vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार - Page 14 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

vasna story अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार

बाथरूम में बाजी के जाते ही मैं भी पीछे ही गया और बोला- “बाजी क्या खयाल है एक साथ ही न नहा लें?”

बाजी ने कहा- पागल, चल निकल यहाँ से अम्मी पहले ही गुस्सा हैं।

मैंने बाजी के पास जाकर उन्हें एक किस किया और बाथरूम में से निकल आया और बेड पे लेट गया, जहाँ अब से कुछ देर पहले बाजी नंगी सोई हुई थी। ये खयाल आते ही मुझे अचानक खयाल आया कि कहीं बाजी और। निदा दोनों ही तो रात को कुछ करती नहीं रही हैं? ये खयाल आते ही मेरा लण्ड फिर से हाई होने लगा कि हो सकता है रात बाजी ने निदा के साथ मस्ती की हो।

कुछ देर मैं अपने इस खयाल में मगन रहा और लण्ड हिला-हिला के मजा लेता रहा, और फिर उठकर बाथरूम की तरफ चल दिया, जहाँ से अब पानी गिरने की आवाज बंद हो चुकी थी। जैसे ही मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला तो बाजी उस वक़्त नहा चुकी थी और ब्रा पहन चुकी थी।

मुझे फिर से दरवाजा पे खड़ा देखकर बाजी ने कहा- “क्यों कामीने, अब क्या और बेइज्जती करवानी है मेरी तुमने अम्मी से?” और इतना बोलते हुये कमीज पहनकर बोली- “भाई अभी अम्मी पूरी तरह दिल से हमारा साथ देने को तैयार नहीं हुई हैं, जरा सबर से काम लो समझे?”

बाजी को इस तरह भीगे बदन गीले बालों में कपड़े पहने मेरे सामने देखना कोई आसान काम नहीं था। दिल तो चाह रहा था कि बाजी को फिर से नंगा करके लण्ड घुसा दूं लेकिन मैं ऐसा कर नहीं सकता था इसीलिए ठंडी 'आअह भरकर रह गया।

मैं वहाँ से पलटा और बाहर आकर बैठ गया और जोर से अम्मी को आवाज दी और बोला- “अम्मी नाश्ता कितनी देर में मिलेगा?

तब अम्मी की जगह निदा बोली- “भाई पहले आप बाजी से इजाजत तो ले लो कि वो आपको नाश्ता देना भी चाहती हैं या नहीं?” और साथ ही हेहेहेहे करने लगी।


मैं थोड़ा हैरान हुआ कि अम्मी की मौजोदगी में ये किस तरह शोख हो रही है? और बोला- निदा अम्मी कहाँ हैं?

निदा ने कहा- “वो जरा करीब की दुकान तक गई हैं अंडे खतम हो गये थे...”

ये जानते ही की अम्मी घर पे नहीं हैं, मैं झट से बोला- “वैसे यार निदा, बाजी की छोड़ो वो तो मुझ गरीब को नाश्ता दे ही देती हैं। लेकिन तुम बताओ कि दोगी या नहीं?”

निदा झट से बोली- “ना बाबा, मैं नहीं देने वाली। बाजी से ही बोलो वो ही देंगी। वैसे अब तो मुझे पता चला है की अम्मी भी दे देती हैं तुम्हें नाश्ता...'
 
निदा की बात से मैं समझ गया कि बाजी ने निदा को ये भी बता दिया है कि अब अम्मी का भी मेरे साथ कुछ चल रहा है, तो मैंने कहा- “यार जब तुम्हें पता है कि बाजी की तरह अम्मी भी मुझे नाश्ता देती हैं, तो तुम्हें । क्या ऐतराज है? तुम भी दे दो। कसम से बड़े प्यार से करूंगा मैं...”

मेरी बात खतम होते ही मुझे फरी बाजी की आवाज सुनाई दी जो कह रही थी- “क्या करना है तुमने निदा के साथ, वो भी प्यार से?”

मैं थोड़ा हड़बड़ा गया और सामने देखा तो बाजी मेरे सामने ही खड़ी हुई थी। बाजी को देखकर मैं हँस दिया और बोला- “कुछ नहीं बाजी। निदा से नाश्ते के लिए बोल रहा था कि कभी-कभी वो भी दे ही दिया करे। कब तक आप और अम्मी मुझे देती रहोगी नाश्ता..." और हल्का सा हँस दिया।

बाजी भी हँस दी और बोली- “क्या अब हमारे नाश्ते से मन भर गया है तुम्हारा, जो निदा से बोल रहे हो?”

