hotaks444
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शाम तक ऐसे ही काम करने के बाद अरुण अंदर जाके सीधे बाथरूम मे घुस गया. उसकी टीशर्ट धूप मे काम करने के कारण पसीने से भीग कर उसके बदन से चिपकी हुई थी. वो शर्ट उतार ही रहा था कि पीछे हलचल हुई तो उसने मुड़कर देखा. स्नेहा खड़ी थी सामने. उसे देखकर वो सॉरी कहने लगी.
"लेट मी हेल्प," ये कहकर, वो आगे बढ़ी और टीशर्ट के अंदर हाथ डाल दिए.
दोनो की आँखे एक दूसरे से जुड़ गयी और अरुण हाथ उपर करके टीशर्ट को उतारने मे मदद करने लगा. स्नेहा ने टीशर्ट उतार कर पीछे फेक दी और उसके बदन पर दोबारा हाथ फेरने लगी.
"अगर तूने इसे अभी नही चोदा, तो मैं तेरी गान्ड मार लूँगा." अरुण ने दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा
स्नेहा अपने हाथ को उसके कंधे तक ले गयी फिर वहाँ से गर्दन को छूती हुई पेट तक आई और पेट पर पसीने से भीगी उंगलियाँ चलाने लगी. उसके हाथ जीन्स के किनारे आकर रुक गये.
"मुझे लगता है, अब ये रूम हम दोनो के लिए ख़तरा बनता जा रहा है..क्यूँ?" उसने चंचल आँखो से कहा.
"इसे पता नही है कि हम इसके लिए कितना बड़ा ख़तरा हैं. यार, अगर मैं डाइरेक्ट इससे बात कर पाता तो..." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा
"ष्ह्ह्ह" अरुण ने मन मे सोचा.
स्नेहा ने कमर के पीछे हाथ लेजा कर उसे अपने पास खीच लिया. फिर नज़रें उठाकर उसे देखते हुए अपने पंजो पर खड़ी होती चली गयी और साथ मे उसकी आँखे बंद होती गयी. दोनो के होठ मिलते ही जीभ भी एक दूसरे के मूह मे घुसती चली गयी.
किस करते करते अरुण बड़े प्यार से उसकी पीठ के साथ साथ उसके चुतड़ों को सहलाने लगा. स्नेहा उसकी बाहों मे समाई हुई अपनी सिसकियों को उसके मूह मे डालने लगी. स्नेहा ने किस तोड़कर अरुण के होठों को अपनी गर्दन से लेकर कानो तक जाते महसूस किया.
"लाओ.." स्नेहा अपने हाथो से जीन्स को खोलते हुए कहने लगी.."इसे उतारने मे मुझे हेल्प करने दो फिर तुम आराम से नहा लेना."
"जल्दी निकाल, जल्दी, शवर जाए भाड़ मे. तू बस पॅंट निकाल." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए कहा
स्नेहा ने अपने होत काटते हुए उसकी पॅंट के बटन खोले और चैन खोलकर अंडरवेर सहित नीचे कर दिया.
"अगर इस वक़्त कुछ भी अच्छा नही हुआ, तो मेरा इस दुनिया से भरोसा उठ जाएगा."अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
अरुण स्नेहा की ये हरकत देखकर मुस्कुराए बिना ना रह स्का.
"उसस्श, इनको उतारना कितना मुश्किल काम है" स्नेहा मज़ाक मे अरुण से बोली.
अरुण अपने लंड के सीधे खड़े होते ही मुस्कुराते हुए स्नेहा की ओर देखने लगा. तब तक पॅंट उसके पैरो मे पड़ी हुई थी.
"ओह यॅ, नाउ वी आर रेडी. कम आंड सक इट बेब." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा
स्नेहा नीचे से खड़ी हुई. "अब मैं जा रही हूँ, किचन मे कुछ काम है," उसने आँख मार कहा और दरवाजे की तरफ मुड़ने लगी.
