Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला - Page 9 - SexBaba
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Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला

ड्रॉयिंग रूम में बाबूजी, राखी, सखी और सुजीत 3नो बच्चों के साथ बैठे हुए थे. सखी हल्के हल्के सूबक रही थी. राखी उसे समझाने की कोशिस कर रही थी. जब वो चुप नही हुई तो राखी ने कहना शुरू किया.

''सखी देख मेरी बहना.....तू रोना बंद कर और मेरी बात ध्यान से सुन. प्यार से सुनेगी तो सब साफ साफ दिखेगा और समझ आएगा. बोल सुनेगी ना....??'' जब सखी ने आँसू पोंछ के सिर हां में हिलाया तो राखी ने बात आगे की.

''देख तुझे शुरू से ही बाबूजी ने बताया कि उनके सरला जी, कंचन बुआ और फूफा जी के कैसे संबंध रहे. तुझे उसपे कभी कोई ऐतराज नही हुआ. अब जब आंटी यहाँ आ गई तो वो शारीरिक सुख जो उन्हे कभी कभी मिलता था मिलना बंद हो गया.

अब उस दिन माल में ड्रेसिंग रूम में जो हुआ मैने तुझे बताया था. उनको देख के मैं भी भड़क गई थी और फिर मुझे देख के वो. अब उसी दिन सुजीत के साथ वो अकेली आई सो मुझे यकीन है कि शुरुआत उसी दिन हुई. और जहाँ तक मुझे याद है तू भी मंन ही मंन यही चाहती थी कि कुच्छ हो ऐसा उस दिन तुझे अपनी मा की जवानी को लहनगा चोली में देख के एहसास हुआ था कि उनकी भी कुच्छ ज़रूरतें हैं.

अब इन सब में मुझे आंटी और सुजीत का कोई दोष नही दिखता, अब बात रही संजय की....तो मुझे नही पता कि इतना चुप रहने वाला इंसान ऐसा क्यों हुआ पर इसमे भी शायद कोई हालात रहे होंगे. वैसे जो भी रहा होगा......मुझे इतना पता है कि अगर मैं तुम और मिन्नी भाभी बाबूजी का अंदर ले सकती हैं तो आंटी ने संजय का लिया ...इसमे तो कुच्छ ग़लत नही है...बाकी संजय क्या कहता है वो मैं ज़रूर सुनना चाहूँगी.'' ये कह के राखी चुप हो गई. सखी जो कि ध्यान से उसको देख रही थी उसके चेहरे पे अब हल्की सी मुस्कान थी. शायड बाबूजी को याद करके........

उधर कमरे में सरला को होश आ गया था. मिन्नी ने उसे पानी दिया और फिर इंतेज़ार करने लगी. जब वो स्टेबल हुई तो उसने संजय और राजू को बाहर भेज दिया. सरला एक बार फिर फूट फूट के रोने लगी. मिन्नी ने उन्हे अपने सीने से लगाया और चुप्प करने लगी. सरला अपने आप को कोस रही थी. तब मिन्नी ने उसे अपनी आँखों देखी बताई.

''आंटी आप क्यों रोते हो....आपकी क्या ग़लती है...मैने देखा सब ...जो हुआ अचानक हुआ. आपने आगे बढ़ के कुच्छ नही किया. मैं जानती हूँ कि उस रात संजय ने पी थी और उसने आपको और सुजीत को देखा. मैं संजय को जानती हूँ कि शराब पी के वो और रंगीन हो जाता है. उसने आपको सिड्यूस किया. आप तो पहले से ही सुजीत के साथ थी और उसका काम आसान हो गया. पर इसमे आपकी क्या ग़लती.....आपकी जगह कोई भी होती तो यही होता..............

चलो अब आँसू पोंच्छो और बाहर चलो...और हां आप सखी की चिंता ना करो....जब वो बाबूजी को अपने अंदर जगह दे सकती है तो संजय आपकी जवानी से वंचित क्यों रहे.....??? बताओ आप मुझे इसमे ग़लत क्या है. सब लोग समझदार है और ये सब बातें समझते हैं....आप चलो मेरे साथ...'' कहते कहते मिन्नी सरला को पकड़ के ले गई. अब तक सखी काफ़ी संभाल चुकी थी. उसने अपनी मा को आते हुए देखा और उठ कर उनके गले लग गई.

""माआ आप चिंता ना करो...सब ठीक है...कोई दिक्कत नही. आज से आप यहीं रुकोगी इसी परिवार में और जैसे हम सब एक साथ प्यार से प्यार करते हुए रहते हैं वैसे ही रहेंगे. मुझे आपसे कोई शिकायत नही. शिकायत है तो संजय और सुजीत भैया से जिन्होने बाबूजी को नही बताया. अगर बता देते तो ये सब नही होता. सब प्यार से बैठ के निपट जाता. आप और संजय समाज में हमेशा सास दामाद रहेंगे वैसे ही जैसे की हम 3नो बाबूजी की बहुएँ हैं. इस घर की चार दीवारो में कौन कब किससे कहाँ प्यार करता है वो बस मर्द और औरत का खेल है. तब कोई सास नही ससुर नही बहू नही दामाद नही....बस लंड और चूत.........जैसे कि आज ये शाम सॅटर्डे....जो कि कितने दिन बाद आया है......जिसे मनाने के लिए हम 3नो बहुओं ने कितना सब्र किया है....आओ मा...आज से तुम इस घर में एंट्री लो उस तरीके से जिस तरीके से होनी चाहिए थी..............राजू भैया बस आप ही बचे हैं...आइए और ले लीजिए इनकी.....वो....प्लीज़.....बाबूजी गुस्सा उतार दीजिए ..नही तो मैं रूठ जाउन्गि और जिस जीभ का आपके लोहे को इंतेज़ार है वो नही मिलेगी.....''
 
सखी ने ये सब बातें कहते हुए अपनी मा के चूतर और मम्मे अच्छे से सहलाए और उसका हाथ राजू के हाथ में पकड़ा दिया. उसके बाद वो बाबूजी के पास चली गई थी और धोती में हाथ डाल के उनके रोड से खेल रही थी. बाबूजी उसकी आँखों में आँखें डाल के मंद मंद मुस्कुरा रहे थे और फिर सरला के देखते देखते एक बार फिर से बाबूजी का जाना पहचाना लंड धोती से बाहर आ गया. पर इस बार मा नही बेटी के होठ उससे चिपके हुए थे. इससे पहले की सरला कुच्छ और प्रोटेस्ट करती या कहती उसका ब्लाउस राजू ने खोल दिया था और ब्रा में क़ैद उसकी चूचियाँ मसल रहा था. संजय अपनी जगह पे खड़ा अपना लंड पॅंट से निकाल के लहरा रहा था. सुजीत, मिनी और राखी तीनो बचों को सुलाने के लिए नज़दीक के बेडरूम में ले गए थे.

''भैया इन्हे लंड पे चढ़वा के कूदवाना....इन्हे बहुत पसंद है...उसके बाद लंड चुसवाना....गांद भी मार सकते हो अगर चाहो तो.....अर्रे राखी भाभी जल्दी आओ यार बहुत दर्द हो रहा है......''''' संजय लंड को मसले जा रहा था.

''हां हां सही कहा गांद भी लूँगा आंटी की...पर पहले चूचियाँ चूस लूँ....यहाँ बैठो आंटी आपकी गोद में सिर रख दूं फिर बच्चे की तरह दूध पिलाना....बहुत दिन हो गए मोटे थेनो से दूध पिए.......'' राजू ने सरला को सोफा पे लिटा दिया और उसकी गोद में सिर रख दिया. अब तक सरला के मम्मे पुर आज़ाद हो चुके थे.

''बाबूजी क्या देख रहे हो...मम्मी के चूचे तो पहले भी देखे हैं...आज क्या हो गया...'' सखी बाबूजी के लंड को मसल्ते हुए बोली.

''बहू आज ये बेटे के मूह में है ना मेरे नही....इसलिए आज अलग दिख रहे हैं..वैसे तेरे बाद मैं सरला को ही पाकडूँगा.....चल अब आजा और ये क्या साड़ी आधी उतारी है...इतनी देर हो गई.....नंगी भी नही हुई...जल्दी कर..'' बाबूजी उसके मूह को चूमते हुए बोले.

''हां हां अब कहाँ सब्र होगा आपको ...जब तक ये मूह में था तब तक ठीक ...थोड़ा छोड़ा नही कि छेद के लिए तडप उठा...चलो खैर बाबूजी...मैं तो बहू हू....सेवा तो करनी ही आपकी.....ये लीजिए हो गई नंगी....अब बताओ आगे क्या....'' सखी मज़े लेते हुए बोली.

''भाभी क्या यार तुम भी देखो भैया कैसे दूध पी रहे हैं सासू मा का और तुम हो कि मुझे छोड़ रखा है....जल्दी करो......मुझे भी लिटाओ गोद में.'' ये कह के संजय ने राखी को नंगा करना शुरू किया और उसके मम्मे मूह में भर के चूसने लगा. राखी का दूध उसके मूह में जाने लगा.

