Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज - Page 14 - SexBaba
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Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज

यहां तक कि जो चाल बंसल की तिजोरी में सत्या का कार्ड रखकर चली थी , उसे भी समझ गयी । मगर इस बात में जरूर फंसेगी । यकीनन लविन्द्र की मौत को नकली मानेगी । '
' तुम ये सब कर क्यों रहे हो ? ' मैंने पूछा मगर इस सवाल का जवाब नहीं दिया उसने । मेरे हलक में रूई ठुंसी । मुंह पर टेप लगाया और चला गया । "
" उसके बाद ? "
" दोपहर के वक्त फिर आया । मेरे लिए खाना लाया था । मुझे खोला । रिवाल्वर की नोक पर खिलाया और पुनः इसी तरह बांधकर चला गया । इस मुलाकात में उसने बताया ---- वह लविन्द्र सर की हत्या कर चुका है । उसके जाने के मुश्किल से पन्द्रह मिनट बाद आपका ये शोफर आया ! मेरे मुंह से टेप और हलक से रूई निकालकर बयान लिया । वही सब बताने के बाद मैंने इसरो खुद को खोलने की रिक्वेस्ट की , जो अब बताया है । मगर एक भी लफज बोले बगैर इसने मेरा मुंह बंद किया और हेलमेट वाले की तरह कमरे का ताला लगाकर चला गया ।

" मैंने हैरान होकर शोफर से पूछा ---- " तुमने ऐसा क्यों किया ? "
" मेरे हुक्म के बगैर ये लोकेश को आजाद नहीं कर सकता था । " विभा ने कहा ।
" मगर तुमने लोकेश को , यहां से निकलवाया क्यों नहीं ? "
" ताकि हत्यारे के इरादों पर पानी न फिरे । "
" म - मतलब ? " " वह खुली किताब की तरह मेरे सामने आ चुका था । "
" क - कौन है वो ? " मैने घड़कते दिल से पूछा।

विभा ने कहा ---- "मैं ? "
चीख निकल गई मेरे हलक से ---- " य - ये क्या कह रही हो विभा ?
" आकर्षक मुसकान के साथ कहा विभा ने ---- " मैं चाहती तो उसे रोक सकती थी । गिरफ्तार कर सकती थी लेकिन नहीं किया ! क्या तुम इसे मेरा उसे सहयोग देना नहीं कहोगे ? "
"जरूर कहूँगा"
" और मुजरिम हत्यारे को सहयोग देने वाला भी होता है । "
" मगर क्यों ? क्यों विभा ? तुमने ऐसा क्यों किया ? "
" क्योंकि जो मरे वे इसी लायक थे । जो मर रहे थे वे मरने ही चाहिए थे । " कहती हुई विभा के जबड़े मिंच गए । उसके दूध से गोरे मुखड़े पर आग ही आग नजर आने लगी । पूरी कठोंरता के साथ वह कहती चली गयी --- " मेरी सहानुभूति मरने वालों के साथ नहीं हत्यारे के साथ थी वेद ।

पेपर आऊट करके छात्रों का भविष्य बिगाड़ रहे थे वे । बेगुनाह ... एक सिरे से दूसरे सिरे तक पूरी तरह बेगुनाह सत्या को मार डाला इन्होंने । ऐसे वहशी दरिन्दों की वहीं सजा है जो उन्हें मिली । क्या तुम्हें याद नहीं मैंने खुद अपने पति के एक - एक हत्यारे को चुन - चुनकर मारा था ? फिर इस केस के हत्यारे को कैसे गलत कह सकती थी ? उसने अपनी सत्या के हत्यारों को सजा दी है । इस तरह के लोगों को हत्यारा कहा जाने लगा तो राम भी रावण और उसके सारे परिवार के हत्यारे कहलायेंगे । नहीं ये हत्याएं नहीं थी । यह इंसाफ था । यह इंसाफ जो , किसी के दिल से दिल की आवाज बनकर निकलता है । इसे तुम चाहे जो कहो मगर मैं ये कहूंगी --- मैंने इंसाफ होने दिया । "

" मैं तुम्हें पहली बार जज्बातों की आंधी में उड़ती देख रहा हूं । विभा ! आखिर कानून भी तो कोई चीज है । माना उन्होंने जुर्म किया था --- कानून के हवाले भी तो किया जा सकता था उन्हें । '
" अगर मैं चन्द्रमोहन का कत्ल होने से पहले मेरठ आ जाती तो जरूर ऐसा करती "
" मतलब ? " " चन्द्रमोहन के मर्डर के साथ हत्यारा अपना काम शुरू कर चुका था । मेरे कॉलिज पहुंचने से पहले हिमानी भी मर गयी ।
 
