Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ - Page 3 - SexBaba
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Real Chudai Kahani रंगीन रातों की कहानियाँ

शिकस्त ---02 लास्ट पार्ट

सर, अब आगे नही. किसी भी मर्द को इस मौके पर रुकावट पसंद नही. वो भी चिड़े हुए स्वर मे बोले

" क्या है". मैने खुलासा किया,

" मैं अभी तक कुँवारी हूँ, सर". झट से जवाब आया,

" हर लऱ'की पह'ले कुँवारी ही होती है और तब तक रह'ती है जब तक कोई मर्द उसे औरत न बना दे. " और बिना मेरे जवाब की दरकार किए , उन्हो ने अपना लंड अंदर घूसा दिया. आगे वही हुआ जो सब जानते है. कुच्छ ही पल मे मैं लड़की से औरत बन गयी.

जब मुझे आहेसास हुआ की क्या हो गया है तो इस तरह अपना कौमार्या खोने पर मैं थोड़ी उदास हो गयी. वो भी मेरे मूड को समझे. शाम हो रही थी. मुझे कहा ,

मैं ज़रा बाहर हो आता हूँ. उनके जाने के बाद मैं गुम सूम लेटी रही और अपने जीवन का मुआयना करती रही. घंटे भर मे वो वापस आए, एक थैली मुझे दी और कहा ये ले, तैयार हो जेया. मैने देखा तो अंदर नया ड्रेस था. चावी वाले पुतले की तरह, बिना कोई भाव'ना के, मैं उठी और ड्रसस पहन लिया. वो मुझे साथ लिए बाहर चल दिए. गाड़ी रुकी तो वो एक सुना मंदिर था. वो दर्शन करने गये, तो मैं भी गयी. दर्शन कर के आँखे खोली तो, ..... आश्चर्य चकित हो गयी. वो हाथ मे मंगल सट्रा लिए खड़े थे. मुझे भीने स्वर मे कहा,

"भगवान को साक्चि मान कर, मैं तुझे अपनी पत्नी स्वीकार करता हूँ". मैं देखती ही रह गयी... कहीं ये सपना तो नही?? उन्हो ने मेरे गले मे वो मंगल सट्रा पहना दिया. मैं खुश हो गयी. उस रात मैने बेड पर तूफान मचा दिया. वो भी पूरी तरह से खिले थे. ना जाने रात भर मे कितनी बार चुदाई हुई. सुबह होते होते नींद लगी और दोपहर को खुली. फिर एक बार हम'ने कामसुख भोगा. जब वापस चले तो हम दोनो पूर्णा टाइया तृप्त थे. मुझे लगा वो बादल है और मैं धरती. बादल रत भर बरसा और पानी बनकर धरती मे समा गया. खुद खाली हो गया और धरती को तृप्त कर दिया. मैं अपने आप को मिसिज. राजन समझने लगी थी. संगीता के बाद मेरा ही तो है सब.

वापस लौट के आने के बाद उन्हों ने मेरे लिए एक फ्लॅट ले लिया और मुझे वहाँ ठहरा दिया. डॉक्टर ने भले ही संगीता को 20-25 दिन की मेहमान होने का कहा था, उस की तबीयत कुच्छ सुध'री और हॉस्पिटल मे ही उसने चार महीने और खींचे. तब तक रोज, राजन सर मेरे फ्लॅट पर आते थे , मुझे भोगते थे और चले जाते थे. मैं कुछ बोल भी नही सकती थी. एक बार आत्म-समर्पण जो कर चुकी थी और उनकी पत्नी बनने के सपने भी देखती थी. संगीता की डेत के बाद वो बोले, हमारे घर्मे एक साल का शोक मानते है. तो एक साल शादी की बात फिर ताल गयी. साल भी बीत गया और दूसरा साल भी आ गया. राजन सर कोई ना कोई बहाना बना कर शादी टाल देते थे, पर मुझे चोदना नही भुलाते थे. मेरी जवानी का और सुंदरता का पूरा पूरा लुत्फ़ (आनंद) उठाया, मज़ा लिया.

मैं भी समझने लगी थी,... की .. पत्नी बनने के चक्कर मे मैं उनकी रखैल बन चुकी हूँ!! फिर अपना बॅकग्राउंड देख कर और जॉब ढूँढने के समय के अनुभवों को याद कर, मान को मनाती रही ; रखैल भी बन गयी तो ठीक ही है. फिर एक दिन एक नई बात बनी. उस रात ऑफीस की और से पार्टी थी. मैं भी तैयार हो के गयी थी और मेहमानों की देख भाल देख रही थी. ये सब मैं पहले भी कई बार कर चुकी थी. सारी व्यवस्था पर नज़र रख रही थी. जब पार्टी ख़त्म होने मे थोड़ी देर बाकी थी, तो राजन सर आए और मुझे एक कोने मे ले जेया के प्यार भरे सुर मे कहा,

" अनु, वो ब्राउन सूट मे मिस्टर. शरमा खड़े है, देख रही हो ?" मैने हामी भारी. आवाज़ और धीमी और गंभीर करते हुए कहा.

"हमारे लिए बहोट इंपॉर्टेंट गेस्ट है. उनसे हमे 25 करोर का कांट्रॅक्ट मिल सकता है. बड़े रंगीन मिज़ाज आदमी है. कांट्रॅक्ट पेपर्स को लड़की के खुले स्तन पर रख के साइन करने का शौक रखते है. तू ही इनको संभाल सकती है. उन को ओबेरोई मे ड्रॉप करने जेया और खुश कर के सुबह लौटना, समझी ??" और मेरे जवाब की परवाह किए बिना ही मुझे ले चले और मिस्टर. शर्मा से इंट्रोडक्षन करवा दिया,

"सर, यह है हमारी हॉट ब्यूटी क्वीन, अनुपमा." आँख विंक करते हुए आड किया,

"`हर काम' मे माहिर है. आप को होटेल पर छ्चोड़ने आ रही है. आप कांट्रॅक्ट पर दस्तख़त ज़रूर कर देना." शर्मा ने लोलुप नज़रों से मेरे स्तनों को देखा और बोला,

"साइन करने की जगह तो सही है" और गंदी तरह से हंस पड़ा. राजन सर भी उसकी हँसी मे शामिल हो गये और मुझे उसकी और पुश करते हुए कहा,

"गुड नाइट तो बोत ऑफ योउ". सब कुच्छ इतना फास्ट हो गया, की बिना कोई प्रतिक्रिया किए मैं ओबेरोई मे शर्मा की बेड पर पहुँच गयी. . मैने सोचा, अब आ ही गयी हूँ तो काम पूरा कर दूं. .. और मैने शर्मा को खुश कर दिया.... सुबह होते उसने कोंटर्कत पेपर्स निकले और मेरे नंगे स्तनों पर रख कर साइन कर दिया. वापस आ के पेपर्स राजन सर को दिए तो बहोट खुश होते हुए कह उठे,

"मैं जनता था, तुम ये काम ज़रूर कर सकती हो". उस के बाद तो ये सिलसिला ही बन गया. मैं रखैल से कब रंडी बन गयी पता ही नही चला. धीरे धीरे राजन सिर का मेरे फ्लॅट पर आना कम हो गया. और एक दिन देखा की उन्हों ने ऑफीस मे एक नई प. ए. भी रख ली थी. अब मेरा ऑफीस मे पहले जैसा रेस्पेक्ट भी नही रहा था. मुझे कहीं भी कुच्छ भी अच्च्छा नही लग रहा था. तो मैने राजन सर को एक दिन अपने फ्लॅट पर बुला लिया. वो आए. मैं साज धज के तैयार हुई थी, उन्हे आकर्षित करने के लिए. उन्हों ने जाम के मेरी चुदाई भी की. जब लगा मुझे की वी संत्ुस्त है तो मैने बात निकली और जो हो रहा था उसके प्रति नाराज़'गी व्यक्त करते हुए कहा,

" सर, आप ने तो मुझे मंदिर मे भगवान को साक्षी मान कर पत्नी बनाया था, फिर आपने पत्नी की जगह रखैल बना दिया, मैने वो भी सह लिया, लेकिन अब तो आपने मुझे रंडी बना दिया है, क्या ये ठीक है?" वो हंसते हुए बोले,

"छ्होटी बच्ची थोड़ी हो की मैं काहु और तुम चली जाओ किसी के साथ सोने के लिए ? तुम्हे भी तो खुजली थी शर्मा से चुदाने की." अब आवाज़ तीखी हुई,

" एक तो रहने को आलीशान फ्लॅट दिया है, पैसे की तकलीफ़ नही है, तुम्हे रोज नई वेराइटी मिलती है, फिर भी नखरे दिखती है ? और तुम्हे क्या फ़र्क पड़ता है, मैं चोदु या कोई और चोदे ? चुदाई तो चुदाई ही है ना ? समाज ले अपना शरीर मुझे ही दिया है."
उनका ये रूप देख कर मैं तो हक्का बक्का रह गयी. थोड़ी देर तो क्या बोलना है, कुच्छ सूझा ही नही. फिर जब संभाली तो मैने भी कसर नही छ्चोड़ी. दोनो गुस्से मे आ गये. बात बिगड़ती गई. बड़ा झगड़ा हो गया. मैने कह दिया,

"राजन, तूने मुझे धोखा दिया है. मैं तुझे नही छ्चोड़ूँगी. देख लूँगी. " इस पर तो वो लाल-पीला हो गया. बड़ी हस्ती थी. उसे कोई ऐसा कह जाए तो कैसे सुन लेता ? वो भी बिगड़ा,

"तू ? तू मुझे देख लेगी ? तेरी हैसियत ही क्या है ? मेरे सामने तेरा क्या वजूद है ? मेरे पास पैसे की ताक़त है, सोशियल स्टेटस है, पोलिटिकल कॉंटॅक्ट है, बड़े बड़े नेता से संबंध है, पोलीस और अंडरवर्ल्ड मे पहेचन है. और तू ? एक रंडी मात्रा !! तेरी क्या औकात है की मुझे देख लेगी ? चल खाली कर ये घर अभी का अभी !!" मेरे पास कोई चारा नही था. लेकिन घर छ्चोड़ते हुए मैने अपनी सारी भादश निकल दी,

"राजन, तू देखना , इन सब के बावजूद मैं तुझे हरा दूँगी, मॅट दे दूँगी !! तुझे ये रंडी शिकस्त देगी, शिकस्त !!! " घर तो छ्चोड़ दिया, पर जिए कैसे... कहाँ जाए.... ये सारे प्रश्ना सामने आ गये. मैने फिर एक बार शहर छ्चोड़ दिया. लेकिन जल्द ही भूख-प्यास से मैं उब गई. रातों को हाइवे पर खड़ी रह के ट्रक द्रिवेरोन के साथ सोई और खनेका पैसा जुटाया. एक भले ड्राइवर ने बताया ,

"देल्ही जितना सेक्स का व्यवसाय कहीं नही होगा अपने देश मे. तू सुंदर है. वहाँ तेरी कदर होगी. मैं देल्ही जेया रहा हूँ ये ट्रक ले के, मैं वहाँ कोठे भी जानता हूँ, बैठ जेया, तुझे वहाँ पहुँचा दूँगा." इस तरह नसीब मुझे देल्ही ले आया. मजबूरी मे मुझे वाकई रंडी ही बनना पड़ा. मैने भी वो कोठा पकड़ लिया. सुंदर तो मैं थी ही. मेरा काम चल पड़ा. बहोट कस्टमर आते थे. एक रात मे दस कस्टमर्स को बैठा लेती थी. कोठे की मेडम भी खुश और मैं भी. अब रहने की और खनेकी चिंता तो ना रही. कुच्छ कस्टमर तो खाश हो गये.
 
यूँ दिन बीत रहे थे.... कुच्छ साल भी बीत गये. अब पैसे भी बन गये थे. लेकिन मैं राजन को नहीं भूली थी. कैसे उस से बदला लूँ, ये सोचती रहती थी.

[दोस्तों, अनुपमा की ज़िंदगी मे फिर कुच्छ ऐसी बात बनी , जो कहानी के रस को ध्यान मे रखते हुए मैं आगे बताऊँगा. ]

फिर एक दिन कुच्छ ऐसी बात हुई की मुझे मेरा हथियार मिल गय....ऱजन को हराने के लिए. और मैं चल पड़ी वापस मुंबई की और.

मुंबई आ के दो महीने तक मैं उस'से नही मिल पाई, क्यों की वो विदेश गया हुआ था. लेकिन उस समय मे मैने अपना काफ़ी काम कर लिया. अब अंतिम वार करने का समय आ गया. राजन के लौटते ही मैं उसे मिली. सेक्सी ड्रेस मे साज धज के गयी थी. मुझे देख के उसे आश्चर्या हुआ. मुहे उपर से नीचे तक देखते हुए बोला,

"थोड़ी फीकी पद गयी हो" मैने कहा,

"हन, आप के बिना ये हाल हो गया मेरा." उसके चेहरे पर अभिमान भारी मुस्कान च्चाई,

"तो अब तेरी अककाल ठिकाने आ गयी ! चली थी मुझे हराने की चॅलेंज दे कर !! कहाँ पिघल गया तेरा वो सब गुमान ?" विनती भारी आवाज़ मे मैं ने कहा,

" अब भूल भी जाइए वो सब, सर ! मैं लौट आई हूँ हमेशा के लिए आप की होने के लिए. आप जो कहेंगे वो सब मैं करूँगी." गंदा हास्या करते हुए वो बोला,

"तो अब घर, पैसा और सुविधा के लिए तू रंडी बनने को भी तैयार हो गयी." मैं ने एक सेक्सी आवाज़ मे कहा,

"वो तो है ही, पर एक बात और भी है, सर,... जिसने मुझे मजबूर किया है." आचरजभरी निगाह से वो मुझे देखता रह गया, लेकिन जब बात समझ मे नही आई तो पुच्छ बैठा,

" और वो क्या है ? " मैं ने एक सेक्सी अंगड़ाई ली और ड्रेस की स्लिट से पूरी जाँघ उसे दिखाते हुए बोली,

"आप की जैसी चुदाई भी तो कोई नही करता, ना !!, आप मुझे रंडी बनके चाहे जिस'के पास भेजे, लेकिन आप को भी मुझे रोज चोदना होगा ! " वो घमंड से फूला ना समाया. वैसे भी सारे मर्द को यही लगता है की उसके जैसी हार्ड चुदाई कोई नही करता. वह भी खुशी भरा चेहरा ले कर बोला,

" तो ये बात है ! ठीक है, तेरे साथ एक प्रोग्राम बनता हूँ" मैं जेया के उसके लॅप मे बैठी और उसके गले मे हाथ डालते हुए कहा,

" मुझे वहीं ले चलो, जहाँ पहली बार चोदा था." उसे सब याद था, बोल पड़ा,

"तो 'डूक्स' खंडाला मे जाने का इरादा है मेडम का !" मैने मंडी हिला के हन कही और उसके रलोब पर एक गरम किस और बीते दे दी. उसने वीकेंड का प्रोग्रामे बना लिया... और दूसरे दिन शनिवार की दोपहर हम वही सूट मे पहुँच गये.... जहाँ मैने अपना कौमार्या खोया था ! अंदर पहॉंच के मैं उस'से लिपट गयी और उसके गले मे बाहें डालते हुए मेरे होठ उसके होठ पर रख दिए. वो भी शुरू हो गया.

