desiaks
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मैंने भी अंकल को बाहों में भींच लिया। अंकल मेरे उरोजों को दबाते हुये मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगे, तो मैंने उन्हें रोका- “अंकल, नीरव कभी भी आ सकता है...”
अंकल ने बटन खोलना छोड़कर मेरी साड़ी को कमर तक ऊपर कर दी और मेरी पैंटी को निकालकर साइड में रख दी और मेरी चूत को उनकी हथेली से मसलने लगे।
मैंने सिसकते हुये पूछा- “नाटक करने की क्या जरूरत थी अंकल, सीधा कहते तो मैं दोपहर को आ जाती ना... अभी तो नीरव का टेन्शन रहेगा...”
अंकल ने उनके पैंट की जिप खोली और उनका लण्ड निकाला और मेरे ऊपर आकर मेरी चूत पर लण्ड को रगड़ते हुये बोले- “थोड़ा थ्रिल के लिए, और साथ में तेरे पति को बेवफूक बनाने का मजा लेने के लिए...”
अंकल का लण्ड मैंने नीचे हाथ डालकर पकड़ा और मेरी चूत के द्वार पर लगाया। अंकल ने अपने चूतड़ों को। थोड़ा उठाकर धक्का दिया और उनका लण्ड मेरी चूत में दाखिल हो गया। वो थोड़ी देर ऐसे ही रुक गये और फिर उन्होंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। मैंने अंकल को मेरी बाहों के घेरे में ले लिया था, और हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपके हुये थे। अंकल एक हाथ से मेरे उरोजों को कपड़ों के ऊपर से सहलाते हुये धक्के पर धक्के लगा रहे थे।
तभी दरवाजे को खटखटाने की आवाज आई और मैं इर गई की कौन आया होगा, नीरव या वो आदमी जो अपनी बहन को मिलने गया था या फिर कोई और? अंकल भी फटाफट मेरे ऊपर से खड़े होकर अपने कपड़े ठीक करने लगे।
मैं भी खड़ी होकर उनका अनुकरण करने लगी। मैंने कपड़ों को ठीक करके बालों में से हेयर पिन निकालकर बालों को उंगलियों से सवांरा और फिर से पिन को बालों में डाल दिया और अंकल को इशारे से धीरे ना मैं?”
अंकल भी पलंग पर बैठ गये थे और मेरी तरफ देखकर उन्होंने अपनी मुंडी हिलाकर 'हाँ' का इशारा किया। तब तक दरवाजे पर दूसरी बार खटखटाने की आवाज आई। मैं दरवाजे पर जाकर लाक खोल ही रही थी की तभी मेरी नजर मेरी पैंटी पर पड़ी। मैंने अंकल को उसे दिखाकर हाथ के इशारे से उसे लेने को कहा।
अंकल दौड़े और जल्दी से पैंटी लेकर फिर से पलंग पर बैठ गये।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने नीरव था, उसे देखकर मेरा डर बढ़ गया की कहीं वो पूछ ना बैठे की इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में?
पर नीरव ने अंदर आकर थोड़ा अलग बोला- “अंकल यहां पास में ही एक शाप है, उससे बिनती की तो उसने भी लेस दे दिया अब वहीं से लाना.." नीरव ने अंकल को दवाई का बिल दिया तो अंकल ने अपने पाकेट में से पैसे निकाले और नीरव को देने लगे।
81
नीरव ने पैसों को लेते हुये कहा- “बाद में दे देना अभी जरूरत हो तो रखिए..”
अंकल ने निराशा से कहा- “नहीं बेटा, पैसों की कोई प्राब्लम नहीं, पूरा इंतजाम है...”
नीरव शायद उनकी ये निराशा आंटी की बीमारी की वजह से समझ रहा होगा, पर सच तो मैं जानती थी की अंकल क्यों इतने निराश हो गये हैं। मैं अंकल के पैंट के ऊपर से दिख रहे उभरे भाग को देखकर मंद-मंद मुश्कुरा रही थी।
मेरी मुश्कान देखकर अंकल अकड़ रहे थे। तभी नीरव बाथरूम में गया तो अंकल धीरे से फुसफुसाए- इतना क्यों हँस रही हो?
मैंने शरारत से कहा- “आज अंकल का प्लान फेल हो गया इसलिए...”
अंकल ने कहा- “तुम अंकल को नहीं जानती... मैं अभी भी तुझसे मेरी मूठ मरवा सकता हूँ...”
मैंने पूछा- “नीरव के सामने...”
अंकल- “हाँ, उसके सामने...”
मैं- “हो ही नहीं सकता...”
अंकल- “तुम मुझे चैलेंज करती हो?” अंकल इतना बोले थे कि नीरव बाहर आ गया तो अंकल ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी।
नीरव आकर मेरे बाजू में बैठ गया और बोला- “वो भाई नहीं आए अब तक?”
अंकल ने कहा- “थोड़ी देर में आ जाएंगे फिर आप दोनों निकलो...” कहकर अंकल नीरव से हमारे बिजनेस के बारे में पूछने लगे और साथ में वो केयूर के बारे में भी बात करते रहे।
थोड़ी देर बाद अंकल खड़े हुये और बोले- “बिटिया तुम आई हो तो आंटी के कपड़े चेंज कर देते है...” आंटी को हास्पिटल से दिया हुवा गाउन पहनाया हुवा था।
वो देखकर मैं बोली- “अंकल इसे चेंज करने की क्या जरूरत है? और इसको तो नर्स ही चेंज कर देती होगी ना?” मैंने मन ही मन अंकल को चैलेंज दे दी थी और मुझे इसमें भी उनकी कोई साजिश नजर आ रही थी और मुझे इस नये खेल को ज्यादा रोचक बनाना था।
अंकल ने बटन खोलना छोड़कर मेरी साड़ी को कमर तक ऊपर कर दी और मेरी पैंटी को निकालकर साइड में रख दी और मेरी चूत को उनकी हथेली से मसलने लगे।
मैंने सिसकते हुये पूछा- “नाटक करने की क्या जरूरत थी अंकल, सीधा कहते तो मैं दोपहर को आ जाती ना... अभी तो नीरव का टेन्शन रहेगा...”