मैंने कहा- “अरे नहीं बाजी, आप भी क्या बोलती हो। भला ऐसा हो सकता है क्या?”

अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि अम्मी घर वापिस आ गई और सीधा किचेन में चली गई। तो बाजी भी अम्मी के पीछे ही किचेन की तरफ लपक के गई और नाश्ता तैयार करने में अम्मी का हाथ बटाने लगी।

नाश्ता करने के बाद अम्मी ने फरी से कहा- “क्या तुम अब ठीक हो चलने में, कोई मसला तो नहीं है?”

फरी बाजी ने कहा- “नहीं अम्मी, अब मैं फिट हैं और कोई खास मसला भी नहीं होता है चलने में..."

अम्मी ने कहा- “तो फिर चलो बाजार से कुछ समान लाना है घर के लिए?”

अम्मी और फरी बाजी बाजार के लिए निकल गई तो मैं समझ गया कि अम्मी फरी बाजी से जरा खुले माहौल में बात करना चाह रही हैं, क्योंकी अब अम्मी अकेली तो नहीं थी जो जहाँ मर्जी आई मजा कर लेती थी। अब उनकी बड़ी बेटी भी उनकी तरह ही चुदक्कड़ निकली थी, इसीलिए अम्मी चाह रही थी कि क्यों ना फरी से इस बारे में बात कर ही ली जाए, ताकी बाद में कोई परेशानी ना रहे।
 
खैर, अम्मी और बाजी के जाने के बाद निदा जो कि बर्तन उठाकर किचेन में ले गई थी और अब बर्तन धो रही। थी और उस वक़्त घर में क्योंकी मेरे इलावा निदा ही थी तो मैंने सोचा क्यों ना आज निदा पे भी ट्राई मारी जाए कि वो क्या चाहती है? ये सोचते हुये मैं उठा और किचेन में चला गया, जहाँ निदा बर्तन धो रही थी और बर्तन धोते हुये हिल भी रही थी।

निदा के इस तरह हिलने से उसकी गाण्ड बड़ा ही प्यारा नजारा दे रही थी। इसलिए मैं वहीं रुक गया और अपनी छोटी बहन की गाण्ड को बड़े प्यार से देखकर निहारने लगा। तभी निदा को भी एहसास हुआ कि कोई किचेन में आया है, इसी एहसास के साथ जब उसने मुड़कर देखा तो मुझे अपनी गाण्ड की तरफ घूरता पाकर एकदम से मेरी तरफ घूम गई और बोली- भाई क्या चल रहा है?

मैं- कऽकुछ नहीं यार वो... वो बस घर में कोई भी नहीं है ना तो सोचा कि क्यों ना तुमसे ही गप्प-शप लगा हूँ बस ये सोचकर ही यहाँ आया हूँ।

निदा शरारती स्टाइल में- वो तो ठीक है लेकिन ये तुम कब से यहाँ खड़े हो? और मुझे पीछे से घूर क्यों रहे थे?

मैं- अरे अभी आया हूँ और क्या मैं अपनी छोटी प्यारी सी बहन को देख भी नहीं सकता हूँ?

निदा- मुझे पता है आप किन चक्करों में हो? लेकिन मैं बता रही हूँ आपको अभी से ही कि यहाँ तुम्हारी दाल गलने वाली नहीं है। फरी बाजी के साथ अब अम्मी भी हैं उन्हें देखा करो ऐसे।

मैं- अच्छा जी भला कैसे देखता हूँ मैं अम्मी को और फरी बाजी को?

निदा- भाई अभी आप जाओ यहाँ से, मुझे काम करने दो। बाद में बात कर लेना जब मैं फ्री होऊँगी।

मैं- “अच्छा बाबा मैं ही चला जाता हैं। क्योंकी अगर मैं कुछ देर और रुका तो तुम कुछ और इल्ज़ाम भी लगा दोगी मुझे पे..." और हँसता हुआ किचेन से रूम में आ गया।
 
थोड़ी देर के बाद निदा भी रूम में आ गई और बोली- “जी भाई अब बोलो क्या बात करनी थी आपने?”

