hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
सासूमाँ- “तभी मैं सोचूँ, साली एक बार चूत चाटकर थक गई करके कमरे से निकलकर आ जाती थी। आज पता चला..."
जीजाजी- “अरे झरना, मेरा निकलने वाला है."
झरना- खबरदार... मेरे अंदर में नहीं डालना भैया... मैं पीना चाहती हूँ।
सासूमाँ- पी ले, पी ले बेटी... लौड़ामृत भाग्यवान लड़कियों को ही नसीब होता है।
जीजाजी ने अपना लौड़ा झरना के मुँह में ढूंस दिया और अगले ही पल जीजाजी सिसके- “हाँ हाँ झरना... पी ले, पी ले... सारा रस निचोड़ ले। हाँ.. तेरी माँ को चोदूं, तेरी सास को चोदूं, तेरी ननद को चोदूं, तेरी देवरानी को चोदू...”
दीदी- क्या बक-बक कर रहे हो जी?
झरना- “ये बक-बक नहीं है भाभी? ये मेरी सास, मेरी ननद, मेरी उस छिनाल देवरानी की बुर में अपना लण्ड पेल चुके हैं. इसीलिए...”
दीदी- हाँ... आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.. और एक मैं थी, जो पहली बार अपने नंदोईजी से चुदवाकर कितना रोई थी।
जीजाजी- अच्छा रानी नंदोईजी के साथ पहली चुदाई के बाद क्या बोलकर रोई थी?
दीदी- मैंने उनसे कहा था... हाय... नंदोईजी आपने मुझे चोद के अच्छा नहीं किया? ये आयेंगे तो मैं उन्हें क्या मुँह दिखाऊँगी, दो-दो बार आपसे चुदवाकर?
फिर मेरे नंदोईजी ने आश्चर्य के साथ कहा था- दो-दो बार? पर भाभीजी मैंने तो अभी-अभी आपको सिर्फ एक बार ही चोदा है?
मैंने कहा था- “मेरे बुद्धू नंदोईजी... अभी रात बाकी है। एक बार और भी तो चोदोगे ना आप? और सच बोलू झरना तो तेरे पति ने उस रात मुझे तीन बार चोदा था...”
इधर मेरा भी पानी छूटने को था। मैंने दीदी से कहा- दीदी, मेरा भी छूटने वाला है?
दीदी- तो मेरे प्यारे भैया, मेरे मुँह में डाल दो। या ऐसा करो कि मेरे ऊपर आ जाओ, और मेरे मुँह को चोदो।
मैंने उनकी चूचियों के ऊपर बैठकरके उनके मुँह में लौड़ा घुसाके आगे-पीछे करना चालू किया। मुझे इस पोजीशन में अति आनंद आ रहा था। और थोड़े ही देर में मेरा फौव्वारा निकला... दीदी ने पूरा का पूरा पानी अपने गले में उड़ेल लिया।
जीजाजी- “अरे झरना, मेरा निकलने वाला है."
झरना- खबरदार... मेरे अंदर में नहीं डालना भैया... मैं पीना चाहती हूँ।
सासूमाँ- पी ले, पी ले बेटी... लौड़ामृत भाग्यवान लड़कियों को ही नसीब होता है।
जीजाजी ने अपना लौड़ा झरना के मुँह में ढूंस दिया और अगले ही पल जीजाजी सिसके- “हाँ हाँ झरना... पी ले, पी ले... सारा रस निचोड़ ले। हाँ.. तेरी माँ को चोदूं, तेरी सास को चोदूं, तेरी ननद को चोदूं, तेरी देवरानी को चोदू...”
दीदी- क्या बक-बक कर रहे हो जी?
झरना- “ये बक-बक नहीं है भाभी? ये मेरी सास, मेरी ननद, मेरी उस छिनाल देवरानी की बुर में अपना लण्ड पेल चुके हैं. इसीलिए...”
दीदी- हाँ... आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.. और एक मैं थी, जो पहली बार अपने नंदोईजी से चुदवाकर कितना रोई थी।
जीजाजी- अच्छा रानी नंदोईजी के साथ पहली चुदाई के बाद क्या बोलकर रोई थी?
दीदी- मैंने उनसे कहा था... हाय... नंदोईजी आपने मुझे चोद के अच्छा नहीं किया? ये आयेंगे तो मैं उन्हें क्या मुँह दिखाऊँगी, दो-दो बार आपसे चुदवाकर?
फिर मेरे नंदोईजी ने आश्चर्य के साथ कहा था- दो-दो बार? पर भाभीजी मैंने तो अभी-अभी आपको सिर्फ एक बार ही चोदा है?
मैंने कहा था- “मेरे बुद्धू नंदोईजी... अभी रात बाकी है। एक बार और भी तो चोदोगे ना आप? और सच बोलू झरना तो तेरे पति ने उस रात मुझे तीन बार चोदा था...”
इधर मेरा भी पानी छूटने को था। मैंने दीदी से कहा- दीदी, मेरा भी छूटने वाला है?
दीदी- तो मेरे प्यारे भैया, मेरे मुँह में डाल दो। या ऐसा करो कि मेरे ऊपर आ जाओ, और मेरे मुँह को चोदो।
मैंने उनकी चूचियों के ऊपर बैठकरके उनके मुँह में लौड़ा घुसाके आगे-पीछे करना चालू किया। मुझे इस पोजीशन में अति आनंद आ रहा था। और थोड़े ही देर में मेरा फौव्वारा निकला... दीदी ने पूरा का पूरा पानी अपने गले में उड़ेल लिया।