vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार - Page 6 - SexBaba
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vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार

बाजी कुछ देर तक मेरी आँखों में झांकती रही और फिर बोली- “भाई रात तुमने जो जूस मुझे पिलाया था, उसमें तुमने क्या मिलाया था?”

मैं हैरानी की आक्टिंग करता हुआ बाजी की तरफ देखकर बोला- “क्या मतलब बाजी, मैं समझा नहीं कुछ?"

बाजी- भाई मैं कोई मुश्किल बात नहीं पूछ रही तुमसे। बस इतना बताओ तुमने जूस में क्या मिलाया था?

मैं- बाजी आप जो बोलना चाहती हो खुलकर बोलो और पूछो। मुझे इस तरह कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

बाजी- अच्छा ये बताओ रात तुम मेरे रूम में किस वक़्त आए थे?

मैं- बाजी, मैं भला रात को आपके रूम में क्यों आने लगा?
आखिरकार, आप पूछना क्या चाहती हो?

बाजी- “देखो सन्नी, मैं बड़ी बहन हूँ तुम्हारी, और रात जिस तरह तुमने मुझे जूस पिला के बेहोश किया और उसके बाद मेरे साथ जो कुछ किया, मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती थी कि तुम मेरे भाई होकर मेरे साथ ये सब करोगे...” ये बोलते हुये बाजी की आँखों में हल्के आँसू भी आ गये।

मैं बाजी की बातें सुनकर और उनकी आँखों में आने वाले आँसू देखकर तो एक बार हिल सा गया कि कहीं जो लड़की मेरे साथ फेसबुक पे चैट कर रही है, वो कोई और तो नहीं? लेकिन तभी बाजी की पिक जो बाजी ने भेजू थी, मुझे याद आ गई और मैं बाजी को इस शानदार आक्टिंग पे दाद देने के लिए मजबूर हो गया, और बोला बाजी, आप क्या पहेलियां बुझवा रही हो मुझे? मैंने कब आपको जूस पिलाकर बेहोश किया है? और कब आपके रूम में आया था? और आखिरकार, मैंने किया क्या है आपके साथ रूम में आकर जो आप मुझे इतना बुरा भला बोल रही हो?”

बाजी- अच्छा तो तुम ये कहना चाहते हो कि तुम रात मेरे रूम में ना तो आए थे, और ना ही मेरे साथ कुछ किया है?


मैं- हाँ बाजी। लेकिन आप बताओ तो सही कि आखिर हुआ क्या है?

बाजी मेरी बात सुनकर अपनी आँसू भारी आँखों से मुझे देखती रही और फिर अचानक बाजी ने मुझे जोर का थप्पड़ जड़ दिया और बोली- “निकल जाओ मेरे रूम से, कमीने अब अम्मी ही तुमसे बात करेंगी...”

मैं हैरानी से बाजी की तरफ देखने लगा और बेड से खड़ा हो गया और बोला- “बाजी, आपने मुझ पे हाथ उठाया है, क्योंकी आप मुझसे बड़ी हो। और मैं आपकी बहुत ज्यादा इज्ज़त करता हूँ और प्यार भी। लेकिन आपने मुझे क्यों मारा है ये तो बता दें? आखिरकार, मेरा कसूर क्या है?"
 
बाजी अपने बेड से उठ खड़ी हुई और मेरे सामने आकर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथों से बारी-बारी मुझे थप्पड़ मारने लगी, और साथ ही रोने भी लगी और बोली- “सन्नी मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ और तुमने रात अपनी ही बहन की इज्ज़त लूट ली, तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आई?”

मैं बाजी की बात सुनकर अब सिर झुकाकर खड़ा हो गया और कुछ नहीं बोला।

मेरे कुछ ना बोलने पे बाजी ने मुझे झिंझोड़ दिया और बोली- “बोलते क्यों नहीं सन्नी? तुमने ऐसा क्यों किया मेरे साथ? तुम्हें शर्म नहीं आई? ये सब करते हुये तुम मर क्यों नहीं गये सन्नी?”

