Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है - Page 16 - SexBaba
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Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है

आज हम सहर मे रेस्टोरेंट मे मिलने वाले थे उसे देखते ही मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा बहुत देर तक हम दोनो बाते करते रहे वो बताती रही अपने कॉलेज के बारे मे पर एक बार भी ये नही कहा कि उसने मुझे कितना याद किया पर उसका साथ ही मेरे लिए बहुत था उसने पूछा तुम्हारी स्टडी कैसे चल रही है तो मैने कहा कॉलेज तो मैं कम ही जाता हूँ एनडीए के चक्कर मे हूँ तो वो हँसते हुए बोली फोजी बनोगे मुझे नही लगता तुम फौज मे टिक पाओगे तो मैने कहा ऐसा क्यू वो बोली देखो बुरा मत मान ना पर तुम में वो बात नही है तुम थोड़े कूल टाइप के हो और सोल्जर्स अलग टाइप के होते है मैने कहा यार मैं तो बस ट्राइ कर रहा हूँ अगर मिल जाएगी तो देखेंगे फिर मैने कहा मिता अगर मैं आर्मी मे चला गया तो क्या तुम मुझसे शादी कर लोगि


तो वो बेफिक्री से बोली कि पहले तुम काबिल तो बनो जितनी बड़ी बड़ी तुम बातें करते हो उतना ही कुछ करो तो सही देखो बुरा मत मान ना पर अभी तक तुम सीरीयस ही नही हो कि आगे तुम्हे लाइफ मे क्या करना है घर से बाहर निकलो और दुनिया को देखो कितनी प्रतियोगिता है और तुम अपना टाइम यूँ ही खराब कर रहे हो ना जाने क्यो मुझे उसकी बात चुंभ गयी पर बंदी कह तो रही थी सौ फीसदी सही ही वो बोली प्यार करने से ही ज़िंदगी नही चला करती है मैं खामोश ही रहा फिर उसने टॉपिक चेंज कर दिया पर मुझे सोचने पे मजबूर कर दिया

पर मैं तो ठहरा मैं चिकना घड़ा कुछ देर मे ही मैं वापिस अपने मूड मे आ गया था मैं अक्सर निशा और मिता की तुलना करता रहता था ऐसे ही एक दिन मैं निशा के साथ कॉलेज कॅंपस मे था तो मैने पूछा कि निशा तुम्हे क्या लगता है क्या मैं फोजी बन सकता हूँ या नही


तो निशा बोली देखो अगर तुम मे अबिलिटी है तो ज़रूर बन सकते हो बस उस दिशा मे मेहनत करते रहो निशा हमेशा मेरा हौसला बढ़ाती रहती थी समय तो बीत ही रहा था जैसे तैसे कर के आज कल मिता से भी बात चीत कम ही हो पाती थी ऐसे ही एक शाम को मैने शीला को सिग्नल दिया और अपने पास बुला लिया मैं बोला भाभी कई दिन हो गये है तुम तो कुछ करती ही नही हो तो शीला बोली आप ही मेरी तरफ ध्यान नही देते हो और मुझे ही दोष दे रहे हो तो मैने कहा तो कब हो सकता है तो वो बोली कल दोपहर मे घर आ जाओ मैने सोचा चलो इसको ही बजा लेंगे अगले दिन दोपहर को मैं शीला के घर चला गया शीला बस नहा के निकली ही थी और ब्रा और एक पतले से पेटिकोट मे ही थी मैने उसका मेन गेट बंद किया और उसके पास चला गया


मैने उसको उस रूप मे देखा और कहा भाभी अब नही रुका जाएगा तो वो बोली अरे मुझे तैयार तो हो जाने दो मैने कहा तैयार तो तुम अब चुदने के लिए हो जाओ और उसके पेटिकोट को खोल दिया अंदर उसने कच्छि नही पहनी थी तो बस एक ब्रा का टुकड़ा ही व्यवधान कर रहा था तो उसको भी उसके बदन से अलग कर दिया और उस नंगी को ही पकड़ लिया और उसकी चूचियो को दबाने लगा शीला का गीला बदन मेरा मन मोह रहा था मैं उसके गालो से टपकती हुई पानी की बूँदो को पीने लगा शीला का काला बदन पानी की बूँदो से चमक रहा था शीला बोली कमरे मे तो चलो अंदर पहुँचते ही मैने अपने कपड़ो का त्याग कर दिया और हम दोनो नंगे पलंग पे आ गये मैने उसके काले काले होंठ अपने मुँह मे ले लिए और चम्बन करने लगा


शीला ने अपनी आँखो को बंद कर लिया थोड़ी देर बाद मैं उसके हर एक अंग को चूम रहा था शीला के बदन की गर्मी बढ़ने लगी साथ ही साथ मेरी भी मेरा लंड तो कबका तनकर उसको सलामी दे रहा था मैने उसके छोटे छोटे चुतडो को सहलाया और उसको पोज़िशन मे कर दिया काले रंग की झान्टो से भरी हुई चूत मेरे लंड को आमंत्रण दे रही थी शीला ने अपनी टाँगो को फैला लिया और कामुक इशारा करने लगी मैने अपने लंड की टोपी को उसकी चूत पे रगड़ना शुरू कर दिया काफ़ी देर तक मैं बस उसको रगड़ता ही रहा शीला की हालत खराब होने लगी वो बोली देवर जी क्यो मज़ा खराब कर रहे हो अब कर भी दो ना अंदर तो मैने कहा अभी ले भाभी और थोड़ा सा लंड अंदर डाल दिया शीला का छेद थोड़ा चौड़ा हुआ मेरे लंड को रास्ता देने के लिए .
 
फिर मैने पूरा लंड घुसा दिया और उसके उपर लड़ गया और शीला को चोदने लगा शीला किसी गुड़िया की तरह मुझसे लिपट गयी और अपनी गान्ड को उपर उठा उठा के अपनी चूत मरवाने लगी मैं उसकी जीभ को चुँसने लगा शीला बड़ी ही खुश हो गयी थी फिर मैने अपना मुँह हटा लिया शीला कहने लगी क्या बताऊ वो तो मुझे चोद्ते ही नही है आज तो आपने दिल खस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ही कर दिया आआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ बाआआआआआआआअहुनूउऊुुुुुुुुुुुउउ टत्त्टटटटटटटटटतत्त हीईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आआआआ



आआअक्ककककककककककककककचह आआ लग रहा है बस ऐसे ही मेरे साथ करते रहो देवेर जी आप बहुत आक्कककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककक्सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ बसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ शीला बहुत जोरो से मोन कर रही थी मैने कहा भाभी थोड़ा आहिस्ते से आवाज़ करो क्या करती हो मरवाओगि क्या तो वो बोली कौन सा मेरी आवाज़ बाहर जा रही है उसने अपने हाथ मेरी पीठ पे लगा दिए और मुझ से चुदवा रही थी आधे घंटे से भी ज़्यादा उसको चोदा और फिर चूत मे ही ढह गया उसकी लेने के बाद फटा फट अपने कपड़े पहने और अपने कमरे मे आ गाया

ओक्टोबर का लास्ट ही चल रहा था सुबह सुबह मैं अख़बार पढ़ ही रहा था कि एक पन्ने पे यूपीएससी ने एनडीए का रिज़ल्ट डाल दिया था मैं फॉरन अंदर गया अपना रोल्नंबर लिया और मिलने लगा थोड़ी देर मे मेरा नंबर मुझे मिल गया मैं तो खुशी से पागल ही हो गया था एनडीए की लिखित परीक्षा मे पास जो हो गया था सारे घर वाले बहुत ही खुश हो गये थे ताइजी ने भी मुझे बधाई दी वो तो मन मे सोच रही होंगी कि बढ़िया है फोज मे चला जाएगा तो मेरी बहू का पीछा तो छोड़ देगा मैं बहुत ही ज़्यादा खुश था मेरे पैर तो ज़मीन पे पड़ ही नही रहे थे मैने निशा को फोन किया और कहा अर्जेंट मिलना है उसने कहा कॉलेज मे ही मिलते है मैं जल्दी से तैयार हो गया और कॉलेज पहुँच गया निशा बोली जो कहना है जल्दी कहो मेरा इंपॉर्टेंट लेक्चर है आज तो मैने कहा ठीक है मैं इंतज़ार कर लेता हूँ तो वो अपनी क्लास मे चली गयी एक घंटे बाद वो फ्री हुई तो मैने उसको बताया कि मेरा एनडीए एग्ज़ॅम पास हो गया है निशा ने मुझे बधाई दी तो मैने कहा चल तुझे आज पार्टी देता हूँ और फिर उसको शीतल रेस्टोरेंट ले आया.