''ऊवू देवेर जी आराम से ...और पूरा मत पीना.....आआअनन्नघह अच्छा अलग रहा है आज कितने दिन बाद तुम्हारा लोड्‍ा महसूस कर रही हूँ........उउउम्म्म्मम चलो उधर टेबल पे चलते हैं.....दूध छोड़ो चूत पाकड़ो...तुम्हारी जीभ चाहिए इस्पे.....'' कहते हुए राखी नंगे संजय को पकड़ के टेबल पे ले गई. टेबल पे बैठ के उसने अपनी चूत पे संजय का मूह लगा दिया और उसके कंधों पे अपनी जंघें रख के बैठ गई.

उधर ज़ियादा बात चीत करे बगैर सुजीत ने मिन्नी को घोड़ी बनाया और उसकी चूत पे हल्के हल्के लंड का टोपा रगड़ने लगा. जब टोपा गीला हो गया तो हल्के हल्के धक्के मारने शुरू किए. धीरे धीरे लंड पूरा अंदर बैठ गया. अब तक सरला भी राजू की गोद में बैठी टांगे फैलाए चूत का भोसड़ा बनवा रही थी. राजू उसकी चूत की फांकों से खेल रहा था और लंड को रगड़ रहा था. मिन्नी के देखते देखते धीरे धीरे सरला ने राजू का 10 इंच अंदर लेना शुरू किया. थोड़ा थोड़ा लेते हुए वो अपनी चूत को खुलते हुए देखे जा रही थी. जब उसे तस्सली हो गई तो राजू के दोनो हाथ पकड़ के अपने मम्मो पे रखे और पिछे मूड के उसके मूह में जीभ डाल दी. अब इस पोज़िशन में उसकी चुदाई का एक नया चॅप्टर शुरू हो गया.

कमरे में अब धीरे धीरे लंड चूत के करहने की आवाज़ें आने लगी थी.

सटाक....सताअक्कककक...करके सुजीत मिन्नी की ले रहा था.

उूउउम्म्मह उउम्म्मह ऊऊनननज्ग्घ करते हुए सरला अपने मूह में राजू की ज़ुबान लिए कराह रही थी और उसके लंड पे उपर नीचे हो रही थी.

स्ल्ल्लूउउर्र्रप स्लूऊर्रप्प्प..पुचह..उउम्म्मतूऊ....पुचह...स्लुउउर्र्र्र्प...की आवाज़ों के साथ संजय और मिनी टेबल पे 69 में जुटे हुए थे.

उउम्म्महुम्मन्णन...अयाया ऊओह एसस्स. बाबूजीइइईई........और्र....ऐसे कहते हुए हँसती खिलखिलाती सखी अपने ससुर को उसको चोदने के लए प्रोत्साहित कर रही थी.
 
5 मीं तक चलते हुए इस दौड़ में अचानक से बदलाव आआया और बाबूजी ने अपना लंड सखी के यहाँ से निकाल के उसके मूह में रख के झरना शुरू किया. उनके गाढ़े जूस को देख के सरला भी ज़ोर से चीखी और झरने लगी. घर के बुजुर्ग सबसे पहले झारे पर अभी बच्चों की बात बाकी थी. बाबूजी की साँसे बराबर होते ही सखी उनके मूह पे चूत टिका के बैठ गई.

राजू अब भी कमर हिला हिला के आंटी को नीचे से चोद रहा था. उधर संजय भी सतसतत् राखी की चूत में लंड पेल रहा था. उसके ज़ोर के धक्कों ने राखी को झरने पे मजबूर कर दिया. जैसे ही राखी झाड़ के हटी उसने राखी को साथ लिया और सरला की बगल में बिठा के उसका मूह चोदना शुरू कर दिया. मोटे मम्मे हिलाते हुए राखी ने जैसे ही उसे झरने के लिए तैयार किया वैसे ही संजय ने अपना लंड उसके मूह से निकाल के अपनी सास के मूह में भर दिया. मूठ मारते हुए उसने एक ज़ोर की हुंकार भरी और कई पिचकारियाँ अपनी सास के मूह में दागी. सरला पागल हो गई और उससे पूरा वीर्य गटका नही गया.

राखी जो कि देवेर का वीर्य पीने का मन बना के बैठी थी...भूखी शेरनी की तरह सरला पे टूट पड़ी और उसके मूह से अपने देवेर का वीर्य चूसने लगी. दोनो औरतों में लड़ाई शुरू हो गई की ज़ियादा किसको मिलेगा. तब तक लास्ट की एक पिचकारी संजय ने अपनी सास के मम्मो पे छोड़ी थी. राखी ने एक बार फिर से वही मम्मे अपने मूह में भर लिए जहाँ से इस किस्से की शुरूरात हुई थी. सरला से एक साथ ये सब सहेन नही हुआ और वो एक बार और झरी. जैसे ही वो शुरू हुई वैसे ही राजू ने भी उसकी चूत में लावा डाला. राखी उसके चूचक चूस्ते चूस्ते नीचे बढ़ चली और राजू के टटटे को चाटने लगी. धीरे धीरे थोड़ी देर में दोनो के रस का मिश्रण नीचे आने लगा और राखी ने उसे प्यार से चाटना शुरू किया.

मिन्नी की चूत अब तक 2 बार झर चुकी थी और जब संजय ने अपना मुरझाया हुआ लंड उसके सामने किया तो राखी की चूत की खुश्बू मिन्नी को पागल कर गई. संजय का भीगा लंड एक बार फिर थूक से चमक उठा और इसी बीच मिन्नी तीसरी बार झड़ी. उसका झरना और सुजीत के लंड का लार टपकाना एक साथ हुए और फिर आधे में छोड़ के सुजीत भी अपने लंड को कस के पकड़ के सरला के मूह के पास ले गया. जैसे ही उसने अपनी मुट्ठी ढीली की सरला के खुले मूह में 2 तेज़्ज़ धारें पहुँच गई. इससे पहले कि सुजीत और कुच्छ करने की कोशिस करता सरला ने उसका सूपड़ा मूह में भर के एक लंबा गहरा चूपा लिया और सुजीत लरखरा के नीचे गिर गया.

कमरे में अब करीब करीब शांति थी. बस सबके हल्के हल्के हाँफने और खाँसने और हस्ने की आवाज़ें आ रही थी. आज से बाबूजी का परिवार फिर से एक हो गया>


कम्मो और मुन्नी घर की सफाई में लगी हुई थी. कम्मो के दिमाग़ में आज फिर से उथल पुथल थी. आज फिर वही किस्सा हुआ ...सुबह वो और मुन्नी घर को आए तो किसी ने दरवाज़ा नही खोला. बहुत खटखटाया पर कोई नही आया. दोनो बाहर बगीचे में चली गई और आम के पेड़ से कच्चे आम तोड़ने लगी. कुच्छ दिन पहले सरला ने उन्हे कहा था कि आम का आचार डालना है. करीब 1.30 घंटे के बाद वो काफ़ी सारे कच्चे आम तोड़ के लाई तो घर का दरवाज़ा खुला हुआ था और मिन्नी और सखी ड्रॉयिंग रूम सेट कर रही थी. ये देख के कम्मो को हैरानी हुई क्योंकि ये तो उसका और मुन्नी का काम था. सखी एक बार को उन दोनो को देख के सकपका गई. पर तभी मिन्नी ने दोनो को आम धोने का निर्देश दिया. दोनो किचन के पिछे के आँगन में बाल्टी में पानी लेके बैठ गई और आम धोने लगी. बातों बातों में मुन्नी अपनी रात की चुदाई का किस्सा सुनाने लगी.
क्रमशः.....................................
 
खानदानी चुदाई का सिलसिला--27 गतान्क से आगे..............


उसके पति ने रात उसे 2 बार चोदा था. उसकी बातें सुन के कम्मो के बदन में आग लग गई.

रमेश अपनी बीवी के साथ मस्त हो चुका था और कभी कभी चेंज के लिए कम्मो की लेने आता था. कम्मो को इस बात से कोई ऐतराज नही था क्योंकि उसे पता था कि जब रमेश की बीवी पेट से हो जाएगी तो वो रेग्युलर्ली आएगा. कम्मो का पति तो वैसे ही ज़ियादा कुच्छ नही करता था. पिच्छले 2 हफ्ते से कम्मो अपनी उंगलिओ से ही गुज़ारा कर रही थी. इसलिए मुन्नी की बातें सुन के उसकी चूत और भड़क गई. थोड़ी देर बाद उसने नोटीस किया की सरला और राखी भी किचन में आ गए और चारों औरतें चाइ पीते पीते खाने की तैयारी में लग गई. घर के मर्दों का कहीं आता पता नही था. जब तक मुन्नी और कम्मो ने आम धोए और सूखने डाले तब तक एक के बाद एक सभी मर्द ड्रॉयिंग रूम में आ गए. फिर उन सब के बीच बिज़्नेस की बातें शुरू हो गई.