अब अपना सिर उठाकर मैंने बाजी की तरफ देखा और बोला- “बाजी अगर आपको इतना ही अपनी इज्ज़त का ख्याल था तो आप आज भी कुँवारी होती? और मैं भी आपके साथ ये सब नहीं करता जो हुआ...”

बाजी- क्या मतलब है तुम्हारा? क्या मैंने अपनी इज्ज़त को खुद लुटाया है?

मैं- “हाँ बाजी। मैं ये ही बोलना चाहता हूँ कि अगर मुझे आपके रूम से अगर वो मेमोरी कार्ड नहीं मिला होता, जिसमें आपकी मेरे ही दोस्त के साथ मूवी थी, तो मैं आज भी ऐसी हरकत के बारे में नहीं सोचता। क्योंकी आप
और ये घर ही मेरी इज्ज़त और पहचान है, और जब मैंने वो वीडियो देखी तो मैं अम्मी को बताने ही वाला था। तभी मैं ये सोच कर कि ये ठीक नहीं होगा और इसमें आपकी बदनामी नहीं पूरे घर की बदनामी है, तो मैंने ये कदम उठाया है कि मैं खुद घर में ही आपकी हर जरूरत को पूरा करता रहूं। जिसकी वजह से आपको घर से । बाहर जाना पड़ता है, और अगर मैंने कुछ गलत किया है तो आप मुझे माफ कर दो...”

बाजी- तुमने वो वीडियो कब देखी और तुम्हें मेमोरी कार्ड कहाँ से मिला था?

मैं- कल दिन में ही देखा था, जब आप किचेन में काम कर रही थी, और वो मुझे आपकी दराज से मिला था।

बाजी कुछ देर तक मेरी तरफ देखती रही और फिर बोली- “ठीक है सन्नी, अभी तुम जाओ यहाँ से। मैं तुमसे बाद में बात करूंगी...”

मैं बाजी की बात सुनकर बाजी के रूम से बाहर निकला और अपने रूम में आकर बैठ गया और फेसबुक पे आनलाइन हो गया। तो थोड़ी ही देर के बाद बाजी भी आनलाइन हो गई।

और आते ही मुझे- “हाय सन्नी..” बोला।

मैं- हाय फरी जी, क्या हाल है?

बाजी- तुम सुनाओ क्या हुआ? तुम्हारी बहन ने कोई हंगामा तो नहीं किया?
 
मैं- बस फरी जी हंगामा तो हुआ है, अब देखो बाजी क्या फैसला करती हैं?

बाजी- क्या बात हुई है तुम्हारी अपनी बहन से?

मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया।

बाजी ने कहा- सन्नी एक बात पूछू सच बताओगे मुझे?

मैं- जी फरी जी पूछो।

बाजी- क्या अगर तुम्हारी बहन तुम्हें स्वीकार कर लेती है तो तुम उसे पूरी आजादी से एंजाय करने दोगे।

मैं- मतलब? मैं समझा नहीं?

बाजी- मतलब ये कि अगर तुम्हारी बहन तुम्हारे साथ मिलकर किसी और के साथ भी एंजाय करना चाहे तो क्या तुम उसे इजाजत दोगे?

मैं- अरे फरी जी, अगर मेरी बहन मेरे इलावा 10 लोगों से भी चुदवाना चाहेगी ना, तो भी मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा। बल्की मैं खुद बाजी के लिए सारा इंतजाम कर दूंगा।

बाजी- क्या सच में तुम ऐसा करोगे? या ये तुम्हारी तेजना है जो वक़्ती तौर पे ऐसा बोल रहे हो?

मैं- नहीं फरी जी, ये मेरा दिल चाहता है कि मैं अपनी बहन को पूरा मजा उठाने दें, और जो वो चाहे उसमें उसकी मदद करूं और उसके साथ खुद भी मजा करूँ। बाकी अब देखना है कि बाजी क्या सोचती हैं?

बाजी- ठीक है सन्नी तुम्हारी बाजी भी तुम्हारे साथ हैं।

मैं खुशी से- क्या मतलब फरी जी? मैं समझा नहीं।

बाजी- अभी मेरे रूम में आ जाओ, मैं इंतेजार कर रही हूँ तुम्हारा भाई।

मैं- मतलब आप मेरी बाजी फरी ही हो?

