Real Chudai Kahani किस्मत का फेर - SexBaba
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Real Chudai Kahani किस्मत का फेर

hotaks444

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Nov 15, 2016
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[font=Arial, Helvetica, sans-serif]किस्मत का फेर

फ्रेंड्स एक और छोटी सी कहानी आपकी नज़र पेश कर रही हूँ हालाँकि मैने इस कहानी को नही लिखा है पर इस फोरम पर ये कहानी नही है आपको मेरे द्वारा पोस्ट की गई य कहानी ज़रूर पसंद आएगी इसी आशा के साथ आपकी कामिनी 

पार्टी रात में अपने पूरे शबाब पर थी ।
लड़के लड़कियां अपने अपने गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ डांस करने या बियर पीने पिलाने में मस्त थे ।
काँनफाड़ू संगीत के शोर में डांस फ्लोर पर जोड़ियां डांस में मस्त थीं ।
पीना पिलाना , धुआँ उड़ाना और जोड़ियों का खूब सेक्स करना इन पार्टियों की यही खासियत थी ।
एक बार जब नशा चढ़ता था तो लड़कियों की भी शर्म चली जाती थी ।
फिर किसने क्या किया कोई परवाह नहीं रहती थी ।
बस जवानी के मज़े लूटते जाओ , एन्जॉय करो , यही सब होता था ।

वहीँ एक कोने में दो खूबसूरत लड़कियां रिया और आँचल , जिनकी उम्र लगभग २२ वर्ष रही होगी , कुर्सियों पर बैठी थीं ।
क्योँकि इस समय दोनों का ही कोई बॉयफ्रेंड नहीं था ।
आँचल का दो साल पुराने बॉयफ्रेंड से 4 महीने पहले ही ब्रेकअप हुआ था ।
जिससे उसके दिल को ठेस पहुंची थी और वो थोड़ा उदास रहने लगी थी ।
उसने कोई नया बॉयफ्रेंड नहीं बनाया था ।
ब्रेकअप के बाद से वो ऐसी पार्टियों से दूर ही रहती थी ।
क्योँकि अधिकतर लोग अपने बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड के साथ जोड़े में होते थे ।
आज भी रिया के बहुत ज़ोर देने पर वो पार्टी में आयी थी ।

आंचल गोरे रंग की तीखे नाक नक्श वाली सुन्दर लड़की थी ।
उसकी कजरारी बोलती सी आँखें , सुन्दर चेहरा , उभरी हुई नुकीली चूचियां ,
पतली कमर और गोल गोल नितम्ब , उसकी कमनीय काया , उसका खिला हुआ यौवन किसी को भी मदहोश कर दे ।
लड़के उसके पीछे दीवाने थे ।
लेकिन वो एक लिमिट से ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाती थी ।
खासकर अपने ब्रेकअप के बाद से लड़कों से थोड़ा उसका मोहभंग सा हो गया था ।
रिया चेहरे मोहरे की इतनी सुन्दर तो नहीं थी ।
लेकिन बदन उसका भी बहुत मादक था ।
बड़ी बड़ी चूचियां , उभरी हुई गांड जो किसी को भी मतवाला बना दे ।

वैसे तो दोनों ही खुले विचारों की आधुनिक लड़कियां थीं ।
पर रिया कुछ ज्यादा ही मनमौजी स्वाभाव की थी ।
इसलिए ज्यादातर लड़के उसके दोस्त थे ।
उसको बॉयफ्रेंड की जरुरत ही नहीं थी ।
क्योँकि वो किसी एक से बंधकर रहने वालो में से नहीं थी ।


आँचल की स्लीवलेस पार्टी ड्रेस घुटनों से लगभग 6 से 8 इंच ऊपर थी।
जिससे उसकी खूबसूरत बाँहें और चिकनी मांसल जांघें देखने वालों को मदमस्त कर दे रही थीं ।
इस पार्टी ड्रेस मेँ क्लीवेज न के बराबर होने से उसकी छाती पूरी ढकी हुई थी
लेकिन उसकी चूचियों की गोलाइयों का शेप बिलकुल साफ़ दिख रहा था ।
बहुत ही मादक लग रही थी आँचल ।
आज उसका मूड भी थोड़ा मस्त था ।

इस समय कुर्सियों पर बैठी हुई रिया और आँचल दोनों के हाथ में बियर थी ।

“न जाने क्यों आज मुझे सेक्स करने का बहुत मन हो रहा है " आँचल ने बियर का एक घूंट लेते हुए कहा ।

“लगता है तुमने ज्यादा ही पी ली है ” रिया ने जवाब दिया ।
वैसे उसे खुद भी हल्का नशा हो रहा था इसलिए वो sure नहीं थी कि उसने सही सुना है ।
कुछ पल बाद जब बात उसकी समझ में ढंग से आयी तो वो चौंक कर बोली
“ क्या तुम वाक़ई सीरियस हो ? मेरा मतलब सेक्स करने को लेकर । "

“हम्म्म … sure तो नहीं हूँ …लेकिन सेक्स किये हुए बहुत लम्बा समय हो गया है ।”

“मुझे लगता है , ये पार्टी के माहौल का असर है , तुम पर " रिया उसे चिढ़ाते हुए बोली ।

“देखो रिया मैं जिसतिस के साथ बेड शेयर करने वालों में से नहीं हूँ ।
लेकिन एक असली सेक्स के ख्याल से ही आज मुझे उत्तेजना आ रही है ।
ब्रेकअप के बाद 4 महीने से मैंने सेक्स नहीं किया है।
सिर्फ ऊँगली से ही काम चला रही हूँ ।"
फिर थोड़ा रूककर बोली ,
"ओह ....शायद मुझे अब पीना बंद कर देना चाहिए , नहीं तो मैं फिर से कुछ बक दूंगी ।”

“अरे ... कम ऑन यार , अब पीछे क्यों हट रही हो ।
जो तुमको चाहिए वो बिलकुल सही है , उसमें कुछ भी गलत नहीं ।
सबको सेक्स की जरुरत महसूस होती है ।
खुद मुझे एक जोरदार सेक्स की जरुरत है ” रिया मादक तरीके से अपने होठों पर जीभ फिराते हुए मुस्कुराने लगी ।


“मैं अभी किसी भी लड़के के साथ इन्वॉल्व नहीं होना चाहती , मतलब कोई रिलेशनशिप नहीं चाहती ।
लेकिन अगर कोई ऐसा लड़का मिले जो मुझे नहीं पहचानता हो और मैं उसे नहीं जानती हूँ ।
तो एक रात के लिए मुझे कोई ऐतराज नहीं और मेरी इच्छा भी पूरी हो जाएगी ।
फिर वो अपने रास्ते , मैं अपने रास्ते , कोई रिलेशनशिप या कमिटमेंट का झंझट नहीं ।
मेरा मतलब वो मुझे देख न पाये । क्योंकि अगर वो मुझे देख लेगा तो फिर कभी रिलेशनशिप रखने के लिए
या किसी और बात के लिये परेशान भी कर सकता है ।
यानी मैं किसी जान पहचान के लड़के के साथ इन्वॉल्व भी न होऊं और सेक्स की मेरी इच्छा भी पूरी हो जाये
कुछ ऐसा रास्ता निकले तो बात बन जाये ।”

“ ओहो ..... ये तो बड़ा ही उत्तेजक आईडिया है ।
एक अनजान लड़की एक अनजान लड़के के साथ बेड में ।
मेरा तो सोचने से ही पानी निकलने लगा है ।
लेकिन ऐसा होगा कैसे ? क्या तुम अपने चेहरे पे मास्क लगाओगी ? "

" नहीं मास्क से काम नहीं चलेगा ।
मैं भी उसको नहीं देखना चाहती हूँ और न ही उसको जानना चाहती हूँ ।
मतलब वो भी मेरे लिये अनजान ही रहे ।
ताकि फिर कभी मिले तो न मैं उसे पहचानू , न वो मुझे । "