कम्मो का ध्यान आज सरला पे था जो कि काफ़ी अलग बिहेव कर रही थी. आज कई दिनो के बाद वो सरला को इतना खुश देख रही थी. बच्चों के आने के बाद से सरला आज पहली बार खुश दिखी थी. कम्मो को भी सरला की तरह बच्चों को देख के अजीब महसूस हुआ था. पर वो घर की नौकरानी थी और उसे इस घर की ज़रूरत थी इसलिए वो कुच्छ नही कह सकती थी. मुन्नी तो बस घर के काम में लगी रहती थी और उसने कभी बच्चों की तरफ ध्यान नही दिया. इन सब बातों के चलते कम्मो के शक्की दिमाग़ ने सरला को गौर से देखने पे मजबूर कर दिया. सरला आज बहुत खुश थी. कई दिनो के बाद उसको शारेरिक सुख मिला था. दूसरे उसे बाबूजी की बताई हुई कहानी से संतुष्टि मिली थी कि ये सब मजबूरी में किया गया था. चूँकि जो हो चुका था उसे वो बदल नही सकती थी ...इसलिए उसने हालत को समझ के मज़े लेने और देने का फ़ैसला किया था.

मज़े लेने और देने के चलते ही कल रात वो पूरी रांड़ के रूप में आई थी. राजू के साथ की पहली चुदाई के बाद में उसने बाबूजी को अपनी बाहों में लिया था. जब बाकी के मर्द सुस्ता रहे थे तो उसने कुत्ति बन के बाबूजी का लोड्‍ा चूसना शुरू किया. बाबूजी किसी राजा की तरह अपने सोफे पे आधे लेटे हुए विस्की पीते हुए उससे लंड चुस्वाते रहे. सखी सुजीत की गोद में बैठी बैठी अपनी मा का ये नया रूप देखती रही. तब बाबूजी ने अपनी उत्तेजना में संजय और सुजीत को एक बार फिर बुलवाया और कहा कि उन्हे लंड चुस्वाते हुए वही नज़ारा देखना है जो कि दोनो भाइयों ने सरला के साथ कई बार किया था. उनके निर्देश को सुनते ही सुजीत ने नीचे लेट के सरला की चूत में अपना मोटा काला लोड्‍ा पेल दिया और फिर थोड़ी देर में थूक से भरी हुई गांद में संजय घुस गया. सरला तो पागल हो गई. उसके सभी छेद भरे हुए थे. इसके चलते वो ज़ोर ज़ोर से कराहने लगी. उसकी ये सब आवाज़ें सुन के मिन्नी से रुका नही गया और वो बाबूजी की तरफ चली गई.

घर की सबसे बड़ी बहू ने अपने ससुर को सोफा पर बिठा के उनकी तरफ पीठ रखते हुए उनका लोड्‍ा अपनी भीगी चूत में डलवाया. फिर उसने 2 लोड़ों की सवारी करती हुई सरला का मूह पकड़ा और अपनी और बाबूजी की टाँगों के बीच लगवा दिया. सरला कंचन बुआ और उनके पति के साथ ये सब कर चुकी थी सो उसने भी बिना देर किए मिन्नी और बाबूजी के मिक्स्ड जूस चाटने शुरू कर दिए. बीच बीच में वो जीभ लपलपा के मिन्नी की चूत का दाना छेड़ देती. फिर कभी बाबूजी के टटटे मूह में भर लेती. सुजीत और संजय उसको ऐसा करते देख बहुत उत्तेजित हो रहे थे. उधर राखी और सखी भी राजू के साथ सेकेंड राउंड मारने के लिए तैयार थी. पहले दोनो एक दूसरे को चूमती और चूस्ति रही. राजू उनके चूचों और नितंबों से खेलता रहा. दोनो मिल के उसका लोड्‍ा भी चूस्ति रही. एक उसका लंड मूह में भरती तो दूसरी पहली वाली के होठों को साइड से चाट लेती. राजू का सूपड़ा मूह में भर के रखती तो दूसरी उसके लंड की लंबाई पे मूह चलाती. फिर राजू ने राखी को कुत्ति बनाया और चोदना शुरू किया. राखी के सामने सखी टाँगें खोल के लेट गई और राखी की जीभ से अपनी चूत चुदवाने लगी.

देखते ही देखते एक के बाद एक सभी चूतो और लोड़ों ने फिर से पानी छोड़ा. पर इस बार एक चीज़ बहुत अलग हुई. और वो था सरला का अपने दोनो दमादो और अपने समधी को भद्दी भद्दी गालियाँ देना. आज पहली बार सामूहिक चुदाई में बाबूजी के घर में किसी ने गंदी गंदी गालियाँ निकाली थी. बहुओं और बेटों के सामने ना तो बाबूजी कुच्छ गालियाँ देते थे और ना ही उनके बेटे / बहुएँ. यहाँ तक की घर की नौकरानियो की चुदाई में भी कभी ऐसा नही हुआ था. सरला ने भी सुजीत और संजय से चुदाई में लंड चूत चूचे गांद जैसे शब्दों का प्रयोग किया था पर गालियाँ नही. गालियाँ वो सिर्फ़ बाबूजी, कंचन बुआ और फूफा जी के सामने उनके घर में इस्तेमाल करती थी.

मदारचोड़, गान्डू, बेहेन्चोद, भद्वे, छिनाल, कुत्ति, हरांजादों, भोसड़ी के, लंड्खॉनी वागरह वाग्रह गंदी गंदी गालिओं को कहते हुए वो 3 बार लगतार झरी. उसकी बातें सुन के संजय ने पिछे से उसकी चूचिओ को पकड़ के इतना निच्चोरा कि वो दर्द से पागल हो गई और उसी दर्द में उसका आख़िरी बार झरना हुआ. संजय ने जोश में आके इतनी कस के उसकी गांद मारी कि वो अपना चीखना चिल्लाना रोक नही पाई. अपनी समधन को ऐसे देख के बाबूजी ने भी मिन्नी को जम के चोदा और उसे कुच्छ कुच्छ गालियाँ दी. आज ये पहली बार हुआ था तो मिन्नी कुच्छ बोली नही पर दिल के किसी कोने में उसकी अंदर की रांड़ भी जाग गई. रात को करीब 12 बजे हुए इस कांड के बाद सब इतना थक गए की वही सो गए. करीब 5 मीं बाद सखी जो कि सिर्फ़ जीभ से चुदी थी उसने जब अपने पति को अपनी मा की गांद से लंड निकालने को कहा तो सबको होश आया. बिना कुच्छ कहे सरला अपने बेडरूम में गई और फ्रेश होके सो गई. उसे नही पता चला कि उसके साथ और क्या हुआ. जब वो फ्रेश हो रही थी तब एक दूसरे को चूमते चाटते हुए बाकी सब सुस्ताते रहे. फिर बाबूजी ने कहा कि फटाफट सब खाना खाएँ और सोने जाएँ.

खाना खाते हुए बाबूजी ने सुजीत और संजय से सरला के साथ हुई चुदाई के बारे में पुछा. एक के बाद एक सब बातें खुलती चली गई. 3नो बहुएँ ये सब सुन के गुस्से में थी. फिर अचानक पता नही बाबूजी को क्या सूझा उन्होने मूड को हल्का करने के लिए कम्मो, मुन्नी और शारदा वाला किस्सा भी सुना डाला. उनकी सब बाते सुन के 3नो बहुओं ने और भी मूह बना लिया. तब बाबूजी की बात पे संजय ने 3नो भाईओं की किरण के साथ चुदाई और फिर राजू ने अपनी कम्मो और मुन्नी की चुदाई का किस्सा भी सुना दिया. खाना ख़तम हो चुका था और 3नो बहुओं की चूतो में गजब की आग लग गई थी. साथ ही साथ उनके मन भी दुखी थे कि उनके घर के मर्दों ने पराई औरतों के साथ इतनी चुदाई की और वो इन सब से वंचित रही. मिन्नी ने यही बात बाबूजी से कह डाली.
 
मिन्नी की बात सुन के बाबूजी कुच्छ नही बोले. चुप चाप उन्होने खाना खाया और चले गए. कुच्छ देर बाद सब समेट के बाकी सब भी सोने चले गए. सनडे को कम्मो और मुन्नी के जाने के बाद अचानक से एक नई चीज़ हुई. सरला इठलाती बलखाती हुई एक ट्रॅन्स्परेंट नाइटी में ड्रॉयिंग रूम में आई. उस समय सब मर्द शाम की चाइ के साथ बिज़्नेस के काम कर रहे थे. चाइ की चुसकीओं के बीच सबके लंड सरला के इस रूप को देख के खड़े हो गए. पहली बार बाबूजी के का अपने पे कंट्रोल नही रहा और उनके मूह से सिसकी निकल गई.


