Real Chudai Kahani किस्मत का फेर - Page 2 - SexBaba
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Real Chudai Kahani किस्मत का फेर

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोमवार की सुबह उठते ही आँचल ने निश्चय कर लिया , वो आज रिया से पूछकर ही रहेगी कि वो लड़का कौन था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसको किसी भी तरह एक बार उस अजनबी से मिलना था , उसको देखना था । आँचल उसको एक बार फिर से अपने नज़दीक महसूस करना चाहती थी पर इस बार आँखें खोल के । वो उसको छूना चाहती थी , उससे बातें करना चाहती थी । ज्यादा नहीं तो कम से कम एक बार , शायद ऐसा करने से उसका उन सपनों से पीछा छूट जाये ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोपहर को लंच टाइम में आँचल , रिया को कैंटीन में एक कोने की सीट में ले गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ कौन था वो ? ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" कौन ? किसकी बात कर रही है तू ? "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"अरे वही जो उस रात पार्टी में लड़का …….जिसे तू पकड़ लायी थी मेरे पास ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" क्या.....? " रिया सन्न रह गयी । “पागल हो गयी है क्या ? होश में तो है तू ? नहीं , तू उसको नहीं जानना चाहती ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ , मैं बिलकुल उसको जानना चाहती हूँ “ आँचल थोड़ा शरमाते हुए बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया आँचल की बात से अभी भी सदमे में थी । उसके मुंह से जोर से निकला ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ तू ना पक्की छिनाल हो गयी है । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आसपास की लड़कियां मुड़कर उन दोनों को देखने लगीं ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल का चेहरा गुस्से से तमतमा गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल का गुस्से से भरा चेहरा देखकर रिया को हंसी आ गयी । वो आँचल की तरफ झुककर धीरे से बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" बहुत बड़ा था क्या उसका ?"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी बात पर आँचल भी मुस्कुराने लगी " हाँ , मोटा भी था । मुझे मिला दो ना उससे । मुझे वो फिर से चाहिए। "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तू उससे दोबारा मिलना चाह रही है " रिया सर झटकते हुए बड़बड़ायी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अरे तू क्यों टेंशन ले रही है , मैं उसके साथ अपनी जिंदगी थोड़ी शुरू करने वाली हूँ “ आँचल मुस्कुरायी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ हाँ बच्चू , मैं अच्छी तरह से समझ रही हूँ कि तेरे को वो दुबारा क्यों चाहिए , उसने तेरे अंदर कुछ ज्यादा ही माल गिरा दिया है , है ना ? “ रिया थोड़ा कड़वे स्वर में आँचल की चूत की तरफ इशारा करते हुए बोली । आँचल की जिद से वो irritate हो गयी थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ हम्म .. .. मुंह में गिराया “ आँचल अपने खुले मुंह की तरफ इशारा करते हुए खी खी करके हंस पड़ी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ लेकिन अबकी बार देखना , मैं उसका पूरा मुंह भर दूंगी , अपने रस से । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“छी छी ! तू कितनी गन्दी बातें करने लगी है “ रिया गन्दा सा मुंह बनाकर बोली , फिर जोर से हंस पड़ी । उसने पहले कभी आँचल को ऐसी बातें कहते नहीं सुना था । कम बोलने वाली , अपने में मगन रहने वाली आँचल आज उससे बहकी बहकी सी बातें कर रही थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" ये सब उसी लड़के का असर है तुझ पर । "[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ हाँ हाँ , मुझे मालूम है । लेकिन मैं तुझे बता नहीं सकती कि उसके बारे में सोचने से ही मैं कितना उत्तेजित हो जाती हूँ ” आँचल ने अपना राज खोल ही दिया । “ जबसे मैं पार्टी से घर गयी हूँ , बस उसी के सपने देख रही हूँ दिन रात। ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“और अब तुझे इस सपने को पूरा करने के लिए मेरी मदद चाहिए , है ना ?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ “ आँचल मुस्कुरायी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ ठीक है …मैं मदद कर दूंगी तेरी , लेकिन मैं भी मज़ा लूँगी उससे , क्या ख्याल है बोल ? " रिया थोड़ा नखरे दिखाते हुए बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ तू लेना मज़े .....कौन मना कर रहा है ....उसके तो दोनों हाथों में लड्डू होंगे , वो तो खुश हो जायेगा । "आँचल हंस पड़ी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ ठीक है यार । अगर तू अब उसके पीछे इतना ही पागल हो रही है तो मैं पता करुँगी उससे कि वो तुझसे मिलने को राजी है भी या नहीं ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मैं कुछ नहीं जानती बस ये तेरी जिम्मेदारी है कि तू उसको राजी कर मुलाकात के लिए , इसी में तेरी भलाई है समझी " आँचल रिया को बनावटी धमकी देती हुई बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अच्छा तो तू उसको फिर से अपने ऊपर चढ़ने देगी ।…..हैं ?... उस दिन तो बड़ा कह रही थी कि मैं उसको नहीं जानना चाहती , वो मेरे को ना जान पाए । तब तो बड़ी बड़ी बातें कर रही थी। मैं अभी किसी रिलेशनशिप में इन्वॉल्व नहीं होना चाहती हूँ । मैं कोई कमिटमेंट का झंझट नहीं रखना चाहती हूँ । जान पहचान का लड़का नहीं होना चाहिए । अब क्या हुआ उन बातों का । इतनी जल्दी पलट गयी अपनी बात से "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया ने हाथ नचाते हुए ताना मारा ।आँचल की ज़िद तोड़ने को , उसी की बातें याद दिलाकर आखिरी तीर चलाया ।[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ इससे पहले तो कभी मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ । मुझे कभी किसी ने ऐसा बेचैन नहीं किया ।कोई ऐसे मेरे सपनों में कभी नहीं आया ।किसी ने मेरे दिल के तारों को पहले कभी ऐसे नहीं छुआ । कुछ तो स्पेशल बांड है मेरा उससे । मुझे लगता है मेरे सपनों का शहजादा कहीं ये ही तो नहीं । जिस लड़के का इंतज़ार मुझे वर्षों से था कहीं वो ये ही तो नहीं । क्या पता मेरी किस्मत ही मुझे उसके पास ले जा रही है । “[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया ने मन ही मन सोचा कि आँचल ने सपनों के जो महल बना लिए हैं वो कहीं टूट न जाएँ । एक अज्ञात आशंका ने उसको घेर लिया कहीं उसकी प्यारी दोस्त का दिल फिर से न टूट जाये । वो भावुक लड़की ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकेगी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर वो एकदम से सीरियस होकर आँचल को समझाने लगी ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ देख आँचल , तू मुझे गलत मत समझ । मैं तेरे और उस तेरे लवर के बीच नहीं आ रही हूँ । मैं तेरा बुरा क्यों चाहूंगी । लेकिन मुझे लगता है ये ठीक नहीं है । उस दिन हमने decide किया था कि रात गयी बात गयी । अब इस मामले को फिर से खोलना ठीक नहीं है । मेरे ख्याल से तू ये जिद छोड़ दे , कुछ दिनों में तू उसे भूल जाएगी । फिर सब पहले जैसे ही चलने लगेगा । ये बात तो तू भी मानेगी कि दुनिया की समझ तुझसे ज्यादा मुझे है , मैं तो तेज तर्रार लड़की हूँ । तू बहुत प्यारी लड़की है , एकदम भावुक । सबको अपना जैसा समझने लगती है । पर सब ऐसे नहीं होते । मुझे बड़ा डर है कि कहीं तेरा दिल फिर से ना टूट जाये । बड़ी मुश्किल से तो अभी संभली है तू , अपने ब्रेकअप के बाद से । मैं अपनी प्यारी दोस्त को फिर से गम के सागर में डूबते नहीं देख सकती । मुझे कुछ अंदर से महसूस हो रहा है कि तू ये ठीक नहीं कर रही है । कहीं कुछ तेरे साथ बुरा ना हो जाये । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मुझे नहीं मालूम , मुझे क्या हो गया है । मैं बस एक बार उससे मिलना चाहती हूँ । उसको अपनी आँखों से अपने सामने देखना चाहती हूँ । वैसे भी मैं उसके साथ ऐसा कुछ नया तो नहीं करुँगी जो उसके साथ पहले से ही ना कर चुकी हूँ “ आँचल ने कंधे उचकाते हुए कहा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ ये सब बहाने बाज़ी है , तुझे बस उसका मोटा लंड फिर से अपनी चूत में चाहिए और कुछ नहीं ।अगर मरना ही तेरी किस्मत है तो मर मेरी बला से । “ अपनी बातों का उस पर कुछ असर ना होता देख रिया को अब गुस्सा आ गया था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ नाराज़ क्यों होती है यार , मैं वास्तव में सिर्फ ये जानना चाहती हूँ कि वो कौन लड़का था । क्या पता वो शकल सूरत में मुझे पसंद ही ना आये , ऐसा भी तो हो सकता है । जरुरी थोड़े ही है कि वो मुझे अच्छा ही लगे । ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोनों सहेलियों में ऐसे ही बहस होते रही । रिया बात टालने के मूड में थी , उसका मन ही नहीं कर रहा था कि वो उस लड़के को ढूंढे और आँचल से मिलाये । वो तो सिर्फ एक मस्ती भरा खेल समझकर पार्टी से निकलते ही उस वाक़ये को भूल गयी थी । पर आँचल दिल लगा बैठी थी और अब उसके पीछे ही पड़ गयी थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लंच खत्म होने से पहले आँचल ने एक बार फिर ज़ोर डाला ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ कम ऑन रिया , मैं तुमको अगले रविवार को पार्टी दूंगी , प्रॉमिस । मिला दो न उससे , प्लीज । “ खुशामद भरे स्वर में आँचल बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हम्म ..… पार्टी के नाम पर तो मेरे मुंह में पानी आ गया । लेकिन मुझे अभी भी लगता है कि ये सही नहीं है । तुमको उस लड़के को अजनबी ही रहने देना चाहिए ” रिया कुछ देर सोचने के बाद बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मैं जानती हूँ रिया कि तुम मेरा भला ही चाहोगी । मैंने उस रात कहा था कि मैं उस लड़के को नहीं जानना चाहती , उससे अनजान ही बने रहना चाहती हूँ । पर मैं क्या करूँ मेरा जीना हराम हो गया है । उठते बैठते सोते हर वक़्त वो ही मेरी आँखों के सामने घूमते रहता है , रात में भी सोने नहीं देता है । जितना उसको भुलाने कि कोशिश करती हूँ उतना ज्यादा वो और याद आता है । एक बार उससे मिल लूँ , उसको देख लूँ , उससे बातें कर लूँ , तो फिर क्या पता मेरे ये सपने मेरा पीछा छोड़ दें । तुम प्लीज सोचना जरूर इस बारे में । तुम्हारे पास आज का पूरा दिन है । मैं कल फिर तुमको पकड़ूँगी और उम्मीद करती हूँ कि तुम मुझे निराश नहीं करोगी । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ ठीक है बाबा , तू जीती मैं हारी । अब तूने जब मिलने की रट पकड़ ही ली है तो मैं पूरी कोशिश करुँगी । लेकिन मुझे उससे पहले बात तो करनी पड़ेगी ना । " आख़िरकार रिया ने आँचल की जिद के आगे हथियार डाल ही दिये ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ कल लंच टाइम में मिलते हैं ।” रिया ने अपना बैग उठाया और चली गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगले दिन आँचल ने एक सफ़ेद शर्ट और उसके अंदर एक पतले फैब्रिक की बिना पैड वाली वाली ब्रा पहनी जिसमें शर्ट के बाहर से ही उसके निप्पल का शेप साफ़ दिख रहा था और एक नीले रंग की टाइट जीन्स पहनी जिसमें उसके बड़े नितम्ब कसे हुए बहुत ही मस्त लग रहे थे ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लंच टाइम में रिया आँचल को पार्किंग में ले गयी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ मैंने उस लड़के को यहीं बुलाया है । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोनों सहेलियां वहीँ खड़े खड़े उस अजनबी का इंतज़ार करने लगीं ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल थोड़ी चिंतित लग रही थी और उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ झलक रही थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ तू बड़ी tense लग रही है । देख , उससे नहीं मिलना है तो अभी भी बता दे । " आँचल के चेहरे को देखती हुई रिया बोली ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" वो यहाँ अब किसी भी समय आ जायेगा , ना कहना है तो पहले ही बोल दे । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी उसे समीर आते हुए दिख गया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ राजकुमारी जी , लो आ गया आपका शहजादा ” रिया आदाब बजाते हुए बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ कहाँ " आँचल ने समीर को देखा और फिर वो इधर उधर देखने लगी पर उसको कोई और लड़का नहीं दिखा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अरे तुझे वो लम्बा चौड़ा लड़का आँख नहीं दिख रहा क्या ? जो हमारी तरफ आ रहा है ।" आँचल के भाई की तरफ ऊँगली से इशारा करते हुए रिया ने कहा और हंसने लगी ।[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल को काटो तो खून नहीं ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो बिलकुल सन्न रह गयी । उसने समीर को देखा फिर रिया की ओर देखकर बोली " ये लड़का ? मजाक तो नहीं कर रही तू मेरे साथ ? "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि रिया ने ये क्या कह दिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके मन में खलबली सी मच गयी । घबराहट और सदमे से उसकी साँस गले में ही अटक गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया को आँचल और समीर के आपसी रिश्ते का पता ही नहीं था । उसने सोचा आँचल को समीर पसंद नहीं आया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“देख आँचल , अब तो वो आ ही गया है । अब तू इस मुलाकात को टाल नहीं सकती । तुझे उससे बात करनी ही पड़ेगी , चाहे तुझे वो पसंद नहीं भी आ रहा है तब भी , समझी । " मुस्कुराते हुए रिया बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" हे ईश्वर ! " आँचल अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये सच नहीं हो सकता , मेरा अपना सगा भाई !!! इतना बड़ा मज़ाक मेरे साथ नहीं हो सकता । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी समीर उन दोनों के सामने आ खड़ा हुआ ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने आँचल को देखा फिर रिया को देखकर मुस्कुराया “ hi रिया , वो लड़की कहाँ है जिससे तुम मुझे मिलाना चाहती हो ।“[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“hi समीर ये मेरी फ्रेंड आँचल है और आँचल यहीं है वो लड़का जो उस रात पार्टी में तुम्हारे साथ था “ फिर आँख मारते हुए बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" जिससे मिलने को तू इतना उतावली हुई जा रही थी । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]किस्मत के इतने बड़े मज़ाक से हैरान दोनों भाई बहन के मुंह से कोई बोल ही नहीं फूटा । दोनों बुत बने खड़े रह कर एक दूसरे को ताकते ही रह गए । बिलकुल सन्न !!![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर आँचल ने अपनी नज़रें झुका लीं । कुछ पलों तक यूँ ही सर झुकाये खड़ी रही । उसे मालूम था कि समीर अवाक् सा उसे ही देखे जा रहा है । यह पल बहुत ही पीड़ादायक थे , अब हकीकत सामने थी । अजनबी , अजनबी नहीं रह गया था । वो उसका अपना छोटा भाई समीर था , जिससे उसने पार्टी की उस रात बेशरम बनकर जबरदस्त सेक्स किया था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]धीरे से उसने अपनी आंसुओं से भरी आँखें उठाकर समीर की आँखों में देखा । समीर की नंगी पीठ पर फिरती उसकी अंगुलियां , दर्द और उत्तेजना में उस पीठ पर गढ़ते उसके नाखून और कामतृप्ति के समय निकलती सिसकारियां , ये सब दृश्य उसकी आँखों में घूमने लगे । आँचल ने अपनी नज़रें फेर लीं और गहरी सांसे लेने लगी । फिर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और आंसू उसके गालों पर बहने लगे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ पलों बाद उसने अपना मन कड़ा किया और आगे बढ़ कर अपने भाई के गले जा लगी ।[/font]




[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन समीर के गले लगकर उसे कुछ और ही अहसास होने लगा , उसको पसीना सा आने लगा और उसकी सांसे भारी हो चलीं । उसने महसूस किया कि उसका बदन काँप रहा था । समीर के बदन से अपना बदन छूते ही उसको फिर उत्तेजना आने लगी । उसने गहरी साँस लेकर उस पहचानी सी पसीने की गंध को अपने अंदर भरा , अब वो पहेली सुलझ चुकी थी । कुछ पलों के लिए वो भूल ही गयी कि वो अपने प्रेमी के नहीं बल्कि अपने भाई के गले लगी है । समीर के मजबूत जिस्म से लिपटकर आँचल फिर से उन मादक पलों में खो गयी । जिस जिस्म से नज़दीकी पाने के लिए वो उतावली हो रही थी , वो उसके पास अब मौजूद था। यही वो शख्स था जो रातों में उसके सपनों में आकर उसकी पैंटी गीली कर जाता था। आँचल तड़प उठी । अजनबी से दुबारा मिलने का उसका सपना पूरा तो हुआ लेकिन ...............[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने भाई की तेज चलती सांसों को उसने महसूस किया और उसकी आँखों में झाँका ।लेकिन वहां उसको दर्द और क्रोध की मिली जुली भावनाएं दिखी , समीर अपने को किस्मत द्वारा छला गया महसूस कर रहा था । आँचल से उन आँखों में देखा न गया और उसने अपनी नज़रें नीचे झुका लीं। समीर की उन भावनाओं ने आँचल को फिर से होश में ला दिया । उन आँखों में उस अजनबी की तरह प्यार नहीं बल्कि छले जाने का दर्द और क्रोध था ।