Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ - Page 5 - SexBaba
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Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ

निशा ने सीडियों से उतरकर अपने पापा से कुछ नहीं पूछा और न कहाँ और सीधे किचन में चलि गयी। मानो जैसा कुछ हुआ ही न हो।

खाली 2 घंटे तक जगदीश राय की आंखें सिर्फ निशा का ही पीछा कर रही थी।

निशा कभी उनको अपनी जांघ, कभी अपनी आधि चूची या अपनी गांड दिखाकर बहला रही थी।

निशा ने ठान लिया था की आज वह अपने पापा को अपनी चूत नहीं दिखाएगी।

इसलिये झाड़ू लगाते वक़्त भी वह नहीं झुकी। और अपने पापा का फरस्ट्रेशन देखकर उसे मजा आ रहा था।

निशा: पापा… चलो खाना लग गया।

जगदीश राय ,बड़ी मुश्किल से अपने बेटी के साथ बैठकर खाना खाया और अपने रूम में चला गया।

उसने सोचा रूम में जाकर मुठ मार लूँगा और अपने आप को ठंड़ा कर दूंगा।

जगदीश राय रूम में जाकर बैठकर अपने लंड को बहार निकालकर मुठ मारने लगा। 

सूबह से खड़ा लंड हाथ के स्पर्श से शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।

तभी उसे सीडियों पर से निशा के कदमों की आहट सुनाई दी। उसने तुरंत अपनी लुंगी ऊपर चढा ली। निशा ने इस बार दरवाज़ा नॉक किया। 

जगदीश राय (लुंगी ठीक करते हुए): हाँ…। आ जा बेटी…।

निशा (एक हाथ पीछे छुपाते हुए): देखना चाहती थी… की आप फ्री तो है न…।।

जगदीश राय निशा के सामने खड़ा लंड छुपाते हुए : हाँ बिलकुल…थोड़ा लेटने जा रहा था बेटी।

निशा: ज़रूर लेटिए…पर मसाज के बाद…। दो दिन से आप को मसाज नहीं किया…।

और निशा ने अपना हाथ बाहर निकाला और उसमे तेल की डिब्बी थी।

जगदीश राय : अरे …नहीं आज नहीं… कल करते है…।

निशा: नहीं…2 दिन से मसाज नहीं हुआ…आज तो करना ही है…।मसाज।

निशा: चलिये पहले कंधे और हाथ का करते है…फिर पैरो का… चलिये अपना शर्ट उतारिये…
 
निशा सिर्फ एक छोटी सी शर्ट पहनी आर्डर दिए जा रही थी एंड जगदीश राय बिना कुछ कहे निशा के जिस्म का दिवाना हुए पालन कर रहा था।

जगदीश राय बेड पर अब सिर्फ एक लुंगी पहन के बैठा था, जिसमें से उसके मोटे लम्बे लंड का उभार निशा को दिखाई दे रहा था। और निशा चोरी छुपे उसे देखे जा रही थी।

निशा पहले जगदीश राय के कंधे और हाथो का मसाज करने लगी। 

हर एक दौरे पर वह अपने चूचो को पापा के नंगे पीठ पर रगडने से नहीं चूकती थी।जगदीश राय को निशा के खड़े निप्पल्स महसूस होने लगा।

निशा (उन्हें रगड़ते हुए): कैसा…लग रहा …है।।पापा…

जगदीश राय: अच्छा।।।। लग रहा है…।

कुछ देर बाद निशा के हाथ अब जगदीश राय के छाती पर दौडना शुरू हुआ । 

निशा जगदीश राय के छाती के बालो और निप्पल्स पर अपनी उँगलियाँ गोल गोल घुमा रही थी।

और जगदीश राय के पीछे से उनका लंड को फड़ फडाटे हुए देख रही थी।

कोई 10 मिनट बाद।।

निशा (पूरा गरम ): पापा…।अब आप…हम्म…लेट जाइये…।मैं…पैरों का करती हु…।

जगदीश राय निशा को सिल्क शर्ट में हाँफते हुए देखकर इतना गरम हो रहा था की वह बिना कुछ कहे लेट गया।