बाजी- हाँ। और अब रूम में आ जाओ।

मैं खुशी से उछल पड़ा और बाजी के मान जाने पर झूमता हुआ उनके रूम की तरफ चल दिया। मैं बाजी के रूम के पास पहुँचकर रुक गया और फिर से अपने रूम की तरफ चल दिया और इंतेजार करने लगा कि मेरे बाजी के रूम में ना जाने से बाजी क्या करती हैं? और इस इंतजार में मुझे कोई 10 मिनट लगे कि तब जाकर मेरे मोबाइल पे बाजी का मेसेज आया। जिसमें बाजी ने लिखा हुआ था- आए क्यों नहीं?

मैं उठा और बाजी के रूम की तरफ फिर से चल दिया और इस बार बिना झिझके बाजी के रूम में इन हो गया जब मैं बाजी के रूम में इन हुआ तो बाजी बेड पे बैठी दरवाजे की तरफ ही देख रही थी। मैं बाजी के पास जाकर खड़ा हो गया।

तो बाजी हल्का सा मुश्कुराई और बोली- बैठ जाओ खड़े क्यों हो?

मैं बाजी के साथ ही बेड पे बैठ गया और बाजी की तरफ देखने लगा, जो कि मेरी तरफ ही देख रही थी। कुछ देर तक हम एक दूसरे की आँखों में देखते रहे और हल्का-हल्का मुश्कुराते रहे।
 
तभी बाजी ने कहा- “भाई क्या देख रहे हो?"

मैं हँस दिया और बोला- “कुछ नहीं बाजी, बस मैं आपको देख रहा था और सोच रहा था कि अब आप कितने थप्पड़ मरोगी मुझे?"

बाजी भी हँस दी और बोली- “थप्पड़ तो मैं अब भी मारूंगी। लेकिन प्यार से..." और साथ ही हल्का सा थप्पड़ भी मुझे दे मारा।

मैंने बाजी का हाथ पकड़ लिया और उन्हें अपने होंठों से लगा लिया और चूम लिया।

बाजी ने कहा- “भाई मैंने इन्हीं हाथों से तुम्हें मारा था, और तुम इन्हें चूम रहे हो...”

मैंने हँसते हुये कहा- “बाजी अगर आपने मुझे मारा था तो क्या हुआ? मुझे यकीन है कि मेरे साथ आपको भी दर्द हुआ होगा, क्योंकी आपने मुझे दिल से नहीं मारा होगा.”

बाजी- अच्छा भाई ये बताओ कि जो हमारे बीच हुआ रात, क्या तुम खुश हो उस सबसे? क्या ये गलत नहीं था?

मैं- नहीं बाजी, मेरा मानना है कि प्यार में कुछ भी गलत नहीं होता और मैं आपसे प्यार करता हूँ।

बाजी- लेकिन फिर भी भाई तुम भाई हो मेरे और में तुम्हारी बहन हूँ, और भाई फिर भी अगर किसी को पता चल गया तो जानते हो ना कि क्या होगा? लोग हमें जिंदा गाड़ देंगे।

मैं- कुछ भी नहीं होगा बाजी, जब तक हम खुद ही किसी को नहीं बतायेंगे तो किसी को क्या पता चलेगा और वैसे भी कालेज बंद होने वाले हैं 3 महीने के लिए, तो मैं सोच रहा था कि आप और मैं इस बार मुरी घूम के आते हैं, क्योंकी वहाँ हमें कोई नहीं जानता होगा और हम जी भरकर अपने दिल की हर ख्वाहिश पूरी कर सकते हैं और किसी को पता भी नहीं चलेगा।

बाजी- वो सब तो ठीक है भाई, लेकिन तुम्हें जरा भी बुरा नहीं लगेगा मुझे किसी और के साथ करता देखकर?