मैं- यार कुछ खास नहीं, बस दिल चाह रहा था कि किसी चुडैल से बात करूं तो तुम्हारा खयाल आ गया।

निदा- चलो भाई मैं चुडैल ही भली। इसीलिए आपसे अब तक बची हुई हूँ, वरना तुम्हारा क्या पता कि कब से आँख रखे हुये हो।

मैं- आअहह... निदा बेबी कितनी खुशफहमी है ना तुम्हें कि मैं तुमपे भी लाइन मारता हूँ। तो सारी ऐसा बिल्कुल नहीं है।

निदा- क्यों भाई क्या फरी बाजी मुझसे ज्यादा खूबसूरात हैं या अम्मी?

मैं निदा की बात से चौंक गया और उसके चेहरा की तरफ देखा तो जाना के निदा की आँखों में मेरी बात से । हल्के आँसू आ गये थे। निदा की हालत देखकर मैंने फौरन कहा- “बात ये है ना बेबी कि तुम जितनी प्यारी हो। उतनी ही नाजुक भी। इसीलिए मैं नहीं चाहता कि मैं तुम्हारे साथ कुछ ऐसा वैसा करूं जो तुम्हें नापसंद हो अब समझी तुम?”

निदा मेरी बात सुनकर हल्का सा मुश्कुरा उठी और बोली- “अच्छा जी, तुम तो कह रहे थे कि मुझ पे नजर नहीं रखते, लेकिन अब कुछ और बोल रहे हो...”

मैं- हाँ बाबा नहीं रखता नजर, जाओ जो करना है कर लो।

निदा- भाई एक बात पूछू आपसे?

मैं- हाँ पूछो क्या पूछना है?

निदा- भाई आपने कभी सोचा है कि बाजी को इस तरह इस्तेमाल करने के बाद उनका भविष्य क्या होगा? क्या उनकी शादी हो पाएगी कभी?

मैं- “मेरी जान सब होगा और फरी बाजी की शादी भी होगी और उन्हें कोई परेशानी भी नहीं होगी। क्योंकी बाजी की शादी मैं अपने दोस्त काशी से करवा दूंगा। एक तो ये कि काशी ही वो पहला इंसान है, जिसने बाजी के साथ किया था पहली बार, और दूसरा वो भी अपनी बहन के साथ करता है, इसलिए वो मुझे मना नहीं करेगा और ना ही बाजी के साथ कोई पंगा करेगा...”
 
निदा- अच्छा जी तो क्या आपने भी उसकी बहन के साथ किया है?

मैं- क्यों बाजी ने तुम्हें नहीं बताया?

निदा- बाजी ने तो और भी बहुत कुछ बताया है। लेकिन आप ये जो आजकल मेरे पीछे पड़े हुये हो उसका क्या?

मैं- सोच रहा हूँ लेकिन सोचने से भला क्या होता है? जब तक सामने से कोई रेस्पोन्स ना मिले।

निदा- “मिलेगा भी नहीं मुँह धो रखो अपना..." और हेहेहेहे करती उठकर भाग गई।

निदा के जाने के बाद में सोच में पड़ गया कि अब इसका करूं भी तो क्या करूं? क्योंकी निदा की बातों से साफ लग रहा था कि वो तैयार है, लेकिन इस बात से डरती है कि बाद में शादी के वक़्त अगर उसके शौहर ने उसे कुँवारी ना पाकर तलाक दे दी तो वो कहीं मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी।

अम्मी और फरी बाजी भी आ गये तो मैंने अंकल को काल की और बोला- क्या प्रोग्राम है अंकल जी आज का?

अंकल ने कहा- “यार अभी आ जाओ मैंने कौन सा मना करना है?”

मैं भी हँस दिया और बोला- “अंकल ये तो बताओ कि इरम कब आ रही है?”

अंकल ने कहा- “हाँ यार, ये अच्छा किया तुमने याद दिला दिया। अभी इरम भी आ रही एक घंटे तक उसे भी लेने जाना है...”

मैंने कहा- “चलो ये भी अच्छा ही है। वैसे अब इम के आने के बाद क्या प्रोग्राम है?”

अंकल ने कहा- “यार अभी तुम उसे जानते नहीं हो। बस आते ही उसने बोलना है कि पापा जल्दी से घुसा दो। फिर सुनूंगी..”