''क्यों समधी जी क्या हुआ......खड़ा हो गया क्या तुम्हारा....अर्रे ऐसे मूह खोल के ना देखो...कितनी बार तो देख चुके हो और वैसे भी आज तो मैं इन तीनो बच्चों को रिझाने आई हूँ......देखो जी आज का सनडे मेरे नाम होगा....और ये तीनो मेरे मर्द बनेंगे आज.....पहले कह रही हू ताकि शाम को कुच्छ गड़बड़ ना करना....'' ऐसा कह के हस्ती मुस्कुराती हुई सरला अपने रूम में वापिस चली गई.

चारों मर्दों को तो जैसे साँप सूंघ गया था. किसी के मूह से एक शब्द नही निकला. जो लंड एक दम से तने हुए थे वो सरला के जाते ही मुरझाने लगे. एक बार चारो ने एक दूसरे को देखा और फिर बाबूजी ने एक ज़ोर का ठहाका मारा और हस्ने लगे.

''साली बहेन की लोदी...पक्की रांड़ है....उफ़फ्फ़ इतनी उमर में भी मस्स्त माल है...आज तुम तीनो कुत्ति बन के लेना इसकी.....मैं तीनो बहुओं के साथ देखूँगा...उम्म लंड में अभी से करेंट दौड़ रहा है हरांज़ाडी की वजह से....'' बाबूजी की उत्तेजना उनके गालियाँ देने से पता चल रही थी. नॉर्मली वो घर पे गालियाँ देते नही थे. और उनके मूह से ये सब सुन के 3नो भाई भी कन्फ्यूज़ हो गए. अब किसी का भी बिज़्नेस के काम में कोई इंटेरेस्ट नही रहा और बाबूजी ने भी जल्दी ही ये भाँप लिया. फटाफट सब काम ख़तम करवा के वो अपने कमरे में फ्रेश होने चले गए. शाम के 6 बज रहे थे और हल्का अंधेरा भी हो चला था. नहाते हुए बाबूजी कल की मिन्नी की कही बात के बारे में सोचने लगे. दिन भर इसी बात को लेके वो उधेड़ बुन में रहे थे. आख़िर स्वाल भी तो ऐसा ही था.......

''बाबूजी...आपने हमारे साथ आज पूरा पूरा बहुओं वाला हिसाब कर दिया. कहाँ आज तक हम आपकी बेटिओं की तरह थी और आज ऐसा लगने लगा है कि हम वाकई में पराए घर आई हुई बहुएँ हैं. आपने और आपके बेटों ने हमारी मजबूरी का फ़ायदा उठा के अपने शरीर की भूख दूसरों के साथ शांत की. ये ग़लत बात है बाबूजी. हमने अपने पेट में इस खानदान के बच्चे पाले और पैदा किए और हमारे साथ ये भेद भाव अनुचित हुआ. आपको पता नही कि हम 3नो का कितना मॅन दुखा है इस सब से. आप को हमारे साथ न्याय करना होगा...कैसे ये आप सोचिए. पर जब तक न्याय नही होगा हम सब के मन दुखी रहेंगे. बाकी आप घर के बड़े हैं इससे जीयादा और कुच्छ नही कहूँगी......'' मिन्नी ने सारी बात जैसे एक ही साँस में कह डाली थी.

तब से लेके रात भर और पूरे दिन बाबूजी के मन में यही उथल पुथल चलती रही की वो ये अन्याय कैसे ठीक करें. उन्हे कुच्छ समझ नही आ रहा था. पर उन्हे जवाब देना था और जल्दी ही. शायद आज शाम का कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही. नही तो आज की शाम में बहुओं को सेक्स का वो सुख नही मिलेगा जो कि उन्हे मिलना चाहिए. उनकी चूते रस बरसाएँ या ना बरसाएँ पर उनके दिल ज़रूर रोएंगे. और ये बाबूजी कभी होने दे सकते नही थे.

यही सोचते सोचते वो नहा के नंगे बदन ही कमरे में आ गए. अपने बदन को एक बार शीशे में देखा और फिर कंघी करते हुए उनके दिमाग़ में एक आइडिया कौंधा. एक ऐसा आइडिया जो कि बहुत अलग था और जिसको साकार भी किया जा सकता था. चेहरे पे एक मुस्कान लिए जब वो तैयार होके ड्रॉयिंग रूम में पहुँचे तो सब उनको देख रहे थे. उनकी रहस्यमई मुस्कान ने सबके मन में उथल पुथल मचा दी. पर कोई कुच्छ नही बोला.



बाबूजी का इंतेज़ार सब कर रहे थे. उनकी मुस्कान से सब थोड़े अचंभित से थे. नॉर्मली सीरीयस रहने वाले बाबूजी आज जिस तरह से स्माइल कर रहे थे वो बहुत ही रहस्यमई था. बाबूजी ने अपनी जगह ली और राजू ने उन्हे विस्की पकडाई. कल रात के बाद से आज सभी एग्ज़ाइटेड थे. कल रात की सामूहिक चुदाई अगर ट्रेलर थी तो पिक्चर अभी शुरू होनी थी. राजू के बगल में सरला अपनी मादक सेक्सी ब्रा और पॅंटी में बैठी थी. उसके ठीक बगल में उसका सगा दामाद संजय बैठा था. तीनो ने सोफे के साथ पीठ लगाई हुई थी और नीचे फर्श पे बैठे हुए थे. संजय अपनी शॉर्ट्स की ज़िप खोल के बैठा हुआ था और उसके 11 इंच के लंड का टोपा अंडरवेर के एलास्टिक के उपर से बाहर निकला हुआ था. सरला के कंधे से होते हुई उसका राइट हाथ सरला के राइट मम्मे को दबोचे हुए था. बीच में दोनो आपस में मूह लड़ा रहे थे. दूसरी तरफ बैठा राजू सरला की पॅंटी में हाथ डाल के उसकी रसीली चूत को खुजा रहा था था और फिर हाथ बाहर निकाल के उसको सूंघ लेता. तीनो के सामने उनकी ड्रिंक्स थी और सरला भी विस्की पी रही थी.

दूसरी तरफ दूसरे सोफे से पीठ लगा के राखी और सखी बैठे हुए थे. राखी ने सिर्फ़ नाइटी पहनी थी वो भी झीनी सी. सखी ने सिर्फ़ एक टी शर्ट पहनी हुई थी और बालों में एक सिल्क का स्कार्फ बँधा हुआ था जैसा की 60स की स्टाइल में लड़कियाँ करती थी. आज उसने बाल भी 60'स स्टाइल के बनाए हुए थे. सखी और राखी एक दूसरे की चूत रगड़ रही थी. बीच बीच में वो सरला को देख के आपस में कुच्छ खुस्फुसाती और हस्ने लगती.



उनके पिछे सोफा पे मिन्नी और सुजीत चूमा चॅटी में मस्त थे. सुजीत बिल्कुल नंगा था और मिन्नी उसके लंड को भिंचे हुए बीच बीच में मुठिया रही थी. मिन्नी ने एक काले रंग की थॉंग पॅंटी पहनी हुई थी और साथ में मॅचिंग ब्रा. उसके उरोज ब्रा के उपर से छलक रहे थे. जिन्हे रह रह के सुजीत चाट रहा था.


''अग्गर आप सब की मस्तिओ को थोड़ा ब्रेक लगे तो मैं कुच्छ कहूँ ?'' बाबूजी ने सकी तरफ देखते हुए पुछा. आज उन्होने फॉर ए चेंज धोती नही पहनी और सिर्फ़ बॉक्सर्स में और बनियान में ही कमरे में आए थे. बाबूजी आज काफ़ी यंग लग रहे थे.

''बाबूजी पहले ये बताइए कि आज आपने ये क्यों पहना....आप को धोती में देखने की इतनी आदत हो गई है कि आज कुच्छ अजीब सा लग रहा है..'' सखी ने अपनी नंगी चूत पे हाथ फेरते हुए कहा.
क्रमशः..............................
 
खानदानी चुदाई का सिलसिला--28

गतान्क से आगे..............
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का अट्ठाईसवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ


''अभी बताता हूँ पर पहले एक अनाउन्स्मेंट सुन लो सब. कल शाम को मिन्नी ने मुझसे कहा था कि जो भी लड़कों ने किया वो ग़लत था और उन्हे बहुओं की तरह सब्र करना चाहिए था ना कि बाहर जाके मूह मारना या घर में हमारी प्यारी समधन जी से संबंध बनाना. तो इसकी कॉंपेन्सेशन के तौर पे मैने डिसाइड किया है की जिस प्रकार इस घर के मर्दों ने अलग अलग औरतों की जांघों के बीच अपने गुल खिलाए हैं...ठीक उसी तरह इस घर के औरतें चाहें तो वो भी अपनी जांघों के बीच गैर मर्दों को न्योता दे सकती हैं............और अगर तुम लोग राज़ी होती हो इस प्रस्ताव के लिए तो आगे क्या और कैसे करना है ये घर के बड़ों यानी कि मुझपे और समधन जी पे छोड़ना होगा.....'' बाबूजी ने बात कहते कहते अपनी बॉक्सर्स उतार दी.

