hotaks444
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अरुण को लगा था कि बात पलटने से वो बात को भूल जाएगी और उसे जवाब नही देना पड़ेगा. लेकिन आख़िर ये स्नेहा थी.
"तो सही मे बताना पड़ेगा?"
"यप"
"दी, मुझे आज सुबह से कुछ चीज़े दिख रही हैं."
"चीज़े?"
"अया पेर्वेर्टेड चीज़े..." अरुण थोड़ा ज़ोर देकर बोला जिस से स्नेहा समझे.
लेकिन स्नेहा के चेहरे पर कन्फ्यूषन अभी भी था.
"जैसे, सुप्रिया दी और सोनिया ने कपड़े नही पहने थे, फिर दोनो किस करने लगी. और आप और आरोही ने भी कपड़े नही पहने थे. और आप..." अरुण इतना बोलते बोलते रुक गया. उसे समझ मे नही आया की आगे की बात कैसे कहे..
"मैं क्या?"
"दी छोड़ो ना, अब सब ठीक है.." अरुण ने बचने की कोसिस करी.
"नही बताओ ना, मैं क्या?"
"ओह्ह,,,आप ने उपर कुछ नही पहना था..और"
"हां, आगे.." स्नेहा के चेहरे पर लाली छाने लगी.
"आप ने कुछ नही पहना था और आपके ब्रेस्ट्स पर बटर लगा था जो आरोही लिक्क कर रही थी.." अरुण जल्दी से बोल कर आगे देखने लगा. उसकी हिम्मत नही हुई स्नेहा से नज़रें मिलाने की.
कुछ देर गाड़ी मे शांति रही फिर स्नेहा की गहरी सास की आवाज़ आई.."ओह माइ गॉड, अरुण.."
"सॉरी, दी.."
"ना, सॉरी कहने की ज़रूरत नही है. मैं बस सर्प्राइज़्ड हूँ कि तुम्हारे मन मे मेरे बारे मे भी ऐसे ख़याल आते हैं?"
अरुण का पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया. अरुण उसकी ओर ऐसे देखने लगा जैसे उसने पूछ लिया हो कि क्या साँस लेना पसंद है?
"बोल ना आते हैं, आइ वॉंट टू फक यू..यूम्मम्म" दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण से कहा
"नही मतलब, हमेशा न्ही.." अरुण अपनी बात को बचाते हुए बोला.
तब तक घर आ गया तो अरुण ने भगवान को थॅंक्स बोला और जल्दी से कार से उतर कर समान को उतारने लगा. फिर कार के नीचे जॅक लगा कर उसमे कुछ करने लगा.
"दी, आप थोड़ी हेल्प कर दोगि. लेकिन गंदा होने का डर है.." अरुण ने स्नेहा से कहा..
"नो प्राब्लम." स्नेहा उसके पास बैठती हुई बोली.
फिर जो जो वो माँगता रहा वो वो देती रही.
"तो तुम मुझे देख कर एग्ज़ाइट नही होते.." स्नेहा ने बड़ी मासूमियत से उससे पूछ लिया..
अरुण को इस बात पर हँसी आ गयी.
"दी, आप क्यू ऐसा पूछ रही हो. आपको पता तो है और मैं पहले भी बता चुका हूँ. यस..."
"थॅंक्स फॉर टेल्लिंग मी. इससे काफ़ी हेल्प मिलेगी मुझे थियरी कंप्लीट करने मे.."
उसके बाद दोनो ऐसे ही बात करते हुए कार मे कुछ ठीक करते रहे फिर स्नेहा अंदर चली गयी.
"मैं कभी जिंदगी मे इतना बोर नही हुआ. अब जल्दी से ये काम निपटा और अंदर चल. अगर हम किसी को चोद नही सकते तो कम से कम चूत देख तो सकते हैं ना." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे मनाते हुए कहा
"आइ'म गोयिंग टू इग्नोर यू नाउ."
अरुण को घर से थोड़े टाइम के लिए बाहर निकलकर काफ़ी अच्छा महसूस हो रहा था. घर मे तो बस सेक्षुयल टेन्षन के अलावा कुछ चलता ही नही था. ये ख़याल अभी उसके मन मे आए ही थे कि आरोही गॅरेज की तरफ आती हुई दिखी. उसने शॉर्ट्स और बिकिनी टाइप का टॉप पहना हुआ था.