फिर दोनों दोस्त सोचने लगीं कि ये कैसे किया जाये । तभी रिया बोली
“ मुझे एक आईडिया सूझा है तुम यहीं मेरा इंतज़ार करो " और वो सीढ़ियों से ऊपर फ्लोर पर चली गयी ।
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[font=Arial, Helvetica, sans-serif]https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8060&sid=9a7f90810a3ba081c72918b0e071060e#top[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ मिनटों के बाद रिया लौटी तो उसके चेहरे पर शरारती मुस्कराहट थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आँचल क्या तुम sure हो कि तुम ये सब करना चाहती हो ? "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने सिर्फ हाँ में सर हिला दिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ठीक है फिर , देखो फर्स्ट फ्लोर में एक बेडरूम खाली है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये तुम्हारे आईडिया के लिए बिलकुल परफेक्ट है।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बस तुमको सारी लाइट्स ऑफ रखनी है , परदे चौड़े कर के फैला देने हैं[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और बेड पर बैठ के इंतज़ार करना है , उस अनजान लड़के का ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वहां अँधेरे कमरे में कोई तुम्हें देख नहीं पायेगा । मैं खुद चेक करके आयी हूँ ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कमरे में अनजान लड़के के साथ होने के ख्याल से आँचल के बदन में सिहरन सी दौड़ गयी ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन साथ ही साथ टांगों के बीच में गुदगुदी भी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई अनजान लड़का , जिसको उसने कभी देखा न हो , जिससे वो कभी बोली न हो ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो उसके नंगे बदन को छुएगा , ये सोचकर उसका पूरा बदन सिहर उठा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ लेकिन किसी लड़के को ये कैसे पता चलेगा कि मैं उस कमरे में हूँ ?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अरे उसकी चिंता तुम मुझपर छोड़ दो मेरी जान , मैं किसी न किसी लड़के को ढूँढ ही लाऊंगी अपनी शहजादी के लिए ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बल्कि किसी दिन ये आईडिया मैं अपने ऊपर भी आजमाऊँगी ” रिया हँसते हुए बोली ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" लेकिन अब तुम जल्दी करो ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कहीं कोई और उस रूम में कब्ज़ा न कर ले , उससे पहले तुम जाओ वहां ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाकी सारे कमरों में जोड़ियां घुसी हुईं हैं ।" ऐसा कहकर रिया ने आँचल को खींचकर उठा दिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने मज़े मज़े में प्लान बना तो दिया पर अब उसे घबराहट होने लगी ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो कांपते पैरों से रिया के साथ कमरे की ओर बढ़ी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कमरे के पास पहुंचकर रिया ने पहले चेक किया कि कमरा अभी भी खाली तो है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर आँचल को भी अंदर बुला लिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“चलो खेल शुरू करते हैं पर इस बात का पूरा ध्यान रखना कि तुम अपनी जबान बंद ही रखो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अगर बहुत जरुरत पड़ ही जाये तो धीरे से आवाज़ बदलकर ही बोलना , समझ गयी ? " रिया ने आँचल को समझाया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ मुझको पता है " आँचल ने कहा । पर घबराहट उसके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया ने आँचल को बेड में बिठा दिया और परदे चौड़े करके फैला दिये और लाइट्स ऑफ कर दी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर दरवाज़ा बंद करके वो बाहर आ गयी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाहर आकर उसने एक गहरी सांस ली ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]एक ऐसा लड़का ढूंढना था जो उनके आईडिया को पसंद करे और उस पर अमल को राजी हो ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दिखने में ठीक ठाक हो और साथ ही साथ शरीफ भी होना चाहिए , जो उसकी प्यारी दोस्त को अच्छी तरह से ट्रीट करे ।[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर पार्टी मेँ पहुँचता है । उम्र लगभग 21 वर्ष , 6 फुट की हाइट , गोरा रंग , जिम मेँ तराशा हुआ गठीला जिस्म ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]चौड़ी छाती ,मजबूत बांहें , सौम्य स्वभाव , आकर्षक व्यक्तित्व , स्पोर्ट्स मेँ विशेष रूचि है उसकी । इस शहर मेँ आये हुए ज्यादा समय[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं हुआ था , इसलिए उसके दोस्त या जानने वाले गिने चुने ही थे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके एक नए बने दोस्त ने इस पार्टी के लिए invite किया था । वहां देखता है कि डांस फ्लोर मेँ लड़के लड़कियां तेज संगीत की धुन[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेँ डांस कर रहे हैं , पर कोई उसकी पहचान का नहीं है । समीर अपने उस दोस्त को ढूंढता है पर वो उसे कहीं नहीं दिख रहा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अपने दोस्त के आने का इंतज़ार करने का मन बनाता है और टाइमपास के लिए बियर पीने लगता है।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]15-20 मिनट इंतज़ार करने के बाद बोर होने लगता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी एक खूबसूरत सी लड़की उसके पास आती है । उसने डीप कट ब्लाउज और स्कर्ट पहना हुआ था[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिसमें उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आधी बाहर झलक रही थीं ।दिखने से ही फ़्लर्ट टाइप की लड़की लग रही थी ।[/font]





