Hindi Sex काले जादू की दुनिया - Page 8 - SexBaba
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Hindi Sex काले जादू की दुनिया

करण के जाते ही निशा और अर्जुन कमरे मे अकेले रह गये. “निशा भाभी...मैं आपसे कुछ कहूँ..”

“हां कहो ना...”

“भाभी आप करण को कभी मत खोना....करण जिंदगी भर परिवार के प्यार के लिए तड़प्ता रहा है....अगर आपने भी उसे छोड़ दिया तो वो मर जाएगा..”

“अर्जुन ऐसा कभी नही होगा...क्यूकी अगर करण को कुछ हो गया तो यह निशा भी उसी दिन मर जाएगी...”

“भाभी...मैने सच्चे प्यार के रूप मे सलमा को हमेशा के लिए खो दिया है....मैं भगवान से दुआ करूँगा कि आपकी और भैया के जिंदगी मे कभी ऐसे दिन ना आए...” कहते हुए अर्जुन भावुक हो गया.

तभी दौड़ता हुआ करण अंदर आया और बोला, “आज हमारी किस्मत अच्छि है...नीचे एक गाँव के बुजुर्ग को मैने रामपुरा तक हमको ले चलने के लिए तय्यार कर लिया है...”

सब कुच्छ सुनते हुए निशा बोली, “मैं भी चलूंगी तुम लोग के साथ....”

लेकिन तभी करण निशा को रोकते हुए कहा, “नही निशा तुम हमारे साथ नही सकती...आगे बहुत ख़तरा है...ऐसे ही सफ़र मे हम ने अपनी प्यारी छोटी बहन को खो दिया था....अब मैं तुम्हे नही खोना चाहता...”

“तुम भी मुझे बड़े किस्मत से वापस मिले हो...मैं तुम्हारी पत्नी हू...और एक पत्नी का फ़र्ज़ होता है कि वो पति के साथ हर मुश्किल घड़ी मे रहे...” निशा बोली.
करण के पास इसका कोई जवाब नही था. उस बुजुर्ग की मदद से तीनो शाम ढलते ढलते रामपुरा पहुच गये.

“इस से आगे मैं नही जाउन्गा साहब....यह गाँव श्रापित है....इसमे वो ही जा सकता जिसके पास सच्चे प्रेम की ताक़त हो...” कहते हुए वो बुजुर्ग आदमी वापस लौट गया.

सामने एक वीरान खंडहरो से भरा एक छोटा सा गाँव था. उसकी झोपड़ियो को मौसम ने कमज़ोर कर के गिरा दिया था. चारो तरफ बिना देखभाल के घनी घनी झाड़िया उग आई थी.

“हमारे पास सच्चे प्यार की ताक़त है....” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा.

“अगर तुम साथ हो तो मैं कही भी जा सकती हू..” निशा ने जवाब दिया.

“मेरे पास सच्चा प्यार तो नही पर मैं सच्चे प्यार को समझ चुका हू...और कही ना कही सलमा के सच्चे प्यार की ताक़त मुझमे भी है...” अर्जुन बोला.

तीनो हाथ पकड़ कर श्रापित रामपुरा गाँव मे प्रवेश कर गये. उनके प्रवेश करते ही गाँव मे तेज़ आधी तूफान चलने लगी लेकिन तीनो के कदम नही डगमगाए. तीनो को अपनी सच्चे प्यार की ताक़त पर पूरा भरोसा था.

सारे बाधाओ को पार कर वो एक मंदिर तक पहुचे. यह वही मंदिर था जिसकी बात आचार्य सत्य प्रकाश कर रहे थे. तीनो को मंदिर के सामने द्वार पर अनगिनत नाग रेंगते दिखाई दिए जो उन्ही को देख कर फुफ्कार रहे थे.
 
करण के जाते ही निशा और अर्जुन कमरे मे अकेले रह गये. “निशा भाभी...मैं आपसे कुछ कहूँ..”

“हां कहो ना...”

“भाभी आप करण को कभी मत खोना....करण जिंदगी भर परिवार के प्यार के लिए तड़प्ता रहा है....अगर आपने भी उसे छोड़ दिया तो वो मर जाएगा..”

