hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
झरना- पर मम्मी, ये तो जान-पहचान वाला है, रिश्तेदार है।
मम्मी- “जान पहचान वाला है, रिश्तेदार है। मैं तो इसे नहीं जानती...”
झरना- “अरे माँ, ये अपना दमऊ भैया का दोस्त है, भाभी के साथ आया है.”
मम्मी- “अच्छा अच्छा... पर हे राम... इसका लण्ड तो देखो। झरना, इसे अपने अंदर ना डलवाना मेरी लाडो। वरना किसी और लण्ड के काबिल ना रह पाएगी?
झरना- “पर मम्मी, मैं तो चुदवा चुकी हूँ मम्मी...”
मम्मी- क्या? चुदवा चुकी है? हाय तेरी चूत का तो भोसड़ा बन गया होगा बेटी?
झरना- “अरे नहीं मम्मी, मुझे खूब मजा आया...”
मम्मी- सच में बेटी? कैसा लगा, बता ना?”
झरना- “सबसे शानदार... सबसे दमदार... सबसे रसदार...”
मम्मी- “सचमुच?” अब उसकी मम्मी भी मेरे नंगे बदन को घूर-चूर के देख रही थी- “हे बेटी, ऐसा शानदार लण्ड तो मैंने आज तक नहीं देखा बेटी। तेरे पिताजी के गुजरने के बाद आज पहली बार मैं लण्ड देख रही हूँ...”
झरना- क्यों झूठ बोल रही हो मम्मी? पिछली बार ये आए थे, तब?
मम्मी - ये... ये कौन बेटी?
झरना- तुम भी ना मम्मी। ये मतलब... आपके जमाई राजा, मेरे पतिदेव। पिछली बार आपने उनका नहीं चखा था क्या? ये तो मुझे बता रहे थे की तुम्हारी मम्मी की बुर फूली हुई पावरोटी सरीखी है...”
मम्मी- “क्या पिछली बार वो जमाई राजा थे? तभी मुझे लग रहा था कि ये लण्ड कुछ अलग सा है... हे भगवान् बेटे के भरोसे जमाई से ही चुद गई...”
झरना- “क्या? क्या बोल रही हो मम्मी? आप अपने बेटे से? हे भगवान्... आपको शर्म नहीं आई मम्मी, अपने बेटे से चुदवाते हुए?”
मम्मी- “शर्म तो बहुत आई बेटी। बहुत ही शर्म आई... बेटी जब मैं एक रात को पानी पीने जा रही थी, और मैंने देखा की मेरा प्यारा बेटा मेरी प्यारी बेटी को चोद रहा था। बहुत ही शर्म आई बेटा...”
मम्मी- “जान पहचान वाला है, रिश्तेदार है। मैं तो इसे नहीं जानती...”
झरना- “अरे माँ, ये अपना दमऊ भैया का दोस्त है, भाभी के साथ आया है.”
मम्मी- “अच्छा अच्छा... पर हे राम... इसका लण्ड तो देखो। झरना, इसे अपने अंदर ना डलवाना मेरी लाडो। वरना किसी और लण्ड के काबिल ना रह पाएगी?
झरना- “पर मम्मी, मैं तो चुदवा चुकी हूँ मम्मी...”
मम्मी- क्या? चुदवा चुकी है? हाय तेरी चूत का तो भोसड़ा बन गया होगा बेटी?
झरना- “अरे नहीं मम्मी, मुझे खूब मजा आया...”
मम्मी- सच में बेटी? कैसा लगा, बता ना?”
झरना- “सबसे शानदार... सबसे दमदार... सबसे रसदार...”
मम्मी- “सचमुच?” अब उसकी मम्मी भी मेरे नंगे बदन को घूर-चूर के देख रही थी- “हे बेटी, ऐसा शानदार लण्ड तो मैंने आज तक नहीं देखा बेटी। तेरे पिताजी के गुजरने के बाद आज पहली बार मैं लण्ड देख रही हूँ...”
झरना- क्यों झूठ बोल रही हो मम्मी? पिछली बार ये आए थे, तब?
मम्मी - ये... ये कौन बेटी?
झरना- तुम भी ना मम्मी। ये मतलब... आपके जमाई राजा, मेरे पतिदेव। पिछली बार आपने उनका नहीं चखा था क्या? ये तो मुझे बता रहे थे की तुम्हारी मम्मी की बुर फूली हुई पावरोटी सरीखी है...”
मम्मी- “क्या पिछली बार वो जमाई राजा थे? तभी मुझे लग रहा था कि ये लण्ड कुछ अलग सा है... हे भगवान् बेटे के भरोसे जमाई से ही चुद गई...”
झरना- “क्या? क्या बोल रही हो मम्मी? आप अपने बेटे से? हे भगवान्... आपको शर्म नहीं आई मम्मी, अपने बेटे से चुदवाते हुए?”
मम्मी- “शर्म तो बहुत आई बेटी। बहुत ही शर्म आई... बेटी जब मैं एक रात को पानी पीने जा रही थी, और मैंने देखा की मेरा प्यारा बेटा मेरी प्यारी बेटी को चोद रहा था। बहुत ही शर्म आई बेटा...”