निशा बोली तुम इतना मेरे साथ मत रहा करो कही मुझे तुम्हारी आदत ना हो जाए तो मैने कहा सब दोस्त तो चले ही गये है अब तुम ही तो हो तुम्हारे साथ भी ना रहूं क्या तो निशा बोली और जब तुम फोज मे चले जाओगे तब , तब मैं अकेली रह जाउन्गि तो मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा कि तुम तो हमेशा मेरे दिल मे हो कल को अगर तुम नोकरी करोगी तो क्या तुम नही जाओगी तो वो बोली हाँ ये भी है तभी मैने पूछा निशा तुम लव मॅरेज करोगी या अरेंज तो उसने कहा कि कौन मुझ काली कलूटी से प्यार करेगा अगर कही छोटी मोटी नौकरी मिल गयी तो भले ही कोई अपना ले ये सुनके मैने कहा तुम कौन से जमाने की बात कर रही हो तुम सुंदर हो फिर रंग से क्या होता है निशा थोड़ी एमोशनल हो गयी थी तो उसको थोड़ा मोरल सपोर्ट किया फिर हम वापिस गाँव आ गये दीवाली के कुछ ही दिन बचे थे कि एक शाम मैं अपने चबूतरे पे बैठा था तो डाकिया आया और मेरा लेटर मुझे दे दिया मैने खोल के देखा तो एसएसबी का कॉल था देहरादून जाना था कोई 7-8 दिन बाद तो मैने पापा से बात की जाने के बारे मे तो उन्होने कहा ठीक है मैं तेरे साथ चलूँगा और नियत दिन मैं उनके साथ अपने सेंटर पे पहुँचा गया पहली बार मिलिटरी एन्वाइरन्मेंट देखा बहुत ही अच्छा लगा पर मेरी मंज़िल तो बहुत ही दूर थी भरती प्रक्रिया शुरू हो गई थी एक हफ्ते तक सारा काम चला कभी सक्रीनिंग टेस्ट कभी पर्सनॅलिटी टेस्ट फिर फिज़िकल फिटनेस टेस्ट हर एक टेस्ट के साथ साथ कॅंडिडेट्स कम होते जा रहे थे लास्ट मे हम कुछ ही बचे थे हमारे सेंटर पे लास्ट दिन भरती ऑफीसर ने हमे बुलाया और कहा कि आपका सारा काम हो चुका है अब आप लोग वापिस जा सकते हो पंद्रह- बीस दिन मे फाइनल लिस्ट लग जाएगी अख़बार मे रिज़ल्ट आ जाएगा और यदि किसी के यहाँ अख़बार ना पहुँचता हो तो वो यूपीएससी की साइट से भी रिज़ल्ट देख सकता है फिर मैं बाहर आया और पापा को सारी बात बताई तो वो बोले बेटा मुझे लगता है कि तुझे ये नोकरी मिल ही जाएगी मैने कहा देखते है
 
8 दिनो तक होटेल मे रहकर मैं पक गया था मैने कहा पापा थोड़ी शॉपिंग करवा दो तो फिर हम देहरादून के फेमस पल्टन बाजार मे गये और खरीदारी की फिर हमने देल्ही के लिए ट्रेन पकड़ ली और ऐसे ही अपने गाँव आ गये निशा भी बार बार यही कहती थी कि उम चिंता मत करो तुमको पक्का ही एनडीए मे अड्मिशन मिलेगा पर मेरे दिमाग़ मे थोड़ी टेन्षन सी रहने लगी थी रिज़ल्ट को लेकर .

मुझे गीता से मिले हुए काफ़ी दिन हो गये थे लंड मे भी कुछ ज़्यादा ही खुजली हो रही थी तो मैं दोपहर को गीता के घर चल पड़ा दरवाजा खुला ही था मैं जाके पलंग पे बैठ गया गीता मुझ उलाहना देते हुए बोली आज बहुत दिनो बाद मेरी याद आई है रहते किधर हो तुम मुझे तो भूल ही गये हो तुम तो मैने उसको सबकुछ विस्तार से बताया तो गीता थोड़ी उदास सी हो गयी मैने पूछा तो बोली अगर तुम्हे नौकरी मिल जाएगी तो मुझको तो तुम भूल ही जाओगे मेरी जिंदगी तो फिर से सूनी हो जाएगी

मैने कहा तुम भी क्या बोलती हो मैं कोई हमेशा के लिए थोड़ी जा रहा हूँ छुट्टी मिलेगी तो वापिस भी आया करूँगा और अभी तो रिज़ल्ट वेटिंग है क्या पता मिले या ना मिले गीता बोली तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ तो मैने कहा डार्लिंग मैं तो तुमको ही खाउन्गा और गीता को पकड़ लिया गीता बोली रूको तो सही मुझे दरवाजा तो बंद करने दो गीता ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और वही खड़ी होके अपने कपड़े उतारने लगी पहले उसने अपना लहँगा उतारा फिर ब्लाउज भी उतार दिया काले रंग की ब्रा पेंटी मे बेहद खूबसूरत लग रही थी वो फिर वो इठलाती हुई आकर मेरी गोदी मे चढ़ गयी और अपने तरसते हुए होंटो को मेरे होंटो से मिला दिया हम दोनो एक दूसरे की होंटो को चबाने लगे उसके रस से भरे मदमस्त प्यालो को मैं पीने लगा मैं अपने हाथो को पीछे ले गया और उसकी ब्रा को खोल कर फेक दिया और उसकी नंगी पीठ को सहलाने लगा


बहुत ही कोमल खाल थी उसकी एक दम नरम धीरे धीरे मैं अपने हाथो को उसके चुतडो पे ले गया और उनको मसल्ने लगा रूई के बड़े बड़े गोलो से उसके चूतड़ मैने अपने हाथ उसकी कच्छि की इलास्टिक मे डाले और गान्ड को मसल्ने लगा गीता बस मेरे होंठो को खाए जा रही थी काफ़ी देर बाद मैने उसको अपनी गोदी से उतारा वासना उसके पूरे बदन मे घर कर चुकी थी गीता ने मेरी शर्ट के बटन को खोलना शुरू किया और मेरी शर्ट को उतार दिया मैं भी गरम हो चुका था तो मैं उठा और अपनी पेंट और कच्छे को भी उतार कर साइड मे रख दिया गीता ने अपनी हाथ पलंग पे रखे और झुंक के खड़ी हो गयी मैने उसकी कच्छि को सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर से उतार दिया और उसके चुतडो को अपने हाथो से फैला दिया हल्के हल्के बालों वाली उसकी गदराई चूत लपलपाने लगी थी मैं उसके पाँवो मे बैठा और अपने होंठ उस स्वर्ग के दरवाजे पे लगा दिए और उस नमकीन चूत का स्वाद लेने लगा गीता ने अपनी टाँगो को मेरे मुँह पे कस दिया और अपनी गान्ड को हिलाते हुए अपनी चूत को चुसवाने लगी मैने अपनी उंगलियो की सहयता से गीता की चूत को थोड़ा सा फैलाया और बड़े ही चाव से उसको चाटने लगा



