राज सन्न रह गया ।
एकदम सन्न ।
वह हैरत से आंखें फाड़-फाड़कर इंस्पेक्टर योगी को इस तरह देखने लगा, मानों साक्षात् कुतुबमीनार उसके सामने आकर खड़ी हो गयी हो ।
उसने तो कल्पना भी नहीं की थी कि पुलिस इतने मामूली से प्वॉइंट को लेकर इतनी जल्दी उस तक पहुँच जायेगी ।
बहरहाल योगी ने उसके तमाम सपनों को तोड़ दिया था ।
योगी ने साबित कर दिया था, कानून के हाथ वाकई बहुत लम्बे होते हैं ।
जिनसे कोई नहीं बच सकता ।
“अगर तू अब भी यही कहता है ।” इंस्पेक्टर योगी बड़े सब्र के साथ बोला- “कि तेरी ऑटो रिक्शा की पिछली सीट पर चीना पहलवान की लाश नहीं बल्कि गर्भ धारण किये हुए कोई लड़की ही थी, तो तू कह सकता है । मुझे कोई ऐतराज नहीं । लेकिन फिर तू मुझे उस हॉस्पिटल का नाम बता, जिसमें तूने गर्भधारण किये हुए उस लड़की को एडमिट कराया था ?”
राज चुप !
“इसके अलावा मुझे उस लड़की का भी नाम बता ।” योगी बोला- “जो गर्भ से थी । उस लड़की का एड्रेस भी बता, ताकि पुलिस उसके घर जाकर उससे पूछताछ कर सके और अपना यह शक दूर कर सके कि बुधवार की रात तेरी ऑटो रिक्शा में गर्भ धारण किये हुए कोई लड़की थी भी या नहीं थी ।”
राज फिर चुप !
फिर खामोश !
वह सिर्फ दहशतजदां आंखों से बार-बार सबके चेहरे देख रहा था ।
वो जानता था, वो एक बड़ी मुश्किल में फंस चुका है ।
“इन सब बातों के अलावा इसलिये भी तेरा अपराध साबित होता है ।” इस बार फ्लाइंग स्क्वॉयड का सब-इंस्पेक्टर बोला- “क्योंकि बुधवार की रात फ्लाइंग स्क्वॉयड दस्तों ने पूरी दिल्ली में सिर्फ दो बार ऑटो रिक्शा देखी । पहली बार ऑटो रिक्शा रीगल सिनेमा के पास देखी गयी, जबकि दूसरी बार मैंने मण्डी हाउस के करीब देखी । चूँकि रीगल सिनेमा के पास गश्तीदल के गार्डो ने चीना पहलवान को अपने पैरों से दौड़कर ऑटो रिक्शा में सवार होते देखा था, तो बात भी खुद-ब-खुद ही साबित हो जाती है कि चीना पहलवान ऑटो में बैठने के बाद मरा और ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने ही उसे इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के पास फेंका । इसके अलावा एक सबसे महत्वपूर्ण बात ये है ।” सब-इंस्पेक्टर ने अपने शब्दों पर पूरी तरह जोर दिया- “कि इंडिया गेट के आसपास गश्त लगाते फ्लाइंग स्क्वॉयड के और दस्तों ने भी तेरे अलावा किसी दूसरी ऑटो रिक्शा को उस इलाके में नहीं देखा । अगर वो किसी दूसरी ऑटो रिक्शा को देखते, तो हड़ताल होने की वजह से उनका खास ध्यान जरूर उस तरफ जाता । तुझे यह बात सुनकर हैरानी होगी राज, इंडिया गेट के आसपास गश्त लगाते फ्लाइंग स्क्वॉयड के अभी ऐसे दो दस्ते और हैं, जिन्होंने बुधवार की रात तेरी ऑटो रिक्शा उस इलाके में देखी और हड़ताल होने की वजह से उन्होंने तेरी ऑटो रिक्शा का नम्बर भी नोट किया ।”
राज के मस्तिष्क में अनार-पटाखे छूटने लगे ।
उसे अपना दिमाग अंतरिक्ष में चक्कर काटता महसूस हुआ ।
☐☐☐
“ल...लेकिन यह जरूरी तो नहीं ।” राज लगभग हथियार डालता हुआ बोला- “कि चीना पहलवान की हत्या भी उसी ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने की हो, जो ऑटो रिक्शा में चीना पहलवान को रीगल के पास से लेकर भागा था ?”
“बिल्कुल जरूरी है ।” योगी दृढ़ लहजे में बोला- “बिल्कुल उसी ऑटो ड्राइवर ने ही चीना पहलवान की हत्या की है ।”
“क...क्यों जरूरी है ?”
