hotaks444
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तभी शोभा दीदी बोल पड़ी,,,,,,,,,,क्या हुआ कविता इतनी उदास क्यूँ हो,,,,,,,,,,
कविता--जी नही दीदी वो मैं बस,,,
तुमको देख कर लगता है तुम रोई थी,,,,,कोई प्राब्लम है क्या,,,,,,,,
इस से पहले कविता कुछ बोलती सोनिया ने शोभा की तरफ देखा ऑर फिर मेरी तरफ इशारा करते
हुए ये जताया कि सन्नी के सामने कोई बात नही करो,,,,,,,,
इतने में कविता की आँखों मे फिर से आँसू आने शुरू हो गये,,,,,,,,,,,,
कविता--मुझे भूख नही है सोनिया मुझे कुछ नही खाना ,,,कविता ने खाने की प्लेट को साइड करते हुए नम आँखों
से आँसू पोन्छते हुए बोला,,,,,,,,,,
क्यूँ नही खाना ,,,,,,,,कल से तूने कुछ नही खाया है,,,ऐसे कैसे होगा भला,,,,,,सोनिया
थोड़ा प्यार से उसको समझाते हुए खाने की प्लेट को वापिस उसकी तरफ करते हुए बोली,,,,,,,,,
तभी शोभा दीदी बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी तुम अपना खाना लेके अपने रूम मे जाओ,,,,,हमे
कुछ बता करनी है,,,,,,,,,,,,,शोभा दीदी ने आँखों ही आँखों मे मुझे इशारा कर दिया ऑर
मैं अपनी खाने की प्लेट लेके अपने रूम मे उपर की तरफ चला गया,,,,,,,,,,,,
मैने जाते टाइम सीडियों मे खड़े होके उनकी बात सुनने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही
हुआ वो लोग बहुत स्लोली बात कर रही थी मुझे कुछ भी सुनाई नही दे रहा था,,,,
तो हार कर मैं अपने रूम मे चला गया ऑर खाना खाने लगा,,,,,,,,,,करीब 15-20 मिनट
बाद जब मैं खाने की प्लेट लेके नीचे आया तब तक वो लोग खाना बीच मे ही छोड़ कर
माँ के रूम मे चली गई थी,,,,ऑर दरवाजा बंद था,,,मैने सोचा क्यूँ ना दरवाजे के पास
जाके सुनूँ तो सही आख़िर मामला क्या है सारा लेकिन जैसे ही मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा तो
दरवाजा खुल गया ऑर सब लोग बाहर आ गई फिर शोभा दीदी अपने रूम मे उपर की तरफ चली
गई ऑर कविता ऑर सोनिया बाहर सोफे पर बैठ गई मैं भी तब तक सोफे पर जाके बैठ गया
कुछ देर बाद शोभा दीदी ड्रेस चेंज करके वापिस नीचे आई फिर सोनिया ऑर कविता के साथ
चली गई,,,,,
,सन्नी मैं ज़रा कविता के घर जा रही हूँ दरवाजा बंद कर्लो मुझे टाइम
लग जाएगा,,,,,,,,इतना बोलकर वो तीनो वहाँ से चली गई जबकि मैं टेन्षन मे सोफे पर
बैठ कर सोचने लगा कि आख़िर पंगा क्या है,,,ऐसी क्या बात हो गई कविता के घर जो शोभा
दीदी भी उसके घर चली गई है,,,,,,,,,,खैर मैने ज़्यादा टेन्षन भी नही ली ऑर आराम से बैठ
कर टीवी देखने लगा,,,,,,,
डॅड अपने टाइम पर घर आ गये ऑर आके फ्रेश होने लगे इतने मे मैने कॉफी तैयार करदी
डॅड के लिए,,,,,,,,,,,डॅड बाहर आए ऑर कॉफी पन लगे,,,,,,,,,,,,,
डॅड--तुम अकेले हो घर पे बाकी लोग कहाँ है,,,,,,,,,,
सन्नी--डॅड शोभा दीदी ऑर सोनिया कविता के घर गई है ,,,शायद कविता के घर मे कोई प्राब्लम है
डॅड इसलिए शोबा दीदी भी सोनिया के साथ गई है,,,,,,,,थोड़ी देर मे आ जाएगी,,,,,,,,,,
फिर ना डॅड ने कोई बात की ऑर ना मैने,,,वैसे भी हम लोगो मे कम ही बात होती थी,,,डॅड
मेरे से तब बात करते थे जब मेरे बारे मे कोई खबर मिलती थी उसको,जैसे पेपर मे
