hotaks444
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उसने मुझे देखा ऑर फिर से बुक को अपने फेस के आगे रखने लगी लेकिन जब उसने देखा कि मैं
टी-शर्ट पहन चुका हूँ तो उसने एक बार मेरी तरफ देखा ऑर अपना ध्यान बुक की तरफ किया ऑर
नज़रे झुका कर स्टडी करने लगी,,,,
मैने वहाँ से कुछ कपड़े लिए ऑर नीचे मामा के रूम मे आके शवर लेके सो गया,,,आज जल्दी सोना
था लेकिन मैं लेट हो गया था,,सुबह जल्दी जो उठना था,,,कल से एग्ज़ॅम शुरू होने वाले थे,,,ऑर
कल पहला एग्ज़ॅम था,,,,मैं शवर लेके जल्दी से सो गया,,,,
नेक्स्ट डे कॉलेज से एग्ज़ॅम देके वापिस घर आया ऑर मामा के रूम मे बैठ कर अगले एग्ज़ॅम की तैयारी
करने लगा,,,तभी मुझे बाहर बेल बजने की आवाज़ सुनाई दी लेकिन मैं बाहर नही गया क्यूकी बाहर
माँ थी वो दरवाजा खोल देती,,,,,
तभी कुछ देर बाद माँ जल्दी से मेरे रूम मे आई,,, ऑर ज़ोर से बोलने लगी,,,,
तूने कुछ ग़लत काम किया है क्या सन्नी,,,,,
मैं तो एक दम से डर गया क्यूकी माँ बड़ी घबराई हुई थी,,,उनको पसीना भी काफ़ी आया हुआ था,,
मैं उनकी बात सुनके एक दम से चौंक गया ऑर कुछ नही बोल पाया,,,,तभी वो फिर से बोली,,,तूने
कुछ ग़लत काम किया है क्या सन्नी,,,,,
नही माँ मैने कुछ ग़लत काम नही किया,,लेकिन आप ऐसे क्यूँ पूछ रही हो ऑर इतना घबरा क्यूँ
रही हो,,,
तूने कोई ग़लत कम नही किया तो बाहर पोलीस क्यूँ आई है ऑर तेरे बारे मे क्यू पूछ रही है,,
पोलीस????? हमारे घर मे,,,,
हाँ हमारे घर मे ऑर नही तो क्या पड़ोसी के घर मे,,,,बोल क्या किया है तूने,,,,
माँ मेरे से पूछ रही थी लेकिन मैं कुछ नही बोला ऑर रूम से बाहर निकल आया ,,जब सामने
देखा तो दरवाजे पर इनस्पेक्टर ख़ान थे,,,,मैं एक दम से हँसने लगा अपनी माँ की हालत पे,,
मैं आगे बढ़ कर ख़ान भाई के पास गया ऑर उनसे हाथ मिलाके गले लग गया,,,,,
सलाम ख़ान भाई,,,
वालेकुम सलाम, सन्नी,,,,कैसे हो सन्नी ,,,,
मैं तो ठीक हूँ लेकिन आप आज मेरे घर कैसे,,,,ख़ैरियत तो है ख़ान भाई
कुछ नही बस इधर से गुजर रहा था तो सोचा एक बार मिल लूँ तेरे से,,,क्यूँ मैं तेरे से मिलने
नही आ सकता क्या,,,
ऐसी बात नही है ख़ान भाई बस आपको देख कर माँ थोड़ा डर गई थी,,,,ऑर मुझपे पर शक करने
लगी थी,,,,
ख़ान भाई मेरी बात सुनके हँसने लगे,,,,,ये पोलीस की वर्दी चीज़ ही ऐसी है पहले सिर्फ़ गुंडे डरते
थे लेकिन आज कल आम आदमी भी डरने लगा है,,,पता नही क्या होगा,,,
कुछ नही होगा ख़ान भाई कुछ लोगो ने इसका ग़लत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है इसलिए आम आदमी