"व्हाट...? फक...रोक उसे चूतिए." उस आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे झल्ला कर कहा
अरुण ने एक पल सोचा. "दी, आप बहुत बुरी हो," ये कहते हुए उसने पीछे से स्नेहा को अपने बाहों के घेरे मे जकड लिया. उसका नंगा खड़ा लंड स्नेहा के चुतड़ों से टकराए जा रहा था. अरुण के हाथ उसको दरवाजे से सटाते हुए दूधों को दबाने मे व्यस्त हो गये. "अगर आप इतनी स्वीट ना होती तो अब तक मैं आपके कपड़े निकाल कर अपनी मनमानी कर चुका होता."
"तो कर ना, रोका किसने है. वो तो खुद यही चाहती है." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने झल्लाते हुए कहा
स्नेहा की हँसी छूट गयी, फिर उसने साँस लेकर कहा.."मेरा दिल का एक हिस्सा भी यही कह रहा है कि तुम वही करो जो तुम्हारा मन हो," फिर वो वापस अपनी गान्ड को उसके लंड पर दबाने लगी. उसके हाथ काँपते हुए उसके लंड पर आकर थम गये, फिर उन्ही काँपते हाथों से वो लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी.
"देखा...ओह यअहह..अब बस यही करती रहे तो मज़ा आ जाए.." आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए अरुण से कहा
"ओह गॉड, इट फील्स सो गुड," स्नेहा सुबह के किस्से याद करके बोली.
"इसको आगे की झुका दे." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अधीर होते हुए कहा
अरुण समझ गया कि और देर हुई तो वो फिर खुद को और ना ही स्नेहा खुद को कंट्रोल कर पाएगी तो वो उसके पास से धीरे से पीछे हट गया.
"हॅट्ट, ये क्या चूतियापा है. भोसड़ी वाले. इस बार थप्पड़ की जगह लंड पर मुक्का मरवाउन्गा भोसड़ी के." अरुण के दिमाग़ मे गुस्से से भारी आवाज़ ने कहा
"यार एक बार तो मेरा भरोसा कर लो. ऐसा कभी हुआ है मैने तुम्हारी इज़्ज़त ना रखी हो." अरुण ने सोचा.
"यू मस्ट बी जोकिंग, राइट? हमेशा मेरी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ाई है तूने. जब भी मैने कुछ करने को कहा तूने मुझे इग्नोर कर दिया." आवाज़ ने गुस्से मे कहा
अरुण ने आवाज़ को इग्नोर कर दिया और स्नेहा को देखने लगा सो अपने सिर को दरवाजे से टेककर लंबी लंबी सासें ले रही थी. कुछ देर बाद उसने धीरे से आँखें खोली, तो अरुण शवर ऑन करने जा रहा था.
"ठंडा पानी यूज़ करना, आज कुछ ज़्यादा ही गर्मी है हमारे घर मे" वो लगातार उसके लंड की तरफ देखते हुए बोली. अरुण उसकी इस अदा को देखकर हँसे बिना नही रह स्का. उसे विस्वास नही हो रहा था कि दो तीन दिन मे ही स्नेहा इतना कैसे बदल गयी.
यही सोचते सोचते वो शवर के नीचे खड़े होकर ठंडे पानी का मज़ा लेने लगा. तब तक स्नेहा दरवाजा बंद करके बाहर चली गयी थी.
"मादरचोद, मैने सोचा था कि हम दोनो दोस्त हैं. लेकिन साले तूने मेरी एक भी बात नही मानी. चूत चुदने को तय्यार खड़ी थी फिर भी तूने छोड़ दी." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने गुस्से से अरुण को गली देते हुए कहा
"चिलेक्स यार, देखो मैं दी के साथ जल्दबाज़ी नही करना चाहता. ये सब बिल्कुल नया है उनके लिए. जिंदगी मे पहली बार उनके साथ ये सब हो रहा है. और तूने आज सुबह देखा ना जिंदगी का पहला ऑर्गॅज़म हुआ था उन्हे. अब ऐसे मे अगर मैं जल्दबाज़ी करूँगा तो उन्हे लग सकता है कि मैं सिर्फ़ उनसे सेक्स करना चाहता हूँ. ऐसा थोड़ी ना है, आइ वॉंट हर टू बी हॅपी. मैं उनको खुश देखना चाहता हूँ. सो वी'ल्ल टेक इट स्लोली. तू बस मुझपे भरोसा रख."
