hotaks444
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बुक मेरे हाथ मे आ गयी. नीचे उतरते वक़्त मेरा सरीर राजू के सरीर से चिपका हुआ था और रगड़ खा रहा था. फिर मेरे दोनो पैरो के बीच कुछ आ गया. शायद राजू की नुन्नि थी. राजू ने तुरंत नही छोड़ा मुझे. धीरे धीरे उतारा. उसकी नुन्नि मेरी चूत के एरिया को रगड़ती हुई निकल गयी. खैर किताब मिल गयी थी. मेने झुक कर पैंटी को उठाना चाहा तो राजू ने पैंटी ले ली और कहा जाने के समय पहन लेना, अभी पढ़ाई करो.
राजू ने टवल लपेट लिया और मेरे सामने बैठ गया. उसकी नुन्नि सॉफ दिख रही थी, मेने साइज का आइडिया लगाया और आज फिर स्केल पर चेक करने की सोची. थोड़ी देर बाद पढ़ाई ख़तम. मैं टीवी देखने लगी. राजू मेरे साथ पिक्चर देखने लगा. मैं पेट के बल लेट कर टीवी देख रही थी. अचानक राजू ने मेरी फ्रॉक मे हाथ डाला और मेरे बम्स सहलाने लगा. फिर हाथ से मुझे पीछे से उँचा किया और मेरी चूत तक सहलाने लगा.
मुझे अच्छा लग रहा था. मेने कुछ नही कहा और टीवी देखती रही. एक बार मेने ज़रा नज़र बचा के राजू को देखा. वो अपनी नुन्नि को हाथ मे पकड़े हुए था और उसको हिला रहा था. हिलने से उसकी नुन्नि के उपर की चॅम्डी पीछे चली जाती थी और उसमे से दिखता था एकदम चिकना गोरा पिंक कलर का नुन्नि के उपर का हिस्सा जो नॉर्मल मे नही दिखता था. बहुत अच्छा लग रहा था वो.
इसी तरह कुछ देर चलता रहा. फिर ट्यूशन टाइम ख़तम हो गया और मैं पैंटी पहन कर नीचे चली आई. आज बहुत अच्छा लगा था, नयी चीज़ देखने मिली थी. मुझे भी सहलाया था. नेक्स्ट और क्या होगा ये सोचते सोचते आँख लग गयी.
नेक्स्ट डे मेरा सिर भारी था, फिर भी ट्यूशन गयी. पढ़ने मे मन नही लग रहा था. राजू ने मुझे लेटने को कहा और आराम करने को कहा. मैं लेट गयी. आज मेने सलवार पहनी थी. राजू मेरा सिर दबाने लगा. बोला तुम जब भी यहाँ आओगी, फ्रॉक मे आना और आते ही अपनी पैंटी उतार देना. पर आज तो सलवार थी. राजू ने मेरी सलवार नीचे सरकाते हुए पूरी उतार दी और फिर पैंटी उतार दी.
मैं पीठ के बल लेटी हुई थी. पैंटी उतरते ही मैं पूरी नंगी हो गयी, मेरी चूत ओपन हो गयी. राजू उसको सहलाने लगा. बहुत अच्छा लग रहा था. फिर राजू ने मेरी फ्रॉक भी उतार दी. मैं पूरी नंगी हो गयी. राजू मेरी छाती पर हाथ फेरता रहा. बीच मे दबा भी देता था. फिर पेट सहलाता, फिर मेरी चूत. थोड़ी देर बाद उसने मेरे पैरो को मोड़ दिया. और फैला दिया. अब वो नीचे झुक कर मेरी चूत देखने लगा.