तुरत ही दोनो की जीभ एक दूसरे के मूह मे फिर रही थी... मैने ये चुंबन बहोट लंबा चलाया ..और दोनो के मूह की लार एक दूसरे मे घुलमिल गयी. थोड़ी ही देर मे जब दोनो नंगे हो गये और वो बेड पर लेत तो मैं उसके मूह पर जेया के इस तरह बैठी की मेरी चूत उसके होत पर आ जाए. वो उसे चूमने लगा. मैने सेक्सी आआहएं भारी तो समझा मुझे मज़ा आ रहा है, और चूत को फैला के जीभ अंदर डाल के चाटने लगा. मैं यहाँ भी लंबे समय तक लगी रही. उसे भी मैने पूरा गरम किया और उसने मुझे जाम के चोदा. थोड़ी ही देर मे मैं फिर उठी और उसे कहा,

चलो आज साथ नहाते है. बाथरूम मे फिर एक और रौंद हो गया. रात भर मैं लगी रही. (देल्ही मे दस दस को बैठा के मेरी केपॅसिटी भी तो बन चुकी थी !) सुबह तक में तो मैने उसे निचोड़ ही डाला. सनडे का दिन और रात भी ऐसे ही तूफान भरे बिताए. उसे भी बड़ा असचर्या हो रहा था, मेरा ये रूप देख कर. कुच्छ अजीब भी लग रहा था उसे, मेरा इस तरह अचानक आना और उसे यहाँ ले आना, और उसके बाद इस तरह से चुदते रहना.... पर समझ नही पा रहा था. मंडे की सुबह को लौटने से पहले जब मैने उसे फिर एक बार उकसाया तो आखरी चुदाई करते हुए बोल ही पड़ा,

"अनु, तुम किस बात पर उतार आई हो, समझ मे नही आता !!! ऐसा लग रहा है, कोई राज है !!!" मैने रंग बदलते तीखी आवज़ मे कहा,

"तो मैं समझा देती हू.... की... मैं किस बात पर उतार आई हू ! तू सही कहता है, एक राज है, और ले, वो राज भी मैं खोल देती हू." उसे धक्का दे कर मेरे उपर से हटाया और मेरी पर्स से एक एन्वेलप निकलके उसकी और फैंकते हुए मैने कहा,

" पढ़ इसे, ये तेरी मौत का परवाना है !" वो बिना कुच्छ समझे मेरा मूह ताक'ता रहा. मैने आवाज़ मे सारी नफ़रत घोलते हुए कहा,

" राजन, मुझे एड्स हुआ है !!!!! उसका रिपोर्ट है उस एन्वेलप मे . इतना ही नही, और एक फटल एस टी डी (सेक्षुयली ट्रॅन्स्मिटेड डेसीज़) का भी मैं शिकार हो गयी हू, जो बहोत बहोत ही चेपी (कंटेजियस) है . जो मेरे साथ एक बार भी सोएगा , उसका शिकार हो जाएगा. .डॉक्टर्स ने हाथ उठा लिए है !!! मैं इस धरती पर अब कुच्छ ही महीनों की मेहमान हू !!! और मैने ये दो दिन मे तुझे भी ये रोग लगा दिया है. अब तू भी कुच्छ ही महीने का मेहमान है. इतना ही नही..... जब तुम पिच्छाले दो महीने से विदेश मे था, मैने तेरे तीनो बिटो को भी ये रोग पूरी तरह लगा दिया है. अब तो बड़े लड़'के की पत्नी (एक बेटे की शादी इस दौरान हो गयी थी) भी इसका शिकार हो गयी होगी." दुख, घृणा, संतोष और आनंद मिश्रित स्वर मे मैने कहा,

" राजन, मैने सिर्फ़ तुझे ही नही तेरे सारे खानदान को सत्यानाश कर दिया है !!!!!! अब लगा ले अपनी पैसों की ताक़त ! कर ले उपयोग अपने सोशियल स्टेटस का !! इस्तेमाल कर अपने पोलिटिकल कॉंटॅक्ट्स !!! बुला उन सारे बड़े बड़े नेताजी को !!!! बुला तेरे वो पोलीस वालों को और अंडरवर्ल्ड वालों को !!!!!! किसी तरह बचा ले तुझे !!!!!!!! राजन, इस अकेली औरत ने तेरी उन सारी ताकतों के बावजूद तुझे हरा दिया !!!!!!!! बेवकूफ़, ये दो दिन से तू मुझे यहाँ चोद नही रहा था !!!!!! मैं तुझे शिकस्त दे रही थी, शिकस्त !!!
 
चूत मे भी आग लगती है



सब से पहले मैं अपने शरीर के बारे मे बता दूं. मेरा रंग सांवला और मेरी हाइट कम है. मगर मेरे मम्मे बहुत भारी भारी. पतली कमर के नीचे फिर से भारी चूतड़.


इस तरह मेरा बदन तो सब को सेक्सी लगता था मगर कोई मुझ से दोस्ती नहीं करना चाहता था. जब मैं जवान हुई तब तक मेरे माँ बाप मर चुके थे.



मैं अपनी एक दीदी और जीजा जी के साथ रहती थी. मेरी शादी के बारे मे कोई सोचने वाला ही नहीं था. यह सोच सोच के मैं दुखी होती और मेरी चूत गरम होती रहती. मेरी चूत तब कुच्छ ज़्यादा ही गर्मी दिखाने लगी थी. 19 साल की होते होते मैं चुदने के लिए बेताब रहती थी.


यहाँ तक मेरे जीजा जी ने कई बार मेरे मम्मो पर हाथ डाल कर मुझे अपनी ओर घसीटा था. वैसे तो मैं भी सेक्स चाहती थी मगर दीदी का घर बर्बाद नहीं कर सकती थी. इस लिए जीजा जी को झटक देती थी.



सेक्स के लिए मेरे पहले दो प्रयास विफल रहे. मैं ने सब से पहले गली के लड़के को इशारे कर कर के अपने कमरे तक बुलाया. फिर हम नंगे होने लगे. इस लड़के के सामने जैसे ही मेरे भरे भरे मम्मे और गांद आई उसके के लंड ने पानी छ्चोड़ दिया और ठंडा पड़ गया. फिर मेरे तमाम प्रयास के बाद खड़ा नहीं हुआ. आअख़िर मे मुझे उस लड़के की गांद पे लात मारके भगा देना पड़ा.



दूसरा लड़का कॉलेज से पकड़ के लाई. हम दोनो जल्दी मे थे. झट से नंगे हुए और बिस्तर मे कूद पड़े. मुझे लगा आज सब ठीक होगा. हमने झट पट एक दूसरे के कपड़े उतारे और बिस्तर पे लेट गये. मगर जैसे ही उस लड़के के लंड ने मेरी तड़प्ती चूत के होंठ च्छुए उस का भी माल झड़ने लगा. मेरी चूत गरम गरम माल मे नहा तो ली मगर चुद नहीं पाई. अब मैं और ज़्यादा डेस्परेट हो गयी. क्या चुदाई मेरे नसीब मे नहीं थी?


मगर ईश्वर ने मेरे लिए एक मस्त लंड का इंटेज़ाम कर रखा था और वो मुझे जल्दी ही मिल गया वो भी घर बैठे.


'राज शर्मा' मेरे जीजा जी के बड़े भाई का बेटा था. यह लोग गाओं मे रहते थे और 'राज शर्मा' का सेलेक्षन इंजिनियरिंग मे हो गया, उसी शहर मे जिस मे मैं और मेरी दीदी रहते थे. मेरे जीजा जी पोलीस मे थे इस लिए बाहर पोस्टेड थे. शनिवार और इतवार को घर आते थे.


इन दोनो दिन दीदी और जीजा जी कमरे मे बंद रहते और सोमवार की सुबह सारे कमरे मे जगह जगह दीदी के कपड़े बिखरे होते.


'राज' जब शहर आया तो यह डिसाइड किया गया कि वो हमारे साथ ही रहेगा. 'राज' के बारे मे मैं पहले भी थोड़ा थोड़ा सुन चुकी थी. यह सुना था कि वो गाओं मैं अपनी एक विधवा चाची के साथ खूब ऐश कर चुक्का था और चाची को एक दो बार पेट भी गिरवाना पड़ा था.


हमारे घर मे नीचे की मंज़िल मे एक ड्रॉयिंग रूम, एक बेडरूम और एक किचन थी. और ऊपेर दो कमरे और एक बाथरूम. मैं ऊपेर रहती और दीदी नीचे. "राज' के आते ही उस को ऊपेर वाला दूसरा कमरा मिल गया. यह दोनो कमरे बाथरूम के रास्ते से जुड़ सकते थे. हमारे मज़े के लिए पूरी सेट्लिंग थी.
राज के आते ही मैं ने उस को पटाने के हथकंडे स्टार्ट कर दिए.


उस के सामने (जब दीदी ना हो) तो मैं अपने बूब्स पे दुपट्टा नहीं डालती थी और जब वो पीछे से देखे तब अपने चूतदों को ज़्यादा मटका मटका के चलती थी. यह दो दिन चला. तीसरे दिन मैं ने 'राज' को बताया के मुझे स्टॅटिस्टिक्स बिल्कुल समझ नहीं आती (मैं एकनॉमिक्स मे एम ए कर रही थी प्राइवेट्ली). राज बोला के वो मुझे समझा देगा. हमने शाम को ही स्टॅटिस्टिक्स पढ़ने का कार्यक्रम बना डाला. (मेरा कार्यक्रम तो कुछ और ही था…..)


शाम से पहले मैं अपने शरीर को "राज' की मस्ती के लिए पूरा तैय्यार किया. अपनी चूत के बाल शेव किए. अंडर आर्म्स को क्लीन किया और अच्छा सा स्प्रे लगाया.


शाम को एक टाइट सी ड्रेस पहन कर मैं "राज' के कमरे मे पहुँच गयी. दीदी पड़ोसन मे गप्पें लगाने गयी हुईं थी.


राज और मैं टेबल पर बैठ गये. मेरे मम्मे ड्रेस फाड़ के बाहर आने वाले थे.


और दिल धधक धधक के छाती से बाहर आने वाला था. जब "राज' पढ़ा रहा था तब मेरा ध्यान कहीं और था. मैं ने अपने पैर से चप्पल उतार के उस के पैर पे दबाया. यह मेरी ज़िंदगी का सब से बड़ा इम्तिहान था. क्या होगा "राज' पर इस का रिक्षन?


राज ने भी मेरी जांघों मे हाथ डाल दिया. हे भगवान तू महान हैं. मुझे मेरा यार मिल गया.


फिर तो मैं ने भी राज को पूरा आगे बढ़ने दिया.


राज ने मुझे अपनी बाँहो मे भर लिया. फिर उस ने मुझे उठा लिया और बिस्तर मे पटक दिया. और मेरे कपड़े बदन से अलग होने लगे. मुझे उन की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैं भी राज की पॅंट उतार कर उस के लंड को मलने लगी और उस को चुम्मे की बारिश कर दी.


फिर राज की जीभ मेरे मुँह मे धँस गयी. यह मेरे लिए बड़ा मस्त चुम्मा था. किसी मर्द ने इतना क्लोज़ चुम्मा नहीं दिया था मुझे. मेरी जीभ भी उस के मुँह को टटोलने लगी हम मस्त हो चले थे.


अब तक राज ने मेरी ब्रा तक उतार दी थी और मैं अब सिरफ़ एक पॅंटी मे थी. राज मेरी चूचियो को देख कर पागल हो गया. उन्हे कस के मसलता और फिर चूस्ता और काट भी डाला. मैं ने उस की छाती और कान काट डाले.


अब राज के हाथ मेरी पॅंटी मे घुस गये थे. और उस की उंगलियाँ मेरी चूत के होठ पर मस्ती का जादू दे रही थी.


मैं ने भी उस का लंड बाहर निकाल लिया और उस को चूम चूम के इतना मस्त कर दिया के राज के मुँह से सस्स, ससस्स, सस्सस्स निकलने लगी. जब राज की उंगली मेरे दाने (क्लिट्टी) को परेशान करती तो मेरी भी सिसकारी निकल जाती. मैं उस को रोकने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी. थोड़ी देर मैं मेरी चूत का दाना बड़ा और गीला हो गया और उस की उंगली को एंजाय करने लगा.

अब राज मुझे चोदने को अधीर हो चला था. मैं भी बेताब थी. मैं चूत की तरफ उस के लंड को खींचा. राज ने मेरी टांगे अपने कंधे पे रखी और अपने लंड की टिप मेरी चूत से मिला दी.


मैं ने सोचा हे भगवान अब कुच्छ गड़बड़ ना हो. आज मुझे चुद लेने देना. भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली और राज ने अपने लंड पे प्रेशर बढ़ा दिया. मेरी चूत के होंठ इतने खुल चुके थे के उस का सुपरा आसानी से मेरी चूत के होठों मे समा गया.


फिर राज ने फाइनल झटका दिया और दर्द की एक लहर मेरी चूत को पार कर गयी. साथ ही मैं लड़की से औरत बन गयी. दर्द की किस को चिंता थी. मैने राज के लंड को पूरा अंदर लिया और टांगे और फैला कर उस मस्त कर दिया.



मेरी शेव्ड चूत मे राज का लंड पूरा समाया हुआ था. फिर राज ने उस को बाहर निकाला. फिर अंदर तक पेल दिया. एक फूच की आव्आआज़ हुई शायद मेरी चूत के अंदर की हवा चूत और लंड के बीच के गॅप से निकली. सच कहती हूँ बड़ा सेक्सी माहौल बन गया उस आव्आआज़ से.



राज ने पहले धीरे धीरे और फिर तेज़ चोदना शुरू किया. मैं मस्त होने लगी. शरीर मे बड़ी अजीब सी सन सनी होने लगी थी. मैं उस के लंड को अपने पेट तक महसूस कर रही थी और फिर भी और अंदर लेना चाहती थी. इस के लिए मैं उस के कंधे पे लटक सी रही थी और जब राज अंदर का धकका मारता तो मैं अपने चूतड़ ऊपेर सटा देती.


उहह अया की आवाज़े निकल रही थी. और फॅक फॅक की वो सेक्सी आवाज़ लगातार हुए जा रही थी.



फिर मेरे शरीर की हलचल बढ़ने लगी. मेरे पेट की मसल्स बिना रुके सिकुड और फेल रही थी. मस्ती मे पागल सी हो रही थी. और राज मेरी चूत को पेले ही जा रहा था. अब वो उस को कभी कभी गोल गोल भी घुमा रहा था. इस से उस के लंड की जड़ मेरी चूत के होठों पे पूरी रगड़ खा रही थी और चूत रस छ्चोड़ छ्चोड़ कर रस से भर गयी थी.


फिर मुझे लगा एक भूचाल आ गया. मैं अपने होश खो बैठी और ज़ोर ज़ोर से ऊऊओ आआ ऊओ ईई करने लगी. जब यह भूचाल थमा उस से पहले राज ने भी अपने लंड से ढेर सारा माल मेरी चूत मे छ्चोड़ दिया था और निढाल होके मेरे मम्मो की बीच सिर रख कर लेट गया.


बड़ा मस्त लवर मिला था मुझे... क्या मेरी चूत को चाट ता और चोद्ता था...आआआआआआआआआअहह!!! हाई रे मेरी कककचूऊऊऊथततत्त...और उसका मस्त लौदाााआआआआ...................



उसी रात हमने एक बार फिर चुदाई करी. हम दोनो को खूब मज़ा आया. सुबह जब पाँच बजे उठने लगी तो राज ने मुझे फिर दबोच लिया. मैं ने राज को कहा अभी मेरी चूत दुख सी रही है. इस को चुदने की आदत पड़ने दो फिर चाहे जितनी बार चोदना. राज मान गया और मुझे जाने दिया.


उस दिन के बाद हमने और राज ने चार साल बे-इंतहा सेक्स का मज़ा लिया. एक दिन मे मॅग्ज़िमम 10 बार और कम से कम दो बार सेक्स चलता रहा. प्रेग्नेन्सी की परेशानी से बचने के लिए मैं ने अपनी चूत मे कॉपर टी डलवा ली.


हमारी सेक्स की थोड़ी थोड़ी खबर दीदी को भी हो ही गयी थी. मगर वो चुप रही क्यूँ के उन्हे शायद पता था कि मैं कितनी चुदैल हूँ. और राज अगर मुझे तृप्त नहीं रखेगा तो मैं गली के लड़कों से इश्क़ करूँगी या फिर उन के पती के चंगुल मे ही आ सकती थी.



राज और मैं अपनी MC के दिनो मे भी सेक्स किए बिना नहीं रह सकते थे. MC के पहले दिन जब मेरी चूत मे से खूब खून निकलता था तब सेक्स करने से कई बार राज और मेरे कपड़े और बिस्तर खराब हो जाते थे. इस से बचने के लिए राज ने मुझे गांद मरवाने की आदत भी डाल दी. अब मैं अपने शारीर के तीनो छेद मे राज का लंड लेती थी.


राज और मेरे सेक्स रिलेशन्स चार साल चले, उस के बाद राज की इंजीनियारिग पूरी हो चली थी फिर मेरी भी शादी हो गयी. शादी से पहले मैं ने राज के साथ कॉपर टी निकाल कर सेक्स किया और उस के प्यार को अपने पेट मे ले के पति के घर गयी.


जब मैं विवाह मंडप पर बैठी उस से आधे घंटे पहले राज और मैं ने चुदाई की और मंडप मे मेरी चूत से राज शर्मा का माल निकल निकल के मेरी पॅंटी गीली कर रहा था.

दोस्तो कैसिलगी ये मस्त कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त...
 
चुदासी चाची --1

मेरे परिवार मैं कुल ९ लोग थे. उनमे से एक मेरी चाची थी. उसके उम्र कुछ ३२ साल होगी, उसके एक ३ साल के बेटी भी थी जिसका नाम गुडिया था. मेरे पापा और चाचा कपरे के व्यापार करते थें. इसलिए वोह लोग काफी बाहर भी जाते थे व्यापार के लिए.

अब मैं अपनी चाची के बारे में बताने जा रहा हूँ. वो एक मामूली हाउस्वाइफ की तरह नहीं थी, वो काफी पढ़ी लिखी थी और काफी स्मार्ट भी थी. वह देखने में काफी खुबसूरत थी. उनकी चूची काफी अछी साइज़ की थी और उनका गांड बहुत मस्त था. उनका गांड बिलकुल गोल था. बेटी होने के बाद भी वोह काफी सेक्सी लगती थी. लेकीन इसके पहले मैंने उन्हें कभी ऐसे देखा नहीं था. वह मेरे एक दोस्त की तरह थी.