[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल को अपने घुटने कमज़ोर और टाँगें कांपती सी महसूस हुई । उसे लगा वो अब गिर पड़ेगी । उसने अपना माथा समीर के सीने में टिका लिया । अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही उसने अपनी उत्तेजना को काबू में करने की भरपूर कोशिश की । आँचल के निप्पल उस पतली सफ़ेद शर्ट में उत्तेजना से तने हुए दिख रहे थे ।जिन्हें छिपाने का अब कोई रास्ता नहीं था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी आँचल की नज़र रिया की छाया पर पड़ी , वो भूल ही गयी थी कि उसके और समीर के अलावा कोई तीसरा भी वहां है । आँचल ने अपने को समीर से अलग किया । अब वहां पर खड़ा रहना उसके बर्दाश्त से बाहर था । समीर के नज़दीक जाते ही उसे कुछ हो जा रहा था । किस्मत के इस फेर से हैरान परेशान आँचल ने अपने आंसू पोछे , फिर मुड़ी और तेज तेज क़दमों से वहां से चली गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ अरे ! ये कहाँ चली गयी ? ये हो क्या रहा है ? साली ने मेरा दिमाग चाट दिया तुमसे मिलवाने के लिए और जब मैंने मिलवा दिया तो ये ऐसा नाटक क्यों कर रही है ? " हैरानी से रिया ने समीर को पूछा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ वो मेरी …मेरी ….” समीर में अपनी बात को पूरा करने की हिम्मत नहीं थी । वो रिया से नहीं कह पाया कि आँचल उसकी बहन है , वो कहता भी कैसे …….उसने शर्मिंदगी से अपनी दोनों हथेलियों से अपना चेहरा ढक लिया और आँखें बंद किये खड़ा रहा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“वो तुम्हारी क्या ? क्या है ? ” दोनों भाई बहन के व्यवहार से हैरान रिया को ये माज़रा कुछ समझ नहीं आ रहा था ।लेकिन अब उसकी उत्सुकता बढ़ रही थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पर समीर जवाब देना नहीं चाहता था और दे भी नहीं सकता था । उसने एक नज़र उस तरफ दौड़ायी जिस तरफ आँचल गयी थी , फिर मुड़ा और वो भी चला गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया अकेले बेवकूफ की तरह से खड़ी रह गयी । कुछ पल सोचने के बाद अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं , और मुझे बता नहीं रहे । कुछ तो गड़बड़ है । अब मुझे ही पता लगाना पड़ेगा ।"[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर वो भी पार्किंग से चली गयी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शाम को समीर जानबूझकर काफी देर बाद घर आया । उसने देखा आँचल डाइनिंग रूम या किचन में नहीं थी जैसा की[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अक्सर इस समय होती थी । वो दिन भर सोच रहा था कि घर जाकर अपनी बहन का सामना कैसे करेगा लेकिन जब[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने पाया कि आँचल आज , अन्य दिनों की तरह , डिनर के लिए उसका इंतज़ार नहीं कर रही है तो उसने राहत की[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सांस ली । समीर ने किचन में झांककर देखा तो पाया कि आँचल ने उसके लिए खाना पकाकर रख दिया था । उसने चुपचाप[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खाना गरम किया और खाने लगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]डिनर के बाद उसने थोड़ी देर वहीँ सोफे पर बैठकर TV देखा फिर वो बाथरूम की तरफ चल दिया । आँचल के बेडरूम के[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दरवाज़े से गुजरते वक़्त उसे हलकी हलकी सुबकने की आवाज़ें सुनाई दीं । अपने कानों में आँचल के सुबकने की आवाज़[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पड़ने से उसका दिल बैठ गया । जो कुछ भी हुआ उसके लिए उसका मन अपने को ही दोषी ठहराने लगा । वो सोचने लगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगर वो पार्टी की उस रात रिया के प्रस्ताव को ठुकरा देता तो वो घटना होती ही नहीं । उसका दिल अपनी सुबकती हुई[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लाड़ली बहन के पास दिलासा देने के लिए जाने को मचलने लगा ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दूसरी तरफ ये बात भी थी कि समीर को भी वो अजनबी लड़की अच्छी लगी थी । उस लड़की ने बिना नखरे दिखाये[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर के साथ खुलकर सेक्स किया था और ये बात समीर को बहुत पसंद आयी थी । वो खुद भी उस लड़की से दुबारा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मिलने को उत्सुक था । इसीलिए जब रिया ने उससे मुलाकात के लिए पूछा तो उसने तुरंत हामी भर दी थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था । मन में सुहाने सपने लिए दोनों भाई बहन अपने अपने अजनबी से[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मिलना चाहते थे ।लेकिन जब मुलाकात हुई तो वो उसकी अपनी ही लाड़ली बहन निकली जिससे सेक्स सम्बन्ध[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बनाने की वो कल्पना भी नहीं कर सकता था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वैसे तो दोनों ही भाई बहन आपस में बिलकुल ही खुले हुए थे । अक्सर ही आँचल घर में टीशर्ट और शॉर्ट्स में[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी खुली टांगों में घूमती रहती थी । जब समीर उसके साथ आकर रहने लगा था तब भी आँचल ने अपने तौर तरीकों में[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई बदलाव नहीं किया था । क्योंकि दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए कोई बुरे विचार या वासना की भावना नहीं थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन एक बार उन दोनों भाई बहन के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन जाने के बाद अब सारे हालत बदल चुके थे।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ आँचल ” उसने दरवाज़े के बाहर से अपनी बहन को आवाज़ दी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" जाओ यहाँ से " आँचल सुबकते सुबकते ही बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" आँचल , प्लीज मुझे अंदर आने दो । मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" समीर , तुम मुझसे दूर रहो । मुझे अकेला छोड़ दो । प्लीज ! ”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर उसका दुःख और बढ़ाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने ज्यादा जोर नहीं दिया और चुपचाप[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने बेडरूम में आ गया । बेड में लेटे हुए उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी प्यारी बहन को खो दिया है ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसे लगा कि, उन दोनों के बीच जो लाड़ भरा रिश्ता भाई बहन का था और जो उसके लिए बहुत मायने रखता था[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्योंकि वो अपनी बहन से बहुत प्यार करता था और उम्र में थोड़ा छोटा होने के बावजूद एक protective भाई की तरह[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी केयर करता था , वो रिश्ता अब हमेशा के लिए खत्म हो चुका है ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उन दोनों ही भाई बहन के लिए वो रात बहुत लम्बी गुजरी l दोनों ही अपनी अपनी मानसिक पीड़ा को भोगते हुए[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिस्तर में इधर से उधर करवटें बदलते रहे । आखिर थककर नींद ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दूसरे दिन कॉलेज में आँचल का मन नहीं लगा । उसके मन में वही सब ख्याल आते रहे । पार्किंग में समीर के सीने से[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लगने पर हुई उत्तेजना के दृश्य उसकी आँखों के सामने घूमते रहे । जिस अजनबी को वो इतना चाहने लगी थी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अब अजनबी नहीं उसका भाई समीर था । फिर भी उसकी चाहत कम नहीं हो रही थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने अपने दिल को समझाना चाहा कि ये सिर्फ छिछोरापन है , समीर उसका भाई है और वो उसकी 1 साल[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बड़ी बहन । आखिर दुनिया में कौन बहन अपने भाई की तरफ इस तरह आकर्षित होती है कि उससे सेक्स सम्बन्ध[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बनाने की इच्छा हो ? जो भी हुआ वो किस्मत की एक गलती थी और अगर अब भी मैं समीर की तरफ आकर्षित हो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रही हूँ तो ये बहुत ही गलत बात है , जो संसार के नियम बंधनों के हिसाब से पाप है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसे अपने ऊपर ही क्रोध आने लगा । लेकिन लाख कोशिश करने के बाद भी वो अपने दिल पर काबू न पा सकी ।