मैंने कहा- “तो फिर आज का प्रोग्राम क्या होगा?”

अंकल ने कहा- “यार जब इरम को लेकर आऊँगा तो तुम्हें बता दूंगा, तुम आ जाना 15 मिनट रुक के। और फिर जब आओगे तो दरवाजा खुला मिलेगा। उसे लाक करके मेरे रूम में आ जाना। बाकी मैं देख लूंगा, और हाँ अपनी अम्मी को मना कर देना आज के लिए..."

मैंने ओके कहा और काल कट कर दी, और खुश हो गया। क्योंकी आज एक और फुद्दी मिलने वाली थी, वो भी अंकल की जवान बेटी की।

मैंने अम्मी को रूम में बुलाया और अंकल के साथ हुई बात बताई तो अम्मी ने मेरे गाल पे चुटकी काटते हुये कहा- “चल ठीक है, आज अपने अंकल सफदर के साथ मिलकर उसकी बेटी का मजा भी ले लो, बड़ी गरम लड़की है। जरा खयाल से कहीं मेरा बेटा ही ना छीन ले मुझसे...”

मैं अम्मी की बात सुनकर मुश्कुरा दिया और बोला- “नहीं अम्मी, ऐसा कुछ नहीं होगा। आपका बेटा जहाँ मर्जी मुँह मारता रहे, आएगा तो आपके पास ही ना... कब तक बाहर मुँह मारूंगा? आखिरकार, घर का खाना खींच ही लाता है..."
 
मैंने अम्मी को रूम में बुलाया और अंकल के साथ हुई बात बताई तो अम्मी ने मेरे गाल पे चुटकी काटते हुये कहा- “चल ठीक है, आज अपने अंकल सफदर के साथ मिलकर उसकी बेटी का मजा भी ले लो, बड़ी गरम लड़की है। जरा खयाल से कहीं मेरा बेटा ही ना छीन ले मुझसे...”

मैं अम्मी की बात सुनकर मुश्कुरा दिया और बोला- “नहीं अम्मी, ऐसा कुछ नहीं होगा। आपका बेटा जहाँ मर्जी मुँह मारता रहे, आएगा तो आपके पास ही ना... कब तक बाहर मुँह मारूंगा? आखिरकार, घर का खाना खींच ही लाता है..."

अम्मी भी हँस दी और बोली- “हाँ जानती हूँ कि तू मेरे लिए आए या ना आए? अपनी बड़ी बहन फरी के लिए तो जरूर आएगा। वैसे सन्नी बेटा एक बात पूछू तुमसे, बुरा तो नहीं मानोगे मेरी बात का?”

मैं- क्यों अम्मीजान ऐसी भला कौन सी बात अब रह गई है कि आप मुझसे पूछो और मैं बुरा मान जाऊँ?

अम्मी- बेटा वो मैं ये पूछना चाह रही थी कि जब निदा को तुम और फरी सब बता ही चुके हो तो क्या कभी तुम्हारे दिल में खयाल नहीं आया कि अपनी अम्मी या बड़ी बहन की तरह उसके साथ भी करो?

मैं- अम्मी सच्ची बात तो ये है कि मेरा दिल तो बहत करता है। लेकिन मैं कुछ भी उसकी मर्जी के बिना नहीं करना चाहता कि जिससे निदा का मेरे ऊपर बना विस्वास खतम हो जाए।

अम्मी- अच्छा जी, तो मेरा शेर अब घर में बची हुई आखिरी कली को भी फूल बना लेना चाहता है?

मैं- अम्मी अगर आपको अच्छा नहीं लगा तो बता दो? मैं कभी निदा की तरफ ऐसी निगाह से देखूगा भी नहीं। लेकिन साथ ही आपको ये गुरंटी भी देना होगी कि निदा घर में ये सब कुछ होता देखकर कहीं बाहर जाकर अपनी आग नहीं बुझाएगी तो मेरा भी आप से वादा है कि मैं उसकी तरफ कभी बुरी नजर से देखना तो बाद की बात है सोचूंगा भी नहीं।

अम्मी- नहीं बेटा, असल बात ये है कि मैं चाहती हूँ कि जब निदा सब देख रही है लेकिन नाराज होने की बजाये हमें खुली इजाजत दे रही है कि हम जो चाहें कर सकते हैं, तो क्यों ना उसे भी कली से फूल बना दिया जाए? बेचारी कब तक अपनी आग में जलती रहेगी? वैसे भी इस तरह हमारा सारा डर जो कि निदा की तरफ से बना हुआ है, खतम हो जाएगा।