भी आज कल गुंडे से ज़्यादा पोलीस से डरता है,,,,आप छोड़ो इन बातों को ऑर अंदर आओ,,,,
मैने ख़ान भाई को अपने साथ मामा के रूम मे ले गया,,,,
आप ऐसे ही मुझसे मिलने नही आए होगे ख़ान भाई ज़रूर कुछ बात होगी,,,
तुमको ऐसा क्यूँ लगा सन्नी,,,,मैं तो तुमसे ऐसे ही मिलने चला आया,,,
नही ख़ान भाई मैं जानता हूँ आप ऐसे ही नही आए कुछ बात करने आए होगे पक्का,,,,पोलीस
किसी के पास ऐसे ही नही जाती,,,
सही बोला सन्नी,,,मैं बस तेरे से पूछने आया था कि अब आगे क्या करना है,,,प्लान क्या है आगे
का,,
प्लान बहुत सिंपल है ख़ान भाई,,,बस उसके लिए मुझे एक बार सुमित से मिलना होगा,,कहाँ है
सुमित,,,,
सुमित उन्ही लोगो के पास है सन्नी जो तेरे कॉलेज मे आए थे,,,,
क्या सुमित उन गुन्डो के पास है,,,,मैने हैरान होते हुए बोला ,,लेकिन अपने तो बोला था उसको
किसी सेफ जगह रखने के लिए,,,,
ख़ान भाई हँसने लगे,,,,सन्नी वो गुंडे नही थे,,पोलीस वाले थे,,,वो लोग स्पेशल ब्रांच के लोग
थे ऑर ऐसे लोग गुंडे से कम नही होते,,,वो मेरे दोस्त है ऑर मेरे साथ इसी केस पर काम कर
रहे है,,,
ओह्ह अच्छा ,,लेकिन उन लोगो ने तो बहुत बुरी तरह से मारा था सुरेश ओर उसके दोस्तों को,,
सन्नी ये स्पेशल ब्रांच के लोग बहुत बुरी मार मारते है,,,पत्थर भी मुँह खोलने लगता है इनके
सामने,,,,अच्छा वैसे तुमको अब सुमित से क्यूँ मिलना है,,,
मुझे कुछ काम है उस से ,,,उस से एक बार मिलना होगा तभी प्लान आगे बढ़ पाएगा,,,,
ठीक है तो चलो अभी मिलवा देता हूँ,,,लेकिन मैं तुमको वहाँ नही लेके जाउन्गा,,,अगर किसी
ने तुमको मेरे साथ देख लिया तो पंगा होगा,,,
पंगा कैसा पंगा,,अभी भी तो आप मेरे घर पे आए हो अगर अभी कोई आप को आते देख लेता तो
क्या होता,,,,
अभी तो मैं बोल सकता हूँ कि मैं तुमसे कॉलेज की फाइट के बारे मे पूछ ताछ करने आया हूँ
लेकिन वहाँ जाते अगर किसी ने देख लिया तो मैं कुछ नही कह पाउन्गा,,,,
तो मैं वहाँ कैसे जाउन्गा,,,,
तभी ख़ान भाई ने अपने सेल से किसी को फोन किया ओर मुझे साथ लेके अपनी ज़ीप मे शहर से
डोर की तरफ चल पड़े,,,,हम लोग शहर से काफ़ी डोर आ गये थे,,ये जगह काफ़ी सुनसान थी तभी
ख़ान भाई ने एक कार के पास ज़ीप को रोक दिया ओर उतार कर कार की तरफ चलने लगे साथ मे मुझे
भी अपने साथ ले गये,,,
ख़ान भाई ने कार का अगला दरवाजा खोला ऑर मैं कार की अगली सीट पर बैठ गया ,,उसमे एक सरदार आदमी
बैठा हुआ था,,बड़ी बड़ी मुन्छे ,,बड़ी दाढ़ी,,,हटा कट्टा था एक दम पहलवान के जैसा,,,ख़ान
भाई ने मुझे अगली सीट पर बिठा दिया ऑर खुद पीछे वाली सीट पर बैठ गये,,,,