निशा: पापा… आप अपना आंखें बंद करके , हाथो को ऐसे सर के पिछे ले जाकर लेटे रहिए। हाथो को आगे ले आने की ज़रुरत नहीं…। अब सिर्फ आप मेरे मसाज को फील करिये… 


निशा ने पैरो हाथ फेरना शुरू किया। निशा ने अपनी गरम नंगी जाँघ जगदीश राय के कमर/पेट से लगाकर रखी। निशा अपना हाथ लुंगी के अंदर ले जाकर जगदीश राय की जाँघ तक ले जाती।

आंखेँ बंद किया जगदीश राय ऐसे मदहोश मसाज से पूरा पागल हो चला था। उसका लंड फटने के कगार पर था।

ओर तभी जगदीश राय की लूँगी निशा के हाथो के वजह से सरक गयी और जगदीश राय का काला लम्बा मोटा लंड निशा के ऑंखों के सामने अकड़ते हुए आ गया। ऐसा लग रहा था जैसे एक मोटे साँप को आज़ादी मिली हो।
 
निशा पापा के लंड को इतने पास से देखकर डर गयी और चुपचाप मसाज करने लगी। पर थोडी देर बाद वह लंड को निहारती रही।तभी जगदीश राय को महसूस हुआ की उसका लंड लूँगी से बाहर निकल गया है, और उसने हाथ आगे लाकर लंड को अंदर डालना चाहा।

निशा: पापा…।यह क्या…।मैँने कहाँ था हाथ पीछे…।जब तक मेरी मसाज पूरी नहीं हुई है…

जगदीश राय : पर…बेटी… मैं तो…यह…लूंगी… लूँगी ठीक कर रहा था…

निशा: कोई ज़रुरत नहीं…।।हथ पीछे ले जाईये…।लून्गी जहाँ है वही ठीक है…जिसको बहार आना था खुद ही आ गया… है है।

और निशा ने हँस दिया।

जगदीश राय : पर… बेटी…मुझे…

निशा: पापा…आंखें बंद…। बिलकुल बंद…वैसे भी मुझे उसे देखने में कोई दिकत नहीं तो आप को क्यों…

जगदीश राय फिर से आँखें बंद किया। अपने बेटी के सामने लंड पूरा खुला दिखाई देता सोचकर, उसका लंड पूरा कड़क हो गया। निशा अब जगदीश राय के जांघो पर लुंगी के अंदर हाथ डाल कर हाथ फिरा रही थी। और यह करते वक़्त निशा जानबूजकर जगदीश राय की टट्टो को भी सहला देती।

अपने टट्टो पर निशा के मुलायम हाथो के स्पर्श लगते ही जगदीश राय के मुह से आह निकली।

जगदीश राय : आह…हहह

निशा समझ गयी की जगदीश राय को मसाज बहुत पसंद आ रही है। वह फ्राइडे के अपने प्लान से खुश थी।

इस बार निशा ने अपने बाये हाथ को जगदीश राय के टट्टो पर रहने दिया और सिर्फ अपने दाये हाथ से पैरो का मसाज करने लगी। बायां हाथ धीरे धीरे टट्टो को सहला रहा था।

थोड़ी देर बाद, 

निशा: पापा… यह लूँगी की वजह से मैं आपके कमर तक नहीं पहूँच पा रही हु… उसे उतार देती हु मैं…

जगदीश राय : आआह अरे।।नही…बेटी …लूंगी रहने दो…।

पर पहले ही निशा ने जगदीश राय की पूरी लूँगी खोल दी और जगदीश राय एक छोटे बच्चे की तरह पूरा नंगा, तेल से लथपथ, अपने बेटी के सामने लेटा था।

