desiaks
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मैंने तपाक से जवाब देते हुए कहा, "तुम्हारी बात सच है। मैं सब लोगों के बिच में मेरी बीबी की नुमाइश करना चाहता हूँ। मैं सब को दिखाना चाहता हूँ की मेरी बीबी उन सब की बीबीयों से ना सिर्फ ज्यादा सुन्दर है, बल्कि उनकी बीबियों से कई गुना सेक्सी भी है। उतना ही नहीं, आज होली की शाम को मैं चाहता हूँ की मेरी बीबी ऐसी सेक्सी बन कर सजे की उस को देख कर बूढ़ों का भी लण्ड खड़ा हो जाये।
अब बात रही तरुण के छेड़ने की, तो तुम्हें उसके बारेमें तो चिंता ही नहीं करनी चाहिए। वह तुम्हारे मम्मों को पहले भी दो तीन बार तो सेहला ही चूका है। उसको तुम्हें जितना छेड़ना था उसने छेड़ लिया है। वह तुमको और क्या छेड़ेगा? उसने जो देखना था वह देख लिया है, जो कुछ करना था वह तो कर लिया है। उससे ज्यादा और वह क्या देख सकता है और क्या कर सकता है भला? वह क्या देख लेगा जो उसने पहले नहीं देखा? और हाँ। मैं तरुण को भी दिखाना चाहता हूँ की मेरी बीबी दीपा भी उसकी बीबी टीना से कम सुन्दर अथवा कम सेक्सी नहीं है। आज तो आरपार की लड़ाई है। वह क्या समझता है, मेरी बीबी उसकी बीबी से कम सेक्सी है?"
मैंने जब अपना पॉइंट बड़े ही भार पूर्वक रक्खा तो दीपा आश्चर्य से मेरी और देखने लगी। मैंने कहा, "तरुण उस दिन अपनी बीबी की स्विम सूट वाली आधी नंगी फोटो दिखा कर मुझे यह जता ने की कोशिश कर रहा था की उसकी बीबी टीना कितनी सेक्सी है? मैं तरुण को दिखाना चाहता हूँ यह तो मेरी बीबी दीपा की शालीनता है की वह कभी भड़कीले वेश नहीं पहनती वरना वह टीना से भी कहीं ज्यादा सेक्सी है और वह चाहे तो अच्छे अच्छों के बारह बजादे। डार्लिंग, बाकी सबकी बात छोडो। मैं तो तुम्हें अपने लिए तैयार होने को कह रहा हूँ। जानेमन आज ऐसी तैयार हो की मेरी आँखें तुम्हे ही देखते रहें। तुम्हारे अलावा किसी और औरत को ना देखें। मैं तुम्हें आज एकदम सेक्सी ड्रेस में देखना चाहता हूँ।"
इतना कहना ही मेरी पत्नी के लिए काफी था। मेरी बात सुनकर मेरी बीबी को कुछ संतुष्टि हुई। मेरी बात भी सही थी। मैं भी मेरी पत्नी के मन की बात को भली भाँती भांप ने लगा था। तरुण से हुई इतनी मुठभेड़ों के बाद उसे अब तरुण से ऐसा कोई भय नहीं लग रहा था। तरुण को दीपा भली भाँती जान गयी थी। पता नहीं, शायद वह सोच रही होगी की आखिर ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगा तरुण? ज्यादा से ज्यादा वह चोदने की कोशिश ही करेगा ना? अब वही तो बाकी रह गया था? और क्या करेगा?