अल्लारखा और ललिता के मर्डर के बाद मैंने हत्यारे को पहचाना । वह वजह जानी जिसके कारण वह हत्याएं कर रहा था । लविन्द्र की हत्या को भी मैं चाहती तो नहीं रोक सकती थी । बाकी बचे एकता , नगेन्द्र , गुल्लू और ऐरिक । इन चारों की हत्या से पहले मैं हत्यारे को जरूर गिरफ्तार कर सकती थी , मगर नहीं किया । दो कारण थे ---- पहला , मैं दिल से मानती थी हत्यारा ठीक कर रहा है । दूसरा , उस स्पॉट पर हत्यारे को पकड़ने से लाभ क्या था ? उसे चन्द्रमोहन , हिमानी , अल्लारक्खा , ललिता और लविन्द्र की हत्याओं के इल्जाम में फांसी होती और एकता , नगेन्द्र , गुल्लू तथा ऐरिक को सत्या की हत्या के जुर्म में । मरना उन सभी को था तो सोचा --- हत्यारे को अगर फांसी होनी ही है तो उन सबको मारने के बाद क्यों न हो जो कानून के हिसाब से भी मौत के हकदार है । "

" वो है कौन विभा ? किसने बदला लिया सत्या की हत्या का ? "

" मैं तुझे नहीं छोडूंगा हरामजादे । " राजेश जुनूनी अवस्था में ऐरिक के बाल पकड़े उसे झंझोड़ता हुआ दहाड़ा ---- " कच्चा चबा जाऊंगा तुझे ।

" राजेश " जीप को ड्राइविंग सीट पर बैठा रणवीर ने कहा ---- " इंस्पेक्टर पीछा कर रहा है । "
" करने दे । " संजय ने कहा- तेज दौड़ा । आज ड्राइविंग देखनी है तेरी ।

" रफ्तार पहले ही अस्सी से ऊपर थी। रणवीर का पैर एक्सीलेटर पर दबाव बढ़ाता चला गया । जीप हवा से बातें करने लगी । पिछली जीप की रफ़्तार भी उसी अनुपात में बढ़ गई थी । दोनों जीप मेन रोड पर शहर से बाहर निकल चुकी थी ।

ऐरिक हलाल होते बकरे की तरह डकरा रहा था । गुस्ससे में पागल हुए जा रहे संजय ने अपने सिर की भरपूर टक्कर उसकी नाक पर मारी । ऐरिक फड़फड़ा उठा । नाक से खुन का फव्वारा फुट पड़ा ।

" कमीने ! कुते ! " असलम दहाड़ा ---- " हमें पहले पता लग जाता तुमने सत्या मैडम की हत्या की है तो किसी को तुम्हारे खून से अपने हाथ रंगने की जरूरत नहीं पड़ती । हम ही तुम्हारे जिस्मों के चीथड़े करके चील - कब्वो के सामने डाल देते । " तभी जीप जोर से उछली ।

संजय ने कहा ---- " क्या कर रहा है रणवीर ? "
" क्या करूं ? सड़क में गडडे ही इतने है ! " " इंस्पैक्टर नजदीक आता जा रहा है ।
" शेखर ने पिछली जीप पर नजरें गड़ाये कहा । " ऐरिक को मार डाल राजेश ! इंस्पैक्टर नजदीक आ गया तो बचा लेगा इसे ! गोली मार दे साले को । "
" नही ! इतनी आसान और सीधी - सादी मौत नहीं मरेगा ये ! " राजेश ने कहा ---- " इसकी मौत भी कुछ वैसी ही नई टैक्निक लिए होगी जैसे इसके साथी मरे । "
" क्या करना चाहता है ? " संजय ने पुछा । " सब अपनी अपनी कमीज उतारो । " राजेश मानो पागल हो चुका था ---- " हम इसे बांधकर जीप के पिछले कुंदै में लटका देंगे । इस्पैक्टर के देखते - देखते सड़क पर घिसटता हुआ मर जायेगा साला ! "

उनका भयानक ईरादा सुनकर ऐरिक के छक्के छूट गये । तिरपन कांप गये ।
 
बार - बार वैसा न करने के लिए गिड़गिड़ाने लगा । मगर सुनने का होश किसे था ? शेखर ने कहा ---- " इंस्पैक्टर और नजदीक आ गया है ।