उसके मन में[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर को पाने की इच्छा बढ़ती ही गयी । जब भी वो अपनी आँखे बंद करती उसको समीर ही दिखाई देता । उसने अपनी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पूरी कोशिश की , कि वो अपने भाई के बारे में इस तरह से न सोचे । उसने अपना ध्यान समीर से हटाकर , अपने[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पुराने बॉयफ्रेंड के साथ बिताये पलों को याद करने का प्रयास किया । लेकिन इन सब कोशिशों से कोई फायदा नहीं हुआ ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसको बार बार उस अँधेरे कमरे में अपने ऊपर समीर के बदन की परछाई दिखाई दे रही थी ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शाम को आँचल डाइनिंग रूम में सोफे पर आँखें बंद किये लेटी थी । उसके मन में समीर के ही ख्याल आ रहे थे । उसे लगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर उसके ऊपर लेटा हुआ है और उससे धीमे धीमे प्यार कर रहा है । अपने आप ही उसका एक हाथ clitoris पर[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]चला गया और दूसरे हाथ से वो अपनी एक चूची को हलके से सहलाने लगी । फिर कुछ पलों बाद उसने समीर के मुंह से[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]निकलती सिसकारी सुनी और अपनी चूत में सफ़ेद गाड़े वीर्य की धार महसूस की ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पिछले कुछ दिनों से आँचल के मन में अजनबी से मिलने की बहुत तड़प थी । उस रात की उत्तेजना उसके मन[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]से कभी निकल ही नहीं पायी । उसको लगता था उसके बदन में कुछ आग सी लग गयी है ।अपनी चूत के फूले होंठ उसको[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ ज्यादा ही sensitive महसूस हो रहे थे और चूत में हर समय एक गीलापन महसूस होता था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने अंदर उठती इन भावनाओं की वजह से दिन भर वो बहुत रोयी थी । ये ऐसी इच्छाएं थी जो पूरी नहीं की[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जा सकती थीं और अपने भाई के लिए तड़प , उसे तो समाज स्वीकार ही नहीं करता था । उसने कभी नहीं सोचा था[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कि सिर्फ एक रात के सम्बन्ध से हालत यहाँ तक पहुँच जायेंगे और उसके मन में अपने भाई को पाने की चाहत[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस कदर बढ़ जायेगी कि वो समाज के बनाये नियमों को तोड़ने पर आमादा हो जाएगी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब वो अजनबी से अनजान नहीं थी । ये बात बिलकुल साफ़ हो चुकी थी कि वो कौन था जो उसके उत्तेजक सपनो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]में आता था और उसको भरपूर कामतृप्त करके ही जाता था । जिसके चौड़े सीने से लगकर वो अपने आप को[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर से छोटी बच्ची की तरह सुरक्षित महसूस करती थी । अब उस अजनबी का चेहरा धुंधला सा नहीं था ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो चेहरा था उसके हैंडसम भाई समीर का ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऐसे हालात में एक ही छत के नीचे अपने भाई के साथ रहना अब उसके लिए नामुमकिन सा था । समीर के उसके ही[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]साथ रहने से आँचल को अपनी भावनाओं पर काबू पाना संभव नहीं लग रहा था । उसे लग रहा था कि अगर समीर यहीं रहा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो वो उसके लिए तड़पती ही रहेगी । उसने सोचा कि वो अपने प्यारे भाई से कह देगी कि वो अपने लिए कोई और कमरा ढूंढ ले[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और यहाँ से चला जाये । मगर समीर को जाने के लिए कहने के ख्याल के बारे में सोचने से ही उसे इतनी पीड़ा पहुंची[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कि उसने इस ख्याल को ही मन से निकाल दिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने ये भी सोचा कि वो अन्य दूसरे लड़कों से दोस्ती बढ़ाएगी , कोई नया बॉयफ्रेंड बनायेगी । ताकि इन बातों को[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भूल सके । लेकिन ये ख्याल भी ज्यादा देर नहीं टिका क्योंकि अब वो सिर्फ और सिर्फ समीर को ही चाहती थी । कोई भी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दूसरा लड़का समीर के लिए उसकी चाहत के सामने बौना ही साबित होता । आँचल के लिए अब छोटा भाई समीर ही[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसका “ बॉयफ्रेंड “ था । लेकिन समीर के लिए ?[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दूसरी तरफ समीर के लिए ये सब बहुत मुश्किल था । वो आँचल को बहुत प्यार करता था और उसका पूरा ख्याल[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रखता था । आँचल की बात वो टालता नहीं था । लेकिन अपनी बहन के लिए शारीरिक आकर्षण जैसी कोई भावना उसके[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मन में नहीं थी । कभी आँचल के माथे पर प्यार भरा किस कर लिया तो कर लिया वरना समीर , समझदार भाई[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]की तरह उससे एक शारीरिक दूरी बनाये रखता था । उसने कभी भी अपनी बहन की छाती , उसके नितम्बों और अक्सर[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खुली रहने वाली लम्बी चिकनी टांगों की तरफ गलत नज़रों से नहीं देखा था । वो तो लाड़ली बहन की तरह उससे प्यार[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]करता था । उसका मन अपनी बहन के लिए शीशे की तरह साफ़ था और ये बात आँचल को अच्छी तरह से मालूम थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन इससे आँचल की पीड़ा और भी बढ़ गयी क्योंकि वो जानती थी कि उसकी तड़प इकतरफा थी और ये भी कि समीर के[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मन में उसके लिए ऐसी कोई तड़प नहीं है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो शाम लम्बी खिंचती चली गयी । समय के साथ आँचल की उलझन बढ़ती जा रही थी । उसको लग रहा था[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कि वो एक चक्रव्यूह में फंस चुकी है और बाहर निकलने का कोई रास्ता उसे नहीं सूझ रहा था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आँचल ! आँचल !”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैं कितनी देर से तुम्हें आवाज़ दे रहा हूँ । तुम्हें हो क्या गया है , होश में आओ आँचल ।“[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ सॉरी समीर ...कुछ दिनों से मैं ढंग से सो नहीं पायी हूँ इसलिए आँख लग गयी थी “ आँचल ने आँखें मलते हुए कहा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने उसके चेहरे से छलकता दर्द देखा वो तुरंत समझ गया कि आँचल किन ख़यालों में डूबी हुई थी । उन्हीं बातों को सोचते हुए[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल की सोफे पर ही आँख लग गयी होगी । रात को नींद न आने की बात तो सिर्फ एक बहाना थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ देखो आँचल , जो कुछ भी हुआ वो एक किस्मत की गलती थी और हम दोनों का ही इसमें कोई कसूर नहीं है । हमको इस बात को[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भूल जाना चाहिए और फिर से आपस में पहले जैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“पहले की तरह ? ये संभव ही नहीं है । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसको अब हम पलट तो नहीं सकते ना । इसलिए उसे भूल जाना ही ठीक है । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम क्या कह रहे हो समीर ? जो हुआ उसे भूल जाऊँ ? कैसे ? " आँचल की पीड़ा अब गुस्से में बदल रही थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]एक तो वो पहले से ही परेशान थी , ऊपर से समीर का बड़ों की तरह ऐसे बातें करना उसे अच्छा नहीं लग रहा था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]गुस्से से उसका मुंह लाल हो गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ आँचल , प्लीज , पहले मेरी बात सुनो । मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ कि भाई बहन के बीच मर्यादा की जो रेखा होती है ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हमें उसे पहले जैसे ही बरक़रार रखना चाहिए । मैं तुम्हारा भाई , तुम मेरी लाड़ली बहन हो । जो कुछ हुआ उसे बुरा सपना समझकर[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भुला देना चाहिए । तुम्हें मेरी इतनी सी बात समझ क्यों नहीं आ रही है ? उस घटना को भूल जाने में तुम्हें प्रॉब्लम क्या है ? "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ इतनी सी बात ...... ? ये इतनी सी बात है ......? बकवास बंद करो समीर !! भाड़ में गयी तुम्हारी ये लेक्चर बाजी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हें कुछ अंदाजा भी है कि उस रात के बाद से मुझ पर क्या गुजरी है ? और तुमने कितनी आसानी से कह दिया ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सब भूल जाओ । मैं कैसे भूल जाऊँ ? मर्यादा की जिस रेखा की तुम बात कर रहे हो , उसे तो तुम कब का पार कर चुके हो ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर अब वो रेखा हम दोनों भाई बहन के बीच है ही नहीं क्योंकि उस रात के बाद अब हम दोनों उस रेखा के एक ही तरफ हैं ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस रात जो बदन तुम्हारे जिस्म के नीचे था , वो मेरा बदन था , तुम्हारी अपनी सगी बहन का । अब आँखें फेर लेने से क्या होगा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सच को झुठला तो नहीं सकते ना तुम । "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल की आँखों से टपटप आँसू बहने लगे ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ बात सिर्फ उस रात के सेक्स की नहीं है । लेकिन उस रात बिताये पलों के बाद , जाने अनजाने में , मेरे मन में[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो आशाएं , उम्मीदें , जो इच्छाएं जन्मी थी , उनका क्या ? जो सपने रात भर मुझे बेचैन किये रहते थे , उनका क्या ?[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उन्हें भुला ही नहीं सकती , चाहे मैं कितनी ही कोशिश क्यों ना कर लूँ । समझे तुम ? "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल के अंदर की इतने दिनों की पीड़ा , उसकी तड़प , लावा बनकर फूट पड़ी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम सभी मर्द एक जैसे होते हो । तुम लोगों को इस बात का कुछ अंदाजा ही नहीं होता कि जब एक लड़की किसी लड़के को[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपना दिल दे बैठती है तो उस पर क्या बीतती है । लड़कों को लगता है कि लड़की पर थोड़ा पैसा खर्च कर दो , कुछ गिफ्ट[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वगैरह दे दो और वो लड़की उनके लिए अपने कपडे उतार दे । क्यों ? क्योंकि वो ऐसा चाहते हैं , बस । वो किसी भी तरह सिर्फ[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सेक्स करने की कोशिश में रहते हैं । लड़की की भावनाओं की उन्हें कोई क़द्र नहीं होती । उनका सिर्फ एक लक्ष्य होता है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कि कैसे भी पटाकर लड़की की टांगे फैला दी जाएँ और इससे पहले कि लड़की कहीं अपना इरादा ना बदल दे , झट से उसके[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऊपर चढ़के उसके अंदर अपना पानी गिरा दें । कई बेवक़ूफ़ लड़कियां इनके चक्करों में फंस भी जाती हैं और जब तक[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उन्हें समझ आती है , लड़के अपना काम निकाल के , उनको छोड़ कर जा चुके होते हैं ।लेकिन ये बातें मुझे जल्द ही[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समझ आ गयी थीं । मैं इन चक्करों में पड़ी ही नहीं । मेरा सिर्फ एक बॉयफ्रेंड बना था , लेकिन वो भी धोखेबाज ही निकला । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल बोलते बोलते थोड़ी साँस लेने के लिए रुकी । अपनी बहन की पीड़ा देखकर समीर का दिल भर आया । उसने आँचल को[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आलिंगन में भरकर उसका सर अपनी छाती से लगा लिया । अपने भाई की मजबूत बाँहों के घेरे में आकर आँचल ने एक[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]गहरी सांस ली । उसकी आँखों से फिर आँसू बह चले ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सुबकते हुए वो बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ समीर उस रात मैं सिर्फ थोड़ा मज़ा लेना चाहती थी और कुछ नहीं । लेकिन जैसा प्यार उस अजनबी ने मुझे दिया[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वैसा मैंने कभी महसूस ही नहीं किया था । मुझे पता ही नहीं था कोई ऐसा इतना प्यार देने वाला भी हो सकता है।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उस रात के बाद से हर रात उस अजनबी के ही सपने देखती रही हूँ और एक बार फिर से उन आनंद के पलों को[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पाने के लिए तड़प रही हूँ । मुझे रिया की कितनी खुशामद करनी पड़ी कि वो एक बार मुझे उस लड़के से मिला दे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन जब वो अजनबी मेरा भाई यानि तुम निकले तो मेरे ऊपर आसमान ही टूट पड़ा । मेरे सपनों का शहजादा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिससे मिलने को मैं तड़प रही थी वो मेरा अपना भाई निकला तो इसमें मेरा क्या कसूर है । “[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल फिर चुप हो गयी और अपने भाई के सीने से लगी रही । समीर के आलिंगन से उसकी तड़प फिर बढ़ने लगी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो फिर से बेचैन हो उठी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ सिर्फ एक बार , बस एक बार, अगर तुम मुझसे वैसे ही प्यार करो , तो शायद मेरे मन की तड़प पूरी हो जाये और ये रोज़[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रात में आकर तड़पाने वाले सपनों से मुझे मुक्ति मिल जाये । क्या पता । “[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर उसने अपनी आँखें उठाकर समीर की आँखों में झाँका पर उनमे उसे वही भाव दिखे , जो पहले दिन पार्किंग में दिखे थे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वही पीड़ा, क्रोध , confusion के मिले जुले भाव ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" समीर प्लीज , मैं जानती हूँ तुम मेरे भाई हो और ऐसा करना शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा। लेकिन सिर्फ एक बार[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे वही प्यार दो । उसके बाद तुम अगर मेरे पास आना नहीं चाहोगे तो कोई बात नहीं । लेकिन सिर्फ एक बार मैं तुमसे वही[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]प्यार चाहती हूँ और फिर जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा । अगर तुम चाहोगे तो फिर से हम पहले के जैसे भाई बहन[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बन जायेंगे । लेकिन प्लीज एक बार , सिर्फ इस बार मेरा मन रखलो । सिर्फ एक बार के लिए मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ मेरे भाई ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी सुबकती हुई बहन को सीने से लगाए हुए समीर गहरी साँसे लेते हुए चुपचाप खड़ा रहा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने अपने को समीर के आलिंगन से अलग किया । अपनी आँखों से आँसू पोछे और समीर को उम्मीद भरी नज़रों से देखा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर की कुछ समझ मेँ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" मैं अपने बेडरूम का दरवाज़ा खुला रखूंगी । तुम अगर अपना मन बना लोगे तो सीधे अंदर आ जाना । नॉक करने की कोई जरुरत नहीं ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी । अगर तुम नहीं आये तो मैं समझ जाऊँगी कि तुमने क्या decide किया है । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इससे पहले कि समीर कुछ जवाब दे पाता , आँचल तेज तेज क़दमों से अपने बेडरूम में चली गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । अपने बेडरूम में बेड पर लेटे हुए उसके दिमाग में पार्टी की उस रात[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]के दृश्य घूमने लगे । उस अँधेरे कमरे में वो मादक लड़की जिसने उसे जी भर के कामतृप्ति दी थी । लेकिन आँचल ने जो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बातें अभी कहीं थी , उनसे समीर उलझन में था । अगर वो उसकी बात मानकर उसका दिल रख लेता है तो भी उनके बीच[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ अलग नहीं होने वाला था । क्योंकि आपस में सेक्स तो वो पहले ही कर चुके थे । अब इससे ज्यादा और हो ही[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्या सकता था। लेकिन वो ये भी जानता था कि अगर ये किस्सा शुरू हुआ तो फिर ये एक बार ही नहीं होगा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये होते रहेगा और उनकी लाइफ को और उनके आपसी रिश्तों को और उलझा देगा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर अभी कोई मन नहीं बना पा रहा था । उसको इन सब बातों पर सोचने के लिए कुछ और वक़्त की जरुरत थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने सोचा कि अगर वो आँचल की बात नहीं मानता और उसको मना कर देता है तो फिर एक ही छत के नीचे वो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कैसे रह पायेंगे । उनके रिश्ते के बीच एक दरार पैदा हो जायेगी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर फिर उस रात की लड़की के बारे में सोचने लगता है । वो लड़की उसे भी बहुत पसंद आयी थी और उस रात को[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]याद करके उसका लंड भी कई बार खड़ा हो जाता था । पर अब हालत दूसरे थे , वो लड़की कोई अनजान नहीं ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खुद उसकी बहन थी । अब अगर वो आँचल के बेडरूम में चला भी जाता है तो अपनी बहन के साथ वैसे सेक्स थोड़ी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कर पायेगा जैसे उसने उस रात अनजान लड़की के साथ उसको dominate करके किया था और जो submissive nature[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]की आँचल को बहुत पसंद आया था । वो वैसा कर ही नहीं सकता था क्योंकि उसे मालूम था , अपनी बहन आँचल के सामने[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो नर्वस हो जायेगा । समीर कुछ भी decide नहीं कर पाया । उसने सारी समस्या को वक़्त और किस्मत के भरोसे छोड़ दिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो किस्मत में होगा देखा जायेगा । उसने सोचा कि देखते हैं सुबह आँचल कैसा रियेक्ट करती है ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उधर आँचल रात में अपने कमरे में समीर के आने का इंतज़ार करती रही । वो रात उसके लिए बहुत लम्बी और तड़पा देने वाली[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वाली साबित हुई । जैसे जैसे समय बीतता गया , आँचल डिप्रेशन की गहराईयों में गिरते चली गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दूसरे दिन सुबह आँचल बहुत दुखी थी । अपनी पैंटी के ऊपर एक लम्बी ढीली टीशर्ट डालकर नाश्ता बना रही थी । नाश्ता करते समय दोनों भाई बहन में से कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था । वो चुपचाप अपनी प्लेटों की तरफ देखकर खाना खा रहे थे । खा क्या रहे थे , बस प्लेट में खाना इधर उधर घुमा रहे थे । दोनों ही अपने अपने विचारों में खोये हुए थे ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब आँचल ने नाश्ता कर लिया तो उसने नज़रें उठाकर समीर को देखा , अपने हैंडसम भाई को ।लेकिन अब वो जानती थी कि उसे अपने भाई के प्रति शारीरिक आकर्षण को वहीँ पर ख़तम कर देना चाहिए । उन दोनों भाई बहन की नज़रें आपस में मिली । आँचल का दिल तड़प उठा । उसकी आँखों में दर्द उमड़ आया । समीर द्वारा ठुकरा दिए जाने की पीड़ा से उसके आँसू गालों पर बहने लगे ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ तुम्हारा निर्णय अब मुझे पता चल गया है ” वो बुदबुदायी और फिर एक झटके से उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में चली गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आंचल का दुःख देखकर समीर का दिल भर आया । आंचल के उदास और लटके हुए चेहरे को देखकर उसने उसी क्षण फैसला ले लिया ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाड़ में जाये , समाज के नियम - कानून । मेरी बहन मुझे इतना चाहती है और मैं उसे चाहता हूँ , तो हमें औरों से क्या लेना देना ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर अपनी कुर्सी से उठा और आँचल की ओर बढ़ा । आँचल को अपनी तरफ घुमाकर उसने मजबूत बाँहों के घेरे में भरके उसे अपनी ओर खींचा । आंचल ने अपनी आँसुओं से भरी आँखें उठाकर समीर की आँखों में देखा , वहां अब असमंजस के भाव नहीं थे , समीर ने निर्णय ले चुका था ।आँचल ने अपनी बाहें उसके गले में डालकर उसकी छाती में अपना सर रख दिया । वो दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही खड़े रहे । समीर ने अपने हाथ नीचे ले जाकर आंचल के नितम्बों को पकड़कर आँचल को प्यार से थोड़ा और अपनी तरफ खींचा । आँचल मानो इन्ही पलों का इंतज़ार कर रही थी वह खुद ही समीर से चिपट गयी । समीर की बांहों में जो ख़ुशी आंचल को मिली उससे उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उसका दिल ही उछल कर बाहर आ जायेगा ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने पहली बार अपनी बहन के नरम जिस्म और उसकी मादक गंध को महसूस किया । लेकिन वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था । उसके दिल से बोझ उतर चुका था और वो अब बहुत हल्का महसूस कर रहा था । समीर ने अपना सर झुकाकर आँचल को देखा , पहली बार एक लड़के की नज़र से , आँचल खूबसूरत थी और अब तो समीर का दिल भी पिघल चुका था । अब उनके बीच कोई दीवार नहीं थी । समीर ने आँचल के माथे का धीरे से चुम्बन लिया और फिर आँचल के सर के ऊपर अपना चेहरा रख दिया । आँचल ने समीर का चुम्बन अपने माथे पर महसूस किया , उसके पूरे बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और तभी उसको समीर का चेहरा अपने बालों में महसूस हुआ । उसने अपने सर को थोड़ा हटाया और समीर की तरफ देखा । दोनों की नज़रें मिली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" तुम ये मेरी खुशी के लिए कर रहे हो ? " आँचल फुसफुसाई ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"हमारी ख़ुशी के लिए आँचल " समीर मुस्कुराया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर समीर ने अपना चेहरा झुकाके आँचल के होठों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये । आँचल ने अपने कंपकपाते होंठ समीर के होठों से लगा लिये । दोनों किसी नए प्रेमी जोड़े की तरह धीरे धीरे एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे । शुरू में थोड़ी झिझक हुई पर कुछ पलों बाद दोनों का चुम्बन लम्बा और प्रगाढ़ होता चला गया ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने अपने दोनों हाथ आँचल के बड़े गोल नितम्बों पर रखे हुए थे और आँचल ने अपनी बाहें समीर के गले में डाली हुई थी । आँचल ने अपने होंठ समीर के होठों से अलग किये बिना ही अपना एक हाथ समीर की कमीज के अंदर डाल दिया और उसके पेट , चौड़ी छाती और मजबूत कन्धों पर अपना हाथ फिराने लगी । जब उसकी उँगलियों ने समीर के निप्पल को छुआ तो आँचल ने उसको उंगुलियों के बीच थोड़ा दबाया और गोल गोल घुमाया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी बाँहों में लेकर आँचल का प्रेमी की तरह चुम्बन लेते हुए समीर को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था । उसके नाजुक और रसीले होठों को समीर चूमते रहा । फिर समीर ने अपना बांया हाथ उसकी पैंटी के अंदर खिसकाया । उसने आँचल के बदन में कम्पन महसूस किया । कुछ पलों तक उसने अपना हाथ आँचल के बड़े गोल नितम्ब पर रोके रखा और अपनी बहन के नग्न शरीर के स्पर्श का सुख लिया फिर उसका हाथ दोनों नितम्बों के बीच की दरार की तरफ बढ़ गया ।जब उसकी उँगलियों ने दरार के बीच से आँचल की चूत को छुआ तो उसको अपनी उँगलियों में गीलापन महसूस हुआ । आँचल ने उत्तेजना से अपने पैर जकड़ लिये । समीर ने चूत के नरम और गीले होठों को अपनी उँगलियों से सहलाया और अपनी दो उँगलियाँ चूत के छेद के अंदर डालकर अंदर की गर्मी और गीलेपन को महसूस किया । दोनों के होंठ अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे । समीर की उँगलियों के अपनी चूत में स्पर्श से आँचल ने अपने पूरे बदन में उतेज़ना की बढ़ती लहर महसूस की ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने आँचल के बदन में उठती उत्तेजना की लहरें महसूस की । उसने भांप लिया कि अगर वो ऐसे ही उसकी चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहेगा तो आँचल झड़ जायेगी । लेकिन वो इतनी जल्दी ऐसा होना नहीं चाहता था । इन मादक पलों को लम्बा खींचने के लिये उसने अपनी उँगलियाँ आँचल की चूत से बाहर निकाल लीं और अपने होंठ उसके होठों से अलग कर लिये । लेकिन आँचल को चुम्बन तोडना पसंद नहीं आया वो तो सुधबुध खोकर आँखें बंद किये चुम्बन लेते हुए किसी और ही दुनिया में खोयी थी ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर समीर आँचल की टीशर्ट को उतारने लगा । आँचल ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर टीशर्ट उतारने में मदद की । अब समीर की आँखों के सामने अपनी बहन की बड़ी बड़ी गोल चूचियां थीं , जिन्हें वो पहली बार देख रहा था । समीर ने दोनों चूचियों के निप्पल को एक एक करके अपने होठों के बीच लेकर उनका चुम्बन लिया । आँचल की उत्तेजना से सिसकारी निकल गयी। फिर उसने अपनी कमीज भी उतार दी । कमीज़ उतरते ही अपने हैंडसम भाई के गठीले जिस्म को देखकर आँचल की आँखों में चमक आ गयी । उसने तुरंत अपने हाथों को उसके गठीले जिस्म पर फिराया । फिर उसका निक्कर का बटन खोलकर उसे फर्श पर गिरा दिया। पैंटी और अंडरवियर छोड़कर अब दोनों के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था । दोनों भाई बहन ने एक दूसरे के बदन पर बचे आखिरी कपडे को पकड़ा और नीचे को खींच लिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोनों पहली बार एक दूसरे के नग्न बदन को देख रहे थे । आँचल के खूबसूरत नग्न जिस्म को देखकर समीर का लंड तनकर खड़ा हो गया । आँचल ने पहली बार समीर के लंड को देखा । उसने लंड को हाथ में लेकर उसकी मोटाई का अंदाजा लिया । उसे याद आया इसी मोटे लंड से उस रात समीर ने आँचल की खूब धुलाई की थी । समीर अभी भी अपनी बहन के नग्न जिस्म की खूबसूरती में खोया हुआ था । उस रात अँधेरे कमरे में दोनों ने एक दूसरे को महसूस किया था पर आज पहली बार दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को अपनी आँखों से देख रहे थे ।