Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए ) - Page 20 - SexBaba
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Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

मानस का भी बुरा हाल था, लिंग को योनि पर घिसना बंद कर के, लिंग को योनि से टीकाया और नीचे हाथ ले जा कर उसके नितंबों को थाम लिया..... जलते बदन को मानस जैसे और तडपा रहा हो....

लिंग योनि से टिका कर वो रुका रहा.... ड्रस्टी आखें मुन्दे आहें भर रही थी... उस से बर्दास्त कर पाना भी मुस्किल हो रहा था... मानस को रुका देख ड्रस्टी अपनी आखें खोली ... और इशारों मे जैसे चिढ़ती हुई कह रही हो... "अब और मत तड़पाओ"

मानस थोड़ा मुस्कुराया और नितंबों को थाम कर धीरे-धीरे लिंग अंदर डालने लगा.... योनि की कसावट इतनी थी कि लिंग पर योनि की दीवार घिस रही थी... ड्रस्टी मज़े के साथ हल्का दर्द भी महसूस कर रही थी जो इस कामुक उत्तेजना को और भी बढ़ा रहा था...

मानस लिंग कोधीरे-धीरे अंदर डालते वक़्त थोड़ा बेकाबू होगया और ज़ोर से एक झटका मार दिया.... आधा लिंग योनि मे प्रवेस कर चुका था...... जैसे ही लिंग योनि मे प्रवेस किया...... "आआअहह" की ज़ोर दार चींख ड्रस्टी के मुँह से निकल गयी और अपने बदन को उपर लहराती वो मानस की गोद मे बैठ गयी....

"उम्म्म्मममममम.... थोड़ा रुक जएईए"...... ड्रस्टी, मानस के कंधे पर अपना मुँह लगा कर अपने दर्द को छिपाती हुई कहने लगी..... मानस लिंग आधा अंदर डाले वैसे ही रुका रहा और अपने सिर को नीचे किया और मुँह स्तनों पर डाल कर उसे चूसने लगा....

उम्म्म्ममम.... स्तनों को चूसने और चुसवाने का भी अहसास अजीब ही था.... दोनो काम उत्तेजना मे वापस लौटने लगे.... जलती योनि मे गरम लिंग महसूस करना रोमांचक था... धीरे-धीरे दर्द गायब होने लगा और ड्रस्टी की कमर मे हलचल होने लगी ....

मानस से भी रुक पाना मुस्किल हो रहा था... उसने भी अब धीरे-धीरे धक्का मारना शुरू कर दिया.... उफफफ्फ़ ये कैसा नया ही एहस्सास था... फिर से ड्रस्टी की आखें बंद हो गयी... मादक सिसकारियों से महॉल गूँज गया....

एक बार फिर मानस ने योनि मे इतनी ज़ोर की ठोकर मारी कि पूरा लिंग अंदर चला गया... एक बार फिर ड्रस्टी की चींख निकल गयी ... दर्द से बदन काँपने लगा...... मानस को लगा रुकना चाहिए, उसने धक्को पर विराम लगाया और स्तनों को बड़े प्यार से मुँह मे ले कर चूसने लगा...

पर ड्रस्टी कुछ और मूड से ही थी..... "आहह.... रूको नही करते रहो... ये दर्द तो हमे सहना ही होता है".....

ड्रस्टी ने जैसे प्यार मे समर्पण दिया हो..... मानस, ड्रस्टी की पीठ पर हाथ टिका कर धीरे-धीरे धक्के मारने लगा और दोनो स्तनों का स्तनपान बारी-बारी से करता रहा....
 
उफफफ्फ़ धक्को ने तो दर्द के साथ जैसे मज़े के रास्ते भी खोले हो.... थोड़ी ही देर मे ड्रस्टी ने भी अपनी कमर उछालना शुरू कर दिया..... लिंग पर वो बैठी कभी कमर उपर नीचे करती तो कभी गोल-गोल घुमाने लगती...

अब तो मानस को भी पूरी आज़ादी मिल चुकी थी.... बिना रुके वो तेज-तेज धक्के लगातार लगाता रहा.... दोनो के चेहरे के भाव काफ़ी कामुक थे.... लिंग योनि के अंदर और योनि मे लिंग का अहसास ही कुछ अजीब सा था...