“क्योंकि कोई और हत्या कर ही नहीं सकता ।” योगी पहले की तरह ही दृढ़ लहजे में बोला- “कोई और प्राइम सस्पेक्ट है ही नहीं । जब चीना पहलवान सही-सलामत अपने पैरों पर भागता हआ ऑटो में बैठा, तो उसकी हत्या ऑटो ड्राइवर के अलावा और कौन कर सकता है ? फिर उसी ऑटो ड्राइवर ने ही चीना पहलवान की लाश को ठिकाने भी लगाया । यानि दोनों जगह एक ही आदमी मौजूद था । चीना पहलवान की सलामती पर भी और उसके इस दुनिया से कूच कर जाने के बाद भी । यह सारी हरकत एक ऑटो ड्राइवर की है और वह ऑटो ड्राइवर तू है, सिर्फ तू ।”
“न...नहीं, मैं नहीं हूँ ।”
“तू झूठ बोल रहा है ।” इंस्पेक्टर योगी ने एकाएक उसे इतनी जोर से घुड़का कि राज की सारी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी ।
“म...मैं निर्दोष हूँ ।” फिर भी राज ने आर्तनाद किया- “म...मैं बेकसूर हूँ साहब !”
“तू बेकसूर नहीं, तू निर्दोष भी नहीं ।” योगी उसे कहर बरपा करती आंखों से घूरता हुआ बोला- “सच्चाई ये है कि तू एक बेहद चालाक अपराधी है, तू आदि मुजरिम है, मुझे तो यही सोचकर हैरानी हो रही है कि तेरे जैसा दुर्दान्त अपराधी आज तक दिल्ली पुलिस की नजरों से बचा कैसे रहा ? तेरा नाम तो अपराधियों की लिस्ट में सबसे ऊपर होना चाहिये था ।”
“अ...आप मेरे बारे में बहुत खतरनाक अंदाजा लगा रहे हैं साहब, म...मैं ऐसा नहीं ।” राज थर-थर कांपते स्वर में बोला- “अच्छा, आप मेरे एक सवाल का जवाब दो ।”
“पूछ, वह भी पूछ ।”
“रीगल सिनेमा के पास वह दो गोलियां किसने चलायी थीं, जिनकी आवाज सुनकर आपके मुताबिक गश्तीदल के दोनों पुलिसकर्मी गली में दौड़े थे ?”
“खुद चीना पहलवान ने वो गोलियां चलायी थीं ।” योगी ने एकदम से जवाब दिया ।
“च...चीना पहलवान ने ?” राज के दिमाग में एक और बम फटा- “प...पुलिसकर्मियों ने क्या चीना पहलवान को गोलियां चलाते देखा था ?”
“नहीं देखा ।”
“फ...फिर आप कैसे कह सकते हैं कि वह गोलियां चीना पहलवान ने चलायी थीं ? यह भी तो हो सकता है साहब, वह गोलियां चीना पहलवान के ऊपर किसी ने चलायी हों ?”
“नहीं, ऐसा नहीं हो सकता ।” योगी ने पूरे यकीन के साथ इंकार में गर्दन हिलाई ।
“क्यों नहीं हो सकता ?” राज की आंखों में हैरानी के भाव तैरे- “क्या मुश्किल है ?”
“क्योंकि अगर किसी ने वह गोलियां चीना पहलवान पर चलाई होतीं, तो चीना पहलवान के जिस्म पर खून के धब्बे तो होते ? कुछ निशान तो होते, जिनसे साबित होता कि उसे गोलियां लगी हैं ? जबकि रीगल सिनेमा के सामने गश्तीदल के जिन पुलिसकर्मियों ने पहलवान के शरीर पर खून का कैसा भी कोई धब्बा नहीं देखा था ।”
राज सन्न-सा खड़ा रह गया ।
उसे फौरन याद आया कि चीना पहलवान जब उसकी ऑटो में आकर बैठा था, तो खून के धब्बे उसे भी नहीं दिखाई दिये थे, क्योंकि चीना पहलवान ने ऊपर से नीले रंग की बरसाती जो पहन रखी थी ।
“ज...जरूर चीना पहलवान ने वो बरसाती गोलियां लगने के बाद भागते-भागते पहनी होगी ।
राज को अपने हाथ-पैरों की जान निकलती महसूस हुई ।
उसे लगा, जैसे वह किसी भयानक षड्यन्त्र का शिकार होता जा रहा है ।
“ल...लेकिन चीना पहलवान ने रीगल सिनेमा के पास वह दो गोलियां क्यों चलायी थीं ?”