कार मे ब्लॅक काँच लगा हुआ था जिस से मैं बाहर तो देख सकता था लेकिन बाहर वाला कोई भी आदमी
कार के अंदर नही देख सकता था,,,,,
इस लड़के को अपने साथ ले जाओ ऑर दूसरे लड़के से मिलवा दो,,,ख़ान भाई ने इतना बोला ही था कि उस आदमी
ने अपनी जेब से एक कपड़े की पट्टी निकाली ऑर मेरी आँखों पर बाँधने लगा,,,तभी ख़ान भाई ने उसको
रोक दिया,,,,इसकी कोई ज़रूरत नही है,,,इस लड़के पर तुम उतना ही यकीन कर सकते हो जितना मुझ पर
ख़ान भाई ने इतना बोला तो उस आदमी ने पट्टी को वापिस अपनी जेब मे डाल लिया ऑर तभी ख़ान भाई भी
कार से उतर गये ऑर अपनी ज़ीप की तरफ चल पड़े,,,उस आदमी ने भी कार अपने रास्ते चलानी शुरू करदी
ऑर पता नही किन रस्तो से होता हुआ कहीं दूर बसी एक झोपड़-पट्टी के पास आके कार रोक दी,,,
फिर वो कार से उतरने लगा ऑर मेरे से बोला,,,,
ए लड़के तेरे पास रुमाल है क्या,,,,मैं कुछ नही बोला बस हाँ मे सर हिला दिया,,,,
ठीक है रुमाल को अपने फेस पर बाँध ले,,मैने भी जल्दी से पॉकेट से रुमाल निकाला ऑर अपने फेस
पर बाँध लिया ऑर फिर वो आदमी कार से उतरा ऑर मुझे भी उतरने को बोला,,फिर वो मुझे झोपड़-पट्टी
के अंदर तंग गलियों मे पता नही किधर किधर से एक घर मे ले आया,,,उसने घर के दरवाजे पर
नॉक किया ऑर दरवाजे के बीच मे से एक छोटी सी खिड़की खुली ऑर अंदर से एक आदमी ने बाहर देखा
ऑर दरवाजा खोल दिया,,मैं भी घर के अंदर चला गया,,,,घर के अंदर 2-3 लोग ऑर थे,,तभी वो
सरदार आदमी जो मेरे साथ आया था उसने अपनी दाढ़ी निकालनी शुरू की ऑर कुछ देर मे अपने असली रूप
मे आ गया,,मैं तो उसको देख कर दंग रह गया ये तो वही आदमी था जो उस दिन कॉलेज मे आया था
उसने मेरी तरफ एक बार देखा ऑर मुझे एक कमरे की तरफ इशारा किया जिसको बाहर से बंद किया हुआ
था ,,,मैं उस दरवाजे के पास गया ऑर दरवाजा खोलके अंदर चला गया,,,तभी सामने बेड पर सुमित
लेटा हुआ था,,,,वो मुझे देख कर एक दम से खुश हो गया ऑर उठकर मेरे गले लग गया,,,,
भाई ये कहाँ फसा दिया अपने मुझे,,,ये लोग मुझे रूम से निकलने ही नही देते ,,,,
अच्छी बात है नही निकलने देते इसी मे तेरी भलाई है,,,,बाहर अमित तुझे पागल कुत्ते की तरह तलाश
कर रहा है,,,शूकर मना छुपने की कोई जगह मिल गई तुझे,,,,अमित का नाम सुनके वो थोड़ा
डर गया,,,,
लेकिन भाई ये लोग बाहर भी नही जाने देते रूम से,,बैठा बैठा बोर हो गया हूँ मैं,,
क्यूँ बोर क्यू हो गया सब तो है तेरे पास ,,मैं रूम मे पड़े टीवी की तरफ इशारा किया जिसके साथ