"ओके. जब तू इस तरीके से कह रहा है तो सही लग रहा है. फिर भी यार बहुत हॉर्नी फील कर रहा हूँ." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे कहा
"मी टू, बडी." अरुण ने अपने मन मे कहा
उसके कुछ देर बाद अरुण अपने रूम मे जाकर कपड़े चेंज करके सोफे पर आकर बैठ गया. कुछ ही देर हुई थी कि वॉशरूम से सुप्रिया की आवाज़ सुनाई दी तो वहाँ जाके उसने अंदर झाँका तो सुप्रिया मशीन मे कपड़े डाल रही थी.
उसे देख कर उसने उपर शेल्व्स पर नज़र घुमा के पूछा.."हेल्प प्लीज़." अरुण ने देखा कि पास मे स्टूल है जिससे वो आसानी से वहाँ तक पहुच सकती है लेकिन यूज़ नही कर रही, खैर.
वो हाथ उपर करके डिटरजेंट्स को उपर से उतारने लगा तो सुप्रिया के हाथ उसके पेट से होते हुए बॉक्सर्स मे पहुच गये और उसने लंड को अपने हाथो मे ले लिया.
"हाई मेरा स्वीतू," वो उसकी पॅंट की तरफ देखते हुए बोली. फिर उसकी ओर देख कर मुस्कुराने लगी. सुप्रिया फिर अपने घुटनो पर फर्श पर बैठ गयी और उसके बॉक्सर्स को थोड़ा नीचे करके उसके 'स्वीतू' को बाहर निकाल लिया. बाहर आकर सुप्रिया के हाथो का स्पर्श पाते ही उसके लंड मे जान आने लगी, तो सुप्रिया ने तुरंत ही अपने मूह को उसके उपर चलाना शुरू कर दिया.
"मैं बता रहा हूँ, शी ईज़ दा बेस्ट सिस्टर." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
अरुण भी प्यार से उसके बाल सहलाता हुआ उसके सिर को धीरे धीरे लंड पर दबाने लगा. सुप्रिया पूरे जोश के साथ उसे अपने मूह मे लेकर चूसने लगी.
"मैं नही चाहती कि जब सब लड़कियाँ घर मे आए तो तुम अपना ये हथियार उन्हे दिखाते हुए घुमो.." सुप्रिया ने कुछ देर के लंड को मूह से दूर करके कहा और फिर वापस चूसने लगी. उसके थूक से पूरा लंड गीला होकर चमकने लगा था.
अब हर झटके के साथ उसके गले की दीवारे लंड के सुपाडे से टकरा रही थी. लेकिन तभी पीछे से कदमो की आवाज़ आई तो सुप्रिया जल्दी से खड़ी हो गयी साथ मे उसने शॉर्ट्स को भी उपर कर दिया.
"फक. फिर से..." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने झुंझलाते हुए कहा
"थॅंक्स हनी," उसने कहा, तब तक आरोही वहाँ आकर अपने कुछ कपड़े उसे देने लगी. अरुण आरोही के पीछे पीछे मन मसोस कर जाने लगा.
सीढ़ियों पर पहुच कर आरोही उसकी तरफ मूडी और स्माइल के साथ बोली.."जो दी ने स्टार्ट किया वो मैं ख़त्म कर दूँ?"
अरुण ने हंस कर गर्दन हिला दी.
"ओह"
आरोही फिर वापस मूडी और उसकी ओर अपनी गान्ड को दिखाने लगी. अरुण के अंदर उसकी चूत की खुसबू पहुचि तो उसका मन किया कि यही सीढ़ियों पर उसे चोदने लगे.
"ओह्ह्ह्ह दट स्मेल. अब तू इसे भी मना करेगा. यार अगर यही हालत रही तो तेरा लंड तेरे सरीर से अलग हो जाएगा फिर बजाते रहना बाबाजी का थुल्लु." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा
"भाई, तुम्हे कुछ चाहिए नही क्या?" आरोही बड़ी मासूमियत से उसकी ओर अपनी गान्ड को लहराते हुए बोली. तब तक दोनो को स्नेहा के रूम खुलने की आवाज़ आई तो आरोही जल्दी से उपर भाग गयी और अरुण मन मार कर टीवी देखता रहा.