गीता के बदन से गर्मी फूटने लगी थी गीता बोली बहुत दिनो बाद तुमने इस निगोडी को छुआ है आज तुम्हे ऐसे नही जाने दूँगी आज तो मुझपे अपने प्यार की बारिश करदो और इतनी करो कि मैं अपने होश खो बैठू मेरी पूरी जीभ गीता की योनि की शोभा बढ़ा रही थी गीता की काँपति टाँगो को मैने अपने हाथोसे थाम लिया था मैं उसके खारे पानी को बड़े ही चाव से चाटे जा रहा था ऐसे ही कर कर के मैं गीता की योनि को जब तक चुंस्ता रहा जब तक कि उसके अंदर से उस गरम खारे पानी का फव्वारा ना फुट पड़ा मैं गटागट उसका सारा रस पी गया फिर मैं उठा और अपने होंठ उसके होंटो से लगा दिए गीता भी मेरे होंठो पे लगे अपनी चूत के पानी को चाटने लगी बड़ा ही कामुक नज़ारा था फिर मैं पलंग पे लेट सा गया और अब गीता मेरी टाँगो के बीच आ गयी और थोड़ा सा झुकते हुए मेरे अंडकोषो को अपने मुँह मे ले लिया और उनको चूसने लगी वो बारी बारी मेरी दोनो गोलियो को किसी मिठाई की तरह खाए जा रही थी वो मेरे सबसे संवेदनशील अंगो पे अपने होंठ लगाई थी मेरे बदन मे खून ज़ोर मारने लगा कुछ देर बाद वो थोड़ा उपर हुई और मेरे लंड पे अपनी ज़ुबान का जादू दिखाने लगी


गीता बहुत ही जोश मे आ गयी थी वो लंड पे पहले थूकती फिर उसको चाट ती मुझे लगने लगा था कि आज तो ये ऐसे ही मुझे सखलित कर देगी तो मैने उसका मुँह अपने लंड से हटाया मेरी साँस उफन आई थी तो मैं उनको संभालने लगा गीता मेरी जाँघो पे चढ़ गयी और मेरे लंड को अपनी चूत पे रगड़ने लगी मेरा लंड उसकी गीली चूत पे फिराने लगा था थोड़ी देर तक उसने लंड को ऐसे ही रगड़ा फिर गॅप से उसको अपनी योनि मे उतार लिया मेरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे घूंस चुका था मस्ती से मेरी आँखे बंद हो गयी मैने अपने सर को सिरहाने से सटा लिया अब जो भी करना था गीता को ही करना था गीता बड़े ही आराम से अपनी गान्ड को उपर नीचे करते हुए संभोग के पॅलो के आनंद को बढ़ाने लगी जब वो मेरे लंड पे उछल रही थी तो उसके बोबे मेरे मुँह से लग रहे थे तो मैने उसके एक बोबे को पकड़ा और अपने मुँह मे भर लिया


जैसे ही मैने उसको चुंसना शुरू किया तो गीता के बदन मे बिजली की तरंग दौड़ गयी उसका मज़ा दुगना होगया गीता की स्पीड अपने आप ही बढ़ती ही चली गयी कुछ देर और गीता को अपने लंड की घुड़सवारी करवाने के बाद मैने उसको हटने को कहा और उसको नीचे लिटाते हुए दुबारा से चुदाई शुरू कर दी गीता बोली वो अभी नही झड़ना चाहती तो धीरे धीरे धक्के मारो गीता मेरे सीने गालो और पूरे मुँह को चूम रही थी मैं बस ऐसे ही अपनी कमर को नाममात्र का हिला रहा था वो पूरे लंड को अपनी चूत मे लिए पड़ी थी मेरा लंड उसकी चूत की क़ैद को तोड़ने को बेताब हुए जा रहा था तो मैने उसकी टाँगो को सीधा करवाया और अब लगा उसकी मारने को उसके निचले होंठ को मैं बुरी तरह से चबाए जा रहा था हर धक्के पे पलंग ककककककककककककककचहर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर चर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर किए जा रहा था गीता तो मुझ से ऐसे लिपट गयी थी जैसे कि इस जनम मे तो अलग होगी ही नही पर हर चीज़ का अगर आगाज़ होता है तो अंत भी निस्चित ही होता है मैं बोला गीता मेरा होने वाला है तो वो बोली अंदर मत गिरना तो मैने अपने लंड को बाहर खींचा और उसकी सूंड़ी पे अपने वीर्य की धार मारनी शुरू कर दी उसका पेट बहुत ही वाइब्रट हो रहा था वीर्य गिरने के बाद मैं हान्फते हुए गीता की साइड मे ही लेट गया गीता बोली मेरा तो पूरा दम ही निकाल दिया तुमने और मुझ से चिपक गयी मैने उसके पेट पे पड़े अपने वीर्य मे अपनी उंगली लपेटी और गीता के मुँह मे डाल दी गीता उसको चुँसने लगी ऐसे करते करते मैने कई बार उसको उंगली चुसाइ और बाकी बचे को अपनी बनियान से सॉफ कर दिया फिर मैं उठा और पानी पीने लगा
 
गीता उठी और एक गिलास गरम दूध ले आई और मुझे दे दिया मैं दूध पीने लगा हम दोनो नंगे ही थे उसने कहा तुम इसे पियो मैं अभी आती हूँ मैनी पूछा कहाँ जा रही हो तो वो बोली पेशाब करके आती हूँ मैने जल्दी से दूध के गिलास को खाली किया और अपनी कमर को सीधा करने लगा गीता भी आ गयी थी एक दूसरे की बाहों मे बाहे डाले हम दोनो आलिंगंबध हुए पड़े थे गीता बोली आज तुम यही पे रुक जाओ ना तो मैने कहा मन तो मेरा भी है पर पहले से कोई प्लान नही बनाया तो वापिस जाना होगा पर मैं फिर आ जाउन्गा गीता बोली अगर एक रात यहाँ रुक जाओ तो मुझे भी अच्छा लगेगा मैं उसको समझाने लगा कि दिल तो मेरा भी उसपे ही लगा रहता है पर आजकल मैं बहुत ही व्यस्त रहता हूँ गीता बोली पर क्या मेरे लिए थोड़ा टाइम नही निकाल सकते मैं बोला डार्लिंग तुम समझो तो सही मैं वादा करता हूँ कि थोड़े दिन मे रात को ज़रूर आउन्गा


तो वो खुश हो गयी वो कहने लगी तुमने मुझे चुदने की ऐसी आदत डाल दी है कि बहुत मुश्किल हो गया है रात अकेले काटना तो मैने कहा किसी को पटा लो तो तुम्हारा भी जुगाड़ हो जाएगा वो नाराज़ होते हुए बोली कि मुझे समाज मे बदनामी नही करवानी है और फिर अगर एक से सेट हो भी गयी तो वो दूसरे को बतादेगा दूसरा तीसरे को बता देगा मुझे कोई रंडी नही बन ना है ज़्यादा खुजली होगी तो मूली या बैगन से काम चला लिया करूँगी पर तुम्हारे सिवा और किसी से नही चुदुन्गि मैने कहा यार मैं तो ऐसे ही कह रहा था यूँ नाराज़ मत हो और उसको अपने गले से लगा लिया उफफफफ्फ़ ये औरते भी ना गीता ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसकी चमड़ी को नीचे करके उसको सहलाने लगी उसकी मुलायम उंगलियो के स्पर्श से मेरे लंड मे सुरूर छाने लगा