उनके लंड को देख के सखी झट से उठी और उनकी टाँगों के बीच बैठ के 10 - 15 ताबाद तोड़ चुम्मे लंड पे उपर से नीचे तक जड़ दिए. कुत्ति बनी सखी के इस हमले से जहाँ बाबूजी चकित और एग्ज़ाइटेड हुए वहीं बाकी सब की हँसी निकल गई. उनकी हँसी को सुन के सखी ने पिछे मूड के सबकी तरफ देखा और मूह बनाया. फिर मुस्कुराते हुए बोली.

''आप लोगों को क्या लगा कि मुझे बाबूजी का लंड देख के प्यास लग गई ...?? अर्रे वो तो मैं बाबूजी के लंड के लिए हमेशा ही प्यासी रहती हूँ. ये मेरा तरीका था बाबूजी के प्रस्ताव को स्वीकार करने का. बाबूजी मुझे आपका प्रस्ताव मंजूर है और मेरी इस निगोडी चूत को नया लंड दिलवाने की ज़िम्मेवारी आपकी और मा की हुई आज से. आप जब चाहे जहाँ चाहे मुझे कोई नया लोड्‍ा दिलवा दीजिए चाहे वो छोटा हो मोटा हो लंबा हो या पतला हो. बस इतना हो कि चोदे तो 20 - 25 मीं तक कोई ब्रेक ना लगाए. हाए बाबूजी देखिए ना ये निगोडी छिनाल कैसे पनिया गई है नया लोड्‍ा सोचते ही.'' कह के सखी कुत्ति बने बने ही घूम गई और बाबूजी की जुड़ी हुई उंगलियाँ चूत में घुस्वा ली. उसका ये बिहेवियर देख के सब फिर से हंस पड़े और बाबूजी ने भी ठहाका लगाते हुए उसकी चूत में 3 - 4 बार उंगली की और आगे झुक के अपनी उंगलियाँ उसके मूह में डाल दी. सखी लपलप उनकी उंगलिओ पे लगा चूत रस चाट गई और फिर उठ के बाबूजी की नंगी जाँघ पे बैठ गई.

इतने में मिन्नी अपनी जाग से उठी और अपनी थॉंग में सिमटी हुई गांद थिरकाते हुए बाबूजी के नज़दीक पहौन्चि. फिर सबकी तरफ थोड़ा मुड़ते हुए उसने अपनी थॉंग को पिछे से हटाया. थॉंग जो कि गांद की दरार में फँसी हुई थी अब उसके गोरे चूतर पे आ गई. उसने गांद को बाबूजी के मूह के सामने किया और उनका सिर पकड़ के अपनी दरार में लगा दिया और गांद को गोल गोल घुमाने लगी. ऐसा कुच्छ सेकेंड करने के बाद उसने अपनी चूत में उंगलियाँ घुसा और उन्हे अच्छे से गीला किया और फिर बाबूजी के होंठ गालों नाक चेहरे के बाकी हिस्सों पे मलने लगी. बाबूजी और बाकी सब लोग उसकी इन हरकतों से बहुत रोमांचित हो गए और फिर उसने अपनी जीभ निकाल के बड़ी सिडक्टिव्ली बाबूजी के चेहरे पे चलाना शुरू कर दिया. लास्ट में जब उसने जीभ बाबूजी के होठों पे चलाई तो बाबूजी से रहा नही गया और उनकी जीभ भी बाहर लपलपई.

मिन्नी को जैसे इसी पल का इंतेज़ार था और उसने आव ना देखा ताव और बाबूजी की जीभ निगल ली और उनके साथ मूह ज़ोरी करने लगी देखते ही देखते उसने बाबूजी को इतना जबरदस्त थूक भरा फ्रेंच किस किया की उसकी मादकता देख के सुजीत के मूह से आह निकल गई.

''बाबूजी ये था मेरे हां कहने का तरीका. आपने मेरी गांद की हालत तो देख ली है और चूत का मेसेज आपको मेरे चूतरस ने दे ही दिया है. साथ ही साथ मेरी इस प्यासी ज़ुबान ने भी आपको बता दिया. बस अब आप मेरे इन तीनो छेदो के लिए 3 नए लोड़ों का इंतज़ाम कर दीजिए. मेरे पति ने 2 पराई स्त्रियाँ एक साथ चोदि तो मैं उनसे एक कदम आगे निकलूंगी और एक साथ 3 पराए लोड्‍े लूँगी. बस अब आपके और आंटी जी के इशारे की देर है..'' ये कह के मिन्नी बाबूजी के पिछे जाके बैठ गई और अपनी बाहें पिछे से उनके गले में डाल दी और अपने मम्मे उनकी पीठ में धंसा दिए.

''अच्छा मेरी प्यारी छिनाल बड़ी बहूरानी ..जैसा तूने कहा तुझे 3 लंड एक साथ दिलवा के ही अब तेरे इस ससुर को चैन मिलेगा....इधर आ एक बार और चुम्मा दे दे'' कह के बाबूजी ने उसे साइड से खींच लिया और उसका सिर अपनी गोद में लेके उसका मूह चूसने लगे. बाबूजी का गरम सख़्त लोड्‍ा मिन्नी के गाल सहला रहा था. चुम्मा ख़तम होते ही मिन्नी ने बाबूजी के लोड्‍े का प्री कम चाट लिया और फिर सखी को नीचे झुका के उसकी जीभ से खेलने लगी.

''हां तो अब हमारी मझली बहू का क्या कहना है....??'' बाबूजी एक हाथ से सखी के चूचे सहला रहे थे और दूसरे से मिन्नी की चूत रगड़ रहे थे.

राखी ने अपने जवाब के आवाज़ में उठ कर पहले सरला का मूह चूमा और फिर उसके मूह में अपने नाइटी में झूलते मम्मे बारी बारी ठूंस दिए. सरला ने पूरे जोश में आके घुटनो के बल बैठी राखी की गांद को सहलाते हुए दोनो मम्मे और निपल नाइटी के उपर से चूसे और कुच्छ ही देर में नाइटी को अपने थूक से भिगो दिया. फिर राखी खड़ी हुई और सरला के मूह पे अपनी चूत टिकाई और उसको चूसने को इशारा किया. सरला ने जीयादा चूते नही चॅटी थी सो वो थोड़े अनारी तरीके से चूत को चूमती और चाट्ती रही. उसकी मदद के लए बगल में बैठे राजू और संजय ने एक एक हाथ से चूत की फांके थोड़ी खोल दी पर चूत इतनी चिकनी थी कि उनके हाथ बार बार फिसल रहे थे. खैर जो भी था सरला की नौसीखिया ज़ुबान ने अपना काम कर दिखाया और मिन्नी उन्हे छोड़ के बाबूजी के पास पहुँची.
 
उसने सखी और मिन्नी को बाबूजी से अलग किया और उन्हे उठा के फिर से सरला के चली आई. सरला के पास पहुँच के उसने अपने दोनो हाथ सरला के सिर के पिछे सोफा पे टिकाए और गांद लहराते हुए बाबूजी का लंड अपनी चूत की तरफ खींचा. बाबूजी ने भी समझदारी दिखाते हुए एक शॉट में उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया. उनके ऐसा करते ही राखी ने उन्हे गांद दबा के रुकने का इशारा किया. अपनी मझली बहू की चूत में पिछे से लंड घुसाए बाबूजी उसकी अगली हरकत का वेट करने लगे. तब राखी ने सरला का सिर पिछे से पकड़ के अपनी चूत की पंखुरीओं की तरफ धकेला और इस बार सरला को लंड से भरी चूत की खुली पंखुरीओं को चाटने में कोई दिक्कत नही हुई. साथ ही साथ सरला ने बाबूजी के चूत में धाँसे लंड के नीचे के हिस्से और उनके अंडकोषों को चाटना शुरू कर दिया. ऐसा करीब 2 मीं तक चला जिसके दौरान बाबूजी की साँसों की रफ़्तार बढ़ चली पर रखी का मजबूत हाथ उनकी गांद को हिलने नही दे रहा था. उधर रखी के साथ होती हुई इन सब हरकतों से बाकी सब ठंडी आँहे भरने लगे.

तब राखी वापिस खड़ी हुई और पिछे मूड के बाबूजी का चुंबन लिया और उनका लोड्‍ा अपनी चूत से बाहर कर दिया. फिर वो बाबूजी की नंगी कमर के इर्द गिर्द हाथ डाल के बोली.

''बाबूजी मुझे तो आपके जैसा एक्सपीरियेन्स्ड लंड और सरला आंटी जैसी औरत दिलवा दो एक साथ मज़े लेने के लिए. मर्द का लोड्‍ा मेरी चूत छील दे और औरत की जिबान उसपे मरहम लगाए......बस मुझे तो ऐसा कुच्छ करवा दो....'' राखी उनका चुंबन लेने लगी.