पर अगर तरुण ने थोड़ी सी भी जबरदस्ती की तो दीपा ने तय किया था वह उसे नहीं छोड़ेगी। तरुण को यह तो मालुम ही था की दीपा इतनी आसानी से तो फँसने वाली नहीं है। फिर मैं दीपा के साथ ही था तो दीपा अकेली तो थी नहीं, की तरुण कोई जबरदस्ती कर सके।
यह सब सोच कर दीपा ने मेरी बात मान ली। शायद कुछ हद तक दीपा को भी अपनी सेक्सी फिगर तरुण को दिखाने का मन तो था ही। टीना और तरुण के हनीमून की सेक्सी फोटोएं देखने के बाद कहीं ना कहीं दीपा के मन में भी था की वह तरुण को एक बार तो दिखा ही दे की वह भी अगर भड़कीले कपडे पहने तो उस उम्र में भी मर्दों के लण्ड में आग लगा सकती है। दीपा यह भी दिखा देना चाहती थी की वह टीना से कम सुन्दर और कम सेक्सी नहीं थी।
उस रात वह ऐसे सेक्स की रानी की तरह सज कर तैयार हुई जैसे मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा। कई सालों के बाद पहली बार मेरी बीबी को उस ब्लाउज में देखा जो वह शर्म के मारे कभी न पहनती थी। वह डीप कट ब्लाउज था जिसमें मेरी रूढ़िवादी पत्नी के भरे और तने हुए मम्मों (स्तनों) का उभार काफी ज्यादा नजर आता था।
उसने स्लीवलेस ब्लाउज पहना था। उसका ब्लाउज चौड़ाई में छोटा था और जैसे वह उसके उरोज को बस ढके हुए था। दीपा के स्तन ब्लाउज में बड़ी कठिनाई से समाये हुए थे। उसने आपनी साड़ी भी अपनी कमर से काफी निचे तक बाँधी थी। ऐसा लगता था की कहीं वह पूरी निचे उतर न जाय और उसे नंगी न करदे। और साड़ी भी उसने ऐसी पहनी की थी की हाथ में पकड़ो तो फिसल जाए। एकदम हलकी पतली और पारदर्शी।
दीपा का ब्लाउज पीछे से एकदम खुला हुआ था। सिर्फ दो पतली डोर उसके ब्लाउज को पकड़ रखे हुए थे। दीपा की पीठ एकदम खुली थी और ब्रा की पट्टी उसमें दिख रही थी। ब्रा भी तो उसने जाली वाली पहनी थी। ब्लाउज खुलने पर उसके स्तन आधे तो वैसे ही दिखने लगेंगे यह मैं जानता था। दीपा की कमर में उसकी नाभि खूब सुन्दर लग रही थी।
रात दस बजे तरुण अपनी पुरानी अम्बेसडर कार में हमें लेने पहुंचा। जैसे उसने हॉर्न बजाया, दीपा सबसे पहले बाहर आयी। दीपा के घर से बाहर आने के बाद हमारे घर के आँगन में जो हुआ वह मुझे दीपा ने कुछ दिनों बाद सविस्तार बताया था। वह मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ।
तरुण तो दीपा को देखते ही रह गया। दीपा की साडी का पल्लू उसके उरोजों को नहीं ढक पा रहा था । उसके रसीले होँठ लिपस्टिक से चमक रहे थे। उसके भरे भरे से गाल जैसे शाम के क्षितिज में चमकते गुलाबी रंग की तरह लालिमा बिखेर रहे थे। सबसे सुन्दर दीपा की आँखे थीँ। आँखों में दीपा ने काजल लगाया था वह एक कटार की तरह कोई भी मर्द के दिल को कई टुकड़ों में काट सकती थीँ। आँखे ऐसी नशीली की देखने वाला लड़खड़ा जाए। उसके बाल उसके कन्धों से टकराकर आगे उन्नत स्तनों पर होकर पीछे की तरफ लहरा रहे थे।
सबसे ज्यादा आकर्षक दीपा की गाँड़ का हिस्सा था जो की साडी के पल्लू में छिपा हुआ था, पर उसकी सुडौल गाँड़ के घुमाव को छिपाने में असमर्थ था। साडी में दीपा के कूल्हे इतने आकर्षक लग रहे थे की क्या बात!!!!
दीपा ने जैसे ही तरुण को देखा तो थोड़ी सहम गयी। उसे दोपहर की तरुण की शरारत याद आयी। तरुण के अलावा किसीने भी ऐसी हिमत नहीं दिखाई थी की दीपा की मर्जी के बगैर इसको छू भी सके। पर तरुण ने सहज में ही न सिर्फ कोने में दीवार से सटा कर उसे रंग लगाया, बल्कि उसने दीपा के ब्लाउज के ऊपर से अंदर हाथ डाल कर उसकी ब्रा के हूको को अपनी ताकत से तोड दिए और स्तनों को रंगों से भर दिए। और भी बहुत कुछ किया।
अब बात रही तरुण के छेड़ने की, तो तुम्हें उसके बारेमें तो चिंता ही नहीं करनी चाहिए। वह तुम्हारे मम्मों को पहले भी दो तीन बार तो सेहला ही चूका है। उसको तुम्हें जितना छेड़ना था उसने छेड़ लिया है। वह तुमको और क्या छेड़ेगा? उसने जो देखना था वह देख लिया है, जो कुछ करना था वह तो कर लिया है। उससे ज्यादा और वह क्या देख सकता है और क्या कर सकता है भला? वह क्या देख लेगा जो उसने पहले नहीं देखा? और हाँ। मैं तरुण को भी दिखाना चाहता हूँ की मेरी बीबी दीपा भी उसकी बीबी टीना से कम सुन्दर अथवा कम सेक्सी नहीं है। आज तो आरपार की लड़ाई है। वह क्या समझता है, मेरी बीबी उसकी बीबी से कम सेक्सी है?"
मैंने जब अपना पॉइंट बड़े ही भार पूर्वक रक्खा तो दीपा आश्चर्य से मेरी और देखने लगी। मैंने कहा, "तरुण उस दिन अपनी बीबी की स्विम सूट वाली आधी नंगी फोटो दिखा कर मुझे यह जता ने की कोशिश कर रहा था की उसकी बीबी टीना कितनी सेक्सी है? मैं तरुण को दिखाना चाहता हूँ यह तो मेरी बीबी दीपा की शालीनता है की वह कभी भड़कीले वेश नहीं पहनती वरना वह टीना से भी कहीं ज्यादा सेक्सी है और वह चाहे तो अच्छे अच्छों के बारह बजादे। डार्लिंग, बाकी सबकी बात छोडो। मैं तो तुम्हें अपने लिए तैयार होने को कह रहा हूँ। जानेमन आज ऐसी तैयार हो की मेरी आँखें तुम्हे ही देखते रहें। तुम्हारे अलावा किसी और औरत को ना देखें। मैं तुम्हें आज एकदम सेक्सी ड्रेस में देखना चाहता हूँ।"
इतना कहना ही मेरी पत्नी के लिए काफी था। मेरी बात सुनकर मेरी बीबी को कुछ संतुष्टि हुई। मेरी बात भी सही थी। मैं भी मेरी पत्नी के मन की बात को भली भाँती भांप ने लगा था। तरुण से हुई इतनी मुठभेड़ों के बाद उसे अब तरुण से ऐसा कोई भय नहीं लग रहा था। तरुण को दीपा भली भाँती जान गयी थी। पता नहीं, शायद वह सोच रही होगी की आखिर ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगा तरुण? ज्यादा से ज्यादा वह चोदने की कोशिश ही करेगा ना? अब वही तो बाकी रह गया था? और क्या करेगा?