“अर्जुन ऐसा कभी नही होगा...क्यूकी अगर करण को कुछ हो गया तो यह निशा भी उसी दिन मर जाएगी...”

“भाभी...मैने सच्चे प्यार के रूप मे सलमा को हमेशा के लिए खो दिया है....मैं भगवान से दुआ करूँगा कि आपकी और भैया के जिंदगी मे कभी ऐसे दिन ना आए...” कहते हुए अर्जुन भावुक हो गया.

तभी दौड़ता हुआ करण अंदर आया और बोला, “आज हमारी किस्मत अच्छि है...नीचे एक गाँव के बुजुर्ग को मैने रामपुरा तक हमको ले चलने के लिए तय्यार कर लिया है...”

सब कुच्छ सुनते हुए निशा बोली, “मैं भी चलूंगी तुम लोग के साथ....”

लेकिन तभी करण निशा को रोकते हुए कहा, “नही निशा तुम हमारे साथ नही सकती...आगे बहुत ख़तरा है...ऐसे ही सफ़र मे हम ने अपनी प्यारी छोटी बहन को खो दिया था....अब मैं तुम्हे नही खोना चाहता...”

“तुम भी मुझे बड़े किस्मत से वापस मिले हो...मैं तुम्हारी पत्नी हू...और एक पत्नी का फ़र्ज़ होता है कि वो पति के साथ हर मुश्किल घड़ी मे रहे...” निशा बोली.
करण के पास इसका कोई जवाब नही था. उस बुजुर्ग की मदद से तीनो शाम ढलते ढलते रामपुरा पहुच गये.

“इस से आगे मैं नही जाउन्गा साहब....यह गाँव श्रापित है....इसमे वो ही जा सकता जिसके पास सच्चे प्रेम की ताक़त हो...” कहते हुए वो बुजुर्ग आदमी वापस लौट गया.

सामने एक वीरान खंडहरो से भरा एक छोटा सा गाँव था. उसकी झोपड़ियो को मौसम ने कमज़ोर कर के गिरा दिया था. चारो तरफ बिना देखभाल के घनी घनी झाड़िया उग आई थी.

“हमारे पास सच्चे प्यार की ताक़त है....” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा.

“अगर तुम साथ हो तो मैं कही भी जा सकती हू..” निशा ने जवाब दिया.

“मेरे पास सच्चा प्यार तो नही पर मैं सच्चे प्यार को समझ चुका हू...और कही ना कही सलमा के सच्चे प्यार की ताक़त मुझमे भी है...” अर्जुन बोला.

तीनो हाथ पकड़ कर श्रापित रामपुरा गाँव मे प्रवेश कर गये. उनके प्रवेश करते ही गाँव मे तेज़ आधी तूफान चलने लगी लेकिन तीनो के कदम नही डगमगाए. तीनो को अपनी सच्चे प्यार की ताक़त पर पूरा भरोसा था.

सारे बाधाओ को पार कर वो एक मंदिर तक पहुचे. यह वही मंदिर था जिसकी बात आचार्य सत्य प्रकाश कर रहे थे. तीनो को मंदिर के सामने द्वार पर अनगिनत नाग रेंगते दिखाई दिए जो उन्ही को देख कर फुफ्कार रहे थे.
 
“इसमे थॅंक्स कुच्छ नही...अगर कोई औरत अपने परिवार को ख़तरे मे देखती है तो वो चंडिका का रूप ले सकती है..” निशा प्यार से अपने देवर के सर पे हाथ फेरते हुए बोली.

करण भाग कर निशा को गले लगाते हुए बोला, “तभी तुम इतना भारी पत्थर उठा पाई....सच मे निशा तुमने आज बहुत हिम्मत का काम किया है...अब मोहिनी का काम तमाम हो गया.”

“अब अगली बारी है तांत्रिक त्रिकाल की....” अर्जुन त्रिशूल पर से लगे खून को सॉफ करता हुआ बोला.

तीनो अर्जुन की स्कॉर्पियो उठाकर त्रिकाल की गुफा के तरफ चल दिए. त्रिशूल उनको सही दिशा बताए जा रहा था.