" तु कमीज उतार । " राजेश बोला । रणवीर के अलावा सबने पल भर में कमीज उतार दी । राजेश ने एक कमीज का सिरा ऐरिक की दोनों कलाइयां जोड़कर उसमें बांधा । संजय ने बाकी कमीजों में गांठ लगाकर रस्सी थमा दी । उपर दातों पर दांत जमाये जैकी अपनी जीप की रफ्तार बढ़ाये चला जा रहा था । देखते ही देखते उसका बोनट अगली जीप के पिछले भाग से टच करने लगा ।

शेखर चिल्लाया .... " तेज चला रणवीर । "

राजेश ऐरिक को सड़क पर लटकाने की प्रक्रिया में जुटा । संजय ने कहा -- " रिवाल्वर दे ! मैं देखता हूं इंस्पैक्टर को ! " राजेश ने रिवाल्वर उसे दिया ।

संजय पिछली जीप पर फायर करने के लिए उसे संभाल ही रहा था कि दोनों जीप' घाड से टकराई।

स्टूडेन्ट्स की जीप खिलौने की तरह हवा में उछल गई ।
फिजा में अनेक चीखें गूंजी ।
हवा में उछलने के बाद जीप ढलान पर गिरी और लुढ़कती चली गयी ।

जैकी ने जोर से ब्रेक लगाकर अपनी जीप सड़क पर रोकी । कूदकर ढलान की तरफ भागा । उधर जीप जब ढलान तय करने के बाद खेत में रुकी तो उलटी खड़ी थी ।
छत जमीन पर पहिये हवा में ।

ऐरिक के अलावा राजेश , रणबीर , संजय , शेखर और असलम आदि सभी जख्मी हो चुके थे । इसके बावजूद न केवल बाहर निकले , बल्कि बंधे हुए ऐरिक को भी घसीटकर निकाला । तब तक दौड़ता हुआ जैकी उनके नजदीक पहुंच चुका था ।

राजेश ने झपटकर जीप के नजदीक पड़ा रिवाल्वर उठाया । रणवीर , संजय और शेखर आदि उन्हें अपने पीछे लेकर जैकी के सामने अड़ गये । ऐरिक चीखने वाली मशीन की मानिन्द चीख रहा था ।
राजेश रिवाल्वर की नाल उसकी कनपटी से सटाता चीखा ---- " आगे मत बढ़ना इस्पैक्टर ! वरना इसे गोली मार दूंगा । " ठिठकते हुए जैकी ने कहा ---- " नहीं राजेश । तुम ये बेवकूफी नहीं कर सकते । "
" करना तो नहीं चाहता इंस्पैक्टर लेकिन तुमने मजबूर किया तो करनी पड़ेगी । "

" और बीच में खड़े है हम ! " रणवीर गुर्राया ---- " हिम्मत है तो आगे बढ़ो इस्पैक्टर सत्या मैडम की कसम ! हमे पार करके राजेश तक नहीं पहुंच सकते तुम । "
" ये हमारा शिकार है । हमारी सत्या मैडम का खून किया है हरामजादे ने । " संजय कहता चला गया ---- " तुम जाओ यहां से ! बाद में आकर लाश उठा लेना । "
" नहीं संजय ! ऐसा हरगिज नही कर सकता मैं । " पगलाया सा जैकी कह उठा ---- " जिस शख्स ने कानून के रक्षक होने के बावजूद इन दरिन्दों को कानून के हवाले नहीं किया , वह तुम्हारे हवाले करके कैसे जा सकता है ? इनकी बोटी बोटी नोचने का हक केवल मुझे है । केवल मुझे !

सत्या मेरी जान थी , मेरी जिन्दगी थी , मेरी होने वाली पत्नी थी वो । और इन राक्षसों ने उसे मार डाला । बोलो ! अब बोलो इसकी बौटियां नोचने का हक किसे है ? "
 
एरिक सहित सभी अवाक रह गये । राजेश कह उठा ---- " य - ये क्या कह रहे हो इस्पैक्टर ? तुम ? तुमसे मुहब्बत करती थी सत्या मैडम ? "
" हां राजेश जाने कितने सतरंगी सपने देखे थे दोनों ने मिलकर ? हमारा घर होगा ! बच्चे होंगे ! खुशीयों से भर जायेगी हमारी जिन्दगी ! मगर इन कमीनों ने एक ही क्षण में सारे सपनों की धज्जियां उड़ा दी । इसीलिए मैंने खुद एक - एक को चुन - चुनकर मारा ।