वो अरुण को कार के नीचे सिर कर के देखने लगी. अरुण को उसका पेट सॉफ सॉफ दिख रहा था..उसने एक नज़र आरोही को देखा फिर अपने काम मे बिज़ी हो गया.
जब उससे रहा नही गया तो उसने पूछ ही लिया.."कोई हेल्प चाहिए?"
"नही.ऐसे ही देख रही हूँ."
"ऐसे ही?" अरुण ने आँखें चौड़ी कर के पूछा.
अरुण को यकीन तो नही हुआ लेकिन फिर भी उसने कुछ नही कहा और अपना काम करता रहा..
"तो आख़िर कब तक रेज़िस्ट करने वाले हो?" आरोही ने आख़िरकार बोल ही दिया.
"जब तक कर पाऊ." अरुण ने उसे 2 वीक वाली बात नही बताई. वैसे भी उसे ये इन्फर्मेशन देने पर पता नही क्या कर डालती वो.
"क्या मैं कुछ कर सकती हूँ जिससे तुम ये टाइम कम कर दो..जिस से तुम्हारी और हमारी सबकी तक़लीफ़ कम हो सके?" आरोही ने पूछा.
अरुण हंस पड़ा. "आरू इसका तुम लोगो से कुछ भी लेना देना नही है. ये सब मैं खुद को प्रूव करने के लिए कर रहा हूँ. कभी कभी मेरे मन मे कुछ चीज़े करने की इच्छाए आती हैं...जो मुझे नही करनी चाहिए."
"सिर्फ़ मेरे लिए या बाकी सबके लिए भी?" आरोही ने पूछा फिर बहुत ही सेक्सी आवाज़ मे बोली.."हनी, तुम जो चाहो वो कर सकते हो मेरे साथ." आरोही ने अपना हाथ कार के नीचे ले जाकर उसके घुटने से लेकर उसके लंड तक फिरा दिया. अरुण के लंड ने अपना सिर उठाना शुरू कर दिया.
"अब इसे भी मना करेगा क्या?" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने झुंझलाते हुए अरुण से पूछा
"आरू, ट्राइ टू अंडरस्टॅंड, मेरे मन मे अचानक से कुछ चीज़े आ जाती हैं.."अरुण अपनी बात को समझाने की कोसिस करने लगा.
"एनितिंग, कुछ भी.." आरोही ने उसकी बात को बीच मे काटते हुए कहा.."मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तय्यार हूँ. जितने भी सेक्सी आइडियास तुम्हारे दिमाग़ मे हो मैं वो सब कुछ करने को तय्यार हूँ."
अरुण ने अपने हाथों मे मुट्ठी बाँध ली. लेकिन तुरंत ही आरोही ने अपने हाथ उठा लिए और खड़ी हो गयी.
"वी नीड टू टॉक. यहाँ एक कुवारि चूत तेरे पास आई है. जो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझे मज़ा देना चाहती है. देख तो उसे,,,शी ईज़ फक्किंग एंजल. और तूने उसकी बात सुनी, उसने कहा कुछ भी..कुछ भी.." अरुण के दिमाग़ की उस आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा
"मैने तुम्हे इग्नोर मोड पर रखा हुआ है..तो शट अप्प्प." अरुण अपने दिमाग़ की आवाज़ पर झुंझलाया
अरुण कार के नीचे से निकला तो सामने आरोही दरवाजे के पास खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी. उसने अरुण को देखकर अपने टॉप को खोलकर अपने दूधों के दर्शन करवा दिए..
"आरू, कोई देख लेगा." अरुण आस पास नज़रे फिरा कर बोला.
"तब तो तुम्हे मुझे ये सब चीज़े करने से रोकना होगा. और वो भी जल्दी." उसने आँख मार कर कहा और अंदर चली गयी.