कठोर लंड पूरा खड़ा सीलिंग फैन के तरफ था। निशा एक हाथ से बेशरमी से पापा के बड़े टट्टो को सहला रही थी। निशा धीरे धीरे दुसरा हाथ से जगदीश राय के पेट में तेल लगा रही थी। 

लंड जोरो से हिल रहा था। छलाँगे मार रहा था।

निशा से अब रहा नहीं गया, और उसने बिना देर करते हुए अपने दाए हाथ से पापा के 9 इंच लंबे लंड को थाम लिया।
 
लंड इतना मोटा था की निशा के हाथो में समां नहीं रहा था।निशा ऐसा महसूस कर रही थी जैसे उसने लोहे के गरम रॉड को पकड़ लिया हो।

जगदीश राय निशा के लंड को पकडते ही ऑंखें खोल दी और आँख फाडे निशा को देखने लगा। निशा मुठ मारने के इरादे से , हाथ हिलाना शुरू किया। जगदीश राय पागल हो गया।

उसने तुरंत वह किया जो निशा को अनुमान नहीं था।

जगदीश राय ने एक झटके से निशा को दोनों हाथो से पकड़कर अपने छाती के उपर खीच लिया।

निशा: पापा…।वाट…क्या कर रहे हो…।रुको…।

जगदीश राय अब एक भेड़िया बन चूका था। 

निशा अपने आप को पापा के बॉहो से छुड़ाने लगी पर जगदीश राय ने अपने हाथो से निशा के सभी बटन तोड़ दिये। निशा के दोनों बड़े चूचे शर्ट के बाहर कुद पडे। 

निशा जगदीश राय के ऊपर गिरती है, उसके चूचे पापा के गरम खुरदरा छाती पे रगड खा रही थी। अब निशा गरम हो चुकी थी।।

निशा: पापा…प्लीस…।पापा…मत करो।। मैं…तो …बस ।।यु ही…।मज़ाक़…आह आह्ह।

जगदीश राय ने कुछ नहीं कहा। उसके कान बंद थे। जगदीश राय तुरंत पलटा और निशा निचे आ गयी और जगदीश राय उपर। 

जगदीश राय की एक्सपीरियंस अब निशा की जवानी पर भारी पड़ रहा था।

ओर निशा समझ नहीं पा रही थी की क्या हो रहा है। जगदीश राय ने अपना सर झुका कर निशा की एक गुलाबी निप्पल लेके अपने मुह में चूस लिया।

निशा: आआआहहह…आआआह… पापाआ…आहहहह…क्याआआ।।ओह्ह्ह्हह्

जगदीश राय अब बेदरदी से निशा के निप्पलों को चबा रहा था। निशा की चूत पूरी गीली होकर इस एहसास से झडने लगी। निशा का शरीर पूरा अकड गया और चूत खुल गई और पानी छोडने लगी।

निशा: आआअह्ह्ह पापा…।यह ऊऊ…।।

और अपने हाथो से पापा के बालो में हाथ फेरते हुए उनके सर को अपने मम्मो के ऊपर दबा रही थी।

तब अनुभवी (एक्सपेरिएंस्ड) जगदीश राय बिना मौका गवाते हुये, तुरंत अपने पैरो से निशा के जाँघो को फैला दिया।

और इसके पहले निशा कुछ समझती ,गरम हुए चूत में एक ज़ोरदार झटका महसूस हुआ।

और निशा जोर से चिल्लायी।

निशा: आहःआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
 
निशा की कूँवारी चूत इतनी टाइट थी की जगदीश राय के मोटे लंड को बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी।

जगदीश राय ने दूसरा झटका तुरंत ही मार दिया और आधा लंड निशा की मासूम कुँवारी चूत को चीरते हुए घूस गया।निशा दर्द के मारे पैरो को अपने पापा के ऊपर पटकने लगी। उसके ऑंखों से आँसू बहने लगे।

जगदीश राय ने 1 मिनट तक निशा को अपनी बाँहों में पकडे रहा और मौका मिलते ही निशा की निप्पल को चूस देता।

