non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन - Page 6 - SexBaba
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non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन

सासूमाँ- “तभी मैं सोचूँ, साली एक बार चूत चाटकर थक गई करके कमरे से निकलकर आ जाती थी। आज पता चला..."

जीजाजी- “अरे झरना, मेरा निकलने वाला है."

झरना- खबरदार... मेरे अंदर में नहीं डालना भैया... मैं पीना चाहती हूँ।

सासूमाँ- पी ले, पी ले बेटी... लौड़ामृत भाग्यवान लड़कियों को ही नसीब होता है।

जीजाजी ने अपना लौड़ा झरना के मुँह में ढूंस दिया और अगले ही पल जीजाजी सिसके- “हाँ हाँ झरना... पी ले, पी ले... सारा रस निचोड़ ले। हाँ.. तेरी माँ को चोदूं, तेरी सास को चोदूं, तेरी ननद को चोदूं, तेरी देवरानी को चोदू...”

दीदी- क्या बक-बक कर रहे हो जी?

झरना- “ये बक-बक नहीं है भाभी? ये मेरी सास, मेरी ननद, मेरी उस छिनाल देवरानी की बुर में अपना लण्ड पेल चुके हैं. इसीलिए...”

दीदी- हाँ... आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.. और एक मैं थी, जो पहली बार अपने नंदोईजी से चुदवाकर कितना रोई थी।

जीजाजी- अच्छा रानी नंदोईजी के साथ पहली चुदाई के बाद क्या बोलकर रोई थी?

दीदी- मैंने उनसे कहा था... हाय... नंदोईजी आपने मुझे चोद के अच्छा नहीं किया? ये आयेंगे तो मैं उन्हें क्या मुँह दिखाऊँगी, दो-दो बार आपसे चुदवाकर?

फिर मेरे नंदोईजी ने आश्चर्य के साथ कहा था- दो-दो बार? पर भाभीजी मैंने तो अभी-अभी आपको सिर्फ एक बार ही चोदा है?

मैंने कहा था- “मेरे बुद्धू नंदोईजी... अभी रात बाकी है। एक बार और भी तो चोदोगे ना आप? और सच बोलू झरना तो तेरे पति ने उस रात मुझे तीन बार चोदा था...”

इधर मेरा भी पानी छूटने को था। मैंने दीदी से कहा- दीदी, मेरा भी छूटने वाला है?

दीदी- तो मेरे प्यारे भैया, मेरे मुँह में डाल दो। या ऐसा करो कि मेरे ऊपर आ जाओ, और मेरे मुँह को चोदो।

मैंने उनकी चूचियों के ऊपर बैठकरके उनके मुँह में लौड़ा घुसाके आगे-पीछे करना चालू किया। मुझे इस पोजीशन में अति आनंद आ रहा था। और थोड़े ही देर में मेरा फौव्वारा निकला... दीदी ने पूरा का पूरा पानी अपने गले में उड़ेल लिया।
 
दीदी और झरना दोनों की ही आँखें परम तृप्ति से बंद थी। दोनों ही दूध पीने के बाद बिल्ली जैसे होंठों पे जीभ चलाती है... वैसे ही अपने होंठों के ऊपर जीभ फिरा रही थीं। इसके बाद दीदी नंगी ही बाथरूम चली गई।

बाथरूम से आने के बाद झरना ने उनकी चूची दबाते हुए कहा- “हाँ... तो भाभीजी अब आप शुरू हो जाओ...”

दीदी- नहीं झरना दीदी, मेरी प्यारी ननद और मुझमें हिम्मत नहीं है. फिर से शुरू होने की।

झरना- अरे भाभीजी मैं बुर चटाई की बात नहीं कर रही हूँ?

दीदी- फिर क्या, अपनी अम्मा की चुदाई के बारे में बोल रही है?

झरना- दीदी की बुर में उंगली पेल देती है।

दीदी- प्लीज झरना दीदी... कल रात भर भैया ने कस-कस के बुर में लण्ड पेला है। आज पहले तुमरे भैया ने और बाद में मेरे भैया ने बाकी रही सही कसर भी पूरी कर दी है। साली मेरी बुर का तो बैंड ही बज गया है। अभी रहने दे मेरी प्यारी ननद।

मैंने देखा कि जीजाजी बड़े प्यार से अपनी बहन और बीवी को देख रहे है।

झरना- अरे नहीं भाभी... मैं चुदाई की बातें नहीं कर रही हूँ। अरे मैं तो मजेदार वाकया की बातें सुनना चाहती हूँ आपसे।

जीजाजी- हाँ हाँ मेरी प्यारी रानी। अब तुम्हारी बारी है। सुनाओ... तुम पहले किससे चुदवाई थी?