मैं- क्यों बाजी, इसमें गुस्से वाली क्या बात है? भला आप कौन सा मेरी मिल्कियत हो जो मैं आप पर पाबंदी लिगता फिरूं आपकी अपनी भी एक लाइफ है और आपको पूरा हक है कि आप उसे अपनी मर्जी से एंजाय करो।

बाजी- भाई तुम बहुत अच्छे हो लेकिन हम अकेले मुरी कैसे जा सकते हैं भला? जब हम मुरी की बात करेंगे तो अम्मी और निदा भी साथ जाने के लिए तैयार हो जायेंगे जिसहे सब कुछ खतम।

मैं- “यार ये सब मेरे ऊपर छोड़ो और बस बेफिकर हो जाओ...” इतना बोलते ही मैंने बाजी की कमर में हाथ डालकर अपनी तरफ खींचा।

बाजी ने थोड़ा जोर लगाया मुझे से बचने के लिए, जिससे बाजी की टाँगों पे पड़ी चादर पूरी तरह हट गई, तो मुझे पता चला कि बाजी ने नीचे सिर्फ पैंटी पहनी हुई है तो मैं भी बाजी के ऊपर झुक गया और अपने एक हाथ से बाजी की कमर को पकड़कर थोड़ा ऊपर उठा दिया और बाजी को किस करने लगा। बाजी ने भी अपना हाथ मेरे सिर पे रख लिया और मुझे किस करने लगी।
 
कुछ देर ऐसे ही हम दोनों बहन भाई लिपटे हुये किस करते रहे और फिर मैंने बाजी को छोड़ा और खड़ा हो गया। अपने कपड़े उतार दिए और बेड पे लेट गया, और बाजी के अपने ऊपर खींच लिया और एक झटके से बाजी की शर्ट उतार दी। जिससे बाजी मेरे लण्ड पे सिर्फ पैंटी और ब्रा में ही बैठी रह गई। मैं बाजी की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दिया तो बाजी हल्का सा शर्मा गई, और साथ ही मेरे ऊपर गिर गई, मुझे किस करने लगी।

मैं भी बाजी की गाण्ड पे पैंटी के ऊपर से हाथ फेरते हुये किस करने लगा।
बाजी को कुछ देर तक किस करते रहने के बाद मैंने अपने दोनों हाथ बाजी की कमर पे घुमाना शुरू कर दिया और जब मेरा हाथ ऊपर की तरफ जाते हुये बाजी की ब्रा से टकराया तो मैंने बाजी की ब्रा का हुक खोल दिया। बाजी ने जो कि अपनी आँखें बंद किए मुझे किस किए जा रही थी अचानक अपनी आँखें खोल दी, और मेरी । तरफ देखा और अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाया और हल्का सा मुश्कुरा के अपनी ब्रा उतारकर साइड में फेंक दी और फिर से मेरे ऊपर झुक गई और किस करने लगी।

मैं भी बाजी को किस करने लगा और साथ ही अपनी बड़ी बहन की चूचियों की निपल को भी मसलने लगा, जिससे बाजी मुझे और भी शिद्दत से किस करने लगी और साथ ही अपनी फुद्दी को मेरे लण्ड पे रगड़ने लगी। थोड़ी देर तक बाजी ऐसे ही अपनी फुददी मेरे लण्ड पे तगड़ती रही और किस करती रही। फिर अचानक बाजी का जिश्म थोड़ा अकड़ गया और तभी मुझे अपने लण्ड पे काफी सारा गीला-गीला महसूस हुआ जिससे मैं समझ गया कि बाजी का पानी निकल गया है और फिर बाजी मेरे ऊपर से हट गई और उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी। मैंने बाजी का हाथ पकड़ लिया और सवालिया नजरों से बाजी की तरफ देखा।

बाजी ने कहा- “भाई, अभी इससे ज्यादा नहीं क्योंकी निदा आने वाली है बाकी का अधूरा काम रात को करेंगे...”
और अपना हाथ छुड़ाकर बाथरूम की तरफ चल दी।