यह तब की कहानी हैं जब डेल्ही में काफी गर्मी पर रही थी. क्योंकी मेरा एक्साम निकट था इसलिए मुझे तेर्रस का रूम मिल गया था ता की मैं मन लगा के पढ़ सकू. परिवार में एक शादी का प्रोग्राम था. इसलिए घर के सब लोग जा रहे थे. मैं नहीं गया क्योंकि मेरे एक्साम सर पे थे. और मेरा ख्याल रखने के लिए मेरी चाची भी नहीं गयी. और गुडिया की तबियत भी कुछ अच्छी नहीं थी. मैं साम को घर वालो को बस स्टेशन छोड के घर आ गया. गुडिया की तबियत ठीक नही थी तो चाची ने कहा डॉक्टर के पास चलते हैं. मेरे पास मोटर साइकिल थी तो बोला आप तयार हो जाओ फिर चलते हैं. वोह अपने कमरे में चली गयी.थोरी देर बाद वोह तयार होके बाहर आ गयी. उन्होंने सलवार सुइट पहना था. और अपनी चूची पे दुप्पटा डाल रखा था. उस ड्रेस में वो काफी अछी लग रही थी.

साम के ७ बजे होंगे और हम मोटर साइकिल पे डॉक्टरसे मिलने के लिए चल पड़े . कुछ ३० मिनट की दुरी पे डॉक्टर था. हम वहां ७:३० तक पहुँच गए. काफी लाइन लगी थे डॉक्टर से मिलने के लिए. थोडा इन्तेज्ज़ार करने के बाद हम डॉक्टर से मिले. उसने कहा की गुडिया को बुखार हैं, थोडा खाने पे ख्याल रखना और बोला हो सके तो कुछ दिनों तक स्तन का दूध ही पिलाना . फिर हम दवा लेके वहां से निकले . रात के ९:३० बजे होंगे औत थोरी थोरी बारिस होने लगे थी.मैं बाइक जोर से चला रहा था ताकि हम भींग न जायं. तभी अचानक से एक कार ने मेरा रास्ता काट दिया और मेरा बैलेंस गड़बड़ा गया. मैं बाइक लेके गिर पड़ा और चाची मेरे ऊपर आ गिरी. मैं मुह के बल गिरा और वो मेरे ऊपर आ गिरी और पहली बार मैंने उनकी चूची महसूस की उनकी चूची काफी नरम थी बात उस वक़्त उस सब का टाइम नहीं था. मैं उठा और उनको भी उठाया. मैंने उनसे पुछा की चोट तो नहीं लगी उन्होंने कहा थोरी सी लगी हैं टांगो में . गुडिया ठीक थी. मैंने उनसे कहा अब की बार दोनों तरफ टांग कर के बैठो . मैंने गुडिया को सामने ले लिया और वोह मेरे पीछे आ गयी. उनको सायद काफी चोट लगी थी, उसने दोनों हाथ मेरे कंधे पे रखे और कहा चलो घर. क्योंकी गुडिया सामने थी तो बार बार उनके चूची मेरी पीठ को छु रही थी. मुझे मज़ा आने लगा. मैंने एक दो बार जान भुज के भी ब्रेक मारा. हर बार उनकी दो नरम नरम चूची मेरी पीठ को छु रही थी .थोरी देर में घर आ गया. मैंन बाइक की सवारी के बहुत मज़े लिए. पहले बार लग रहा था की घर थोडा और दूर होता तो अच्छा होता.

हम लोग घर के अंदर गए. चाची सोफे पे जाके बैठ गई . उसे सायद काफी दर्द हो रहा था. मैंने पुछा कहा पे चोट लागी हैं, तो उन्होंने कहा घुटने के ऊपर. मैंने कहा मुझे दिखाओ ज़रा इस पे वोह थोरा असमंजस में पड़ गयी क्योंकी चोट उनकी जांघ पर लगी थी और सायद वो मुझे अपनी जांघ दीखाने में सरमा रही थी. मेरे बार बार बोलने पे वो मान गयी. उसने कहा की कपडे बदलने के बाद मैं देख सकता हूँ. फिर वो अपने कमरे में चली गई . थोरी देर बाद ड्रेस बदल के बाहर आयी. उसने एक रात में पहनने की क़मीज़ पहन रखी थी जो उनके गले से लेकर पाऊँ तक आ रही थी. वोह सोफा पे आके बैठी,मैंने उनको बोला अब दिखाओ तो उन्होंने कहा की ठीक हो जायेगा पर मैं बोलता ही गया. फिर वो मानगई और अपना गाउन ऊपर करने लगी.धीरे से उसने अपना गाउन घुटने तक ऊपर किया. चोट घुटने से थोरी ऊपर लगी थी. अभी मेरे सामने उनकी नंगी टांग दिख रही थी. मैंने उनका गाउन लेके थोडा ऊपर किया तो मुझे चोट दिख गया. काफी कट गया था. मैंने बोला की मैं दुकान से दवाई ले के अता हूँ. फिर मैं जा कर दवाएं ले आया. मैं जब घर में घुसा तब वो खाना बना रही थी. मैंने बोला मैं कुछ पट्टी ले आया हूँ ताकी चोट के ऊपर लगा सको. उसने बोला ठीक हैं पहले खाना खा लेते हैं फीर पट्टी बाँध देना लकिन मैंने कहा नहीं अभी करते हैं. फीर उसने बोला ठीक हैं और आके सोफा पे बैठ गई . मुझे अभी बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकी मैं एक बार फीर उनकी नंगी जांघ को देख पा रहा था .

मैं सोफे के निचे बैठ गया और उसको गाउन उठाने को कहा. धीरे धीरे उसने गाउन को घुटने के ऊपर किया. उनकी टाँगे बिलकुल साफ़ थी , एक भी बाल नहीं था. उनकी जांघ बहुत गोरी और मक्खन क़ि तरह नरम थी उनकी जांघ देख के मेरे सब रिश्ते नाते खिड़की के बाहर चले गए. मैं उउनकी सेक्सी जांघो को निहारने लगा. फीर उनसे बोला की चोट क्या ज्यादा हैं उन्होंने बोला नहीं ज्यादा गहरा नहीं हैं. फीर मैं उठा और थोरा गरम पानी ले आया ताकी चोट को साफ़ कर सकू . एक कटोरी में थोरा गरम पानी लाया और साफ़ करने लगा. जब जब मैं उनकी जांघो को छु रहा था तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. और इसी मज़े में गलती से गरम पानी हाथ से गिर गया और उनके गाउन पे जा गीरा.पानी काफी गरम था और उन्होंने एक झटका सा दिया. उस झटके में उसका गाउन थोडा ऊपर हो गया और क्योंकी मैं निचे बैठा था, मुझे उनकी पैन्टी दिख गई . उसने लाल रंग की पैन्टी पहने थी. मुझे यह दृश्य कुछ पलो के लिए ही देखने को मिला. लेकिन उस में मैंने उनकी चुत को देख लिया था. उनकी चुत के वहां बाल बिलकुल नहीं थे. बिलकुल साफ़ थी . वो पक्का चुत के बाल काट देती थी. इससे जादा मुझे कुछ नहीं दिखा. उसके गाउन पे पानी आ गया था तो उसने अपनी दूसरी टांग पर से भी गाउन उठा लिया. अभी वो दोनों जांग तक नंगी थी. मैं भगवान को धन्वाद दे रहा था एक्सिडेंट के लिए. उसके बाद मैंने उनकी चोट पे दवाई लगाई. उन्हें काफी दर्द हो रहा था. मैंने बोला अभी मैं इस्पे पट्टी कर देता हूँ. तो चाची ने बोला ठीक हैं. मैंने उनको टांग थोरा उठाने के लिए बोला ताकी मैं पट्टी बांध सकू. उन्होंने वैसे ही किया और फीर से मेरी आखों के सामने ज़न्नत दिख रही थी . उनका गाउन उठ गया और उनकी चुत मुझे दिखने लगी .

मैंने उनको बोला की तुम टीवी देखो तो सायद जादा दर्द नहीं होगा, असल मेरा प्लान था क़ि वो आराम से टीवी देखे और मैं आराम से उनकी चुत देखू. मेरा प्लान चल गया और वो टीवी देखने लगी. मैं भी आराम से उनकी चुत देखने लगा. उन्होंने एक लाल चड्डी पहनी थी जो काफी अच्छी ब्रांड का लग रही थी . चड्डी थोड़ी पारदर्शी थी और मैं उनकी चुत उसके अन्दर से देख सकता था. चाची की चुत काफी टंच थी . वो टीवी देखने में व्यस्त थी और मैं भी मोका पा के उनकी चुत देख रहा था. उनकी चुत काफी पींक रंग की थी . मेरा लंड तो ९० डिग्री पे खड़ा हो चूका था. थोरी देर बाद उन्होंने पुछा क़ि हो गया. मैंने फीर जल्दी से पट्टी लगाई और अपने कमरे में चला गया. मैंने तुरंत अपने खड़े हुएलंड को निकाला और हिलाने लगा . थोरी देर में मैंने अपना सारा माल नीकाल दिया. चाची की चुत मेरे आँखों के सामने अभी भी झलक रही थी . फीर थोरी देर बाद मैं निचे आया. चाची तब खाना लगा रही थी. मैंने पुछा गुडिया कहा हैं तो उन्होंने बोला वो तो सो गयी. अभी मेरे मन में एक ही बात चल रही थी की कैसे फिर से चाची की चुत देखू. फीर मैंने एक प्लान सोचा, की अगर मैं चाची को मेरे कमरे में सोने के लिए मना लू तो रात को सोने के बाद मैं कुछ और कर सकता हूँ. मैंने चाची को बोला की गुडिया की तबियत भी ठीक नहीं हैं और आपको भी चोट लगी हैं, इसलिए आज आप लोग मेरे कमरे में सो जाओ ताकी कुछ जरूरत पड़ने पर रात को मैं मदद कर सकू. उन्होंने पहले तो न बोला फीर थोडा बोलेन पर मान गई. मैं बहुत खुस हो रहा था की मेरा हर प्लान कामयाब हो रहा था.. फीर हम खाने के लिए बैठे . फीर अचानक उन्होंने कहा की मैं बहुत अच्छा हूँ और उनका बहुत ख्याल रखता हूँ.. उन्होंने यह भी कहा की मैंने अपने चाचा जैसा नहीं हूँ.. पता नहीं उन्होंने यह क्यों कहा लेकिन जो भी हो मुझे बहुत अच्छा लगा सुन के.. फीर खाने के बाद उन्होंने बोला की गुडिया को लेकर ऊपर जाओ और वो बाकी के काम ख़तम कर के १० मिनट में आ रही हैं. मैंने भी वैसा ही किया. मैंने गुडिया को मेरे बिस्तर पे सुला दिया. और मैं अपनी पढाई वाली टेबल पे जा बैठा. थोड़ी देर में चाची आ गयी. उसने अपना गाउन बदल दिया था, क्योंकी उस पे तो मैंने पानी गीरा दिया था. यह गाउन भी कुछ वैसा ही था लेकिन इस में सीने के ऊपर की तरफ कुछ बटन थे. सायद रात को गुडिया को दूध पिलाने के लिए उसने ऐसा गाउन पहना था. मैं बहुत खुस था उसे देख के.

फीर वह बेड के एक तरफ जाकर सो गई . मैंने सारे लाइट बंद कर दिए और अपने टेबल का लम्प जला दिया. गुडिया बीच में सो रही थी और चाची एक तरफ सो रही थी. मेरा टेबल उसी तरफ था. वो सर पे एक हाथ रख कर सीधे हो के सो रही थी. मैं अपनी किताब छोड़ के सिफ चाची को ही देख रहा था. उनकी दोनों चूची गाउन के ऊपर उभर के आ रही थी . उनका पेट भी एक दम चिकना था. मैंने कभी
चाची को इस नज़र नहीं देखा था. लेकिन अभी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. थोरी देर बाद अचानक उन्होंने मुझे आवाज़ दी और कहा क़ि एक तकिया ले आओ ताकी वो अपनी टांगो को उसपे रखे. मैंने एक बड़ा सा तकिया ला दिया. फीर मैंने उनसे कहा की अपनी गाउन को थोडा ऊपर कर ले ताके चोट खुले में रहे. चोट तो एक बहाना था मैं तो उनके नंगी जांघ देखना चाहता था. इस बार चाची ने एक बार में ही मेरी बात मान ली . उन्होंने अपनी गाउन को ऊपर कर लिया और अपनी नंगी जांघ को मेरे सामने खोल दिया. मेरा लंड फीर से खड़ा हो गया. गरमी भी काफी थी, मैंने सोचा टोइलेट जाकर थोडा लंड को आराम दे आता हूँ. गरमी काफी थी और कुलर चल रहा था. मैंने टोइलेट जाने से पहले कुलर को चाची के तरफ कर के मैं टोइलेट चला गया. अन्दर जाकर मैं नंगा हो गया और शॉवर के निचे खड़ा हो गया. मेरा लंड खड़ा था फटने की हालत में था. मैं चाची की चुत को सोच कर लंड को जोर जोर से हिलाने लगा. दो मिनट में मेरा सारा माल बाहर आ गया. फीर नहा के मैं बाहर निकला.

बाहर आने के साथ मैंने जो देखा मेरे तो होश उड़ गए. कुलर की हवा की वजह से चाची का गाउन काफी ऊपर जा चूका था. उसकी जांघ पूरी तरह से नंगी थी. मैंने तुरंत जा के अपनी टेबल की लाइट भुजा दी . फीर वापस आ के बेड़ के नीचे बैठ गया. वहां से मुझे उनकी पूरी चुत और गांड दिखने लगी . चाची ने वही लाल चड्डी पहन रखी थी. चाची एक तरफ मुड के सो रही थी और मुझे उनकी गांड भी दिख रही थी . उनकी चड्डी उनकी पूरी गांड को
कवर नहीं कर रही थी . उनकी चड्डी वैसे वाली थी जो गांड के बीच में घुस जाती हैं. चाची की लगभग पूरा गांड ही दिख रही थी . उनकी गांड के गोलाई देख के मैं पागल हो रहा था. मैं उनकी गांड को छूना चाहता था. फीर मेरी नज़र उनकी चुत पर गयी. उसकी चुत बड़े बड़े को मदहोश कर सकती थी . उनकी चुत का उभार चडी के ऊपर से दिख रहा था. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.लेकिन मैं थोरा डरा हुआ भी था के कैसे मैं उनकी गांड और चुत पर हाथ फेरु.
क्रमशः...............
 
चुदासी चाची --2

गतांक से आगे...............................
मैं अपने बेड़ के तरफ जा कर सो गया और प्लान बनाने लगा. थोरा डर भी था की अगर चाची को पता चल जाये और वो ना माने और सब को बता दे तो मेरा तो वाट लग जायेगा. लेकिन मैं फीर भी चाची को छूना चाहता था.मैं जहा सो रहा था वहां से चाची के नंगी जांघ तो दिख रही थी लेकिन चड्डी नहीं दीख रही थी . मैंने बहुत हिम्मत कर के अपना हाथ उनकी कमर पे रखा. मेरे हाथ काप रहे थे डर के मारे. मैंने काफी देर हाथ वही रखा फीर जब लगा के चाची गहरी नींद में हैं. फीर मैं बहुत धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा. कमर से उनकी गांड तक का सफ़र लगभग १५ मिनट में पूरा किया. अभी मेरा हाथ उसके गांड के ऊपर था. धीरे धीरे मैं उनकी गांड को सहलाने लगा. उनकी गांड और मेरे हाथ के बीच में सिर्फ उनका गाउन और एक चड्डी ही रह गयी थी . थोरी देर गांड के ऊपर हाथ से सहलाने के बाद मैं चाह रहा था की उनकी गांडमें उंगली डालू. धीरे धीरे मैं उनका गाउन उपर की तरफ खेचेन लगा. थोरी देर खेचने के बाद मैं उनकी गांड के ऊपर से गाउन हटाने में कामयाब रहा. अभी मैं उनकी पूरी गांड देख सकता था.मैंने उनकी नंगी गांड पे अपना हाथ रखा. ऐसा लगा जैसा ४४० का वोल्ट लग गया हो. उसका गांड एकदम टंच था. उसके गांड के उभार, गांड की गोलाई सब मस्त था. मैं पहली बार कीसी औरत का गांड पे हाथ फेर रहा था. मैं खुशी से पागल हो गया. और उनकी चड्डी भी इतनी कम गांड को कवर कर रही थी की पुछो मत. उसकी चड्डी उसके गांड के बीच में ही थी बस. मैंने मन भर के उनकी गांड पे हाथ फेरा. फीर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी तो मैंने उनकी गांड के बीच उंगली डालने की कोसिस सुरु की. चड्डी उनके गांड के बीच थी. मैंने अपनी एक उगली से चड्डी के अन्दर हाथ डाला. मैं उनकी गांड का छेद खोज रहा था. क्योंकी गुडिया बीच में सो रही थी मुझे थोरी दिक्कत हो रही थी उनकी गांड के अन्दर उंगली डालने में . फीर मैंने सोचा की अब थोरी देर उनकी चूची पर भी हाथ फेरु. मेरी हिम्मत काफी बढ़ गयी थी. चाची अभी भी काफी गहरी नींद में सो रही थी. सो मैंने मोका देख कर ऑपरेशन चूची सुरु किया.