बाबूजी ने भी बड़ी तस्सली से उसका चूमबन लिया और फिर उससे थोड़ा अलग हुए.

'' तो ठीक है फिर ये तय रहा कि हमारी बहुओं की ये फरमाइश हम दोनो समधी समधन एक साथ पूरी करेंगे. कब कहाँ और कैसे ये जल्दी ही पता चल जाएगा. तो चलो फिर आज की शाम की शुरुआत की जाए और मिन्नी बेटा मुझे उम्मीद है अब तुझे कोई शिकायत नही होगी, तू कल भी सिर्फ़ नाम के लए मेरी बहू थी और आज भी है...पर प्यार मैं तुम लोगों से तुम्हारे बापू से ज़ियादा करता हूँ.'' यह कह के बाबूजी ने अपनी बाहें फैला दी और सखी और मिन्नी उनकी बाहों में दौड़े चले आए. एक ससुर की बाहों में एक साथ 3 अधनंगी बहुओं का चिपकाना और सिमटना एक अद्भुत द्रिश्य था.


बाबूजी से 3नो बहुएँ बेल की तरह लिपटी हुई थी और उधर सरला से 3नो भाई मज़े ले रहे थे. पर सरला का मन तो कुच्छ और ही था. उसने 3नो भाईओं को बारी बारी अपनी जीभ दी और फिर खड़ी हो गई. बाबूजी के आस पास मंडराती हुई 3नो बहुओं को उनसे अलग किया और सोफा पे बैठने को कहा. नंगे बाबूजी के बगल में सिल्वर ब्रा और पॅंटी में खड़ी सरला ने उनके लंड को भींचा और फिर उनकी एक चुम्मि ली. उसके बाद उसने बाबूजी से बात करते हुए सबको संबोधित किया.

''चूँकि सब बहुओं ने अपनी अपनी फरमाइश जाहिर की है और उनको पूरी करने का जिम्मा मेरे और समधी जी पे है तो मेरी भी एक शर्त है. मैं समधी जी की पूरी मदद करूँगी पर साथ ही साथ इन 3नो बहुओं को जो भी नया लोड्‍ा मिलेगा उसपे मेरी चूत का भी हक होगा. अगर हालात ठीक बने तो मैं भी उस लोड्‍े को अपने छेदो में लेने का हक रखूँगी और कोई भी बहू उसपे ऐतराज नही करेगी. अगर ये शर्त मजूर है तो आगे बढ़े.....??'' सरला ने गांद मटका मटका के अपनी सारी बात कही.

''हाअए हाए आंटी जी आप तो बहुत बड़ी छिनाल हो. अब जो हमारे पतिओं के साथ आपने किया उसके बाद भी आप ऐसी शर्तें रखेंगी...ये तो बहुत ग़लत बात है. इतनी भी क्या कुलबुलाहट है आपकी चूत में ...'' राखी ने थोड़ा सा चिड़ते हुए कहा.

''हां भाई हां सही कह रही हो तुम मैं छिनाल ही हूँ और ये बताओ रखी मेरी सूनी चूत को इतने सालों से लंड से वंचित रहना पड़ा....बिना चुदाई के ये रशीन होने लगी थी और मेरी उमर के इस पड़ाव में अगर मुझे नए नए लंड लेने का मौका मिल रहा है तो क्यों ना लूँ ??? ज़िंदगी के हसीन दिन तो अकेलेपन में निकल गए और अब जब इतने भाँति भाँति के लंड घुस्वाने का मौका है तो मैं पिछे कैसे हट सकती हूँ..??'' सरला जवाब तो राखी को दे रही थी पर देख सखी की तरफ रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने रॅनडिपन और लंड खोर होने की जस्टिफिकेशन दे रही हो.

" हां आंटी जी ये बात तो आपने सही कही. इसमे कोई शक नही है और फिर ये मौका तो हमारे जैसे खुले विचारों वाले परिवार के साथ ही आपको मिल सकता है. ठीक है आंटी जी मुझे कोई ऐतराज नही पर इसमे एक बात मेरी भी है. अगर लंड लेना है तो लीजिए पर पहले हम लेंगे उसके बाद आप. कम से कम इससे जो हर्जाना आपको हमारे पतिओं का मूह काला करने का देना है वो तो पूरा होगा...हे हे हे...'' राखी ने हंसते हुए कहा.

''हां हां आंटी मेरी भी बस यही शर्त है'' मिन्नी ने सहमति दी.

''अब मैं आपको क्या कहूँ मा. एक तो आपकी बेटी हूँ उपर से इस घर की सबसे छ्होटी सदस्य सो मुझे तो हां कहनी ही है. पर मेरी तरफ से पहले या बाद वाली शर्त नही है. चाहे आप पहले लें या बाद में मुझे फरक नही पड़ता. और अगर आप चाहे तो आप और मैं एक समय पे एक साथ भी ले सकती हैं...'' आख़िरी सेंटेन्स बोलते हुए सखी शर्मा गई. उसके चुलबुले स्वाभाव की वजह से वो कम ही शरमाती थी पर आज उसकी ये अदा पे तो बाबूजी जैसे लट्तू ही हो गए.

'' आआई हाई मा की दुलारी बेटी...क्या बात है. पति तो शेर किया ही और अब नया लंड भी शेर करने को तैयार है ...मैं वारी जाउ तेरी इस चिकनी चूत पे सखी... आजा मेरे पास मेरी गोद में तुझे इसी बात पे एक चुम्मा दूँगी इनाम में.'' कह के मिन्नी ने अपनी देवरानी को अपनी बाहों में खींच लिया और दोनो एक दूसरे का रास्पान करने लगी. सखी ऑलमोस्ट आधी मिन्नी की गोद में और आधी राखी की गोद में थी. राखी ने भी उसकी टी शर्ट उपर की और उसके छोटे चूचों को चूसना शुरू कर दिया.

बाबूजी ये सब देख के उनकी तरफ बढ़ने लगे कि अचानक से सरला ने उनका लंड भींच के उन्हे रोक लिया. बाकी 3नो मर्द अब खड़े हो चुके थे और उसी सोफा की तरफ बढ़ने लगे जहाँ 3नो बहुएँ थी. पर तभी सरला ने बाबूजी को खाली पड़े सोफे पे धक्का मारा और जल्दी से दौड़ के 3नो भाईओं के आगे हाथ फैला के खड़ी हो गई. इशारा सॉफ था कि रुक जाओ आगे नही बढ़ना.

''ऊओ मेरे प्यारे दमादों...इतनी भी जल्दी क्या है....आज की रात तुम्हारी भाभियाँ या बहुएँ तुम्हे इतनी जल्दी नही मिलेगी. आज पहले तुम्हे मेरे बदन को भोगना होगा. अपने लोडो का व्रत पहले मेरे छेदो में घुसा के तोड़ना होगा. फिर जाके इन 3नो रॅंडियो का प्रसाद खाना. चलो अब फटाफट से वहाँ चलो और मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से गीला करो.'' कह के सरला ने सबसे आगे खड़े राजू को वापिस सोफा की तरफ धक्का दिया. 3नो भाई उसको मूह खोले देखते हुए वापिस सोफा पे बैठ गए. अब सोफा के एक किनारे पे बाबूजी थे और उसके बाद लाइन से उमर के हिसाब से 3नो भाई बैठे थे. सोफा वैसे तो बड़ा और गद्देदार था पर 4 लोगों के लए थोड़ी दिक्कत थी और वो भी हत्ते कत्ते मर्द. संजय की एक जाँघ सोफा की आर्मरेस्ट पे थी और दूसरी हवा में और पैर ज़मीन पे टिका हुआ था. 4रों मर्द मूह खोले सरला को देख रहे थे.
 
''क्यों समधी जी .....?? अपनी समधन का रॅनडिपना देख के मूह खुला का खुला रह गया क्याअ...?? अभी तो रात शुरू हुई है जानेमन...आगे आगे देखो मैं आज क्या नज़ारे दिखाती हूँ. कल जो देखा उसके हिसाब से तो तुम 4रों मर्द और 3नो बहुएँ बस कुच्छ गिने चुने पोज़ और हरकतें करते हो. आज मैं इन 3नो को दिखाउन्गि कि असली रांड़ क्या होती है. और साथ ही साथ ना तुम 4रों भदुओ को अपना गुलाम ना बनाया तो मेरा नाम सेक्सी सरला नही. एक बात बता दूं ये नाम मेरे पति ने रखा था आज से 10 साल पहले और आज फिर से एक मौका मिल रहा है इस नाम को सार्थक सिद्ध करने का. तो मेरे चूज़ों अब तैयार हो जाओ इस मुर्गी पे चढ़ने के लए और पेलो. अगर मुर्गी खुश हुई तो रोज़ तुम्हे अंडा मिलेगा नही तो....'' सरला मादक अंदाज़ में रुक रुक के डाइयलोग बोल रही थी और साथ ही साथ अपनी ब्रा और पॅंटी भी उतार रही थी. उसका बदन ऐसे थिरक रहा था जैसे कि बॅकग्राउंड में गाना चल रहा हो ..''आप जैसा कोई मेरी चूत में घुस जाए तो बाप बंन जाए...आहान बाप बन जाए....''