[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" hi मेरा नाम काम्या है “ उस लड़की ने समीर की तरफ हाथ बढ़ाया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" मैं समीर “ हाथ मिलाते हुए वो बोला ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या ने उसको एक बार अच्छी तरह से ऊपर से नीचे देखा फिर मुस्कुरायी । समीर भी मुस्कुरा दिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर के गठीले बदन को देखकर काम्या इम्प्रेस हो जाती है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" बियर पियोगी “[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" जरूर “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“क्या तुम अकेली हो यहाँ पार्टी में “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मेरे कुछ दोस्त भी आने वाले थे पर शायद अभी आये नहीं हैं “ काम्या इधर उधर देखते हुए बोली , “और तुम ? “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मैं यहाँ ज्यादा लोगों को नहीं जानता , जिस दोस्त ने मुझे बुलाया था या तो वो अभी तक आया नहीं है या जल्दी चला गया ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी अब यहाँ से निकलने की सोच रहा हूँ । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अरे ... अभी से जाने की क्यों सोच रहे हो ? पार्टी तो सारी रात चलेगी , मेरा साथ पसंद नहीं आ रहा क्या ? “[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ा रूठने का सा मुंह बनाते हुए काम्या बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अरे नहीं ! ऐसी बात नहीं , मैंने सोचा क्योँकि मेरे दोस्त नहीं यहाँ , तो मैं यहाँ रुक के क्या करूँगा ।“[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हमें भी अपना दोस्त ही समझो “ आँख मारते हुए मादक अंदाज़ में काम्या बोली ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ जब तक तुम्हारे और मेरे दोस्त नहीं आ जाते तब तक तुम मेरे साथ रहो , मज़ा आयेगा "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उन्मुक्त स्वभाव की काम्या समीर को छोड़ने के मूड में नहीं थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने मन ही मन सोचा लड़की तो मस्त है , मज़ा तो आयेगा इसके साथ । काम्या की बात मान लेने में कोई हर्ज़ नहीं ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब आ ही गया हूँ पार्टी में , तो थोड़ी मस्ती करके ही जाना चाहिए ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर बियर पीने के बाद काम्या समीर को डांस फ्लोर पे ले जाती है और वो दोनों एक दूसरे के गले में बाहें डाले हुए डांस करने लगते हैं ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या को अब थोड़ा नशा हो चला था । वो समीर से चिपटने लगी और अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को समीर की छाती पर दबाने लगी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसका एक हाथ समीर की पैंट के ऊपर से उसके लंड का जायज़ा लेने लगा । अब समीर की भी उत्तेजना बढ़ने लगी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“चलो समीर ऊपर चलते हैं , वहां ज्यादा मज़ा आएगा “ समीर को आँख मारते हुए काम्या बोली और उसका हाथ पकड़कर सीढ़ियों से ऊपर 2nd फ्लोर पर ले गयी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर के आगे चलती हुई काम्या अपनी गांड कुछ ज्यादा ही मटका रही थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]2nd फ्लोर में कम ही जोड़ियां थी और वो सभी जोड़ियां एक दूसरे में मस्त थीं ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई चुम्बन लेने में , कोई चूचियां मसलने में मगन थे । उन दोनों की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या समीर को एक कोने में ले जाती है और उसके गले में बाहें डाल देती है ।अपने होंठ उसके होठों की तरफ बढ़ाती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर उसकी वासना से भरी आँखों में देखता है और अपने होंठ उसके होठों पर रख देता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या अपनी जीभ समीर के होठों के बीच से मुंह के अंदर डाल देती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और दोनों एक दूसरे की जीभ चाटना शुरू कर देते हैं ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर एक हाथ काम्या की जांघों पर फिराते हुए उसकी स्कर्ट के अंदर ले जाकर पैंटी के बाहर से उसकी गांड को मसलता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर उसकी अंगुलियां पैंटी के बाहर से ही काम्या की गीली चूत के ऊपर घूमने लगती हैं । काम्या हलकी सिसकारियां लेने लगती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर की अँगुलियों के स्पर्श से उसको अपनी चूत में गर्मी बढ़ती महसूस होती है । उसकी चूत से निकलता रस पैंटी को भिगोने लगता है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर अब काम्य के होंठों को छोड़कर उसके गाल चूमने लगता है । फिर उसकी ठुड्डी और फिर गर्दन चूमने लगता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसका हाथ पैंटी के अंदर काम्या की चूत के छेद को टटोलने लगता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दूसरे हाथ से काम्या की चूचियां ब्लाउज के बाहर से ही मसलने लगता है । काम्या से अब बर्दाश्त नहीं होता ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वहीँ पर पड़े सोफे पर लेटकर , उत्तेजना में भरके वो समीर से बोली “समीर चूसो इन्हें “।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर तुरंत उसकी ब्लाउज के बटन खोल देता है और फिर हाथ पीछे ले जाकर काम्य की सेक्सी ब्रा के हुक खोल देता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या की बड़ी बड़ी चूचियों ब्रा की कैद से आज़ाद हो जाती हैं ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या ने अपनी चूचियां समीर के लिए ऊपर को उठायीं । समीर ने उसकी एक चूची को हाथ में पकड़ा और सर झुकाकर[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसका निप्पल मुंह में भर लिया । फिर अपने होठों में उसका निप्पल पकड़कर बाहर को खींचने लगा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या सिसकारियां लेती हुई उसके सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी उत्तेजना चूचियों से होकर सीधी उसकी चूत में जा रही थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर का फडकता हुआ लंड पैंट के भीतर से ही काम्या की जांघ में रगड़ खा रहा था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या अपना एक हाथ नीचे ले जाकर समीर के लंड को फील करती है और थोड़ा अँगुलियों से उसको दबाती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर दोनों चूचियों और उनके निप्पलों को बारी बारी से चूसने में लगा हुआ है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या समीर का मुंह अपनी चूचियों से हटा देती है । फिर मादक मुस्कान बिखेरते हुए समीर के कान में बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अब अपना पैंट उतार दो , मुझे तुम्हारे लंड के साथ खेलना है । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर पैंट उतारकर सोफे पे बैठ जाता है और काम्या उसके पैरों को फैलाकर उनके बीच फर्श में बैठ जाती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]धीरे धीरे उसका अंडरवियर उतारकर फनफनाते लंड को बाहर निकल लेती है ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर का फडकता हुआ लंड पैंट के भीतर से ही काम्या की जांघ में रगड़ खा रहा था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या अपना एक हाथ नीचे ले जाकर समीर के लंड को फील करती है और थोड़ा अँगुलियों से उसको दबाती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर दोनों चूचियों और उनके निप्पलों को बारी बारी से चूसने में लगा हुआ है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या समीर का मुंह अपनी चूचियों से हटा देती है । फिर मादक मुस्कान बिखेरते हुए समीर के कान में बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अब अपना पैंट उतार दो , मुझे तुम्हारे लंड के साथ खेलना है । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर पैंट उतारकर सोफे पे बैठ जाता है और काम्या उसके पैरों को फैलाकर उनके बीच फर्श में बैठ जाती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]धीरे धीरे उसका अंडरवियर उतारकर फनफनाते लंड को बाहर निकल लेती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आह... तुम्हारा लंड तो बहुत मस्त है , मेरी टाइट चूत को बहुत मज़ा आएगा “[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या मुंह ऊपर करके समीर की तरफ देखकर शरारती मुस्कान से बोली[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर अपने हाथ से उसके लंड में ऊपर नीचे करके मुठ मारने लगी । उसका दूसरा हाथ समीर की गोलियों को सहलाने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर काम्या ने समीर के लंड में मुंह लगाकर सुपाडे को किस किया और अपनी जीभ निकालकर उसको चाटने लगी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर मूतने के छेद को जीभ से कुरेदने लगी और फिर अपने मुंह को खोलकर जितना हो सके लंड को मुंह में भर लेती है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और मुंह में लंड को अंदर बाहर करने लगी । समीर पूरी तरह से आनंद के सागर में डूब गया और काम्या के सर को अपने हाथों से[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पकड़कर अपनी आँखे बंद करके कमर उचकाते हुए उसका मुंह चोदने लगा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ चूस काम्या चूस मेरे लंड को “ उसके गले तक लंड घुसाते हुए बोला।