मैं बोला रानी अब तेरी गान्ड मे डालूँगा तो वो बोली पहले मेरी चूत की खाज को मिटा दो फिर चाहे तुम कुछ भी कर लेना मैने कहा अभी थोड़ी देर पहले ही तो चूत मरवाई है तूने तो वो बोली एक बार और कर्लो ना तो मैने हँसते हुए कहा चल ठीक है तेरी खुशी मे ही मेरी खुशी है गीता ने अपने चुतडो के नीचे एक तकिया लगाया और टाँगो को चोडा करके लेट गयी चूत उपर की ओर उभर आई थी गीता की योनि बहुत ही प्यारी और सुंदर थी मैं झुका और उसकी चूत को सूंघने लगा उसमे से पेशाब की गंध आ रही थी मैं खुद को रोक नही पाया और अपने होंठ उसकी चूत पे टिका दिए और उसकी चूत की पंखुड़ियो को दाँतों से काटने लगा गीता आहे भरने लगी वो बोली क्या करते हो मुझे छोड़ो ना तो मैने कहा दो मिनट रुक जा बस दो मिनट और तेज़ी से अपनी जीभ को गीता की योनि पे फेरने लगा पर वो उतावली हो रही थी


तो मैं उसकी इच्छा का मान रखते हुए उसके उपर आ गया और लंड को चूत पे लगा दिया उसने अपने कुल्हो को उपर की ओर किया थोड़ा ज़ोर मैने भी लगाया और लंड महाराज अपनी गुफा की ओर अग्रसर हो गये जैसे ही लंड अंदर गया गीता बोली अब जाके मुझे चैन आया वो बोली कितना अच्छा हो अगर हमेशा के लिए मेरी चूत मे तुम्हारा लंड ऐसे ही पड़ा रहे तो मुझे हसी आ गयी मैं बोला क्या तुम भी कुछ भी बकवास करती हो ऐसा भी कभी हो सकता है क्या वो कुछ नही बोली तो मैने अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और एक झटके मे दुबारा अंदर घुसा दिया गीता आआआआआआआआआआआ आआआआआआआआआआअहह


करने लगी थी उसकी आँखो मे नशा उतर आया था मैं उसकी पतली सुराही दार गर्देन को चूमने लगा था गीता ने अपनी अंगो को और भी फैला लिया था जिस से मैं और भी खुल के उसकी चिकनी चूत की चुदाई कर पा रहा था मेरे बोझ से गीता का बदन दबे जा रहा था गीता बोली बस ऐसे ही मुझे प्यार करते रहो तुम नही जानते मैं कितना तड़पति हूँ जब तुम मेरे पास नही होते हो मुझे तो तुम्हारी लत लग गयी है बस ऐसे ही मुझको चोद्ते रहो उसकी बातों से मुझे भी जोश चढ़ रहा था मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ताबड़तोड़ चूत मारने लगा हमारी हथेलिया आपस मे गुथ गयी थी कमरे मे बिल्कुल खामोशी छाई हुई थी किसी मुर्दाघर की तरह पर बिस्तर पे एक युद्ध चल रहा था
 
चूत और लंड के बीच मे जैसे ही मैं दो पल रुकता तो गीता नीचे से अपनी गान्ड उचकाने लगती थी 15-20 मिनट तक घनघोर चुदाई की मैने उसकी गीता बहुत ही ज़्यादा मस्त हो चुकी थी वासना से उसकी आँखे मुन्दने लगी थी गीता ने जोश मे आकर मेरे कान को अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया मेरा लंड और टटटे गीता की चूत से निकलते हुए पानी से सन चुके थे गीता अब बुरी तरह से काँपने लगी थी और फिर वो पल भी आ ही गया जब गीता कमजोर पड़ गयी उसकी चूत ने हार मान ली थी और ढह गयी थी जैसे ही गीता का काम तमाम हुआ मैने अपने लंड को बाहर निकाल लिया औ उसको उल्टी लिटा लिया और अपने चिकने लंड को गान्ड के छेद पे सटा दिया पर..............


छेद तंग होने से वो अंदर नही घूंस पा रहा था तो गीता बोली थोड़ा तेल लगा लो फिर काम हो जाएगा तो मैं झट से तेल लाया और उसकी गान्ड पे कुछ बूँद टपका दी एक बार फिर से मेरा लंड तैयार थे उसकी मस्तानी मचलती हुई गान्ड मे घुसने को अबकी बार पहले धक्के मे ही सुपाडे से थोड़ा ज़्यादा लंड अंदर पहुँच गया गीता बोली आअहह आराम सीईईईईईईईईईई दर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड हो रहा है मैने कहा क्या यार बस चला गया अंदर और एक धक्का और लगाते हुए पूरे लंड को गान्ड मे सरका दिया और बिना देर करे गान्ड मारने लगा कसम से गीता का हर छेद बहुत ही जबरदस्त था


और मुझ पर तो वो कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थी तो मेरी तो चाँदी तो चाँदी ही थी गीता की गरमा गरम गान्ड मारके मुझे तो स्वर्ग जैसे आनंद प्राप्त हो रहा था जब जब मेरी टांगे उसके चुतडो से टकराती तो बहुत ही मज़ा आता था चूँकि मैं पहले से ही संभोग कर रहा था तो ज़्यादा देर गान्ड नही मार पाया और 5-7 मिनट बाद ही उसके चुतडो पे ही ढेर हो गया थोड़ी देर बाद मैं उठा और वहाँ रखी हुई कुर्सी पे बैठ गया गीता लेटे लेटे मुझे बड़े ही प्यार से देख रही थी

फिर मैने अपने कपड़े पहने जेब मे हाथ डाल के मोबाइल निकाला तो देखा कि 5 मिसकाल थे निशा के मैने झट से फोन मिलाया तो फोन उठाते हुए निशा मुझ पे चढ़ बैठी मैने कहा मेरी माँ सांस तो ले ले और बता क्या बात है वो बोली कमिने तू है कहाँ पे कब से फोन मिला रही थी मैं तो मैने कहाकि मैं खेत मे आया हूँ वो बोली मुझे अभी तुमसे मिलना है जल्दी से घर पे आ जाओ मैने कहा यार थोड़ी देर तो लग ही जाएगी पर तू फिकर मत कर मैं आता हूँ और फोन काट दिया फिर मैने गीता से विदा ली और गाँव की तरफ हो लिया घर गया साइकल खड़ी की और सीधा निशा के घर पहुँच गया वो घर के बाहर ही बैठी थी उसने मुझे बताया कि कॉलेज का टूर जा रहा है जयपुर,अजमेर, पुष्कर घूमने के लिए 3-4 दिन का टूर है वो तो जा रही है क्या तुम भी चलोगे तो मैने कहा हाँ क्यो नही तो उसने मुझे फॉर्म दिया और कहा कि तुम टूर की फीस और ये फॉर्म जमा करवा देना फिर हम इकट्ठे ही चल्लेन्गे तुम चलोगे तो मुझे भी कंपनी मिल जाएगी तो दोस्तो एक प्लान और बन गया था अगले दिन ही मैने फॉर्म जमा करवा दिया फिर कुछ टाइम उसके साथ बिताने के बाद मैं अपने घर आ गया