फिर वो मेरी चूत की तरफ लेट गया. अब मुझे लगा कि वो किस कर रहा है. मेने गर्दन उठा के देखा तो राजू के सिर के बाल दिखे. उसकी जीव मेरी चूत पर थी और वो उसको चाट रहा था. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. कुछ देर ये सब करता रहा . फिर वो बैठ गया. अपनी पॅंट उतारी. नीचे पैंटी नही थी इसलिए उसकी नुन्नि बाहर आ गयी. वो मेरे सिर के पास आया और कहा- सायरा, इसको देखो.
मेने देखा. क्या सुंदर नुन्नि थी. अब वो मेरे पास बैठ गया और मुझे नुन्नि पकड़ने को कहा. मेने झिझकते हुए नुन्नि पकड़ी. वो मेरे हाथ मे नही आई, काफ़ी मोटी लग रही थी. राजू ने मेरा हाथ पकड़ के आगे पीछे किया तो वो कल वाला हिस्सा दिखाई दिया. उसने हिलाते रहने को कहा. फिर मुझे उसकी नुन्नि को किस करने को कहा.
राजू- सायरा, नुन्नि को किस करो.
मैं- राजू भैया, शरम आ रही हे.
राजू- शरम क्यू, मेने भी किस किया ना तुम्हारी चूत को. अब तुम भी करो.
मेने हल्के से किस किया. राजू ने अपनी नुन्नि को पकड़ कर मेरे होंठो पर यहाँ से वहाँ फेरना शुरू किया और कहा.सायरा' अपना मूह खोलो
मेने मूह खोला तो राजू ने अपनी नुन्नि मेरे मूह मे डाल दी. पर वो काफ़ी बड़ी थी मेरे लिए. अब नौ साल की लड़की का मूह था ये. नुन्नि के उपर का हिस्सा मेरे मूह मे आ गया. उसने कहा - सियरा, इसको मूह मे घूमाओ, अपनी जीव से इसको चॅटो और चूसो मैं करने लगी, हम दोनो को मज़ा आ रहा था. मेरे मूह मे नुन्नि घुसाए राजू लेट गया. उसका मूह मेरी चूत की तरफ था.
मैं उसकी नुन्नि चूसने मे लगी थी और वो मेरी चूत मे उंगली डाल रहा था. काफ़ी देर तक ये सब चलता रहा. थोड़ी देर बाद राजू ने कहा-
सायरा, अब नुन्नि से एक जूस निकलेगा, सफेद, तुम उसको पी जाना, उसको पीने से दिमाग़ तेज होता हे और नंबर अच्छे आएँगे.
मेने सिर हिलाकर हां कहा. और जब उसका जूस निकला तो राजू ने मेरा मूह पकड़ लिया और सारा जूस मेरे मूह मे डाल दिया. मैं पी गयी सब. बहुत नया और अच्छा लगा. फिर तो ये रोज का काम हो गया. थोड़ी देर तक पढ़ाई करने के बाद रोज यही सब होता. एक नयी बात ये हुई कि अब राजू की फिंगर मेरी चूत मे पूरी जाने लगी. और मेरी चूत भी कुछ फूलने लगी. राजू मेरी चूत को खूब दबाता, उंगली करता और मैं उसका जूस पीती.
एक दिन राजू ने अपना जूस मुझे पिलाने के बाद अपनी नुन्नि फिर से मेरे मूह मे डाल दी, वो फिर से बड़ी हो गयी. फिर राजू ने उसपर आयिल लगाया. मेरी चूत मे उंगली डाल डाल के आयिल लगाया. फिर वो बैठ गया और मुझे उसकी नुन्नि पर बैठने बोला. जब मैं बैठने लगी तो उसने अपने लंड को मेरी चूत पर टीकाया और बैठने बोला. जैसे ही मैं बैठी, लगा कुछ घुस गया और दर्द भी हुआ. मैं उठ गयी.