बाजी की बात सुनकर मेरी झांटें तक जल गईं। लेकिन क्या कर सकता था सिवाए मूठ के? जो मैंने खुद ही। लगाई और उठकर अपने कपड़े पहन लिए, और बाजी के रूम से निकला और अपने रूम में आ गया। मैं कुछ देर तक अपने रूम में लेटा रहा और अभी बाजी के साथ हुई मस्ती के बारे में सोचता रहा, और खुश होता रहा कि तभी बेल होने और उसके कुछ देर बाद दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी। मैं समझ गया के निदा आ चुकी है तो मैंने अपना नेट ओन किया और एक इंडियन मूवी देखने लगा।

मूवी खतम होने तक अम्मी भी घर आ चुकी थी और फिर हमने मिलकर खाना खाया और खाने के बाद मैंने अम्मी से कहा- “अम्मी क्यों ना इस बार कालेज की छुट्टियों में मुरी घुमा जाए?”

निदा- गुड आइडिया भाई, सच्ची बहुत मजा आएगा।

अम्मी- नहीं कोई मुरी नहीं जा रहा। यहाँ घर पे ही रहना है और अगर कहीं जाना भी हुआ तो किसी रिश्तेदार के घर 4-5 दिन के लिए हो आयेंगे।

बाजी- मान जाओ ना अम्मी प्लीज़्ज़... सिर्फ दो हफ्ते के लिए।

मैं- हाँ, अम्मी देखो सबका कितना दिल कर रहा है?

अम्मी- ओके अभी छुट्टियों में काफी दिन हैं, जब टाइम आएगा तब देखेंगे कि जाना है या नहीं?

मैं- “अम्मी दूसरे हफ्ते हमारे कालेज बंद हो जायेंगे और हमें अभी से तैयारी करनी है और वहाँ कोई काटेज भी बुक करना होगा। बाद में जगह नहीं मिलेगी सो प्लीज़... मान जाओ ना...”
 
मेरी बात खतम होते ही बाजी और निदा भी अम्मी की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखने लगी। तो अम्मी ने कहा- “ओके। बुकिंग करवा लो लेकिन हम वहाँ दो हफ्ते से ज्यादा नहीं रुकेंगे...”

अम्मी की बात सुनकर हम सब खुश हो गये और उसके बाद बाजी और निदा अम्मी के साथ शापिंग का प्लान करने लगी, तो मैं वहाँ से उठा और अपने रूम में आ गया और फेसबुक पे आनलाइन हो गया और सबके सोने का इंतेजार करने लगा। क्योंकी जब तक सब सो नहीं जाते बाजी ने मुझे नहीं बुलाना था।


फेसबुक पे चैट करते और बाजी का इंतेजार करते मुझे 11:00 बज गये। तब जाकर बाजी का मेसेज आया कि 10 मिनट के बाद आ जाना, तो में खुश हो गया और आने वाले वक़्त का सोचते ही अपना लण्ड मसलने लगा।

मैं कोई 11:15 पे अपने रूम से निकला और इधर-उधर देखता हुआ बाजी के रूम में चला गया, जिसका दरवाजा खुला हुआ ही था। लेकिन मुझे रूम में कोई भी नजर नहीं आया, तो मैंने दरवाजे को अपने पीछे लाक किया ।

और बाथरूम की तरफ चल दिया, जिसका दरवाजा खुला हुआ था और लाइट जल रही थी।

मैंने जब बाथरूम में झाँका तो मुझे बाजी नजर आ गई, जो कि अब मेरी तरफ मुड़ चुकी थी और मुझे देखकर हल्का सा मुश्कुरा भी रही थी।

मैंने बाजी को इस तरह मुश्कुराता हुआ देखा तो बोला- “क्या बात है बाजी, इस तरह क्यों मुश्कुरा रही हो आप?”