नंबर कम आए हो या कोई शरारत की हो मैने,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऑर मैं डॅड से तभी बता करता
था जब कुछ चाहिए होता था,,,,,,या पॉकेट मनी लेने के टाइम,,,,,,,,,,,
डॅड ने अपनी कॉफी ख़तम की ,,,,,,,,,,,ओके बेटा मैं भी चलता हूँ मुझे क्लब जाना है,,,
डॅड भी चले गये ओर मैं फिर से अकेला हो गया,,,,,,,,
रात को बुआ ने खाना बनाया ऑर हम लोग बैठ कर खाना खा रहे थे ,,,,,,,,
कविता के घर मे कोई प्राब्लम है क्या बेटी,,,,,,,,,डॅड ने सोनिया से पूछा,,,,,,
डॅड की बात का जवाब देने से पहले सोनिया ने पूरे गुस्से मे घूर कर मुझे देखा मानो
आँखों ही आँखों मे बोल रही हो कि सन्नी तुमने डॅड को क्यू बताया,,,,,,,,,
जी नही डॅड वो स्टडी की टेन्षन कुछ ज़्यादा थी इसलिए ,,,,वैसे कोई प्राब्लम नही है,,,,, सोनिया ने डॅड को बताया
हाँ डॅड बड़ी क्लास मे है तो थोड़ी टेन्षन होनी तो लाजमी है,,,शोबा ने जवाब दिया ऑर
फिर सब खाना कहने लगे लेकिन सोनिया अभी भी मुझे ही घूर रही थी,,,,,,
अभी खाना खा ही रहे थे तभी फोन बजने लगा,,,,बुआ फोन के ज़्यादा करीब वाली
चेयर पर बैठी हुई थी इसलिए बुआ ने उठ कर फोन उठाया,,,,ऑर एक पल मे ही फोन को
वापिस टेबल पर रख दिया,,,,,,,,,,,,,शोबा तुम्हारी माँ का फोन है गाँव से,,,,,,,,,,,,,
शोबा से पहले सोनिया उठके फोन की तरफ भागी ऑर फोन उठा कर बात करने लगी,,,,,
बात करते करते ही वो रोने लगी,,,,मुझे लगा कि शायद माँ के चाचा जी का काम हो गया है
इसलिए सोनिया रोने लगी है,,,,,,,,,कुछ देर फोन पर बता करने के बाद सोनिया चेयर पर बैठ
गई,,,,,,,,,,,,
क्या हुआ बेटी सब कुछ ठीक तो है ना,,,,,,,,,,सोनिया रोने लग जाती है तभी शोबा उसके सर को
पकड़ कर अपनी छाती से लगा लेती है ऑर उसको चुप करवाने लग जाती है,,,रो मत पगली बता
ना क्या हुआ,,क्या बोला माँ ने फोन पर,,,,,,,,,,,,,
चाचा जी की तबीयत बहुत खराब है,,,,डॉक्टर ने बोला है कि अब बस 2-4 दिन के मेहमान है
चाचा जी,,,,,वो हम लोगो से मिलना चाहते है आखरी बार इसलिए माँ ने फोन किया है कि
हम सब लोग वहाँ आ जाए,,,,,,,,,,,,,, सोनिया ने रोते हुए बताया
ठीक है सोनिया हम सब लोग कल सुबह ही चलते है गाँव ,तू रो नही ,,,कुछ नही होगा
चाचा जी को,,,,,,,,,,,,,, मैने सोनिया को कहा
तभी डॅड गुस्से मे ,,,,,,,,,मुझे कहीं नही जाना ऑर ना ही गीता को,,,,,,,जिसको जाना है जाओ
,,,,,,,,,इतना बोलकर डॅड खाना छोड़ कर अपने रूम एम नीचे की तरफ चले जाते है,,,,
सोनिया रोती रहती है ,,,,,,,,,,,,,,जिसको नही जाना मत जाओ मुझे तो जाना है ऑर अभी जाना है,,,
सोनिया भी गुस्से मे एक तरफ से अपना फ़ैसला सुना देती है,,,,वो भी कम गुस्से वाली नही है
डॅड अभी सीडियों तक पहुँचे ही थे कि सोनिया की बात सुनके वापिस पलट गये,,,,,,,,
जिसको जाना है जाओ लेकिन मुझे मत बोलो जाने को,,,,,,,,डॅड ने फिर से गुस्से मे बोला ऑर
नीचे चले गये,,,,,,,,,,,,,,,,तभी बुआ ने सोनिया को गले से लगा लिया,,,,,,,,,बेटी तुम अपने डॅड
की बात का गुस्सा मत करना तुमको पता ही है कि वो गाँव जाने को कभी तैयार नही होंगे,,,,
तुम ज़िद्द मत करो ,,,ऑर तुमको जाना है तो जाओ कोई नही रोकेगा तुमको,,,,,,,,अगर अभी जाना है