दीदी- आपको जरा भी शर्म नहीं आ रही है। अपनी बीवी से पूछ रहे हैं की उसने पहली चुदाई किससे करवाई थी?

जीजाजी- इसमें शर्म की क्या बात है मेरी प्यारी रानी। अब जब की सबका राज खुल चुका है।
अब हमें ये पता है की अपनी प्यारी मम्मी, अपने खुद के पति के अलावा, अपने खुदके ससुर से, अपने सगे भाई से, अपने सगे पिता से तो चुदवा ही रखी है।

इधर मैंने भी अपनी चुदाई का पिटारा सबके सामने खोल ही दिया की कैसे मैंने अपना कुँवारापन मंजरी बुआ और कजरी दीदी के संग खोया था। मैं अपनी खुद की दीदी और मम्मी को चोद चुका हूँ। आफिस में सेक्रेटरी और बास की बीवी की बुर में भी अपना मुँह लगा चुका हूँ।

इधर झरना दीदी भी कहीं कम नहीं हैं। वो भी मुझसे याने की अपने सगे भाई से, ससुराल में अपने पति के अलावा... अपने देवर से और नंदोई से चुदवा चुकी हैं।
 
इधर आज तुम्हारा राज भी तो खुल चुका है की तुम कल रात भर अपने भाई से बुर पेलवाकरके आई हो।

झरना- और यहाँ पे आपके अलावा, मेरे पति के लण्ड पे भी सावर हो चुकी है भाभी।

जीजाजी- हाँ... मेरे जीजाजी को तो भूल ही गया था। उनके काले लण्ड से भी तुम मजा ले चुकी हो।

दीदी- “पर आपको कैसे पता चला की उनका लण्ड काला है? कहीं आप.. हे राम राम राम... क्या जमाना आ । गया है। आपने अपने जीजा के लण्ड को भी चूस लिया...”

जीजाजी- “खाली चूसा ही नहीं रानी अपनी गाण्ड में पेलवा भी रखा है...”

दीदी- हे भगवान्... आपकी गाण्ड गाण्ड है या झुमरी तलैया का गहरा तालाब... लण्ड पे लण्ड लील रही है।

जीजाजी- हाँ... वो तो है। पर यहाँ बात हो रही है आपकी पहली चुदाई की?

दीदी- “आपको शर्म आनी चाहिए। सुहागरात को देखा नहीं कि मेरी चूत से कितना खून निकला था। पूरी चद्दर लाल हो गई थी, और मैं कितना चिल्लाई थी...”

जीजाजी- अरे हाँ रे... मुझे माफ कर दे रानी... तू तो शादी से पहले अनचुदी थी। पूरा माल सील बंद... पहले रस को मैंने ही चखा था।

असल में दीदी ने सुहागरात को नजर बचाकर लाल रंग अपनी बुर में लगा दिया था... ये सब दीदी ने मुझे बाद में बताया।

झरना- ओहो... यानी शादी से पहले आपको कोई लौड़ा मिला ही नहीं। अरे अपने भाई दमऊ से ही चुदवा लेती। या रामू भैया के इस विशाल लण्ड को ही अपनी बुर में पेलवा लेती?

दीदी- रामू भैया के लण्ड से पेलवा लेती, तो सुहागरात को तुमरे भैया मेरी चूत में पूरे घुस जाते तो भी मुझे पता नहीं चलता।

जीजाजी- हाँ हाँ.. हाँ... सही बात है।

दीदी- सही बात? क्या सही बात है? ऐसा कहीं होता है भला। अरे ये सब किस्से कहानियों में कथा को मजेदार बनाने के लिए ऐसे ही लिखी जाती है। कोई ऐसे ही थोड़े घुस जाता है किसी की बुर में। अरे बुर की बनावट ही ऐसी होती है की पतले से पतला लण्ड भी मजे ले-लेकर चुदाई कर सके है.. तो मोटे से मोटे लण्ड को भी बुर चुदाई के टाइम फैलकर जगह बना ही लेती है। हाँ शुरू-शुरू में थोड़ी सी तकलीफ होती है पर... मजा भी दोगुना मिलता है। क्यों झरना? मेरे प्यारे रामू के गधे जैसे लण्ड से चुदवाकर क्या तेरी फुद्दी पूरी फट गई है। आज भैया से दिन में दमदार चुदाई हुई है तेरी बुर की। अभी-अभी मेरे चुदवाने से पहले तेरी फुद्दी में ही तो था मेरे प्यारे भाई का लण्ड... बता उसके बाद अपने सगे भाई से चुदवाने में क्या तुझे मजा नहीं आया? बता की क्या तेरे भाई लण्ड समेत तेरी फुद्दी में घुस गये पूरे के पुरे?
 