फिर राजू ने मुझे अपनी गोदी मे लिया. मेरा मूह अपनी तरफ किया और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा, मेरी चूत पर सेट किया और बैठने को कहा. बैठते ही फिर वेसा हुआ, मैं उठने लगी तो उसने उठने नही दिया. कहा कुछ देर बैठी रहो, ठीक लगेगा. मैं बैठी रही. थोड़ी देर मे दर्द कम हो गया. अब मेने पीछे होकर झुक कर देखा राजू का लंड मेरी चूत मे घुसा हुआ था. राजू ने आयिल से भीगी हुई अपनी एक उंगली मेरी गंद मे घुसा रखी थी.
ये नया एक्सपीरियेन्स था. मुझे ठीक ही लग रहा था. थोड़ी देर मे लंड से जूस निकल गया. हम दोनो अलग हुए. टवल से खुद को पोछा.
मैं- राजू भैया, आज अच्छा लगा, नयी चीज़ हुई.
राजू- हां सायरा, धीरे धीरे सब सिखा दूँगा, पर स्टडी भी करती रहो. अगर नंबर ठीक न्ही आए तो तुम्हारी अम्मी ट्यूशन बंद करा देगी, फिर ये सब नही मिलेगा.
मैं- भैया, आपका लंड इतना बड़ा है या सबका ऐसा होता है?
राजू- सायरा, सबका बड़ा होता है, किसी का 5, किसी का 6, जैसे मेरा 8 इंच है.
मैं- तो क्या ये इतना ही जाता है चूत मे?
राजू- नही सायरा, ये पूरा लंड चला जाता है.
मैं- भैया, आपने मेरे पीछे भी उंगली घुसाई थी, क्यू?
राजू- ये लंड वहाँ भी जाता है. चूत मे, गंद मे, मूह मे, सब जगह.
मैं- मेरे मे कब जाएगा?
राजू- रोज उंगली से बड़ा करूँगा. जब छेद बड़ा हो जाएगा तब ये सब जगह आराम से जाएगा और तुझे मज़ा भी आएगा.
मैं- ओके भैया. कल मिलती हू, बाइ
अब ये रोज होने लगा. अब मेरी गंद मे राजू की 2 उंगली घुसने लगी और चूत मे लंड का टॉप. एक दिन राजू ने मुझे कहा कि आज वो मेरे गंद मे लंड डालेगा थोड़ा सा. मेने कहा ओके. राजू ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, मेरे पीछे आया और मेरी गंद पर जीव फिराने लगा. मुझे अच्छा लग रहा था. फिर उसने वहाँ आयिल लगाया. मेरे पेट के नीचे तकिया रखा और मेरे उपर चढ़ गया. अपने लंड को गंद के छेद पर टीकाया और पुश किया. लंड का टॉप घुस गया और हल्का दर्द हुआ.
राजू उसी पोज़िशन मे रुक गया. जब दर्द कम हुआ तो उसने फिर पुश किया. शायद लंड और गया. दर्द हुआ. मेने कहा बस भैया, आज इतना ही करो. उसने वो पोज़िशन मे छोड़ के अपना जूस निकाला और भीतर डाल दिया. फिर लंड बाहर निकाल लिया.
मैं- भैया, आज लंड ज़्यादा घुसा ना?
राजू- हां, यहाँ तक गया, 1/4थ, मैं तुम्हारी गंद मे ट्राइ करूँगा अब. वहाँ जल्दी चला जाएगा. चूत मे थोड़ा टाइम लगेगा.
मैं जब खड़ी हुई तो चलने मे तकलीफ़ होने लगी. डर लगा अगर अम्मी ने रीज़न पूछा तो क्या कहूँगी.. राजू ने कहा कि कह देना पैर मे मोच आ गयी है. फिर क्या था, अब कोई डर नही. अब रोज चुदाई होने लगी.एक दिन तो ऐसा आया कि उसका लंड मेरी गंद मे पूरा घुस गया.