अभी मैंने अम्मी को कोई जवाब भी नहीं दिया था कि मेरे मोबाइल की एस.एम.एस. टोन बज उठी। मैंने देखा तो सफदर अंकल का एस.एम.एस. था जो कि मुझे 5 मिनट तक आने को बोल रहे थे। मैंने अम्मी को एस.एम.एस. दिखाया।

तो अम्मी हँसते हुये बोली- “चल जा मजे कर। लेकिन जो मैंने कहा है सोचना जरूर?”
 
मैंने ओके कहा और घर से निकलकर सफदर अंकल के घर की तरफ चल दिया। अंकल ने वादे के मुताबिक बाहर का दरवाजा लाक नहीं किया था, लेकिन बंद किया हुआ था, जो कि मेरे जरा सा दबाने से आराम से खुल गया। तो मैं बिना आवाज किए अंदर चला गया। दरवाजे को अपने पीछे लाक करके आगे बढ़ा और अंकल के बेडरूम में जा पहुँचा, जिसका दरवाजा पूरा खुला था।

दरवाजे पे पहुँचते ही मुझे काफी जोर का झटका लगा, क्योंकी रूम में सफदर अंकल पूरे नंगे होकर अपनी सगी बेटी की टाँगों के बीच खड़े हुये थे और इरम को बेड पे लिटाकर अपना लण्ड उसकी फुद्दी में घुसाए चोद रहे थे। मुझे रूम के दरवाजा पे खड़ा देखकर इरम पहले तो चकित रह गई, लेकिन जब अंकल ने मुझे देखकर मुश्कुराते हुये कहा- “अरे सन्नी तुम कैसे आ गये यार?”

मैंने कहा- “बस अंकल अम्मी ने भेजा था कि आज का पूछ आऊँ क्या प्रोग्राम है? लेकिन यहाँ तो कुछ स्पेशल शो ही चल रहा है...”

मेरी बात सुनकर अंकल हँस दिए और बोले- “यार तेरी माँ को रात में देख लेंगे। अभी आ ही गये हो तो वहाँ क्यों खड़े हो? आ जाओ मिलकर मजा लेते हैं...”

अंकल की बात सुनकर इरम जो कि अभी तक अपने बाप का लण्ड फुद्दी में लिए आराम से लेटी हुई थी मेरी तरफ देखकर मुश्कुराने लगी। अंकल की बात सुनकर मैं हँस दिया और बोला- “जरूर आऊँगा। लेकिन पहले इम बाजी से तो पूछ लें कि उन्हें तो मेरे आने पे कोई ऐतराज तो नहीं है ना?”

तभी इरम बाजी ने कहा- “सन्नी मुझे ऐतराज तो नहीं है लेकिन खुशी जरूर है कि तुम भी हमारी तरह सिर्फ मजा करने पर विस्वास करने वाले निकले। अब ज्यादा नखरे ना करो और ये कपड़े निकालकर एक तरफ फेंक के आ जाओ यहाँ..."

मैंने झट से अपने कपड़े उतारकर फेंके और बेड पे जा चढ़ा। तब इम जरा सा पीछे को हो गई, जिससे अंकल का लण्ड उसकी फुद्दी में से निकल गया, तो वो उठकर बैठ गई और मेरे पूरा तने हुये लण्ड को देखते हुये। घुटनों के बल बैठ गई और फिर मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर सहलाते हुये मेरी तरफ देखकर मुश्कुराते हुये बोली- “वैसे सन्नी कमाल का हथियार है तुम्हारा?” और इतना बोलते हुये एक चुम्मा मेरे लण्ड की टोपी पे देकर हँसी और फिर अपने दोनों हाथ मेरी गाण्ड की तरफ घुमाकर मेरी गाण्ड पे रखे और अपना मुँह पूरा खोलकर मेरे लण्ड के सुपाड़े कप को मुँह में भरकर चूसने लगी।

इम के लण्ड चूसने के अंदाज से मुझे शक हो रहा था कि कहीं इरम काल-गर्ल तो नहीं बन गई है? इसीलिए मैंने उसके सिर पे हाथ रखकर अपने लण्ड की तरफ दबाते हुये कहा- “अंकल देखो तो जरा किस तरह गश्ती के जैसे लण्ड चूस रही है? कहीं आपकी बेटी कोई काल-गर्ल तो नहीं बन गई?”
 