मम्मो को मसलते हुए सरला बाबूजी और सुजीत के बीच झुकी और दोनो के गालों पे अपनी भारी भारी चूचियाँ और कड़क निपल रगड़ दिए. कुच्छ पल उनके चेहरों के सामने रुक के उसने दोनो मम्मो को साइड से पकड़ के थिरका दिया और फिर मादक मुस्कान देते हुए दोनो निपल पकड़ के खींचे और मूह खोल के छत की तरफ चेहरा करते हुए एक मोन निकाली.........ऊऊऊओहुउऊउम्म्म्ममम...........

जब उसका मूह फिर से उनकी नज़रों के सामने आया तो उसके चेहरे पे कुटिल शरारती मुस्कान थी बालों में हाथ फेरते हुए उसने अपनी बगले दिखाते हुए एक सेक्सी पोज़ बनाया और इठलाती हुई सुजीत और संजय के बीच खड़ी हो गई. अब दोनो के सामने खड़े खड़े उसने अपने माथे से एक उंगली चलानी शुरू की जो कि रेंगती हुई उसकी नाक, होठों, चिन, गर्दन, मम्मो के बीच से होती हुई पेट, नाभि और फिर चूत की दरार पे आके रुक गई. अपनी करीब करीब चिकनी चूत की दरार में 2 - 3 बार उंगली चला के उसने उसपे भीनी भीनी खुश्बू वाल रस लगाया और बारी बारी सुजीत और संजय के खुले होठों पे हल्के हल्के टॅपिंग की. दोनो की जीभें बारी बारी उंगली चाटने के लिए लप्लपाइ पर उन्हे कुच्छ हासिल नही हुआ. सरला उनका ये हाल देख के मुस्कुराइ और एक खिलखिलाती हुई हँसी उसके गले से बाहर आ गई.

अपने सफेद दाँत दिखाते हुए सरला ने अपनी टाँगों को थोड़ा खोला और पिछे को झुकी और फिर दोनो हाथों से चूत के होठ फैला दिए. ब्राउन कलर के होंठ खुले और पिंक बुर ने अपनी भीगी भीगी जगह का निमत्रन दे डाला. करीब 3 - 4 सेकेंड उसी पोज़ में खड़े खड़े ऐसा लग रहा था जैसे सरला के मोटे मम्मे ग्रॅविटी को डिफाइ करना चाहते हैं. कड़क निपल आसमान की तरफ पॉइंट कर रहे थे. अचानक से झटके से सरला सीधी हुई और फिर मड गई. अब उसकी मोटी उभरी हुई गांद सुजीत और संजय के चेहरों के नज़दीक थी और उसने अपनी गांद की फांके खोल के अपने भूरे छेद के दर्शन करवाए. जिस तरीके से सरला खड़ी थी उसकी लेफ्ट पैर संजय की दोनो पैरों के बीच कार्पेट पे टिका हुआ था. सरला ने आगे झुके झुके पिछे मूड के सुजीत और संजय की ललचाई नज़रों को देखा और फिर अपने चूतरो पे दोनो हाथों से 2 बार ज़ोर से थपकीयाँ दी. सरला को मालूम था कि उसकी गोरी गांद पे पट अब लाल हो गए होंगे.

अब सरला अपने को संभालते हुए अपनी गांद को सुजीत के लंड से बचाते हुए उसपे बैठ गई और अगले ही पर उसका पूरा बदन 4रों मर्दों की गोद में लेटा हुआ था. बाबूजी की गोद में उसका सिर था और राजू की गोद में पीठ और कमर. गांद सुजीत के लोड्‍े को दबा रही थी और थाइस और घुटने से नीचे का कुच्छ हिस्सा संजय की गोद में था. उफ़फ्फ़ क्या नज़ारा बन गया था. 4 मोटे तगड़े नंगे मर्दों की गोद में एक भरी पूरी खेली खिलाई रांड़ अपना नंगा बदन लिए हुए उनके लोड़ों को तपिश दे रही थी.

''आओ मेरे प्यारों अब शुरुआत करो इस अद्भुत खेल की जिसे कहते हैं ''4 की चुदाई और 1 लुगाई''. अब शुरू हो जाओ भोसड़ी वालों और मेरे इस बदन को नोचना शुरू करो. आओ और मेरी प्यास भुजाओ. आज तुम लोगों का बस एक ही काम है और वो है मेरे बदन से खेलना उसे खाना और उसकी आग को शांत करना ....और यकीन मानो ये रंडी अगर खुश हुई तो कल से हर एक को दिन हो या रात घर हो या बाहर हर जगह जहाँ भी पासिबल होगा सेक्सी सरला रेडी मिलेगी चुदवाने चोदने के लिए....आओ अब देर नही करो......मेरी काम वासना बढ़ाओ कुत्तों...उउम्म्म्ममममम...एसस्स्सस्स....'' सरला ने अपने बदन को हल्के हल्के उनकी जांगों पे रगड़ना शुरू कर दिया था.
क्रमशः................................
 
खानदानी चुदाई का सिलसिला--29


गतान्क से आगे..............

सखी जो कि अभी भी बीच बीच में मिन्नी के साथ फ्रेंच किस्सिंग कर रही थी आप फटी फटी आँखों से अपनी मा का ये नया रूप देखने लगी. मिन्नी और राखी भी मूह खोले सब नज़ारा देख रही थी.

(दोस्तों ये मेरी इमॅजिनेशन है पर अगर किसी को ऐसी पिक मिले तो ज़रूर शेर कीजिएगा.)

सोफे का नज़ारा देखते ही बनता था. सोफे के एक कोने से शुरू होते हुए बाबूजी नीचे झुक के अपने हाथों में सरला का सिर पकड़े उसकी ज़ुबान से ज़ुबान लड़ा रहे थे. दोनो के थूक का मिश्रण सरला के चेहरे पे सॉफ दिख रहा था और उसके होठों के किनारे से बहता हुआ बाबूजी की जांघों पे गिर रहा था. उसके बाद बैठा राजू बेतहाशा सरला के मम्मे चूस रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे मौसम के पहले आम चूसने का मौका मिला हो किसी छ्होटे से बच्चे को. दोनो मम्मो को दोनो हाथों में जाकड़ के उपर की तरफ खींच खींच के निपल्स को काट रहा था. देखते ही देखते सरला के सफेद गोरे मम्मे लाल पड़ने लगे. उसके मम्मे भी राजू के थूक से चमक उठे थे. अब राजू को उनको पकड़ने में दिक्कत हो रही थी. सो अब वो अपनी हथेली से उन्हे दबा दबा के बीच बीच में चूस रहा था और निपल्स को पकड़ के खींच के लंबे कर रहा था.

उसके बाद बैठा सुजीत नीचे से चूत और गांद के बीच के हिस्से में अपना लंड सटाये बैठा था और सरला की करीब करीब चिकनी चूत को जोरदार तरीके से चाट रहा था. सरला की चूत करीब करीब चिकनी इसलिए थी क्योंकि उसकी बुर पे अभी सिर्फ़ 1 हफ्ते के बाल थे जिन्हे उसने बड़ी मेहनत से दोपहर को ट्रिम किया था और उनमे दिल की शेप बनाई थी. सुजीत तो जैसे उस दिल में ही खो के रह गया था. बीच बीच में वो 1 या 2 उंगलियाँ चूत में जड़ तक पेलता और अच्छे से घिसाई करता और साथ ही अंगूठे से सरला की चूत का उभरा हुआ दाना मसलता. इन सब के हमले से सरला 1 ही मिनट में झार चुकी थी और काँप रही थी पर उसके मूह से निकली हुई सभी आहें बाबूजी के गले में क़ैद हो रही थी. आख़िर में बैठा उसका प्यार दामाद उसके घुटने और पिंडलीओ (कॅव्स) को चाटने में लगा हुआ था. बीच बीच में वो उसके पैर का अंगूठा और उसकी उंगलिओ को भी मूह में भर के चूस रहा था. साथ ही साथ संजय उसके पैर के तले से अपने 11 इंच के लंड को सहला रहा था. सरला का बदन अब थूक और बदन की गर्मी से पैदा हुए पसीने में भीगा हुआ था.

बाबूजी से अब रहा नही जा रहा था और उन्होने राजू को थोड़ा साइड करके सरला का एक मम्मा मूह में भर लिया. उधर सरला की चूत का रस बह बह के उसकी गांद की दरार में घुसे जा रहा आता और सुजीत जो कि उसके बदन के हर हिस्से को बखूबी पहचानता था, उस रस का उपयोग करके उसकी गांद को गीला करने में लगा हुआ था. उधर 3नो बहुएँ भी उन सब को देख रही थी और बीच बीच में स्मूचिंग कर रही थी. कमरे में अब सभी नंगे थे और किसी के बदन पे एक भी कपड़ा नही बचा था.