थोड़ी देर बाद निशा आहें लेते हुए शांत हुई। जगदीश राय ने प्यार से निशा के बालों में हाथ फेरा, और निशा के गालों को चूमते हुए कहा।

जगदीश राय: कोई बात …नहीं बेटी…बस हो ही गया…अब।

और यह कहते हुए जगदीश राय ने अपना मोटा लंड 1 इंच बाहर निकाला। बाहर निकालते वक़्त निशा की कसी चूत बाहर की तरफ खींच गई। 

और जगदीश राय ने वह झटका दिया जिससे निशा की जान निकल गयी। पुरा 9 इंच लंड , केवल 3 झटको में, जगदीश राय ने निशा की कुवारी चूत में पुरा पेल दिया था। 

यूं लग रहा था जैसे जगदीश राय ने अपने बेटी से अपने छेडख़ानी का बदला लिया हो। निशा का पूरा शरीर जगदीश राय के निचे तड़प उठा।वो रो रही थी चिल्ला रही थी।

निशा: आह…पापा…प्लीज…बहोत…दर्द…।।ओह्ह गॉड़

निशा की बड़ी गांड काँप रहे थे। जगदीश राय ख़ुद को निशा के ऊपर से उठाया और निशा की चूत की तरफ देखा।

जगदीश राय के 9 इंच के लंड का कोई निशान नहीं था क्युकी वह पूरा निशा की कुँवारी चूत में समाया हुआ था।
 
निशा की चूत 4 इंच मोटे लंड से खीचकर फ़टने के कगार में थी। 

और फिर जगदीश राय ने वह देखा जिसको देखकर उसको ख़ुशी हुई। कसी हुई चूत से लंड से सरकते हुए लाल खून निकल रहा था। 

जगदीश राय खुश हुआ की निशा अब तक कुँवारी थी और उसे कूँवारी चूत मारने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

जगदीश राय पूरा लंड निशा की चूत में डाले कम से कम 3 मिनट वेट किया। 

वह निशा को अब पूरा गरम करके चोदना चाहता था। और निशा की कान, गर्दन और चूचो को चाट और चूम रहा था निप्पलो को दांतो से धीरे धीरे काट रहा था।

कुछ देर बाद निशा को चूत का खिचाव महसूस हुआ। जगदीश राय ने पेलना शुरू किया। 

पहले धीरे से, फिर जोर से। पुरे कमरे में सिर्फ निशा और जगदीश राय की चीखों और आह की आवाज़ थी।

कोई 10 मिनट चोदने के बाद, जगदीश राय ने अब पूरा ताकत से अपनी बेटी को पेलना शुरू किया।

जगदीश राय: ओह निशा…।आह आहः

और तभी जगदीश राय को सुबह से तडपा रही ओर्गास्म आने का अनुमान हुआ।

उसने लंड तुरंत बाहर निकाल लिया। निशा अचानक से लंड के बाहर खीचने से चीख पडी।

और निशा की आँखे जगदीश राय के लंड पर गयी।जगदीश राय का लंड पूरा खून से लाल था और फिर २ सेक्ण्ड में लंड ने वीर्य फेकना शुरू किया। 

जगदीश राय: आअह आआअह्ह बेटी…।यह ले……।

गरम लंड का पहला माल निशा के पेट और चूचो पर जा गिरा। निशा लंड की गर्मी को देखकर चौक गयी।

जगदीश राय कम से कम 1 मिनट तक जोर जोर से झड़ता रहा। और फिर बेड पर एक ज़ख़्मी शेर की तरह गिर पडा।

निशा, चुदाई ,से लथपफ अपनी पैर खोले पड़ी रही। कुछ 5 मिनट बाद बड़ी मुश्किल से वह उठी।

और अपने चूत और जांघ पर लगे खून को देखकर चौक और डर गयी। जगदीश राय उसे देख रहा था। दोनों कुछ बोलने के स्थिथि में नहीं थे। 