अमावस्या की रात आ चुकी थी और करण अर्जुन और निशा तीनो जंगल से रास्ता बनाते हुए त्रिकाल के गुफा मे प्रवेश कर रहे थे.

उधर त्रिकाल यह सब से अंजान अमावस्या की शुभ घड़ी का इंतेज़ार कर रह था जो आज थी. भर घुप्प अंधेरा पसरा था. मौत की काली चादर हर तरफ फैली हुई थी. हर तरफ सिर्फ़ सन्नाटा ही सन्नाटा था. पूरा जंगल मानो त्रिकाल के भय से छुप गया था.

करण अर्जुन और निशा गुफा से रास्ता बनाते हुए त्रिकाल के अड्डे तक जा पहुचे. वहाँ वो एक पत्थर के पीछे से त्रिकाल पर नज़र रखने लगे. उन्हे पता था ही कि त्रिकाल पर अभी हमला करना बेवकूफी होगी क्यूकी अभी वो चौकन्ना था और अपने काले जादू से उनको आसानी से परास्त कर सकता था. वो तीनो त्रिकाल के तन्त्र साधना मे डूबने का इंतेज़ार करने लगे क्यूकी एक वोही ऐसा समय था जब त्रिकाल सबसे कमज़ोर होता था.

तंत्र साधना की पूरी तय्यारी कर ली गयी थी. हर तरफ उसके आदमी काले लबादा ओढ़े तन्त्र मन्त्र और जादू टोना कर रहे थे.

“एक सौ आठवी कुवारि लड़की को बुलाया जाए....” त्रिकाल ने चिल्ला कर कहा.
तभी रस्सी मे बँधी काजल को त्रिकाल के आदमी घसीटे हुए लाए. वो उसकी बालो को इतने ज़ोर से घसीट रहे थे कि उसके सर से बाल नोचे जाने से खून निकलने लगा.

ऐसा ही कुछ दो हफ्ते पहले सलमा के साथ हुआ था. अपनी बहन के साथ भी ऐसा होता देख अर्जुन आग बाबूला हो गया. पर करण ने उसे समझाया और सही समय आने का इंतेज़ार करने लगा.

“हा...हा...हा...आज वो शुभ घड़ी आ ही गयी जब शैतान मुझे हमेशा के लिए अमर बना देगा...हा..हा.हा..” त्रिकाल किसी भयानक राक्षस की तरह लग रहा था.
उसने काजल को एक हाथ से पकड़ा और उसके स्तनो को मसलता हुआ हँसने लगा.

“तू ख़ुसनसीब है लड़की जो तू त्रिकाल के हाथो मर रही है....आज शैतान मेरे शरीर मे समाकर तुझे भोगेगा...तुझसे संभोग करेगा...तुझसे अपनी काम वासना और जिस्म की प्यास बुझाएगा...हा..हा..हा”

अब तक काजल उम्मीद खो चुकी थी. उसे अब विश्वास हो गया था कि उसके भाई उसको बचाने नही आएँगे. अब तक त्रिकाल के आदमी रत्ना को भी बंदी बना कर ले आए थे.

इधर चट्टान के पीछे छुपे अर्जुन से बर्दाश्त नही हो रहा था, उसने और करण ने ना जाने कितने सालो बाद अपनी माँ को देखा था. निशा त्रिकाल के इस भयंकर रूप को देख कर थोड़ा सहमी हुई थी लेकिन अपनी सास रत्ना और ननद काजल को देख कर उसका खून भी दुष्ट त्रिकाल पर उबल रहा था.

“आ शैतान....आ मेरे शरीर मे....और स्वीकार कर इस कुवारि लड़की का जिस्म...फिर मैं चढ़ाउंगा इसकी बलि तुझे...और तुझे अपने वादे के मुताबिक...बनाना होगा मुझे अमर....हा..हा..हा..” कहते हुए त्रिकाल शैतान की ख़ौफफनाक मूर्ति के सामने तन्त्र साधना मे लीन हो गया. उसके बाकी आदमी भी तन्त्र मन्त्र कर रहे थे.