अरुण सिर हिला कर वही बैठ गया. फिर अपने खड़े लंड को अड्जस्ट करने लगा. अब तो सही मे बात हद से बढ़ती जा रही है. उसकी बहने तो दिन बा दिन और अग्रेससिव होती जा रही थी. और उपर से उनके पास प्लस पायंट्स भी थे. एक तो लड़की उपर से सुंदर और सेक्सी. उनके पैरो के बीच दुनिया की सबसे पवरफुल चीज़ जो थी. अरुण को ये सब सोचते सोचते और गर्मी महसूस होने लगी, तो जल्दी से उठकर काम को निपटाने लगा. उसने कार और स्कूटी को ढंग से ठीक किया फिर अंदर जाकर किचन मे जाने लगा. स्नेहा वही सोफे पर बैठकर लॅपटॉप पर कुछ कर रही थी. अरुण पानी पी ही रहा था कि सुप्रिया की गर्दन दिखाई दी..."स्वीतू, डिटरजेंट उतार दो..मैं पहुच नही पा रही.."
अरुण ने एक ठंडी सास ली फिर वॉशरूम मे जाके डिटरजेंट उतारने लगा. तभी उसे पीछे से सुप्रिया महसूस हुई. सुप्रिया ने आगे बढ़के उसके पॅंट मे हाथ डाल के लंड को पकड़ लिया फिर उसे धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. अरुण का लंड भी मस्त होकर फुफ्कार भरने लगा.
अरुण के हाथ से साबुन छूट कर नीचे गिर पड़ा. उसने जल्दी से पीछे मुड़कर सुप्रिया के चेहरे को अपने हाथो मे थाम लिया और अपनी जीभ को सीधे उसके मूह मे डाल दिया. वो पूरे जोश के साथ उसे किस करने लगा और अपने हाथों से उसकी गान्ड को दबाते हुए अपने पास खिचने लगा. सुप्रिया लगातार उसके लंड पर अपना हाथ चलाए जा रही थी. लेकिन तुरंत ही उसने किस तोड़ा और उससे दूर हो कर मुस्कुराने लगी.
"थॅंक्स." उसने एक कुटिल मुस्कान देते हुए कहा.
अरुण ने गुस्से मे उसे देखा लेकिन बेचारा कर भी क्या सकता था फिर तुरंत ही वॉशरूम से निकलकर बाथरूम मे चला गया और सीधे जाकर ठंडे पानी के नीचे खड़ा हो गया. उसका बदन पूरे तरीके से गरम हो गया था. एग्ज़ाइट्मेंट के मारे उसका बुरा हाल हो गया था. नाहकर वो अपने बदन को तौलिए से पोछ रहा था की तब तक सोनिया बाथरूम मे आ गयी.
उसने बड़े प्यार से अरुण को देखा, फिर नीचे से लेकर उपर तक उसको निहारने लगी.."भाई लगता है, आपको आराम की ज़रूरत है.." फिर उसके नज़दीक आ गयी.."और अपनी आवाज़ कम रखना, नही तो दोनो दी मुझे मार डालेगी अगर उन्हे पता चला कि मैने आपकी हेल्प करी है." फिर उसने बाथरूम लॉक कर दिया और ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गयी.
"फाइनली," अरुण ने सोचा.."भाड़ मे जाए सब, आवाज़ जीते तो जीते, अब मुझसे कंट्रोल नही होगा."
"ड्यूड, इस पॉइंट पर मुझे भी कोई फ़र्क़ नही पड़ता. एक तरीके से हम दोनो को ही इस शर्त से तक़लीफ़ हुई है. तुमने पहले ही अमृत तो छोड़ दिया कम से कम इसी का मज़ा ले ले.." अरुण के दिमाग़ की उस आवाज़ ने एक तरह से हार मानते हुए कहा
सोनिया ने उसकी आँखों मे देखते देखते उसके लंड को अपने हाथों मे लिया और उसे आगे पीछे करने लगी. उसने जीभ निकालकर अपने होठ गीले किए फिर उसने जीभ को लंड के सुपाडे के पास ले जाने लगी. लंड और जीभ के बीच बस 1 पल की दूरी थी.
"त्र्रृिंगगगगगग, ट्र्र्ररीननगगगगगगगग.."
की पूरे घर मे बहुत जोरो से फोन बजने की आवाज़ आने लगी. सोनिया वही पर जाम हो गयी.
"सोनिया, तुम्हारा फोन.." आरोही की आवाज़ दोनो के कानो मे पड़ी..
"फकक्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क..."
सोनिया ने सॉरी वाली नज़रो से उसे देखा.."भाई, आइ'म सो सॉरी, आइ स्वेर मैने कुछ नही किया," और अरुण के मायूस चेहरे की तरफ देखने लगी.