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“छोड़ इसको ये मेरा माल है “ कोई लड़का समीर के पास आके चिल्लाया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर उस लड़के ने काम्या के बाल पकड़कर उसका मुंह समीर के लंड से हटा दिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“रंडी छिनाल ! थोड़ा देर मेरा इंतज़ार नहीं कर सकती थी “ वो लड़का काम्या को हाथ पकड़कर झटके से फर्श से उठाते हुए बोला ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी तमीज देखकर समीर समझ गया कि ये चूतिया उन लोगों में से है जो लड़कियों की क़द्र नहीं करते[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और उन्हें सिर्फ अपना माल समझते हैं ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने अपना लंड अंडरवियर में डालकर पैंट पहन ली । समीर का मूड हुआ कि उस चूतिये का थोबड़ा बिगाड़ दे ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके मजबूत जिस्म के सामने वो चूतिया कुछ भी नहीं था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन उसने सब्र से काम लिया और गुस्से में उसको घूरता रहा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने बॉयफ्रेंड को अचानक सामने देखकर पहले तो काम्या हड़बड़ा गयी । फिर मुस्कुराते हुए फटाफट अपने कपडे पहनने लगी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके लिए ये कोई नयी बात नहीं थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आसपास की कुछ जोड़ियां भी ये तमाशा देखकर मुस्कुरा रही थीं ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“समीर ये है मेरा बॉयफ्रेंड मुकुल और ये समीर है “ काम्या भांप लेती है कि समीर को गुस्सा आ गया है, झगड़ा टालने के लिये ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो दोनों का परिचय करा देती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुकुल समीर से हाथ मिलाता है और हंसकर कहता है “ मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ दोस्त , ये छिनाल है ही ऐसी ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या समीर की तरफ हताश नज़रों से देखती है और कहती है “सॉरी समीर । “[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुकुल अपनी पैंट की ज़िप खोलकर लंड बाहर निकाल लेता है और काम्या को धक्का देकर घुटनो के बल बिठा देता है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और उसके मुंह मेँ अपना लंड ठूंस देता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“छिनाल अब चूस मेरे लंड को और दिखा मुझको कि तू कितना अच्छा लंड चूसती है । “[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या अब मुकुल का लंड चूसने लगती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस तमाशे से समीर का मूड ख़राब हो जाता है । उसकी KLPD हो गयी थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अपना सर हिलाते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा , घर जाने के लिये ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब पार्टी से उसका मन उखड़ गया था ।[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उधर रिया काफी देर तक पार्टी में कोई अच्छा सा लड़का ढूंढती है । लेकिन कोई सही सा लड़का नहीं मिल रहा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ज्यादातर लड़के अपनी गर्लफ्रेंड के साथ थे । जो अकेले थे वो उच्छृंखल या बेहूदे टाइप के ही दिख रहे थे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई रिया के मन मुताबिक मिल ही नहीं रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया थोड़ी देर और इंतज़ार करने का फैसला करती है शायद कोई मिल जाये ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगर नहीं मिलेगा तो कोई बात नहीं , पर लड़का अच्छा ही होना चाहिए ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वरना रिस्क लेने की कोई जरुरत नहीं , इससे बेहतर तो प्रोग्राम कैंसिल ही कर दिया जाये ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी उसकी नज़र सीढ़ियों से नीचे उतरते समीर पर पड़ती है । उसकी आँखों में चमक आ गयी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये बिलकुल सही लग रहा है । उसने मन ही मन सोचा , ऐसा ही तो चाहिए था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]स्मार्ट भी है और सौम्य भी लग रहा है , ऐसा लड़का हाथ से जाने नहीं दूंगी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“hi , मैं रिया “ वो लपक के उसके पास पहुँचती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" hi , मैं समीर “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब समीर ने अच्छे से रिया को देखा तो देखता ही रह गया , लम्बा कद और लम्बी चिकनी टाँगे ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बड़े क्लीवेज वाले टॉप और छोटी स्कर्ट मेँ रिया क़यामत लग रही थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बड़े क्लीवेज से उसकी बड़ी बड़ी चूचियों का काफी हिस्सा दिखाई दे रहा था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया ने उसकी आँखों के आगे हाथ हिलाया और हँसते हुए सेक्सी आवाज़ मेँ बोली[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ देख लिया मुझे अच्छी तरह से ? कैसे लगी मैं तुम्हें ? “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर पहले तो झेंप गया फिर मुस्कुराते हुए बोला “ तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो , सच्ची … बहुत सेक्सी ।“[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया मुस्कुरायी और फिर उससे कॉलेज की बातें करने लगी । जब उसको समीर के व्यवहार और बातों से[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तसल्ली हो गयी कि समीर एक शरीफ लड़का है तो उसने अपने पत्ते खोलने शरू किये ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ शायद फिर कभी हम मस्ती कर पायें पर अभी तो तुम मेरा एक काम कर दो “[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]एक मादक मुस्कान से समीर को रिझाते हुए बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ बताओ , मैं क्या कर सकता हूँ तुम्हारे लिए रिया ।“[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ वो ..वो ..” रिया हिचकिचाई ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर का मूड अभी भी काम्या की वजह से ख़राब ही था पर वो धैर्य से रिया के बात कहने का इंतज़ार करने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मेरी एक प्यारी दोस्त है , … …… उसे कोई साथ चाहिए थोड़ी देर के लिए …… मैं कैसे कहूं ……मतलब .. ....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काफी समय से उसने सेक्स नहीं किया है....... उसको सेक्स की इच्छा हो रही है ………[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अगर मैं खरी खरी बात कहूं तो she needs a hard fucking। समझे मेरी बात को ?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पता नहीं मैं अपनी बात ढंग से समझा भी पायी या नहीं तुमको ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मैं क्या कहुँ रिया , खुद मैं मज़ा कर रहा था एक लड़की के साथ ।पर ठीक टाइम पर उसका बॉयफ्रेंड आ धमका[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और मेरा सारा मज़ा किरकिरा कर दिया । और अब मेरा मूड ऑफ हो गया है। ”[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"ओह , ये तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ , समीर । लेकिन मेरी दोस्त के मामले में तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होगा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जहाँ तक मुझे मालूम है वो आजकल सिंगल ही है और अभी तो वो सेक्स के लिए उतावली भी है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हें भी बहुत मज़ा आएगा उसके साथ , सच में , मेरा यकीन मानो तुम ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सुनकर समीर हंस दिया । रिया के साथ अब उसका मूड भी थोड़ा ठीक हो गया था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ वो बहुत अच्छी लड़की है और खूबसूरत भी । बल्कि मुझसे भी कहीं ज्यादा सुन्दर ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे उसको अपने से सुन्दर बताने में जलन हो रही है । लेकिन वो वास्तव में बहुत सुन्दर है तुम मेरा विश्वास करो । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मूड थोड़ा ठीक होने से समीर को रिया का ये प्रस्ताव भा जाता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब लड़की की इतनी तारीफ ये कर रही है तो मौका हाथ से क्यों जाने दूँ ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]काम्या के साथ वैसे भी उसकी KLPD हो गयी थी।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब अपनी अधूरी रह गयी उत्तेजना को शांत करने का ये सुनहरा मौका था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" ठीक है , मैं तैयार हूँ । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“एक बात और है समीर , मेरी दोस्त फर्स्ट फ्लोर में एक अँधेरे कमरे में है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और वो अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहती । वो तुमसे कुछ भी नहीं बोलेगी और तुम भी उसे कुछ नहीं बोलोगे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अजनबियों की तरह सेक्स करोगे और बिना कुछ बोले ही कमरे से बाहर आ जाओगे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मंजूर है तुम्हें ? “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ ये है तो कुछ अजीब सी बात लेकिन चलेगा । तुम चाहती हो कि मैं अभी जाऊं उसके पास या …..”[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी ताकि ये न लगे कि वो सेक्स के लिए उतावला हो रहा है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम्हारी मर्ज़ी जब भी तुम जाना चाहो । मैं तुम्हें वो कमरा दिखा देती हूँ ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं फिर से तुम्हें बता रही हूँ कि अगर तुम्हें कुछ बोलना पड़ ही जाये तो अपनी आवाज़ चेंज कर के धीमे से बोलना[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और जितना हो सके कम से कम शब्द ही बोलना , ठीक है ? ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ ठीक है । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया समीर को कमरे की तरफ ले जाती है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कमरे के पास पहुंचकर दोनों रुक गये ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ दरवाज़ा खोलने से पहले मुझसे वादा करो कि तुम मेरी प्यारी दोस्त को कोई भी कष्ट नहीं दोगे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं नहीं चाहती कि उसे कुछ भी परेशानी हो । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर सहमति में सर हिला देता है और कमरे के अंदर जाकर दरवाज़ा बंद कर देता है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल बेड पर दरवाज़े की तरफ पीठ करके बैठी थी अँधेरे और सुनसानी की वजह से वह अपने दिल की तेज धड़कनो को साफ़ महसूस कर पा रही थी । घबराहट से वो हांफ रही थी और उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी दरवाज़ा खुलने और बंद होने की आवाज़ कमरे में गूँज उठी और उसके पीछे से क़दमों की आहट नज़दीक आते गयी । आँचल नर्वस होकर अपने हाथ आपस में मलने लगी । उसकी घबराहट और बढ़ गयी । एक अनजाने डर से उसके शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ गयी । तभी उसने अपने कन्धों पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस किया । उसका शरीर बुरी तरह से काँप उठा ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया के कहे अनुसार बिना कुछ बोले अजनबी ने आँचल के कन्धों को सहलाना शरू किया । आँचल ने उसके मज़बूत हाथ अपनी बांहों और कन्धों पर घूमते महसूस किये । एक ऐसा आदमी उसके शरीर पर हाथ फिरा रहा है जिसको उसने पहले कभी नहीं देखा । इस ख्याल से उसके बदन में झुरझुरी सी दौड़ गयी और उसका दिल और ज़ोर से धड़कने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अजनबी के हाथ उसकी बांहों की मुलायम त्वचा पर रेंगने लगे। फिर अजनबी के होठों ने उसकी गरदन पर चुम्बन लिया और उसके कानो के निचले हिस्से को अपने होठों में दबाया । फिर उसके कन्धों और गरदन के जोड़ को हल्का जीभ से चाटा । आँचल के मुंह से हलकी सिसकारी निकल गयी । अब उसकी घबराहट की जगह बढ़ती उत्तेजना ने ले ली थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर अचानक से उसने आँचल के दोनों हाथों को पकड़कर उसको खड़ा कर दिया और अपनी तरफ घुमा लिया । उसने आँचल को अपने आलिंगन में भर लिया और अपने चेहरे को झुकाकर धीरे से उसका चुम्बन लिया । आँचल ने अपने कांपते हाथ उसकी छाती पर रख दिये । उसने अपने एक हाथ से आँचल के चेहरे को थोड़ा ऊपर उठाकर अपने होठ आँचल के नरम और रसीले होठों पर रख दिए फिर अपना हाथ पीछे ले जाकर उसकी गर्दन पर रख दिया। आँचल ने अपने होठों के बीच उसकी जीभ महसूस की और अपने होंठ थोड़ा खोल दिए । अब उसने अपनी जीभ आँचल के मुंह में डाल दी और आँचल ने अपनी बांहे उसके गले में डाल दीं । उसकी मज़बूत बाँहों में आँचल ने अपने को बहुत नाजुक सा महसूस किया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने अपने होंठ अलग किये और एक झटके में अपनी कमीज सर के ऊपर से उतार दी । फिर उसने आँचल को अपनी ओर खींचा और चुम्बन लेते हुए फिर से आँचल के मुंह में अपनी जीभ डाल दी । आँचल ने भी चुम्बन में उसका पूरा साथ दिया और उसकी नग्न छाती से जा लगी। उसके हाथ आँचल की पीठ सहलाते हुए नीचे को बढ़े ओर उसके नितम्बों को पकड़कर उसको अपने और नज़दीक खींचा । आँचल को उसके लंड का बढ़ता कड़ापन अपने पेट पर महसूस हुआ । उसके चुम्बन प्रगाड़ होते गए और आँचल को साँस लेने में दिक्कत होने लगी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने अपने होंठ अलग किये और उसके गालों को चूमा , फिर गले और कन्धों को चूमा । उसने अजनबी के बदन से आती कुछ पहचानी सी मरदाना गंध को लम्बी सांस लेकर अपने में भर लिया । वह आँचल के पूरे बदन पर अंगुलियां फिरा रहा था और उसकी तेज होती सांसे आँचल को साफ़ सुनाई दे रही थी । आँचल उसके सीने को चूमते हुए धीरे धीरे नीचे को बढ़ी । उसके पेट पर चुम्बन लिया और घुटनों के बल बैठके अजनबी के पैंट की बेल्ट खोलने लगी । फिर पैंट के साथ अंडरवियर नीचे उतार कर उसका खड़ा लंड आज़ाद कर दिया ।आँचल ने एक हाथ से लंड को पकड़कर सुपाड़े को जीभ से हल्का सा चाटा , अजनबी के मुंह से हलकी सिसकी निकली । आँचल ने फिर से सुपाड़े को चाटा और फिर अपने मुंह में भर लिया ।वो आँचल के बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल लंड को चूमती और चाटती है और अपने मुंह में लंड को अंदर बाहर करती है । वो जितना हो सके उतना उस बड़े और मोटे लंड को मुंह में भरने की कोशिश करती है । कुछ देर बाद वो आँचल का सर अपने हाथों में पकड़ लेता है और उसके मुंह में लंड को अंदर बाहर करने लगता है ।थोड़ी देर ऐसे ही उसका मुंह चोदने के बाद वो आँचल को खड़ा कर लेता है और फिर उसे बेड पर लिटा देता है । उसके होंठ आँचल की गर्दन और गले को चूमने लगते हैं ।अपने गले में उसकी जीभ के स्पर्श से आँचल की सांसे और तेज हो गयीं । आँचल अपने बांहे उसके चौड़े कन्धों पर डाल देती है और अपनी कोमल उँगलियों से उसकी मांसपेशियों को महसूस करती है । अजनबी उसकी ड्रेस को ऊपर करने की कोशिश करता है ।आँचल बेड पर बैठ जाती है और ड्रेस को अपने सर के ऊपर से निकाल देती है। फिर हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोलकर, ड्रेस और ब्रा को फर्श पर डाल देती है । और फिर से लेट जाती है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो आँचल के ऊपर झुककर उसके होठों का चुम्बन लेता है और फिर उसके मुंह में जीभ डालकर उसकी जीभ चाटने लगता है ।आँचल उसके चेहरे पर अपनी उँगलियाँ फिराती है ।अजनबी अपने हाथ उसके चिकने सपाट पेट पर फिरते हुए ऊपर को बढ़ाता हैं । उसकी नरम चूचियों की गोलाई को महसूस करता हैं और चूचियों को अपने हाथों से हल्का सा दबाता है । फिर एक ऊँगली और अंगूठे के बीच निप्पल को दबाकर थोड़ा घुमाने लगता है । आँचल के निप्पल उत्तेजना से तन जाते हैं । उसके हाथों के अपने नग्न बदन पर स्पर्श से उसकी उत्तेजना बहुत बाद जाती है । उसकी हलकी सिसकारियां निकलने लगी और उसे अपनी टांगों के बीच गीलापन मह्सूस हुआ । अब उसे और देर बर्दाश्त नहीं हो रही थी । उसकी चूत लंड को लेने के लिए बेताब हो रही थी ।वो अपना हाथ बढ़ाकर उसका लंड पकड़ लेती है और आगे पीछे हिलाने लगती है । अजनबी समझ जाता है और उसकी गीली हो चुकी पैंटी को उतारकर फर्श पर फ़ेंक देता है ।आँचल पीठ के बल लेती हुई घुटने मोड़कर अपनी टाँगें थोड़ा फैला लेती है और उसका इंतज़ार करती है । वो महसूस करती है कि ये कुछ अलग मिज़ाज़ का आदमी है और बिलकुल भी चोदने की जल्दबाज़ी नहीं कर रहा है । जैसा वो समझ रही थी कि औरों की तरह झट से चूत पर टूट पड़ेगा और चुदाई हो जाएगी वैसा कुछ भी नहीं हो रहा था ।उसे समझ आ गया कि इस अजनबी के साथ सेक्स लम्बा खिंचने वाला है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अजनबी उसके घुटनो के अंदर वाले हिस्से को चूमता है । फिर चिकनी मांसल जांघों को चूमते हुए और अपने हाथ उसकी नरम टांगों पर फिराते हुए ऊपर को बढ़ता है। और फिर अपनी उँगलियों से उसकी प्यासी चूत का स्पर्श करता है । अपनी एक ऊँगली चूत के अंदर डालकर अंदर की गर्मी और गीलेपन को महसूस करता है । आँचल के बदन में कंकापी दौड़ जाती है और उसकी चूत सिकुड़कर उस ऊँगली को जकड लेती है । वो धीरे धीरे ऊँगली चूत में अंदर बाहर करने लगता है । उत्तेजना से आँचल भी अपने नितम्बों को उसी लय में ऊपर को उछालती है । आँचल को महसूस होता है कि वो अब झड़ने ही वाली है । तभी वो अपनी ऊँगली बाहर निकल लेता है और अपने गरम होठों को आँचल के नाजुक अंग पर रख देता है । आँचल को अपनी चूत पर उसकी गरम सांसो का स्पर्श मह्सूस हुआ। तभी उसकी जीभ clitoris को छेड़ने लगती है । आँचल के मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी । वो clitoris को जीभ से बार बार चाटने लगा और फिर जीभ चूत के अंदर डालकर अंदर बाहर करने लगा । आँचल की उत्तेजना बर्दाश्त से बाहर हो गयी और वो अपने नितम्बों को हिलाते हुए छटपटाने लगी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर उसके मुंह से एक चीख निकली और वो कामतृप्त हो गयी । आह …. कितना आनंद …. कितना सुख ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब वो अजनबी उसके बदन को चूमता हुआ ऊपर को बढ़ने लगा । उसकी नरम गोल चूचियों को चूमते हुए उनके ऊपर के निप्पल को अपनी जीभ से छेड़ दिया । फिर उसके गाल , होठ और उसकी पलकों का चुम्बन लिया और एक हाथ से उसके बालों को सहलाने लगा । आँचल ने अपने घुटने थोड़े ऊपर को मोड़ लिए । उसने अपने लंड को चूत के छेद पर लगाया। और एक धक्का देकर सुपाड़ा अंदर घुसा दिया । आँचल ने अपनी फूली हुई चूत की फांकों के बीच छेद में उसके मोटे लंड को अपनी कसी चूत को फैलाते हुए अपने लिए जगह बनाकर अंदर घुसते हुए महसूस किया और उसके मुंह से फिर सिसकारियां निकलने लगी। वो अजनबी आँचल का चुम्बन लेते हुए ही अपना लंड उसकी चूत में तेजी से अंदर बाहर करने लगा । उसके धक्के इतनी तेज होते गये कि आँचल का पूरा बदन बुरी तरह से हिल जा रहा था और उसकी चीखें निकलने लगी । अब वो एक और कामतृप्ति की ओर बढ़ रही थी। चूत की गहराईयों तक घुसते लंड के धक्कों से उसे लगा कि वो अब किसी भी समय झड़ जाएगी ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ समय तक ऐसे ही चुदाई चलती रही । जब आँचल को लगा कि बस अब उसका पानी निकलने ही वाला है । तभी उसे अपनी चूत में निकलता उसका वीर्य महसूस हुआ वो झड़ चुका था । कुछ पल आँचल के बदन पर ऐसे ही पड़े रहने के बाद उसने अपना लंड चूत के बाहर निकाल लिया । आँचल ने अपने हाथों से उसकी कमर को पकड़कर फिर से अपने से चिपकाना चाहा वह उससे अलग नहीं होना चाहती थी उसकी कामतृप्ति अधूरी रह गयी थी । वो समझ गया , हल्का सा हँसते हुए उसने उसकी उत्तेजना से काँपती चिकनी जांघों पर एक चपत लगायी ओर उसको घुमाकर घुटनो के बल बिठाने लगा । आँचल समझ गयी वो अब डौगी पोज़ में चोदना चाह रहा है वो झटपट कुतिया बन गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो एक हाथ उसके नितम्ब पर रखकर दूसरा हाथ उसकी पीठ में स्पाइन के ऊपर फिराता है । फिर दोनों हाथों को उसके हवा में उठे हुए बड़े बड़े गोल नितम्बों पर फिराने लगता है। फिर उसके नितम्बों को चूमकर , चूतरस से भीगे हुए लंड को आँचल की चूत में डाल देता है । फिर उसने आँचल के बालों में अपनी अंगुलियां फंसाकर उसके सर को पीछे खींचा और चूत में धक्के लगाने लगा । आँचल दर्द और आनंद के मिले जुले सागर में गोते लगाने लगी । उसने एक हाथ से आँचल का नितम्ब पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके सर के बाल पकड़कर आँचल को पूरी तरह से अपने काबू में करके चूत पर तेज तेज धक्के लगाने लगा । आँचल को महसूस हुआ कि अब वो उसके साथ पहले जैसी नरमी से पेश नहीं आ रहा है । वो अजनबी अब उसके साथ सख्ती से रफ़ सेक्स कर रहा था । तेज तेज धक्कों से उसकी जाँघे आँचल की जांघों से टकरा रही थीं । आँचल फिर से उत्तेजना की चरम सीमा की ओर बढ़ने लगी और फिर दूसरी बार कामतृप्त हो गयी । जबरदस्त ओर्गास्म से उसके घुटने कमज़ोर पड़ गए । उसका बदन काँप उठा ओर उसकी चूत की मसल्स ने लंड को बुरी तरह जकड लिया ।[/font]




