desiaks
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अपडेट-16
राज :- तभी तो कहता हूँ जल्दी दिखा मुझे नही तो ये तेरी बच्चेदानी तक पहुच गयी तो फिर तू कभी माँ नही बन पाएगी. मुझे तेरी बहुत चिंता हो रही है और तू है की शरमाये जा रही है.
सोनम :- भैया आप कैसे ठीक करोगे...... ?
राज :- गाओं के बाहर नदी किनारे जो खंडहर है ना मैने वहाँ पर इस खुजली को दूर करने की दवाई का पेड़ लगा रखा है…..चल जल्दी से
वही पर तेरा जल्दी इलाज़ कर देता हूँ इससे पहले कि ये तेरी बुर के साथ साथ कोई और अंग मे फैल जाए.
सोनम :- आआआहह…..उूउउइमाआअ….भैयाअ…मुझे ठीक कर दो…..जैसा आप कहोगे मैं करूँगी…आआअहह अब तो खुजलाते खुजलाते मेरा हाथ भी दर्द करने लगा है और जलन भी होने लगी है वहाँ पर बहुत.
राज :- चल जल्दी से मेरे साथ वही खंडहर मे…..और किसी को बताना मत
सोनम :- चलो भैया....मुझे जल्दी ठीक कर दो
अँधा क्या चाहे दो आँखे…..सोनम के हाँ कहते ही मैने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर घर से बाहर साइकल मे बिठा कर खंडहर की तरफ सोनम को लेकर निकल गया.
अब आगे……..
खंडहर मे पहुचते ही मैने सोनम को नीचे उतार कर जल्दी से साइकल को अंदर रख दिया जिससे किसी को कुछ पता ना चले वरना ऐसे वीरान जगह पर साइकल या बाइक खड़ी दिखने पर आज कल के लड़को को तुरंत समझ आ जाता है कि आस पास चुदाई चल रही है, और
बीच मे बहती गंगा मे हाथ धोने दौड़े चले आते हैं…साले बहुत चोदु किस्म के लड़के पैदा होने लगे हैं आज के युग मे.
ये खंडहर दो मंज़िला था, मैं सोनम को गोद मे उठा कर उपर ले गया और टेरेस का दरवाजा बंद कर दिया…उपर वाले कमरे मे मैने पहले से ही गाओं के ही मुखिया के खेत मे बने मकान से चारपाई और गद्दा रज़ाई चुरा कर यहा बिच्छा रखी थी ऐसे ही कामो के लिए.
खंडहर होने की वजह से वैसे भी यहाँ कोई ज़्यादा आता जाता तो नही था….मेरे चुदाई कार्य क्रम के लिए सबसे बेस्ट जगह थी यह.
सोनम को लेकर मैं रूम मे आ गया जहाँ बिस्तर देख कर वह चौंक गयी और मुझे घूर्ने लगी जैसे कि कुछ पूछना चाह रही हो.
सोनम—भैया ये बिस्तर यहाँ कौन लाया…? यहाँ कौन रहता है….?
राज—अरे कोई नही रहता…ये तो उस दिन का बिस्तर है जब मैं मेडम का इलाज़ करने यहाँ पर उन्हे लाया था.
सोनम—तो फिर करो ना मेरा इलाज़, मैं इस खुजली से मरी जा रही हूँ.
राज—अभी करता हूँ मेरी गुड़िया बहन….चल जल्दी से मुझे दिखा वो जगह खुजली वाली और अब मत शरमाना नही तो मैं अच्छे से इलाज़
नही कर पाउन्गा.
सोनम—ठीक है भैया….नही शरमाउंगी, आप शुरू करो.
राज—तो फिर बता मुझे कहाँ पर खुजली हो रही है….?
सोनम—आपको पता तो है भैया.
राज—लेकिन मैं तुम्हारे मूह से सुनना चाहता हूँ.
सोनम—वो….वो….मेरी…..ब..उ…र…..में,..आप बहुत खराब हो भैया
राज—चल जल्दी दिखा मुझे अपनी बुर, चड्डी उतार दे
सोनम—ऐसे ही चड्डी के अंदर हाथ घुसेड कर दवा लगा दो ना भैया.....मुझे दिखाने मे शरम आती है.
मैने सोनम को लिटा कर जल्दी से उसकी चड्डी खीच कर उतार दी….चड्डी उतारने के बाद जैसे ही मैने उसके पैर फैलाए तो सोनम की जाँघो की जड़ो मे देखते ही मेरी आँखो मे चमक आ गयी….दिल बल्लियो उच्छलने लगा.
सोनम की बुर पर छोटी छोटी रेशम की जैसी मुलायम झान्टो का झुर्मुट उगा हुआ था….मुझे अपनी बुर को घूरते देख कर सोनम ने लज़्ज़ा वश दोनो हाथो से अपनी बुर को ढक लिया.
राज—हाथ हटाओ नही तो मैं चेक कैसे करूँगा…..?