फिर उसके गाल पर किस करके बाहर चली गयी.
"तो सही मे बताना पड़ेगा?"
"यप"
"दी, मुझे आज सुबह से कुछ चीज़े दिख रही हैं."
"चीज़े?"
"अया पेर्वेर्टेड चीज़े..." अरुण थोड़ा ज़ोर देकर बोला जिस से स्नेहा समझे.
लेकिन स्नेहा के चेहरे पर कन्फ्यूषन अभी भी था.
"जैसे, सुप्रिया दी और सोनिया ने कपड़े नही पहने थे, फिर दोनो किस करने लगी. और आप और आरोही ने भी कपड़े नही पहने थे. और आप..." अरुण इतना बोलते बोलते रुक गया. उसे समझ मे नही आया की आगे की बात कैसे कहे..
"मैं क्या?"
"दी छोड़ो ना, अब सब ठीक है.." अरुण ने बचने की कोसिस करी.
"नही बताओ ना, मैं क्या?"
"ओह्ह,,,आप ने उपर कुछ नही पहना था..और"
"हां, आगे.." स्नेहा के चेहरे पर लाली छाने लगी.
"आप ने कुछ नही पहना था और आपके ब्रेस्ट्स पर बटर लगा था जो आरोही लिक्क कर रही थी.." अरुण जल्दी से बोल कर आगे देखने लगा. उसकी हिम्मत नही हुई स्नेहा से नज़रें मिलाने की.
कुछ देर गाड़ी मे शांति रही फिर स्नेहा की गहरी सास की आवाज़ आई.."ओह माइ गॉड, अरुण.."
"सॉरी, दी.."
"ना, सॉरी कहने की ज़रूरत नही है. मैं बस सर्प्राइज़्ड हूँ कि तुम्हारे मन मे मेरे बारे मे भी ऐसे ख़याल आते हैं?"
अरुण का पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया. अरुण उसकी ओर ऐसे देखने लगा जैसे उसने पूछ लिया हो कि क्या साँस लेना पसंद है?
"बोल ना आते हैं, आइ वॉंट टू फक यू..यूम्मम्म" दिमाग़ मे उस आवाज़ ने अरुण से कहा
"नही मतलब, हमेशा न्ही.." अरुण अपनी बात को बचाते हुए बोला.
तब तक घर आ गया तो अरुण ने भगवान को थॅंक्स बोला और जल्दी से कार से उतर कर समान को उतारने लगा. फिर कार के नीचे जॅक लगा कर उसमे कुछ करने लगा.
"दी, आप थोड़ी हेल्प कर दोगि. लेकिन गंदा होने का डर है.." अरुण ने स्नेहा से कहा..
"नो प्राब्लम." स्नेहा उसके पास बैठती हुई बोली.
फिर जो जो वो माँगता रहा वो वो देती रही.
"तो तुम मुझे देख कर एग्ज़ाइट नही होते.." स्नेहा ने बड़ी मासूमियत से उससे पूछ लिया..
अरुण को इस बात पर हँसी आ गयी.
"दी, आप क्यू ऐसा पूछ रही हो. आपको पता तो है और मैं पहले भी बता चुका हूँ. यस..."
"थॅंक्स फॉर टेल्लिंग मी. इससे काफ़ी हेल्प मिलेगी मुझे थियरी कंप्लीट करने मे.."
उसके बाद दोनो ऐसे ही बात करते हुए कार मे कुछ ठीक करते रहे फिर स्नेहा अंदर चली गयी.
"मैं कभी जिंदगी मे इतना बोर नही हुआ. अब जल्दी से ये काम निपटा और अंदर चल. अगर हम किसी को चोद नही सकते तो कम से कम चूत देख तो सकते हैं ना." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे मनाते हुए कहा
"आइ'म गोयिंग टू इग्नोर यू नाउ."
अरुण को घर से थोड़े टाइम के लिए बाहर निकलकर काफ़ी अच्छा महसूस हो रहा था. घर मे तो बस सेक्षुयल टेन्षन के अलावा कुछ चलता ही नही था. ये ख़याल अभी उसके मन मे आए ही थे कि आरोही गॅरेज की तरफ आती हुई दिखी. उसने शॉर्ट्स और बिकिनी टाइप का टॉप पहना हुआ था.