मैंने चाची की गांड से हाथ नीकाल के मैंने अपना हाथ उनकी कमर पे रखा. मैं यह भी देख़ रहा था की चाची जग न जाय. फीर थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद मैं अपना हाथ धीरे धीरे उनकी चूची की तरफ ले गया. थोरे ही समय में चूची के पास अपना हाथ ले जाने में कामयाब हो गया. मैं चूची को महसूस करने लगा. उसने ब्रा पहन रखी थी. मैं उनकी चूची के ऊपर हाथ फेरने लगा. उनकी चूची बहुत गोला कार थी. मैं गाउन के ऊपर से ही चूची को सहलाने लगा. ब्रा ने मस्त चूची को बिलकुल सही जगह पे रखा था. मैं अब उनकी चूची का नीपल तलाश ने लगा. पर मुझे उसमे कामयाबी नहीं मिल रही थी. गुडिया बीच में सो रही थी तो और मुस्किल हो रहा था. फिर मैं उसके गाउन के ऊपर के बटन खोले ने लगा, मैंने उसके दो बटन खोल दिए. अब मेरा हाथ उसकी चूची के ऊपर था. मैंने अपनी एक उंगली उनकी दोनों चूची के बीच घुसा दी . उनकी चूची बहुत नरम थी . मेरा लंड पागल की तरह खड़ा हो गया. उसके बाद मैं अपनी उंगली को उनकी चूची के अन्दर डालने लगा. मुझे उसका नीपल चाहिए था. मैं लगबघ उसके नीपल के पास उंगली दिया ही था क़ि इतने में गुडिया हिलने लगी. मैंने फटा फट अपना हाथ उनकी चूची से नीकाल लिया. और तुरंत गुडिया रोने लगी . उसे सायद भूक लगी थी. मैं चुप चाप सोने का नाटक करने लगा. और अपनी बंद आँखों के किनारे से देखने लगा की चाची क्या करती हैं .

गुडिया के रोने से चाची उठ गई , और उसने देखा के उसकी पुरी गांड नंगी हालत में थी. उसने अपने गाउन के बटन भी खुले पाए पर उसने कुछ किया नहीं. उसने अपनी गांड भी खुले हालत में ही छोड़ दी . अब मुझे इंतज़ार होने लगा की कब चाची अपनी चूची नीकाल के गुडिया को देगी. मैं सब देख रहा था. तभी वो अपने गाउन के सारे बटन खोलने लगी. मेरा दिल ट्रेन की तरह धरक रहा था. पहली बार मैं किसी की चूची देखने वाला था. फीर उसने अपने ब्रा का हूक भी खोल दिया और अपनी एक चूची को नीकाल के हाथ में ले लिया. उसका चूची बहुत मस्त था. बिलकुल गोल और सफ़ेद था. उसके नीपल बहुत बड़े थे . चूची नीकाल के वो सो गई और गुडिया दूध पीने लगी. मुझे मेरे आखों पे बिस्वास नहीं हो रहा था की मैं अपनी चाची की चुत, गांड और चुची देखा रहा था. गुडिया के दूध पीने के आवाज़ सुन के मुझे भी उसका दूध पीने की इच्छा होने लगी . मैं दोनों के सोने का इन्तेज्ज़ार करने लगा. कुछ १० मिनट के बाद सब सन्नाटा हो गया. मैंने थोरा उठ के देखा तो चाची सो चुकी थी . उनकी चुची गाउन से बाहर लटक रही थी. मैं धीरे धीरे चाची की चुची पे हाथ फेरने लगा. उसकी चुची नहुत नरम थी, मेरा लंड तो मेरे पैन्ट को फाड़ के बाहर आने लगा. उसके बाद धीरे से मेरा हाथ उसके नीपल पर गया. जैसे ही मैंने उसके नीपल को छुआ उसका नीपल एकदम से कड़ा हो गया. उसके नीपल पर एक दो बूँद दूध के थे. मैंने उसका वो दूध लेके अपने मुह में डाला. ऐसा दूध मैंने कभी नहीं पीया था. मुझे उसका नीपल चुसना था पर गुडिया बीच में थी सो मैं ठीक से उसके पास नहीं आ रहा था. मैंने दूसरी चुची भी गाउन से नीकाल ली . दोनों चुची सामने नंगी हालत में थी . मैंने उसके नीपल पे चुटी काटी जिससे वो थोरा सा हिल गयी. पर उसने कुछ किया नहीं. सायद उसे भी मज़ा आ रहा था. लेकिन तभी गुडिया फीर से जाग गयी. मैंने अपना हाथ तुरंत वापस ले लिया. थोड़ी ही देरमें चाची उठ गयी और उठते ही उन्होंने देखा की दोनों चुची बाहर लटक रही हैं. लेकिन उसने उसे वैसे ही छोड़ दिया. उसने गुडिया को गोद में ले लिया और थोरी ही देर में गुडिया सो गयी.

उसके बाद वो उठ कर टोइलेट की तरफ चली गई . मैं अपनी बंद आँखों से सब कुछ देख रहा था. थोड़ी देर में चाची टोइलेट से आई और गुडिया को एक तरफ कर के बीच में सो गई . वो बिलकुल मेरी बगल में आके सो गई . मुझे तो बिस्वास नहीं हो रहा था. सायद उसे भी मज़ा आ रहा था. वो सीधे होके अपने सर पे हाथ रख कर सो गई . थोड़ी देर तक मैं शांत रहा और फीर चुपके से अपना हाथ उनके पेट के ऊपर रख दिया. धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया. मेरा हाथ उसके चुचे के नीचे तक चला गया. मुझे थोरा नरम नरम महसूस होने लगा. थोरा और ऊपर गया तो पता लगा की उसका ब्रा नहीं था. सायद टोइलेट में जाकर उसने अपना ब्रा खोल दिया था. सायद उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था पर वो सायद यह सब बस नींद के बहाने से करना था. मुझे भी मज़ा आ रहा था. और उपर गया तो सारे बटन भी खुले थे. मैंने सीधा उसके गाउन के अंदर हाथ डाल दिया. और उसकी दोनों चुचियो के साथ खेलने लगा. चूची बहुत नरम थी . मैंने उनके नीपल पर हमला कर दिया. थोड़ी ही देर में उनकी चूची से दूध आने लगा. उसका पूरा गाउन दूध से भीगने लगा था. मुझे उसका दूध पीना था सो मैं धीरे धीरे गाउन को उसके कंधे पर से खीच ने लगा. थोरे मुश्किले के बाद उसका एक तरफ का स्तन मैंने हाथ से नीकाल दिया था. उनकी चूची को मैंने पुरी तरफ ने नंगा कर दिया था. एक तरफ से गाउन खोलने के बाद मैंने दूसरी चूची को भी बाहर नीकाल दिया. फीर मैं थोडा उठ के बैठ गया और उसकी नंगी छाती की तरफ देखने लगा. दोनों चूची बिलकुल नंगी हालत में लटक रही थी, मैंने हिम्मत कर के उसके नीपल पे अपना मुह रखा. ऐसा करते ही वो थोडा सिहर गए लेकिन फीर भी सायद सोने का नाटक कर रही थी, फीर धीरे धीरे मैं उसका नीपल चूस ने लगा. वो कभी कभी थोड़ी आवाज़ कर रही थी मगर अभी भी उनकी आँखे बंद थी. चूची से दूध निकलने लगा और मैंने खूब सारा दूध पिया. दोनों चुचियो के साथ मैं काफी देर तक खेलने के बाद मेरा अब उनकी चुत के साथ खेलने का मन हुआ.

फीर मैं उनकी चूची को उसी नंगी हालत में छोड़ के अपना हाथ उसक़ि चुत के ऊपर ले आया. उसका गाउन काफी ऊपर तक उठा था. मैंने पहले उसकेगाउन के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. मैं एक उंगली उसके गाउन के ऊपर से ही उनकी चुत में डालने लगा. मेरी उंगली थोड़ी अंदर भी घुस गया. उसकी चुत काफी गीली थी . फिर मैं गाउन को ऊपर खीच ने लगा. थोड़ी देर में उसका गाउन चुत से ऊपर हो गया. उसकी पुरी नंगी टांग मेरे सामने दिखने लगी. सिर्फ एक लाल चड्डी चुत को छुपा रही थी. मैंने कभी सोचा भी नहीं था की चाची को मैं इस तरह नंगा करूँगा. ऊपर उनकी चुची नंगी थी और नीचे उसके बस एक छोटे सी चड्डी बची थी, और ये सब तब हो रहा था जब वो सायद नींद में थी. अब मुझे उनकी चड्डी उतार नी थी, सो मैं चड्डी को नीचे की तरफ खीच ने लगा. उसकी चड्डी उसकी गांड में फसी थी. मैं उसको निकाल नहीं पा रहा था, लेकिन तभी चाची ने अपनी गांड को ऊपर किया थोरा सा और चड्डी निकल आयी. अब मुझे पाक्का यकीन हो गया था की वो भी यह सब पसंद कर रही हैं.फीर धीरे धीरे मैंने उसका चड्डी को टांगो से निकाल दिया. क्या दृश था वो . खुली हुई चुत मेरे सामने पड़ी थी . मैं तो पागल हो गया उनकी चुत देख के. चुत पे एक भी बाल नहीं था . बिलकुल साफ चुत थी . मैं चुत के ऊपर वाले हिस्से को चाटने लगा. उसका पूरा सरीर सिहर उठा.

फीर मैंने उनकी टांगो को फैला दिया ताके मैं उनकी चुत मार सकू. उसने कोई विरोध नहीं किया जब मैं उनकी नंगी टांगो को फैला रहा था. पूरी खुली चुत मेरे सामने थी . मैं दोंनो टांगो के बीच घुस गया और अपना मुह उनकी चुत के सामने ले आया. फीर मैंने अपनी एक उंगली चुत के अंदर डाल दी जिससे वो सा आवाज़ भी करने लगी . मैंने उठ के देखा तो आँखें अभी भी बंद थी और फीर मैं अपने काम में लग गया. मैंने अपनी उंगली पुरी चुत के अंदर घुसेड दी. उसकी चुत से पानी निकल ने लगा. फीर मैंने अपनी एक और उंगली चुत में डाल दी . मैं उसकी चुत के अंदर ग़दर मचा रहा था. उसकी चुत से सफ़ेद पानी नल की तरह निकल ने लगा. मैंने अपना मुह उसकी चुत के ऊपर रखा और उसकी चुत का पानी पीने लगा. उसका पूरा सरीर कापने लगा था. फीर मैंने अपनी उंगली थोड़ी टेढ़ी की और उसकी चुत के ऊपर वाले हिस्से को चुटी काटने लगा. वो हिस्सा थोरा दाने दार था. बाद मैं पता चला वो जी पॉइंट कह लाता हैं. वहां उंगली डालते ही वह और हिलने लगी . मैं समझ गया उसे मज़ा आने लगा था. फीर मैंने अपने उंगली चुत से निकाली और उसकी चुत को मैंने फैला दिया. मेरी आखों के सामने उसक़ि फैली हुई चुत दिखने लगी . फीर मैंने अपनी जीव उसकी खुली हुई डाल दी वो बिलकुल हील ही गयी. मैं अपने हाथो से उसकी चुत को फाड़ के रखा था और मेरा मुह उसकी चुत में घुसेर दिया. मैं चुत को चूस ने लगा, चुत से पानी निकल ने लगा और मैंने एक भी बूँद पानी का बर्बाद नहीं होने दिया. मैंने अपनी पुरी जीव उसकी चुत के अंदर डाल दी थी. मैं उसकी चुत को खा रहा था. उसने एकदम से एक जोर की सांस ली और उसकी चुत पानी से भर गई . ऐसा लगा की चुत में बाढ़ आ गयी और सारा बाढ़ का पानी मैं पी गया. फीर थोरी देर में सब शांत हो गया. मैंने भी वहीं पर अपना माल भी गीरा दिया. मुझे अभी भी बिस्वास नहीं हो रहा था की मैंने अपनी चाची के साथ ऐसा काम किया . फीर मैं उसी नंगी हालत में छोड़ के अपने जगह आ के सो गया. अपने हाथ उसके चुची पे रखे और नींद में सो गया.
अगले दिन जब सुबह मैं जागा तो देखा चाची मेरे साथ नहीं थी मुझे आज पेपर देने जाना था इसलिए मैं जल्दी से तैयार होकर पेपर देने चला गया शाम को मैं अपनी पढ़ाई करने लगा रात के नौ बजे चाची सोने क़ि तैयारी करने लगी
चाची बोली- राज! तुम्हारे लिए अलग बिस्तर लगायें या तुम मेरे साथ ही सो जाओगे? मैने कहा - जैसा आप ठीक समझें। मैं तो कहीं भी सो जाउन्गा। चाची बोली- तो तुम इसी बिस्तर पर सो जाना। फ़िर चाची अपने काम में लग गयी। रात को १० बजे चाची कमरे में आयी और साड़ी उतारते हुए बोली - राज, तुम अखबार पढ रहे हो, मैं सो रही हूं, जब तुम्हें नीन्द आये तुम सो जाना। थोड़ी देर में मैने लाईट बंद की और लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी। काफ़ी देर बाद चाची उठकर लाईट जला कर बाथरूम गयी और वापिस आकर लेट गयी। मैं जाग रहा था लेकिन आंखे बंद करके लेटा था।

कुछ देर बाद चाची बोली - राज तुम सो रहे हो? मैने अचानक जगने का बहाना किया और बोला क्या हुआ चाची?

चाची एक दम मुझ से लिपट गयी और बोली मुझे डर लग रहा है। मैने कहा- डर कैसा? पर मुझे करंट सा लगा जब उनके बूब्स मेरी छती से छुये। उनकी एक टांग मेरे उपर थी। मैने भी उनकी टांग पर एक पैर रख दिया और उनकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- सो जाओ चाची। चाची धीरे धीरे मेरी बाहों मे सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैने उनके हिप्स पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा। चाची को मजा आ रहा था। फ़िर चाची सीधी लेट गयी और मेरा हाथ अपने पेट पर रखते हुए कहा कि तुम मुझ से चिपट कर सोना, मुझे डर लग रहा है। अब मै भी उनसे चिपट गया और उनके बूब्स पर सिर रख लिया। मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था। मै धीरे धीरे उनका पेट औए फ़िर जांघ सहलाने लगा।

तभी चाची ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके निप्पल साफ़ नज़र आ रहे थे। मैने बूब्स पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। अब मेरी हिम्मत बढ चुकी थी। मैने उनके बूब्स को ब्लौज से निकाल कर मुंह मे ले लिया और दोनो हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से उपर करना शुरु कर दिया। वह बोली-क्या कर रहे हो? मैने जोश में कहा- चाची आज मत रोको मुझे। उनकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मै एक दम जोश मे आ चुका था। उनकी चूत नशीली लग रही थी। मैने उनकी चूत को चाटना शुरु कर दिया।मै पागल हो चुका था।

मैने अपने पैर चाची के सिर की तरफ़ कर लिये थे। चाची ने भी मेरि नेकर को नीचे कर लिया और मेरा लन्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही रही थी। कुछ देर बाद चाची मेरे उपर आ गयी और मै नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े हिप्स सहलाने लगा। चाची की चूत पानी छोड़ गयी। अब मै और नहीं रह सकता था, मै उठा और चाची को लिटा कर, उनकी टांगें चौड़ी करके चूत में लन्ड डाल दिया और चाची कराहने लगी। मै जोर जोर से धक्के लगाने लगा। चाची ने मुझे कस के पकड़ लिया और कहने लगी- राज एसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मै तुम्हारी हो गयी, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लन्ड अपनी चूत में चहिये एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा। कुछ देर बाद मेरे लन्ड ने पानी छोड़ दिया और चाची भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी।

उस रात मैने तीन बार अलग अलग ऐन्गल से चाची को चोदा। चाची ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया। तब से जब भी चाचा बाहर जाते तो हम दोनो रात को खूब मजे करते
आशा करता की आप लोगो को मेरी यह सची कहानी पसंद आई होगी
 