घुसा ही था कि चाची बोली बेटा ये पकोडिया बनाई है जा अनिता भाभी को दे आ मैं जाउन्गि तो काफ़ी देर लग जाएगी मैं ताइजी की वजह से जाना तो नही चाहता था पर फिर चला ही गया गेट खडकाया तो भाभी ही थी मैने उनको डिब्बा दिया औ कहा चाची ने भेजा है उन्होने कहा अंदर नही आओगे क्या मैं उनको देखने लगा वो बोली चिंता मत करो घर पे कोई भी नही है तो मैं झट स अंदर गया और उनको दीवार से सटा दिया और चूमने लगा भाभी ने भी एक शानदार पप्पी दी और फिर अलग हो गयी मैने कहा भाभी कुछ जुगाड़ करो ना तुम्हारे बिना मरे जा रहा हूँ भाभी बोली तू कल छत पे रहियो मैं आँगन मे नहाउंगी तो तू मोका देखकर छत से कूदकर अंदर आ जाना तो मैने कहा ना भाभी रिस्क मैं नही ले सकता और कोई चान्स हो तो बताना तो वो बोली फिर तो मुश्किल ही है मैने कहा कोई बात नही तकदीर मे मिलना होगा तो कोई ना कोई जुगाड़ हो ही जाएगा और वापिस आ गया
 
जैसे ही रात होती थी मेरी तन्हाई चली आती थी एक अजीब सी उदासी की चादर जैसे मुँहे ओढ़ लेती थी मैं समझ ही नही पाता था कि ऐसा मेरे साथ क्यो होता है कुछ तो था जो मुझसे छूट रहा था पर मैं समझ ही नही पा रहा था रात के दो बज चुके थे


मेरी आँखो मे नींद थी ही नही मैं बहुत ही परेशान हो रहा था तो मैने मिता को फोन मिलाया घंटी जाती रही पर उसने फोन पिक नही किया वैसे भी इतनी रात को कौन फोन उठता है मैं हताश हो गया थोड़ा ठंडा पानी पीया तो चैन मिला पर मन मेरा तो प्यासा ही था तो मैने निशा को फोन मिलाया दो चार बार ट्राइ करने के बाद उसने फोन उठा ही लिया और उनीदी सी आवाज़ मे बोली कि इतनी रात को फोन क्यू किया है तो मैने कहा यार मुझे पता नही क्या हो गया है एक बैचैनि से छा गयी है मेरे दिल ओ दिमाग़ मे तुम मुझसे अभी मिल सकोगी क्या तो निशा ने सॉफ सॉफ मना कर दिया बोली उसके पास मेरी फालतू बातों के लिए टाइम नही है और फोन काट दिया अब मैं क्या करू तो मैं अंदर घर गया और पापा के पास जाके सो गया माँ बाप के आँचल से बढ़कर छाँव बच्चो के लिए और कहाँ है सुबह मैं कॉलेज गया तो पता चला कि टूर फाइनल हो गया है 3 दिन बाद घूमने के लिए जाने वाले थे जब स्कूल मे था तो कॉलेज बहुत ही भाता था पर अब मेरा दिल करता ही नही था खैर 3 दिन बीते और हम चल पड़े ग्रूप टूर पे मैं और निशा एक साथ ही बैठे थे ये मेरी जिंदगी का पहला सफ़र था जो मैं किसी लड़की के साथ काट रहा था

सफ़र लंबा था पूरी बस मे हसी ठिठोली चल रही थी बहुत ही खुशनुमा माहौल था मैने अपना सर निशा के कंधे पे टिका दिया और वॉकमॅन पे गाने सुन ने लगा सफ़र मे म्यूज़िक हो तो और भी मजेदार हो जाता है शायद मैं कुछ देर के लिए सो ही गया था फिर बस एक ढाबे पे रुकी तो सर ने कहा कि चलो हाथ-मुँह धो लो और सभी फ्रेश होके थोड़ा चाइ-नाश्ता कर लो तो हम भी नीचे उतर आए मैने अपना कॅमरा लिया और आस पास की फोटो खेंचने लगा फिर मैने निशा के लिए कुछ चिप्स और कोल्ड्रींक्स ली थोड़ा सामान और लिया मैं पैसे दे ही रहा था कि पीछे से निशा ने आवाज़ लगाई कि थोड़ी भूनी हुई मूँगफली भी ले लेना मुझे वो बहुत ही पसंद है तो मैने दो पॅकेट खरीद लिए कोई घंटे भर बाद बस फिर से चल पड़ी थी मंज़िल अभी दूर थी निशा और मैं एक गहन चर्चा कर रहे थे देर रात ढले आख़िर हम जयपुर पहुँच ही गये टाइम 10 से थोड़ा उपर ही हो रहा था थके-मान्दे हम बस से बाहर आए और अपना अपना बेग संभाला तो फिर इनस्टरक्टर ने बताया कि लड़कियो और लड़को के लिए अलग अलग रूम बुक किए है और एक रूम को 3-3 के ग्रूप मे शेअर किया जाएगा फिर हमको सीरियल के हिसाब से अपने अपने रूम अलॉट कर दिए गये

और डिनर रूम मे ही पहुँचा दिया गया बस मे बैठे बैठे मेरी तो कमर ही अकड़ ही गयी थी तो पड़ते ही नींद आ गयी सुबह सवेरे ही मैं नहा धोकर बिल्कुल रेडी हो गया था और नाश्ता करने के लिए नीचे पहुँच गया तो देखा कि निशा भी अपनी कुछ सहेलियो के साथ टेबल पे बैठी थी जैसे ही उसने मुझे देखा वो मेरे पास आ गयी तो मैने उस से नाश्ते के बारे मे पूछा वो बोली उसने तो अपनी फ्रेंड्स के साथ पहले ही कर लिया है तुम भी जल्दी से कर लो नाश्ता पानी के बाद आज हमको पूरे जयपुर का भ्रमण करना था तो सफ़र एक बार फिरसे चल पड़ा आज से पहले तो जयपुर के बारे मे बस किताबो मे ही पढ़ा था पर पता चला कि राजस्थान की शान क्या थी बड़ा ही प्यारा सहर लगा मैं तो हर तरह के रंगो से भरा अपने अंदर एक बेहद विशाल इतिहास को समेटे हुए आमेर का किला, मोटी डूंगरी , आल्बर्ट हॉल , हवा महल और भी बहुत कुछ मैं तो जैसे जयपुर खा ही हो लिया था और फिर दोपहर मे राजस्थानी भोजन का तड़का उस डाल बाटी चुरमे के स्वाद को तो मैं आजतक नही भूल पाया हूँ और फिर उपर से निशा का साथ पूरा दिन ऐसे ही हंसते गाते निकल गया
 
वो अपने दाँतों से लंड को काटने लगी तो मैनें कहा आह क्या करती हो अगर इसको ही खा जाओ गी तो मेरा क्या होगा उसने कहा बहुत दिनो बाद तुम्हारे साथ हूँ तुम बस चुंप रहो और मुझे करने दो जो मैं करती हूँ और बड़े ही मज़े से मेरे लंड पे अपने मुँह से चुप्पे लगाने लगी मैं प्रीतम के नशे मे डूबने लगा मुझसे बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था तो मैने कहा बस करना अभी हट जा पर उसने मेरे लंड को बाहर नही निकाला और पूरे मज़े से उसको चूस्ति ही रही मैं समझ चुका था कि आज ये मेरा पानी पीकर ही मानेगी तो मैने उसके सर को अपने हाथो से दबा लिया और अपने पलों का आनंद उठाने लगा मेरे झड़ने का समय पल पल करीब आता जा रहा था फिर मैनें अपने हाथो से उसके सर को कस लिया और अपनी धार उसके मुँह मे छोड़ने लगा


