हातटत्ट…..?
राज (सिर झुका कर)—आइ’म सॉरी मेडम…..दुबारा ऐसी ग़लती नही होगी
ज्योति—दुबारा ये ग़लती तो तुम कर चुके हो…..लेकिन ध्यान रहे आगे ऐसा ना हो……ये सब हरकते बंद कर दो.
राज (धीरे से)—एक बार अपनी ये फूली हुई गान्ड दे दो फिर सब बंद कर दूँगा ज्योति डार्लिंग.
ज्योति (आँखे फाड़ कर)—क्याआ कहाआ तुमने…..?
राज—नही..नही मेडम…मैने आपकी गान्ड के बारे मे कुछ नही कहा, सच्ची…..
ज्योति (सख्ती से)—मतलब सुधरोगे नही तुम……?
राज—सॉरी मेडम
ज्योति—तुम हाल मे टीवी देखो तब तक… जब तक मैं नहा लेती हूँ….फिर खाना लगाती हूँ.
ज्योति मेडम अपने कपड़े ले कर बाथरूम मे घुस गयी और मैं हाल मे आ गया....लेकिन मन मे बार बार ये इच्छा पैदा होने लगी कि क्यो ना ज्योति मेडम को नहाते हुए एक बार देख लू...शायद कुछ दिख ही जाए.
बस क्या था ये विचार मन मे आते ही मेरे कदम खुद बा खुद ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ गये….कमरे मे पहुचते ही मैने बिना कोई आवाज़ किए बाथरूम मे लगे दरवाजे के की होल पर अपनी आँखे चिपका दी.
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