hotaks444
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आपने पढ़ा कि कैसे राजन ने होली की मस्ती और नशे में अपनी बहन नेहा को अपनी पत्नी सोनिया के सामने ही चोद दिया था. उसके बाद तीनों एक साथ नंगे नहाए और वहाँ बाथरूम में भी राजन ने नेहा बहन को एक बार और चोदा जिसमे सोनिया ने भी पूरा साथ दिया।
अब आगे…
बाथरूम ने नहाते नहाते जब मैं नेहा को चोद रहा था, तब तक नहाने की वजह से हम सब का नशा उतर चुका था लेकिन फिर भी मेरी बीवी और नेहा को कोई आपत्ति नहीं थी और हम तीनों पूरे होश में चुदाई का लुत्फ़ उठा रहे थे।
पहले मुझे लगा कि सोना (सोनिया) नशे में है इसलिए कुछ नहीं कह रही है लेकिन फिर जब नेहा को चोदने के बाद मैं उसे चोद रहा था तो वो नेहा के साथ मस्ती कर रही थी, उसको दोबारा चुदाई के लिए तैयार कर रही थी।
आखिर में जब वो झड़ने की कगार पर पहुंची तो नेहा को मुझे किस करने को कहा और मुझे उसकी चूचियां मसलने को। मैं अपनी बहन के मुख में जीभ डाल कर उसे किस कर रहा था और साथ में बाएँ हाथ से उसे अपनी बाहों में भर के उसकी बाईं चूची मसल रहा था जबकि दाईं चूची मेरी छाती से चिपकी हुई थी। दूसरे हाथ से मैं सोना की कमर पकड़ के उसे चोद रहा था।
हम भाई बहन की ये वासना भरी स्थिति देखते हुए सोना जोर से झड़ने लगी।
बाथरूम से बाहर आकर भी किसी ने कपड़े नहीं पहने, सबने नंगे ही खाना खाया और फिर तीनों बेडरूम में ऐसे ही एक साथ लेट गए। मेरे एक तरफ नेहा और दूसरी तरफ सोना, दोनों मेरी तरफ करवट ले कर और मुझसे चिपक कर लेटी थीं।
मैंने कहा- आज जो भी हुआ वो कभी सोचा नहीं था. ना कि कभी ऐसा भी हो सकता है।
दोनों ने एक साथ कहा- हम्म्म…
“मज़ा तो बहुत आया लेकिन सोना, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा? और नेहा तुम्हें?” मैंने दोनों से एक साथ सवाल कर दिया।
पहले नेहा बोली- शुरू में अजीब लगा था लेकिन नशे में कुछ ज्यादा समझ नहीं आया और फिर बाद में मजा आने लगा।
सोना ने भी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- शुरू में नशे और मस्ती में ये समझ ही नहीं आया कि तुम मेरे सामने अपनी बहन चोद रहे हो. लेकिन जैसे जैसे होश आता गया, मुझे बुरा लगने की बजाए और अच्छा लगने लगा। तुम अपनी सगी बहन चोद रहे हो, यह सोच सोच कर तो मैं इतनी गीली हो गई थी कि आज तक कभी नहीं हुई।
“हाँ, वो तो मैं समझ सकता हूँ, मैंने भी तुमको कभी इतनी जोर से झाड़ते नहीं देखा। लेकिन ये सब शुरू शराब के नशे से हुआ और बाद में चुदाई के मज़े में मैंने भी ध्यान नहीं दिया कि मैं बहनचोद बन गया हूँ। इसलिए अब जब सोचता हूँ तो लगता है कि कहीं हमने कुछ गलत तो नहीं कर लिया?”
नेहा- नहीं भैया, आप ऐसा ना सोचो, मैं तो बचपन से ही आपको बहुत चाहती थी और जब जवानी आई तो आप ही वो पहले मर्द थे जिसको मैं अपनी कल्पना में चोदा करती थी। मेरे ख्याल से कोई भी लड़की कभी ना कभी अपने भाई की ओर आकर्षित ज़रूर होती है.