तो अभी जाओ,,,,,,,,,,,
शोभा,,,,,,,,,,,,लेकिन बुआ अभी ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी इतनी जल्दी मे,,,,,,,,,,,
तभी मैं उठा ऑर सोनिया के पास जाके उसको बाहों मे लेके चुप करवाने लगा,,तू रो मत
पगली ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी तो क्या हुआ मैं हूँ ना मैं लेके जाउन्गा तेरे को तू बस
रो मत प्लीज़,,,,,,तेरी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते मुझे,,,,मैं अभी बोल ही रहा था
तभी बुआ बोलने लगी,,,,,
कोई बात नही तुम लोग मेरी कार ले जाओ ऑर अभी चले जाओ,,,,तभी बुआ अपने रूम मे गई ऑर
अपनी कार की चाबी मेरी तरफ बढ़ाते हुए ,,,,,,,,,,,,,,,ये लो सन्नी मेरी कार ले जाओ ऑर सोनिया को
गाँव ले जाओ,,,,,,,,,,,,,
मेरे ऐसे दिल्लासा देने से सोनिया की आँखों से आँसू कुछ कम हो गये थे...
लेकिन बुआ मेरे पास तो लाइसेन्स नही है ऑर इतना लंबा सफ़र,,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई बात नही बेटा,,,,,तुम कार ले जाओ कोई टेन्षन मत लो किसी बात की,,,,,,,,,बुआ ने सोनिया की
तरफ इशारा करते हुए बोला,,,मानो मुझे बोल रही हो कि सोनिया को चुप करवाने का यही
तरीका है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ठीक है बुआ ,,,,,,,,तभी सोनिया रोते हुए अपने रूम मे चली गई ओर साथ मे शोबा दीदी भी
सन्नी तुम कार आराम से ड्राइव करना ओर बाकी किसी चीज़ की टेन्षन मत लेना,,,अगर कुछ
गड़बड़ हुई तो मुझे फोन कर देना मैं सब संभाल लूँगी,,,,,,बुआ ने बड़े यकीन
के साथ बोला,,,,,,,,,,,
ठीक है बुआ,,,,,,,,,
कविता--जी नही दीदी वो मैं बस,,,
तुमको देख कर लगता है तुम रोई थी,,,,,कोई प्राब्लम है क्या,,,,,,,,
इस से पहले कविता कुछ बोलती सोनिया ने शोभा की तरफ देखा ऑर फिर मेरी तरफ इशारा करते
हुए ये जताया कि सन्नी के सामने कोई बात नही करो,,,,,,,,
इतने में कविता की आँखों मे फिर से आँसू आने शुरू हो गये,,,,,,,,,,,,
कविता--मुझे भूख नही है सोनिया मुझे कुछ नही खाना ,,,कविता ने खाने की प्लेट को साइड करते हुए नम आँखों
से आँसू पोन्छते हुए बोला,,,,,,,,,,
क्यूँ नही खाना ,,,,,,,,कल से तूने कुछ नही खाया है,,,ऐसे कैसे होगा भला,,,,,,सोनिया
थोड़ा प्यार से उसको समझाते हुए खाने की प्लेट को वापिस उसकी तरफ करते हुए बोली,,,,,,,,,
तभी शोभा दीदी बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी तुम अपना खाना लेके अपने रूम मे जाओ,,,,,हमे
कुछ बता करनी है,,,,,,,,,,,,,शोभा दीदी ने आँखों ही आँखों मे मुझे इशारा कर दिया ऑर
मैं अपनी खाने की प्लेट लेके अपने रूम मे उपर की तरफ चला गया,,,,,,,,,,,,
मैने जाते टाइम सीडियों मे खड़े होके उनकी बात सुनने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही
हुआ वो लोग बहुत स्लोली बात कर रही थी मुझे कुछ भी सुनाई नही दे रहा था,,,,
तो हार कर मैं अपने रूम मे चला गया ऑर खाना खाने लगा,,,,,,,,,,करीब 15-20 मिनट
बाद जब मैं खाने की प्लेट लेके नीचे आया तब तक वो लोग खाना बीच मे ही छोड़ कर
माँ के रूम मे चली गई थी,,,,ऑर दरवाजा बंद था,,,मैने सोचा क्यूँ ना दरवाजे के पास
जाके सुनूँ तो सही आख़िर मामला क्या है सारा लेकिन जैसे ही मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा तो
दरवाजा खुल गया ऑर सब लोग बाहर आ गई फिर शोभा दीदी अपने रूम मे उपर की तरफ चली
गई ऑर कविता ऑर सोनिया बाहर सोफे पर बैठ गई मैं भी तब तक सोफे पर जाके बैठ गया
कुछ देर बाद शोभा दीदी ड्रेस चेंज करके वापिस नीचे आई फिर सोनिया ऑर कविता के साथ
चली गई,,,,,
,सन्नी मैं ज़रा कविता के घर जा रही हूँ दरवाजा बंद कर्लो मुझे टाइम
लग जाएगा,,,,,,,,इतना बोलकर वो तीनो वहाँ से चली गई जबकि मैं टेन्षन मे सोफे पर
बैठ कर सोचने लगा कि आख़िर पंगा क्या है,,,ऐसी क्या बात हो गई कविता के घर जो शोभा
दीदी भी उसके घर चली गई है,,,,,,,,,,खैर मैने ज़्यादा टेन्षन भी नही ली ऑर आराम से बैठ
कर टीवी देखने लगा,,,,,,,
डॅड अपने टाइम पर घर आ गये ऑर आके फ्रेश होने लगे इतने मे मैने कॉफी तैयार करदी
डॅड के लिए,,,,,,,,,,,डॅड बाहर आए ऑर कॉफी पन लगे,,,,,,,,,,,,,
डॅड--तुम अकेले हो घर पे बाकी लोग कहाँ है,,,,,,,,,,
सन्नी--डॅड शोभा दीदी ऑर सोनिया कविता के घर गई है ,,,शायद कविता के घर मे कोई प्राब्लम है
डॅड इसलिए शोबा दीदी भी सोनिया के साथ गई है,,,,,,,,थोड़ी देर मे आ जाएगी,,,,,,,,,,
फिर ना डॅड ने कोई बात की ऑर ना मैने,,,वैसे भी हम लोगो मे कम ही बात होती थी,,,डॅड
मेरे से तब बात करते थे जब मेरे बारे मे कोई खबर मिलती थी उसको,जैसे पेपर मे
नंबर कम आए हो या कोई शरारत की हो मैने,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऑर मैं डॅड से तभी बता करता
था जब कुछ चाहिए होता था,,,,,,या पॉकेट मनी लेने के टाइम,,,,,,,,,,,
डॅड ने अपनी कॉफी ख़तम की ,,,,,,,,,,,ओके बेटा मैं भी चलता हूँ मुझे क्लब जाना है,,,
डॅड भी चले गये ओर मैं फिर से अकेला हो गया,,,,,,,,
रात को बुआ ने खाना बनाया ऑर हम लोग बैठ कर खाना खा रहे थे ,,,,,,,,
कविता के घर मे कोई प्राब्लम है क्या बेटी,,,,,,,,,डॅड ने सोनिया से पूछा,,,,,,
डॅड की बात का जवाब देने से पहले सोनिया ने पूरे गुस्से मे घूर कर मुझे देखा मानो
आँखों ही आँखों मे बोल रही हो कि सन्नी तुमने डॅड को क्यू बताया,,,,,,,,,
जी नही डॅड वो स्टडी की टेन्षन कुछ ज़्यादा थी इसलिए ,,,,वैसे कोई प्राब्लम नही है,,,,, सोनिया ने डॅड को बताया
हाँ डॅड बड़ी क्लास मे है तो थोड़ी टेन्षन होनी तो लाजमी है,,,शोबा ने जवाब दिया ऑर
फिर सब खाना कहने लगे लेकिन सोनिया अभी भी मुझे ही घूर रही थी,,,,,,
अभी खाना खा ही रहे थे तभी फोन बजने लगा,,,,बुआ फोन के ज़्यादा करीब वाली
चेयर पर बैठी हुई थी इसलिए बुआ ने उठ कर फोन उठाया,,,,ऑर एक पल मे ही फोन को
वापिस टेबल पर रख दिया,,,,,,,,,,,,,शोबा तुम्हारी माँ का फोन है गाँव से,,,,,,,,,,,,,
शोबा से पहले सोनिया उठके फोन की तरफ भागी ऑर फोन उठा कर बात करने लगी,,,,,
बात करते करते ही वो रोने लगी,,,,मुझे लगा कि शायद माँ के चाचा जी का काम हो गया है
इसलिए सोनिया रोने लगी है,,,,,,,,,कुछ देर फोन पर बता करने के बाद सोनिया चेयर पर बैठ
गई,,,,,,,,,,,,