ड्रस्टी अपनी पीठ पीछे की ओर झुकाती अपना सीना और गर्दन पूरी तरह से टाइट कर ली... तरह-तरह की सिसकारियों के साथ वो हर धक्के का मज़ा लेने लगी... दोनो अजीब सी दुनिया मे थे जहाँ पर कोई सोच नही थी... बस धक्के देना और धक्के खाते रहने मे ही मज़ा आ रहा था...

एसी मे भी दोनो के बदन पसीने से भींग चुके थे.... अचानक ही ड्रस्टी ने कमर को ज़ोर-ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया .... और फिर से उसका बदन अकड़ गया.... और फिर पूरी तरह वो निढाल हो कर झूल गयी......

मानस अब भी धक्के लगा रहा था.....

"उम्म्म्मम जान... अब हिम्मत नही बची"

पिक पॉइंट पर ड्रस्टी, मानस से लिंग निकालने की मिन्नत करने लगी.... मुस्किल होता है खुद को रोक पाना, पर मानस ने वही किया जैसा ड्रस्टी चाहती थी.... मानस लिंग को निकाल कर ड्रस्टी के बदन को निहार रहा था....

ड्रस्टी के गोरे नंगे बदन को देख उसका लिंग अपने आप ही झटके खाने लगा.... ड्रस्टी मानस की हालत समझ रही थी, इसलिए थोड़ी सी खुलती हुई उसने मानस का लिंग अपने हाथों मे ले लिया....

ऐसा लगा जैसे कोई खिलौना हाथ मे आ गया हो.... टाइट लिंग की चमड़ी कितनी मस्ती से आगे पीछे होती हैं... ड्रस्टी भी बड़े मज़े से लिंग को हिला रही थी, और अपनी खुली आखों से लिंग को निहारती उसे आगे पिछे कर रही थी....

लिंग पर ऐसे जबरदस्त प्रहार से वो भी अब अपनी चरम पर आ गया था.... ड्रस्टी ज़ोर-ज़ोर से लिंग हिला रही थी और मानस ने भी अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया....

उफफफफ्फ़ क्या नज़ारा था.... जब कम बाहर आते हुए ड्रस्टी ने देखा.... पचक से कुछ गाढ़ा तरल पदार्थ मानस के लिंग से निकलना शुरू हो गया... जिसकी बूंदे रह रह कर बाहर आ रही थी....

झड़ने के बाद मानस वहीं निढाल हो कर लेट गया.... और उसके सीने से अपना मुँह लगा कर ड्रस्टी भी सो गयी........
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आअहह .... जोरदार अंगड़ाई के साथ सुबह ड्रस्टी की नींद खुली..... और जब आखें खुली तो बिस्तर का नज़ारा देख कर शर्मा गयी..... ब्रा मानस की पीठ से चिपका हुआ था... सलवार कहीं, कमीज़ कहीं... और पैंटी नीचे फर्श पर पड़ी थी....

ठीक वहीं पर मानस का अंडरवेअर ... और बाकी के कपड़े इधर उधर.... ड्रस्टी चोर नज़र से अब मानस के बदन को देखने लगी.... कितना आकर्षित कर रहा था मानस का बदन.... ड्रस्टी के मन मे थोड़ी जिग्यासा पैदा हुई और अपनी नज़रें नीचे ले जाती मानस के पाँव के बीच देखने लगी...

तभी मानस की भी नींद खुल गयी, और दबी आखों से वो ड्रस्टी को देखने लगा.... शायद पाँव के बीच से लिंग का वो ठीक से नज़ारा नही ले पा रही थी इसलिए वो अपना सिर इधर उधर कर के देखने की कोसिस कर रही थी....

अचानक ही मानस सीधा लेट गया...... "लो आराम से जी भर कर देख लो... अब से ये तुम्हारा ही तो है"

मारे शर्म के जो ड्रस्टी भागी, मानस के जाने के बाद ही वो बाहर आई.......

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मोह, लालच और दूसरे की संपत्ति को अपना बनाने की चाह. हर किसी की गिद्ध जैसी नज़र एक दूसरे की संपाति पर थी, और होंठो पर दिखावटी मुस्कान. शुक्र है लालच की, जो सब को एक दूसरे के करीब खींच लाई थी.