वो अरुण को कार के नीचे सिर कर के देखने लगी. अरुण को उसका पेट सॉफ सॉफ दिख रहा था..उसने एक नज़र आरोही को देखा फिर अपने काम मे बिज़ी हो गया.
जब उससे रहा नही गया तो उसने पूछ ही लिया.."कोई हेल्प चाहिए?"
"नही.ऐसे ही देख रही हूँ."
"ऐसे ही?" अरुण ने आँखें चौड़ी कर के पूछा.
अरुण को यकीन तो नही हुआ लेकिन फिर भी उसने कुछ नही कहा और अपना काम करता रहा..
"तो आख़िर कब तक रेज़िस्ट करने वाले हो?" आरोही ने आख़िरकार बोल ही दिया.
"जब तक कर पाऊ." अरुण ने उसे 2 वीक वाली बात नही बताई. वैसे भी उसे ये इन्फर्मेशन देने पर पता नही क्या कर डालती वो.
"क्या मैं कुछ कर सकती हूँ जिससे तुम ये टाइम कम कर दो..जिस से तुम्हारी और हमारी सबकी तक़लीफ़ कम हो सके?" आरोही ने पूछा.
अरुण हंस पड़ा. "आरू इसका तुम लोगो से कुछ भी लेना देना नही है. ये सब मैं खुद को प्रूव करने के लिए कर रहा हूँ. कभी कभी मेरे मन मे कुछ चीज़े करने की इच्छाए आती हैं...जो मुझे नही करनी चाहिए."
"सिर्फ़ मेरे लिए या बाकी सबके लिए भी?" आरोही ने पूछा फिर बहुत ही सेक्सी आवाज़ मे बोली.."हनी, तुम जो चाहो वो कर सकते हो मेरे साथ." आरोही ने अपना हाथ कार के नीचे ले जाकर उसके घुटने से लेकर उसके लंड तक फिरा दिया. अरुण के लंड ने अपना सिर उठाना शुरू कर दिया.
"अब इसे भी मना करेगा क्या?" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने झुंझलाते हुए अरुण से पूछा
"आरू, ट्राइ टू अंडरस्टॅंड, मेरे मन मे अचानक से कुछ चीज़े आ जाती हैं.."अरुण अपनी बात को समझाने की कोसिस करने लगा.
"एनितिंग, कुछ भी.." आरोही ने उसकी बात को बीच मे काटते हुए कहा.."मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तय्यार हूँ. जितने भी सेक्सी आइडियास तुम्हारे दिमाग़ मे हो मैं वो सब कुछ करने को तय्यार हूँ."
अरुण ने अपने हाथों मे मुट्ठी बाँध ली. लेकिन तुरंत ही आरोही ने अपने हाथ उठा लिए और खड़ी हो गयी.
"वी नीड टू टॉक. यहाँ एक कुवारि चूत तेरे पास आई है. जो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझे मज़ा देना चाहती है. देख तो उसे,,,शी ईज़ फक्किंग एंजल. और तूने उसकी बात सुनी, उसने कहा कुछ भी..कुछ भी.." अरुण के दिमाग़ की उस आवाज़ ने अरुण को समझाते हुए कहा
"मैने तुम्हे इग्नोर मोड पर रखा हुआ है..तो शट अप्प्प." अरुण अपने दिमाग़ की आवाज़ पर झुंझलाया
अरुण कार के नीचे से निकला तो सामने आरोही दरवाजे के पास खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी. उसने अरुण को देखकर अपने टॉप को खोलकर अपने दूधों के दर्शन करवा दिए..
"आरू, कोई देख लेगा." अरुण आस पास नज़रे फिरा कर बोला.
"तब तो तुम्हे मुझे ये सब चीज़े करने से रोकना होगा. और वो भी जल्दी." उसने आँख मार कर कहा और अंदर चली गयी.
अरुण सिर हिला कर वही बैठ गया. फिर अपने खड़े लंड को अड्जस्ट करने लगा. अब तो सही मे बात हद से बढ़ती जा रही है. उसकी बहने तो दिन बा दिन और अग्रेससिव होती जा रही थी. और उपर से उनके पास प्लस पायंट्स भी थे. एक तो लड़की उपर से सुंदर और सेक्सी. उनके पैरो के बीच दुनिया की सबसे पवरफुल चीज़ जो थी. अरुण को ये सब सोचते सोचते और गर्मी महसूस होने लगी, तो जल्दी से उठकर काम को निपटाने लगा. उसने कार और स्कूटी को ढंग से ठीक किया फिर अंदर जाकर किचन मे जाने लगा. स्नेहा वही सोफे पर बैठकर लॅपटॉप पर कुछ कर रही थी. अरुण पानी पी ही रहा था कि सुप्रिया की गर्दन दिखाई दी..."स्वीतू, डिटरजेंट उतार दो..मैं पहुच नही पा रही.."