अब ऐरिक बचा है । और बचा है ये चाकु ! " जुनूनी अवस्था में कहने के साथ जैकी ने जेब से चाकू निकाल कर खोला । कहा ---- " पहचानो इसे ! यह वहीं चाकू है जिससे इसने मेरे रंगीन सपनों का खून किया । ये चाकु इसके खून का प्यासा है राजेश ! क्या अब भी तुम इसे मेरे हवाले नहीं करोगे ?
" राजेश , रणवीर , संजय , शेखर और असलम ने एक - दूसरे की तरफ देखा । ऐरिक की धिन्घी बंध चुकी थी । रो - रोकर खुद को उसके हवाले न करने के लिए कहने लगा वह । जज्बातों का आंधी में घिरा जैकी कहता गया-- " इस केस के दरम्यान मैंने कदम कदम पर महसूम किया और इस वक्त अपनी आंखों से देख रहा हूं कि तुम लोग सत्या को कितना चाहते थे । कितना प्यार करते थे उससे । इसका एक ही कारण है — वह भी तुममे बेइंतिहा प्यार करता थी । तुम्हारे किसी नुकसान को तो वरदास्त कर ही नहीं सकती थी सत्या। फिर भला मैं तुम्हें कैसे तबाह होने दे सकता हूं । इसे तुमने अपने हाथों से मारा तो कानून तुम्हारे पीछे पड़ जायेगा मेरे बच्चो । भविष्य बिगड़ जायेगा तुमारा । मेरी सजा मुकरर हो चुका है । इसके कत्ल के बाद भी फांसी होगी . पहले भी फांसी । जिस सत्या को प्यार करते थे उसी सत्या की कसम है तुम्हें , अपना केरियर तबाह मत करो । सत्या की आत्मा को दुख् होगा । मेरे हवाले कर दो इसे । "

" लो जैकी भैया ! लो । " कहने के साथ राजेश ने ऐरिक को इतना तेज धक्का दिया कि बुरी तरह चीखता लड़खड़ाता वह जैकी के कदमों में जाकर गिरा । , संजय दहाड़ा ---- " हलाल कर दो हरामजादे को । "
" बोटी - बोटी नोच डालो । " रणबीर ने कहा । असलम बोला ---- " खुदा भी ऐसे जालिमों का यही अंजाम चाहता है । "
" इसका खून सत्या मैडम के लिए सच्ची श्रद्धांजली होगी । शेखर बोला ।

जैकी के चेहरे पर तो पहले ही आग थी । अपने कदमों में पड़े ऐरिक का कुर्ता पकड़कर उसे ऊपर उठाया । ऐरिक मिमिया रहा था । जैकी के दांत भिजते चले गये । दांये हाथ की मुट्टी चाकु के फल में गड़ी जा रही थी । गुस्से और जुनून के कारण जैकी के जिस्म की हर नसें उभर आई । आग में लिपटे लफ्ज निकले उसके मुंह से ---- " यही चाकू है न वो ! यही चाकू है न जिससे तूने मेरी सत्या को मार डाला।

देख ---- सत्या का खून तक साफ नही किया मैंने इससे । उस दिन से इस दिन तक के लिए संभालकर रखा था इसे...... तेरा अंत इसी से होना था। " ऐरिक तेरा खेल इसी से खत्म होगा।
कहने के साथ ही चाकु खच्च से ' ऐरिक के पेट मे धंस गया ।

ऐरिक के हलक से चीख ,और पेट से खून का फबबारा उछला ।

उसके खून से लहूलुहान हो उठा जैकी ।
मगर रूका नही जैकी ... दांत पर दाँत जमाये चाकू का फल बाहर खींचा ।

वातावरण में ' खच्च खच्च ' की आवाजें गूंजती चली गई। जैकी मानो पागल हो गया था ।

बिजली से चलने वाले मशीन की तरह चल रहा था उसका हाथ। यहां तक कि ऐरिक के हलक से आवाजे निकलना बंद हो गयी । वह मर चुका था । मगर जैसी को होश कहाँ ?

लाश पर ही चाकु बरसाता रहा वह ।
 
अंततः राजेश आदि ने झपटकर जैकी को पकड़ा । संजय ने झंझोड़ते हुए कहा ---- " होश में आओ जैकी भैया । होश में आओ । ऐरिक मर चुका है । " जैकी का हाथ जहां का तहां रुका ।

बांये हाथ से फिसलकर लाश धम्म से जमीन पर गिरी । रणवीर ने हाथ बढ़ाकर जैकी से चाकु लेना चाहा ।

" नहीं ! " चीखता हुआ जैकी पीछे हटा ---- " इस चाकू का काम अभी खत्म नहीं हुआ । "