डीवीडी प्लेयर भी पड़ा हुआ था,,,साथ मे टेबल पर शराब की बॉटल ऑर सिगरेट भी पड़ी हुई थी,,,इतना
सब कुछ है फिर क्यूँ बोर होता है तू,,,
भाई ये टीवी की बात कर रहे हो इसमे कुछ नही आता,,सुबह शाम वही बकवास शो आते रहते है,,ये
तो शूकर हो मेरा समान मिल जाता है मुझे वर्ना रहना मुश्किल हो जाता ,,इसी के सहारे कुछ मस्ती
कर लेता हूँ मैं,,,,
मुझे पता था तुझे मस्ती करनी है इसलिए मैं भी तेरे लिए कुछ मस्ती का समान लेके आया हूँ
तभी मैने बॅग से एक प्लास्टिक का छोटा बॅग निकाला ऑर उसको दे दिया जिसमे कुछ डीवीडी थी,,,
ये क्या है भाई,,,,,,,,
वही मस्ती का समान,,,,
मतलब वो वाली मूवीस,,,,,सुमित खुश हो गया,,,,भाई सच मे तू कितना ख़याल रखता है मेरा,,पहले
उन कमिनो से बदला लेने मे इतनी हेल्प की अब मस्ती के लिए ये सब ले आया तू,,,,इतना बोलकर वो मेरे
गले लग गया,,,,
ये ले इसको देख ऑर मस्ती कर,,ऑर हां याद रखना इस्पे कोई निशान नही पड़ने पाए ये मेरी फ़ेवरेट
मूवीस है,,,ध्यान से रखना इनको,,,मैने वो डीवीडी उसको दी ऑर उसको बोला कि मैं कुछ दिनो बाद
फिर आउन्गा ,,जब तक माहौल ठंडा नही हो जाता मैने उसको वहीं रुकने को बोला,,,फिर मैं वहाँ
से चल पड़ा ऑर वही आदमी सरदार के रूप मे मुझे वापिस मेरे घर तक छोड़ने आया लेकिन उसने
मुझे मेरे घर से काफ़ी पीछे ही कार से उतार दिया था,,,
आज मैं अपने प्लान के एक कदम ऑर करीब चला गया था,,
टी-शर्ट पहन चुका हूँ तो उसने एक बार मेरी तरफ देखा ऑर अपना ध्यान बुक की तरफ किया ऑर
नज़रे झुका कर स्टडी करने लगी,,,,
मैने वहाँ से कुछ कपड़े लिए ऑर नीचे मामा के रूम मे आके शवर लेके सो गया,,,आज जल्दी सोना
था लेकिन मैं लेट हो गया था,,सुबह जल्दी जो उठना था,,,कल से एग्ज़ॅम शुरू होने वाले थे,,,ऑर
कल पहला एग्ज़ॅम था,,,,मैं शवर लेके जल्दी से सो गया,,,,
नेक्स्ट डे कॉलेज से एग्ज़ॅम देके वापिस घर आया ऑर मामा के रूम मे बैठ कर अगले एग्ज़ॅम की तैयारी
करने लगा,,,तभी मुझे बाहर बेल बजने की आवाज़ सुनाई दी लेकिन मैं बाहर नही गया क्यूकी बाहर
माँ थी वो दरवाजा खोल देती,,,,,
तभी कुछ देर बाद माँ जल्दी से मेरे रूम मे आई,,, ऑर ज़ोर से बोलने लगी,,,,
तूने कुछ ग़लत काम किया है क्या सन्नी,,,,,
मैं तो एक दम से डर गया क्यूकी माँ बड़ी घबराई हुई थी,,,उनको पसीना भी काफ़ी आया हुआ था,,
मैं उनकी बात सुनके एक दम से चौंक गया ऑर कुछ नही बोल पाया,,,,तभी वो फिर से बोली,,,तूने
कुछ ग़लत काम किया है क्या सन्नी,,,,,
नही माँ मैने कुछ ग़लत काम नही किया,,लेकिन आप ऐसे क्यूँ पूछ रही हो ऑर इतना घबरा क्यूँ
रही हो,,,