अरुण ने एक ठंडी सास ली फिर वॉशरूम मे जाके डिटरजेंट उतारने लगा. तभी उसे पीछे से सुप्रिया महसूस हुई. सुप्रिया ने आगे बढ़के उसके पॅंट मे हाथ डाल के लंड को पकड़ लिया फिर उसे धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. अरुण का लंड भी मस्त होकर फुफ्कार भरने लगा.
अरुण के हाथ से साबुन छूट कर नीचे गिर पड़ा. उसने जल्दी से पीछे मुड़कर सुप्रिया के चेहरे को अपने हाथो मे थाम लिया और अपनी जीभ को सीधे उसके मूह मे डाल दिया. वो पूरे जोश के साथ उसे किस करने लगा और अपने हाथों से उसकी गान्ड को दबाते हुए अपने पास खिचने लगा. सुप्रिया लगातार उसके लंड पर अपना हाथ चलाए जा रही थी. लेकिन तुरंत ही उसने किस तोड़ा और उससे दूर हो कर मुस्कुराने लगी.
"थॅंक्स." उसने एक कुटिल मुस्कान देते हुए कहा.
अरुण ने गुस्से मे उसे देखा लेकिन बेचारा कर भी क्या सकता था फिर तुरंत ही वॉशरूम से निकलकर बाथरूम मे चला गया और सीधे जाकर ठंडे पानी के नीचे खड़ा हो गया. उसका बदन पूरे तरीके से गरम हो गया था. एग्ज़ाइट्मेंट के मारे उसका बुरा हाल हो गया था. नाहकर वो अपने बदन को तौलिए से पोछ रहा था की तब तक सोनिया बाथरूम मे आ गयी.
उसने बड़े प्यार से अरुण को देखा, फिर नीचे से लेकर उपर तक उसको निहारने लगी.."भाई लगता है, आपको आराम की ज़रूरत है.." फिर उसके नज़दीक आ गयी.."और अपनी आवाज़ कम रखना, नही तो दोनो दी मुझे मार डालेगी अगर उन्हे पता चला कि मैने आपकी हेल्प करी है." फिर उसने बाथरूम लॉक कर दिया और ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गयी.
"फाइनली," अरुण ने सोचा.."भाड़ मे जाए सब, आवाज़ जीते तो जीते, अब मुझसे कंट्रोल नही होगा."
"ड्यूड, इस पॉइंट पर मुझे भी कोई फ़र्क़ नही पड़ता. एक तरीके से हम दोनो को ही इस शर्त से तक़लीफ़ हुई है. तुमने पहले ही अमृत तो छोड़ दिया कम से कम इसी का मज़ा ले ले.." अरुण के दिमाग़ की उस आवाज़ ने एक तरह से हार मानते हुए कहा
सोनिया ने उसकी आँखों मे देखते देखते उसके लंड को अपने हाथों मे लिया और उसे आगे पीछे करने लगी. उसने जीभ निकालकर अपने होठ गीले किए फिर उसने जीभ को लंड के सुपाडे के पास ले जाने लगी. लंड और जीभ के बीच बस 1 पल की दूरी थी.
"त्र्रृिंगगगगगग, ट्र्र्ररीननगगगगगगगग.."
की पूरे घर मे बहुत जोरो से फोन बजने की आवाज़ आने लगी. सोनिया वही पर जाम हो गयी.
"सोनिया, तुम्हारा फोन.." आरोही की आवाज़ दोनो के कानो मे पड़ी..
"फकक्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क्क..."
सोनिया ने सॉरी वाली नज़रो से उसे देखा.."भाई, आइ'म सो सॉरी, आइ स्वेर मैने कुछ नही किया," और अरुण के मायूस चेहरे की तरफ देखने लगी.
फिर उसके गाल पर किस करके बाहर चली गयी.