मेरी बात सुनकर इरम ने झट से मेरा लण्ड मुँह से निकाला और मुझे घूरते हुये बोली- “ज्यादा बातें नहीं मिस्टर। अगर मैं काल-गर्ल हूँ भी तो तुम्हें क्या मसला है? तुम कौन सा पैसे दे रहे हो मुझे? वैसे भी मैं ये काम पैसों के लिए कभी नहीं करती, बल्की अपनी मजे के लिए और अपनी पसंद के आदमी से करती हूँ और पापा को पता है इस बारे में...”

अबकी बार मैंने कोई जवाब नहीं दिया और उसका सिर अपने लण्ड की तरफ दबाया तो अंकल समझ गये कि मैं फिर से लण्ड चुसवाना चाह रहा हूँ, तो अंकल ने कहा- “यार इसे लिटा दो ताकी दोनों मिलकर मजा कर सकें..."

इम अबकी बार अपने बाप की तरफ देखकर मुश्कुराई और बेड पे सीधी लेट गई और अपनी टांगें मोड़ लीं, जिससे उसकी फुद्दी उसके सगे बाप के सामने खुल गई।

अब मैं उसके चेहरे के पास हो गया और अपना लण्ड उसके होंठों पे लगाया तो इरम मुश्कुरा दी और मेरे लण्ड को चूमते हुये बोली- “वैसे सन्नी तुम्हारे लिए ओफर दे रही हूँ की तुम जब चाहो मेरे साथ एंजाय कर सकते हो। वैसे भी सलमा आंटी काफी बूढ़ी हो चुकी हैं, अब उनमें क्या मजा आता होगा तुम्हें?”

मैंने उसके मुँह में अपना लण्ड घुसाते हुये कहा- “अभी तुम्हें चोदा ही कहाँ है जा-ए-मन जो तुम ओफर दे रही हो? अभी तो देखना है कि तुम मुझे झेल भी सकती हो कि नहीं?" लेकिन सच ये था कि उस वक़्त मुझे एक अजीब सी नफरत महसूस होने लगी थी इरम से, पता नहीं क्यों वो अपने आपको मेरे सामने कुछ ज्यादा ही पोज कर रही थी जो कि मुझे अच्छा नहीं लगा।

इम मेरी बात सुनकर मेरे लण्ड को हाथ में पकड़कर उसपे जुबान घुमाने लगी और मेरी तरफ देखकर हल्काहल्का मुश्कुराने लगी लेकिन मैं कुछ नहीं बोला बस देखता रहा कि वो करना क्या चाहती है?

लेकिन तभी अंकल ने जो कि अभी तक इरम को पैरों से चाट रहे थे उठे और बोले- “इम बेटी चलो अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ...”

इरम बेड से उठी तो सफदर अंकल उसकी जगह लेट गये और इरम उनके ऊपर मेरी तरफ मुँह करके अपनी फुद्दी में अपने बाप का लण्ड सेट करते हुये बैठ गई, जिससे सफदर अंकल का पूरा लण्ड बड़े आराम से इम की फुद्दी को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया।

मैं क्योंकी सफदर अंकल के पैरों की तरफ था और इरम भी मेरी तरफ ही मुँह करके बैठी थी तो अब इरम मेरे लण्ड की तरफ झुकी और उसे हाथ में पकड़कर मुँह में डालकर चूसने लगी और सफदर अंकल नीचे से अपनी बेटी की गाण्ड को पकड़कर ऊपर नीचे को दबाने में लग गये।

मैं देख रहा था के सफदर अंकल का इतना तगड़ा लण्ड लेने से भी उसे जरा भी मुश्किल नहीं हुई थी, बल्की वो बड़े मजे से मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने में लगी हुई थी, जो कि मुझे हैरान किए जा रहा था।

