hotaks444
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करण के जाते ही निशा और अर्जुन कमरे मे अकेले रह गये. “निशा भाभी...मैं आपसे कुछ कहूँ..”
“हां कहो ना...”
“भाभी आप करण को कभी मत खोना....करण जिंदगी भर परिवार के प्यार के लिए तड़प्ता रहा है....अगर आपने भी उसे छोड़ दिया तो वो मर जाएगा..”
“अर्जुन ऐसा कभी नही होगा...क्यूकी अगर करण को कुछ हो गया तो यह निशा भी उसी दिन मर जाएगी...”
“भाभी...मैने सच्चे प्यार के रूप मे सलमा को हमेशा के लिए खो दिया है....मैं भगवान से दुआ करूँगा कि आपकी और भैया के जिंदगी मे कभी ऐसे दिन ना आए...” कहते हुए अर्जुन भावुक हो गया.
तभी दौड़ता हुआ करण अंदर आया और बोला, “आज हमारी किस्मत अच्छि है...नीचे एक गाँव के बुजुर्ग को मैने रामपुरा तक हमको ले चलने के लिए तय्यार कर लिया है...”
सब कुच्छ सुनते हुए निशा बोली, “मैं भी चलूंगी तुम लोग के साथ....”
लेकिन तभी करण निशा को रोकते हुए कहा, “नही निशा तुम हमारे साथ नही सकती...आगे बहुत ख़तरा है...ऐसे ही सफ़र मे हम ने अपनी प्यारी छोटी बहन को खो दिया था....अब मैं तुम्हे नही खोना चाहता...”
“तुम भी मुझे बड़े किस्मत से वापस मिले हो...मैं तुम्हारी पत्नी हू...और एक पत्नी का फ़र्ज़ होता है कि वो पति के साथ हर मुश्किल घड़ी मे रहे...” निशा बोली.
करण के पास इसका कोई जवाब नही था. उस बुजुर्ग की मदद से तीनो शाम ढलते ढलते रामपुरा पहुच गये.
“इस से आगे मैं नही जाउन्गा साहब....यह गाँव श्रापित है....इसमे वो ही जा सकता जिसके पास सच्चे प्रेम की ताक़त हो...” कहते हुए वो बुजुर्ग आदमी वापस लौट गया.
सामने एक वीरान खंडहरो से भरा एक छोटा सा गाँव था. उसकी झोपड़ियो को मौसम ने कमज़ोर कर के गिरा दिया था. चारो तरफ बिना देखभाल के घनी घनी झाड़िया उग आई थी.
“हमारे पास सच्चे प्यार की ताक़त है....” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा.
“अगर तुम साथ हो तो मैं कही भी जा सकती हू..” निशा ने जवाब दिया.
“मेरे पास सच्चा प्यार तो नही पर मैं सच्चे प्यार को समझ चुका हू...और कही ना कही सलमा के सच्चे प्यार की ताक़त मुझमे भी है...” अर्जुन बोला.
तीनो हाथ पकड़ कर श्रापित रामपुरा गाँव मे प्रवेश कर गये. उनके प्रवेश करते ही गाँव मे तेज़ आधी तूफान चलने लगी लेकिन तीनो के कदम नही डगमगाए. तीनो को अपनी सच्चे प्यार की ताक़त पर पूरा भरोसा था.
सारे बाधाओ को पार कर वो एक मंदिर तक पहुचे. यह वही मंदिर था जिसकी बात आचार्य सत्य प्रकाश कर रहे थे. तीनो को मंदिर के सामने द्वार पर अनगिनत नाग रेंगते दिखाई दिए जो उन्ही को देख कर फुफ्कार रहे थे.
“हां कहो ना...”
“भाभी आप करण को कभी मत खोना....करण जिंदगी भर परिवार के प्यार के लिए तड़प्ता रहा है....अगर आपने भी उसे छोड़ दिया तो वो मर जाएगा..”
“अर्जुन ऐसा कभी नही होगा...क्यूकी अगर करण को कुछ हो गया तो यह निशा भी उसी दिन मर जाएगी...”
“भाभी...मैने सच्चे प्यार के रूप मे सलमा को हमेशा के लिए खो दिया है....मैं भगवान से दुआ करूँगा कि आपकी और भैया के जिंदगी मे कभी ऐसे दिन ना आए...” कहते हुए अर्जुन भावुक हो गया.
तभी दौड़ता हुआ करण अंदर आया और बोला, “आज हमारी किस्मत अच्छि है...नीचे एक गाँव के बुजुर्ग को मैने रामपुरा तक हमको ले चलने के लिए तय्यार कर लिया है...”
सब कुच्छ सुनते हुए निशा बोली, “मैं भी चलूंगी तुम लोग के साथ....”
लेकिन तभी करण निशा को रोकते हुए कहा, “नही निशा तुम हमारे साथ नही सकती...आगे बहुत ख़तरा है...ऐसे ही सफ़र मे हम ने अपनी प्यारी छोटी बहन को खो दिया था....अब मैं तुम्हे नही खोना चाहता...”
“तुम भी मुझे बड़े किस्मत से वापस मिले हो...मैं तुम्हारी पत्नी हू...और एक पत्नी का फ़र्ज़ होता है कि वो पति के साथ हर मुश्किल घड़ी मे रहे...” निशा बोली.
करण के पास इसका कोई जवाब नही था. उस बुजुर्ग की मदद से तीनो शाम ढलते ढलते रामपुरा पहुच गये.
“इस से आगे मैं नही जाउन्गा साहब....यह गाँव श्रापित है....इसमे वो ही जा सकता जिसके पास सच्चे प्रेम की ताक़त हो...” कहते हुए वो बुजुर्ग आदमी वापस लौट गया.
सामने एक वीरान खंडहरो से भरा एक छोटा सा गाँव था. उसकी झोपड़ियो को मौसम ने कमज़ोर कर के गिरा दिया था. चारो तरफ बिना देखभाल के घनी घनी झाड़िया उग आई थी.
“हमारे पास सच्चे प्यार की ताक़त है....” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा.
“अगर तुम साथ हो तो मैं कही भी जा सकती हू..” निशा ने जवाब दिया.
“मेरे पास सच्चा प्यार तो नही पर मैं सच्चे प्यार को समझ चुका हू...और कही ना कही सलमा के सच्चे प्यार की ताक़त मुझमे भी है...” अर्जुन बोला.
तीनो हाथ पकड़ कर श्रापित रामपुरा गाँव मे प्रवेश कर गये. उनके प्रवेश करते ही गाँव मे तेज़ आधी तूफान चलने लगी लेकिन तीनो के कदम नही डगमगाए. तीनो को अपनी सच्चे प्यार की ताक़त पर पूरा भरोसा था.
सारे बाधाओ को पार कर वो एक मंदिर तक पहुचे. यह वही मंदिर था जिसकी बात आचार्य सत्य प्रकाश कर रहे थे. तीनो को मंदिर के सामने द्वार पर अनगिनत नाग रेंगते दिखाई दिए जो उन्ही को देख कर फुफ्कार रहे थे.