" क - क्या मतलब ? "
मगर ! मतलब समझने का मौका किसी को नहीं मिला । जैकी के हाथ में दबे चाकू का समूचा फल पलक झपकते ही उसके अपने दिल में जा गड़ा ।
" नहीं नहीं जैकी भैया । " राजेश आदि घबराकर उसकी तरफ लपके । चाकू अपना काम कर चुका था । जैकी के सीने में गड़ा रह गया वह ।

राजेश ने जैकी को जमीन पर गिरने से पहले लपका । टूटती सांसों के साथ जैकी ने कहा ---- " लोकेश मोदीपुरम के मकान नम्बर थर्टी सिक्स वटा टू में है , उसे वहां से निकाल
लेना । "
" जैकी भैया । रणवीर रो पड़ा ---- " ये क्या किया तुमने ? "
" जो प्यार करता है , वो अपनी मुहब्बत के बगैर जिन्दगी की कल्पना नहीं कर सकता मेरे बच्चो ! अपनी सत्या के पास जा रहा हूँ मैं उसे तुम्हारे बारे में जरूर बताऊंगा ..... " इन शब्दों के साथ जैकी की गर्दन लुढ़क गई ।

" जैकी ? " मैं उछल पड़ा ---- " जैकी हत्यारा है ? "
" वह किसी कीमत पर अपने आखिरी शिकार यानी ऐरिक को नहीं छोड़ेगा । "
" जिस पर महामाया की कृपा हो गयी , भला उसका मिशन कैसे अधुरा रह सकता है । "

" सत्या ने कैम्पस की जमीन पर जो कुछ लिखा , वह बाकी सारे जमाने के लिए भले ही पहेली था ---- परन्तु जैकी के लिए खुनी किताब से कम नहीं था । लव - लेटर्स में किसी का भी पूरा नाम लिखने की जगह नाम का पहला अक्षर कैपिटल लेटर्स में लिखना उनकी प्रक्टिस में था । घटना स्थल पर पहुंचते ही वह समझ गया कि सत्या की हत्या नौ लोगों ने की है और उनके नाम फला - फला लेटर्स से शुरू होते हैं । "
" उन लेटर्स के तो कालिज में अनेक लोग थे । "

" इस समस्या को उसने चुटकी बजाकर हल कर लिया । "
" सबका शक चन्द्रमोहन पर था । तलाशी के दरम्यान उसके कमरे से चाकु मिला । साथ ही उसका नाम भी C से शुरू होता था ।

जैकी उसे थाने से गया । हवालात में चन्द्रमोहन को सत्या द्वारा लिखे लेटर्स का सही - सही मतलब बताया और कहा कि वह सभी हत्यारों के नाम का पहला लेटर जानता है । पहले तुम हो क्योंकि C फार चन्द्रमोहन होता है । बात क्योंकि सच थी , सचमुच सत्या के हत्यारों नाम उन्हीं लेटर्स से शुरू होते थे । अतः चन्द्रमोहन को टूटते देर न लगी और यह तोते की तरह सारे नाम और किस्सा बताता चला गया । "

" यानी पहले ही झटके में जैकी न केवल हत्यारों के नाम जान गया था बल्कि यह भी जान गया कि सत्या की हत्या क्यों हुई ।
" वह सब कुछ जान गया जो चन्द्रमोहन जानता था । "
" उसके बाद ? "
“ जैकी ने चन्द्रमोहन से कहा ---- अगर तुम सबूत के साथ बाकी आठों को पकड़वाने में मेरी मदद करो तो मैं तुम्हें सरकारी ' गवाह बनाकर कोर्ट से बरी करा सकता हूं ।
 
चन्द्रमोहन ने वहीं किया जो उन हालात में फंसा कोई भी शख्स करता । तैयार हो गया वह ! तब जैकी ने कहा ---- तुम अपने साथियों को या किसी और को नहीं बताओगे कि तुम सरकारी गवाह बन चुके हो । तुम्हारा काम होगा सबूत हासिल करना और सुबूत मिलते ही स्टॉफ रूम से मेरे मोवाइल पर फोन करना ।

तुम्हारे थाने पहुंचने से पहले उन दोनों के बीच यह सेटिंग हो चुकी थी । उसके बाद जैकी ने तुम्हें दिखाने के लिए चन्द्रमोहन को बेकसूर ' का परमिट देकर ' मुखबिर ' के रूप में कालिज पहुंचाया । रात के वक्त तुम घर आ गये मगर जैकी का मकसद चन्द्रमोहन की मदद से हत्यारों को पकड़ना नहीं बल्कि उनकी हत्या करना था ।