“अर्जुन यही सही मोका है....” करण ने अर्जुन से कहा.

निशा का मन बहुत घबरा रहा था उसने आख़िरी बार करण के होंठो को पूरी शिद्दत से अपने होंठो के बीचा रख कर कुछ पलो के लिए चूसा और उसे कहा, “तुम जहा भी रहोगे...मैं तुम्हारा सात जन्मो तक इंतेज़ार करूँगी...” और उसकी आँखे छलक आई.

“मेरा इंतेज़ार करना निशा....मैं ज़रूर आउन्गा...” कहते हुए करण और अर्जुन ने निशा को वही पत्थर के पीछे छुपा कर छोड़ दिया और हल्ला बोलते हुए मैदान मे कूद पड़े.

अर्जुन के हाथो मे त्रिशूल था. इन दोनो के अचानक आ जाने से पूरी गुफा मे खलबली मच गयी. उम्मीद छोड़ चुकी रत्ना और काजल ने अपना सर उठा के देखा तो पाया कि उसके बहादुर भाई हाथ मे त्रिशूल लिए त्रिकाल को ललकार रहे है.

त्रिकाल की तन्त्र साधना भंग हो चुकी थी. त्रिकाल अर्जुन के हाथो मे त्रिशूल देख कर अपने जीवन मे पहली बार घबराया था. लेकिन उसने तुरंत अपने आपको संभाला अपने एक आदमी को इशारा किया.

“त्रिकाल...आज तेरी यह आख़िरी रात है....गौर से देख यह दोनो चेहरे क्यूकी इनमे तुम्हे मौत दिखेगी..” अर्जुन गुर्राते हुए बोला.

करण भी सीना तान कर खड़ा था, उसने भी ज़ोर से दहाड़ते हुए कहा, “दुष्ट पापी...तेरे पापो का घड़ा अब भर चुका है...इस जनम मे किए हुए पापो का तुझे पाइ पाइ का हिसाब देना पड़ेगा...”
 
त्रिकाल ने दोनो की बातें सुनकर अपने आदमी को दोबारा इशारा किया और उस आदमी ने झट से एक चाकू निकाल कर नंगी रस्सी मे बँधी रत्ना के गर्दन पर टिका दिया.

“हा..हा..हा..त्रिकाल को साम दाम दंड भेद...हर वो चाल आती है जो एक शैतान कर सकता है....अब तुम दोनो लड़के अपनी माँ की सलामती चाहते हो तो वो त्रिशूल को दूर फेंक दो.

निशा दूर से बाज़ी पलट ता हुआ देख रही थी. उसका मन ज़ोरो से घबरा रहा था. करण और अर्जुन भी अपने आपको बेबस महसूस कर रहे थे.

“मेरी फिकर मत करो बेटा....मैने बहुत जलालट भरी जिंदगी जी है....मेरे मरने से कुच्छ फ़र्क नही पड़ेगा....पर इस दुष्ट का मरना बहुत ज़रूरी है..” चाकू के नोक पर भी रत्ना चिल्लाते हुए बोली.

लेकिन दोनो अपनी मा के साथ ऐसा होते नही देख सकते थे इसलिए अर्जुन ने वो त्रिशूल अपने हाथो से दूर फेंक दी.

त्रिशूल दूर होते ही त्रिकाल ज़ोरो से हँसने लगा, “मूर्ख हो तुम दोनो....मरोगे सब के सब....हा..हा..हा..”

और त्रिकाल एक मन्त्र पढ़ने लगा. त्रिकाल ने फिर एक काला जादू किया और करण अर्जुन एक कुर्सी पर रस्सी से बँधे बैठ गये.

त्रिकाल हँसता हुआ रत्ना के पास गया और उसकी मुलायम चुचियो को मसल्ते हुए बोला, “आज की रात बड़ी शुभ है....आज की रात मे मेरे दिमाग़ मे तेरे और तेरे इस परिवार के लिए कुछ ख़ास है....हा..हा..हा.”