झरना- सही कहा भाभी... रामू भैया के लण्ड से चुदवाने के बाद भी मेरी फुद्दी को भाई के लण्ड से चुदवाने में उतना ही मजा आया जितना पहले आता था। और तो और यहाँ भैया से अच्छी तरह चुदाई करवाके ससुराल जाकर वहाँ अपने पति से चुदवाती हूँ तो भी उतना ही मजा आता है।

जीजाजी- वाह... वाह... क्या बात कही है?

दीदी- “तो मेरे श्रोताओं, आज की कथा यहीं पे समाप्त होती है... बाकी की कल सुबह... बोलो चूत महारानी की...”

सब मिलकर- “जै...”

दीदी- बोलो लण्ड महाराज की...

सब मिलकर- “जै..."

दीदी- “तो चलो सब सोने की तैयारी करते हैं, सुबह उठना भी है। झरना तेरी तो कल एग्जाम है ना। कल पेपर में यही चुदाई कथा लिख आना...”

झरना- अरे हाँ भाभी, मैके में आई तो थी एग्जाम देने के लिए ही... पढ़ाई तो कुछ हो नहीं पाई... यहाँ आई तो तुम तो थी ही नहीं भाभी तो सारा का सारा काम मुझे संभालना पड़ा। और भैया तो मेरे फुद्दी के पीछे ही पड़े रहते थे, सुबह, दोपहर, शाम, रात.. हमेशा बुर में लण्ड पेलते ही रहते थे। अब आपने सही कहा कि पेपर में लण्ड चूत की कहानी ही लिखनी पड़ेगी। चलो सब सो जाते हैं।

दीदी और जीजाजी अपने कमरे में सोने चल दिए... मेरे लिए गेस्टरूम था ही। झरना अपने मम्मी के कमरे में सोने चल दी।
* * * * * * * * * *
 
नमकीन चूत का नमकीन रस मैंने भी सोने से पहले लुंगी पहन ली, बाथरूम में गया और फ्रेश होकर आ गया। प्यास लग रही थी तो पानी का जग उठाया तो खाली... धत्त तेरे की... पानी को भी अभी खतम होना था। मैं जग लेकर किचेन की ओर चल पड़ा। किचेन में नीचे... नीचे बिस्तर पे कोई था। मैंने लाइट जलाई तो देखा की वो कामवाली चम्पा है। उसे उसके मर्द के छोड़ने के बाद में सासूमाँ ने किचेन में जगह दे दी। इस तरह उनकी काम-ज्वाला भी शांत हो जाती थी और चम्पा को भी रात बिताने को एक ठीकना मिल गया था। चम्पा गहरी-गहरी सांसें ले रही थी। हर साँस के साथ उसकी छातियां नीचे ऊपर हो रही थीं। चम्पा सोने से पहले साड़ी खोलकरवल साया और ब्लाउज़ में ही सोई थी।

साया घुटने तक आ रखा था। मैंने हिम्मत करके साया को कमर तक किया तो कमरे में जैसे उजाला फैल गया। बुर एकदम सफाचट, बड़ी ही रसीली लग रही थी। मेरे मुँह में पानी आ गया और लण्ड में जोश आ गया।

मैंने पहले तो पानी पिया, जग में पानी भरा, लाइट बंद की और चल पड़ा। मेरे प्यारे पाठको... मैं चल पड़ा? किधर? बाहर अपने कमरे की तरफ? नहीं... चम्पा जहाँ सोई थी उस तरफ।

मैं उसके बगल में बैठ गया और उसकी जांघों को सहलाने लगा। चम्पा का पूरा बदन काँप गया। मैं समझ गया कि साली सोने का नाटक कर रही है। हमारी चुदाई चल रही थी तो उस टाइम खिड़की से कोई झाँक रहा है ये। तो मुझे पता चल गया था। पर चम्पा को यहाँ रसोई में सोता देखकर मैंने ये पक्का समझ लिया की साली ने पूरा सीन बिना पैसे दिए, बिना कोई टिकेट खरीदे देख लिया है। मुझे अब उससे पैसा वसूल करना था। सो उसकी चूचियां दबाने लगा। ब्लाउज़ के दो बटन तो पहले से खुल चुके थे। बाकी मैंने खोल दिए। कमरे की लाइट तो बंद थी, सिर्फ थोड़ा बहुत उजाला जो बाहर से आ रहा था। चेहरा पूरा पहचान में नहीं आ रहा था।