अतः बराबर उस पर नजर रखी । बेवकूफ बने चन्द्रमोहन ने खुद को बचाने की धुन में अपने साथियों को हकीकत नहीं बताई बल्कि गुपचुप तरीके से हिमानी के कमरे से सत्या के खून से सना पेपर हासिल किया और जैकी के निर्देश के मुताबिक स्टॉफ रूम से उसे फोन किया । जैकी ने वहीं उसकी हत्या कर दी ।

" जब चन्द्रमोहन उससे फोन पर बात कर रहा था तो हत्यारा जैकी कैसे हो सकता है ? "

" मत भूलो ! जैकी के मोबाइल पर बात कर रहा था वह । गुल्लु के बयान पर गौर करो । उसने हत्यारे को बड़बड़ाते हुए स्टॉफ रूम की तरफ जाते देखा था । उसके एक हाथ में बल्लम था । जाहिर है ... मोबाइल पर चन्द्रमोहन से बातें कर रहा था वह । दूर होने के कारण गुल्लू मोबाइल को नहीं देख सका । उसे केवल यह लगा कि वह बड़बड़ा रहा था । "

" उस वक्त जैकी के एक हाथ में मोबाइल था । दूसरे में बल्लम। बात करता करता वह चन्द्रमोहन के सामने स्टाफ रूम के दरवाजे पर पहुंचा । चन्द्रमोहन चौंका । जैकी ने बल्लम खीच मारा ! काम खत्म । '

" तो क्या चन्द्रमोहन ने अपनी जेब में CHALLENGE लिखा कागज भी उसी के निर्देश पर रखा था ? "
" नहीं ! वह कागज चन्द्रमोहन के मरने से पूर्व उसकी जेब में नहीं था । "
" फिर ? "
" असल में जैकी यह कागज चन्द्रमोहन की हत्या करने के बाद उसकी जेब में रखना चाहता था । परन्तु तत्काल गुल्लू के आने और शोर मचाने के कारण ऐसा न कर सका । वहां से फौरन भागना पड़ा उसे । "
" लेकिन तलाशी के दरम्यान कागज निकला था ।
" विभा मुझसे मजा लेती बोली ---- " वह तलाशी में नहीं निकला मेरे मुन्ना बल्कि तुम्हें लल्लू बनाया था जैकी ने । चन्द्रमोहन की लाश की जेब में हाथ डालने से पूर्व ही वह उसके हाथ में था और फिर ठीक ऐसे उसे जेब से निकालकर दिखा दिया , जैसे जादुगर झुरैट - मुर्रेट करता है । "

" इसका मतलब वह चन्द्रमोहन का लिखा नहीं था ? "
" विल्कुल नहीं था ।
" सो किसने लिखा ? "
" जैकी ने ! वह राइटिंग्स की नकल मारने में माहिर है । "
" तुमने खुद कहा था ऐसा शख्स नंगी आंखों को धोखा देने में भले ही कामयाब हो जाये मगर एक्सपर्ट को धोखा नहीं दे सकता । जैकी ने कहा था ---- यह एक्सपर्ट की ओपिनियन ले चुका है । राइटिंग चन्द्रमोहन की ही है । "

" जैकी ने ही कहा था न ! मत भूलो ---- वह हत्यारा है । "
" यानी झूट बोला था उसने ? "
" स्टाम्प पेपर पर लिखकर देना पड़ेगा क्या ? " " यह झूठ उसने बोला क्यों ?
 
" पहेली को उलझाने के लिए ! बाकी हत्याओं को भी सत्या की हत्या की श्रृंखला दर्शाने के लिए । "

" इसका मतलब सत्या के अलावा किसी मक्तृल ने CHALLENGE नहीं लिया । जहां लिखा ---- मक्तूल की राइटिंग की नकल मारकर जैकी ने लिखा ? "
“ सत्या के साथ ललिता का नाम और जोड़ लो । चिन्नी के कारण वह वही करने के लिए मजबूर थी जो जैकी ने कहा । "

" हिमानी की ड्रेसिंग टेबल पर भी उसी ने लिखा था ? "
" वह वो वक्त था जब हिमानी अपनी मौत से पूर्व कैम्पस में लिपस्टिक चाट रही थी । याद करो ---- उस वक्त जैकी हमारे साथ नहीं था । थाने से कालिज की तरफ आ रहे थे हम । उसने हिमानी के कमरे में जाकर अपना काम किया ! लौटकर थाने की तरफ जा रहा था कि मोबाइल पर हिमानी की मौत की खबर मिली । रास्ते ही में से पुनः कालिज की तरफ लौटा और गेट पर हमें मिला ।