अंकल ने उनके पैंट की जिप खोली और उनका लण्ड निकाला और मेरे ऊपर आकर मेरी चूत पर लण्ड को रगड़ते हुये बोले- “थोड़ा थ्रिल के लिए, और साथ में तेरे पति को बेवफूक बनाने का मजा लेने के लिए...”
अंकल का लण्ड मैंने नीचे हाथ डालकर पकड़ा और मेरी चूत के द्वार पर लगाया। अंकल ने अपने चूतड़ों को। थोड़ा उठाकर धक्का दिया और उनका लण्ड मेरी चूत में दाखिल हो गया। वो थोड़ी देर ऐसे ही रुक गये और फिर उन्होंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। मैंने अंकल को मेरी बाहों के घेरे में ले लिया था, और हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपके हुये थे। अंकल एक हाथ से मेरे उरोजों को कपड़ों के ऊपर से सहलाते हुये धक्के पर धक्के लगा रहे थे।
तभी दरवाजे को खटखटाने की आवाज आई और मैं इर गई की कौन आया होगा, नीरव या वो आदमी जो अपनी बहन को मिलने गया था या फिर कोई और? अंकल भी फटाफट मेरे ऊपर से खड़े होकर अपने कपड़े ठीक करने लगे।
मैं भी खड़ी होकर उनका अनुकरण करने लगी। मैंने कपड़ों को ठीक करके बालों में से हेयर पिन निकालकर बालों को उंगलियों से सवांरा और फिर से पिन को बालों में डाल दिया और अंकल को इशारे से धीरे ना मैं?”
अंकल भी पलंग पर बैठ गये थे और मेरी तरफ देखकर उन्होंने अपनी मुंडी हिलाकर 'हाँ' का इशारा किया। तब तक दरवाजे पर दूसरी बार खटखटाने की आवाज आई। मैं दरवाजे पर जाकर लाक खोल ही रही थी की तभी मेरी नजर मेरी पैंटी पर पड़ी। मैंने अंकल को उसे दिखाकर हाथ के इशारे से उसे लेने को कहा।
अंकल दौड़े और जल्दी से पैंटी लेकर फिर से पलंग पर बैठ गये।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने नीरव था, उसे देखकर मेरा डर बढ़ गया की कहीं वो पूछ ना बैठे की इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में?
पर नीरव ने अंदर आकर थोड़ा अलग बोला- “अंकल यहां पास में ही एक शाप है, उससे बिनती की तो उसने भी लेस दे दिया अब वहीं से लाना.." नीरव ने अंकल को दवाई का बिल दिया तो अंकल ने अपने पाकेट में से पैसे निकाले और नीरव को देने लगे।
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नीरव ने पैसों को लेते हुये कहा- “बाद में दे देना अभी जरूरत हो तो रखिए..”
अंकल ने निराशा से कहा- “नहीं बेटा, पैसों की कोई प्राब्लम नहीं, पूरा इंतजाम है...”
नीरव शायद उनकी ये निराशा आंटी की बीमारी की वजह से समझ रहा होगा, पर सच तो मैं जानती थी की अंकल क्यों इतने निराश हो गये हैं। मैं अंकल के पैंट के ऊपर से दिख रहे उभरे भाग को देखकर मंद-मंद मुश्कुरा रही थी।
मेरी मुश्कान देखकर अंकल अकड़ रहे थे। तभी नीरव बाथरूम में गया तो अंकल धीरे से फुसफुसाए- इतना क्यों हँस रही हो?
मैंने शरारत से कहा- “आज अंकल का प्लान फेल हो गया इसलिए...”
अंकल ने कहा- “तुम अंकल को नहीं जानती... मैं अभी भी तुझसे मेरी मूठ मरवा सकता हूँ...”
मैंने पूछा- “नीरव के सामने...”
अंकल- “हाँ, उसके सामने...”
मैं- “हो ही नहीं सकता...”
अंकल- “तुम मुझे चैलेंज करती हो?” अंकल इतना बोले थे कि नीरव बाहर आ गया तो अंकल ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी।
नीरव आकर मेरे बाजू में बैठ गया और बोला- “वो भाई नहीं आए अब तक?”
अंकल ने कहा- “थोड़ी देर में आ जाएंगे फिर आप दोनों निकलो...” कहकर अंकल नीरव से हमारे बिजनेस के बारे में पूछने लगे और साथ में वो केयूर के बारे में भी बात करते रहे।
थोड़ी देर बाद अंकल खड़े हुये और बोले- “बिटिया तुम आई हो तो आंटी के कपड़े चेंज कर देते है...” आंटी को हास्पिटल से दिया हुवा गाउन पहनाया हुवा था।
वो देखकर मैं बोली- “अंकल इसे चेंज करने की क्या जरूरत है? और इसको तो नर्स ही चेंज कर देती होगी ना?” मैंने मन ही मन अंकल को चैलेंज दे दी थी और मुझे इसमें भी उनकी कोई साजिश नजर आ रही थी और मुझे इस नये खेल को ज्यादा रोचक बनाना था।