चम्पा भी मुझसे लिपट गई- वाह भैया... आप आ गये? मैं तो सोची थी... पहले आपने भाभी के भाई का लण्ड चूसा... फिर अम्माजी के गाण्ड में लण्ड पेलते रहे... फिर भाभीजी की बुर में लण्ड पेलते रहे। फिर अपनी दीदी को भी नहीं चोदा। मैं तो सब तरफ से निराश हो गई थी।

मैं धीरे से फुसफुसाया- पर बैगन तो ले गई थी ना... उसे घुसा लेती।

चम्पा- क्या भैया? आपके लण्ड में जो मजा है, वो बैगन में कहाँ? आपके लण्ड से चुदवाने के बाद तो मैं जानबूझकर अपने मर्द के घर से भागी हूँ। और आपके यहां किचेन में डेरा डाल रखी हूँ। सिर्फ और सिर्फ आपके लण्ड से मजा लेने को।

मैं- अच्छा... मम्मीजी की बुर को कौन चाटता है? मेरी बीवी की बुर को कौन चाटता है? अपनी बुर उनसे कौन चटवाता है जब मैं बाहर जाता हूँ?

चम्पा- हे... हे... हाय भैया, आपको ये भी पता है? मैं- और तू क्या समझती है मुझे पता नहीं है?
चम्पा- वो सब छोड़ो भैया और मेरी फुद्दी की खुजली मिटाओ। सुबह से गरमा गरम दृश्य देखकर बैगन, गाजर, मूली, सब आजमा चुकी हूँ भैया। अब तो सिर्फ ये आपका प्यारा लण्ड ही मेरी फुद्दी की खुजली मिटा सकता है।

मैं- इसीलिए तो आया हूँ मेरे चम्पारानी।

चम्पा- तो शुरू हो जाओ भैया, और देर ना करो। इससे पहले की मम्मी आ जाएं और चिल्लाने लगे... चोद के चले जाओ।

मैं- पर कहीं तू फिर से प्रेगनेन्ट ना हो जाए। इसीलिए मम्मी चिल्लाती है।

चम्पा- अरे भैया... मैंने अपनी फुद्दी के अंदर वो क्या कहते हैं? कापर... कापर-टी लगवा के रखी है ना... आप चिंता ना करो बुर में लण्ड पेले जाओ।

मैं- फिर तूने ये बात मम्मी को समझानी चाहिए थी ना?

चम्पा- कब समझाती भैया? आज दिन में ही तो लगवा के आई हूँ। बताऊँगी, सोच रही थी... तो आज तो घर में दिनभर और रात भर चुदाई पूराण ही चल रहा है।

मैं उसकी चूत में लण्ड सटाते हुए- तो पेल दें मेरी चंपकली?

चम्पा- हाँ हाँ... पेल दो भैया।
 
मैंने धक्का मारा। नीचे से चम्पा रानी ने चूतड़ उछाला तो लण्ड आधा चूत की गहराई में समा गया। दूसरे धक्के में लण्ड पूरा का पूरा समा गया।

चम्पा रानी- आज तो भैया... लगता है कि आपका लण्ड कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है। कल से रोज रात को आप अम्माजी... झरना दीदी... और भाभीजी की चुदाई करके आना मेरे पास।

मैं- क्यों? चम्पा रानी... पहले क्यों नहीं?

चम्पा- देखो ना... तीनों की चुदाई के बाद लगता है कि आपका लण्ड कुछ और ज्यादा मोटा और लंबा भी हो। गया है। खूब मजा आ रहा है.. मुझे आज अपनी सुहागरात की बात याद आ गई। अच्छा भैया... एक बात पूछू, बुरा तो नहीं मनोगे?

मैं- क्या बात है चम्पा रानी... बोल?

चम्पा- क्या एक बार, सिर्फ एक बार भाभी के भैया से मैं चुदवा सकती हूँ? भैया... प्लीज बुरा नहीं मानना... सिर्फ एक बार... वैसे तो आपके साथ मुझे पूरा मजा आता है। पर जबसे उनका प्यारा सा लण्ड देखा है ना भैया। एक बार फुद्दी में लेने को जी कर रहा है। प्लीज भैया.. कोई प्लान बताओ ना।

मैं- अरे पहले मुझसे तो चुदवा? मैंने उसकी चूची दबाते हुए कहा।

चम्पा- “चुदवा तो रही हूँ भैया?” उसने मेरी कमर को अपने पैरों से घेरते हुए कहा- “मैं तो गई भैया जी... है मैं झड़ी... भाभी के भाई के लण्ड से चुदवाने के नाम से मजे में मेरी फुद्दी ने देखो पानी छोड़ दिया। प्लीज भैया... एक बार उन्हें भेजो ना मेरे पास...”

मैं- अच्छा एक काम कर ना। अभी मुझसे चुदवा ले फिर साले के कमरे में जाना।

चम्पा- उनके कमरे में... मैं? नहीं भैया मुझे शर्म आती है।

मैं- अच्छा सुन... मैं तेरी चुदाई करने के बाद उनके कमरे में जाकर पानी के जग को बदल दूंगा।

चम्पा- “पानी के जग को बदल देने से क्या वो मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा देंगे? आप भी ना भैया...”

मैं- “अरे, पूरी बात तो सुन पगली...” मैंने चुदाई जारी रखते हुए कहा- “थोड़ी ही देर में उन्हें जब प्यास लगेगी तो खाली जग को लेकर वो किचेन में आएंगे। तू अपने ब्लाउज़ का दो बटन खोल लेना, साया को घुटने तक उठा देना... साला मेरा कड़क जवान है... तुझे इस अवस्था में देखकर रह नहीं पाएगा और तेरी प्यास बुझाने के साथसाथ अपनी भी प्यास बुझाएगा। तेरी मखमली फुद्दी में अपना प्यारा सा लण्ड घुसाएगा...”

चम्पा- वाह... भैया, क्या प्लान है? पर... जग वाली बात आपके भी दिमाग में कैसे आई भैया?

मैं- क्या मतलब है तेरा? कहीं तेरे दिमाग में भी तो नहीं आई है ना ये बात?

चम्पा- “अरे भैया... मैंने पहले से ही उनके कमरे में जाकर जग का सारा पानी बाथरूम में गिरा दिया है। उनको चुदाई के बाद प्यास जरूर से लगेगी भैया...” चम्पारानी अपनी गाण्ड उछालते हुए बोली- “और मेरी फुद्दी के नसीब में एक और मस्ताना लण्ड होगा भैया। हाय भैया... मैं झड़ी झड़ी...”

मैं अभी तक झड़ा नहीं था। हमच-हमच कर धक्का लगाए जा रहा था।
 
चम्पा- “क्या बात है भैया? आज तो बहुत ही ज्यादा जोश दिखा रहे हो? भाभी के भैया के जैसे ही चुदाई कर रहे हो... पूरा सौ का दम दिखा रहे हो। लण्ड भी आज मोटा और काफी लंबा लग रहा है। हाय मैं मर जावां गुड़ खाके... कहीं आप भाभी के भाई तो नहीं हो? है हे.. मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है...”

मैं- अच्छा... तब तुझे शर्म नहीं आई जब खिड़की से हमारी चुदाई फ्री में देख रही थी? तब नहीं आई जब जग खाली करने गई थी? और अभी तो बोल रही थी कि मेरे लण्ड से बहुत ज्यादा मजा आएगा। अभी शर्म आ रही

चम्पा- मुझे शुरू से ही पता था भैया की आप भाभी के भाई हो?

मैं- तो... फिर इतना नाटक क्यों कर रही थी?

चम्पा- अरे भैया... नाटक कर रही थी तो आपको मजा आया की नहीं?

मैं- हाँ सचमुच काफी मजा आया और मेरा निकलने ही वाला है। कहाँ निकालूं?

चम्पा- वैसे तो मैंने जैसा कहा कापरटी लगवा रखी है... पर आज मैं आपके लण्ड का रस पीना चाहती हूँ। मुझे भी तो आपके रस को पीने का हक है।... है ना?

चम्पा मेरे लण्ड को चूस रही थे। मेरा लण्ड अपना रस उसके मुँह में उड़ेल रहा था। चम्पा मजे ले लेकर चूस रही थी की अचानक...

अचानक ही कमरे की बत्ती जल उठी। सारे कमरे में उजाला फैल गया। हम दोनों ने देखा तो दरवाजे के पास सासूमाँ... झरना... जीजाजी... और मेरी प्यारी दीदी खड़े हैं।

चम्पा घबरा गई।

सासूमाँ- हमें पता था बेटे की किछेन में आकर तू चम्पा को चोदे बिना नहीं जाने वाला। इसीलिए तेरे कमरे के बाहर निकलते ही तेरी प्यारी दीदी ने पहले मेरे बेटे को उठाया और मेरे कमरे में आ गये। हम दोनों को उठाया। तो मैंने गुस्से से कहा- “तुम दोनों को शर्म नहीं आई मेरे कमरे में नंगे ही चले आए?

झरना भी उठ गई और हाथ जोड़ कर कहने लगी- “प्लीज भैया... मुझे माफ कर दो... आज और नहीं चुदवा सकती..."

तब बहूरानी ने हमें समझाया और हम दरवाजे से सारी चुदाई का आनंद ले बैठे। कमरे में उजाला तो इतना नहीं था पर हमें मजा खूब आया। अब देखो तीन बज चुके है। चलो चुपचाप सो जाओ. सुबह की सुबह देखेंगे।

मैं कमरे में आकर पलंग के ऊपर लेट गया। दिन भर फिर रात भर की चुदाई से बदन में कुछ थकावट तो थी ही। थोड़े ही देर में नींद आ गई। नींद में... कोई खूबसूरत सपने में डूबा हुआ था की मेरी नींद खुली... कमरे में अंधेरा था और कोई मेरी लुंगी खोलकर लण्ड को चूस रहा था।
 
जोश के मारे मेरा लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था। और वो साया उसके ऊपर झुका हुआ चूसे जा रहा था। मैंने सोचा की कौन हो सकता है ये? क्या सासूमाँ, या झरना, या दीदी, या फिर चम्पा... कौन? फिर उस साए ने एक पैकेट को फाड़ा और अगले ही पल मेरे लण्ड के ऊपर एक कंडोम को लपेटने लगा.. मैंने सोचा ये मेरे लौड़े के ऊपर कंडोम क्यों लगा रही है? मैंने तो दीदी... झरना... सासूमाँ... और चम्पा सभी को कंडोम के बिना ही चोदा था। फिर ये कंडोम क्यों? मेरी समझ में नहीं आ रहा था। फिर उसने बगल से क्रीम उठाकर अपनी उंगलियों की सहयता से अपने नीचे लगाने लगा। मैं ऐसे ही चुपचाप पड़ा हुआ था। मैंने सोचा कोई नया माल है? पर कौन हो सकता है?

फिर वो साया धीरे-धीरे मेरे लौड़े को एक हाथ से पकड़कर नीचे बैठने लगा... मेरे लण्ड का सुपाड़ा किसी छेद से टकराने लगा और अगले ही पल एक तंग छेद में लण्ड का सुपाड़ा घुसा और साए के मुँह से एक दर्द भरी धीमी सी आह्ह... निकली। मैंने उसकी जांघों पे हाथ रखा जो एकदम चिकने थे। पर कुछ अलग से थे। साए ने दुबारा कोशिश की तो लण्ड और आधा घुसा और साए के मुँह से और एक आह्ह... निकली। फिर उसने तीसरी और आखिर कोशिश में मेरे पूरे लण्ड को अपने अंदर लील लिया।

और इतने में ही बत्ती जल उठी... मैंने देखा... अरे... ये तो मेरे प्यारे से जीजाजी हैं... जो अपनी गाण्ड में मेरा लौड़ा घुसाए उछल कूद मचा रखे हैं...

दीदी ने ताली बजाते हुए कमरे में प्रवेश किया- “वाह... मेरे गान्डू सैयां वा... मुझे पता तो था की मेरे रामू भैया का इतना मस्ताना लण्ड देखकर और एक बार चूसने के बाद बिना गाण्ड मराए आपको चैन नहीं आएगा, पर इतनी जल्दी की मुझे उम्मीद नहीं थी। अरे आपको शर्म आनी चाहिए? कुछ तो सोचना चाहिए था? आपको पता है, परसों रात भर मेरे प्यारे से भाई ने मेरी फुद्दी की सेवा की है? कल दिन में तुम्हारी बहन.. तुम्हारी माँ और खास करके मेरी भी सेवा दिन और रात में... फिर चम्पा बाईं की फुद्दी में भी रस उड़ेला है। और अभी तीन बजे सोने के लिए आया ताकी कल दिन में फिर से हमारी फुदियों की सेवा कर सके। और आप... आप हैं की बेचारे को सोने नहीं दे रहे हो? आ गए गाण्ड मराने?”