बाजी ने कहा- “अभी नहीं जब टाइम आएगा तब बताऊँगी..” और बाथरूम से बाहर आ गई।

बाजी जैसे ही बाहर निकली बाथरूम से तो मैंने बाजी को अपनी तरफ खींच लिया और अपने साथ लिपटाकर एक किस कर डाली और साथ ही बाजी को खुद से अलग कर दिया और बाजी की शर्ट को पकड़कर उतार दिया, जिससे बाजी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई। बाजी थोड़ा पीछे हटी और बेड पे जाकर मेरी तरफ अपनी पीठ करके बैठ गई।

मैंने अब ज्यादा देर करना मुनासिब नहीं समझा और झट से अपने कपड़े उतारकर फेंक दिए और नंगा हो गया, जिससे मेरा लण्ड भी पूरी तरह आजाद होकर हिलने और झटके खाने लगा।

अब मैं भी जाकर अपनी बड़ी बहन के पास बेड पे बैठ गया और बाजी को अपने सीने से लगा लिया और किस करने लगा। साथ ही अपने हाथ बाजी की कमर पे ले जाकर बाजी की ब्रा के हुक खोल दिए और उनकी कमर पे अपने हाथ घुमाने लगा, और साथ ही किस भी करता रहा। फिर मैंने बाजी को अपने साथ ही बेड पे लिटा लिया और अपना एक हाथ बाजी की पैंटी में डालकर नीचे को खिसकने लगा।


बाजी मेरा इरादा समझ गई और अपने जिश्म को थोड़ा ऊपर उठाया जिससे मैंने बड़े आराम से बाजी की पैंटी भी निकालकर एक तरफ फेंक दी, और बाजी को अपने साथ लिपटा लिया और उन्हें चूमने और अपने हाथों से सहलाने लगा और फिर अपनी बड़ी बहन का एक हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रख दिया जिसे बाजी ने पकड़ लिया और साथ ही हम किस भी करने लगे।
 
थोड़ी देर तक हम दोनों बहन भाई ऐसे ही किस करते रहे और बाजी मेरा लण्ड सहलाती रही। फिर बाजी ने मेरा लण्ड छोड़ दिया और थोड़ा ऊपर को उठ गई और मुझे किस करने लगी। हम दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही मस्तियां करते रहे। लेकिन अब मेरी और मेरे लण्ड दोनों की हालत खराब होती जा रही थी, जिसकी वजह से मैंने बाजी को अपने से अलग किया और खुद उठकर बैठ गया और बाजी को बेड पे सीधा लेटने को बोला।

बाजी जो कि अब उठकर बैठी हुई थी मुश्कुराते हुये बोली- क्यों जी?

मैंने बाजी को इस तरह अपनी तरफ शैतानी से मुश्कुराता देखा तो बाजी की टाँगों को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया जिससे बाजी बेड पे सीधी होकर गिर गई और बाजी की टांगें भी खुल गईं तो बाजी की दोनों रानों में छुपी हुई प्यारी सी फुद्दी मेरी निगाहों के सामने आ गई।

मैंने बिना देर किए अपनी जुबान बाजी की फुद्दी पे अपना सिर झुकाकर रख दी और उसे फुद्दी में ऊपर से नीचे की तरफ चलाने लगा।

बाजी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी फुद्दी पे दबा दिया और साथ ही- “आआह्ह... सन्नी मेरे भाई ऊह्ह... उन्नम्ह... जोर से चाटो भाई सस्स्सी ... मजा आ रहा है भाई आअह्ह... खा जाओ भाई अपनी बहन की फुद्दी को आह्ह..” की आवाजें निकालने और सिसकियां लेने लगी।

कुछ देर तक मैं बाजी की फुद्दी को ऐसे ही चाटता रहा और फिर मैं उठा और थोड़ा आगे हुआ और अपना लण्ड बाजी की फुद्दी पे रख दिया और अपना लण्ड बाजी की फुद्दी पे रगड़ने लगा। अब मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा अपनी बहन की फुद्दी में पुश किया।

तो बाजी के मुँह से- “आआह्ह... सन्नी मेरे भाई क्यों तड़पा रहे हो प्लीज़्ज़... भाई पूरा घुसा डालो अपना ये हथियार मेरे अंदर ऊह्ह...” की आवाज करने लगी।
 
बाजी के मुँह से- “आआह्ह... सन्नी मेरे भाई क्यों तड़पा रहे हो प्लीज़्ज़... भाई पूरा घुसा डालो अपना ये हथियार मेरे अंदर ऊह्ह...” की आवाज करने लगी।

मैंने अचानक अपनी पूरी ताकत से झटका लगाया, जिससे मेरा लण्ड बिना किसी दुश्वारी के बाजी की फुद्दी में समा गया।

बाजी के मुँह से लज्जत के मारे- “आअह्ह... सन्नी मेरे भाई... बस इसी तरह मुझे प्यार करते रहना मेरी जान...”