"ईडियट" आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे गुस्सा होते हुए कहा
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"लेट मी हेल्प," ये कहकर, वो आगे बढ़ी और टीशर्ट के अंदर हाथ डाल दिए.
दोनो की आँखे एक दूसरे से जुड़ गयी और अरुण हाथ उपर करके टीशर्ट को उतारने मे मदद करने लगा. स्नेहा ने टीशर्ट उतार कर पीछे फेक दी और उसके बदन पर दोबारा हाथ फेरने लगी.
"अगर तूने इसे अभी नही चोदा, तो मैं तेरी गान्ड मार लूँगा." अरुण ने दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा
स्नेहा अपने हाथ को उसके कंधे तक ले गयी फिर वहाँ से गर्दन को छूती हुई पेट तक आई और पेट पर पसीने से भीगी उंगलियाँ चलाने लगी. उसके हाथ जीन्स के किनारे आकर रुक गये.
"मुझे लगता है, अब ये रूम हम दोनो के लिए ख़तरा बनता जा रहा है..क्यूँ?" उसने चंचल आँखो से कहा.
"इसे पता नही है कि हम इसके लिए कितना बड़ा ख़तरा हैं. यार, अगर मैं डाइरेक्ट इससे बात कर पाता तो..." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा
"ष्ह्ह्ह" अरुण ने मन मे सोचा.
स्नेहा ने कमर के पीछे हाथ लेजा कर उसे अपने पास खीच लिया. फिर नज़रें उठाकर उसे देखते हुए अपने पंजो पर खड़ी होती चली गयी और साथ मे उसकी आँखे बंद होती गयी. दोनो के होठ मिलते ही जीभ भी एक दूसरे के मूह मे घुसती चली गयी.
किस करते करते अरुण बड़े प्यार से उसकी पीठ के साथ साथ उसके चुतड़ों को सहलाने लगा. स्नेहा उसकी बाहों मे समाई हुई अपनी सिसकियों को उसके मूह मे डालने लगी. स्नेहा ने किस तोड़कर अरुण के होठों को अपनी गर्दन से लेकर कानो तक जाते महसूस किया.
"लाओ.." स्नेहा अपने हाथो से जीन्स को खोलते हुए कहने लगी.."इसे उतारने मे मुझे हेल्प करने दो फिर तुम आराम से नहा लेना."
"जल्दी निकाल, जल्दी, शवर जाए भाड़ मे. तू बस पॅंट निकाल." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए कहा
स्नेहा ने अपने होत काटते हुए उसकी पॅंट के बटन खोले और चैन खोलकर अंडरवेर सहित नीचे कर दिया.
"अगर इस वक़्त कुछ भी अच्छा नही हुआ, तो मेरा इस दुनिया से भरोसा उठ जाएगा."अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
अरुण स्नेहा की ये हरकत देखकर मुस्कुराए बिना ना रह स्का.
"उसस्श, इनको उतारना कितना मुश्किल काम है" स्नेहा मज़ाक मे अरुण से बोली.
अरुण अपने लंड के सीधे खड़े होते ही मुस्कुराते हुए स्नेहा की ओर देखने लगा. तब तक पॅंट उसके पैरो मे पड़ी हुई थी.
"ओह यॅ, नाउ वी आर रेडी. कम आंड सक इट बेब." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने कहा
स्नेहा नीचे से खड़ी हुई. "अब मैं जा रही हूँ, किचन मे कुछ काम है," उसने आँख मार कहा और दरवाजे की तरफ मुड़ने लगी.
"व्हाट...? फक...रोक उसे चूतिए." उस आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे झल्ला कर कहा
अरुण ने एक पल सोचा. "दी, आप बहुत बुरी हो," ये कहते हुए उसने पीछे से स्नेहा को अपने बाहों के घेरे मे जकड लिया. उसका नंगा खड़ा लंड स्नेहा के चुतड़ों से टकराए जा रहा था. अरुण के हाथ उसको दरवाजे से सटाते हुए दूधों को दबाने मे व्यस्त हो गये. "अगर आप इतनी स्वीट ना होती तो अब तक मैं आपके कपड़े निकाल कर अपनी मनमानी कर चुका होता."