“जरूर उसने किसी से काले रंग का वह ब्रीफकेस छीनने के लिये उस पर गोलियां चलायी होंगी, जिसे लेकर वह भागते देखा गया ।” योगी ने कल्पना की एक नई उड़ान बड़े खूबसूरत ढंग से पेश की ।
“क्या किसी ने छीना-झपटी की ऐसी कोई रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी ?”
“नहीं ।”
“अगर किसी के साथ ऐसा हादसा हुआ था ।” राज बोला- “तो उसने रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं करायी ?”
“मूर्ख आदमी, तुम क्या समझते हो कि गैंगस्टर या मवाली किस्म के लोग ऐसी वारदातों की रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में दर्ज कराते हैं ?”
“य....यानि आपका मतलब !” राज चौंककर बोला- “जिससे चीना पहलवान की झड़प हुई, वह भी चीना पहलवान की तरह ही कोई बड़ा बदमाश था ? हिस्ट्रीशीटर मवाली था ?”
“एग्जेक्टली ! वह भी कोई मवाली ही था ।” योगी बोला- “और उस ब्रीफकेस को हथियाने के लिए तुम चीना पहलवान के मददगार के तौर पर उसके साथ थे । चीना पहलवान को ब्रीफकेस छीनना था और तुम्हें चीना पहलवान को ऑटो में बिठाकर घटनास्थल से फरार होना था । परन्तु तुमने ऐन मौके पर चीना पहलवान के साथ विश्वासघात कर दिया ।”
“व...विश्वासघात !!! वह क्यों ?”
“दरअसल चीना पहलवान जो ब्रीफकेस किसी से हथियाकर भागा था, उसमें जरूर कोई बहुत मूल्यवान वस्तु थी ।” इंस्पेक्टर योगी बोला- “कोई बड़ा माल-मत्ता था । उस मूल्यवान वस्तु को देखकर तुम्हारी नीयत खराब हो गयी और इसीलिये तुमने उस ब्रीफकेस को हड़पने की खातिर सबसे पहले चीना पहलवान की चुपचाप हत्या कर दी और फिर उसकी लाश भी इंडिया गेट की सुनसान झाड़ियों में डाल दी । यही वजह है कि वो ब्रीफकेस झाड़ियों में चीना पहलवान की लाश के नजदीक न पाया गया और उस ब्रीफकेस का वहाँ न पाया जाना ही इस बात की शहादत देता है कि उसके अंदर जरूर कोई खास वस्तु थी ।”
राज के दिमाग में और तेज धमाके होने लगे ।
जबकि उसके बाद इंस्पेक्टर योगी ने राज पर सीधे-सीधे चीना पहलवान की हत्या का इल्जाम लगाते हुए जो मनगढ़ंत कहानी सुनायी, उसने राज के रहे-सहे होश भी फना कर दिये ।
इंस्पेक्टर योगी एक-एक शब्द चबाते हुए बोला- “राज- तू बुधवार की रात को रीगल सिनेमा के सामने उपस्थित ही इसलिये हुआ था, ताकि तू चीना पहलवान को घटनास्थल से भगाकर ले जा सके । तू चीना पहलवान का पक्का हिमायती था, उसका दोस्त था । इतना ही नहीं, तुम दोनों के बीच पहले से ही सांठ-गांठ थी, तुम दोनों को यह बात एडवांस में ही मालूम थी कि रात के ग्यारह और बारह बजे के बीच में कोई अपराधी मोटा माल लेकर रीगल सिनेमा के पास से गुजरेगा, इसीलिये तुम दोनों वहाँ शिकारी कुत्ते की तरह घात लगाये बैठे थे । तुम दोनों की योजना उस अपराधी को लूटने की थी और जैसाकि हालातों से जाहिर है, तुम अपनी योजना में कामयाब हुए । यह बात अलग है कि ब्रीफकेस में मोटा माल देखकर तुम्हारी भी नीयत खराब हो गयी और तुमने उस मोटे माल को अकेले ही हड़पने की खातिर अपने दोस्त चीना पहलवान को भी ठिकाने लगा दिया ।”
“मैंने ऐसा कुछ नहीं किया ।” राज चिल्लाया- “और न ही मैं रीगल सिनेमा के सामने इसलिये मौजूद था, ताकि मैं पहलवान की मदद कर सकूँ ।”
“यानि तेरा चीना पहलवान के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था ?”