" बड़ा शातिर था जैकी । मर्डर भी वही कर रहा था , इन्वेस्टिगेशन भी वही ! "
" अब हम अल्लारखा के नाइट गाऊन पर लिखे हुए CHALLENGE पर आते है । " विभा ने कहा ---- " वह तब लिखा गया जब अल्लारखा हवालात में था । सोचो ---- सब कुछ कितना आसान था जैकी के लिए । अल्लारखा की चाबी से ही उसके कमरे का लॉक खोलकर उसके कमरे में पहुंचा । "
" माई गाड "
" ललिता और लविन्द्र की हत्या में ऐसा कुछ नहीं है जिसे जैकी के प्वाइंट ऑफ व्यू से क्लियर करने की जरूरत हो । तुम समझ सकते हो -एकता का मर्डर उसके लिए कितना आसान या । पहरे पर वही था ! दुसरे पुलिस वालों को भनक दिये वगैर उसने खामोशी से हत्या कर दी । उसके बाद नगेन्द्र को मारा ! तुम्हें याद होगा ---- नगेन्द्र को टँकी में उतरने के लिए उसी ने कहा था । हत्यारा कोई और होता तो भला कैसे जान सकता करेंटयुक्त पानी में कौन उतरेगा ? नम्बर क्योंकि नगेन्द्र का था अतः जैकी ने टंकी में उसी को उतारा ।

गुल्लु का मर्डर तो पट्टे ने सारे कालिज के सामने खुल्लम खुल्ला कर दिया , इसके बावजूद तुम जैसा धुरन्धर राइटर नहीं ताड़ सका हत्यारा वही है ? "
“ उसने एक्टिंग ही ऐसी की । "
" वाकई ! " विभा कह उठी ---- " अमिताभ तक तो मात कर दिया जैकी ने । जो कुछ उसने गुल्लू को पढ़ाकर खुद उसी के मुंह से उसे हत्यारा कहलवाया , वह तो जैकी की जुवानी सुन ही चुके हो । सबके सामने अपने शिकार की हत्या करने के बावजूद खुद को शक के दायरे से दूर रखने के लिए न सिर्फ लाजबाब एक्टिंग करके यह दर्शाया कि जाने किसने गोलियां बदल दी , बल्कि गुल्लू की कोठरी में रखा वह टेप भी पहले ही आन कर चुका था जिससे आवाज ही सब कुछ होने के बाद निकलनी थी ।

उसके याद तो सबको यकीन हो गया कि जैकी के हाथों गुल्लू की हत्या हत्यारे की साजिश के कारण हुई है । "

" मगर तुम उस वक्त जैकी के हर पैतरे को समझ रही थी ? "
" वह तो पहले ही बता चुकी हूं । "
" लेकिन कब ' मैंने पूछा ---- " तुम्हें कब और कैसे लगा हत्यारा जैकी है ।

" पहेली हल होते ही मेरा ध्यान उस पर चला गया था । "
“ बजह ?

" ललिता की हत्या तक मैं भी इसी भ्रम का शिकार थी कि हत्यारा वही है जिसने सत्या की हत्या की । इस कारण हत्याओं की कोई ठोस वजह नहीं मिल रही थी । सत्या की हत्या का कारण पेपर नजर आता था । परन्तु बाकी हत्याओं का कारण किसी ऐंगिल से पेपर नहीं बैठता था ।

यह तुम भी जानते हो ---- पहेली हल होते ही यह बात स्पष्ट हो गयी कि बाकी हत्याएं सत्या की हत्या का रिवेंज है । अर्थात सत्या का पहला हत्यारा चन्द्रमोहन था । वहीं मेरे दिमाग में यह खटका ---- अगर वह सत्या का हत्यारा था तो उस शख्स के सामने टुटा क्यों नहीं , जो हवालात में पत्थर तक को बोलने पर मजबूर कर देने का दावा करता था ?
मुझे लगा ---- जैकी ने झूठ बोला है ।
 