“छोड़ दे कुत्ते मेरे दोनो बेटो को...मई तेरी रखेल बन कर बारह साल से तेरी जिस्मानी भूक मिटाते आई हू....आज मैं तेरे सामने हाथ जोड़ती हू...भीक मांगती हू....मेरे दोनो बेटो को छोड़ दे....चाहे तो मेरी जान ले ले..” रत्ना गिडगिडाते हुए बोली.

“तेरी जान लेकर मैं क्या करूँगा कुतिया....बारह साल से तू मेरी रखेल थी...आज मैं तुझे और तेरी बेटी को तेरे बेटो की रखैल बनाउन्गा....हा...हा...हा..”

यह बात सुनकर करण और अर्जुन के चहरे दहशत से भर गये. रत्ना का सर शर्म से झुक गया. काजल को उस दरिंदे की वह्शिपन पर विश्वास नही हो रहा था. निशा की यह सब देख कर रूह काँप गयी.

त्रिकाल ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा और तन्त्र मन्त्र करने लगा. उसके हाथो मे रत्ना और काजल की मिट्टी के बने दो पुतले थे जिसपर त्रिकाल ने वूडू नाम का काला जादू किया था. वो जैसा जैसा पुतले पर करता वैसा वैसा असली मे रत्ना और काजल के साथ होता.

इसका सीधा असर रत्ना पर हुआ जो त्रिकाल के सम्मोहन मे आ गयी थी और अब उसकी गुलाम थी. यही हाल काजल भी था. दोनो त्रिकाल की बातें किसी पुतले की थाह मान रहे थे.

“तो खेल शुरू किया जाए.....हा..हा..हा..” त्रिकाल ने ठहाका लगाया.

किसी रोबोट की तरह चलते हुए रत्ना अपने बेटे करण के सामने आ गयी. करण अपनी माँ को ऐसे नंगी हालत मे देखकर अपन मूह फेर लिया. रत्ना किसी पुतले की तरह करण का लॉडा अपने मूह मे लेकर चूसने लगी.
 
“कुत्ते...कमीने...त्रिकाल...तू एक माँ से ऐसी हरकतें कैसे करवा सकता है...तेरे लिए तो नरक मे भी जगह नही होगी...” करण अपनी माँ रत्ना द्वारा लौडे चूसे जाने पर बोला.

वो अपने आप पर बहुत काबू कर रहा था फिर भी लगातार चुसाई से उसका लॉडा खड़ा हो गया और किसी मूसल की तरह मोटा लगने लगा. अर्जुन भी यह दृश्य देख रहा था. तभी उसके लोड्‍े पर भी एक होन्ट आ गये. जब अर्जुन ने देखा तो वो काजल थी. उसकी छोटी बहन जिसे उसने अपनी गुड़िया की तरह पाला पोसा था आज वो उसका लॉडा चूस रही है. 

अर्जुन का लॉडा ना चाहते हुए भी खड़ा होने लगा. त्रिकाल और उसकी आदमियो के लिए यह कोई मनोरंजन से कम नही था. फिर त्रिकाल ने काला जादू किया और रत्ना सम्मोहन के प्रभाव मे करण की गोद मे चढ़ कर बैठ गयी और उसके खड़े लौडे को अपनी चूत मे भर लिया. करण अपनी आँखें बंद किए रोता रहा जबकि रत्ना उसके लौडे को सटा सट अपने भोस्डे मे ले रही थी.

वही काजल भी अपने अर्जुन भैया की गोद मे चढ़ कर बैठ गयी और उसके लंड को अपनी गान्ड के छेद मे लेकर उपर नीचे कूदने लगी. त्रिकाल ने उसकी चूत को बलि के लिए बचा कर रखा था. काजल की खुली हुई गान्ड मे उसके थूक से गीला अर्जुन का लॉडा आसानी अंदर बाहर हो रहा था. अर्जुन के लौडे पर काजल की गांद की पीली टट्टी भी लग चुकी थी.