उस दिन, राजू ने कहा, दर्द हो तो चिल्लाना मत. राजू मेरे पीठ पर चढ़ा. लंड मेरी गंद पर टीकाया. मेरी बगल से हाथ डाल के मेरे कंधो को पकड़ लिया. लंड पुश किया तो आधा चला गया. उसने और घुसाना चाहा. पर दर्द से मैं आगे की तरफ होने लगी पर राजू ने मेरे कंधे पकड़े हुए थे सो आगे नही जा सकी.
राजू ने टवल लपेट लिया और मेरे सामने बैठ गया. उसकी नुन्नि सॉफ दिख रही थी, मेने साइज का आइडिया लगाया और आज फिर स्केल पर चेक करने की सोची. थोड़ी देर बाद पढ़ाई ख़तम. मैं टीवी देखने लगी. राजू मेरे साथ पिक्चर देखने लगा. मैं पेट के बल लेट कर टीवी देख रही थी. अचानक राजू ने मेरी फ्रॉक मे हाथ डाला और मेरे बम्स सहलाने लगा. फिर हाथ से मुझे पीछे से उँचा किया और मेरी चूत तक सहलाने लगा.
मुझे अच्छा लग रहा था. मेने कुछ नही कहा और टीवी देखती रही. एक बार मेने ज़रा नज़र बचा के राजू को देखा. वो अपनी नुन्नि को हाथ मे पकड़े हुए था और उसको हिला रहा था. हिलने से उसकी नुन्नि के उपर की चॅम्डी पीछे चली जाती थी और उसमे से दिखता था एकदम चिकना गोरा पिंक कलर का नुन्नि के उपर का हिस्सा जो नॉर्मल मे नही दिखता था. बहुत अच्छा लग रहा था वो.
इसी तरह कुछ देर चलता रहा. फिर ट्यूशन टाइम ख़तम हो गया और मैं पैंटी पहन कर नीचे चली आई. आज बहुत अच्छा लगा था, नयी चीज़ देखने मिली थी. मुझे भी सहलाया था. नेक्स्ट और क्या होगा ये सोचते सोचते आँख लग गयी.
नेक्स्ट डे मेरा सिर भारी था, फिर भी ट्यूशन गयी. पढ़ने मे मन नही लग रहा था. राजू ने मुझे लेटने को कहा और आराम करने को कहा. मैं लेट गयी. आज मेने सलवार पहनी थी. राजू मेरा सिर दबाने लगा. बोला तुम जब भी यहाँ आओगी, फ्रॉक मे आना और आते ही अपनी पैंटी उतार देना. पर आज तो सलवार थी. राजू ने मेरी सलवार नीचे सरकाते हुए पूरी उतार दी और फिर पैंटी उतार दी.
मैं पीठ के बल लेटी हुई थी. पैंटी उतरते ही मैं पूरी नंगी हो गयी, मेरी चूत ओपन हो गयी. राजू उसको सहलाने लगा. बहुत अच्छा लग रहा था. फिर राजू ने मेरी फ्रॉक भी उतार दी. मैं पूरी नंगी हो गयी. राजू मेरी छाती पर हाथ फेरता रहा. बीच मे दबा भी देता था. फिर पेट सहलाता, फिर मेरी चूत. थोड़ी देर बाद उसने मेरे पैरो को मोड़ दिया. और फैला दिया. अब वो नीचे झुक कर मेरी चूत देखने लगा.
फिर वो मेरी चूत की तरफ लेट गया. अब मुझे लगा कि वो किस कर रहा है. मेने गर्दन उठा के देखा तो राजू के सिर के बाल दिखे. उसकी जीव मेरी चूत पर थी और वो उसको चाट रहा था. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. कुछ देर ये सब करता रहा . फिर वो बैठ गया. अपनी पॅंट उतारी. नीचे पैंटी नही थी इसलिए उसकी नुन्नि बाहर आ गयी. वो मेरे सिर के पास आया और कहा- सायरा, इसको देखो.