यकीनन वह चन्द्रमोहन को तोड़ने कामयाब हो गया होगा । यदि ये अनुमान दुरुस्त है तो उसने चन्द्रमोहन को ' बेकसूर ' का परमिट देकर छोड़ा क्यों ? छुपाने का मतलब है --- मन में चोर होना । तभी मुझे जैका की एक और बात याद आई । तुम भी याद करो । उसने तुमसे कहा था --- ' इस केस में अपने उपन्यास के लिए आपके हाथ भरपुर मसाला लगने वाला है । ---- कहा था न ? "
" हां ---- कहा तो था । "
" किस बेस पर कहा उसने ऐसा ? उस वक्त तक केवल सत्या की हत्या हुई थी । कोई कैसे दावा कर सकता था कि आगे का घटनाक्रम कुछ ऐसा घटने वाला है जिस पर उपन्यास लिखा जा सके ? "
" वाकई ! सोचने वाली बात है । "
“ सोचने वाली इसी बात ने मुझे सोचने पर मजबूर किया । फिर एक और बात याद आई । उसे भी याद करो ! जब जैकी तुम्हें हवालात में ले गया तो चन्द्रमोहन ने कहा था --- ' मुझे और मत मारना इंस्पैक्टर साहब ... जो जानता था --- बता चुका हूं । ' कह चुका है ---- वहीं करूंगा जो आपने कहा है ।

सोचो---- क्या कहा था जैकी ने ? जो तुम्हारे सामने कहा गया वह बाद में कहा गया था । उस वक्त कौन सी बात के लिए कह रहा था चन्द्रमोहन ? क्या बता चुका था।
वही हमारे सामने वैसा कुछ नहीं आया । शायद सच्चाई यही है कि जैकी उससे हकीकत उगलवाने में कामयाब हो चुका था । मगर छुपा रहा था । क्यों ? इस क्यों का जवाब हासिल करने के लिए या यूं भी कह सकते हैं कि अपना शक दूर करने के लिए मैंने जैकी को चैक करने का मन बनाया । "
" और चैक किया ? "
" बेशक ! " पहेली हल होते ही हम कालिज पहुंचे । वहां लविन्द्र की हत्या हो चुकी थी । जैकी के खिलाफ उपरोक्त बातें मेरे जहन में बराबर खटक रही थीं । यह बात मैने जानबूझकर जैकी को बताई कि हम पहेली हल कर चुके हैं ताकि अगर वह कातिल है तो अपने इर्द - गिर्द खतरा महसूस करे और खुद को शक के दायरे से दूर रखने का कोई गेम खेले ।

' गेम ' खेलने का मौका देने के लिए ही मैंने उसे ' पहरे के लिए एस.एस.पी. के पास जाने के लिए कहा और अपने शोफर को उसके पीछे लगा दिया । गोट बिल्कुल फिट बैठी । जैकी लोकेश का खाना लेकर सीधा यहां आया । बाहर वाले कमरे में उसने ओबरकोट , हेलमेट आदि पहने । इस कमरे में आकर लोकेश को खाना खिलाया और पुनः बाहर वाले कमरे में कपड़े चेंज करके चला गया ।

उसके बाद शोफर ने लोकेश से बात की । वापस कॉलिज पहुंचा । रिपोर्ट दी ! अब हत्यारा मेरे सामने बेनकाब था । "
" दूसरी बाते तुम्हें इतनी डिटेल में कैसे मालूम है ? " मैंने पूछा ---- " जैसे --- जैकी ने मेरे थाने पहुंचने से पहले हवालात में चन्द्रमोहन को कैसे तोड़ा या क्या कहा ? हर कत्ल की डिटेल कैसे पता लग गई तुमको ? "

" दिक्कत केवल सिरा मिलने में होती है दोस्त । एक बार सिरा मिल जाये तो गुत्थियां खुद ब खुद सुलझती चली जाती है । शोफर की रिपोर्ट मिलते ही मैंने इसे जैकी के फ्लैट पर जाकर वहाँ की तलाशी लेने का हुक्म दिया । इसने वैसा ही किया और वहां से एक डायरी लाकर दी ।

" डायरी ? " विभा ने शोफर को इशारा किया । शोफर ने अपनी जेब से डायरी निकालकर मुझे दी । विभा ने कहा ---- " यह वह डायरी है जिसे पढ़ने के बाद मैंने फैसला किया कि जो हो रहा है उसे होने दिया जाये । जैकी को रोकना या उसे पकड़ना अन्याय होगा । बहुत ही भावुक होकर ये डायरी लिखी है जैकी ने । पढ़ने से पता लगता है कि वह कितना टुट- टूटकर सत्या से प्यार करता था । और सत्या के बगैर कितना अधूरा रह गया वह । पढ़ते वक्त कई जगह आंसू आ जायेंगे तुम्हारी आँखों में । इसे पढ़ने के बाद ही जान सकोगे कि अपनी सत्या के हत्यारों से बदला लेने की कैसी आग थी उसके दिल में । अपने हर कार्य की ---- हर मर्डर की डिटेल लिखी है उसने !
 
ये उपन्यास आपलोगों को कैसा लगा।पूरा पढ़ने के बाद अवश्य लिखे।थैंक्स
 
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