सोनिया- हम्म्म, वो तो है.
नेहा- क्योंकि सबसे पहले आप ही थे जिसको मैं इतना पास से देख पाती थी। और याद है वो एक बार जब आप बाथरूम से नहा के आ रहे थे और मैं जा रही थी तब आपका टॉवेल खुल गया था। वो पहली बार था जब मैंने कोई जवान लंड देखा था। उस दिन पहली बार मैंने बाथरूम में अपनी चूत में उंगली डाल के अपनी मुनिया को शांत किया था। वो तो ये समाज के नियम कानूनों की वजह से आगे कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई और इसी वजह से आज जब आज आपने अपना लंड मेरी चूत में डाला तो मैंने शुरू में थोड़ा मना भी किया लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि मैं ऐसा नहीं चाहती थी।
राजन- चलो अच्छा हुआ तुमने ये सब बता दिया अब मैं बिना किसी अपराधबोध (गिल्टी फीलिंग) के तुम्हारे साथ मज़े कर पाऊंगा। और सोना, तुम बहुत हाँ में हाँ मिला रहीं थीं। तुम्हारी भी कोई ऐसी तमन्ना थी क्या अपने भाई के साथ?
सोनिया- हाँ, लेकिन यहाँ तो आग दोनों तरफ बराबर लगी थी।
नेहा- क्या बात है भाभी, फिर क्या आप पहले ही चुदवा चुकी हो अपने भाई से?
सोनिया- अरे न…हीं!
नेहा- अब समझ आया आपको हमारी चुदाई देख कर बुरा क्यों नहीं लगा। क्या बात है भैया, भाभी तो पहले से ही भाईचोद हैं.
ऐसा कहते कहते नेहा बहुत उत्तेजित हो गई और मुझसे और जोर से चिपकते हुए उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर 2-3 झटके मुठ भी मार दी।
सोनिया- अरे यार बात तो सुन लो। ऐसा कुछ नहीं हुआ था हमारे बीच।
नेहा- दोनों तरफ आग बराबर लगी हो फिर भी हवनकुंड में घी ना गिरे, ऐसा कैसे हो सकता है?
सोनिया- बताती हूँ बाबा पूरी कहानी बताती हूँ:
अब आगे…
बाथरूम ने नहाते नहाते जब मैं नेहा को चोद रहा था, तब तक नहाने की वजह से हम सब का नशा उतर चुका था लेकिन फिर भी मेरी बीवी और नेहा को कोई आपत्ति नहीं थी और हम तीनों पूरे होश में चुदाई का लुत्फ़ उठा रहे थे।
पहले मुझे लगा कि सोना (सोनिया) नशे में है इसलिए कुछ नहीं कह रही है लेकिन फिर जब नेहा को चोदने के बाद मैं उसे चोद रहा था तो वो नेहा के साथ मस्ती कर रही थी, उसको दोबारा चुदाई के लिए तैयार कर रही थी।
आखिर में जब वो झड़ने की कगार पर पहुंची तो नेहा को मुझे किस करने को कहा और मुझे उसकी चूचियां मसलने को। मैं अपनी बहन के मुख में जीभ डाल कर उसे किस कर रहा था और साथ में बाएँ हाथ से उसे अपनी बाहों में भर के उसकी बाईं चूची मसल रहा था जबकि दाईं चूची मेरी छाती से चिपकी हुई थी। दूसरे हाथ से मैं सोना की कमर पकड़ के उसे चोद रहा था।
हम भाई बहन की ये वासना भरी स्थिति देखते हुए सोना जोर से झड़ने लगी।
बाथरूम से बाहर आकर भी किसी ने कपड़े नहीं पहने, सबने नंगे ही खाना खाया और फिर तीनों बेडरूम में ऐसे ही एक साथ लेट गए। मेरे एक तरफ नेहा और दूसरी तरफ सोना, दोनों मेरी तरफ करवट ले कर और मुझसे चिपक कर लेटी थीं।
मैंने कहा- आज जो भी हुआ वो कभी सोचा नहीं था. ना कि कभी ऐसा भी हो सकता है।