तूने कोई ग़लत कम नही किया तो बाहर पोलीस क्यूँ आई है ऑर तेरे बारे मे क्यू पूछ रही है,,
पोलीस????? हमारे घर मे,,,,
हाँ हमारे घर मे ऑर नही तो क्या पड़ोसी के घर मे,,,,बोल क्या किया है तूने,,,,
माँ मेरे से पूछ रही थी लेकिन मैं कुछ नही बोला ऑर रूम से बाहर निकल आया ,,जब सामने
देखा तो दरवाजे पर इनस्पेक्टर ख़ान थे,,,,मैं एक दम से हँसने लगा अपनी माँ की हालत पे,,
मैं आगे बढ़ कर ख़ान भाई के पास गया ऑर उनसे हाथ मिलाके गले लग गया,,,,,
सलाम ख़ान भाई,,,
वालेकुम सलाम, सन्नी,,,,कैसे हो सन्नी ,,,,
मैं तो ठीक हूँ लेकिन आप आज मेरे घर कैसे,,,,ख़ैरियत तो है ख़ान भाई
कुछ नही बस इधर से गुजर रहा था तो सोचा एक बार मिल लूँ तेरे से,,,क्यूँ मैं तेरे से मिलने
नही आ सकता क्या,,,
ऐसी बात नही है ख़ान भाई बस आपको देख कर माँ थोड़ा डर गई थी,,,,ऑर मुझपे पर शक करने
लगी थी,,,,
ख़ान भाई मेरी बात सुनके हँसने लगे,,,,,ये पोलीस की वर्दी चीज़ ही ऐसी है पहले सिर्फ़ गुंडे डरते
थे लेकिन आज कल आम आदमी भी डरने लगा है,,,पता नही क्या होगा,,,
कुछ नही होगा ख़ान भाई कुछ लोगो ने इसका ग़लत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है इसलिए आम आदमी
भी आज कल गुंडे से ज़्यादा पोलीस से डरता है,,,,आप छोड़ो इन बातों को ऑर अंदर आओ,,,,
मैने ख़ान भाई को अपने साथ मामा के रूम मे ले गया,,,,
आप ऐसे ही मुझसे मिलने नही आए होगे ख़ान भाई ज़रूर कुछ बात होगी,,,
तुमको ऐसा क्यूँ लगा सन्नी,,,,मैं तो तुमसे ऐसे ही मिलने चला आया,,,
नही ख़ान भाई मैं जानता हूँ आप ऐसे ही नही आए कुछ बात करने आए होगे पक्का,,,,पोलीस
किसी के पास ऐसे ही नही जाती,,,
सही बोला सन्नी,,,मैं बस तेरे से पूछने आया था कि अब आगे क्या करना है,,,प्लान क्या है आगे
का,,
प्लान बहुत सिंपल है ख़ान भाई,,,बस उसके लिए मुझे एक बार सुमित से मिलना होगा,,कहाँ है
सुमित,,,,
सुमित उन्ही लोगो के पास है सन्नी जो तेरे कॉलेज मे आए थे,,,,
क्या सुमित उन गुन्डो के पास है,,,,मैने हैरान होते हुए बोला ,,लेकिन अपने तो बोला था उसको
किसी सेफ जगह रखने के लिए,,,,
ख़ान भाई हँसने लगे,,,,सन्नी वो गुंडे नही थे,,पोलीस वाले थे,,,वो लोग स्पेशल ब्रांच के लोग
थे ऑर ऐसे लोग गुंडे से कम नही होते,,,वो मेरे दोस्त है ऑर मेरे साथ इसी केस पर काम कर
रहे है,,,
ओह्ह अच्छा ,,लेकिन उन लोगो ने तो बहुत बुरी तरह से मारा था सुरेश ओर उसके दोस्तों को,,
सन्नी ये स्पेशल ब्रांच के लोग बहुत बुरी मार मारते है,,,पत्थर भी मुँह खोलने लगता है इनके
सामने,,,,अच्छा वैसे तुमको अब सुमित से क्यूँ मिलना है,,,