जो उसके गले से होते हुए उसके पेट मे उतरती चली गयी जब तक मेरा लंड मुरझा नही गया तब तक प्रीतम उसको चाट ती ही रही फिर वो खड़ी हुई और अपने कपड़े उतारने लगी मैने भी अपनी शर्ट और अपनी बनियान को उतार दिया प्रीतम भी नंगी हो चुकी थी वो बेड पर आ गयी और मुझे किस करने लगी कितने ही महीनो बाद मैं उसके शरीर को आज छू रहा था शादी के बाद प्रीतम के शरीर मे काफ़ी बदलाव आ गया था वो और भी ज़्यादा मोटी हो गयी थी उसकी चूचिया नीचे को लटक रही थी लगता था की उसके पति ने जम कर रस चूसा हो उनका और उसकी गान्ड भी बहुत फूल गई थी मैं बोला जानू थोड़ा वजन कम करले तो वो कहने लगी कि मेरे पति को मैं मोटी ही अच्छी लगती हूँ प्रीतम ने अपनी जाँघो को फैलाया और बोली कि चलो बाते बहुत हो गयी अब तुम भी जल्दी से इसको चाटो बहुत ही खुजली लग रही है इसमे तो मैने उसकी चूत की पंखुड़ियो को फैला दिया और अपनी जीभ उसकी चूत मे घुसा दी और उसकी चूत मे गोल गोल घुमाने लगा


वो बोली अभी जाके मज़ा आया है क्या बताऊ तुम्हे मेरा पति मुझे रगड़ता तो है पूरा दम लगा के पर इसको चाट ता नही है तो मेरी हसरत अधूरी रह जाती है अब उसको डाइरेक्ट्ली कह भी नही सकती हूँ तो मैने कहा चल कोई नही जब तक तू यहाँ है मुझसे रोज ही चटवा लिया कर तो कहने लगी कमिने एक हफ़्ता हो गया आए हुए तू पता नही कहाँ कहाँ घंटा बजाता रहता है चल जल्दी से मेरी प्यारी को थोड़ा प्यार तो करले और अपनी टाँगो को ठीक से फैला लिया मैने अपने होंठो पे जीभ फेरी और उसकी चूत पर टूट पड़ा मैं उसको ऐसे खाने लगा जैसे कोई बरफी का टुकड़ा हो शादी के बाद भी उसकी चूत इतना नही घिसी थी बहुत ही मोहक सुगंध रही थी उसमे से मैं अपनी जीभ से चुंपद चुंपद लगा हुआ था प्रीतम को दोनो जहाँ का मज़ा आ रहा था

उसकी मादक सिसकारियो की आवाज़ किसी मधुर संगीत की तरंग की तरह मेरे कानो मे घुल रही थी उसकी चूत बहुत ही खारा पानी छोड़ रही थी जिसको मैं चटखारे लेते हुए चाटे जा रहा था लग रहा था कि आज अगर उसको नही संभाला तो आज वो हर बाँध को तोड़ देगी और फिर बाढ़ तो आनी ही थी काफ़ी देर तक मैं पूरे मन से उसकी चूत को चाट ता रहा मेरा लॉडा भी दुबारा से तन चुका था तो मैने अपना मूह उसकी योनि से हटाया और उसके चुतडो को थप्तपाते हुए प्रीतम को खड़ी कर दिया अब हम दोनो एक दूसरे के आमने सामने खड़े थे मैने उसको अपनी ओर किया और उसकी एक टाँग को थोड़ा सा उपर किया और अपने लड को चूत के छेद से सटा दिया प्रीतम का बदन ऐसे तपने लगा था जैसे कि उसको बुखार चढ़ा हो मैने सपोर्ट के लिए अपना हाथ उसकी कमर मे डाल दिया और लड को चूत मे सरका दिया


चूत की पंखुड़ियो को चूमते हुए लड उस प्यासी चूत मे प्रवेश कर गया मेरे लगाए हर धक्के पर प्रीतम का बदन हिचकोले खाने लगा था प्रीतम ने अपने हाथो से मेरे कंधो को पकड़ लिया और झूलते हुए चुदने लगी बस थप थप की आवाज़ हमारी टाँगो के आपस मे टकराने से हो रही थी उसके अलावा सबकुछ खामोश ही था जब जब प्रीतम के साथ सेक्स करता था हर बार बिल्कुल ताज़ा ताज़ा सा ही लगता था कुछ तो बात थी ही उस मर्जानी में .

मैं थोड़ा सा आगे हुआ और प्रीतम के रस से भरे अधरो को चूम लिया प्रीतम ने अपना मूह खोल दिया और हमारे होंठ आपस मे चिपक गये नीचे मेरा लड अंदर बाहर हुए जा रहा था तभी प्रीतम ने अपना हाथ अपनी चूत की उपर वाले हिस्से मे लगा लिया और उसको सहलाते हवुए चुदने लगी उत्तेजना से मेरे कानो मे गर्मी बढ़ने लगी थी मुझसे कंट्रोल छूट चुका था तो मैं पूरा दम लगा के उसकी चूत की चटनी बनाए जा रहा था और फिर 30-35 मिनट तक एक बेहद ही मजेदार चुदाई करने के बाद मैं डिसचार्ज होने लगा मैने बिना किसी चिंता के अपना सारा पानी उसकी चूत मे ही डाल दिया
 
जितनी देर तक उसका वजन थामे रखने के कारण मेरे घुटने जवाब दे गये थे तो मैने उसको अपने से अलग किया और फर्श पे ही लेट गया और लंबी लंबी साँसे लेने लगा प्रीतम मेरे रुमाल से अपनी चूत से बहते हुए मेरे पानी को सॉफ करने लगी कुछ देर बाद मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा तो प्रीतम बोली अरे अभी क्यू पहन रहे हो तो मैने कहा अभी मुझे जाना होगा वो मुझे रोकने की कोशिश कर रही थी पर मैं नही रुका पर जाने से पहले मैने उसको अपना नंबर दे दिया और उसको कहा कि मुझे कॉल करना फिर मैं सीधा अपने प्लॉट मे आ गया और चारपाई पे लेट गया मैने मिता को कॉल किया तो उसने बताया कि वो भी फ्री ही थी तो मैं उस से बाते करने लगा मैने उसको बताया कि बस थोड़े ही दिन मे एनडीए का रिज़ल्ट आने वाला है अगर सेलेक्ट हो गया तो तेरा यार फ़ौजी बन जाएगा मिता हँसने लगी जब जब वो हस्ती थी मेरा दिल कुछ ज़्यादा ही धड़कने लगता था जब तक मेरा बॅलेन्स ख़तम ना हो गया मैं बात करता ही रहा फिर फोन कट गया फिर उसने कॉल बॅक किया तो मैने कहा कि तू फोन रख दे मैं शाम को बात करूगा मुझे थोड़ी थकान सी भी हो रही थी तो मैं वही पे सो गया पता नही मैं कितनी देर सोया मोबाइल की रिंग से मेरी आँख खुली



तो मैं नीद मे ही फोन उठाया घर से था मेरी नींद अभी पूरी तरह से नही खुली तो बस ऐसे ही हाँ हूँ करता रहा पर समझ मे कुछ नही आया अधखुली आँखो से उठा मूह धोया तो दिमाग़ कुछ सेंटर मे आया फिर मैं घर चल पड़ा जाते ही मैने मम्मी को कहा कि मेरे सर मे बहुत दर्द है एक कड़क चाइ बना दो.