[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने आँचल के ओर्गास्म को महसूस किया ओर अपने धक्के धीमे कर दिए । फिर जब वो शांत हो गयी तो उसने अपने अंगूठे को थूक से भिगोकर आँचल की गांड के छेद पर दबाया । आँचल के बदन में एक झटका सा लगा । सिकुड़े हुए छेद पर अंगूठा अंदर घुस गया ओर गांड की टाइट मसल्स ने उसके अंगूठे को जकड लिया । आँचल के बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । उसने जोर से एक गहरी सांस ली । अब वो अपने अंगूठे को घुमाते हुए गांड में अंदर बाहर करने लगा । आँचल के होठों से एक दर्द भरी सिसकारी निकल गयी । उसने आँचल की गीली चूत से थोड़ा रस लेकर गांड के छेद को थोड़ा और गीला किया । फिर चुतरस से भीगे हुए लंड को चूत से निकलकर गांड के टाइट छेद पर लगा दिया । आँचल ने अपनी गांड के छेद पर उसका सुपाड़ा महसूस किया वो काँप उठी । उसने अपनी गांड को हटाने की कोशिश की लेकिन अजनबी के मजबूत हाथों ने उसको साइड्स पर दबाये रखा और उठने नहीं दिया । वो डरी हुई थी पर उसकी मजबूत पकड़ के कारण कुछ कर नहीं पा रही थी इसलिए वो जल्द ही शांत पड़ गयी ओर जो वो चाहता था उसको करने दिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने धीरे धीरे अपने लंड के सुपाडे को उस गहरे रंग के टाइट छेद में घुसा दिया लेकिन लंड मोटा होने के कारण आँचल दर्द से कसमसाने लगी । आँचल का ध्यान दर्द से हटाने के लिए वो एक हाथ की उँगलियों से उसके clitoris को सहलाने लगा । धीरे धीरे उसने अपने लंड को आँचल की टाइट गांड की गहराइयों में जड़ तक घुसा दिया । बीच बीच में आँचल दर्द से कराहती रही । लेकिन उसने उसे नज़रअंदाज़ करते हुए धीरे धीरे पूरा लंड अंदर घुसाकर ही दम लिया। थोड़ी देर तक उसने अपना लंड ऐसे ही रखा ओर उसकी clitoris को सहलाते रहा । जब आँचल का दर्द से कसमसाना बंद हो गया । तब उसने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया । अचानक उसने सुपाड़े की टिप छोड़कर पूरा लंड बाहर निकाल लिया और फिर तेजी से अंदर धांस दिया । आँचल की चीख निकल गयी । वो ऐसे ही तेज तेज धक्के लगाता रहा ।आँचल दर्द और आनंद से सिसकारियां लेती रही । फिर दोनों नितम्बों को हाथ से कसके पकड़कर वो बुरी तरह से आँचल की गांड मारने लगा । आँचल के पूरे नंगे बदन में दर्द की लहरें सी उठने लगी । आँचल की टाइट गांड ने उसके मोटे लंड को ऐसे जकड़ रखा था कि उसे इतना अच्छा पहले कभी भी महसूस नहीं हुआ था , जितना मज़ा उसे आँचल की गांड मारने में मिल रहा था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो इतनी जोर से और तेजी से धक्के लगाने लगा कि आँचल अपने घुटनो के बल टिक नहीं पायी और धीरे धीरे अपने पेट के बल गिर पड़ी । वो भी उसी के साथ आगे झुक गया और उसकी गांड मारते रहा । उत्तेजना में भरकर वो आँचल की टाइट गांड को चोदते रहा । आँचल बेड पर पड़ी रही , उसकी चीखें निकलती रही ।उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसको पीछे से चीर दिया हो ।पहले किसी ने भी उसके साथ इतना रफ़ सेक्स नहीं किया था , जितना इस समय ये अजनबी कर रहा था ।उसे अजनबी ने किसी रंडी की तरह मनमर्जी से रगड़ के चोद दिया था ।[/font]