[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने आँचल के नग्न बदन को अपने आलिंगन में भर लिया । आँचल को अपने बदन में पेट के पास समीर के खड़े लंड की चुभन महसूस हुई । उसने अपने होंठ फिर से समीर के होठों से लगा लिए । कुछ देर तक दोनों चुम्बन लेते रहे । समीर ने अपने होंठ अलग किये और फिर अपने दोनों हाथ आँचल के कन्धों पर रखकर उसको नीचे घुटनों के बल झुका दिया । अब आँचल की आँखों के सामने समीर का तना हुआ लंड था । वो समझ गयी कि उसका भाई क्या चाहता है । उसने एक गहरी साँस ली और अपने होंठ सुपाड़े पर रख दिये और उसका चुम्बन लिया । फिर अपना मुंह खोलकर सुपाड़े को अंदर ले लिया । और लंड को अपने हाथ से ऊपर नीचे करने लगी।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल को अपनी जीभ पर लंड से टपकी pre - cum की बूँद का स्वाद महसूस हुआ । अपना दूसरा हाथ वो समीर की जांघों के पिछले हिस्से पर फेरने लगी और लंड को चूसते चूसते अपने हाथ को समीर के नितम्बों पर फिराने लगी । समीर ने आँचल के सर को दोनों हाथों से पकड़ा और अपने लंड को उसके मुंह में गले तक डाल दिया । आँचल को दम घुटता सा महसूस हुआ । वो समझ गयी कि dominating nature का समीर उसे उसी तरह से अपने काबू में कर रहा है , जैसे उसने उस रात किया था । थोड़ी देर तक आँचल का मुंह चोदने के बाद समीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और आँचल के सर पर पकड़ ढीली कर दी । वो अभी झड़ना नहीं चाहता था और इन पलों को और लम्बा खींचना चाहता था । आँचल ने लंड को चूसते और चाटते हुए समीर की बढ़ती हुई उत्तेजना महसूस की । तभी समीर ने आँचल को रोक दिया और उसको खड़ा करके उसके होठों पर गहरा चुम्बन लिया ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर समीर ने आँचल को उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया । उसके पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया। आँचल को समीर के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और समीर का लंड उसकी चूत को स्पर्श कर रहा था । फिर समीर ने अपने होंठ आँचल के होठों पर रख दिये। दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । उनके हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी आँचल ने साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" भाई अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने आँचल की आँखों में देखा फिर बोला ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" देखो आँचल तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर उसने अपने लंड को आँचल की चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने दोनों हाथों से समीर के नितम्बों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। समीर का पूरा लंड आँचल की पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"अहह ........ समीर बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए आँचल बोली ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर के मोटे लंड से आँचल को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । आँचल के चेहरे के भाव देखकर समीर ने उससे पूछा " आँचल तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? "[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने एक पल के लिए आँखे खोली , समीर को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं समीर , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुम करते रहो ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर आँचल के नितम्बों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । आँचल की तेज चीख निकल गयी । फिर समीर चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से आँचल की हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा । कुछ देर बाद अपने मुंह को आँचल की चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से आँचल की सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से उसने समीर के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया । कुछ देर बाद आँचल का बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । समीर भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी बहन आँचल की चूत को अपने वीर्य से भर दिया । फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर बाद समीर ने आँचल को किचन काउंटर से उतार दिया और उसको घुमाकर कमर से झुका दिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने अपनी बांहें किचन काउंटर पर टिका दीं । उसकी बड़ी बड़ी चूचियां लटकी हुई थीं और लम्बी चिकनी टाँगें थोड़ा फैली हुई थीं ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"लगता है अभी मेरे प्रेमी का मन नहीं भरा ।" आँचल पीछे की ओर सर मोड़कर समीर को देखते हुए बोली ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर बस मुस्कुरा दिया । आँचल की खूबसूरत गांड उसके सामने थी । उसने आँचल की एक टांग मोड़कर किचन काउंटर पर रख दी । अब आँचल घबरा गयी उसने सोचा समीर उसकी गांड में लंड घुसाने जा रहा है , वो भी बिना किसी lube के , जैसे उसने उस रात अँधेरे कमरे में घुसेड़ दिया था । तब समीर के मोटे लंड ने आँचल की गांड की जो कुटाई की थी , उससे आँचल दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने जोर से सर हिलाकर "नहीं " कहा ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पर समीर ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने तने हुए लंड को, आँचल की चूतरस से भीगी हुई चूत में पीछे से घुसेड़ दिया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल तो कुछ और ही सोच रही थी , हुआ कुछ और ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर ने पूछा , " तुमने नहीं क्यों कहा ?"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" कुछ नहीं , मैंने सोचा तुम आज फिर मेरे बदन की कुटाई करने वाले हो । " आँचल ने शरारत भरी मुस्कान से समीर को देखा ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर मुस्कुरा दिया , उसे अच्छी तरह से पता था कि आँचल ने “ नहीं “ क्यों कहा था। वो जानता था अब आँचल उसके मोटे लंड को अपनी टाइट गांड में डालने नहीं देगी । वो तो बस मज़े में आँचल के मुंह से सुनना चाह रहा था । पर आँचल ने भी सीधे कहने की बजाय इशारों में जवाब दिया था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब समीर ने दोनों हाथों से आँचल की कमर पकड़कर पीछे से धक्के लगाने शुरू कर दिए । आँचल भी अपने भाई का पूरा साथ देते हुए पीछे को गांड दबाकर लंड अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अंदर भरने की कोशिश करने लगी । समीर बीच बीच में आँचल की मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगता । कभी आगे हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे को लटक के हिलती हुई मुलायम चूचियों और निप्पल को हाथ में दबाकर मसलने लगता और आँचल को तड़पाने के लिए धक्के रोक देता ।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]धक्के रोक देने से आँचल का मज़ा बिगड़ जा रहा था तो उसने खुद ही अपनी चूत आगे पीछे करते हुए समीर के लंड को चोदना शुरू कर दिया । आँचल की कामुकता देखकर समीर को भी जोश चढ़ गया । उसने पूरी तेजी से जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए । आँचल की सिसकारियां उसी तेजी से धक्कों के साथ बढ़ती गयीं । सिसकारियों लेते लेते ही वो बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"समीर मेरे छोटे भाई !!! हाँ ऐसे ही तेज तेज धक्के लगाते रहो .....आह आह .आआ हहहह ..."[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और देखते ही देखते अपने बदन में कंपकपी के साथ वो दूसरी बार कामतृप्त हो गयी । इस बार का ओर्गास्म कुछ ज्यादा ही तेज और देर तक आया था ।पर अभी समीर का पानी नहीं निकला था । वो दोनों हाथ से आँचल की गांड पकड़कर उसकी चूत को पेलता रहा ।कुछ देर बाद समीर को भी लगा कि वो अब झड़ने वाला है । उसने आगे झुककर दोनों हाथों में आँचल की चूचियां पकड़ ली और दोनों चूचियों को मसलने लगा । फिर उसका बदन कांपा और उसके लंड से वीर्य निकलकर आँचल की चूत में गिरने लगा । थककर वो आँचल की पीठ में ही पस्त हो गया ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोनों भाई बहन जी भरकर कामतृप्त हो चुके थे ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ पलों बाद जब उसकी सांस लौटी तब वो आँचल के बदन से अलग हुआ । उसका लंड आँचल की चूत से बाहर निकल आया । चूत से वीर्य और चूतरस का मिला जुला जूस बाहर निकलकर आँचल की टांगों में बहने लगा ।[/font]