जवानी बड़ी जालिम

सर्वविदित है कि जवानी बड़ी जालिम होती है। ये जाने लड़कों और लड़कियों से क्या क्या करवा बैठती है। मुझे भी अपने कॉलेज के समय में एकलड़के से दोस्ती हो गई थी। उसका नाम सुधीर था। हम लोग मिलने के लिये अक्सर एक झील के किनारे आते जाते थे। यूं तो वहा कितने ही जोड़े आतेथे। पर वो सभी अपने आप में व्यस्त रहते थे। हम लोग वहां बस चाट और ठण्ड़ा ही लेते थे और बस यूँ ही बतिया कर चले आते थे।
पर हां, मेरे दिल में अब कुछ कुछ होने लगा था। मैं आज से चार साल पहले चुदाई का लुफ़्त उठा चुकी थी, पर फिर मै डर गई थी कि यदि मुझे गर्भ रहजाता तो क्या होता? पर नहीं हुआ। फिर कुछ दिन और चुदाया पर सावधानी रखी। आज फिर दिल में कुछ ऐसा ही हो रहा था। पर आजकल मैं भीऔरों की तरह पिल्स के बारे में जानती थी, और साथ में रखती थी।
एक दिन एक अच्छी अंग्रेजी पिक्चर देखने का सुधीर ने प्रोग्राम बनाया । कहता था कि मस्त मूवी है ... मजा आ जायेगा। कॉमेडी मूवी थी। मैं उसकामतलब खूब समझ रही थी। वो हॉल में मुझसे खेलना चाहता था। जैसे ही मुझे ये लगा, मेरी चूत में पानी उतर आया। मैं मजे लेने के लिये तैयार थी।मेरी चूंचिया मसलवाने के लिये तड़प उठी। मेरी चूत में कोई अंगुली करे ... हाय ये सोच कर मेरा शरीर वासना से भर उठा।
हम दोनों हाल में गये और एक कोने में बैठ गये ... कम ही लोग थे। सुधीर बहुत ही उत्तेजित लग रहा था। बार बार मूवी की तारीफ़ कर रहा था। मुझेभी लगा कि जरूर मूवी अच्छी ही होगी। मूवी चालू हो चुकी थी। मुझे अंग्रेजी कम ही आती थी सो चुपचाप बैठी रही। सो सब कुछ सर के ऊपर सेनिकल रहा था। जब सब हंसते तो मै भी हंस देती थी। जोश में सुधीर मुझे हंसते हुये कभी पीठ पर मार देता था कभी कंधे पर। पर अब तो उसने मेराहाथ भी पकड़ लिया था। मुझे झुरझुरी आने लग गई थी। मैं अपने आप को हर प्रकार से तैयार कर चुकी थी। मुझे लगा कि वो जल्दी से मेरी चूंचियाँदबा दे ... हाय राम ... मेरी चूत में अंगुली घुसा कर मस्त कर दे ... पर मैंने कुछ कहा नहीं, उसका हाथ और मेरा हाथ आपस में मिले हुये थे। वो कभीकभी मेरा हाथ दबा देता था।
अब धीरे से उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख लिया। मुझे दिल में गुदगुदी सी हुई। मुझे लगा कि कुछ ही देर में वो मेरी चूंचियो पर आ ही जायेगा। पर्देपर चूमने का दृष्य चल रहा था। उसने भी मुझे गले से खींच कर अपने पास कर लिया और चुम्मा ले लिया। मै जान कर के उससे चिपक सी गई। हमारेसामने वाला जोड़ा जो साईड में सामने बैठा था, बिना किसी हिचकिचाहट के लड़की के बोबे मसल रहा था और उसे चूम रहा था। मैं तो उन्हीं को देखदेख कर उत्तेजित हो रही थी।
अचानक मुझे अब अपनी चूंचियो पर दबाव मह्सूस हुआ। सुधीर का हाथ मेरे स्तन को सहलाने लगा। हाय रे मजा आ गया ... मैं झुक कर दोहरी होगई।
"ना करो, सुधीर ... हाय हाथ हटा लो ... " मैंने भी शरीफ़ लड़की की तरह नखरे दिखाये।
"रजनी, कितने कठोर है तुम्हारे बोबे ... मस्त है यार ... " सुधीर वासना भरे स्वर में बोला।
"आह ... बस करो ... " मेरी सिसकी निकल पड़ी। पर सुधीर कहा मानने वाला था। उसका वो हाथ ऊपर से मेरी ब्रा में घुस गया और मेरी नरम नरम सीचूंचियां मसलने लगा।
उसने दूसरे हाथ से मेरा चेहरा ऊपर कर लिया और अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिये। अब मेरा हाथ भी उसकी जांघो पर रेंगने लगा था। मेरे निपलकड़े हो गये थे और वो उसकी अंगुलियों के बीच में घुमा घुमा कर मसले जा रहे थे।
मेरा शरीर भी वासना से भर उठा। मैंने अपना सीना थोड़ा सा और उभार लिया ताकि वो मेरी चूंचियाँ भली प्रकार से दबा सके। उसका कड़क लंड मेरेहाथों में आ चुका था। मैंने कोशिश करके उसकी ज़िप खोल दी।
पर अन्दर चड्डी के रूप में एक बाधा और थी। जल्दी ही ये बाधा भी मैंने पार कर ली और उसका मूसल जैसा लण्ड पकड़ ही लिया। गरम गरम कड़ाडण्डा, थोड़ा जोर लगाया तो वो पेण्ट से बाहर आ गया।
"हाय रे ... ये तो बहुत मोटा है ... देखो तो कैसा हो रहा है ... " मैंने सिसकते हुये कहा।
उसके सुपाड़े के सिरे पर चिकनापन लग रहा था, शायद उत्तेजना में उसमें से चिकनाई बाहर आ गई थी। उसने भी अपना हाथ मेरी छातियों पर से हटाकर मेरी चूत पर रख दिया था। मेरी सलवार के अन्दर हाथ घुसा कर मेरी गीली चूत को रगड़ दिया।
"मैं मर जाऊंगी रे ... धीरे से करना ... ! " उसका हाथ जैसे ही मैंने अपनी चूत पर मह्सूस किया, उसे धीरे से समझा दिया। मेरी गीली चूत में उसकीअंगुली उतरी जा रही थी, मैंने भी अपनी चूत को थोड़ा सा ऊपर उठा कर उसे अंगुली घुसाने में सहायता की। मेरा जिस्म अब मीठी मीठी गुदगुदी सेभर चुका था।
"रजनी, चुदोगी क्या ... मेरे लण्ड की हालत खराब हो रही है ... " उसकी सांस फ़ूली सी लगी। उसने मेरे मन की बात कह दी। चूत फ़ड़क उठी।
"हां सुधीर ... चुदने के चूत बेताब हो रही है ... पर कैसे ... " सिसकती हुई सी बोली।
"मेरे घर चलें क्या ? वहाँ कोई नहीं है ... मस्ती से चुदना ... "

"हां हां ... जल्दी चलो ... " और हम दोनों ने खड़े हो कर अपने आप को ठीक किया और हॉल के बाहर आ गये। सुधीर वहां से सीधे अपने घर ले गया ...मैंने चेहरे पर कपड़ा बांध लिया था कि कोई पहचाने ना ... । सुधीर ने ताला खोला और हम जल्दी से अन्दर आ गये।
मुझे भी अब लग रहा था कि बस एक बार तबियत से चुद जाऊं तो मेरा जी हल्का हो जायेगा।
उसने मुझे चाय के लिये पूछा पर यहाँ चाय की नहीं चुदाने की लगी हुई थी।
"चाय छोड़ो ना सुधीर, चलो बिस्तर पर चलते हैं ... "

"रजनी ... लगता है तुम्हारा बुरा हाल है ... मेरे लण्ड को तो देखो , साला पेण्ट ही फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।"

मुझे एकदम से हंसी आ गई। उसने पेन्ट की ज़िप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। पहली बार इतने बड़े लण्ड के दर्शन हुये। मैं जैसे ही आगेबढ़ी, उसने मुझे रोक दिया।
"पहले रजनी तुम अपने कपड़े उतारो ... तुम्हारी फ़ुद्दी देखनी है ... " सुधीर ने फ़रमाईश कर दी। मैं शरमा गई।
"धत्त ... शरम नहीं आयेगी ... ? " मैंने नारी का धर्म अदा किया।
"शरम नहीं रे ... नशा आयेगा तुम्हे नंगी देख कर ... लण्ड फ़ड़फ़ड़ायेगा ... कड़का कड़क हो जायेगा ... "

"हाय रे ... ऐसा मत बोलो ... तुम्हारा लण्ड देख कर ही मेरी फ़ुद्दी तो वैसे ही लप लप कर रही है ... "

"तो प्लीज उतारो ना ... " उसने अपना लण्ड मुझे दिखाते हुये मसला। मुझे हालांकि बड़ी शरम आ रही थी पर इस दिल का क्या करूँ, सो झिझकते हुयेमैंने कपड़े उतार ही दिये। पंखे की हवा मेरे नंगे बदन को सहलाने लगी। मैं शरम के मारे नीचे बैठ गई। पर नीचे बैठते ही मेरे चूतड़ उभर कर खिल उठे।दोनों तरबूज सी फ़ांके अलग अलग हो गई। सुधीर भी नंगा हो चुका था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड देख कर फ़ूल उठा। उसका तनतनाता हुआ बलिष्ठलण्ड जैसे मेरी चूत को न्योता दे रहा था।
"रजनी तुम्हारा बदन तराशा हुआ है ... जरा दोनो टांगे चौड़ी करो ... अपनी फ़ूल जैसी चूत तो दिखा दो ... यूँ सिकुड़ कर मत बैठो।"

"हाय ... नहीं जी ... ऐसे तो सब दिख जायेगा ना ... " फिर भी मैंने हिम्मत करके टांगे चौड़ी करके अपनी गीली चूत खोल दी। सुधीर मचल सा पड़ा।
"रजनी, लड़कियां मुठ कैसे मारती है ... मार कर बताओ ना ... चूत में अंगुली करती हो ना ...? "

"चलो हटो जी ... मुझे क्या बेशर्म समझ रखा है ... अच्छा तुम मुठ मार कर बताओ ... "

सुधीर ने अपने मोटे से लण्ड की सुपाडे पर से चमड़ी ऊपर हटाई और लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उसे पकड़ कर हाथ ऊपर नीचे चलानेलगा। उसका सुपाड़ा लाल होने लगा और फ़ूलने लगा। मेरे दिल पर छुरियाँ चलने लगी ... हाय चूत की जगह मुठ में उसका लण्ड मसला जा रहा था।उसके सुपाड़े पर चिकनाई की दो बूंदें तक उभर आई थी। मेरा हाथ अपने आप ही चूत की तरफ़ बढ़ गया और दाने पर आ गया। उसे मैं हल्के हल्केसहलाने लगी। मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। मेरी अंगुली भी चूत में घुसने लगी।
"हां ... हां ... रजनी, और करो ... आपकी चूत कैसी लपलपा रही है ... " उसकी आवाज में वासना भरी हुई थी।
मेरे बाल बिखर गये थे, लटें माथे पर लहराने लगी थी। मेरी दोनों टांगें कांपने लगी थी। चूत में अंगुली सटासट अन्दर बाहर जा रही थी। उधर मेरीनजरें सुधीर पर पड़ी, वो जोर जोर से लण्ड पर हाथ चला रहा था। उसका सुपाड़ा लाल हो गया था, फ़ूल कर मोटा हो चुका था। उसकी आंखे नशे में बंदसी हो गई थी। हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुठ मारे जा रहे थे।
"हाय, सुधीर और जोर से मुठ चलाओ, क्या लण्ड है राम ... चला हाथ जोर से ... आह्ह्ह्ह्ह"

मैं ज्यों ही उठ कर उसके पास पहुंची,

" रजनी, ऐसे ही मजा आ रहा है ... तुम वहीं जाओ ... तुम उधर मुठ मारो ! मैं इधर मारता हूँ ... चल घुसा दे फिर से अपनी अंगुली ... " उसकी सांस फूलउठी थी।
वो मना करता रहा पर मैंने जाकर उसके लण्ड को अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके लाल लाल फ़ूले हुये सुपाड़े पर अंगुलियाँ फ़िराने लगी।उसके सुपाड़े को मलने से उसमें से चिकनाई की दो बूंदें और निकल आई। आनन्द में वो डूब रहा था। मुझे ऐसा करते देख उसने मेरी चूंचियों को पकड़लिया और उसे दबाने लगा और निपल को अंगुलियों से हल्के हल्के दबाने और घुमाने लगा। मेरी मस्ती और वासना, मर्द के हाथों से मसले जाने सेऔर बढ़ती गई।
अब वो मेरे निपल जोर जोर से मलने लगा था। मैं नशे में उसके लण्ड को जोर जोर से मुठ मारने लगी थी। मेरे हाथ बहुत ही तेजी से उसके लण्ड परऊपर नीचे हो रहे थे। उसकी सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी।
अचानक उसने मेरी फ़ुद्दी में अपनी दो अंगुलियाँ डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। इस से मेरी उत्तेजना तेजी से बढ़ने लगी, लगा कि चुद रही हूँ।मुख से आह की आवाजें निकलने लगी। शायद सुधीर को अहसास हुआ कि यदि ऐसे ही उसका लण्ड मेरे हाथों में फ़िसलता रहा तो उसका वीर्य निकलजायेगा। उसने मुझे नीचे दबा लिया और मुझसे लिपट पड़ा। हमारे नंगे शरीर बिस्तर में आपस में रगड़ खाने लगे।
उसका लण्ड मेरी चूत को ठोकर मारने लगा। मेरा मन सिहर उठा, लौड़ा लेने को आतुर हो उठा। मेरी चूत उसके लण्ड को लपकने की कोशिश कर रहीथी, और अन्त में सफ़ल हो ही गई। उसका लण्ड चूत में समाता चला गया। मेरे मुख से खुशी की सीत्कार निकल पड़ी। सुधीर भी तड़प उठा। ऊपर सेउसने अपने शरीर का बोझ मेरे पर डालना आरम्भ कर दिया। मैं दबती गई। आनन्द मेरे जिस्म में भरता गया।
सुधीर ने अब अपने चूतड़ ऊपर खींच कर फिर से मेरी चूत पर पटक दिए ... उसका लण्ड मेरी चूत में जड़ तक चीरता हुआ घुस गया। मुझे थोड़ा सा दर्दहुआ पर कसक भरी मिठास का अहसास अधिक हुआ।
"और जोर से चोद दे मेरे राजा ... हाय ... लण्ड़ पूरा घुसेड़ दे रे ... मेरी मांऽऽऽऽऽऽ ... " मैं आनन्द से सिसकने लगी।
"ले ... मेरी रजनी ... मेरा पूरा लण्ड ले ले ... तू तो मजे की खान है रे ... " वो मुझे भींच भींच के चोदने लगा। मेरी चूंचियों की हालत खींच खींच कर खराबकर दी थी। मैं नीचे से जोर से अपने चूतड़ उछल कर लण्ड ले रही थी। साला क्या चूत में गुदगुदी मचा रहा था। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की दीवारोंसे रगड़ता हुआ चोद रहा था। अचानक मेरे शरीर में ऐठन सी हुई और मुझे लगा कि मैं तो गई ... ।
तेज मीठी सी आग भड़की और फिर जैसे पानी के ठण्डे छींटे पड़े ... मेरा रज छूट पड़ा। मेरी चूत पानी से भरने लगी। मेरी चूत लहरा लहरा कर जोरलगा कर पानी छोड़ रही थी। पर उसका लण्ड था कि मेरी चूत को रोंदे जा रहा था।
मेरे मुख से अब मस्ती की सिसकियां की जगह दर्द की कराह निकल रही थी। इतनी कस कर चुदाई मेरी आज तक नहीं हुई थी। पर आह्ह्ह रे ... मेरीचूत में उसके लण्ड ने ठण्डक कर दी। मुझसे लिपटते हुये उसने अपना वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया। मैंने अपने दोनों हाथ फ़ैला दिये और बिस्तर परपसर गई। उसका लण्ड मेरी चिकनी चूत में से फ़िसल कर बाहर आने लगा। उसके सिकुड़ कर निकलने से मेरी चूत में गुदगुदी सी हुई और लण्ड बाहरआ गया। चुदने के कारण मैं मस्ती में बस आंखे बंद करके यूँ ही पड़ी थी। सुधीर मेरे ऊपर से हट गया और मेरी चूत पर लगे वीर्य और चिकनाहट कोचाटने लगा। उसके चाटने से मुझे चूत में फिर से गुदगुदी उठने लगी ... कुछ ही देर में मुझे फिर से तरावट आने लगी। मैंने सुधीर को हटा दिया औरउसके लण्ड पर लगे वीर्य का थोड़ा सा रस चाटने के लिये उसका लण्ड मुख में घुसा लिया और उसे चूसने लगी। कुछ ही देर में उसका लण्ड फिर सेटनटना उठा। मैंने मुठ मारते हुये उसे और उत्तेजित किया। फिर सीधे खड़ी हो गई।
"बस सुधीर अब चलें ... देखो शाम होने को है ... "

"अच्छा ... बस एक किस ... फिर तुम्हें छोड़ आता हूँ।"

पर सुधीर के मन की इच्छा कुछ और ही थी। मैं जैसे ही पलटी, वो मेरी पीठ से चिपक गया। उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुसने के लिये जोर लगानेलगा।
"अरे नहीं करो सुधीर ... मुझे लग जायेगी ... "

"नही रजनी , तुम्हारी गाण्ड गजब की है ... बिना मारे मुझे तो चैन नहीं आयेगा !"