आज कल फंक्षन्स भी होते तो सारे पार्ट्नर्स एक साथ हँसी मज़ाक करते हुए नज़र आते. सब अपनी चाल कामयाब होता देख बहुत खुश थे, और अपने साथी पार्ट्नर्स को देख कर बस यही सोचते ..... "चूतिए, बस थोड़े दिन और रुक जा"

एस.एस ग्रूप की कमान मनु के हाथ मे, और वो बड़ी तेज़ी से फल-फूल रहा था.... आश्चर्य तो तब सब को लगा जब हर्षवर्धन की शिप्पिंग यूनिट के शेर्स मार्केट मे अनमने दम पर बिक रहे थे.... ऐसा कोई दिन नही था जिस दिन शेर के रेट मे 10% इज़ाफ़ा नही हुआ हो.... वहीं पूरे ग्रूप के शेयर के रेट भी काफ़ी अच्छे थे मृाकेट मे, लेकिन थोड़ा स्थिर थे.

6 मंत बाद मानस के शिप्पिंग क्रोपरेशन की पहली पेमेंट भी गूव्ट. से निकल चुकी थी. और इस पेमेंट का जब 50% वंश और रौनक को मिला तो उन्हे अपनी योजना पर काफ़ी गर्व हुआ. अब तो दोनो को जीत सामने से नज़र आ रही थी....

पहले तो रौनक और वंश ने अपना लिमिटेड पैसा एस.एस ग्रूप मे लगाया था... पर शिप्पिंग के प्रॉफिट का पैसा भी वहाँ लगाने से धीरे-धीरे उनके शेर की पर्सेंटेज बढ़ रही थी और मूलचंदानी के शेर्स घट रहे थे.....

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8 मंत बाद नताली ले घर मे मीटिंग.....

मनु, मानस और नताली ... तीनो वहाँ बैठे थे.... मनु ने सब को उसके काम के लिए सब से पहले सराहा.... फिर कहने लगा..... "वक़्त अब नज़दीक आ गया है.... 2 हफ्ते बाद काया का बर्तडे है.... और उसी दिन का तय समय है"...

नताली..... पार्थ से मेरी बात हो गयी है, उस ने कहा है वो सारा काम देख लेगा.....

मानस..... हां सही समय अब आ गया है..... वंश और रौनक ने भी अपने पूरे पैसे शेर मे लगा दिए हैं......

तीनो की मीटिंग चल ही रही थी कि सामने से जिया अंदर घुसी. वहाँ के महॉल को देख कर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ... क्योंकि दो दुश्मन भाई आमने-सामने बैठे थे.....

मनु, जिया को देख चुका था पर उस की ओर बिना कोई ध्यान दिए..... "नताली हमारी पुरानी दोस्ती की वजह से मैं आ गया... अगली बार यदि ऐसा कुछ किया तो मैं भूल जाउन्गा की कोई नताली भी मेरे लाइफ मे थी.... बाइ-बाइ"....

इधर मानस भी सिचुयेशन मे डूबते...... "धोकेबाजों को मेरे सामने ना बिठाया करो नताली, वरना मैं भूल जाउन्गा कि तुम मेरी पार्ट्नर हो"....

दोनो भाई गुस्से मे अपनी-अपनी बात कह कर वहाँ से चले गये.... उन दोनो ने जाते वक़्त भी जिया की ओर ध्यान नही दिया और वहाँ से चलते बने.....

जिया, आश्चर्य से..... "ये सब क्या था नताली"....

नताली...... दोनो भाई मे सुलह करवा रही थी मैं.....

जिया...... सुलह, और वो क्यों भला.... इतनी जल्दी भूल गयी कि इस मनु ने तुम्हारे पापा के साथ क्या किया था....

नताली...... हां याद है... लेकिन एक बात तुम क्यों भूल रही हो.... मेरा टारगेट पैसे कमाना नही बल्कि मनु को घुटने के बल गिराना है... और बस यही कारण है कि मैं दोनो भाइयों को मिला रही थी.... खैर छोड़ ये सब ... तू बता इतने दिनो बाद मेरी याद कैसे आई....

जिया..... मैं बस थॅंक्स कहने आई थी.... मेरे पापा बहुत खुश हैं, और उनकी खुशी की वजह तुम हो. इन मूलचंदानियो ने बहुत बेज़्जत किया था पापा को.... खास कर उस हर्षवर्धन ने.... मेरे पापा ने अपने परिवार की ख़ुसीयों को अलग रख कर उस के हर सही ग़लत मे साथ दिया. लेकिन जब वक़्त आया तो वो भी पलट कर अपने परिवार के साथ हो गया....