ऐसी घिनोनी हरकत शायद कोई शैतान ही कर सकता है. निशा को यह सब देख कर उल्टी आ रही थी. उसने सोचा कि करण और अर्जुन की वो आख़िरी उम्मीद है. उसने देखा कि सबके नज़र से दूर वो त्रिशूल फेका हुआ है. तभी उसके पाओ तले कुछ रेंगने लगा. जब उसने नीचे देखा तो वहाँ खूब सारे फुफ्कार्ते हुए नाग थे. निशा को लगा वो डर से चिल्ला देगी लेकिन उसने आप पर किसी तरह काबू पाया. उसने ध्यान दिया कि यह सारे नाग वही शिव मंदिर के है. उसे अब विश्वास हो गया कि भगवान शिव भी उनके साथ है.

निशा ने अपनी पूरी हिम्मत और इच्छा शक्ति बटोरते हुए करण के लाए हुए बॅग से चाकू निकाल ली और चुपके चुपके पत्थरो के पीछे से होकर वो करण और अर्जुन की तरफ बढ़ने लगी. त्रिकाल और उसके आदमी सामने का मनोरंजन मे इतना व्यस्त थे कि उन्हे निशा के होना का पता ही नही चला.

त्रिकाल ने काले जादू वाली पुतले बदले. इधर रत्ना ने अपनी चूत से करण का लॉडा निकाला और उधर काजल ने अपनी गान्ड से अर्जुन का लॉडा निकाला. अब रत्ना अर्जुन के लौडे पर अपनी फटी हुई चूत रख कर बैठ गयी और उधर काजल करण के लौडे पर फटी हुई गान्ड रख कर उसके लौडे की सवारी करने लगी.

त्रिकाल हंसते जा रहा था. उसके आदमी लोग भी खूब हंस रहे थे. उन्हे यह पता ही नही चला कि गुफा के ज़मीन पर ढेर सारे ज़हरीले नाग घूम रहे है.

उधर निशा को अपनी ओर चुपके आते हुए करण और अर्जुन ने देख लिया. निशा धीरे धीरे कदमो से उनके पास आई और त्रिशूल को करण के हाथो मे थमा दिया और उसे रस्सी काटकर आज़ाद कर दिया. जब तक त्रिकाल कुछ समझ पाता करण रस्सी से आज़ाद हो गया था. उसने काजल को अपने उपर से हटाया और त्रिकाल पर टूट पड़ा. 

तब तक अर्जुन भी आज़ाद हो गया और दोनो खूनी शेरो को अपने उपर हमला करते देख त्रिकाल घबरा गया. उसने अपने आदमियो को करण और अर्जुन को पकड़ने का आदेश दिया पर नागो ने उन्हे वही डस लिया जिससे वो सब के सब मारे गये.

रत्ना ने करण और अर्जुन को त्रिकाल के नार्मूंड की तरफ इशारा किया जिसे वो तुरंत समझ गये कि त्रिकाल की काली शक्तिया उसके नार्मूंड के माला मे है. करण ने निशाना लगाकर त्रिशूल को नार्मूंड की तरफ फेंका जिससे नार्मूंड की माला ध्वस्त हो गयी और त्रिकाल कमज़ोर पड़ गया..

पर त्रिकाल शारीरिक रूप से अभी भी बहुत ताक़तवर था उसने एक कस के घूसा कारण के पेट मे मारा, तो करण के मुँह से खून निकलने लगा. निशा की तो मानो जान ही निकल गयी. त्रिकाल अपना दूसरा वार करने जा रह था पर तभी अर्जुन ने उसके सर पर पास मे पड़ा एक पत्थर दे मारा.

आस्चर्य की बात यह थी कि त्रिकाल को कुछ नही हुआ. उसने वो पत्थर उठाया और वापस अर्जुन पर फेका. अर्जुन कालाबाज़िया ख़ाता हुआ पत्थरो से बच गया. 

इतनी देर मे पीछे से करण उठा और अपने पूरी ताक़त से त्रिकाल के घुटनो पर एक जोरदार लात मारी जिससे त्रिकाल गिरा तो नही पर लड़खड़ा गया. इसी मौके का फायेदा उठा कर मार्षल आर्ट्स सीखे करण ने हवा मे लात चलाई जो सीधे त्रिकाल के चेहरे पर पड़ी. लात इतनी जोरदार थी त्रिकाल की नाक से खून बहने लगा.