मेरी गाण्ड के छेद में लण्ड का घर्षण होने लग गया था। मैंने नाटक करते हुये अपनी दोनों टांगे चौड़ी कर दी। मुझे वास्तव में आनन्द आने लगा था।अभी मेरा गाण्ड का छेद तो प्यासा था ही ...

"अरे यार फ़ट जायेगी ना तुम्हारे मोटे लण्ड से ... हाय रे धीरे से करो ...

आआईईईई ... मर गई रे ... "

उसका सुपाड़ा छेद में दाखिल हो चुका था। मुझे बड़ा सुहाना सा लगा। मैंने मुस्करा कर पीछे सुधीर को देखा, वो भी खुश था कि उसे एक कॉलेज गर्लकी ताजी गाण्ड मारने को मिल रही थी ... हम दोनों ही मस्त हो रहे थे ...

पीछे से मेरी गाण्ड चुदी जा रही थी ... हम दोनों खुशी में किलकारियां मार रहे थे ... अपने चूतड़ों को हिला हिला कर चुदाई का मजा ले रहे थे ... मस्तीमें डूबे जा रहे थे
 
ब्लॅकमेल पार्ट--1 


"लाइट्स, कॅमरा और आक्षन" पहले आदमी ने कहा "चलो अब जल्दी से शुरू हो जा मेरी जान" 

"फुल बॉडी लिया है ना?" दूसरा आदमी बोला. 

"हां फुल बॉडी है" पहला आदमी फिर से हॅंडीकॅम के डिसप्ले पर देखता हुआ बोला 

"बस अब तो जानमन के कपड़े उतरने का इंतेज़ार है" 

वो चारों शहर के बाहर किसी पुराने खंडहर मकान में थे. रात के 2 बज रहे थे और अजय जानता था के वो यहाँ चाहे जितना चिल्लाए, कोई उसकी मदद के लिए नही आएगा. 

दोनो आदमियों ने अपने चेहरे पर रुमाल बाँध रखा था जिससे उनकी शकल देखना नामुमकिन था, सिर्फ़ आँखें दिखाई दे रही थी. दोनो लंबे चौड़े, हत्ते कत्ते थे जिनपर अजय चाहकर भी अकेला काबू नही पा सकता था. और उसपर उनके पास गन थी जो उस वक़्त अजय के सर पर लगी हुई थी. 

"चल अब धीरे धीरे कपड़े उतारना शुरू कर. एक एक करके" दूसरे आदमी ने शिखा से कहा. 

अजय ने एक नज़र शिखा पर डाली. रो रोकर उसकी आँखें लाल हो चुकी थी और डरी सहमी सी वो ऐसे खड़ी थी जैसे भेड़ियों के बीच किसी बकरी को बाँध दिया गया हो. 

"चल चल ज़्यादा वक़्त नही है हमारे पास" दूसरे आदमी ने फिर शिखा को इशारा किया पर वो फिर भी वैसे ही अपने हाथ अपने सीने पर बाँधे खड़ी रोती रही. 

"ये ऐसे नही मानेगी" दूसरा आदमी पहले से बोला "मार साले लौंदे को गोली" 

अजय को अपने सर पर तनी पिस्टल की नाल और भी शिद्दत से महसूस होने लगी. वो अपने घुटनो पर बैठा था और उसके पिछे पहला आदमी उसके सर पर रेवोल्वेर लगाए खड़ा था. 

"एक... दो...." गिनती शुरू हुई और अजय को जैसे अपनी पूरी ज़िंदगी अपनी आँखों के सामने घूमती नज़र आने लगी. 

वो एक अमीर बाप की औलाद था, बेशुमार पैसा, गाड़ियाँ, अययाशी, ये उसकी ज़िंदगी थी. फिर उसको एक पार्टी में शिखा मिली. पहली मुलाक़ात के बाद दूसरी, फिर तीसरी और ये सिलसिला धीरे धीरे प्यार में तब्दील हो गया. शिखा एक बहुत ग़रीब घर की लड़की थी इसलिए दोनो जानते थे के अजय का बाप कभी इस शादी के लिए राज़ी नही होगा इसलिए उन्होने आसान रास्ता अपनाया और भाग कर अपने घरों से बहुत दूर एक अजनबी शहर में पहुँच गये. 

यहाँ पहले ही दिन उनके साथ जो हुआ इसका उन्होने कभी सपने में भी गुमान नही किया था. देर रात को उनकी ट्रेन स्टेशन पर पहुँची थी जहाँ से उन्होने किसी होटेल के लिए टॅक्सी की पर टॅक्सी वाला एक बंदूक की नोक पर उन्हें यहाँ शहर से बाहर इस खंडहर में ले आया जहाँ अब वो पिस्टल अजय के सर पर लगी हुई थी. 

"रूको मैं कपड़े उतारती हूँ" अचानक शिखा की आवाज़ आई "प्लीज़ उसको कुच्छ मत करना" 

अजय की समझ में नही आया के क्या करे. एक तरफ तो उसके सामने वो लड़की खड़ी थी जिससे वो शादी करना चाहता था और जो कि इस वक़्त दो अजनबी आदमियों के सामने उसकी जान बचाने के लिए नंगी हो रही थी पर दूसरी तरफ वो ये भी जानता था के इस वक़्त कुछ बोला तो उसका भेजा नीचे ज़मीन पर बिखर जाएगा. 

और बहुत मुमकिन था के इसके बाद वो शिखा का भी काम तमाम कर देंगे. 

उसने स्टॅंड पर लगे हुए हॅंडीकॅम को देखा जो शिखा की नंगी फिल्म बना रहा था और चुप रहा. 

काँपते हुए हाथों से शिखा ने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए. 

"वाउ" पहला आदमी बोला "अब हुआ खेल शुरू. धीरे धीरे खोल ज़रा. पूरा मज़ा देते हुए" 

शिखा ने अपनी शर्ट का पहला बटन खोला, फिर दूसरा, फिर तीसरा और एक एक करके सारे बटन खुल गये. वो एक पल के लिए रुकी और अपनी शर्ट को सामने से पकड़ कर रोने लगी. 

"प्लीज़ ऐसा मत करो" रोते हुए उसने कहा 

"प्लीज़ तुम्हें जो चाहिए ले लो पर हमें जाने दो" अजय ने आगे से कहा 

"जो हमें चाहिए हम वही ले रहे हैं साले" दूसरा आदमी हंसते हुए बोला "चल अब ये शर्ट उतार" 

शिखा भी दिल ही दिल में जानती थी के उसके पास कोई चारा नही था. उसने अगर ज़रा भी ना नुकुर की तो अजय की जान जा सकती थी इसलिए मजबूर होकर उसके अपनी शर्ट धीरे से उतार कर नीचे ज़मीन पर गिरा दी. अब वो सिर्फ़ एक काले रंग के ब्रा और नीली रंग की जीन्स में खड़ी थी. 

"वाउ" एक आदमी उसके सीने की तरफ देखते हुए बोला "हाथ हटा सामने से" 

उसने अपनी चूचिया अपने दोनो हाथों से ढक रखी थी. उस आदमी के कहने पर वो एक पल के लिए झिझकी और फिर अपने हाथ साइड में गिरा दिए. 

"मेरी जान" एक आदमी सीटी मारकर बोला "क्या बड़े बड़े मम्मे हैं तेरे. ब्रा में फिट ही नही हो रहे" 

"क्यूँ बे साले" दूसरा आदमी अजय के सर पर थप्पड़ मारते हुए बोला "बड़ी मेहनत की है लगता है तूने. सूखे दबाता है या तेल लगाके मालिश करता है?" 

शिखा ने फिर अपने हाथों से सीना ढकने की कोशिश की पर एक आदमी के घूर कर देखने पर फिर सीधी खड़ी हो गयी. 

"चल अब जीन्स उतार" 

"नही प्लीज़" वो रोते हुए बोली 

"मारु गोली तेरे आशिक़ को?" 

"नही" वो फ़ौरन चिल्लाई और जीन्स के बटन खोलने शुरू कर दिए. 

"शाबाश" पहले आदमी ने फिर से हॅंडीकॅम को चेक किया के रेकॉर्डिंग सही हो रही है के नही. 

जीन्स के बटन एक एक करके खुले और फिर वो 2 पल के लिए रुकी. 

"चल उतार जल्दी से अब" पहला आदमी बोला "चूत के दर्शन करा दे जल्दी से" 
उसकी मुँह से ऐसी बात सुनकर झिझक रही शिखा सहम कर खड़ी हो गयी. 

"मार दे गोली" दूसरे ने पहले से कहा ही था के शिखा ने फ़ौरन अपनी जीन्स नीचे खिसकियाई और उतार कर एक तरफ उछाल दी. 

नीचे पॅंटी उसने पहेन नही रखी थी. जिस्म पर एक काले रंग का ब्रा पहने, आँखों में आँसू लिए वो खड़ी सूबक रही थी. 

"क्या मस्त चूत है. एक भी बाल नही" दूरा गौर से उसकी टाँगो के बीच देखता हुआ बोला 

"मुझे तो झांतो वाली ज़्यादा पसंद है" पीछे से पहले की आवाज़ आई 

"गांद भी क्या मस्त है रे बाबा" दूसरा शिखा के चारो तरफ गोल गोल चक्कर सा लगा रहा था "मस्त उठी हुई है. क्या बे साले, गांद भी मरता है क्या इसकी?" उसने अजय की तरफ इशारा करते हुए कहा 

"चल जानेमन अब जल्दी से तेरे मम्मे भी दिखा दे" वो शिखा की तरफ घूमता हुआ बोला 

अजय की नज़र भी शिखा की तरफ घूमी. वो अब रो नही रही थी. आँसू चेहरे पर सूख चुके थे. नज़र झुकाए वो किसी लाश की तरह खड़ी थी. 

"चल खोल ना" दूसरा जो उसके नज़दीक ही खड़ा था, एक हाथ उसकी गांद पर फेरता हुआ बोला 

"हाथ मत लगाना उसे" अजय फ़ौरन चिल्लाया 

"बैठा रह शांति से वरना गोली भेजे के पार कर दूँगा" उसके पिछे खड़े आदमी ने उसके बाल पकड़े और बंदूक की नाल उसके मुँह में घुसा दी. 

"नही" शिखा फ़ौरन चिल्लाई और ब्रा अपने जिस्म से अलग करके एक तरफ उछाल दी. 

"आअए हाए क्या मम्मे हैं यार. मज़ा आएगा आज तो" शिखा के करीब ही खड़ा हुआ आदमी पेंट के उपेर से अपना लंड रगड़ता हुआ बोला 

"कम से कम 36 होंगे ... है ना साली?" वो शिखा से ही पुच्छ रहे थे 

"अब नही रुका जाता. आजा जल्दी से" शिखा के करीब खड़े हुए आदमी ने उसका हाथ पकड़कर उसको ज़मीन की तरफ गिराया. 

अजय जानता था के आगे क्या होने वाला है. शिखा के साथ बलात्कार. जिस लड़की से वो प्यार करता था, जिससे शादी करना चाहता था, उस लड़की के साथ बलात्कार. 

एक अजीब से ताक़त के साथ वो पलटा और अपने पिछे खड़े आदमी के शरीर से टकराया. 

"बहन्चोद" दर्द से वो आदमी चिल्लाया और लड़खड़ा कर नीचे जा गिरा. उसके हाथ में पकड़ी गन हाथ से छुट्टी और ज़मीन पर गिरी. अजय गन की तरफ भागा. 

"जहाँ हो वहीं रुक जाओ" अजय गन उपेर उठाता हुआ बोला. उसने गन का रुख़ उस आदमी की तरफ कर रखा था जो शिखा को नीचे गिरा कर उसपर चढ़ने की कोशिश कर रहा था. 

"तेरे मा की .... "पहला आदमी जिसके हाथ से अजय ने गन छीनी थी ज़मीन से उठता हुआ बोला 

"वहीं पड़ा रह" अजय ने इशारा किया 

"ना ना ना ना" आवाज़ आई तो अजय ने घूम कर शिखा की तरफ देखा "दूसरा आदमी उसके पिछे खड़ा था और शिखा को आगे कर रखा था. अब अगर गोली चलती, तो शिखा को पहले लगती. 
"हमें यहाँ से जाने दो. हम किसे से कुच्छ नही कहेंगे" अजय ने एक आखरी कोशिश की. 
क्रमशः........ 
 
ब्लॅकमेल पार्ट--2 

गतान्क से आगे.................... 
"नही साले. जो तूने कर दिया है, उसके बाद तो पहले तेरी इस छमिया की चूत का भोसड़ा बनाएँगे, उसके बाद तेरी बोटी बोटी करेंगे" 

अजय की समझ नही आ रहा था के क्या करे. उसने एक नज़र कमरे की टूटी हुई खिड़की से बाहर डाली. 

घुप अंधेरा. कुच्छ नज़र नही आ रहा था. 

"यहाँ तो बचके निकले भी तो जाएँगे किस तरफ" एक पल के लिए अजय के दिमाग़ में ख्याल आया. और फिर जो कुच्छ भी हुआ, बहुत तेज़ी के साथ हुआ. 

अजय की नज़र खिड़की की तरफ देख कर पहले आदमी आगे को लपका. अजय उसको अपनी और आता देख हड़बड़ा गया और गन का ट्रिग्गर खींच दिया. 

गन अब भी शिखा की तरफ ही पायंटेड थी. 

गोली की आवाज़ से कमरा गूँज उठा. दूसरी आवाज़ शिखा के चीखने की थी. 

अजय और दोनो आदमी अपनी अपनी जगह पर बुत बनकर खड़े हो गये. शिखा नीचे ज़मीन पर गिर चुकी थी. गोली उसके सीने में लगी थी. खून बहकर उसकी लाश के चारो तरफ जमा हो रहा था. आँखें बंद हो चुकी थी. 

"वहीं खड़े रहो" उसने गन दोनो आदमियों की तरफ घूमाते हुए कहा, एक नज़र शिखा की नीचे ज़मीन पर पड़ी लाश पर डाली और खिड़की से बाहर कूद गया. 

"पकड़ साले को" पीछे कमरे से आवाज़ आई पर अजय को रुक कर सुनने का होश नही था. वो बेतहाशा दौड़ रहा था.

उस मकान से दूर. 

शिखा की लाश से दूर. 

उन दोनो आदमियों से दूर. 

उस मनहूस शहर से दूर. 

"साले मेरी गांद का मार मार कर भोसड़ा तूने बना दिया है और पुच्छ उस लौंदे से रहा है" शिखा ने अपने उपेर चढ़े हुए आदमी से पुछा. 

वो उल्टी पड़ी हुई थी और कोहनियों के बल अपना चेहरा उठा कर सिगरेट के कश लगा रही थी. एक आदमी उसके उपेर चढ़ा हुआ उसकी गांद मार रहा और दूसरा उसके सामने बैठा अपना लंड हिला रहा था. तीनो पूरी तरह से नंगे थे. 

"क्या करूँ जानेमन" उसके उपेर चढ़ा हुआ आदमी तेज़ी से धक्के लगाता हुआ बोला "तेरी गांद है ही इतनी मस्त" 

"वैसे एक बात बता. ये साले लौंदे तेरे इश्क़ में इतने बावले हो कैसे जाते हैं के अपना सब कुच्छ छ्चोड़ कर तेरे कहे पर चल देते हैं?" सामने बैठे आदमी ने पुछा 

"बिस्तर पर जन्नत दिखाती हूँ ना सालो को. और बस. वहीं मेरे कदमों में बिच्छ जाते हैं" शिखा हँसते हुए बोली 

"मानना पड़ेगा. ये चौथा था जो तेरे इश्क़ में पागल हो रहा था. इससे पहले के तीन भी साले मरे जा रहे थे तुझे अपनाने को" 

"वो दूसरे वाले के पास से पैसे आ गये?" शिखा बोली 

"हां आ गये ना. जितनी माँगे थे उतने ही आए. वो तीनो साले सोचते हैं के उनके हाथ से तुझे गोली लगी है और बचने के लिए कुच्छ भी करने को तैय्यार हैं" सामने बैठा आदमी बोला 

"ये अजय नाम के लौंदे के पास भी टेप कल भिजवा दूँगा मैं. फिरौती कितनी मांगू इससे?" शिखा के उपेर चढ़े हुए आदमी ने ज़ोर से धक्का मारते हुए कहा 

"आराम से बेहेन्चोद" शिखा चिल्लाई "दर्द होता है. तेरी माँ की गांद नही है ये, मेरी है. आराम से मार. और ये चौथा वाला इतना रईस नही है. इससे रकम ज़्यादा मोटी मत माँगना नही तो सारा मामला खराब हो जाएगा. पहली माँग थोड़ी कम ही रखो, अगर साले की जेब से निकल आए तो बाद में देखेंगे" 

"वैसे कमाल है तू" शिखा ने सिगरेट बुझाई तो सामने बैठा आदमी आगे बढ़कर उसके करीब आ गया "मरने का नाटक ऐसे करती है के अगर हमें पता ना हो के ये सारा बना बनाया खेल है तो हमें भी यही लगेगा के मर गयी तू" 

उसने आगे बढ़कर अपना लंड शिखा के मुँह की तरफ बढ़ाया. 