मुझे कुछ काम है उस से ,,,उस से एक बार मिलना होगा तभी प्लान आगे बढ़ पाएगा,,,,
ठीक है तो चलो अभी मिलवा देता हूँ,,,लेकिन मैं तुमको वहाँ नही लेके जाउन्गा,,,अगर किसी
ने तुमको मेरे साथ देख लिया तो पंगा होगा,,,
पंगा कैसा पंगा,,अभी भी तो आप मेरे घर पे आए हो अगर अभी कोई आप को आते देख लेता तो
क्या होता,,,,
अभी तो मैं बोल सकता हूँ कि मैं तुमसे कॉलेज की फाइट के बारे मे पूछ ताछ करने आया हूँ
लेकिन वहाँ जाते अगर किसी ने देख लिया तो मैं कुछ नही कह पाउन्गा,,,,
तो मैं वहाँ कैसे जाउन्गा,,,,
तभी ख़ान भाई ने अपने सेल से किसी को फोन किया ओर मुझे साथ लेके अपनी ज़ीप मे शहर से
डोर की तरफ चल पड़े,,,,हम लोग शहर से काफ़ी डोर आ गये थे,,ये जगह काफ़ी सुनसान थी तभी
ख़ान भाई ने एक कार के पास ज़ीप को रोक दिया ओर उतार कर कार की तरफ चलने लगे साथ मे मुझे
भी अपने साथ ले गये,,,
ख़ान भाई ने कार का अगला दरवाजा खोला ऑर मैं कार की अगली सीट पर बैठ गया ,,उसमे एक सरदार आदमी
बैठा हुआ था,,बड़ी बड़ी मुन्छे ,,बड़ी दाढ़ी,,,हटा कट्टा था एक दम पहलवान के जैसा,,,ख़ान
भाई ने मुझे अगली सीट पर बिठा दिया ऑर खुद पीछे वाली सीट पर बैठ गये,,,,
कार मे ब्लॅक काँच लगा हुआ था जिस से मैं बाहर तो देख सकता था लेकिन बाहर वाला कोई भी आदमी
कार के अंदर नही देख सकता था,,,,,
इस लड़के को अपने साथ ले जाओ ऑर दूसरे लड़के से मिलवा दो,,,ख़ान भाई ने इतना बोला ही था कि उस आदमी
ने अपनी जेब से एक कपड़े की पट्टी निकाली ऑर मेरी आँखों पर बाँधने लगा,,,तभी ख़ान भाई ने उसको
रोक दिया,,,,इसकी कोई ज़रूरत नही है,,,इस लड़के पर तुम उतना ही यकीन कर सकते हो जितना मुझ पर
ख़ान भाई ने इतना बोला तो उस आदमी ने पट्टी को वापिस अपनी जेब मे डाल लिया ऑर तभी ख़ान भाई भी
कार से उतर गये ऑर अपनी ज़ीप की तरफ चल पड़े,,,उस आदमी ने भी कार अपने रास्ते चलानी शुरू करदी
ऑर पता नही किन रस्तो से होता हुआ कहीं दूर बसी एक झोपड़-पट्टी के पास आके कार रोक दी,,,
फिर वो कार से उतरने लगा ऑर मेरे से बोला,,,,
ए लड़के तेरे पास रुमाल है क्या,,,,मैं कुछ नही बोला बस हाँ मे सर हिला दिया,,,,
ठीक है रुमाल को अपने फेस पर बाँध ले,,मैने भी जल्दी से पॉकेट से रुमाल निकाला ऑर अपने फेस
पर बाँध लिया ऑर फिर वो आदमी कार से उतरा ऑर मुझे भी उतरने को बोला,,फिर वो मुझे झोपड़-पट्टी
के अंदर तंग गलियों मे पता नही किधर किधर से एक घर मे ले आया,,,उसने घर के दरवाजे पर
नॉक किया ऑर दरवाजे के बीच मे से एक छोटी सी खिड़की खुली ऑर अंदर से एक आदमी ने बाहर देखा