अर्जुन भी पीछे हटने वालो मे से नही था. त्रिकाल को कमज़ोर होता देख उसने उसकी फटी हुई नाक पर लात घूसो की बरसात कर दी जिससे त्रिकाल का पूरा चेहरा लहू लुहान हो गया.

“करण भैया...अर्जुन भैया...मारो इसे...और मारो...इस शैतान ने आपकी छोटी बहन का बलात्कार किया है...” पीछे से चिल्लाती हुई काजल बोली.

दोनो भाइयो ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया और दौड़े हुए त्रिकाल के पास गये. 
“यह ले उन 107 लड़कियो के नाम जिन्हे तूने अपने काले जादू के नाम पर उनका बलात्कार कर के उनको मौत के घर उतार दिया...” गुर्राते हुए कारण अर्जुन ने एक साथ जोरदार लात त्रिकाल की छाती पर मारी जिससे उसके मूह से भी खून निकलने लगा.

“यह ले मेरी माँ के नाम...जिन्हे तूने बारह साल से इस गुफा मे बंद रखा...और हम से माँ का साया छीन लिया..” करण अर्जुन ने बोलते हुए एक कस के लात त्रिकाल के पेट पर मारी. जिससे उसके मूह से निकलता खून तेज़ हो गया.

“यह ले सलमा के नाम...जिसे तूने मुझसे छीन लिया...” बोलते हुए अर्जुन पागलो की तरह त्रिकाल के चेहरे पर घूसे मारने लगा.

“यह ले....हमारी फूल सी बहन के नाम जिसे...तूने हम से अगवा कर लिया और उसपे ना जाने कितने सितम ढाए.” बोलते हुए करण ने हवा मे उच्छल कर त्रिकाल के हाथ पर वार किया जिससे उसकी हाथ की हड्डिया चटक गयी. त्रिकाल दर्द से बिलबिला उठा.

“यह ले मेरे आचार्य और उनके परिवार के नाम जिनके साथ तूने घिनोनी हरकत की और उन्हे जान से मार डाला...” कहते हुए अर्जुन ने त्रिकाल के दूसरे हाथ पर वार किया और उसे भी तोड़ दिया. त्रिकाल की दर्द भरी चीख पुर गुफा मे गूँज गयी.
 
“यह ले मेरे और मेरी पत्नी के बीच ग़लतफहमी पैदा करने के लिए और हमे एक दूसरे से जुदा करने के लिए....” गुर्राते हुए करण ने पास मे पड़ा त्रिशूल उठा लिया और उसे अपनी पूरी ताक़त लगाकर त्रिकाल के हृदय को चीरते हुए आर पार कर दिया. करण की आँखो मे बदले की आग भड़क रही थी.

त्रिकाल का शरीर वही ढेर हो गया. करण के हाथो से त्रिशूल छूट गया. आज यह साबित हो गया कि आख़िर बुराई कितनी ही क्यू ना बढ़ जाए, कभी सच्चाई से जीत नही सकती. त्रिकाल के मरते ही अचानक से वातावरण हल्का और खुशनुमा हो गया मानो कोई मनहूसियत का साया इस धरती से हट गया हो.

तूफान के बाद की शांति की तरह वहाँ सब कुच्छ शांत हो चुका था. 

निशा भाग कर आई और करण के होंटो को चूमने लगी. रत्ना और काजल ने अपने कपड़े पहनकर अपने बहादुर बेटे और भाई से लिपट गयी. अर्जुन ने बारह साल बाद अपनी माँ को देखा था. थोड़ी देर वही पर मेल मिलाप चला.
फिर सभी उस मनहूस गुफा को छोड़ कर जयपुर होटेल मे आ गये. आज सब कुच्छ नॉर्मल हो गया था.

“माँ यह है निशा मेरी पत्नी....” करण ने निशा को अपनी माँ रत्ना से मिलता.
निशा ने तुरंत रत्ना के पाओ छु लिए और रत्ना ने उसे अपना आशीर्वाद दिया और बोली, “वाह करण...तूने कितनी सुंदर बहू ढूंढी है मेरे लिए...” और बोलते हुए रत्ना ने निशा का माथा चूम लिया.