"और तू साले" शिखा इशारा समझते हुए लंड मुँह में लेते हुए बोली "वो रंग थोड़ा कम डाला कर पिछे से. मेरे जिस्म में भी आम इंसानो जितना खून है, कोई 4-5 लीटर ज़्यादा नही है. इतना रंग बिखेर देता है के देखने वाले को लगेगा के जैसे कोई भैंस मरी हो यहाँ" 

उसने लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. पहला वाला अब तेज़ी के साथ उसकी गांद पर धक्के लगा रहा था. 

"गांद में मत झड़ना. बाहर निकालना" शिखा ने एक पल के लिए लंड मुँह से निकाल कर कहा. 

"वैसे एक बात बता" जिसका लंड वो चूस रही थी उस आदमी ने कहा "इन चारो लौंदो से चुदवाया तूने?" 

"हां और क्या यूँ ही मेरे इश्क़ में मरे जा रहे थे ये?" शिखा हँसकर बोली "इन चारो के हिसाब से ये पहले मर्द थे जिन्होने एक सीधी सादी, पाक शरीफ लड़की के जिस्म को च्छुआ था" 

तीनो ज़ोर से हंस पड़े. 

"और गांद? वो भी मरवाई?" जो आदमी गांद मार रहा था उसने पुछा 
"नही मेरे राजा" शिखा पिछे हाथ करके उसके चेहरे को थपथपाते हुए बोली "ये तो सिर्फ़ तेरी है. बुक करा रखी है ना तूने. पेटेंट है तेरा. ये कोई कैसे मार सकता है?" 

तीनो फिर ज़ोर से हँसे. 

"गांद नही मरवाई. वरना फिर सालो को शक हो सकता था के मैं बिस्तर पर खेली खाई हूँ. उनके लिए मैं एक मासूम लड़की हूँ जिसकी ज़िंदगी में वो सब पहले मर्द थे. 

थोड़ी देर के लिए तीनो चुप हो गये और चुदाई पुर ज़ोरो पे चल पड़ी. उसके उपेर चढ़े हुए आदमी ने हाफ्ना शुरू कर दिया था और पूरी जान से गांद पर धक्के मार रहा था. सामने वाला आदमी अपने घुटनो पर खड़ा शिखा के मुँह में लंड अंदर बाहर कर रहा था. 

"गांद में निकाल दिया क्या साले?" धक्के पड़ने बंद हुए तो शिखा ने चौंक कर पुछा 

"नही अभी निकाला नही है. ज़रा साँस तो पकड़ लूँ" 

"अब अगला पड़ाव कहाँ?" सामने वाले आदमी ने पुछा 

"फिलहाल तो टेप उस अजय को टेप भिजवओ और फिर इस शहर से निकलते हैं. देखते हैं अगला शिकार कहाँ मिलता है" कहकर शिखा फिर लंड चूसने लगी. 

"आज सॅंडविच स्टाइल हो जाए? चूत और गांद में लंड एक साथ?" मुस्कुराते हुए शिखा ने सामने वाले आदमी से कहा और आँख मार दी. 
दोस्तो आपने देखा इस दुनिया मे ये भी होता है इसलिए सोच समझ कर किसी लड़की की चुदाई करे आपका दोस्त राज शर्मा समाप्त
 
मामा के घर


हाई मैं कुसुम उमर 17 रंग गोरा चुचि गोल,फिगर 34 30 32,खास मेरे चुतताड की गोलाई और मेरे पिंक निपल लड़के देख कर पागल हो जाते है मुझे सेक्स बहुत पसंद है सखत सेक्स,चुदवाते वक़्त गालिया सुन-ना मुझे पसंद है. 


मैं एक बार अपने मामा के घर गयी मामा विलेज मे रहते है उनकी लड़की है पिंकी मेरी उमर की चंचल लड़की, उसकी चुचि मुझसे बड़ी फिगर होगी कोई 36 30 34 गोरी चित्ति हम आपस मे बाते कर रही थी बाते सेक्स पर आ गयी मैने पिंकी की चुचि पर हाथ फेरा और बोली पिंकी ये तो बहुत बड़ी है वो शर्मा गयी, शाम को हम गाओं मे घूमने निकली तो मुझे उसकी बड़ी चुचिओ का राज पता लग गया हम जिस भी गली से जाते उस पर कॉमेंट होते मेरी छेमिया मेरी जान एट्सेटरा हम जब घर आए तो मैने पूछा ये क्या था पहले तो वो टालती रही पर जब मैने कहा कि मैं भी मज़े लेना चाहती हू तो वो खुल गयी उसने बताया यहा तो जब मैं 14 साल की थी जब से ही मज़े कर रही है फिर तो हम स्टार्ट हो गयी मैने पूछा कैसे करती हो तो वो बोली रात को बताउन्गी वो बोली यहा तो लगभग हर लड़की 15 साल की उमर मे चुद जाती है मुझे बड़ी जलन हुई उस से, वो बताती रही कि लड़के जब लड़की को चोद्ते है है तो बहुत तंग करते है कई बार तो मार भी देते है मैं बोली मेरी चूत को लंड मिलेगा वो बोली तुम्हारे उप्पर तो टूट के पड़ेंगे आज रात को ही तेरा कल्याण हो जाएगा पर तू सह तो लेगी मैं बोली यार चिंता मत कर. 


रात तक हम एक दूसरे को छेड़ते रहे रात को 9 के करीब हम रूम मे गये मैने पिंकी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए उसे पूरी नंगी करके मैने उसकी कूची पर हाथ फेरा और उस-से पूछा पिंकी तेरी इस चूत का उद्धाटन किसके लंड से हुआ था वो बोली पापा के दोस्त है उन्होने ही मेरी सील तोड़ी थी, अंकल ने मम्मी की चुदाई भी की हुई है और आज अंकल और उसके दोस्त तेरी चूत का कल्याण करेगे मैं बोली उनका लॉडा कैसा है, पिंकी बोली जान चिंता मत कर तेरी चूत की तो धज्जिया उड़ा देंगे हमारी बातो मे 10 के करीब टाइम हो गया मैं बोली कब उड़े गी चूत की धहाज़िया उसने खिड़की खोली और मुझे बोली नीचे कूद जा मैं नीचे कूदी पीछे पीछे चादर लपेटे वो कूद गयी अब हम दोनो खेत मे खड़े थे वो बोली चल मैं उसके पीछे चल पड़ी थोड़ी दूर ही खेत मे एक मकान था हम दोनो उसमे घुस गयी. 


वाहा आँगन मे तीन 40-45 साल के आदमी ताश खेल रहे थे मुझे डर सा लगा वो तीनो कछे और बनियान मे थे उनमे से एक बोला आ गयी छेमिया, ये कॉन है मेरी तरफ देखते हुए बोले, पिंकी बोली शहर से आई है मेरी बुआ की लड़की अपनी चूत की धहाज़िया उड़वाने, वो बोले अरे ये तो बिम्ला की लड़की लगती है अपनी मम्मी का नाम सुन कर मैं हैरान हो गयी मैं बोली तुम कैसे जानते हो मम्मी को वो बोला तेरी मा यहा बहुत चुदी है आज तो हमारी किस्मत खुल गयी जवानी मे मा को चोदा अब लड़की को वाह,पिंकी ने अपनी चादर उतार दी अब वो पूरी नंगी थी. 


पिंकी बोली यार हमे तो चोद लो मम्मी को बाद मे चोद लेना, उन तीनो नई हम दोनो को अपनी और खींच लिया हम दोनो उनकी गोदी मे लेटी पड़ी थी मेरी कुर्त और पाजामी दो मिनिट मे ही मुझसे अलग हो गये वे तीनो(मैं तीनो के नाम लिख दू सुरेश,रमेश,मनोज) हमे बुरी तरह से चूसने लगे मसलने लगे मेरी चुचिओ पर गर्दन पर नीले मार्क्स बना दिए हम दोनो के मूह से. 


आआआआआअऊऊऊ वॉववववववव एयाया वॉववववव ऊऊऊ ऊऊ आआआआ ऊऊऊऊऊऊओह निकल रही थी रमेश बोला साली अपनी मा से भी चिकनी पड़ी है तभी रमेश ने मुझे गोदी मे ही उल्टी कर दिया अब मेरे चुतताड रमेश की गोदी मे थे और मेरा मूह सुरेश के लंड के पास था सुरेश ने अपना कछा उतारा उसका 10" लंबा. 


लंड स्प्रिंग के तरह मेरे चेहरे से टकराया, उसके लंड देख कर मेरे होश उड़ गये रमेश ने मेर लेग्स खोल के मेरी चूत मे 2 उंगलिया डाली मैं चिहुक गयी वो बोला क्या हुआ, मैं बोली मैने नही चुदवाना ये तो मेरी चूत ही फाड़ देगा पिंकी बोली क्यू बड़ा शौक चढ़ा था चूत की धहाज़िया उड़वाने का सुरेश बोला तू वैसे ही डर रही है पिंकी तेरे से छ्होटी है फिर भी इससे रोज़ाना चुदवाति है 14 साल की उमर मे ही ये इसे अपनी चूत मे ले गयी थी मैने सुरेश का लोड्‍ा अपने हाथ मे पकड़ा उसका लंड लोहे से भी सखत था पिंकी मनोज की गोदी मे बैठी थी मनोज पिंकी की चुचिया चूस रहा था सुरेश मेरी गॅलो मेरे होंठो पर अपना मोटा लंड फिरा रहा था मेरे होठ सख्ती से बंद थे तभी रमेश ने मेरी गांद मे उंगली दे दी मेरा मूह खुला मूह खुलते ही सुरेश ने अपना लंड मेरे मूह मे सरका दिया सुरेश का लंड बड़ी मुश्किल से मेरे मूह मे आ रहा था पर उसने धक्के मार- मार के मूह मे जगह बना ली मैं धीरे धीरे उसका लंड चूसने लगी तभी रमेश ने मेरे को अपनी गोदी से नीचे पटक दिया और अपने कपड़े उतार कर मेरे सामने आ गया मैं उसका लंड देख कर फिर कांप गयी उसका लंड सुरेश से भी बड़ा और बीच मे से कुछ टेडा था वो अपना लुंड पूचकारता हुआ मेरे सामने खड़ा था. 


मैं मन मे सोच रही थी आज मेरी खैर नही इतने मे मूज़े पिंकी की चीख सुनाई दी आाआूऊ ऊऊऊऊ माआआआआअ ऊऊऊऊऊ धीरेयययययययी ऊऊऊऊऊऊओ माआआआआआ आआमम्म्ममममाआआआररर्र्र्र्र्रृिईईईईईईईईईई मैने उसकी तरफ उसकी दोनो टांगे हवा मे थी और मनोज अपना लंड उसकी चूत मे सरका रहा था मैं पिंकी की तरफ देख रही थी सुरेश बोला उधर क्या देख रही है तेरा भी यही हॉल होना है मुझे भी मस्ती चढ़ि थी पिंकी को देख कर पर मैं नाटक करती बोली, मैने नही चुदवाना तुमसे अपनी चूत नही फदवाणी इतने मोटे मोटे लॉड मेरी चूत मे नही जा पाएगे, पिंकी चुद्ते हुए बोली साली तो यहा भजन करने आई है अभी तक शहर के लूलिओ से चुदवाइ होगी आज पता चलेगा गाओं का लंड क्या मस्ती देता है पिंकी सुरेश को बोली अंकल इसे बड़ा शौक है अपनी चूत की धहाज़िया उड़वाने का आज इसकी चूत की धहाज़िया ही उड़ानी है मैं डर गयी मैं बोली पिंकी क्या बोल रही है तू, पर सुरेश ने मेरे मूह से लंड निकाला लंड निकलते ही टक की आवाज़ आई. 


सुरेश और रमेश मुझे खींच कर पिंकी के पास ले गये पिंकी की चूत मे मनोज का लंड सटा-सॅट आ जा रहा था उसकी चूत की दोनो किनारिया दूर तक अलग हुई पड़ी थी मनोज की स्पीड इतनी तेज़ थी कि बस लंड सिर्फ़ चमकता था मैं पिंकी की चुदाई मे खो सी गयी मैं झुकी तो हुई थी रमेश ने मुझे थोड़ा और झुका दिया रमेश अंकल ने मेरी टांगे खुलवा कर अपना लंड मेरी चूत पर लगाया तो मैं चोकते हुए बोली अंकल अंदर मत करना पिंकी बोली क्यू मैं बोली मुझे इनके मुड़े हुए लंड से डर लग रहा रहा है रमेश बोला ये मुड़ा हुआ लंड तेरी मा को बहुत पसंद है उसने मेरी कमर पकड़ के ज़ोर से धक्का मारा तो छ्होटा गुबारा फटने की आवाज़ आई और लंड चूत को फाड़ता हुआ अंदर चला गया मेरे मूह से भयनकर चीख निकली आआआआआहह ऊऊऊऊ ऊओ मर गई ईईइ उउईईईईईईईईईई माआआआआ ऊऊऊओ माआआआआ फत्त्तटटटटतत्त गैिईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊ आआआअ हहूओ ऊऊहह हमाआआआआ आआआआ बाहर निकालो प्ल्ज़ बहुत दर्द हो रहा है पिंकी बोली साली दो मिनिट रुक जा तू ही बोलेगी और अंदर डालो, रमेश ने धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट किए मैं उउउउउआआअ कर रही थी रमेश बोला कुसुम पूरा डाल दू पिंकी बोली अभी इस हरंजड़ी के अपना पूरा लोड्‍ा अंदर नही डाला रमेश ने दुबारा धक्का मारा उसका लंड छूट को चीरता हुआ मेरी बच्चे दानी को टच करने लगा मैं चीखती रही पर रमेश ने स्पीड से धकके मारने शुरू कर दिए, उधर पिंकी झड़ने वाली थी वो आंट-शॅंट बोल रही थी आआआ......राजा ज़ोर से चोदो अपनी रानी को मुझे चोद चोद के मार डालो मनोज भी झड़ने वाला था मनोज भी बोल रहा ले संभाल इसको अपनी चूत मे ले मैं आअ रहा हू आआआ मैं गया 


जैसे ही मनोज झाड़ा दो काम एक साथ हुए, मनोज ने अपना टपकता लंड मेरे मूह मे डाल दिया और सुरेश ने पिंकी को अपने उप्पर खींच के पिंकी की चूत मे लंड घुसा दिया मेरे मूह मे मनोज का लंड झाड़ रहा था उसके लंड से पिंकी की चूत का स्वाद आ रहा था पूरी तरह झड़ने के बाद भी मनोज का लंड बड़ा दिख रहा था मैं लंड पकड़ कर बोली पिंकी अपनी चूत मे इतना बड़ा लंड कैसे ले गयी, पिंकी सुरेश के लंड पर बैठे थी सुरेश ने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने उप्पर लिटा लिया पिंकी की चुचिया रमेश की छाती से दब गयी और पिंकी के चुतताड बाहर को उभर आए सुरेश ने अपनी टांगे मोड़ के धक्के मार रहा था मैं पिंकी की ओर देख रही थी तो रमेश ने मुझे उठाया और पिंकी की चूत के पास ले आया वाहा मुझे कुत्ति की तरह झुका के पीछे से लंड दुबारा घुसा दिया मेरा मूह पिंकी के चुतताड़ो की तरफ था मनोज ने मेरा मूह पिंकी की गांद पर लगा दिया मैं पिंकी की गांद चाटने लगी पिंकी के मूह से सिसकारिया निकल रही थी मेरी जीब थोड़ी सी नीचे आई तो वो सुरेश के लंड को टच कर रही थी मैं सुरेश की गोलिया सहला रही थी तभी सुरेश ने लंड निकाला मैने उसे चूस के दुबारा पिंकी की चूत मे डाल दिया मैं अपने चरम पर थी मैं रमेश को बोली अंकल तेज़ चोदो मुझे और हा सनडे को मम्मी आ रही है मैने मम्मी के साथ चुदना है रमेश बोला ये कैसे होगा मैं बोली मैं और मम्मी साथ मे चुद चुकी है पिंकी बोली मैं भी बुआ के साथ चुड़ूँगी रमेश ने स्पीड बढ़ाते हुए कहा ठीक है मैं उुआअ कर रही तभी मेरा बदन कस गया और मैं निढाल सी पड़ गयी रमेश ने भी मेरी चूत मे पिचकारी मारनी स्टार्ट कर दी उधर पिंकी और सुरेश झाड़ चुके थे सारी रात मैं और पिंकी ऐसे ही चुद्ती रही . 

समाप्त 
 
शीला इन ट्रेन 

दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी के साथ हाजिर हूँ एक दिन हमारी मौसी (मदर'स सिस्टर) डिस्ट.-गया के विलेज-टेकरि से आई मुझे और शीला को अपने साथ गाओं अपनी लड़की गीता की मँगनी में ले जाने के लिए. हम दोनो भाई-बेहन का टिकेट अपने साथ बनाकर लेने आई.मम्मी हमसे कही जब तुम्हारे मौसी इतनी दूर से खुद लेने आई तो जाना तो पड़ेगा ही. लेकिन शीला की स्कूल भी खूलि है इसलिए जाओ और मँगनी के बाद दूसरे दिन वापस आ जाना. वापसी का टिकेट अभी ही जाकर लेलो.