कमरे में जब मैंने कहा- “चलो जी, एक राउंड चुदाई की हो जाए...”

आपने कहा- “थक गया हूँ सोने दो...”

तभी तो मैंने सोचा की आज मेरे सैंया, चुदाई के लिए कैसे मना कर रहे हैं? मुझे क्या पता था की उन्हें चुदाई का नहीं गाण्ड मराई का बहुत चढ़ा हुआ है, जो मेरा भाई का लण्ड ही उतार सकता है। अब गाण्ड में लण्ड डलवा तो चुके ही हो जल्दी-जल्दी गाण्ड हिलाओ... मेरे भाई को सोना भी है... ताकी कल फिर से हमारी फुदियों की सेवा कर सके।

भैया... मैं जानती हूँ कि तुम जागे हुए हो... किसी इंसान का लौड़ा दूसर कोई गाण्ड में घुसके उसके ऊपर फुदकने लगे और मेरे भाई को पता नहीं चले ये तो हो ही नहीं सकता?

मैं मुश्कुराया।

दीदी- “अरे देखते क्या हो भैया? उठो साले, इस जीजा कोई गाण्ड में ऐसा लण्ड पेलो की फिर ये गाण्ड मरवाना ही भूल जाए.”

जीजा- “हाँ हाँ साले साहब, लो मैं कुत्ते के पोज में आ जाता हूँ..” और अगले ही पल मेरा लण्ड उनके झुकने से गाण्ड में आगे-पीछे हो रहा था।

मेरी दीदी मुझसे लिपटते हुए मुझे जोश दिला रही थी- “हाँ भैया... और तेज... और तेज्ज...”

जीजा- अरे साली मुझे मरवाएगी क्या? अरे गाण्ड फट रही है मेरी?

दीदी- तो क्यों आ गये गाण्ड फड़वाने?
 
जोश के मारे मेरा लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था। और वो साया उसके ऊपर झुका हुआ चूसे जा रहा था। मैंने सोचा की कौन हो सकता है ये? क्या सासूमाँ, या झरना, या दीदी, या फिर चम्पा... कौन? फिर उस साए ने एक पैकेट को फाड़ा और अगले ही पल मेरे लण्ड के ऊपर एक कंडोम को लपेटने लगा.. मैंने सोचा ये मेरे लौड़े के ऊपर कंडोम क्यों लगा रही है? मैंने तो दीदी... झरना... सासूमाँ... और चम्पा सभी को कंडोम के बिना ही चोदा था। फिर ये कंडोम क्यों? मेरी समझ में नहीं आ रहा था। फिर उसने बगल से क्रीम उठाकर अपनी उंगलियों की सहयता से अपने नीचे लगाने लगा। मैं ऐसे ही चुपचाप पड़ा हुआ था। मैंने सोचा कोई नया माल है? पर कौन हो सकता है?

फिर वो साया धीरे-धीरे मेरे लौड़े को एक हाथ से पकड़कर नीचे बैठने लगा... मेरे लण्ड का सुपाड़ा किसी छेद से टकराने लगा और अगले ही पल एक तंग छेद में लण्ड का सुपाड़ा घुसा और साए के मुँह से एक दर्द भरी धीमी सी आह्ह... निकली। मैंने उसकी जांघों पे हाथ रखा जो एकदम चिकने थे। पर कुछ अलग से थे। साए ने दुबारा कोशिश की तो लण्ड और आधा घुसा और साए के मुँह से और एक आह्ह... निकली। फिर उसने तीसरी और आखिर कोशिश में मेरे पूरे लण्ड को अपने अंदर लील लिया।

और इतने में ही बत्ती जल उठी... मैंने देखा... अरे... ये तो मेरे प्यारे से जीजाजी हैं... जो अपनी गाण्ड में मेरा लौड़ा घुसाए उछल कूद मचा रखे हैं...