राज :- तभी तो कहता हूँ जल्दी दिखा मुझे नही तो ये तेरी बच्चेदानी तक पहुच गयी तो फिर तू कभी माँ नही बन पाएगी. मुझे तेरी बहुत चिंता हो रही है और तू है की शरमाये जा रही है.
सोनम :- भैया आप कैसे ठीक करोगे...... ?
राज :- गाओं के बाहर नदी किनारे जो खंडहर है ना मैने वहाँ पर इस खुजली को दूर करने की दवाई का पेड़ लगा रखा है…..चल जल्दी से
वही पर तेरा जल्दी इलाज़ कर देता हूँ इससे पहले कि ये तेरी बुर के साथ साथ कोई और अंग मे फैल जाए.
सोनम :- आआआहह…..उूउउइमाआअ….भैयाअ…मुझे ठीक कर दो…..जैसा आप कहोगे मैं करूँगी…आआअहह अब तो खुजलाते खुजलाते मेरा हाथ भी दर्द करने लगा है और जलन भी होने लगी है वहाँ पर बहुत.
राज :- चल जल्दी से मेरे साथ वही खंडहर मे…..और किसी को बताना मत
सोनम :- चलो भैया....मुझे जल्दी ठीक कर दो
अँधा क्या चाहे दो आँखे…..सोनम के हाँ कहते ही मैने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर घर से बाहर साइकल मे बिठा कर खंडहर की तरफ सोनम को लेकर निकल गया.
अब आगे……..
खंडहर मे पहुचते ही मैने सोनम को नीचे उतार कर जल्दी से साइकल को अंदर रख दिया जिससे किसी को कुछ पता ना चले वरना ऐसे वीरान जगह पर साइकल या बाइक खड़ी दिखने पर आज कल के लड़को को तुरंत समझ आ जाता है कि आस पास चुदाई चल रही है, और
बीच मे बहती गंगा मे हाथ धोने दौड़े चले आते हैं…साले बहुत चोदु किस्म के लड़के पैदा होने लगे हैं आज के युग मे.
ये खंडहर दो मंज़िला था, मैं सोनम को गोद मे उठा कर उपर ले गया और टेरेस का दरवाजा बंद कर दिया…उपर वाले कमरे मे मैने पहले से ही गाओं के ही मुखिया के खेत मे बने मकान से चारपाई और गद्दा रज़ाई चुरा कर यहा बिच्छा रखी थी ऐसे ही कामो के लिए.
खंडहर होने की वजह से वैसे भी यहाँ कोई ज़्यादा आता जाता तो नही था….मेरे चुदाई कार्य क्रम के लिए सबसे बेस्ट जगह थी यह.
सोनम को लेकर मैं रूम मे आ गया जहाँ बिस्तर देख कर वह चौंक गयी और मुझे घूर्ने लगी जैसे कि कुछ पूछना चाह रही हो.
सोनम—भैया ये बिस्तर यहाँ कौन लाया…? यहाँ कौन रहता है….?
राज—अरे कोई नही रहता…ये तो उस दिन का बिस्तर है जब मैं मेडम का इलाज़ करने यहाँ पर उन्हे लाया था.
सोनम—तो फिर करो ना मेरा इलाज़, मैं इस खुजली से मरी जा रही हूँ.
राज—अभी करता हूँ मेरी गुड़िया बहन….चल जल्दी से मुझे दिखा वो जगह खुजली वाली और अब मत शरमाना नही तो मैं अच्छे से इलाज़
नही कर पाउन्गा.
सोनम—ठीक है भैया….नही शरमाउंगी, आप शुरू करो.
राज—तो फिर बता मुझे कहाँ पर खुजली हो रही है….?
सोनम—आपको पता तो है भैया.
राज—लेकिन मैं तुम्हारे मूह से सुनना चाहता हूँ.
सोनम—वो….वो….मेरी…..ब..उ…र…..में,..आप बहुत खराब हो भैया
राज—चल जल्दी दिखा मुझे अपनी बुर, चड्डी उतार दे
सोनम—ऐसे ही चड्डी के अंदर हाथ घुसेड कर दवा लगा दो ना भैया.....मुझे दिखाने मे शरम आती है.
मैने सोनम को लिटा कर जल्दी से उसकी चड्डी खीच कर उतार दी….चड्डी उतारने के बाद जैसे ही मैने उसके पैर फैलाए तो सोनम की जाँघो की जड़ो मे देखते ही मेरी आँखो मे चमक आ गयी….दिल बल्लियो उच्छलने लगा.
सोनम की बुर पर छोटी छोटी रेशम की जैसी मुलायम झान्टो का झुर्मुट उगा हुआ था….मुझे अपनी बुर को घूरते देख कर सोनम ने लज़्ज़ा वश दोनो हाथो से अपनी बुर को ढक लिया.
राज—हाथ हटाओ नही तो मैं चेक कैसे करूँगा…..?