[font=Arial, Helvetica, sans-serif]धीरे धीरे उसकी कराहें सिसकारियों में बदलते गयीं और फिर उसका बदन अकड़ गया । उसको तीसरी बार जबरदस्त ओर्गास्म हुआ । तभी उस अजनबी को भी लगा कि वो झड़ने वाला है उसने अपना लंड गांड से बाहर निकाल लिया फिर उसने आँचल को पलटकर उसके मुंह में वीर्य की धार पर धार छोड़ दी । आँचल का मुंह उस गाड़े सफ़ेद वीर्य से भर गया और उसकी साँस गले में ही अटक गयी ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]झड़ने के बाद निढाल होकर वो आँचल के बदन पर लेट गया । आँचल अपनी जबरदस्त चुदाई से थककर गहरी गहरी सांसे ले रही थी । वो थकान से चूर हो चुकी थी । ऐसा जबरदस्त सेक्स उसके साथ पहले कभी किसी ने नहीं किया था । उसको इतनी कामतृप्ति पहली बार मिली थी ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर बाद अजनबी उठा और अपने कपडे ढूंढकर पहनने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“थैंक्स " आँचल ने धीरे से कहा , वो मुस्कुराया और कमरे से बाहर चला गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थकान से आँचल ने अपनी आँखें बंद कर ली और बेड पर लेटी रही । आँचल का हिलने का मन ही नहीं हो रहा था , उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था । उसके बदन से पसीने और चूतरस की मिली जुली गंध आ रही थी । लेकिन वो ज्यादा देर वहां नहीं रुकना चाहती थी क्योंकि किसी भी समय रिया वहां आ सकती थी । वो नहीं चाहती थी कि रिया उसको ऐसी हालत में देखे और परेशान हो ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पूरी जान लगाकर वो बेड से उठी और अपने कपडे ढूंढने लगी । उसको अपनी ब्रा और ड्रेस , बेड के पास ही पड़े मिल गए पर पैंटी नहीं मिली । ब्रा और ड्रेस पहनकर उसने अँधेरे में ही हाथों से फर्श पर टटोला और थोड़ा आगे उसे अपनी पैंटी भी पड़ी मिल गयी जिसे अजनबी ने उतारकर फ़ेंक दिया था । अपनी बुरी तरह से थक चुकी टांगों पर उसने पैंटी ऊपर खींची और बिना लाइट ऑन किये हुए ही लड़खड़ाते पैरों से उस अँधेरे कमरे से बाहर आ गयी। [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कमरे से थोड़ी दूरी पर रिया एक लड़के से बातों में मशगूल थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने रिया की तरफ देखा और एक कमज़ोर मुस्कराहट उसके थके हुए चेहरे पर आयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया उसकी तरफ देखकर मुस्कुरायी “ अरे मेरी प्यारी छिनाल , मैं तो इंतज़ार करते करते थक गयी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने तो सोचा तुम उसको छोड़नेवाली ही नहीं हो रात भर ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल हंसी और उस लड़के की तरफ देखकर रिया से आँखों ही आँखों में पूछा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ अरे ये मेरा दोस्त है अब मज़ा करने की मेरी बारी है " और जोर से हँसते हुए रिया उस लड़के को कमरे में धकेलने लगी ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर आँचल को आँख मारते हुए बोली “ तुम मेरा इंतज़ार मत करना , मुझे थोड़ा समय लगेगा यहाँ ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सीढ़ियों से नीचे उतरते समय आँचल सोच रही थी कि क्या कभी फिर से उस अजनबी से उसका सामना होगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अगर ऐसा हुआ भी तो क्या वो फिर से उसके साथ सेक्स करना चाहेगी ?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उधर समीर अनजान लड़की के साथ अच्छी चुदाई से खुश होकर बियर पीने के लिए रुक जाता है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर घर की तरफ जाने के लिए निकल पड़ता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वहीँ गेट पर उसको आँचल दिखाई दे जाती है , उसको पता नहीं था कि आँचल भी पार्टी में आयी है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" आँचल " उसने पीछे से आवाज़ दी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल चौंककर पीछे मुड़ी और अपने छोटे भाई समीर को वहां खड़े देखकर हैरान हो गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर और आँचल की उम्र में सिर्फ डेढ़ साल का अंतर था , इसलिए समीर उसको दीदी न कहकर आँचल ही कहता था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वैसे भी लम्बा चौड़ा गठीला जिस्म होने से समीर उससे बड़ा लगता था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोनों भाई बहन किराये के फ्लैट में रहते थे । समीर को आँचल के पास आये हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने अभी अपने फ्रेंड्स को समीर से नहीं मिलवाया था , इसलिए इस शहर में उन्हें भाई बहन के रूप में कोई नहीं जानता था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप के बाद आँचल ने अपने दूसरे फ्रेंड्स से भी मिलना जुलना कम कर दिया था और ज्यादातर वक़्त[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अपने कमरे में ही गुजारती थी । समीर के आ जाने से उसका अकेलापन भी थोड़ा कम हो गया था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पार्टी में आने से पहले जब समीर घर गया था तो वहां उसको आँचल नहीं मिली थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन आँचल का लिखा हुआ एक नोट मिला था । जिसमें उसने लिखा था कि वो आज देर से घर आएगी इसलिए समीर डिनर पर[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसका इंतज़ार न करे । आँचल को मालूम नहीं था कि किसी ने समीर को भी उसी पार्टी में invite किया है । समीर भी बाद में उसी पार्टी में चला आया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अरे समीर तुम ! तुम यहाँ !!! ” आँचल को मालूम था कि समीर को यहाँ ज्यादा लोग नहीं जानते तो फिर वो पार्टी में कैसे आया ?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसे किसने बुलाया ? ऐसे ही सवाल उसके मन में आये ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अरे मुझे एक दोस्त ने invite किया था यहाँ , पर वो मुझे कहीं दिखा ही नहीं ” उसने अपनी थकी हुई सी लग रही बहन की तरफ देखकर कहा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैं अपनी दोस्त की गाड़ी में आयी थी , लेकिन वो अभी नहीं आ रही है । मैं घर जा रही हूँ , तुम लो पार्टी के मज़े । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ बहुत हो गयी पार्टी , अब मैं भी घर ही जा रहा हूँ ” समीर बोला और उसके चेहरे की तरफ ध्यान से देखने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने उसको घूरते हुए पाया तो भौंहें चढ़ाते हुए बोली “क्या हुआ ? क्या देख रहे हो ? ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ कुछ नहीं “ समीर मुस्कुराया और कार पार्किंग की तरफ बढ़ गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तो तुमने पार्टी का मज़ा लिया ? ” कार में बैठकर आँचल बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ मज़ा तो आया मुझे पार्टी में , और तुम्हें ?” गाड़ी स्टार्ट करते हुए समीर बोला ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मुझे भी ” आँचल बोली और फिर मुस्कुराते हुए उन मादक पलों की याद में खो गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लम्बे समय बाद अपनी बहन को खुश देखकर समीर भी मन ही मन खुश हुआ , उसने महसूस किया था कि ब्रेकअप के बाद से आँचल थोड़ा उदास रहती थी । पर वो उसकी उदासी दूर करने के लिए कुछ नहीं कर सकता था , क्योंकि वो उसका भाई था , उसके बॉयफ्रेंड की जगह वो कैसे भर सकता था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ , तुम्हारा चेहरा बता रहा है । किसी लड़के के साथ थीं ना तुम ?”[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर मुस्कुराते हुए आँचल की तरफ देखकर बोला ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल कुछ नहीं बोली और सामने की तरफ देखते रहकर सिर्फ मंद मंद मुस्कुरा दी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ लाओ मैं तुम्हारा चेहरा साफ़ कर दूँ “ समीर एक टिश्यू पेपर निकालकर आँचल की ओर झुककर उसके चेहरे के एक कोने पर लगा हुआ[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सफ़ेद चिपचिपा सा कुछ , पोंछ देता है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल भौंचक्की सी , कभी समीर के हाथ को , कभी टिश्यू पेपर को देखती रह गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ shit …” आँचल ने धीरे से कहा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अजनबी ने उसके मुंह में अपना वीर्य भर दिया था । जो मुंह से बाहर निकलकर उसके चेहरे पर इधर उधर लग गया था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुंह साफ़ करने के बावजूद शायद कहीं पर थोड़ा सा चिपका रह गया था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल बुरी तरह झेंप गयी । उसने समीर की तरफ से नज़रें मोड़ ली और कार से बाहर की तरफ देखने लगी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हालाँकि दोनों ही बहुत आधुनिक ओर खुले विचारों के थे और हम उम्र होने की वजह से दोनों की आपस में बहुत पटती थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोनों के अपने अपने बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड रह चुके थे । दोनों की अपनी अपनी सेक्स लाइफ थी औऱ दोनों एक दूसरे की प्राइवेसी की रेस्पेक्ट करते थे ….लेकिन फिर भी....... ये वाक़्या तो आँचल को शर्मिंदा कर गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर पहुँचने तक दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल और समीर जिस फ्लैट में रहते थे , उसमें दोनों के अलग अलग बेडरूम औऱ एक डाइनिंग रूम के साथ लगा हुआ किचन था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर पहुंचकर आँचल ने दरवाज़ा खोला और सीधे अपने बेडरूम में घुस गयी । पार्टी ड्रेस उतारकर अपने कन्धों पर तौलिया डाल लिया और बाथरूम की तरफ नहाने के लिए चल दी । तब तक समीर भी कार पार्क करके अंदर आ चुका था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पीछे से आँचल पर नज़र पड़ते ही समीर जोर से हॅसने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“क्या हुआ ? " आँचल उसकी तरफ मुड़कर बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन समीर हंसने की वजह से बोल ही नहीं पा रहा था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“समीर ! ये पागलों की तरह क्यों हँसे जा रहे हो तुम ? ” अब आँचल को गुस्सा आ गया , एक तो वो पहले से ही झेंपी हुई थी ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब समीर ये नया नाटक कर रहा था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो सोचने लगी अब क्या दिख गया इसको ? ये ऐसे क्यों हंसा जा रहा है मुझे देखकर ? उसकी खीझ बढ़ने लगी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर उसने समीर को नीचे अपनी कमर की तरफ ऊँगली से इशारा करके हँसते देखा ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुमने पैंटी उलटी पहन रखी है । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ fuck ...” आँचल ने अपनी जीभ दाँतों से दबा ली और झट से बाथरूम में घुस गयी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पार्टी में अँधेरे कमरे में उसने पैंटी उलटी पहन ली थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहाकर आँचल वापस अपने अपने कमरे में आयी और बिस्तर पर लेटते ही गहरी नींद से बेसुध हो गयी । उसकी गांड का छेद अभी भी दर्द कर रहा था , लेकिन वो इतनी थक चुकी थी कि उसको दर्द की भी परवाह नहीं थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगले दिन आँचल ज्यादातर समय अपने कमरे में ही रही । अपने काम निपटाकर समीर भी दोस्तों के साथ खेलने चला गया । शाम को घर वापस लौटा तो उसके कपड़े पसीने से बुरी तरह से भीग चुके थे । उसने आँचल के कमरे में झाँका तो देखा कि आँचल अपने कमरे में बेड पर लेटी कोई किताब पढ़ रही थी । समीर ने उसके दरवाज़े पर हलके से नॉक किया और कमरे में चला आया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आँचल , तुम्हारी तबियत ठीक तो है न ? ” उसने कुछ चिंतित स्वर में पूछा । आज ज्यादातर वक़्त उसने आँचल को अपने बेड पर लेटे हुए ही पाया था , इस समय तो वो किचन में होती थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैं ठीक हूँ समीर , बस कुछ पढ़ रही थी “ आँचल हलकी मुस्कराहट के साथ समीर को देखते हुए बोली ।