"तो कर ना, रोका किसने है. वो तो खुद यही चाहती है." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने झल्लाते हुए कहा
स्नेहा की हँसी छूट गयी, फिर उसने साँस लेकर कहा.."मेरा दिल का एक हिस्सा भी यही कह रहा है कि तुम वही करो जो तुम्हारा मन हो," फिर वो वापस अपनी गान्ड को उसके लंड पर दबाने लगी. उसके हाथ काँपते हुए उसके लंड पर आकर थम गये, फिर उन्ही काँपते हाथों से वो लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी.
"देखा...ओह यअहह..अब बस यही करती रहे तो मज़ा आ जाए.." आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए अरुण से कहा
"ओह गॉड, इट फील्स सो गुड," स्नेहा सुबह के किस्से याद करके बोली.
"इसको आगे की झुका दे." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अधीर होते हुए कहा
अरुण समझ गया कि और देर हुई तो वो फिर खुद को और ना ही स्नेहा खुद को कंट्रोल कर पाएगी तो वो उसके पास से धीरे से पीछे हट गया.
"हॅट्ट, ये क्या चूतियापा है. भोसड़ी वाले. इस बार थप्पड़ की जगह लंड पर मुक्का मरवाउन्गा भोसड़ी के." अरुण के दिमाग़ मे गुस्से से भारी आवाज़ ने कहा
"यार एक बार तो मेरा भरोसा कर लो. ऐसा कभी हुआ है मैने तुम्हारी इज़्ज़त ना रखी हो." अरुण ने सोचा.
"यू मस्ट बी जोकिंग, राइट? हमेशा मेरी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ाई है तूने. जब भी मैने कुछ करने को कहा तूने मुझे इग्नोर कर दिया." आवाज़ ने गुस्से मे कहा
अरुण ने आवाज़ को इग्नोर कर दिया और स्नेहा को देखने लगा सो अपने सिर को दरवाजे से टेककर लंबी लंबी सासें ले रही थी. कुछ देर बाद उसने धीरे से आँखें खोली, तो अरुण शवर ऑन करने जा रहा था.
"ठंडा पानी यूज़ करना, आज कुछ ज़्यादा ही गर्मी है हमारे घर मे" वो लगातार उसके लंड की तरफ देखते हुए बोली. अरुण उसकी इस अदा को देखकर हँसे बिना नही रह स्का. उसे विस्वास नही हो रहा था कि दो तीन दिन मे ही स्नेहा इतना कैसे बदल गयी.
यही सोचते सोचते वो शवर के नीचे खड़े होकर ठंडे पानी का मज़ा लेने लगा. तब तक स्नेहा दरवाजा बंद करके बाहर चली गयी थी.
"मादरचोद, मैने सोचा था कि हम दोनो दोस्त हैं. लेकिन साले तूने मेरी एक भी बात नही मानी. चूत चुदने को तय्यार खड़ी थी फिर भी तूने छोड़ दी." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने गुस्से से अरुण को गली देते हुए कहा
"चिलेक्स यार, देखो मैं दी के साथ जल्दबाज़ी नही करना चाहता. ये सब बिल्कुल नया है उनके लिए. जिंदगी मे पहली बार उनके साथ ये सब हो रहा है. और तूने आज सुबह देखा ना जिंदगी का पहला ऑर्गॅज़म हुआ था उन्हे. अब ऐसे मे अगर मैं जल्दबाज़ी करूँगा तो उन्हे लग सकता है कि मैं सिर्फ़ उनसे सेक्स करना चाहता हूँ. ऐसा थोड़ी ना है, आइ वॉंट हर टू बी हॅपी. मैं उनको खुश देखना चाहता हूँ. सो वी'ल्ल टेक इट स्लोली. तू बस मुझपे भरोसा रख."