मैं चाइ पी ही रहा था कि तभी निशा का फोन आया वो मुझे बुला रही थी तो मैने कहा कि यार आज तबीयत थोड़ी खराब सी हो रही है एक काम कर तू मेरे घर आजा तो वो बोली ठीक है मैं आती हू मैं उसका इंतज़ार करने लगा 15-20 मिनट बाद वो आई चूँकि उसके पिता कारगिल युद्ध के सहीद थे तो उसको लगभग हर कोई जानता था फिर भी मैने उसको अपने घर वालो से इंटो करवाया मम्मी ने उसको बैठने को कहा और उसके लिए चाइ-नाश्ता लाने चली गयी हम बाते करने लगे कि मम्मी और चाची भी शामिल हो गयी बहुत ही खुशनुमा माहौल था कोई एक घंटे बाद वो बोली अंधेरा होने लगा है अब मुझे चलना चाहिए तो मैने कहा रूको मैं तुमको छोड़के आता हू फिर हम साथ साथ बाहर आ गये तो निशा बोली तुम्हारी तभी ठीक नही है तुम रहने दो मैं चली जाउन्गि तो मैं वापिस अंदर आ गया


लाइफ डेली रुटीन पे चल ही रही थी बस कट ही रही थी मेरा कॉलेज जाना ना जाना बराबर ही था मुझे आज भी याद है वो तारीख नवंबर 24 मिता का जनमदिन आ गया था पर वो नही थी मेरे साथ फोन पे ही शुभकामनाए दी उसको . कमरे से बाहर आया ही था कि पापा ने आवाज़ लगाई तो मैं दौड़ते हुए गया वो थोड़ी अधिरता से बोले कि तेरा रिज़ल्ट आ गया है जल्दी से रोल नंबर स्लिप लेकर आ ये सुनते ही मेरे शरीर मे घबराहट फैल गयी मैने स्लिप उनको देते हुए कहा कि पापा आप ही देखलो मुझसे ना हो गा तो वो देखने लगे आख़िर लास्ट वाली लाइन मे मेरा नंबर मिल ही गया था तो दोस्तो अपना सेलेक्षन हो गया था .

पापा की आँखे भीग गयी उहोने मुझे अपने सीने से लगा लिया और भावुक स्वर मे बोले बेटा आज तूने मेरा सर उँचा कर दिया मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा था कि मेरा सेलेक्षन हो गया उस बंदे का जो कभी भी सीरीयस नही था बस ऐसे ही फॉर्म भर दिया था पापा ने उसी दिन कहा कि वो देवता की सवामनी करवाएँगे आख़िर उनका बेटा एक सोल्जर बन ने जा रहा था शाम तक खबर फैल गयी कि फलाना बंदे का एनडीए मे चयन हो गया है

मैं तो जैसे पंख लगाए उड़े जा रहा था जब शाम को मैने निशा को बताया तो उसे तो विश्वास ही नही हुआ फिर वो उदास हो गयी बोली तो ये तय है कि कुछ दिनो मे तुम भी चले जाओगे तो मैनें कहा क्या यार तुम ये बात लेके बैठ गयी हो यार जाना तो पड़ेगा ही ना मैं उसको पार्टी देना चाहता था पर उसका मन थोड़ा भारी भारी सा हो गया था तो मैने प्लान कॅन्सल कर दिया .
 
10 दिन बाद ही मेरा लेटर आ गया था मुझे खडकवास्ला पुआ जाना था टाइम भी कम ही था कुछ डॉक्युमेंट्स वग़ैरा तैयार करवाने थे और कॉलेज से अपने जमा करवाए सर्टिफिकेट्स भी वापिस लेने थे इस बीच सेक्स तो जैसे छूट ही गया था बस कुछ ही दिनो मे मुझे जाना था ट्रेन मे रिज़र्वेशन हो चुका था मेरी तरफ से तो सारी तैयारी पूरी हो ही चुकी थी बस इंतज़ार था रवाना होने का जैसे जैसे दिन करीब आता जा रहा था मेरा मन घबराने लगा था मैने सोचने लगा कि अगर मैं चला गया तो मेरी सेक्सी जिंदगी तो ख़तम ही हो गई थी मैं चूत मारे बिना कैसे रह पाउन्गा पर जाना तो था ही तो मैने सोचा कि क्यू ना थोड़ा एंजाय कर लू तो मैने अपनी दुविधा अनिता भाभी को बताई तो उहोने कहा एक काम कर आज रात तू मेरे कमरे मे आजा बाकी मैं संभाल लुगी उहोने कहा कि आना तो छत कूदके ही पड़ेगा कुछ सोच कर मैने हाँ कह दी और रात का इंतज़ार करने लगा

रात को साढ़े दस बजे मैं छत पे चढ़ा और भाभी की छत से उतरते हुए उसके आँगन मे पहुच गया अनिता के कमरे का दरवाजा खुला ही था जैसे ही मैं अंदर गया मेरे तो होश ही उड़ गये आज तो उहोने पूरा शृंगार किया हुआ था वो बेहद सुंदर लग रही थी भाभी ने गेट को बंद किया और वही खड़ी होके मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी इस कमरे से बहुत सी यादे जुड़ी हुई थी मेरी आख़िर उसी कमरे मे मैने पहली बार चूत का स्वाद चखा था वो भाभी ही तो थी जिन्होने मुझे मर्द होने का एहसास करवाया था

क्रीम कलर की साड़ी मे वो एक गुड़िया सी लग रही थी भाभी धीरे से मेरे पास आई और मेरी जाँघ पर बैठ गयी और मेरी आँखो मे देखने लगी मैं उकी ज़ुल्फो को सहलाने लगा उनके पतले पतले होंटो पे हल्के गुलाबी कलर की लिपीसटिक मेरा ध्यान भटका रही थी भाभी बोली इतनी गौर से क्या देख रहे हो पहले मुझे नही देखा है क्या तो मैने कहा देख लेने दो जी भर कर आगे क्या पता कब आपके दीदार होंगे भाभी खामोश हो गयी मैने उनके पतले होंठो पे अपने होंठ रख दिए और उनको किस करने लगा भाभी के बदन मे एक लहर सी उत्पन्न हो गयी भाभी ने भी मेरा सहयोग करना शुरू कर दिया था


शहद से भी मीठे उनके होन्ट जब पहली बार उनको चूमा था तब भी वो ऐसे ही ताजे थे जितने कि आज किस करते करते ही मैने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया और उनके ब्लाउस के हुको को खोलने लगा अंदर उहोने ब्रा नही पहनी थी तो उनकी गौरी गौरी उन्नत छातियाँ तुरंत ही मेरे हाथो मे आ गयी जिनको मैने अपने हाथो मे थाम लिया और बड़े हो प्यार से सहलाने लगा अब मैने अपने होंठो को अलग किया और वो मेरी गोदी मे लेट सी गयी

मैं खुल के अपने हाथो को उनकी चुचियों पे चलाने लगा भाभी उत्तेजित होने लगी थी उनके बोबे पूरी तरह तन गये थे जैसे कि किसी पहाड़ की दो चोटिया हो मैं थोड़ा झुका और उनके एक बोबे को अपने मूह मे ले लिया और दूसरे को दबाने लगा कुछ ही देर मे मैने उनके दोनो बोबो को पी पी कर एक दम लाल कर दिया था फिर मैने उनको कपड़े उतारने को कहा और अपने कपड़े भी उतार दिए अब हम दोनो जनम्जात अवस्था मे थे अनिता ने मेरे लड को पकड़ लिया तो मैने उनको कहा कि चलो साथ ही करते है और हम दोनो 69मे हो गये उनके चूतड़ मेरे मूह पे थे तो मैने उनको थोड़ा नीचे किया और उनकी छोटी सी चूत को अपने मूह मे ले लिया भाभी की चूत फडक उठी मैं उनकी चूत और गान्ड दोनो को साथ साथ चाटने लगा

दूसरी ओर वो भी मेरे लड पे अपने होंठो का जादू चलाने लगी थी उनकी चूत रिसने लगी थी वो अपनी गान्ड को मटका मटका के मुझे अपना रस पिला रही थी उधर मेरा लड भी जैसे पिघलने लगा था उनके मूह मे और मैं बिल्कुल भी चोदे बिना झड़ना नही चाहता था तो मैने उनको अपने उपर से धक्का देकर हटा दिया और उनकी जाँघो को अपनी जाँघो पे चढ़ा लिया बस अब मिलन की देर थी मेरा सुपाडा उनकी चूत को टच करे जा रहा था तो भाभी ने अपने हाथो से उसको अपने छेद पे लगाया और मुझे घुसाने को बोली तुरंत ही आधा लड अपना रास्ता बनाते हुए उनकी चूत मे समा गया भाभी ने एक गहरी आह ली और मेरी बाहों मे खोती चली गयी मैं और भाभी एक दूसरे के सामर्थ्य को तौलने लगे वो बड़ी ही बेकरारी से मुझको चूमे जा रही थी
 