 
नताली...... इसी बात को ध्यान मे रख कर तो मैने उन्हे हर्षवर्धन की यूनिट के शेर खरीदने दिया... मुझे लगता है उनके पास मार्केट के सारे शेर आ गये होंगे... यानी की 60% शेर शिप्पिंग यूनिट के...

जिया..... तो देर किस बात की है... क़ानूनन अब हम अधिकार जताने और हर्षवर्धन को उस की औकात दिखाते हैं....

नताली...... स्वार्थी कहीं की बस अपना ही सोचो.... माना कि 60% शेर्स आ गये शिप्पिंग यूनिट के पर मनु की यूनिट के 20% ही है ना हमारे पास.... भूल गयी उन दोनो भाई का 25% शेर और मेरे पापा का 15%. टोटल एस.एस ग्रूप का 40% तो मनु के पास है... और उनके शेर खरीदने के लिए हमारे पास पैसे भी नही...

जिया... ओह्ह्ह हां... माफ़ कर देना मुझे... मैने सिर्फ़ अपना ही सोचा.....

नताली.... कोई बात नही है.... और बता... चलें कुछ मस्ती कर के आया जाए.....

जिया..... ना रे आज कोई मस्ती नही.... अब तो ग्रांड पार्टी करेंगे अपनी जीत के बाद. अभी मैं चलती हूँ.....

जिया जाती हुई... खुद मे..... "तो बात इतनी गहरी है.... हम समझ रहे थे हम जीत रहे हैं... पर हमारी जीत का झासा दे कर हमे ही फसाया जा रहा है"..... तुरंत उस ने श्रमण को कॉल लगाई और मिलने के लिए कही.....
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इधर नताली ने भी पार्थ को कॉल ल्गा दिया......

पार्थ..... हां जी मेम साब कहिए...

नताली..... जिया आई थी, जब हम मीटिंग कर रहे थे.... मुझे लगता है उसे शक हो गया है.....

पार्थ.... वॉवववव ! ये तो खुशख़बरी है.....

नताली..... हर वक़्त मज़ाक.... पार्थ... कहीं वो अपने बाप को ना सब कुछ बता दे.....

पार्थ...... अब यदि उसने अपने बाप को बता भी दिया तो हम-तुम क्या कर सकते हैं.... इंतज़ार करो और देखो क्या होता है..... वैसे यदि इस प्लान पर पानी फिरा तो तुम्हारा कोई नुकसान नही ... अपने पापा के पैसे तो रिकवर कर ही चुकी.... हां बस टोटल कंट्रोल का सपना चला जाएगा.... कोई ना .. जिस बात पर हमारा कोई ज़ोर नही उसे ना सोचो. जो होगा देखा जाएगा.....
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साम का वक़्त .... होटेल का एक कमरा....

जिया होटेल मे श्रमण के आने का इंतज़ार कर रही थी. श्रमण भी बड़ी बेसब्री से उस से मिलने के लिए निकला..... होटेल मे आ कर श्रमण ने कॉल लगाया और जिया से मिलने उस के कमरा नंबर मे पहुँच गया...

कमरा खुला था पर वहाँ जिया नही थी .....

श्रमण "जिया-जिया" करता आवाज़ लगाने लगा.... तभी बातरूम से पानी गिरने की आवाज़ आई.... श्रमण को समझ मे आ गया कि जिया अभी नहा रही है....

श्रमण जा कर बेड पर बैठा ही था कि सामने पूरा बाथरूम नज़र आ रहा था.... सीसे का बाथरूम था जिस के अंदर से पर्दे लगे हुए थे. जिया उन पर्दों को पहले से ही साइड कर के नहा रही थी.... "उफफफफफफ्फ़... क्या नज़ारा था"

पानी मे भींगा जिया का पूरा नंगा बदन .... बाल से टपकता पानी जो उसके सुडोल वक्षों पर गिरते, टॅप-टॅप नीचे जा रहा था.... श्रमण ये नज़ारा देख कर पागल सा हो गया... वो बस आखें फाडे जिया को ही देख रहा था....

जिया भी श्रमण को देखी और हल्की मुस्कान के साथ वो भी नहाने लगी..... वो नहा रही थी और श्रमण उसे आखें फाडे बस देख रहा था.... थोड़ी देर मे ही जिया टवल लपेट कर बाहर निकली. टवल को जिया के बदन पर देख कर जैसे जलन सी हुई हो शर्मां को....

उठ कर वो आगे बढ़ा और जिया को कस के अपने गले से लगा कर, सीने से बँधी टवल को खोल कर निकाल दिया. झट से टवल जिया के पाँव मे था....

जिया..... ओह्ह्ह्ह ! तो मुझे ऐसे देखने का मन है साहब का... बिना कपड़ों के ..

श्रमण..... क्या दिखा दिया तुम ने जिया अब तो कपड़ों मे देखने का मन ही नही करता .....

जिया..... सिर्फ़ देखना ही है तो लड़कियों की न्यूड पिक्चर ही देख लेते श्रमण.... पर यहाँ बुलाई हूँ तो कुछ तो समझो.....

श्रमण... अपने कपड़े उतारते.... "हां मैं कोई बच्चा नही.... आज तो अपनी पूरी समझदारी तुम्हारे सामने रख दूँगा"..... कहते हुए श्रमण ने अपना उदरवेर नीचे किया और अपने लिंग को उपर नीचे करता जिया को दिखाने लगा......

"ओह्ह्ह्ह हूऊ.... देख रही हूँ श्रमण मैं तुम्हारी पूरी समझदारी..... काफ़ी आकर्षक है तुम्हारी समझदारी.... पर एक बात कहूँ.... नही छोड़ो जाने दो इस वक़्त पूछना सही नही".....

श्रमण, जिया के स्तनों को अपने हाथ से सहलाते, होंठ से होंठ लगा कर चूमते हुए पूछने लगा..... "क्या हुआ जिया, पूछो ना... तुम किसी भी वक़्त मुझ से कुछ भी पूछ सकती हो.... मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगा"....

और कहते हुए श्रमण ने अपना सिर नीचे किया और दोनो स्तनों के बीच अपना चेहरा डाल कर... उसे रगड़ने लगा और हाथ स्तनों पर धीरे-धीरे फेरने लगा.....

"उम्म्म्ममम.... मस्ती सी चढ़ रही है.... आअहह ... मुँह मे लो ना मेरे बूब्स श्रमण"... श्रमण, जिया की बातों से उत्तेजित होता एक स्तन को अपने मुँह मे भर कर दूसरे को ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा.

"आहह.... उम्म्म्ममम.... श्रमणन्न्न... आअहह..... ये बताऊओ मनु और माआ.. माअनस का क्याअ चक्कर है"

 
श्रमण अपना मुँह बाहर निकालते...... "मैं पूरी बात तुम्हे बताता हूँ जिया.... पहले इसलिए नही बताया क्योंकि मुझे पूरी बात नही पता थी"..... श्रमण अपनी बात ख़तम कर के एक बार फिर से स्तनों मे मुँह डाल दिया......

जिया सिसकती हुई एक बार फिर पूछने लगी..... "उफफफफफ्फ़ तो बताओ पूरी बात"....

श्रमण को स्तन से मुँह हटाने का मन नही हो रहा था पर जिया की बात का जबाव देने के लिए उसने अपना मुँह हटाया और दोनो स्तन के निपल को ज़ोर से मसल्ते हुए कहने लगा..... "तुम्हारे ज़िस्म ने पागल बना रखा है जिया.... पहले सेक्स की आग बुझाने दो फिर मैं पूरी बात बताता हूँ"....

जिया भी समझ गयी श्रमण से इस वक़्त कोई बात जान'ना ठीक नही इसलिए वो भी पूरे सेक्स का लुफ्त उठाती .... मज़े लेने लगी.... मेरातन सेशन चला दोनो का ... लगभग 4 घंटे तक दोनो टूट कर मज़े लिए....

ज़िस्म की भूख जब शांत हुई तो जिया ने श्रमण के बाल पर हाथ फेरते वापस से अपनी बात जान'नी चाही...... और जब श्रमण ने बोलना शुरू किया तब जिया का शक़ सही हो गया....

"जिया... मनु ने सारे पार्ट्नर्स को फसा रखा है. दोनो भाई कभी अलग ही नही हुए थे बस अपने मकसद को अंज़ाम देने और बाकी पार्ट्नर्स से उस का हिस्सा छीन'ने के लिए उन दोनो ने ये पूरा खेल रचा. मुझे कल ही इन सभी बातों का पता चला जब मनु, मानस से बात कर रहा था"

"इसके अलावा एक और बात... वो तुम सब को बर्बाद करने के लिए दो हफ्ते मे ही कोई कदम उठाने वाला है"....

जिया.... क्या करने वाले हैं वो.....

श्रमण.... मुझे नही पता... फोन पर इतना ही सुना कि ... आज सब कोई नताली के घर पर मीटिंग करेंगे और अपने फाइनल काम को अंजाम देंगे....

जिया..... पर आख़िर वो ऐसा कर क्या सकते हैं......

श्रमण..... मुझे क्या पता जिया.... हां पर तुम्हारी मदद नताली ज़रूर कर सकती है....

जिया.... नताली मेरी मदद करेगी ... और वो क्यों....

सहरमण.... वो इसलिए क्योंकि तुम्हे लगभग पूरी बात पता है... तुम यदि उसे बस इतना बता दो कि तुम्हे उनका पूरा प्लान पता है और तुम सारे पार्ट्नर्स को ये बात बताने वाली हो...

जिया.... हां तो, इस से क्या होगा...

श्रमण.... इस से ये होगा कि उसे अपना प्लान चौपट होते नज़र आएगा और फाइनल टाइम मे कोई प्लान चौपट हो ऐसा कोई नही चाहेगा..... फिर क्या समझौते का एक रास्ता खुलेगा.... बाकी आगे तुम्हारी बुद्धि की तुम कैसा समझौता करती हो......
 


"मैं तो इसे गधा समझती थी, पर ये तो हुकुम का इक्का निकला..... क्या खूब आइडिया दिया है इसने.... अब देखो मनु मैं तुम्हारे ही प्लान से अपना फ़ायदा कैसे निकलवाती हूँ"....

जिया, श्रमण को वापस भेज कर वहीं से नताली को कॉल लगाई और अर्जेंट्ली मिलने के लिए बुलाया.... दोनो फिर होटेल के उसी कमरे मे मिले....

जिया..... अच्छा गेम था नताली, पर शायद तुम ने मुझे अंडरस्टिमेट किया....

नताली.... तुम किस बारे मे बात कर रही हो जिया....

जिया.... ज़्यादा नाटक करने की ज़रूरत नही है.... मुझे तुम्हारा, मनु और मानस का पूरा खेल पता चल गया है. डॉन'ट वरी डार्लिंग, कल पूरी की पूरी बात मैं सारे पार्ट्नर्स और असोसीयेट को बता दूँगी....

नताली..... बेस्ट ऑफ लक... गो अहेड...

जिया.... देखना कल तक तुम सब की असलियत बाहर आ जाएगी....

नताली.... ह्म ! कल क्यों जिया आज ही क्यों नही ... कम ऑन आगे बढ़ो और सब को सच-सच बता दो....

जिया...... तुम्हे क्या लगता है तुम्हारा प्लान कामयाब हो जाएगा....

नताली..... और तुम्हे क्या लगता है, क्या तुम्हारे रोकने से हमारा प्लान फ्लॉप हो जाएगा.....

जिया..... क्या मतलब तुम्हारा....

नताली..... मैं यहाँ कोई मतलब समझाने नही आई.... प्राब्लम तुम्हारी है तुम जानो. मुझे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता कि तुम सब को जा कर क्या कहोगी.... क्योंकि जो पैसे और रुतबे की चमक वो आज देख रहे हैं... उसके आगे तुम्हारे बात की कोई अहमियत नही.... जो जी मे आए करो, पर एक बात याद रखना कि तुम मुझे ब्लॅकमेल नही कर सकती....

जिया..... मैं यदि तुम्हारा प्लान लीक कर दूं, तो भी तुम्हे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ेगा...

नताली.... उन्न हुन्न्ं ... बिल्कुल नही जी... चाहो तो ट्राइ कर लो ...

जिया.... आर यू शुवर की तुम्हे कोई नुकसान नही होगा...

नताली..... बाय्फ्रेंड-बाय्फ्रेंड खेलने वाली लड़की इस हाइ लेवेल की बात को नही समझ सकती.... खैर अपने छोटे से भेजे मे ये बात घुसा लो कि प्लान मेरा नही मनु का है... प्लान फ्लॉप होगा तो मुझे शिप्पिंग कंपनी का 50% पार्ट्नरशिप मिलेगा.... 50% पार्ट्नरशिप मतलब... मेरे डॅड से छीनी गयी संपत्ति का 2 गुना....

जिया..... ह्म ! तो इस प्लान को जान'ने के बाद मुझे कुछ फ़ायदा मिल सकता है या नही....
 
नताली...... फ़ायदा तो इतना मिलेगा कि तुम्हारी सोच से परे हैं... पर सोच रही हूँ तुम पर भरोसा करूँ या ना करूँ....

जिया..... व्हाट ????

नताली...... जो तुम अभी जानती हो, उसे तुम किसी को भी बता दो तो कोई फ़र्क नही पड़ता.... लेकिन जिस प्लान का हिस्सा मैं तुम्हे बनाने की सोच रही हूँ... यदि वो प्लान लीक हुआ तो मनु हम सब की बॅंड बजा देगा.....

जिया..... मतलब... तुम्हारे प्लान के हिसाब से तुम मनु को भी आउट कर रही हो...

नताली..... हां कह सकती हो.... तो यदि तुम मेरा साथ दो तो मैं एक काम तुम्हारे लिए कर सकती हूँ... तुम्हारा हिस्सा मैं तुम्हे प्रॉफिट के साथ रिटर्न कर दूँगी....

जिया.... एक बात वैसे मेरे दिमाग़ मे खटक रही है..... मेरे डॅड को उनका हिस्सा तुम्हारी शिप्पिंग कंपनी से मिल रहा है.... एस.एस ग्रूप से निकले पैसे से शेर भी खरीदे जा रहे हैं.... फिर ये कैसे हो सकता है कि मनु हमे बर्बाद कर दे... वैसे भी सारा कुछ तो लीगल हे है......

नताली.... ये मनु का बिच्छाया जाल है... जो किसी को भी समझ मे नही आ सकता....

जिया..... इसका मतलब कि.... "कैसे वो सारे पार्ट्नर्स को डुबाएगा"... वो तुम्हे भी नही पता....

नताली.... एग्ज़ॅक्ट्ली डार्लिंग, मुझे उस का प्लान नही पता... वो अपने पत्ते कभी नही खोलता.... हां पर जैसे वो सारे पार्ट्नर्स से उनकी पवर और पोज़िशन छीन लेगा, ठीक वैसे ही मैं उस से सारी चीज़ें छीन लूँगी....

जिया.... मतलब मैं ये मान के चलूं कि बाकी सारे पार्ट्नर्स चूतिए हैं और पूरा मास्टरमाइंड गेम तुम चला रही हो....

नताली...... बिल्कुल सही पकड़ी हो.... अब बताओ तुम मेरा साथ दोगि या नही....

जिया..... साथ तो हमेशा से देने के लिए तैयार हूँ, पर यहाँ बात विस्वास की है. तुम ने मुझे अब तक उतना ही बताया जितना मैं जानती हूँ.... जब तुम्हे अपनी बात बताने मे विस्वास नही तो मैं तुम्हारा विस्वास कैसे कर लूँ.

नताली..... इसका रीज़न सिंपल है जिया, प्लान मेरा नही मनु का था सब को बर्बाद करने का. मैं तो बस मनु से उसका सब कुछ ठीक वैसे ही छीन लूँगी जैसे वो सब से छीन रहा है.. उसके अलावा तुम्हे भूलना नही चाहिए कि मैने ही तुम्हारे पापा को बिना कोई इनवेस्टमेंट के शिप्पिंग कंपनी के 50% का पार्ट्नर बनाया

जिया..... ह्म ! तुम्हारी बातें सही है... पर जैसा कि तुम्हारा कहना था तुम ने मेरे पापा को पार्ट्नर बनाया.... तो वो तो लीगली पार्ट्नर हुए थे ना... ऑन पेपर...

नताली..... ओह्ह्ह समझ गयी.... ठीक है परसो तक तुम्हारे पेपर रेडी रहेंगे... आ कर सिग्नेचर कर देना...

जिया.... कैसे पेपर.....

नताली..... मैं अपनी शिप्पिंग कंपनी की पूरी हिस्सेदारी तुम्हारे नाम कर रही हूँ.... और हाँ तुम्हे तो पता ही है ना कि ये शिप्पिंग कंपनी की वॅल्यू कितनी है....

 
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