मैं देल्ही रेलवे स्टेशन गया वहाँ किसी भी ट्रेन की दो दिन की वापसी टिकेट नहीं मिली. अंत मे मैं झारखंड एक्सप्रेस का 98, 99 वेटिंग का ही टिकेट लेकर आ गया कि नहीं कन्फर्म होने पर टीटी को पैसे देकर ट्रेन पर ही सीट ले लेंगे. 29थ ऑक्टोबर. 2000 को मैं और शीला अपनी मौसी (मदर'ससिसटेर) के बेटी (गीता) के मँगनी से वापस लौट रहे थे. 

डिस्ट-गया (बिहार) के टेकरि गाओं मे हमारी मौसी रहती थी. मौसी ने गीता की मँगनी में शीला को लाल रंग के लंगा- चोली खरीद कर दी थी जिसे पहनकर शीला मेरे साथ देल्ही वापस लौट रही थी. टेकरि गाओं के चौक पर हम लोग गया रेलवे स्टेशन आने के लिए ट्रेकर (जीप) का एंतजार कर रहें थे. इतने में वहाँ एक कुतिया (बिच) और उसके पिछे-पिछे एक कुत्ता (डॉग) दौड़ता हुआ आया. कुतिया हम लोगो से करीब 20 फ्ट. की दूरी पर रुक गयी. कुत्ता उसके पिछे आकर कुतिया की बुर (कंट/चूत) चाटने लगा और फिर दोनो पैर कुतिया के कमर पर रखकर अपनी कमर दना दान चलाने लगा. जिसे मैं और शीला दोनो देखें. कुत्ता बहूत रफ़्तार से 8-10 धक्का घपा- घाप लगाकर केरबेट ले लिया. दोनो एक दूसरे में फँस गये. ये सीन हम दोनो भाई-बहन देखें. इतने में गाओं के कुच्छ लड़के वहाँ दौड़ते हुए आए और कुत्ता-कुतिया पर पत्थर मारने लगे. कुत्ता अपने तरफ खींच रहा था और कुतिया अपनी तरफ. लेकिन जोट छ्छूटने का नाम ही नहीं ले रही थी. 

मैने शीला के तरफ देखा वो शर्मा रही थी लेकिन ये सीन उसे भी अच्छा लग रहा था मुझसे नीचे नज़र करके ये सीन बड़े गौर से देख रही थी. मेरा तो मूड खराब हो गया अब मुझे शीला अपनी बहन नहीं बल्कि एक सेक्सी लड़की की तरह लग रही थी. अब मुझे शीला ही कुतिया नज़र आने लगी. मेरा लंड पैंट में खड़ा हो गया. लेकिन इतने में एक ट्रीकर (जीप) आई .हम दोनो जीप में बैठ गये. जीप में एक ही सीट पर 5 लोग बैठे थे जिस से शीला मुझसे चिपकी हुई थी. मेरा ध्यान अब शीला की बुर (कंट/चूत) पर ही जाने लगा. हमलॉग स्टेशन पहुँचे. मैं अपना टिकेट कन्फर्मेशन के लिए टी.सी. ऑफीस जाकर पता किया. लेकिन मेरा टिकेट कन्फर्म नहीं हुआ था. फिर मैं सोचा किसी भी तरह एक भी सीट लेना तो पड़ेगा ही.टी.सी. ने बताया आप ट्रेन पर ही टी.टी. से मिल लीजिएगा शायद एक सीट मिल ही जाएगा. ट्रेन टाइम पर आ गई. शीला और मैं ट्रेन पर चढ़ गये.टी.टी. से बहूत रिक्वेस्ट करने पर .200 में एक बर्त देने के लिए अग्री हुआ.टी.टी. एक सिंगल सीट पर बैठा था वो कहा आप लोग इस सीट पर बैठ जाओ जब तक हम आते है कोई सीट देखकर. मैं और शीला गेट की सीट पर बैठ गये रात के करीब 10 बज रहे थे खिड़की से काफ़ी ठंडी हवाएँ चल रही थी. हमलॉग शाल से बदन ढक कर बैठ गये. इतने में टीटी आकर हम लोगो को दूसरे बोगी में एक अप्पर बर्त दिया. मैने 200 रुपीज़ टी.टी. को देकर एक टिकेट कन्फर्म करवा कर अपने बर्त पर पहेले शीला को उप्पेर चढ़ाया चढ़ते समय मैं शीला के चूतड़ (बूट्तुक) कस्के दबा दिया था सिला मुस्कुराती हुई चढ़ि फिर मैं भी उपेर चढ़ा. 

सारे स्लीपर पर लोग सो रहें थे. हमारे स्लीपर के सामने स्लीपर पर एक 7 एअर की गर्ल सो रही थी जिसकी मम्मी दादी मिड्ल और नीचे के बर्त पर थे. सारी लाइट पंखे बंद थे सिर्फ़ नाइट बल्ब जल रही थी. ट्रेन अपनी गति में चल रही थी. शीला उप्पेर बर्त में जाकर लेट रही थी. मैं भी उप्पेर बर्त पर चढ़कर बैठ गया. शीला मुझसे कहने लगी लेटोगे नहीं. मैने कहा कहाँ लेटू जगह तो है नहीं इस पर वो कारबट लेकर लेट गयी और मुझे बगल में लेटने कहा. मैं भी उसीके बगल में लेट गया.और शाल ओढ़ लिया. जगह छोटी होने के कारण हम दोनो एकदूसरे से चिपके हुए थे. शीला का चून्ची मेरे चेस्ट से दबी हुई थी. मुझे तो शीला की चूत (बुर) पर पहले से ही ध्यान था. मैने और भी अपने से चिपका लिया. शीला से कहा. और इधर आ जा नही तो नीचे गिरने का डर है. वो और मुझसे चिपक गयी. शीला अपनी जाँघ मेरे जाँघ (थाइ) के उपर रख दी. उसका गाल मेरे गाल से सटा था. मैं उसके गाल से उपना गाल रगड़ने लगा. मेरा लंड धीरे- धीरे खड़ा हो गया. मैं अपना एक हाथ शीला की कमर पर ले गया और और धीरे -धीरे उसका लहनगा उपर कमर तक खींच-खींच कर चढ़ाने लगा. 

शीला की साँसे भी तेज चलने लगी थी. मैने उसका लहनगा कमर के उपर कर दिया और उसकी चूतड़ सहलाने लगा. मैं उसकी पॅंटी पर से हाथ घुमा कर देखने लगा बुर (चूत) के पास उसकी पॅंटी गीली थी उसकी बुर से चिप-चिपा लार निकला था जो मेरे उंगलियों को चट-चटा कर दिया. मैं पॅंटी के अंदर से हाथ डालकर बुर के पास ले गया उसकी बुर लार से भींगी हुई थी. मैं बुर को सहलाने लगा शीला ने अपने होठ मेरे होंठो पर रख दिए और मेरे होठ को उपने मुँह में लेकर चूसने लगी. मुझे एक बरगी पूरा बदन में जोशआ गया मैं एक हाथ शीला के ब्रेस्ट में डालकर उसके संतरे जैसे चूची को सहलाने लगा. उसकी चूची की निपल काफ़ी छ्होटी थी उसे मैं उपने मुँह मे लेकर चूसने लगा. और पहले एक उंगली शीला की बुर मे धूका दी. बुर गीली होने के कारण आसानी से उंगल बुर में चला गया. फिर दो उंगली एक बार मे धूकने लगें इस पर शीला कस-मसाने लगी मैं एक हाथ से उसकी निपल की घुंडी मसल रहा था और एक हाथ उसकी बुर से खिलवाड़ करने लगा . मैं किसी तरह धीरे-धीरे दोनो उंगली उसकी बुर में पूरा घुसेड दिया. और दोनो उंगली को चौड़ा करके उसकी बुर में चलाने लगा. 

शीला सिसियाने लगी और अपनी हाथ मेरी पॅंट के जिप के पास लाकर जिप खोलने लगी. मैने भी जिप खोलने में उसकी मदद की और अपना लंड शीला के हाथ में दे दिया. शीला मेरे लंड के सूपदे को सहलाने लगी. उसको मेरा लंड सहलाने से बहूत मज़ा मिला मैं उसकी बुर में इसबार तीन उंगली एकसाथ डालने लगा. बुर से काफ़ी लार गिरने लगा जिस से मेरा हाथ और शीला की पैंटी पूरी भींग गयी. लेकिन इस बार तीनो उंगली बुर में नहीं जा रही थी मैने एक हाथ से बुर को चीर कर रखा और फिर तीनो उंगली एक साथ डाली शीला मेरे हाथ पकड़ कर बुर के पास से हटाने लगी शायद इस बार तीनो उंगली से बुर दर्द करने लगी होगी लेकिन मैं उसके होठ अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा और किसी तरह तीनो उंगली आधा जाकर ही अटक गयी .

मैं जोश में आ गया और शीला की पैंटी एक साइड करके अपना लंड उसके बुर के च्छेद में धूकने लगा. लंड का सूपड़ा ही बुर में घुसा कि शीला मेरे कन में कहने लगी धीरे- धीरे धुकाओ बुर दर्द कर रही है. मैने थोड़ा सा पोज़िशन लेकर उसके चूतड़ को ही उपने लंड पर दबाया तो एक 1/4 हिस्सा उसकी बुर में गया. मैं उसे ज़्यादा परेशान नहीं करना चाहता था.मैने सोचा पूरा लंड बुर में में धूकाने पर उसके मुँह से चीख निकलेगी और लोग जाग भी सकते हैं इसीलिए मैं 1/4 हिस्सा उसकी बर में घुसाकर अंदर बाहर करने लगा. पैंटी के किनरो ने साइड से मेरे लंड को कस्स रखा था इसलिए मुझे चोदने में काफ़ी मज़ा मिल रहा था शीला भी चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने में मेरा साथ देने लगी.धीरे- धीरे पैंटी भी लंड को कसकर बुर पर चांपे हुए थी.पैंटी के घर्सन से लंड भी बुर में पानी छ्चोड़ने के लिए तैयार हो गया. 


मैने शीला की कमर को कसकर अपनी कमर में चिपकाए मेरे लंड पानी छ्चोड़ दिया .शीला की पैंटी पूरा भींग गयी.शायद सर्दी के रात के कारण उसे ठंढ लगने लगी फिर उसने अपनी पैंटी धीरे से उतारकर उसी से अपनी बुर पोंच्छ कर पैंटी अपनी हॅंड बॅग में रख ली. 

फिर मैं और शीला एक दूसरे से चिपक कर सोने लगें. लेकिन हम दोनो के आँखों में नींद कहाँ. मैं शीला के कान में कहा कुतिया बनकर कब चुदवाओगी. तब शीला कहने लगी घर चल कर चाहे कटीया बनाना या गाय (काउ) बनाकर चोदना यहाँ तो बस धीरे-धीरे मज़ा लो. हमलॉग शाल से पूरा बदन धक रखे थे. शीला फिर मेरे लंड को लेकर मसल्ने लगी मैं भी उसकी बुर के टिट को कुरेद कर मज़ा लेने लगा. आब शीला मुझसे काफ़ी खूल चुकी थी.मेरे होठ को चूस्ते हुए मेरे लंड मसले जा रही थी उसके हाथो की मसलन से फिर मेरा लंड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते मेरा लंड शीला की मुट्ठी से बाहर आने लगा. शीला बहूत गौर से मेरे लंड की लंबाई- चौड़ाई नापी 9 इंचस का लंड देख कर हैरान हो मेरे कान में कही इतना मोटा-लंबा लंड तूने मेरी बुर में कैसे धुका दिया. मैने कहा अभी पूरा लंड कहाँ धूकाया हूँ मेरी रानी अभी तो सिर्फ़ 1/4 हिस्सा से काम चलाया हूँ पूरा लंड तो तुम जब घर में कुतिया बनोगी तो हम कुत्ता बनकर डॉगी स्टाइल में पूरे लंड का मज़ा चखाएँगे. 

इसपर वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे गॉल में दाँत से काटने लगी फिर मैने उसके कान में धीरे से कहा शीला तुम ज़रा कारबट बदलकर सो जाओ. तुम अपनी गंद (आस होल) मेरे लंड की तरफ करके सो जाओ. उसपर वो मेरे कान में कहने लगी. नहीं बाबा गंद मारना हो तो घर में मारना यहाँ मैं गंद मारने नहीं दूँगी. फिर मैने उस से कहा नहीं रानी मैं तुम्हारी गंद नहीं मारूँगा मैं तुम्हे लंड-बुर का ही मज़ा दूँगा. फिर वो कारबट बदल दी. मैने शीला के दोनो पैर मोड़ कर शीला के पेट (बेल्ली) में सटा दिया जिस से उसकी बुर पिछे से रास्ता दे दी.मैं उसकी गंद अपने लंड की तरफ खींच कर उसकी पैर उसके पेट से चिपका दिया और बुर में पहले दो उंगली डालकर बुर के छेद को थोडा फैलाया फिर दोनो उंगली बुर में डालकर उंगली बुर में घुमा दिया शीला उस पर थोड़ा चिहुकी. 

फिर मैं उसके गाल पर एक चुम्मा लेकर अपने लंड को शीला की बुर में धीरे-धीरे घुसाने लगा. बहुत कोशिश के बाद आधा लंड बुर में घुसा मैं शीला से ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा लेना और देना चाहता था. इसलिए बहुत धीरे- धीरे घुसाया और एक हाथ से उसकी निपल की घुंडी मसल्ने लगा. मैने देखा अब शीला भी अपनी गंद मेरे लंड की तरफ चांप रही है. 

फिर शीला की बुर ने हल्का सा पानी छ्चोड़ा जिस से मेरा लंड गीला हो गया और लंड बुर में अंदर- बाहर करने पर थोड़ा और अंदर गया अब सिर्फ़ 1/4 हिस्सा ही बाहर रहा. और मैं धीरे-धीरे अपनी कमर चलाकर शीला को दुबारा चोदने लगा. शीला भी अपनी गंद हिला-हिला कर मज़े से चुदवाने लगी. इस बार करीब एक घंटे तक दोनो चोदा-चोदि करते रहें. ट्रेन ने एक बार कहीं सिग्नल नहीं मिलने के कारण ऐसा ब्रेक मारा कि शीला के चुतताड ने पिछे के तरफ हाचाक से दवाब डाला जिस से मेरा पूरा लंड खचाक से शीला की बुर में पूरा चला गया शीला के मुँह से भयानक चीख निकलने ही वाली थी कि मैने अपने एक हाथ से शीला का मुँह बंदकर दिया और एक हाथ से उसकी दोनो चूची बारी- बारी से मसल्ने लगा. मैं तो ट्रेन पर उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन ट्रेन की मोशन में ब्रेक लगने के कारण ऐसा हुआ. शीला धीरे-धीरे सिसक रही थी. मैं अपने लंड को स्थिर रख कर पहले शीला की दोनो चूची को कासके मसल रहा था. फिर थोड़ी देर बाद उसे राहत मिली और शीला अब खुद अपनी कमर आगे- पिछे करने लगी. शायद अब उसे दर्द के जगह पर ज़्यादा मज़ा आने लगा. 

मेरा हाथ शीला की बुर पर गया मैने देखा उसकी बुर से गरम-गरम तरल पदार्थ गिर रहा है मैं समझ गया कि ये बुर का पानी नहीं बल्कि बुर की झिल्ली फटने से बुर से खून (ब्लड) गिर रहा है.मैने शीला से ये बात नहीं कही क्योंकि वो घबडा जाती मैने अपने पैंट से रूमाल निकाल कर उसकी बुर से गिरे सारे खून को आछि तरह से पोंच्छ दिया और शीला को अपनी गंद आगे- पीछे करते देख कर मैं भी घपा-घपप धक्का दे-देकर चोदने लगा. शीला अब मज़े से चुदवाये जा रही थी. जब मैने 10-15 धक्का आगे पिछे होकर लगाए तो शीला की बुर ने पानी छ्चोड़ दिया. मैं शीला की दोनो संतरे जैसी चूची मसल-मसल कर चोदने लगा. करीब 10 मिनिट तक बुर में लंड अंदर- बाहर करके चोद्ते हुए मैने भी पानी छ्चोड़ दिया. और मैं 5 मिनिट तक अपना लंड बुर में डाले पड़े रहा. जब मेरा लंड सिकुड गया तब फिर बुर से बाहर निकालकर फिर अपने रुमाल से बुर और लंड पोंच्छ कर साफ करके रुमाल ट्रेन की विंडो से बाहर फेंक दिया. इस समय सुबह के 4:35. बज रहे थे. अब हम दोनो भाई- बेहन एक दूसरे से खुल कर प्यार करने लगे. 

समाप्त 
 
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