निशा बेड से उठी और नंगी होकर लंगडाते हुए रूम के बाहर जाने लगी।

जगदीश राय: निशा बेटी…।।

निशा मुडी और जगदीश राय के ऑंखों में देखा। उसके ऑंखों में आँसू भरे थे।

जगदीश राय : आई ऍम सॉरी बेटी…।मुझे माफ़ कर दो…मैं अपने आपे में नहीं था…।तुम मसाज…।

निशा बिना कुछ कहे अपने रूम के तरफ चल देती है।
 
निशा कमरे के अंदर जाकर सीधे बाथरूम में चलि गयी। वह आघात स्थिति में कुछ सोच नहीं पा रही थी। 
ओर फिर शावर के निचे खड़ी हो गयी। 

पहले सम्भोग का दर्द शावर के पानी से मिटाने की कोशिश कर रही थी। 

गरम पानी निशा की दर्दनाक चूत को सहलाता गया। निशा को आराम मिलता गया और दिमाग खुलता गया। 

और फिर निशा रोने लगी। खूब रोने लगी।

उसे पता नहीं चल रहा था की वह क्यों रो रही है पर आँसू रुक नहीं रहे थे।

बाथरूम के सफ़ेद फर्श पर लाल खून के धब्बे दिखाई दे रहे थे। 

निशा की आसुओं ने पानी की मदद से खून को धोने में सफल हो ही गयी थी। और खून के साथ निशा को अपना कुंवारापन बहता हुआ महसूस हुआ। 

निशा पानी के निचे 20 मिनट तक ऐसे ही सर झुकाये खड़ी रही। फिर धीरे से शावर से बाहर आकर, शारीर टॉवल से पौछने लगी। 

और अपने आप को बाथरूम के मिरर के सामने पाया।

मिरर के सामने , उसकी आँखों ने , एक लड़की नहीं बल्कि एक औरत को देख लिया था। एक बहुत ही सुन्दर औरत, जो उसकी पापा के शब्दो में किसी अप्सरा के काम नहीं है।

और फिर निशा के होटों में मुस्कान आ गयी।

निशा (मन में): देखा माँ, आज तुम्हारी निशा ने अपने ही पापा के साथ वह किया जो तुम सोच भी नहीं सकती… बचपन से तुम मुझे सुशील लड़की बनाने में लगी थी…निशा यह मत कर।। वह मत कर। पैर फैलाके मत बैठ…छोटे कपडे मत पहन… अपनी छोटी बहनो के लिए आदर्श बन…।सब बकवास…।सब बकवास…तंग आ चुकी थी मैं तुम्हारी इस बकवास से…आज मैं पहली बार गन्दी फील कर रही हु…। और देखो मुझे सिर्फ ख़ुशी ही हो रही है…।आज मैं पहली बार आज़ाद हुई हु… तुम्हारी सड़ी हुई सोच के कैद से…।

निशा अपने आप से मिरर के सामने खड़ी रहकर यह सोचती रही। 

उसे एहसास हुआ की वह अपने पापा को सिड्यूस कर रही थी, वह दरअसल , पापा के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए कर रही थी। खुद को आज़ाद पाने के लिये।।।

और फिर मुस्कुराते हुए अपने गीले बालो को सवारना शुरू किया। 

फिर निशा अपने रूम में चलि गयी। वह पूरी नंगी थी। और अब उसे अपने नंगेपन पर गर्व हो रहा था। 
 
निशा ड्रेसिंग टेबल से सामने बैठ गयी और अपने दोनों पैर ड्रेसिंग टेबल के इर्द-गिरद रख दिया।

और उसके ऑंखों के सामने उसकी चूदी हुई चूत मिरर में एक खिले हुए फूल की तरह नज़र आयी।