पर अगर तरुण ने थोड़ी सी भी जबरदस्ती की तो दीपा ने तय किया था वह उसे नहीं छोड़ेगी। तरुण को यह तो मालुम ही था की दीपा इतनी आसानी से तो फँसने वाली नहीं है। फिर मैं दीपा के साथ ही था तो दीपा अकेली तो थी नहीं, की तरुण कोई जबरदस्ती कर सके।
यह सब सोच कर दीपा ने मेरी बात मान ली। शायद कुछ हद तक दीपा को भी अपनी सेक्सी फिगर तरुण को दिखाने का मन तो था ही। टीना और तरुण के हनीमून की सेक्सी फोटोएं देखने के बाद कहीं ना कहीं दीपा के मन में भी था की वह तरुण को एक बार तो दिखा ही दे की वह भी अगर भड़कीले कपडे पहने तो उस उम्र में भी मर्दों के लण्ड में आग लगा सकती है। दीपा यह भी दिखा देना चाहती थी की वह टीना से कम सुन्दर और कम सेक्सी नहीं थी।
उस रात वह ऐसे सेक्स की रानी की तरह सज कर तैयार हुई जैसे मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा। कई सालों के बाद पहली बार मेरी बीबी को उस ब्लाउज में देखा जो वह शर्म के मारे कभी न पहनती थी। वह डीप कट ब्लाउज था जिसमें मेरी रूढ़िवादी पत्नी के भरे और तने हुए मम्मों (स्तनों) का उभार काफी ज्यादा नजर आता था।
उसने स्लीवलेस ब्लाउज पहना था। उसका ब्लाउज चौड़ाई में छोटा था और जैसे वह उसके उरोज को बस ढके हुए था। दीपा के स्तन ब्लाउज में बड़ी कठिनाई से समाये हुए थे। उसने आपनी साड़ी भी अपनी कमर से काफी निचे तक बाँधी थी। ऐसा लगता था की कहीं वह पूरी निचे उतर न जाय और उसे नंगी न करदे। और साड़ी भी उसने ऐसी पहनी की थी की हाथ में पकड़ो तो फिसल जाए। एकदम हलकी पतली और पारदर्शी।
दीपा का ब्लाउज पीछे से एकदम खुला हुआ था। सिर्फ दो पतली डोर उसके ब्लाउज को पकड़ रखे हुए थे। दीपा की पीठ एकदम खुली थी और ब्रा की पट्टी उसमें दिख रही थी। ब्रा भी तो उसने जाली वाली पहनी थी। ब्लाउज खुलने पर उसके स्तन आधे तो वैसे ही दिखने लगेंगे यह मैं जानता था। दीपा की कमर में उसकी नाभि खूब सुन्दर लग रही थी।
रात दस बजे तरुण अपनी पुरानी अम्बेसडर कार में हमें लेने पहुंचा। जैसे उसने हॉर्न बजाया, दीपा सबसे पहले बाहर आयी। दीपा के घर से बाहर आने के बाद हमारे घर के आँगन में जो हुआ वह मुझे दीपा ने कुछ दिनों बाद सविस्तार बताया था। वह मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ।
तरुण तो दीपा को देखते ही रह गया। दीपा की साडी का पल्लू उसके उरोजों को नहीं ढक पा रहा था । उसके रसीले होँठ लिपस्टिक से चमक रहे थे। उसके भरे भरे से गाल जैसे शाम के क्षितिज में चमकते गुलाबी रंग की तरह लालिमा बिखेर रहे थे। सबसे सुन्दर दीपा की आँखे थीँ। आँखों में दीपा ने काजल लगाया था वह एक कटार की तरह कोई भी मर्द के दिल को कई टुकड़ों में काट सकती थीँ। आँखे ऐसी नशीली की देखने वाला लड़खड़ा जाए। उसके बाल उसके कन्धों से टकराकर आगे उन्नत स्तनों पर होकर पीछे की तरफ लहरा रहे थे।
सबसे ज्यादा आकर्षक दीपा की गाँड़ का हिस्सा था जो की साडी के पल्लू में छिपा हुआ था, पर उसकी सुडौल गाँड़ के घुमाव को छिपाने में असमर्थ था। साडी में दीपा के कूल्हे इतने आकर्षक लग रहे थे की क्या बात!!!!
दीपा ने जैसे ही तरुण को देखा तो थोड़ी सहम गयी। उसे दोपहर की तरुण की शरारत याद आयी। तरुण के अलावा किसीने भी ऐसी हिमत नहीं दिखाई थी की दीपा की मर्जी के बगैर इसको छू भी सके। पर तरुण ने सहज में ही न सिर्फ कोने में दीवार से सटा कर उसे रंग लगाया, बल्कि उसने दीपा के ब्लाउज के ऊपर से अंदर हाथ डाल कर उसकी ब्रा के हूको को अपनी ताकत से तोड दिए और स्तनों को रंगों से भर दिए। और भी बहुत कुछ किया।