ऑर दरवाजा खोल दिया,,मैं भी घर के अंदर चला गया,,,,घर के अंदर 2-3 लोग ऑर थे,,तभी वो
सरदार आदमी जो मेरे साथ आया था उसने अपनी दाढ़ी निकालनी शुरू की ऑर कुछ देर मे अपने असली रूप
मे आ गया,,मैं तो उसको देख कर दंग रह गया ये तो वही आदमी था जो उस दिन कॉलेज मे आया था
उसने मेरी तरफ एक बार देखा ऑर मुझे एक कमरे की तरफ इशारा किया जिसको बाहर से बंद किया हुआ
था ,,,मैं उस दरवाजे के पास गया ऑर दरवाजा खोलके अंदर चला गया,,,तभी सामने बेड पर सुमित
लेटा हुआ था,,,,वो मुझे देख कर एक दम से खुश हो गया ऑर उठकर मेरे गले लग गया,,,,
भाई ये कहाँ फसा दिया अपने मुझे,,,ये लोग मुझे रूम से निकलने ही नही देते ,,,,
अच्छी बात है नही निकलने देते इसी मे तेरी भलाई है,,,,बाहर अमित तुझे पागल कुत्ते की तरह तलाश
कर रहा है,,,शूकर मना छुपने की कोई जगह मिल गई तुझे,,,,अमित का नाम सुनके वो थोड़ा
डर गया,,,,
लेकिन भाई ये लोग बाहर भी नही जाने देते रूम से,,बैठा बैठा बोर हो गया हूँ मैं,,
क्यूँ बोर क्यू हो गया सब तो है तेरे पास ,,मैं रूम मे पड़े टीवी की तरफ इशारा किया जिसके साथ
डीवीडी प्लेयर भी पड़ा हुआ था,,,साथ मे टेबल पर शराब की बॉटल ऑर सिगरेट भी पड़ी हुई थी,,,इतना
सब कुछ है फिर क्यूँ बोर होता है तू,,,
भाई ये टीवी की बात कर रहे हो इसमे कुछ नही आता,,सुबह शाम वही बकवास शो आते रहते है,,ये
तो शूकर हो मेरा समान मिल जाता है मुझे वर्ना रहना मुश्किल हो जाता ,,इसी के सहारे कुछ मस्ती
कर लेता हूँ मैं,,,,
मुझे पता था तुझे मस्ती करनी है इसलिए मैं भी तेरे लिए कुछ मस्ती का समान लेके आया हूँ
तभी मैने बॅग से एक प्लास्टिक का छोटा बॅग निकाला ऑर उसको दे दिया जिसमे कुछ डीवीडी थी,,,
ये क्या है भाई,,,,,,,,
वही मस्ती का समान,,,,
मतलब वो वाली मूवीस,,,,,सुमित खुश हो गया,,,,भाई सच मे तू कितना ख़याल रखता है मेरा,,पहले
उन कमिनो से बदला लेने मे इतनी हेल्प की अब मस्ती के लिए ये सब ले आया तू,,,,इतना बोलकर वो मेरे
गले लग गया,,,,
ये ले इसको देख ऑर मस्ती कर,,ऑर हां याद रखना इस्पे कोई निशान नही पड़ने पाए ये मेरी फ़ेवरेट
मूवीस है,,,ध्यान से रखना इनको,,,मैने वो डीवीडी उसको दी ऑर उसको बोला कि मैं कुछ दिनो बाद
फिर आउन्गा ,,जब तक माहौल ठंडा नही हो जाता मैने उसको वहीं रुकने को बोला,,,फिर मैं वहाँ
से चल पड़ा ऑर वही आदमी सरदार के रूप मे मुझे वापिस मेरे घर तक छोड़ने आया लेकिन उसने
मुझे मेरे घर से काफ़ी पीछे ही कार से उतार दिया था,,,
आज मैं अपने प्लान के एक कदम ऑर करीब चला गया था,,