एक नयी नवेली दुलहन की तरह वह अपने चूत को घुरे जा रही थी।

चूत, जो पहले, छोटी हुआ करती थी, अब फुलकर खुल गई थी। और अंदर का लाल भाग भी साफ़ दिखाई दे रहा था। पहेली चुदाई के कारण चूत के होठ सुजे हुए थे और लाल हो गए थे।

निशा ने अपना एक हाथ जब चूत पर हाथ रखा तो दर्द महसूस हुआ। पर वह धीरे धीरे अपने चूत को सहलाने लगी। धीरे धीरे दर्द मीठा होता गया और शरीर में मस्ती की लहर आने लगी।

निशा के ऑखों के सामने उसके खून से लथपथ पापा का मोटा लंड का लाल सुपाडा चमकने लगा।

उसने अपने ड्रेसिंग टेबल के ड्रावर में से वेसलिन का डिब्बा उठाया और वेसिलीन लेकर अपने चूत के होटों पर मल दिया। 

फिर निशा ने अपने नंगापन को टॉवल से ढक लिया।

निशा (मन में): मुझे आशा और सशा के आने से पहले पापा के रूम से चद्दर हटाना होगा। नहीं तो चादर पर खून दिखाई देगा। अब 2 बजे बजे है।4 बजे तक वो आने वाले थे। उन्हें इस बात की भनक भी नहीं पडना चाहिए।

और वह रूम के दरवाज़े के तरफ चल दी।

निशा(मन में): क्या मेरे इस तरह टॉवल में जाना ठीक होगा…।पापा के सामने…।।पर अब उनसे क्या छुपाना…।

और आज़ाद निशा जगदीश राय के रूम के तरफ चल देती है…
 
अन्दर अपने कमरे में निशा के आसू भरी आँखों ने जगदीश राय के सीने को चीरकर रख दिया था।

उसे अपने आप पर शर्म आ रहा था।

वह वही नंगा पड़े बेड पर लगे निशा की चूत से निकली खून के धब्बो को घूरे जा रहा था।

जगदीश राय (मन में): यह मैंने क्या कर दिया… और क्यों किया… निशा तो बच्ची है…।सब मज़ाक़ समझ रही थी…उसने सपने में नहीं सोचा होगा की उसके पापा उसके साथ… है भगवन…।अब मैं निशा को किस मुह से फेस कर पाउँगा…।

तभी अचानक से रूम का दरवाज़ा खुला जो उसके सोच को काट दिया। 

जगदीश राय अपने ऊपर धोती चढाने को हाथ बढाया पर धोती बेड के दुसरे कोने में पड़ी थी। उसने सोचा नहीं था की कोई उसके कमरे में आएगा अब।

तब उनकी नज़र निशा पर पड़ी , जो धीरे से कॅमरे में प्रवेश किया। 

जगदीश राय तुरंत अपने दोनों हाथो से अपने लंड को छुपाये और बेड पर बेठा रहा। 

निशा टॉवल में लिपटी हुई थी और जगदीश राय को घूर रही थी। 

और जगदीश राय निशा की निरंतर घूरति निगाहों का अब सहन नहीं हो रहा था। अपराध बोध से वह सर झुकाये बैठा था।

निशा (कठोर रूप से): मुझे बेडशीट चेंज करनी है…।आशा-सशा के आने से पहले…

जगदीश राय (सर झुकाए): हाँ…ठीक है… मैं कर दूंग।।

निशा: नहीं…। मुझे करना है।

जगदीश राय: ठीक है… मैं धोती पहन लू…।

निशा (कठोर आवाज़ से): नहीं…रुकिए…।आपकी मालिश कहाँ पूरी हुई है…मालिश के बाद मैं चेंज कर दूंग़ी।

जगदीश राय , मालिश का नाम सुने चौक गया और कई सवालों के साथ निशा के चेहरे की तरफ देखा।