अब मैंने ज्यादा हैरान ना होते हुये एंजाय करने का फैसला किया और इरम के बाल पकड़कर उसका सिर अपने लण्ड की तरफ जोर से दबा दिया, जिससे मेरा लण्ड काफी ज्यादा इरम के मुँह में गले तक जा घुसा, तो इरम जैसे तड़पकर अपने आपको मुझसे छुड़ाने लगी। लेकिन अब ये आसान नहीं था, क्योंकी मैंने अपनी पकड़ उसपे काफी टाइट कर दी थी और खुद उसके बाल और सिर को जकड़कर अपना लण्ड उसके मुँह में अंदर-बाहर करने लगा जिससे इरम के मुँह में से- “गॅन्-गॅन् ओउन्...” की आवाज निकलने लगी, लेकिन मैंने नहीं छोड़ा।


मैं देख रहा था कि मुँह में मेरा लण्ड उसके गले तक जाकर टकराता था और नीचे से उसका बाप अपनी पूरी। जान लगाकर उसकी गाण्ड को अपने लण्ड पे ऊपर नीचे कर रहा था। इन दो तरफा हमलों ने इरम को बौखला दिया था। मेरे लण्ड की वजह से उसे सांस लाने में भी मुश्किल हो रही थी, और आँखों में से आँसू भी निकल रहे। थे। लेकिन हम दोनों पे इस बात का कोई असर नहीं हो रहा था।
 
मैं देख रहा था कि मुँह में मेरा लण्ड उसके गले तक जाकर टकराता था और नीचे से उसका बाप अपनी पूरी। जान लगाकर उसकी गाण्ड को अपने लण्ड पे ऊपर नीचे कर रहा था। इन दो तरफा हमलों ने इरम को बौखला दिया था। मेरे लण्ड की वजह से उसे सांस लाने में भी मुश्किल हो रही थी, और आँखों में से आँसू भी निकल रहे। थे। लेकिन हम दोनों पे इस बात का कोई असर नहीं हो रहा था।

जब मैंने देखा कि इरम का चेहरा सांस रुकने और दर्द से लाल पड़ता जा रहा है तो मैंने उसके मुँह में से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और बोला- “साली क्या हुआ अभी से ये हाल है तेरा? अभी तो मैंने तेरे मुँह में ही डाला है बस... जब तेरी फुद्दी में घुसाऊँगा तब तेरा क्या होगा?”

इरम बस अपने पापा के लण्ड पे बैठी उनके घुटनों पे हाथ रखे चुदवाती रही और सांस ठीक करती रही, लेकिन बोली कुछ नहीं। तो मैंने फिर से उसका सिर पकड़ लिया और अपना लण्ड इरम के मुँह में घुसाने लगा।

तब इरम ने जोर लगाकर अपना मुँह घुमा लिया और बोली- “क्यों माँ चुदवा रहे हो सन्नी? मेरे साथ कौन सी दुश्मनी निकाल रहे हो तुम? कोई ऐसे भी करता है सेक्स? जो भी करना है आराम से करो, मैंने कोई मना किया है तुम्हें जो तुम इस तरह जबरदस्ती कर रहे हो?”

इरम की बात सुनकर मैं हँस दिया और बोला- “इम जान क्या करूं? मुझे ऐसे ही मजा आता है, आराम-आराम से कोई सेक्स का मजा थोड़ा ही आता है। जो मजा जबरदस्ती में मिलता है, वो तैयार फुदद्दी में लण्ड घुसाने से नहीं आता, इसलिए तुम्हें आज तो जबरदस्ती का मजा भी लेना ही पड़ेगा...”

कुछ देर तक इरम मुझे घूरती रही। फिर सफदर अंकल के लण्ड से उतर गई और बोली- “ठीक है तो फिर आ जाओ देखती हूँ कि तुम्हारे लण्ड में कितना दम है?” और बेड पे अपनी टांगें फैलाकर लेट गई।

अब मैंने सफदर अंकल की तरफ देखा जो कि मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा रहे थे। मुझे अपनी तरफ देखता हुआ पाकर बोले- “मेरी ख्वाहिश है कि तुम ही जीतो, क्योंकी मैं तो आज तक इस कुतिया की बच्ची के मुँह से आवाज भी नहीं निकलवा सका, सिवाए फर्स्ट टाइम के जब इसकी सील तोड़ी थी...”