"ओके. जब तू इस तरीके से कह रहा है तो सही लग रहा है. फिर भी यार बहुत हॉर्नी फील कर रहा हूँ." आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे कहा
"मी टू, बडी." अरुण ने अपने मन मे कहा
उसके कुछ देर बाद अरुण अपने रूम मे जाकर कपड़े चेंज करके सोफे पर आकर बैठ गया. कुछ ही देर हुई थी कि वॉशरूम से सुप्रिया की आवाज़ सुनाई दी तो वहाँ जाके उसने अंदर झाँका तो सुप्रिया मशीन मे कपड़े डाल रही थी.
उसे देख कर उसने उपर शेल्व्स पर नज़र घुमा के पूछा.."हेल्प प्लीज़." अरुण ने देखा कि पास मे स्टूल है जिससे वो आसानी से वहाँ तक पहुच सकती है लेकिन यूज़ नही कर रही, खैर.
वो हाथ उपर करके डिटरजेंट्स को उपर से उतारने लगा तो सुप्रिया के हाथ उसके पेट से होते हुए बॉक्सर्स मे पहुच गये और उसने लंड को अपने हाथो मे ले लिया.
"हाई मेरा स्वीतू," वो उसकी पॅंट की तरफ देखते हुए बोली. फिर उसकी ओर देख कर मुस्कुराने लगी. सुप्रिया फिर अपने घुटनो पर फर्श पर बैठ गयी और उसके बॉक्सर्स को थोड़ा नीचे करके उसके 'स्वीतू' को बाहर निकाल लिया. बाहर आकर सुप्रिया के हाथो का स्पर्श पाते ही उसके लंड मे जान आने लगी, तो सुप्रिया ने तुरंत ही अपने मूह को उसके उपर चलाना शुरू कर दिया.
"मैं बता रहा हूँ, शी ईज़ दा बेस्ट सिस्टर." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
अरुण भी प्यार से उसके बाल सहलाता हुआ उसके सिर को धीरे धीरे लंड पर दबाने लगा. सुप्रिया पूरे जोश के साथ उसे अपने मूह मे लेकर चूसने लगी.
"मैं नही चाहती कि जब सब लड़कियाँ घर मे आए तो तुम अपना ये हथियार उन्हे दिखाते हुए घुमो.." सुप्रिया ने कुछ देर के लंड को मूह से दूर करके कहा और फिर वापस चूसने लगी. उसके थूक से पूरा लंड गीला होकर चमकने लगा था.
अब हर झटके के साथ उसके गले की दीवारे लंड के सुपाडे से टकरा रही थी. लेकिन तभी पीछे से कदमो की आवाज़ आई तो सुप्रिया जल्दी से खड़ी हो गयी साथ मे उसने शॉर्ट्स को भी उपर कर दिया.
"फक. फिर से..." अरुण के दिमाग़ में आवाज़ ने झुंझलाते हुए कहा
"थॅंक्स हनी," उसने कहा, तब तक आरोही वहाँ आकर अपने कुछ कपड़े उसे देने लगी. अरुण आरोही के पीछे पीछे मन मसोस कर जाने लगा.
सीढ़ियों पर पहुच कर आरोही उसकी तरफ मूडी और स्माइल के साथ बोली.."जो दी ने स्टार्ट किया वो मैं ख़त्म कर दूँ?"
अरुण ने हंस कर गर्दन हिला दी.
"ओह"
आरोही फिर वापस मूडी और उसकी ओर अपनी गान्ड को दिखाने लगी. अरुण के अंदर उसकी चूत की खुसबू पहुचि तो उसका मन किया कि यही सीढ़ियों पर उसे चोदने लगे.
"ओह्ह्ह्ह दट स्मेल. अब तू इसे भी मना करेगा. यार अगर यही हालत रही तो तेरा लंड तेरे सरीर से अलग हो जाएगा फिर बजाते रहना बाबाजी का थुल्लु." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा
"भाई, तुम्हे कुछ चाहिए नही क्या?" आरोही बड़ी मासूमियत से उसकी ओर अपनी गान्ड को लहराते हुए बोली. तब तक दोनो को स्नेहा के रूम खुलने की आवाज़ आई तो आरोही जल्दी से उपर भाग गयी और अरुण मन मार कर टीवी देखता रहा.
"ईडियट" आवाज़ ने अरुण के दिमाग़ मे गुस्सा होते हुए कहा
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