निशा (मुँह फेरती हुए): चलिए…लेट जाईये…

जगदीश राय: नहीं बेटी…नहीं… मुझे इस तरह शरमिंदा मत करो… मैं तुम्हारा कुसवार हु…मेरी नियत में खोट थी।।।मैंने तुम्हारे साथ वह किया जो एक बेटी बाप को कभी माफ़ नहीं कर सकती… इसलिये मैं माफ़ी मांगने के भी लायक नहीं हूँ…।प्लीज…।चलि जाओ…और मुझे आज से पापा बुलाने की ज़रुरत भी नहीं…

निशा: मैंने कब कहा की आपकी नियत ठीक नहीं थी…बस तरीका सही नहीं था…

जगदीश राय निशा की यह बात सुनकर बौखला गया और गुमराह बच्चे की तरह निशा के चेहरे को घूरता गया।

जगदीश राय: तो क्या…तुम्हे…।यह सब…।

निशा: जी नहीं…मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा… इससे हैवानियत कहते है…।फॉर योर काइंड इन्फोर्मटिशन

निशा(सर झुकाए): मैं तो समझी थी की आप मेरे दोस्त है… और जो करेंगे प्यार से करेंगे…।

निशा: पर आपने ।। वह किया… जो।।

जगदीश राय थोड़ी देर यह सुनकर चुप रहा ।

जगदीश राय: मैं तुम्हारा दोस्त हु… और इस दोस्त को तुम जो सजा देना चाहो मुझे मंज़ूर है।।

निशा (मुस्कुराते हुए) : सजा तो मैं दूंगी, पर वक़्त आने पर। 

और निशा टॉवल पहनी जगदीश राय के बेड पर बैठ गयी। 

जगदीश राय अब तक पूरा नंगा अपने हाथों से लंड और टट्टो को छुपाये बैठा था।

निशा: चलिये… लेट जाईये…।
 
जगदीश राय ने , बड़ी कोशिश करके थोड़ा सा मुस्कुराये और लेट गया।

निशा: और आप क्या यह हाथ पकडे लेटे है…ऐसा क्या खज़ाना छुपा रहे है जो मुझे पता ही नहीं… चलिये हाथ दोनों सर के पीछे…समझे…।हाँ ऐसे…।

जगदीश राय अब तक पूरा नंगा अपने हाथो से लंड और टट्टो को छुपाये बैठा था।

निशा: चलिये… लेट जाईये…।

जगदीश राय , बड़ी कोशिश करके थोड़ा सा मुस्कुराये और लेट गया।

निशा: और आप क्या यह हाथ पकड़े लेटे है…ऐसा क्या खज़ाना छुपा रहे है जो मुझे पता ही नहीं… चलिये हाथ दोनों सर के पीछे…समझे…।हाँ ऐसे…।

जगदीश राय निशा की ऑंखों को घूरते , हाथ पीछे ले गया। और अर्ध-खड़ा लंड निशा की ऑंखों के सामने खुला पड़ा था।
निशा ने मुस्कुराते हुए लंड को देखा।

लंड पर अभी खून लगा हुआ था। और लंड जगदीश राइ के पेट पर गिरने से खून पेट पर भी लग गया।

निशा: ओह ओह आप ने अभी तक साफ़ नहीं किया…यह देखो…सभी जगह लाली फैला रहे हो…रुको साफ़ करती हूँ।।।

और निशा ने लंड और पेट को साफ़ करने के लिए ढूँढ़ते हुए इर्द-गिर्द नज़र घुमाया।

निशा: यहाँ तो तौलिया नहीं है…

जगदीश राय : बेटा …मैं बाथरूम जाकर साफ़ करता हु…रुको

जगदीश राय उठने लगा।

निशा: कोई ज़रुरत नहीं…मेरे पास जो है तौलिया…।

और यह कहते हुए निशा ने अपने हाथ को अपने छाती पर ले जाकर , चूचो के ऊपर लगी टॉवल की गाठ को खोल दिया। 

जगदीश राय आखे फाडे देखता रहा। और टॉवल के खुलते ही निशा के दो बड़े गोलदार चूचे आज़ाद हो गये। 
 
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