मैं सफदर अंकल की बात सुनकर हँस दिया और बोला- “बस तो फिर अंकल आज आप अपनी बेटी के चिल्लाने की आवाज भी सुन ही लो..." और एक तरफ से इरम की पड़ी शर्ट उठा ली और अच्छी तरह से उसकी फुद्दी को रगड़-रगड़ के अंदर तक साफ किया, जिससे इरम की फुद्दी खुश्क हो गई। लेकिन मेरा लण्ड हल्का-हल्का गीला था इरम के थूक की वजह से। उसके बाद मैंने खुद को इरम की फुद्दी के सामने रानों के बीच सेट किया और अपना लण्ड इरम की फुद्दी के छेद पे रखा और इरम की तरफ देखकर मुश्कुराते हुया अचानक पूरी जान लगाकर झटका मारा।
 
इस तरह झटका मारने से मेरा पूरा लण्ड तो नहीं गया, क्योंकी इरम की फुद्दी को मैं अच्छी तरह खुश्क कर चुका था। लेकिन मेरा 4" से ज्यादा लण्ड इरम की फुद्दी में घुस गया। लण्ड के घुसते ही इरम के मुँह से ‘ससीईई की बैसाख्ता आवाज निकल गई, तो मैंने अबकी बार हल्का सा लण्ड निकालकर फिर से जानदार झटका मार दिया तो मेरा पूरा 7.4” लण्ड इरम की फुद्दी में उतर गया। लेकिन अबकी बार इरम के मुँह से कोई भी आवाज नहीं निकली, बस इम अपनी आँखों को बंद किए अपने होंठ चबाती रही।

मैंने इसी तरह दो-तीन बार पूरी ताकत के झटके मारे, तो मेरा लण्ड इरम की फुद्दी के पानी से पूरी तरह गीला होकर आसानी से अंदर-बाहर होने लगा, तो मैंने अपना लण्ड फिर से बाहर निकाल लिया और कपड़े से अच्छी
तरह अंदर तक इरम की फुद्दी को खुश्क करके लण्ड को तेज झटके से पूरा घुसा दिया।

लेकिन इस बार इरम के साथ-साथ मेरे मुँह से भी ‘सस्सीईई' की आवाज निकल गई और इरम बोली- “ससीईई सन्नीऽs क्यों कर रहे हो ऐसे? प्लिज़्ज़... मत करो बहुत जलन हो रही है ऊऊहह... सन्नी हरमी मेरे साथ-साथ तेरा लण्ड भी छिल जाएगा..."

लेकिन मैं अब बिना परवाह किए उसकी टाँगों को पूरा उसके कंधों की तरफ दबाकर लण्ड को बाहर निकालता और फिर अपने पूरे वजन के साथ इरम के ऊपर गिरा देता, जिससे थप्प-थप्प की आवाज के साथ-साथ इरम के मुँह में से- “आऐईयईई पापा प्लीज़्ज़... इसे रोको उउफफ्फ़... मेरी फुद्दी अंदर से छिल गई है हरामी की औलाद मत कर ऐसे ऊऊह्ह...” की आवाज करने लगी।

इरम के मुंह से निकलने वाली आवाजें सुनकर सफदर अंकल मेरी गाण्ड को सहलाने लगे और बोले- “हाँ सन्नी, आज मजा आ रहा है इस कुतिया के इस तरह चिल्लाने से, वरना जब भी मुझसे चुदवाती है साली किसी मुर्दा लाश की तरह पड़ी रहती है, जिससे सारा मजा ही खराब हो जाता है...”

सफदर अंकल की बात सुनकर मैं और भी ज्यादा जोर लगाते हुये बोला- “अंकल आज के बाद जब भी इस कुतिया को चोदो, इसकी फुद्दी का सारा पानी निकालकर खुश्क कर दो, उसके बाद देखना कैसे चिल्लाती है...”

कोई 3-4 मिनट के बाद अचानक इरम का जिम अकड़ने लगा और वो मेरे साथ लिपटने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसकी चूचियों पे हाथ रखकर उसे फिर से नीचे दबा दिया।

तब इरम “आअहह... सन्नी प्लीज़... मेरी जान मेरे सीने से लग जाओ उफफ्फ़... जानू मैं झड़ने वाली हँन् ऊऊहह सन्नी कुत्ते क्यों जलील कर रहा है मुझे बहनचोद गान्डू...” की तेज आवाज के साथ ही इरम का पूरा जिम एक बार अकड़ा और फिर हल्का-हल्का काँपने लगा जिसके बाद उसकी फुद्दी में पानी का तेज सैलाब सा आ गया।
 
Back
Top