desiaks
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ये सब देखकर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। कान्ता जिन शब्दों का उपयोग कर रही थी, उस । तरह के शब्दों को मैंने आज तक किसी भी औरत के मुँह से नहीं सुना था। मुझे ये सब सुनकर सिर्फ हैरानी ही नहीं हो रही थी, बल्की शर्म भी आ रही थी।
कान्ता- “अरे मेरे राजा वो कहां मेरा मर्द है? तू ही मेरा मर्द है, जोर से चोद मुझ जैसी छिनाल को, चोद जोरों से चोद...” कान्ता जोरों से बोलने लगी। उसकी आवाज से ऐसा लग रहा था की उसकी मंजिल शायद बहुत करीब है।
रामू- “लो मेमसाहेब लो मेरा लण्ड अपनी चूत में लो...” रामू की आवाज से भी लग रहा था की वो भी बहुत जल्द झड़ने वाला है।
पर मुझे ये समझ में नहीं आया की वो कान्ता को क्यों मेमसाहेब कह रहा है? तभी कान्ता की सिसकारी से रूम पूँज उठा, मुझे लगा शायद वो झड़ गई है।
रामू- “लो मेमसाहेब लो आपकी चूत में मेरा पानी लो..” कहते हुये रामू भी ढेर हो गया।
मालूम नहीं क्यों उस वक़्त मेरा हाथ मेरी नाभि पर चल गया। मेरे पैर की उंगलियां दुखने लगी थी इस तरह खड़े रहकर। मैं सीधी खड़ी हो गई।
तभी रामू की आवाज आई- “तू गुस्सा बहुत दिलाती हो मुझे..”
कान्ता- “तभी तो ज्यादा मजा आता है, ये मेमसाहेब कौन है तेरी?” कान्ता ने पूछा।
रामू- “हे छोड़ ना... फिर कभी बताऊँगा...”
कान्ता- “अरे मेरे राजा वो कहां मेरा मर्द है? तू ही मेरा मर्द है, जोर से चोद मुझ जैसी छिनाल को, चोद जोरों से चोद...” कान्ता जोरों से बोलने लगी। उसकी आवाज से ऐसा लग रहा था की उसकी मंजिल शायद बहुत करीब है।
रामू- “लो मेमसाहेब लो मेरा लण्ड अपनी चूत में लो...” रामू की आवाज से भी लग रहा था की वो भी बहुत जल्द झड़ने वाला है।
पर मुझे ये समझ में नहीं आया की वो कान्ता को क्यों मेमसाहेब कह रहा है? तभी कान्ता की सिसकारी से रूम पूँज उठा, मुझे लगा शायद वो झड़ गई है।
रामू- “लो मेमसाहेब लो आपकी चूत में मेरा पानी लो..” कहते हुये रामू भी ढेर हो गया।
मालूम नहीं क्यों उस वक़्त मेरा हाथ मेरी नाभि पर चल गया। मेरे पैर की उंगलियां दुखने लगी थी इस तरह खड़े रहकर। मैं सीधी खड़ी हो गई।
तभी रामू की आवाज आई- “तू गुस्सा बहुत दिलाती हो मुझे..”
कान्ता- “तभी तो ज्यादा मजा आता है, ये मेमसाहेब कौन है तेरी?” कान्ता ने पूछा।
रामू- “हे छोड़ ना... फिर कभी बताऊँगा...”