दोनों ने एक साथ कहा- हम्म्म…
“मज़ा तो बहुत आया लेकिन सोना, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा? और नेहा तुम्हें?” मैंने दोनों से एक साथ सवाल कर दिया।
पहले नेहा बोली- शुरू में अजीब लगा था लेकिन नशे में कुछ ज्यादा समझ नहीं आया और फिर बाद में मजा आने लगा।
सोना ने भी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- शुरू में नशे और मस्ती में ये समझ ही नहीं आया कि तुम मेरे सामने अपनी बहन चोद रहे हो. लेकिन जैसे जैसे होश आता गया, मुझे बुरा लगने की बजाए और अच्छा लगने लगा। तुम अपनी सगी बहन चोद रहे हो, यह सोच सोच कर तो मैं इतनी गीली हो गई थी कि आज तक कभी नहीं हुई।
“हाँ, वो तो मैं समझ सकता हूँ, मैंने भी तुमको कभी इतनी जोर से झाड़ते नहीं देखा। लेकिन ये सब शुरू शराब के नशे से हुआ और बाद में चुदाई के मज़े में मैंने भी ध्यान नहीं दिया कि मैं बहनचोद बन गया हूँ। इसलिए अब जब सोचता हूँ तो लगता है कि कहीं हमने कुछ गलत तो नहीं कर लिया?”
नेहा- नहीं भैया, आप ऐसा ना सोचो, मैं तो बचपन से ही आपको बहुत चाहती थी और जब जवानी आई तो आप ही वो पहले मर्द थे जिसको मैं अपनी कल्पना में चोदा करती थी। मेरे ख्याल से कोई भी लड़की कभी ना कभी अपने भाई की ओर आकर्षित ज़रूर होती है.
सोनिया- हम्म्म, वो तो है.
नेहा- क्योंकि सबसे पहले आप ही थे जिसको मैं इतना पास से देख पाती थी। और याद है वो एक बार जब आप बाथरूम से नहा के आ रहे थे और मैं जा रही थी तब आपका टॉवेल खुल गया था। वो पहली बार था जब मैंने कोई जवान लंड देखा था। उस दिन पहली बार मैंने बाथरूम में अपनी चूत में उंगली डाल के अपनी मुनिया को शांत किया था। वो तो ये समाज के नियम कानूनों की वजह से आगे कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई और इसी वजह से आज जब आज आपने अपना लंड मेरी चूत में डाला तो मैंने शुरू में थोड़ा मना भी किया लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि मैं ऐसा नहीं चाहती थी।
राजन- चलो अच्छा हुआ तुमने ये सब बता दिया अब मैं बिना किसी अपराधबोध (गिल्टी फीलिंग) के तुम्हारे साथ मज़े कर पाऊंगा। और सोना, तुम बहुत हाँ में हाँ मिला रहीं थीं। तुम्हारी भी कोई ऐसी तमन्ना थी क्या अपने भाई के साथ?
सोनिया- हाँ, लेकिन यहाँ तो आग दोनों तरफ बराबर लगी थी।
नेहा- क्या बात है भाभी, फिर क्या आप पहले ही चुदवा चुकी हो अपने भाई से?
सोनिया- अरे न…हीं!
नेहा- अब समझ आया आपको हमारी चुदाई देख कर बुरा क्यों नहीं लगा। क्या बात है भैया, भाभी तो पहले से ही भाईचोद हैं.
ऐसा कहते कहते नेहा बहुत उत्तेजित हो गई और मुझसे और जोर से चिपकते हुए उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर 2-3 झटके मुठ भी मार दी।
सोनिया- अरे यार बात तो सुन लो। ऐसा कुछ नहीं हुआ था हमारे बीच।
नेहा- दोनों तरफ आग बराबर लगी हो फिर भी हवनकुंड में घी ना गिरे, ऐसा कैसे हो सकता है?
सोनिया- बताती हूँ बाबा पूरी कहानी बताती हूँ: