hotaks444
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खटिया से उतर कर जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया..जाने दो
ना...अब क्या है.मैं धीरे से बोली.अभी मत जाओ ना बीबीजी..अभी मन
नही भरा. वा सरलता से बोला..सच कहे तो मन तो हमारा भी नही
भरा था. पर मुझे बाथरूम आ रही थी. उसका हाथ छुड़ा धीरे
से बोली.छोड़ो ना..मुझे पिशाब आ रही है.तो यही मोरी पर कर लो
ना..वही पानी भी रखा है..मैं समझ गयी कि अभी ये मुझे छोडने
को तैयार नही है. मैं अंधेरे मे टटोल टटोल कर कमरे मे ही एक
कोने पर बनी मोरी पे गयी. बैठते ही मेरा तो ऐसी ज़ोर से पेशाब
छूटा कि मैं खुद हैरान रह गयी. एक दम तेज सुर्राटी की आवाज़
निकली तो मैं खुद पर ही झेंप गयी.हरिया भी कमरे मे था.सुन रहा
होगा.वो क्या सोचेगा.पर क्या करतीमजबूरी थी.मेरे तो पेशाब ऐसे
ही जोरदार आवाज़ के साथ निकलता है. पेशाब करने के बाद मेने
बाल्टी से पानी ले कर अपनी चूत को धोया. और अंधेरे मे ही
लड़खड़ाती हुई वापस खटिया के पास आई तो हरिया ने पकड़ कर
फॉरन अपनी बगल मे लेटा लिया.. मुझे नंगे बदन उससे लिपट कर मज़ा
ही आ गया. उस के चौड़े सीने मे घुस कर मैं सारे जहा का सुख पा
गयी.उपर से वो पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगा तो सोने मे
सुहागा हो गया. मेने खूब चिपक चिपक कर उसके स्पर्श का आनंद
लिया. जब मैं हरिया के साथ थोड़ी कंफर्टेबल हो गयी तो मेने ही
बात छेड़ी..हरिया..मुझे डर लगता है..-कैसा डर बीबीजी.- मैं
कुछ नही बोली,बस उस के चौड़े सीने मे नाक रगड़ दी..वह मेरे कूल्हे
पर हाथ ले गया.तपथपाया..डरने की क्या बात है बीबी जी,
औरत मरद का तो जोड़ा होता है.या मैं नौकर हू,इस लिए.. मैं एक दम
ज़ोर से उस से लिपट गयी..ऐसा ना कहो,हरियाआ..उसने मेरे कूल्हों पर
हाथ चलाया..फिर.क्या आपकी जिंदगी मे और कोई मर्द है ?.मैं
अंधेरे मे और ज़ोर से उस से लिपट गयी.. नही.धात...तुम भी तो हो
मेरे साथ दो साल से...होता तो क्या तुमको नही दिखता ? मैने उल्टा
सवाल किया.मुझे तो नही दिखा..मैं उस की बाहों मे कसमसाई..नही
है...मुझ विधवा को कौन पसंद करेगा रे..- आपको क्या पता
बीबीजी आप कितनी खूबसूरत हो.-मुझे तो बहुत डर लगता
है..हरियाआअ.मैं उस से चिपक गयी.क्यों डरती हो..बीबीजी.सब कोई
तो करते है यह काम.
ना...अब क्या है.मैं धीरे से बोली.अभी मत जाओ ना बीबीजी..अभी मन
नही भरा. वा सरलता से बोला..सच कहे तो मन तो हमारा भी नही
भरा था. पर मुझे बाथरूम आ रही थी. उसका हाथ छुड़ा धीरे
से बोली.छोड़ो ना..मुझे पिशाब आ रही है.तो यही मोरी पर कर लो
ना..वही पानी भी रखा है..मैं समझ गयी कि अभी ये मुझे छोडने
को तैयार नही है. मैं अंधेरे मे टटोल टटोल कर कमरे मे ही एक
कोने पर बनी मोरी पे गयी. बैठते ही मेरा तो ऐसी ज़ोर से पेशाब
छूटा कि मैं खुद हैरान रह गयी. एक दम तेज सुर्राटी की आवाज़
निकली तो मैं खुद पर ही झेंप गयी.हरिया भी कमरे मे था.सुन रहा
होगा.वो क्या सोचेगा.पर क्या करतीमजबूरी थी.मेरे तो पेशाब ऐसे
ही जोरदार आवाज़ के साथ निकलता है. पेशाब करने के बाद मेने
बाल्टी से पानी ले कर अपनी चूत को धोया. और अंधेरे मे ही
लड़खड़ाती हुई वापस खटिया के पास आई तो हरिया ने पकड़ कर
फॉरन अपनी बगल मे लेटा लिया.. मुझे नंगे बदन उससे लिपट कर मज़ा
ही आ गया. उस के चौड़े सीने मे घुस कर मैं सारे जहा का सुख पा
गयी.उपर से वो पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगा तो सोने मे
सुहागा हो गया. मेने खूब चिपक चिपक कर उसके स्पर्श का आनंद
लिया. जब मैं हरिया के साथ थोड़ी कंफर्टेबल हो गयी तो मेने ही
बात छेड़ी..हरिया..मुझे डर लगता है..-कैसा डर बीबीजी.- मैं
कुछ नही बोली,बस उस के चौड़े सीने मे नाक रगड़ दी..वह मेरे कूल्हे
पर हाथ ले गया.तपथपाया..डरने की क्या बात है बीबी जी,
औरत मरद का तो जोड़ा होता है.या मैं नौकर हू,इस लिए.. मैं एक दम
ज़ोर से उस से लिपट गयी..ऐसा ना कहो,हरियाआ..उसने मेरे कूल्हों पर
हाथ चलाया..फिर.क्या आपकी जिंदगी मे और कोई मर्द है ?.मैं
अंधेरे मे और ज़ोर से उस से लिपट गयी.. नही.धात...तुम भी तो हो
मेरे साथ दो साल से...होता तो क्या तुमको नही दिखता ? मैने उल्टा
सवाल किया.मुझे तो नही दिखा..मैं उस की बाहों मे कसमसाई..नही
है...मुझ विधवा को कौन पसंद करेगा रे..- आपको क्या पता
बीबीजी आप कितनी खूबसूरत हो.-मुझे तो बहुत डर लगता
है..हरियाआअ.मैं उस से चिपक गयी.क्यों डरती हो..बीबीजी.सब कोई
तो करते है यह काम.