[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल मुस्कुरायी और समीर की तरफ मुड़कर थोड़ा झुकी फिर दोनों हाथों में समीर का लंड पकड़कर उसको चूमा। फिर खड़े होकर समीर के गले में बाहें डालकर समीर के होठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"थैंक यू मेरे भाई !! तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया। "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"थैंक्स मुझे नहीं , रिया को कहना आँचल । उसी की वजह से आज मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूँ । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"मेरा भाई , मेरा बॉयफ्रेंड। " आँचल के दमकते चेहरे पर अब सुख की मुस्कान थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई बहन की इस पहली चुदाई के चक्कर में उनके कॉलेज जाने का वक़्त निकल चुका था । पर उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं थी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब घर में इतना सुख मिल रहा हो तो कॉलेज जाके करना भी क्या था ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शाम को जब समीर मार्केट से घर वापस आया तो आँचल टीवी देख रही थी । समीर भी सोफे पर बैठ गया और आँचल के हाथ से रिमोट लेकर चैनल बदलने लगा। इस वक़्त सारे चूतियापे के प्रोग्राम आ रहे थे इसलिए जल्दी ही वो बोर हो गया ।और आँचल को रिमोट पकड़ा दिया । जितनी देर तक वो चैनल बदलने में लगा था , आँचल TV स्क्रीन की बजाय उसी को देख रही थी । जब समीर ने उसे रिमोट पकड़ा दिया तो उसने रिमोट को टेबल पर रख दिया और खुद समीर से जांघें सटा कर बैठ गयी और उसके कंधे पर अपना सर रख दिया । समीर ने उसके कंधे पर अपनी बांह रख दी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर बाद आँचल ने अपनी एक टाँग उठाकर समीर की जांघों के ऊपर डाल दी और उसके गले में बाँहें डालकर अपनी आँखें बंद करके होंठ गोल करके आगे को बढ़ाये । समीर ने अपना हाथ उसके सर के पीछे लगाकर अपने होंठ आँचल के होठों पर रख दिये और फिर उन दोनों भाई बहन की चुम्माचाटी शुरू हो गयी ।दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ घुसा घुसाकर , जीभ से ही ब्रश करने लगे ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल के निप्पल खड़े होकर तन गए । अब वो समीर की गोद में बैठ गयी और अपनी तनी हुई चूचियां समीर की छाती में गड़ा के फिर से चुम्बन चालू कर दिया । अपने शॉर्ट्स के नीचे उसको समीर का खड़ा होता लंड चुभता सा महसूस हुआ । अब उसने अपनी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही समीर के लंड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया । उसे अपनी पैंटी गीली होती महसूस हुई । दोनों को बहुत मज़ा आरहा था तभी आँचल के फ़ोन की घंटी बज उठी । थोड़ी देर तक तो आँचल नहीं उठी । लेकिन फिर उठना ही पड़ा । दौड़कर अपने कमरे में फ़ोन रिसीव करने चली गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फ़ोन उठाया तो उस तरफ रिया थी ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" आज कॉलेज क्यों नहीं आयी ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" अरे यार आज कुछ सर दर्द सा था , मूड नहीं हुआ कॉलेज जाने का ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रिया ने फ़ोन रखा नहीं अपनी दोस्त से किट - पिट करती रही तब तक समीर का खड़ा होता लंड बैठ गया और आँचल के तने निप्पल मुरझा गये । "[/font]






[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रात में आँचल किचन में डिनर की तैयारी कर रही थी । समीर किचन के दरवाजे पर हाथ बांध के खड़ा हो गया और अपने कंधे दरवाजे पर टिका लिये । खाना बनाती हुई आँचल को निहारने लगा । अपने भाई को अपनी ख़ूबसूरती निहारते देखकर आँचल मन ही मन ख़ुश हुई । फिर समीर की तरफ देखकर बोली ,[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"मेरे भाई, मैंने तुम्हारे लिये स्पेशल डिनर बनाया है । जितना ज्यादा खा सकते हो , खा लेना । आज रात तुम्हें बहुत एनर्जी की जरुरत पड़ने वाली है ।"[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी बहन की कामुक बातें सुनकर समीर का लंड नींद से उठ गया । वो आँचल के पीछे गांड से चिपक के आलिंगन करते हुए आँचल का चुम्बन लेने लगा ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" तुम्हारे लिये मेरे पास पहले से ही बहुत एनर्जी है आँचल । अगर तुमने मुझे एक्स्ट्रा एनर्जी दे दी तो फिर तुम मुझे झेल नहीं पाओगी और फिर एक हफ्ते तक बेड से उठ नहीं सकोगी , और अगर उठ भी गयी तो लंगड़ा लंगड़ा के चलोगी ।"[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जोर से ठहाका लगाते हुए समीर बोला ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी इस गुस्ताखी पर , आँचल ने अपने निचले होंठ को दातों में दबाते हुए , समीर के पेट में अपनी कोहनी मार दी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]30 दिन बाद :[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शाम को समीर घर लौटा तो आँचल घर पर नहीं थी वो अपने फ्रेंड्स के साथ शॉपिंग करने गयी थी । जब वो वापिस आयी तो पाया कि समीर टीवी देख रहा था ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल ने काले रंग की ड्रेस पहनी थी जो उसकी मांसल जांघों के सिर्फ ऊपरी भाग को ढक रही थी । समीर ने उसको देख कर होंठ गोल करके सिटी बजायी ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आँचल , इस ड्रेस में तुम कितनी सेक्सी लग रही हो ! ये ड्रेस तुम्हारे बदन से बिलकुल चिपकी हुई है और ढकने के बजाये तुम्हारे खूबसूरत जिस्म के सारे उभारों और कटावों को दिखा रही है । "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी तारीफ सुनकर आँचल ने शरारती मुस्कान के साथ समीर के सामने एक चक्कर गोल घूमकर हर तरफ से उसको ड्रेस में अपना बदन दिखाया । फिर समीर के पास आकर उसको अपने आलिंगन में भर लिया और अपनी बड़ी बड़ी चूचियां समीर की छाती में दबा दी । अपने रसीले कामुक होंठ समीर के होठों पर रख दिये । दोनों भाई बहन एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समीर चुम्बन लेते हुए ही अपने हाथ नीचे ले जाकर आँचल की बड़ी लेकिन मक्खन जैसी मुलायम गांड को अपने हाथों में दबाकर मसलने लगा । फिर ड्रेस के अंदर हाथ घुसाकर गांड की दरार के बीच से आँचल की मखमली चूत के होठों को सहलाने लगा । आँचल थोड़ा और समीर से चिपक गयी ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]" तुम्हें मालूम है समीर , आज हमारे इस नए रिश्ते को एक महीना पूरा हो गया है । "[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"अच्छा ! तब तो कुछ सेलिब्रेशन होना चाहिए । बताओ आज अपने बॉयफ्रेंड को क्या गिफ्ट देने वाली हो। "[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों के बीच प्यार से पकड़कर समीर बोला ।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँचल कुछ पल सोचती रही । फिर अचानक वो समीर से अलग होकर उसकी तरफ पीठ करके कुछ दूर खड़ी हो गयी । थोड़ा कमर झुकाकर समीर की तरफ अपनी गांड बाहर को निकालकर धीरे धीरे से अपनी ड्रेस ऊपर को उठाने लगी । अंदर उसने मैचिंग कलर की काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी । जिसमें पीछे से सिर्फ एक पतली डोरी थी और दोनों नितम्ब खुले हुए नग्न थे । फिर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ आज रात ये तोहफा , तुम्हारे लिये समीर !!! “[/font]





[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस मक्खन जैसी मुलायम , बड़ी गांड को देखकर समीर होठों पर जीभ फिराते हुए मुस्कुराया ,[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]"आज रात मुझे बहुत मज़ा आने वाला है आँचल, कसम से !!! "[/font]




[font=Arial, Helvetica, sans-serif]THE END[/font]
 
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