क्या हुआ बेटी सब कुछ ठीक तो है ना,,,,,,,,,,सोनिया रोने लग जाती है तभी शोबा उसके सर को
पकड़ कर अपनी छाती से लगा लेती है ऑर उसको चुप करवाने लग जाती है,,,रो मत पगली बता
ना क्या हुआ,,क्या बोला माँ ने फोन पर,,,,,,,,,,,,,
चाचा जी की तबीयत बहुत खराब है,,,,डॉक्टर ने बोला है कि अब बस 2-4 दिन के मेहमान है
चाचा जी,,,,,वो हम लोगो से मिलना चाहते है आखरी बार इसलिए माँ ने फोन किया है कि
हम सब लोग वहाँ आ जाए,,,,,,,,,,,,,, सोनिया ने रोते हुए बताया
ठीक है सोनिया हम सब लोग कल सुबह ही चलते है गाँव ,तू रो नही ,,,कुछ नही होगा
चाचा जी को,,,,,,,,,,,,,, मैने सोनिया को कहा
तभी डॅड गुस्से मे ,,,,,,,,,मुझे कहीं नही जाना ऑर ना ही गीता को,,,,,,,जिसको जाना है जाओ
,,,,,,,,,इतना बोलकर डॅड खाना छोड़ कर अपने रूम एम नीचे की तरफ चले जाते है,,,,
सोनिया रोती रहती है ,,,,,,,,,,,,,,जिसको नही जाना मत जाओ मुझे तो जाना है ऑर अभी जाना है,,,
सोनिया भी गुस्से मे एक तरफ से अपना फ़ैसला सुना देती है,,,,वो भी कम गुस्से वाली नही है
डॅड अभी सीडियों तक पहुँचे ही थे कि सोनिया की बात सुनके वापिस पलट गये,,,,,,,,
जिसको जाना है जाओ लेकिन मुझे मत बोलो जाने को,,,,,,,,डॅड ने फिर से गुस्से मे बोला ऑर
नीचे चले गये,,,,,,,,,,,,,,,,तभी बुआ ने सोनिया को गले से लगा लिया,,,,,,,,,बेटी तुम अपने डॅड
की बात का गुस्सा मत करना तुमको पता ही है कि वो गाँव जाने को कभी तैयार नही होंगे,,,,
तुम ज़िद्द मत करो ,,,ऑर तुमको जाना है तो जाओ कोई नही रोकेगा तुमको,,,,,,,,अगर अभी जाना है
तो अभी जाओ,,,,,,,,,,,
शोभा,,,,,,,,,,,,लेकिन बुआ अभी ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी इतनी जल्दी मे,,,,,,,,,,,
तभी मैं उठा ऑर सोनिया के पास जाके उसको बाहों मे लेके चुप करवाने लगा,,तू रो मत
पगली ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी तो क्या हुआ मैं हूँ ना मैं लेके जाउन्गा तेरे को तू बस
रो मत प्लीज़,,,,,,तेरी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते मुझे,,,,मैं अभी बोल ही रहा था
तभी बुआ बोलने लगी,,,,,
कोई बात नही तुम लोग मेरी कार ले जाओ ऑर अभी चले जाओ,,,,तभी बुआ अपने रूम मे गई ऑर
अपनी कार की चाबी मेरी तरफ बढ़ाते हुए ,,,,,,,,,,,,,,,ये लो सन्नी मेरी कार ले जाओ ऑर सोनिया को
गाँव ले जाओ,,,,,,,,,,,,,
मेरे ऐसे दिल्लासा देने से सोनिया की आँखों से आँसू कुछ कम हो गये थे...
लेकिन बुआ मेरे पास तो लाइसेन्स नही है ऑर इतना लंबा सफ़र,,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई बात नही बेटा,,,,,तुम कार ले जाओ कोई टेन्षन मत लो किसी बात की,,,,,,,,,बुआ ने सोनिया की
तरफ इशारा करते हुए बोला,,,मानो मुझे बोल रही हो कि सोनिया को चुप करवाने का यही
तरीका है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ठीक है बुआ ,,,,,,,,तभी सोनिया रोते हुए अपने रूम मे चली गई ओर साथ मे शोबा दीदी भी
सन्नी तुम कार आराम से ड्राइव करना ओर बाकी किसी चीज़ की टेन्षन मत लेना,,,अगर कुछ
गड़बड़ हुई तो मुझे फोन कर देना मैं सब संभाल लूँगी,,,,,,बुआ ने बड़े यकीन
के साथ बोला,,,,,,,,,,,
ठीक है बुआ,,,,,,,,,