hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
हमारी हँसी सुन के माँ कमरे में आईं और मुझे पिताजी का फोन देते हुए बोलीं;
माँ: बेटा बच्चों को हँसता-खेलता देख के दिल खुश हो गया है| अब बहु को भी हँसा दे?
मैं: मैंने पिक्चर जाने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया| आप उन्हें तैयार करो बाकी मुझ पे छोड़ दो, I Promise वो हँसती हुई वापस आएँगी|
माँ: मैं अभी बात करती हूँ|
माँ चली गईं और बच्चों को मैंने homework करने में लगा दिया| और मैं खुद laptop चालु कर के project reports बनाने लगा|
कमरे से आ रही इनकी और बच्चों की हँसने की आवाज से मैं मन्त्र मुग्ध हो गई थी| आज 24 घंटों बाद मुझे घर में हँसी सुनाई दी थी| मन ही मन मैं सोच रही थी की काश मैं भी वहाँ होती.... पर उस समां मैंने ये सोच के संतोष कर लिया की मैं नहीं तो क्या...मेरे बची...मेरे वो ...तो खुश हैं! मैं डाइनिंग टेबल पे बैठी मटर छील ने के काम में फिर से जुट गई, की तभी माँ आके बैठीं और बोलीं; "बहु...देख बाहर जा थोड़ी हवाबयार लगेगी....मन बदलेगा...तेरा भी और मानु का भी|" अब मैं भला उनकी बात कैसे टाल सकती थी| हालाँकि उनका कहना था की मैं खुश रहूँ पर मैं तो सिर्फ इनकी और बच्चों की ख़ुशी चाहती थी| तो मैं उठी और अंदर कमरे में गई, ये पलंग पे बैठे लैपटॉप पे कुछ काम कर रहे थे| "क्या मैं Laptop use कर सकती हूँ?" इन्होने कुछ कहना चाहा पर मैं Laptop ले के बाहर आ गई| पता नहीं क्यों मैं इनका सामना करने से डर रही थी| मई वापस डाइनिंग टेबल पे बैठ गई और माँ के सामने BOOK MY SHOW साइट खोली और PK मूवी की टिकट्स बुक करने लगी| पर कोई भी recent show खाली नहीं था| मैंने माँ से ही पूछा; "माँ....सारे show booked हैं, सिर्फ रात के show ही खाली हैं?" माँ बोलीं; "तो बेटी रात को चले जाना! इसमें पूछने की बात क्या है? बच्चों की भी तो छुट्टियां चल रही हैं| बस उसे कहना की गाडी संभाल के चलाये!" "जी माँ" मैंने इतना कहा और चार tickets बुक कर दीं और लैपटॉप उठा के इन्हें देने कमरे में आ गई| मैंने booking page change नहीं किया और as it is इन्हें laptop दे के जाने लगी...तभी पीछे से इन्होने पूछा; "खाना बाहर ही खाएं?" मैंने मुड़ के इन्हें देखा पर हिम्मत नहीं हुई की इनसे बात करूँ| पर किसी तरह जवाब दिया; "जी"और मैं वापस आके अपने काम में लग गई और माँ को बता दिया की हम सात बजे निकलेंगे और ग्यारह बजे तक लौट आएंगे| मुझे उनके सामने जाने से डर रही थी क्यों की मुझे पता था की मैं उनके सामने अपना प्यार जो उनके प्रति था उसे व्यक्त नहीं कर सकती थी......और मुझे बहुत बुरा लगता था की वो मुझसे अपने प्यार का इजहार कर रहे हैं और मैं जानते-बुझते हुए चुप रहती हूँ ...कोई प्रतिक्रिया नहीं देती| जो मेरे हिसाब से गलत भी है| और अगर मैं इनके ज्यादा पास रहती तो ये मेरा मन अवश्य पढ़ लेते और टूट जाते!
______________________________
माँ: बेटा बच्चों को हँसता-खेलता देख के दिल खुश हो गया है| अब बहु को भी हँसा दे?
मैं: मैंने पिक्चर जाने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया| आप उन्हें तैयार करो बाकी मुझ पे छोड़ दो, I Promise वो हँसती हुई वापस आएँगी|
माँ: मैं अभी बात करती हूँ|
माँ चली गईं और बच्चों को मैंने homework करने में लगा दिया| और मैं खुद laptop चालु कर के project reports बनाने लगा|
कमरे से आ रही इनकी और बच्चों की हँसने की आवाज से मैं मन्त्र मुग्ध हो गई थी| आज 24 घंटों बाद मुझे घर में हँसी सुनाई दी थी| मन ही मन मैं सोच रही थी की काश मैं भी वहाँ होती.... पर उस समां मैंने ये सोच के संतोष कर लिया की मैं नहीं तो क्या...मेरे बची...मेरे वो ...तो खुश हैं! मैं डाइनिंग टेबल पे बैठी मटर छील ने के काम में फिर से जुट गई, की तभी माँ आके बैठीं और बोलीं; "बहु...देख बाहर जा थोड़ी हवाबयार लगेगी....मन बदलेगा...तेरा भी और मानु का भी|" अब मैं भला उनकी बात कैसे टाल सकती थी| हालाँकि उनका कहना था की मैं खुश रहूँ पर मैं तो सिर्फ इनकी और बच्चों की ख़ुशी चाहती थी| तो मैं उठी और अंदर कमरे में गई, ये पलंग पे बैठे लैपटॉप पे कुछ काम कर रहे थे| "क्या मैं Laptop use कर सकती हूँ?" इन्होने कुछ कहना चाहा पर मैं Laptop ले के बाहर आ गई| पता नहीं क्यों मैं इनका सामना करने से डर रही थी| मई वापस डाइनिंग टेबल पे बैठ गई और माँ के सामने BOOK MY SHOW साइट खोली और PK मूवी की टिकट्स बुक करने लगी| पर कोई भी recent show खाली नहीं था| मैंने माँ से ही पूछा; "माँ....सारे show booked हैं, सिर्फ रात के show ही खाली हैं?" माँ बोलीं; "तो बेटी रात को चले जाना! इसमें पूछने की बात क्या है? बच्चों की भी तो छुट्टियां चल रही हैं| बस उसे कहना की गाडी संभाल के चलाये!" "जी माँ" मैंने इतना कहा और चार tickets बुक कर दीं और लैपटॉप उठा के इन्हें देने कमरे में आ गई| मैंने booking page change नहीं किया और as it is इन्हें laptop दे के जाने लगी...तभी पीछे से इन्होने पूछा; "खाना बाहर ही खाएं?" मैंने मुड़ के इन्हें देखा पर हिम्मत नहीं हुई की इनसे बात करूँ| पर किसी तरह जवाब दिया; "जी"और मैं वापस आके अपने काम में लग गई और माँ को बता दिया की हम सात बजे निकलेंगे और ग्यारह बजे तक लौट आएंगे| मुझे उनके सामने जाने से डर रही थी क्यों की मुझे पता था की मैं उनके सामने अपना प्यार जो उनके प्रति था उसे व्यक्त नहीं कर सकती थी......और मुझे बहुत बुरा लगता था की वो मुझसे अपने प्यार का इजहार कर रहे हैं और मैं जानते-बुझते हुए चुप रहती हूँ ...कोई प्रतिक्रिया नहीं देती| जो मेरे हिसाब से गलत भी है| और अगर मैं इनके ज्यादा पास रहती तो ये मेरा मन अवश्य पढ़ लेते और टूट जाते!
______________________________