मेने देखा. क्या सुंदर नुन्नि थी. अब वो मेरे पास बैठ गया और मुझे नुन्नि पकड़ने को कहा. मेने झिझकते हुए नुन्नि पकड़ी. वो मेरे हाथ मे नही आई, काफ़ी मोटी लग रही थी. राजू ने मेरा हाथ पकड़ के आगे पीछे किया तो वो कल वाला हिस्सा दिखाई दिया. उसने हिलाते रहने को कहा. फिर मुझे उसकी नुन्नि को किस करने को कहा.
राजू- सायरा, नुन्नि को किस करो.
मैं- राजू भैया, शरम आ रही हे.
राजू- शरम क्यू, मेने भी किस किया ना तुम्हारी चूत को. अब तुम भी करो.
मेने हल्के से किस किया. राजू ने अपनी नुन्नि को पकड़ कर मेरे होंठो पर यहाँ से वहाँ फेरना शुरू किया और कहा.सायरा' अपना मूह खोलो
मेने मूह खोला तो राजू ने अपनी नुन्नि मेरे मूह मे डाल दी. पर वो काफ़ी बड़ी थी मेरे लिए. अब नौ साल की लड़की का मूह था ये. नुन्नि के उपर का हिस्सा मेरे मूह मे आ गया. उसने कहा - सियरा, इसको मूह मे घूमाओ, अपनी जीव से इसको चॅटो और चूसो मैं करने लगी, हम दोनो को मज़ा आ रहा था. मेरे मूह मे नुन्नि घुसाए राजू लेट गया. उसका मूह मेरी चूत की तरफ था.
मैं उसकी नुन्नि चूसने मे लगी थी और वो मेरी चूत मे उंगली डाल रहा था. काफ़ी देर तक ये सब चलता रहा. थोड़ी देर बाद राजू ने कहा-
सायरा, अब नुन्नि से एक जूस निकलेगा, सफेद, तुम उसको पी जाना, उसको पीने से दिमाग़ तेज होता हे और नंबर अच्छे आएँगे.
मेने सिर हिलाकर हां कहा. और जब उसका जूस निकला तो राजू ने मेरा मूह पकड़ लिया और सारा जूस मेरे मूह मे डाल दिया. मैं पी गयी सब. बहुत नया और अच्छा लगा. फिर तो ये रोज का काम हो गया. थोड़ी देर तक पढ़ाई करने के बाद रोज यही सब होता. एक नयी बात ये हुई कि अब राजू की फिंगर मेरी चूत मे पूरी जाने लगी. और मेरी चूत भी कुछ फूलने लगी. राजू मेरी चूत को खूब दबाता, उंगली करता और मैं उसका जूस पीती.
एक दिन राजू ने अपना जूस मुझे पिलाने के बाद अपनी नुन्नि फिर से मेरे मूह मे डाल दी, वो फिर से बड़ी हो गयी. फिर राजू ने उसपर आयिल लगाया. मेरी चूत मे उंगली डाल डाल के आयिल लगाया. फिर वो बैठ गया और मुझे उसकी नुन्नि पर बैठने बोला. जब मैं बैठने लगी तो उसने अपने लंड को मेरी चूत पर टीकाया और बैठने बोला. जैसे ही मैं बैठी, लगा कुछ घुस गया और दर्द भी हुआ. मैं उठ गयी.
फिर राजू ने मुझे अपनी गोदी मे लिया. मेरा मूह अपनी तरफ किया और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा, मेरी चूत पर सेट किया और बैठने को कहा. बैठते ही फिर वेसा हुआ, मैं उठने लगी तो उसने उठने नही दिया. कहा कुछ देर बैठी रहो, ठीक लगेगा. मैं बैठी रही. थोड़ी देर मे दर्द कम हो गया. अब मेने पीछे होकर झुक कर देखा राजू का लंड मेरी चूत मे घुसा हुआ था. राजू ने आयिल से भीगी हुई अपनी एक उंगली मेरी गंद मे घुसा रखी थी.