अब बाबूजी और बाकी सभी मर्दों से रहा नही जा रहा था और अचानक से ही सब सीन बदल गया. जब तक 3नो बहुएँ आपस में किस करके हटी तब तक सरला 4रों लोड़ों का शिकार बन चुकी थी. सोफा पे नीचे लेटा हुआ सुजीत अपना मोटा काला लंड सरला की गांद में घुसाए हुए था. ये जगह आजकल वैसे भी उसके लंड की फेवोवरिट जगह थी. सरला की गांद तो जैसे सुजीत के लंड के इंतेज़ार में ही बैठी थी. उसके उपर राजू अपना 10 इंच का लोडा लिए चूत में एंट्री ले रहा था. सोफे की सपोर्ट लेते हुए उसने भी करीब 5 - 6 इंच की जगह सरला की हलकट चूत में बना ली थी. सोफा के एक तरफ से बाबूजी अपना 7 इंच का डंडा लहराते हुए सरला के हाथ में थमा रहे थे. बाबूजी के पुराने मजबूत लंड को हाथ में पकड़े हुए सरला चिहुनकने लगी थी. पर उसका चिहुक्कना बंद करने के लए उसका सगा दामाद तैयार बैठा था और उसने अपने 11 इंच लंड का निशाना बनाया सरला का मूह जो कि उसके टोपे को देखते ही खुद ब खुद खुल गया.



धीरे धीरे अपनी गांद और चूत में दोनो लोड़ों को अड्जस्ट करते हुए सरला ने बाकी दोनो लंड पे अपने मूह का हमला बोल दिया. सिर घुमा घुमा के कभी एक को चूस्ति तो कभी दूसरे को. देखते ही देखते दोनो लंड थूक से सरॉबार होके नहा लिए. बाबूजी की एक्सिट्म्न्ट आज चरम सीमा पे थी और बहुत ही मुश्किल से उन्होने अपने को कंट्रोल किया हुआ था. उधर राजू अब स्टेडी स्पीड से सतसट चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था. उसके लंड पे सुजीत के लंड की घर्षण गांद और चूत के बीच की दीवार से महसूस हो रही थी. सुजीत नीचे गांद में लंड लगाए चुप चाप सब मज़े ले रहा था. लंड को सुकून पहुचाने का काम उसका भाई जो कर रहा था चूत रगड़ के. सरला को अब कोई होश नही था कि उसकी चूत कितना रस छोड़ रही है. उसे तो बस इतना पता था कि आज वो तृप्त हो रही है. अगर 2 - 4 लोडा और होते आगे लाइन में तो और भी मज़ा आता.

यही सोचते सोचते उसने बाबूजी और संजय को लंड से पकड़ के अपने मूह की और खींचा और दोनो के सुपादे आपस में रगडवा दिए. थूक से सने सुपादे आपस में रगड़ खा के फिसल रहे थे. तभी सरला ने अपना मूह खोला और दोनो सुपादे एक साथ मूह में थूस लिए.
 
पहले तो वो दोनो लंड मूह में अड्जस्ट करके उनपे जीभ चलती रही फिर उसने उनकी गोटिओं से खेलना शुरू कर दिया. इतने में बाबूजी और संजय ने आँखों ही आँखों में इशारा किया और एक साथ धक्का मारते हुए सरला के मूह में करीब 2 - 2 इंच लंड थेल दिए.सरला अब दोनो के लंड मूह में रखे हुए लार टपकाने लगी जो कि उसके मम्मो पे गिरती जा रही थी. उधर राजू के लंड के प्रहार से उसकी पूरी बॉडी हिल रही थी और मम्मे कभी उपर नीचे तो कभी साइड्स में झूलने लगे. ये देख के बाबूजी और संजय ने दोनो तरफ से एक एक मम्मा हाथ में दबोच लिया और उनको मसलने लगे.

इसी पोज़ में रहते हुए सरला ने दोनो मूह के लंड पकड़ के अपनी बॉडी को सहारा दिया और धीरे धीरे उसके हाथ चिकने लोड़ों पे ऑटोमॅटिकली फिसलने लगे. राजू के हर धक्के के साथ ऐसा लगता जैसे सरला मूह में लगे लोड़ों का मूठ मार रही हो. कुच्छ देर यूँ ही 5चों की चुदाई सोफा पे चलती रही. बाबूजी को लगने लगा कि सरला इस पोज़ में थकने लगी है और सो उन्होने राजू को थपकी दी और राजू और सुजीत ने सरला को सहारा देते हुए कार्पेट पे ले लिया. कार्पेट पे खुली जगह होने से एक बार फिर से चुदाई का पोज़ सही से बन गया और सब चालू हो गए.



सरला को आज आवाज़ निकालने की भी फ़ुर्सत नही मिल रही थी. उसके नीचे के दोनो छेद पूरी तरह से भरे हुए थे और अब राजू उसकी गांद की पिलाई करने में लगा हुआ था. दामाद जी ने अपना लोडा अभी भी मूह में दिया हुआ था और बाबूजी रह रह के उसके गालों पे अपने लंड की थपकीयाँ दे रहे थे. चूत में घुसा सुजीत एक बार फिर मस्ती से लेटा हुआ उसके मम्मे निचोड़ रहा था. उधर दूसरे सोफे पे भी सरला का कचूमर बनते देख के 3नो रंडियाँ एक दूजे में मस्त हुई पड़ी थी. सोफे के बॅकरेस्ट पे चढ़ के मिन्नी सखी के उठे हुए मुँह में अपनी चूतरस भर रही थी और वही राखी सखी की काली चिकनी चूत को चखने में व्यस्त थी. उनके सोफा से 3नो औरतों के चूसने चाटने करहाने और सिसकियाँ लेने की जबरदस्त आवाज़ें आ रही थी.

किसी को अगर ये किस्सा सुनाया जाए तो ऐसा लगे कि जैसे कई घंटो से ये सब रास लीला चल रही हो पर दरअसल चुदाई समारोह के इस पहले दौर को शुरू हुए सिर्फ़ 20 - 25 मिनट ही हुए थे और अब तक संयम बरत रहे बाबूजी से रहा नही गया. ज़ोर ज़ोर के हुंकारे भरते हुए उन्होने दनादन सरला के मूह में पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी.

''ओओओओओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मदर्चोद.....बहेन की लोदी सरलाआ.........चूस गई साली रांड़...खाली कर दिया मेरे टट्टो कूओ...........ऊऊहह अरररज्ग्घह....'' बाबूजी अपने बदन को काँपने से रोक नही पा रहे थे.

उनके रस को पेट में लेते ही सरला का ध्यान पूरे तरीके से अपने दामाद पे चला गया. संजय के मूह से अब सिसकियाँ निकलने लगी. सरला बेतहाशा उसका लंड मूह में लेके हाथों को गोल गोल घुमा के उसको मुत्ठिया रही थी. करीब 3 - 4 इंच का लोडा मूह में थूस के वो बचे हुए हिस्से पे ज़ोर से दबा के घिसाई कर रही थी. संजय सिर उठा उठा के उसके मुख चोदन का मज़ा ले रहा था और एक सेकेंड में जब उसने मूह में रखे लंड के हिस्से को जीभ से नीचे से उपर तक चॅटा और लंड की आँख को कुरेदा तो संजय से रुका नही गया और वो चीखते हुए सरला के सिर को पकड़ के झरने लगा.

'''उूउउररगघ्गग आआआआआररर्ररज्ग्घह मुंम्मी जी.....व्वाााहह क्या बाआत्त है मेरी साआसुम्ााआ..............उउम्म्म्मममम अरररज्ग्घह...''

उसका छूटना था कि काफ़ी दे से घस्से मारते हुए राजू से भी रुका नही गया और उसने लंबे लंबे 3 - 4 स्ट्रोक मारते हुए लंड को गांद के बीच तक पेलते हुए झड़ना चालू कर दिया. गांद के छेद और लंड के बेस के बीच के हिस्से को उसने अपनी मुट्ठी में भर लिया और गोल गोल उसको मुत्ठियाने लगा. अपने बाद भैया का मूठ गांद में महसूस होते ही सुजीत ने भी सब कंट्रोल छोड़ दिया और मम्मो को मूह में भर के चूस्ते हुए करीब 30 - 40 सेकेंड के बाद चूत की दीवारों को लंड की फुहारों से भिगोने लगा.

उधर 3नो बहुएँ भी एक दूसरे की जीभ के प्रभाव में झरना शुरू कर चुकी थी. उनकी कराहटे और सिसकियाँ काफ़ी उँचे स्वर की थी. सखी को खास तौर पे बहुत मज़ा आया था क्योंकि एक तरफ वो मूह में बुर् की धारें पीने में व्यस्त थी तो दूसरी और खुद अपनी गरम गरम चूत के झरने में राखी को डुबो रही थी.
 
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