लेकिन असल बात ये थी कि पिछली रात को हुई जबरदस्त चुदाई से उसका बदन थका हुआ था । उसकी गांड अभी भी हल्का दर्द कर रही थी । इसलिए उसने ज्यादातर समय बेड पर लेटे हुए आराम करते हुए गुजारा था । शाम को आँचल ने थोड़ा बाहर टहलने की सोची थी । लेकिन फिर उसने महसूस किया कि उसके बदन को अभी एक रात के और आराम की जरुरत है , उसके बाद ही वो घर से बाहर निकल पायेगी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" तुम थकी थकी सी लग रही हो । मैं नहाने जा रहा हूँ , डिनर तुम बना लोगी या ...... ? " समीर ने उसके नज़दीक बेड के पास आकर पूछा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ तुम उसकी चिंता मत करो , डिनर मैं बना लूँगी । मैं किचन में जाने ही वाली थी ।” आँचल समीर की तरफ चेहरा घुमाकर बोली।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने देखा समीर की टी -शर्ट पसीने से भीग कर उसके गठीले जिस्म से चिपकी हुई है । आँचल को इस बात का गर्व महसूस हुआ कि उसका भाई कितना हैंडसम दिखता है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मैं जल्दी से नहा के आता हूँ , फिर किचन में तुम्हारी मदद करूँगा ” समीर ने कहा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओके भाई ” आँचल ने हलकी सी स्माइल दी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने आँचल के नज़दीक झुक कर प्यार से उसकी हथेली अपने हाथ में दबायी , हलके से मुस्कुराया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर मुड़ा और कमरे से बाहर चला गया ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने समीर के पसीने की तेज गंध महसूस की , उसको अजनबी के पसीने की गंध का ख्याल आया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके मन में कुछ हलचल सी हुई , वो कुछ पल confuse सी सोचती रही ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर बेड से उठकर किचन में चली गयी । किचन में जाकर खाना बनाने लगी । थोड़ी देर में समीर भी नहाकर आ गया और किचन में आँचल का हाथ बंटाने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाहर खाना खाने वो कम ही जाते थे । ज्यादातर घर पर ही बनाते थे । आँचल को कुकिंग पसंद थी । इसलिए खाना हमेशा आँचल ही बनाती थी और समीर उसकी मदद करता था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]डिनर करते समय दोनों की ज्यादा बातें नहीं हुईं । खाने के बाद प्लेटें साफ़ करके दोनों अपने अपने बेडरूम में सोने चले गये ।[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल बिस्तर पे चली तो गयी पर उसको नींद नहीं आ रही थी। पता नहीं क्यों , पर उस अजनबी के साथ बिताये पल वो भुला नहीं पा रही थी । बेचैनी में आँचल करवट बदलती है , पर नींद आँखों से कोसो दूर है । अपने ख्यालों में , अजनबी के साथ चुम्बन दृश्यों को वो सैकड़ो बार दोहरा चुकी थी । कैसे वो उसके साथ कभी बहुत ही प्यार से चुम्बन ले रहा था तो कभी बहुत रफ़ तरीके से उसके होठों को काट लेता था । कानों के निचले हिस्से को कभी चूमता था तो कभी उन पर दांत गड़ा देता था , जिससे आँचल की आह निकल जाती थी ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सुबह नींद में वो सपना देखती है । अजनबी उसके कमरे का दरवाजा खोल रहा है और फिर चुपचाप अंदर आ जाता है । उसने सिर्फ एक आगे से खुला गाउन पहना है । जिससे उसकी चौड़ी छाती की झलक दिख रही है । गाउन के अंदर वो बिलकुल नग्न है । उसका लंड पतले गाउन के बाहर से ही तना हुआ दिख रहा है । उसकी साँसे तेज तेज चल रही हैं ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल देखती है कि वो चादर के नीचे पीठ के बल बिलकुल नग्न लेटी हुई है । वो अपनी सांसों पर काबू पाने का प्रयास कर रही है । उसका दिल जोरों से धड़क रहा है । तभी वो अजनबी उसके पास आकर बेड में बैठ गया और आँचल की साँस उसके गले में ही अटक गयी । फिर आँचल ने अपनी पलकें उठाकर ऊपर उसकी आँखों में देखा । मजबूत जिस्म वाला अजनबी एकटक उसी को देख रहा था । उसकी आँखों में प्यार लेकिन चेहरे पर कठोरता दोनों के ही मिले जुले से भाव थे ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]चादर के ऊपर से ही अपने पेट पर उसकी अँगुलियों का स्पर्श पाते ही आँचल के बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । उसका मन हुआ कि वो चादर फ़ेंक दे और अजनबी के जिस्म से लिपट जाये पर वो अपने ऊपर काबू किये रही । गहरी सांसें लेते हुए उस आदमी ने आँचल की तेजी से ऊपर नीचे उठती छाती पर से चादर हटा दी । फिर धीरे धीरे पेट और पैरों से नीचे को हटाते हुए चादर उठाकर एक तरफ रख दी । अब वो आँचल के पूरे नग्न बदन को निहार रहा था । आँचल की चिकनी टांगों पर अपनी उँगलियाँ फिराते हुए धीमी आवाज़ में वो बोला[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ आह .. कितनी खूबसूरत हो तुम । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]धीरे धीरे उसके हाथ ऊपर की ओर बढ़े । और फिर वो आँचल की मांसल जांघों पर हाथ फिराने लगा । जांघों के अंदरूनी सेंसिटिव हिस्से पर उसकी अँगुलियों के स्पर्श से आँचल ने अपनी टाँगें थोड़ी मोड़ ली । जांघों पर हाथ फिराते फिराते अचानक उस आदमी ने आँचल की फड़कती चूत को अपनी उँगलियों में पकड़ लिया । फिर बीच की ऊँगली को , चूत के दोनों होठों के बीच पूरी दरार पर ऊपर से नीचे , बाहर से ही फिराने लगा । अब आँचल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी । ऊँगली के स्पर्श से उसने अपनी चूत में एक अजीब सी सेंसेशन महसूस की । फिर उस आदमी ने अपने दूसरे हाथ की उँगलियों से आँचल की clitoris को धीरे से रगड़ना शुरू किया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"अह्हह्ह्ह्ह ...... “ आँचल के मुंह से एक सिसकारी निकली । उसकी चूत के अंदर गीलापन बढ़ने लगा । तभी उस अजनबी ने चूत के अंदर अपनी ऊँगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा । आँचल ने अपने हाथ से उसकी बांह पकड़ ली और आंखें उत्तेज़ना से बंद करके सिसकारियां लेने लगी।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम मेरा इंतज़ार कर रही थीं , है ना ? “ वो मुस्कुराया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ , मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी “ वो आँखें बंद किये ही मादक आवाज़ में धीरे से बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम ऐसे ही लेटी रहो । मैं तुम्हें भरपूर प्यार करूँगा तब तक , जब तक कि तुम पूरी तरह से तृप्त नहीं हो जाओगी । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर वो उसकी टाँगें फैलाकर उनके बीच आ गया और बिना देर किये अपना तना हुआ लंड आँचल की चूत में घुसा दिया । फिर उस टाइट चूत में अपने मोटे लंड को अंदर बाहर करके सटासट धक्के लगाने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आय लव यू ! ….….आह हहह ......“ सिसकारियां लेते लेते आँचल के मुंह से निकला ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो आगे झुक गया और आँचल के कांपते होठों पर अपने होंठ रख दिये और धक्कों के साथ ही चुम्बन भी लेने लगा । आँचल अब मदहोश थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ और तेज और तेज …….आह हहह …. मैं झड़ने वाली हूँ ....प्लीज और जोर से करो। ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके धक्के तेज तेज होते गए और वैसे ही आँचल की सिसकारियां भी बढ़ती चली गयीं । कुछ देर बाद आँचल के मुंह से एक तेज चीख निकली और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया । अजनबी के धक्के हलके हो गए और उसका लंड आँचल की चूत से निकले पानी की बाढ़ में डूब गया ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आँचल , तुम ठीक तो हो ? " तभी समीर ने उसका दरवाज़ा खटखटाया । "अभी अभी मैंने तुम्हारी चीख सुनी । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पूरी तरह से पसीने से तर बतर आँचल सपने से जाग जाती है । उसकी साँसें तेज तेज चल रही थीं , छाती तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी । और पूरा बदन उत्तेजना से काँप रहा था । एक गहरी साँस लेकर उसने अपने ऊपर काबू पाने की कोशिश की और बिखरे हुए चादर को अपने ऊपर छाती तक खींच लिया । तभी उसे अपने नितम्बों के नीचे कुछ गीलापन महसूस हुआ , उत्तेजक सपने से उसका पानी निकल गया था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैं ठीक हूँ । शायद कोई बुरा सपना था । तुम अंदर आ जाओ समीर ” हड़बड़ा कर अटकती साँसों के बीच उसने जैसे तैसे कहा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कमरे के अंदर आकर समीर उसके पास बेड में बैठ गया ओर उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर से पूछता है कि क्या वो ठीक है ?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल " हाँ " में सर हिला देती है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम्हारी सांसें इतनी तेज़ चल रही हैं , जैसे तुम अभी दौड़ कर आ रही हो । ऐसा क्या देख लिया तुमने सपने में ? ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" क ....कुछ नहीं । मैं अब ठीक हूँ । बस कोई बुरा सपना था ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल समीर को क्या बताती , बेचारी बस गहरी साँस लेकर रह गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैं बैठू क्या कुछ देर तुम्हारे पास ? ” चिंतित स्वर में समीर बोला ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“नहीं , ऐसी कोई बात नहीं , कहा ना मैं ठीक हूँ । थैंक यू ” आँचल हलके से मुस्कुरायी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर थोड़ी देर कंफ्यूज सा वहीँ बैठा रहा । इतना तो वो भी समझ गया था कि आँचल उससे अपना सपना डिसकस नहीं करना चाह रही है । लेकिन ऐसी अजीब हालत में उसने आँचल को पहले कभी नहीं देखा था ।बहन के लिए प्यार की वजह से उसका दिल आँचल को अकेला छोड़ने का नहीं कर रहा था पर आँचल ने भी तो उसको मना कर दिया था । थोड़ी देर बाद आँचल के माथे पर किस करके समीर अपने रूम में चला गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर के अपने माथे पर किस करने से फिर आँचल को नज़दीक से वही पहचानी सी गंध महसूस हुई , उसके शरीर में कपकंपी सी छूट गयी । उस पहचानी गंध से ही अब वो उत्तेजित हो जा रही थी । फिर अपना सर झटकते हुए , वो मन ही मन झेंप सी गयी । " छी....मैं भी कैसी पागल हूँ । अपने भाई के शरीर से आती गंध की तुलना उस अजनबी से कर रही हूँ । ऐसे विचार मेरे मन में आ कैसे सकते हैं ... छी ...अपने प्यारे भाई के लिए । वो तो कोई और लड़का था , समीर थोड़े ही न था । लेकिन फिर भी समीर के मेरे नज़दीक आने से उस पहचानी सी गंध से मुझे उत्तेजना क्यों आ जा रही है ? "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने इस प्रश्न का उत्तर उसके पास नहीं था क्योंकि वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि जिस अजनबी ने पार्टी की उस रात उसको भरपूर यौनसुख दिया था और जो अभी अभी उसको सपने में तृप्त करके गया है , वो और कोई नहीं उसका अपना छोटा भाई समीर था । जब दोनों आदमी एक ही थे तो गंध तो एक होगी ही । अब समीर के शरीर से आती पसीने की उसी गंध से आँचल के अचेतन मन को अजनबी के अपने आसपास होने का आभास हो रहा था इसलिए वो उत्तेजित हो जा रही थी । पर बेचारी आँचल को ये सब कहाँ मालूम था । वो तो एक जाल में उलझती सी जा रही थी । क्योंकि समीर के साथ एक ही छत के नीचे रहने से उस गंध से आँचल का पीछा छूटने वाला नहीं था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस बेचारी को तो ये भी नहीं पता था कि हलके नशे की हालत में उसने रिया के साथ मिलकर जो खेल समझकर प्लान बना डाला था । उससे उसकी किस्मत ने एक ऐसा फेर ले लिया था जो आगे चलकर उन दोनों भाई बहन की जिंदगी में , उनके आपसी रिश्तों में , भूचाल लाने वाला था । जिससे वो दोनों अब तक अनजान थे । उन्हें आगे आने वाले कठिन समय का कुछ अंदाजा ही नहीं था ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रविवार को दिन भर आँचल घर की साफ़ सफाई , खाना पकाने , कपडे धोने और अपनी पढाई में व्यस्त रही । लेकिन अजनबी के ख्याल उसको आते रहे । रात में फिर से वैसा ही सपना पिछली रात से भी ज्यादा उत्तेजना के साथ आया । वो अजनबी फिर से उसके सपनो में आया और आँचल को जबरदस्त ओर्गास्म दे गया । जितना वो उस रात के बारे में सोचती , उतना ही ज्यादा उस अजनबी को पाने की उसकी इच्छा बढ़ती गयी । आँचल उस अजनबी को इकतरफा प्यार करने लगी । समीर के शरीर से आती वही पहचानी सी गंध से उसकी आग और भड़कते गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोमवार की सुबह उठते ही आँचल ने निश्चय कर लिया , वो आज रिया से पूछकर ही रहेगी कि वो लड़का कौन था ।[/font]
 
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