“वाह भैया.....आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले...मुझे निशा से एक दो बार ही मिलवाया यह कह कर कि वो सिर्फ़ आपकी फ्रेंड है....और आज वो आपकी फ्रेंड से पत्नी हो गयी....वाह मेरे भैया वाह..” काजल के इस बात पर सभी हँसने लगे.

“आज मुझे अपने दोनो बेटो को साथ देखकर बहुत खुशी हो रही है...जिन्हे बचपन मे एक दूसरे से नफ़रत करता देखती थी वो आज एक दूसरे को प्यार करते है...” रत्ना ने अपने दोनो बेटो को गले लगाया.

“माँ जी मुझे भी आपको एक खुश खबरी देनी है...” निशा शरमाते हुए बोली.

“हाँ हाँ बहू कहो....” रत्ना ने पूछा.

“माँ जी मेरे पेट मे आपके खानदान का चिराग पल रहा है....मैं करण की बच्चे की माँ बनने वाली हू...आइ आम प्रेग्नेंट...” निशा ने शरमाते हुए कहा.

“आज कितने सालो बाद इस खानदान मे कोई नया सदस्य आने वाला है...मेरी आँखे तो ऐसी खुशियो के लिए तरस गयी है..” रत्ना ने निशा के पेट छूते हुए कहा.

“लो अर्जुन भैया आप चाचू और मैं बुआ बन ने वाले है....” काजल खिलखिला कर हंस पड़ी.

“चलो अब यहा से चलते है....घर की याद आ रही है...” करण बोला.

“पर भाई जाते जाते एक काम रह गया है....” अर्जुन ने त्रिशूल को उठाते हुए कहा और सीधा निशाना लेकर शैतान की मूर्ति पर दे मारा जिससे त्रिशूल लौट कर उनके पास आगया और शैतान की मूर्ति ध्वस्त हो गई. 

रास्ते मे लौट ते हुए सबने शिव मंदिर का दर्शन किया और त्रिशूल को वचन अनुसार वापस लौटा दिया. उसके बाद सब लोग वापस मुंबई अपने घर लौट आए.

आफ्टर वन ईयर....

शादी के 9 महीने बाद निशा ने एक प्यारे से बेटे को जनम दिया और उसका नाम वीर प्रताप रखा गया. करण आज भी अपनी पत्नी से उतना ही प्यार करता है जितना पहले करता था और वो भी इतना की अपनी बीवी निशा की कोख से पूरी क्रिकेट टीम निकालने का इरादा था उसका. 

निशा और करण के बेटे वीर ने निशा के मम्मी पापा को मजबूर कर दिया उनकी शादी को आक्सेप्ट करने के लिए. आज वो भी हँसी खुशी अपनी बेटी की खुशियो मे शरीक होते है और अपने नाती वीर को जी भर के प्यार करते है.

अर्जुन को भी आख़िरकार दोबारा प्यार हो गया और वो भी निशा की बहुत ही सुंदर छोटी कज़िन सिस्टर पूजा से. वो आज भी सलमा की कब्र (ग्रेव) पर जाता है और भगवान से उसकी आत्मा की शांति की दुआ करता है.

काजल को आज अपने ही एक दोस्त से प्यार हो गया है जिसके साथ वो बहुत खुश है. 
रत्ना को आज हर तरफ से खुशी मिल रही है. उसके आँगन मे किल्कारी गूँज रही है और वो तो अपने पोते वीर को थोड़े भी समय अपने से दूर नही करती है. 

आचार्य सत्य प्रकाश के आश्रम को उनके लंडन मे पढ़ रहे बेटे ने संभाल लिया है और उसने वचन लिया है कि अपने पिताजी के आदर्श और उसूलो पर ही चल कर आश्रम को चलाएगा. 

और इन सबसे आख़िर मे रामपुरा राजस्थान के शिव मंदिर मे आज भी ज़हरीले नागो की सुरक्षा मे वो त्रिशूल शिव जी की मूर्ति की शोभा बढ़ा रहा है... 
दा एंड
 
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