उनकी हथेलिया मेरे पूरे शरीर पर रेंग रही थी बेड पर एक तूफान आ गया था उनकी मचलती जवानी और मेरे जलते अरमान हर एक धक्के के साथ मैं उनमे पूरी तरह से समाने की कोशिश करे जा रहा था एक दीवानगी सी छा गयी थी हम दोनो पर . जितना कस कर मैं उनकी चूत पे धक्का लगाता उतना ही उनकी चूत मेरे लड पे कसी जा रही थी भाभी मेरे प्रति ऐसे समर्पित थी जैसे कि वो मेरी ही पत्नी हो आज की ये चुदाई हवस की ना होकर भावनात्मक लगाव की थी हम दोनो हर एक पल का पूरा आनंद ले रहे थे भाभी की गरमागरम साँसे मेरे मूह मे ही घुलसी रही थी मैं तो बावरा हो गया था उनके हुस्न की पनाह पाकर भाभी अब बेकाबू घोड़ी हो गयी थी मेरा लड उनकी चूत मे और भी गहरा धंसा जा रहा था मस्ती का आलम इस कदर चढ़ चुका था कि रज़ाई ना जाने कब हमारे उपर से उतर कर नीचे जा गिरी थी मैने इस कदर उनके होंठ को चबाया कि वो साइड से कट गया और खून निकल आया जिसे मैं चाटने लगा था तभी भाभी की पकड़ मुझपे मजबूत होने लगी उनके नाख़ून मेरी पीठ को खरोचने लगे और फिर एक तेज झटके के साथ वो ढीली पड़ गयी और उनकी चूत से रस की नदी बह निकली जिस से मेरी टांगे भी चिपचिपी हो गयी

पर मैं वैसे ही लगा रहा थोड़ी देर तो उहोने सहा फिर मुझे हटने को कहा मेरा मूड तो नही था पर मैं उनके उपर से उतर गया तो भाभी उठी और मेरी हालत को समझते हुए मेरे लड को अपने मूह मे भर लिया और अपनी चूत के रस से सने हुए लड को अपनी लंबी जीभ से चाटने लगी मेरे सुपाडे पे चलती उनकी जीभ को मेरा लड ज़्यादा देर तक नही सह पाया और उसने उनके मूह मे ही अपनी धार मारनी शुरू कर दी भाभी गाटा गट मेरे पानी को पीने लगी मैं निढाल होकर बिस्तर पर पड़ गया

ना जाने कब मेरी आँख लग गयी जब मेरी आँख खुली तो 3 बज रहे थे मैं उठा कपड़ो को संभाला और जिस रास्ते से गया था उसी रास्ते से वापिस आ गया बाहर गहरी धुन्ध छाई पड़ी थी ठंड से मेरी रीढ़ की हड्डी कांप गयी मैने किवाड़ खोला और बिस्तर मे घुस गया तब जाके थोड़ा सा चैन मिला नींद तो उड़ ही गयी थी मैं लेटे लेटे ही अपने जीवन के बारे मे सोचने लगा मुझे अपनी ज़िंदगी की एक नयी शुरुआत करनी थी कुछ ही दिनो मे मुझसे ये सब कुछ छूट जाएगा पता नही नया माहौल कैसा होगा ये सब सोचते सोचते सुबह के5 बज गये मैने मिता को फोन लगा दिया पहली ही घंटी मे उसने फोन उठा लिया तो वो कहने लगी कि वो पूरी रात सोई ही नही उसके समस्टेर के प्रॅक्टिकल्स चल रहे है तो वो पूरी रात बचे हुए काम को ही फिनिश कर रही थी मैने मिता से कहा कि तुम्हारी बहुत याद आती है तो उसने बात को टाल दिया पर मेरे दिल मे बहुत कुछ था उसको बताने के लिए पर वो बिजी होने का बहाना बना रही थी मुझे गुस्सा सा आने लगा था मैने कहा यार दो दिन बाद मुझे जाना है फिर पता नही लाइफ कैसी हो क्या पता फ्री टाइम मिले ना मिले मिता बोली प्लीज़ तुम समझो मेरा काफ़ी काम पेंडिंग है


मुझे प्रॅक्टिकल सब्मिट करनी है मैं तुमसे बाद मे बात करूगी और फोन काट दिया मैं हेलो हेलो करता ही रह गया मेरे दिमाग़ का फ्यूज़ ही उड़ गया वैसे मुझे कभी गुस्सा आता नही था पर उस दिन मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया मैने फोन को सामने दीवार पर दे मारा एक मिनट मे ही उसके टुकड़े बिखर गये मैं कमरे के बाहर निकला और मंदिर की सीढ़ियो पे जाके बैठ गया आज ठंड भी कुछ ज़्यादा ही थी मेरी स्वेटर भी उसको नही रोक पा रही थी पर मैं वही बैठा रहा शांत पानी को देखता ही रहा उस शांत पानी को देखकर मुझे कुछ हॉंसला सा मिला पर मूड बहुत ही खराब था काफ़ी देर उधर ही बैठने के बाद मैं घर आया तो देखा कि घर वाले मेरी पॅकिंग करने मे लगे है मम्मी ने काफ़ी सारा सामान इकट्ठा का लिया था काजू, बादाम, गोंद के लड्डू , घी और मेरा फेव. गाजर का आचार जब मैने ये सब देखा तो मैने उनको सॉफ सॉफ कह दिया कि मैं कुछ नही ले जाउन्गा बस दो-चार जोड़ी कपड़े और अपना बेग बस और कुछ नही तो मम्मी बोली बेटा थोड़ा सा ही तो सामान है पर मैने मना कर दिया फिर मैने थोड़ा बहुत कुछ खाया पिया और अपने कमरे मे आया तो मेरी नज़र टूटे पड़े फोन पर गयी तो मेरा दिमाग़ और भी खराब हो गया .


पर अब कुछ नही हो सकता था मैं वही कुर्सी पे बैठ गया और सोचने लगा मिता के व्यवहार से मेरा मन बुझ गया था आज से पहले उसका बिहेवियर ऐसा कभी नही था मुझे चैन नही मिल रहा था तो मैने मम्मी से पैसे लिए और मैं सहर चला गया थोड़ा सामान भी खरीदना था वहाँ जाके मुझे निशा का ध्यान आया तो मैं कॉलेज गया और उसको अपने साथ ले लिया मैं उसको एक लॅडीस गारमेंट की दुकान पे ले गया और उसके लिए दो सूट खरीदे वो मना कर रही थी तो मैने उसका हाथ पकड़ा और उसकी आँखो मे आँखे डालते हुए कहा कि देख मैं अब चला जाउन्गा ना जाने कितने दिन बाद आना होगा प्लीज़ यार तू मना मत कर आख़िर एक तू ही तो मेरी दोस्त है तेरे सिवा और कौन है मेरा मैं थोड़ा भावुक हो गया तो निशा ने हाँ कर दी फिर मैने उसकी पसंद के सूट खरीदे अपने लिए भी सामान खरीदा और शाम होते होते गाँव आ गये निशा का साथ मुझे बेहद सकुन देता था पर वो बस आख़िर दोस्त ही थी मेरी या दोस्त से कुछ ज़्यादा ही हो गयी थी जितना वो मुझे समझती थी उतना तो मिता कभी नही जानती थी पर मिता मेरी प्रेरणा थी
 
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