ये नया एक्सपीरियेन्स था. मुझे ठीक ही लग रहा था. थोड़ी देर मे लंड से जूस निकल गया. हम दोनो अलग हुए. टवल से खुद को पोछा.
मैं- राजू भैया, आज अच्छा लगा, नयी चीज़ हुई.
राजू- हां सायरा, धीरे धीरे सब सिखा दूँगा, पर स्टडी भी करती रहो. अगर नंबर ठीक न्ही आए तो तुम्हारी अम्मी ट्यूशन बंद करा देगी, फिर ये सब नही मिलेगा.
मैं- भैया, आपका लंड इतना बड़ा है या सबका ऐसा होता है?
राजू- सायरा, सबका बड़ा होता है, किसी का 5, किसी का 6, जैसे मेरा 8 इंच है.
मैं- तो क्या ये इतना ही जाता है चूत मे?
राजू- नही सायरा, ये पूरा लंड चला जाता है.
मैं- भैया, आपने मेरे पीछे भी उंगली घुसाई थी, क्यू?
राजू- ये लंड वहाँ भी जाता है. चूत मे, गंद मे, मूह मे, सब जगह.
मैं- मेरे मे कब जाएगा?
राजू- रोज उंगली से बड़ा करूँगा. जब छेद बड़ा हो जाएगा तब ये सब जगह आराम से जाएगा और तुझे मज़ा भी आएगा.
मैं- ओके भैया. कल मिलती हू, बाइ
अब ये रोज होने लगा. अब मेरी गंद मे राजू की 2 उंगली घुसने लगी और चूत मे लंड का टॉप. एक दिन राजू ने मुझे कहा कि आज वो मेरे गंद मे लंड डालेगा थोड़ा सा. मेने कहा ओके. राजू ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, मेरे पीछे आया और मेरी गंद पर जीव फिराने लगा. मुझे अच्छा लग रहा था. फिर उसने वहाँ आयिल लगाया. मेरे पेट के नीचे तकिया रखा और मेरे उपर चढ़ गया. अपने लंड को गंद के छेद पर टीकाया और पुश किया. लंड का टॉप घुस गया और हल्का दर्द हुआ.
राजू उसी पोज़िशन मे रुक गया. जब दर्द कम हुआ तो उसने फिर पुश किया. शायद लंड और गया. दर्द हुआ. मेने कहा बस भैया, आज इतना ही करो. उसने वो पोज़िशन मे छोड़ के अपना जूस निकाला और भीतर डाल दिया. फिर लंड बाहर निकाल लिया.
मैं- भैया, आज लंड ज़्यादा घुसा ना?
राजू- हां, यहाँ तक गया, 1/4थ, मैं तुम्हारी गंद मे ट्राइ करूँगा अब. वहाँ जल्दी चला जाएगा. चूत मे थोड़ा टाइम लगेगा.
मैं जब खड़ी हुई तो चलने मे तकलीफ़ होने लगी. डर लगा अगर अम्मी ने रीज़न पूछा तो क्या कहूँगी.. राजू ने कहा कि कह देना पैर मे मोच आ गयी है. फिर क्या था, अब कोई डर नही. अब रोज चुदाई होने लगी.एक दिन तो ऐसा आया कि उसका लंड मेरी गंद मे पूरा घुस गया.
उस दिन, राजू ने कहा, दर्द हो तो चिल्लाना मत. राजू मेरे पीठ पर चढ़ा. लंड मेरी गंद पर टीकाया. मेरी बगल से हाथ डाल के मेरे कंधो को पकड़ लिया. लंड पुश किया तो आधा चला गया. उसने और घुसाना चाहा. पर दर्द से मैं आगे की तरफ होने लगी पर राजू ने मेरे कंधे पकड़े हुए थे सो आगे नही जा सकी.