की आवाज करने लगी और मुझे अपनी तरफ खींचकर अपने ऊपर गिरा लिया और मेरे साथ लिपट गई।

बाजी उस वक़्त बहुत ज्यादा हाट हो रही थी और मेरे हर झटके पे नीचे से अपनी गाण्ड उछालती, जिससे हर झटके की रफ़्तार बढ़ जाती और रूम में से बाजी की- “ऊह्ह... भाई उंन्नम्ह सस्स्सी ...” के साथ-साथ थप्प-थप्प की आवाजें भी आने लगी।

मैं बाजी के ऊपर से हट गया, जिससे मेरा लण्ड भी बाजी की फुद्दी से निकल गया। तो बाजी जो कि उस वक़्त पूरा मस्ती में थी फौरन अपनी आँखें खोलकर हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी।

मैंने मुश्कुराते हुये कहा- “बाजी अब आप मेरे ऊपर आ जाओ...”

बाजी ने कोई बात नहीं की और फौरन मेरे लण्ड के ऊपर अपनी फुद्दी को सेट किया और एक ही झटके में नीचे बैठकर मेरा लण्ड अपनी फुद्दी में घुसा लिया, और फिर अपनी कमर को हिलाने लगी, जिससे मेरा लण्ड अपनी बड़ी बहन की फुद्दी में मजे से अंदर-बाहर होने लगा। बाजी पूरी जान से मेरे लण्ड पे उछल रही थी और साथ ही मेरे ऊपर झुक के मुझे किस भी कर लिया करती, और अपनी आँखें बंद किए मजे से- “आअह्ह... भाई आज सही मजा आ रहा है मेरी जान। आज से तुम मेरे भाई कम और शौहर ज्यादा होगे। ऊह्ह... भाई मैं गई। आअह्ह... उम्म्मह भाई...” की एक तेज आवाज के साथ ही बाजी की फुद्दी ने झटका सा खाया।

और फिर मुझे अपने लण्ड पे अपनी बहन की फुद्दी से निकलने वाला गरम लोव-जूस महसूस होने लगा, जिसने मेरा कंट्रोल भी खतम कर दिया और मैं बाजी की गाण्ड को पकड़कर नीचे से तेज-तेज झटके लगाने लगा। इससे पहले कि मेरा पानी बाजी की फुद्दी में ही गिरता, बाजी एक झटके से मेरे ऊपर से हट गई और मेरे लण्ड को पकड़कर मूठ लगाने लगी, और मेरा पानी निकाल दिया।
 
मेरे फारिघ् होते ही बाजी ने मेरा लण्ड छोड़ दिया और मेरे साथ ही लेट गई और बोली- “क्यों भाई, कैसा लगा? मजा आया कि नहीं?"

मैंने बाजी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- “मेरी जान मजा तो बहुत आया लेकिन अब तैयार करके रखो मुरी की चुदाई के लिए.."

बाजी भी हँस दी और बोली- “जनाब आपकी ये रंडी हर वक़्त आपको तैयार मिलेगी आप कोई फिकर ना करो। लेकिन भाई ये तो बताओ कि वहाँ अम्मी और निदा भी होंगे तो ये सब होगा कैसे?”

मैंने कहा- “यार ये टेन्शन तुम्हारी नहीं है मेरी जानू, ये मेरा काम है, और तुम्हारा काम बस मजा लेना और मजा देना है..."

मेरी इस बात पे बाजी हँस दी और बोली- “भाई, अगर मुझे पहले पता होता कि तुम इतने बड़े बहनचोद हो तो मैं किसी और से ना चुदवाती, बल्की तुम्हारी ही अय्याशी करवा देती...” और बाजी की बात पे हम दोनों हँस दिए।

थोड़ी देर तक हम दोनों बहन भाई ऐसे ही एक दूसरे के साथ लिपट के लेटे रहे और बातें करते रहे। फिर बाजी ने मुझे खुद से अलग किया और बोली- “चलो अब निकलो यहाँ से, और जाकर सो जाओ। क्योंकी सुबह तुम्हें कोलेज़ भी जाना है। ये डेली डेली ना जाना नहीं चलेगा, अब समझे तुम?”