दीदी ने ताली बजाते हुए कमरे में प्रवेश किया- “वाह... मेरे गान्डू सैयां वा... मुझे पता तो था की मेरे रामू भैया का इतना मस्ताना लण्ड देखकर और एक बार चूसने के बाद बिना गाण्ड मराए आपको चैन नहीं आएगा, पर इतनी जल्दी की मुझे उम्मीद नहीं थी। अरे आपको शर्म आनी चाहिए? कुछ तो सोचना चाहिए था? आपको पता है, परसों रात भर मेरे प्यारे से भाई ने मेरी फुद्दी की सेवा की है? कल दिन में तुम्हारी बहन.. तुम्हारी माँ और खास करके मेरी भी सेवा दिन और रात में... फिर चम्पा बाईं की फुद्दी में भी रस उड़ेला है। और अभी तीन बजे सोने के लिए आया ताकी कल दिन में फिर से हमारी फुदियों की सेवा कर सके। और आप... आप हैं की बेचारे को सोने नहीं दे रहे हो? आ गए गाण्ड मराने?”

कमरे में जब मैंने कहा- “चलो जी, एक राउंड चुदाई की हो जाए...”

आपने कहा- “थक गया हूँ सोने दो...”

तभी तो मैंने सोचा की आज मेरे सैंया, चुदाई के लिए कैसे मना कर रहे हैं? मुझे क्या पता था की उन्हें चुदाई का नहीं गाण्ड मराई का बहुत चढ़ा हुआ है, जो मेरा भाई का लण्ड ही उतार सकता है। अब गाण्ड में लण्ड डलवा तो चुके ही हो जल्दी-जल्दी गाण्ड हिलाओ... मेरे भाई को सोना भी है... ताकी कल फिर से हमारी फुदियों की सेवा कर सके।

भैया... मैं जानती हूँ कि तुम जागे हुए हो... किसी इंसान का लौड़ा दूसर कोई गाण्ड में घुसके उसके ऊपर फुदकने लगे और मेरे भाई को पता नहीं चले ये तो हो ही नहीं सकता?

मैं मुश्कुराया।

दीदी- “अरे देखते क्या हो भैया? उठो साले, इस जीजा कोई गाण्ड में ऐसा लण्ड पेलो की फिर ये गाण्ड मरवाना ही भूल जाए.”

जीजा- “हाँ हाँ साले साहब, लो मैं कुत्ते के पोज में आ जाता हूँ..” और अगले ही पल मेरा लण्ड उनके झुकने से गाण्ड में आगे-पीछे हो रहा था।

मेरी दीदी मुझसे लिपटते हुए मुझे जोश दिला रही थी- “हाँ भैया... और तेज... और तेज्ज...”

जीजा- अरे साली मुझे मरवाएगी क्या? अरे गाण्ड फट रही है मेरी?

दीदी- तो क्यों आ गये गाण्ड फड़वाने?
 
मैं- “लेकिन जीजू मेरा अभी तक निकला नहीं हैं.."

सासूमाँ, दीदी, झरना सब लोग एक साथ बोले- “मैं हूँ ना...”

जीजू- “हाँ हाँ साले साहब... हो सके तो तीनों को ही चोद लो..”

मैं- पगला गये हो क्या जीजू? अभी पूरी तरह थक गया हूँ। वो तो आपने लण्ड को खड़ा कर दिया इसीलिए बोल रहा था।

सासूमॉ- “तो एक काम करते है बेटा... हम सब बारी-बारी से तेरा लण्ड चूसते हैं... ठीक है, तुम लेट जाओ...”

मैं लेट गया और सब बारी-बारी से मेरा लण्ड चूसने लगे।

सासूमाँ- सब लोग ध्यान से सुनो... अभी मैं कमरे की लाइट बंद कर रही हूँ, बहू अब तेरी बारी है। झरना कल तेरा एग्जॅम है ना? चल बेटे तू भी आराम कर ले... बहू रानी अपने भैया का लण्ड चूसकरके तेरी गाण्ड में क्रीम लगा देगी ठीक है?

जीजू- “ठीक है अम्मा... पर मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा है। ऐसा करता हूँ कि मैं इसी कमरे में सो जाता हूँ..."

झरना- “ऐसी गलती ना करो भैया? कहीं रामू भैया का लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो... अबकी बार सचमुच आपकी गाण्ड को फाड़ ही देंगे...”

जीजू हड़बड़ाते हुए- “तूने सच कहा झरना... साले का कुछ भरोसा नहीं है..” जीजू लंगड़ाते हुए, और सासूमाँ और झरना हँसते हुए कमरे से बाहर निकले।

दीदी और मैं... मैं और दीदी...

मैं- “हे दीदी, चूसना चोदो और टाँगें फैला दो ना... प्लीज दीदी...”

दीदी- “मैं भी यही कहने वाली थी भैया... मेरा भी मूड बन गया था... बैंक यू भैया...”
 
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