“बिल्कुल भी कोई सम्बन्ध नहीं था ।” राज गुर्राकर बोला- “मैं सोनपुर में जरूर रहता हूँ, लेकिन मैंने पहले कभी चीना पहलवान की शक्ल तक नहीं देखी थी ।”
“ठीक है, मैं मानता हूँ तेरी बात कि तूने पहले कभी चीना पहलवान की शक्ल तक नहीं देखी थी ।” इंस्पेक्टर योगी आवेश में नहले पर दहला मारता हुआ बोला- “तो फिर यह बता मेरे भाई, तू आधी रात के समय रीगल सिनेमा के सामने खड़ा क्या कर रहा था ? जब ऑटो ड्राइवरों की हड़ताल चल रही थी, तब तू इतनी रात को वहाँ क्या करने गया था ? कोई तो काम होगा तुझे वहाँ ?
कुलभूषणं फिर चुप !
फिर खामोश !
वो जानता था, उसकी उधार चुकाने वाली बात पर ‘योगी’ जैसा धुरंधर इंस्पेक्टर किसी हालत में यकीन नहीं करेगा ।
“और तूने अपनी ऑटो रिक्शा रीगल सिनेमा के सामने अंधेरे में क्यों खड़ी कर रखी थी ?” योगी कर्कश लहजे में बोला- “उसके पीछे भी तो कोई वजह होगी ? क्या उसकी इकलौती वजह यह नहीं थी कि तू चीना पहलवान के वहाँ पहुँचने से पहले गश्तीदल की आंखों से छिपना चाहता था ? क्या इसीलिये तूने अपनी ऑटो की पिछली नम्बर प्लेट पर मिट्टी भी नहीं पोत रखी थी ? ताकि भागते समय गश्तीदल के पुलिसकर्मी तेरी ऑटो रिक्शा का नम्बर भी नोट न कर सकें ? क्या यह सारी बातें झूठी हैं ?” योगी आंदोलित लहजे में बोला- “क्या इतनी ढेर सारी बातें झूठी हो सकती हैं राज ? और अगर यह सारी बातें झूठी हैं, तो फिर यह बता कि तेरी ऑटो रिक्शा की नम्बर प्लेट पर मिट्टी किसने पोती ?”
राज के दिमाग में आंधी चलने लगी ।
सांय-सांय आंधी !
उफ !
कितनी बुरी तरह फंस चुका था वह ।
अब राज इंस्पेक्टर योगी को कैसे समझाता कि ऑटो रिक्शा की नम्बर प्लेट पर मिट्टी उसने खुद नहीं पोती थी, वह तो इत्तेफाक से ऑटो का पिछला पहिया गारा भरे गड्ढे में जा गिरा और जरूर इसीलिये खुद-ब-खुद नम्बर प्लेट पर मिट्टी पुत गयी ।
फिर रीगल सिनेमा के सामने उसने अपनी ऑटो अंधेरे में भी इसलिये खड़ी कर रखी थी, ताकि यूनियन की हड़ताल चलने की वजह से गश्तीदल के पुलिसकर्मी उसे वहाँ से भगा न दें ।
फिर यह बात भी राज से बेहतर और किसको मालूम हो सकती थी कि जिन दो गोलियों की आवाज सुनकर गश्तीदल के पुलिसकर्मी गली में दौड़े थे, वह गोलियां चीना पहलवान ने नहीं चलायी थीं बल्कि वह गोलियां तो किसी ने चीना पहलवान पर चलायी थीं, जो बाद में उसकी मौत का कारण बनीं । अब यह तो भगवान जाने कि चीना पहलवान ने गोलियां लगने के बावजूद भागते-भागते इतनी जल्दी प्लास्टिक की बरसाती कैसे पहन ली ?
राज को लग रहा था, अगर उसने इंस्पेक्टर योगी को सारी हकीकत बता भी दी, तब भी वह उसकी बात पर यकीन नहीं करेगा ।
तब भी वो यही समझेगा कि वह कोई नया ‘षड्यन्त्र’ रच रहा है ।
फिर राज के पास अपनी बात को साबित करने के लिये सबूत भी तो नहीं थे, जबकि योगी के पास ऐसे ढेरों तर्क और सबूत थे, जिसके बलबूते पर वह अपनी मनगढ़ंत कहानी को भी अदालत में सच साबित कर सकता था ।
राज अपनी बेबसी पर झल्ला उठा ।
कल रात तक जो बातें उसे अपनी ताकत नजर आ रही थीं, वही अब उसकी कमजोरी बन चुकी थीं ।
पूरा खेल, पूरी कहानी पलट चुकी थी ।
☐☐☐