मैं बाजी की बात सुनकर हँस दिया और बाजी का चूची दबा दिया और बोला- “लेकिन बाजी, अभी तो मेरा दिल नहीं भरा। अभी एक बार करेंगे। प्लीज़्ज़... बाजी, उसके बाद मैं आपको तंग नहीं करूंगा...”

बाजी ने मेरा हाथ जो उनकी चूचियों को मसल रहा था हटा दिया और बोली- “नहीं भाई, बहुत रात हो गई है।

और अगर सुबह टाइम पे ना उठे तो अम्मी को शक भी हो सकता है। इसलिए अब और नहीं, तुम निकलो यहाँ से..." और साथ ही मुझे बेड से नीचे की तरफ धक्का भी देने लगी।

तो मैं ना चाहते हो भी उठ बैठा और बाजी की तरफ देखते हुये अपने कपड़े पहन लिए और बाजी के रूम से निकलकर अपने रूम में आ गया और बेड पे सोने के लिए लेट गया।

अगली सुबह मैं बाजी के उठाने से जल्दी ही उठ गया और नहाकर नाश्ता किया और कोलेज़ के लिए निकल गया। जहाँ पहुँचते ही मुझे काशी ने पकड़ लिया और एक तरफ को ले गया और बोला- “क्यों जिगर, क्या बना? कुछ बात बनी या अभी तक हाथ से ही काम चला रहे हो?”
 
मैंने काशी से कहा- “नहीं यार, अभी तक तो कुछ नहीं हुआ लेकिन कुछ दिनों के बाद जब हम मुरी जायेंगे तो शायद बात बन ही जाए..."

काशी- मुरी कब जा रहे हो? और कौन-कौन जा रहा है?

मैं- जा तो सब घर वाले ही रहे हैं, और कोलेज़ बंद होते ही निकल जायेंगे।

काशी- चल ठीक है। मैं भी बात करूंगा तेरी बहन से, देखता हूँ क्या है उसके दिमाग में?

मैं- हाँ यार, पता तो चले कि वो क्या सोच रही है?

काशी- चल ठीक है यार। और सुना क्या चल रहा है? और कल क्यों नहीं आया था?

मैं- बस यार सारी रात फेसबुक पे आनलाइन रहा। लेकिन बाजी आनलाइन ही नहीं हुई, जिससे काफी देर में । सोया और सुबह आँख भी देर से खुली तो फिर मैं घर पे ही रुका और कोलेज़ नहीं आया।

काशी- चल ठीक है मैं भी कोशिश करता हूँ और तू भी थोड़ा हिम्म कर, वरना हाथ में पकड़कर हिलाता ही रहेगा।

मैं- क्यों साले, तेरी बहन है ना तब तक उसकी बजायेंगे मिलकर।

काशी- अबे मैंने कब मना किया? लेकिन उसका भी रात से महीना शुरू हो गया है, सो वहाँ से भी छुट्टी 5 दिन के लिए।

मैं- अबे यार, फिर कोई और जुगाड़ कर ना। मेरा क्या होगा?

काशी- “सबर कर बच्चा सबर अच्छा होता है..." और हाहाहाहा करके हँसने लगा।

उसके बाद हम यहाँ वहाँ घूमते रहे और फिर मैं घर गया तो बाजी अकेली ही थी घर में। मैंने अम्मी का पूछा तो बाजी ने कहा अम्मी शापिंग के लिए गई हैं। तो मैंने निदा का पूछा तो बाजी ने हँसते हुये कहा, वो भी। अम्मी के साथ ही गई है। मैंने दरवाजा बंद कर दिया और बाजी को अपनी तरफ खींच लिया।

बाजी ने मुझे रोक दिया और बोली- नहीं भाई, कुछ करना नहीं है।
 
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