desiaks
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वह चीख डॉली ने भी सुनी ।
राज की चीख सुनते ही डॉली एकदम उछलकर खड़ी हो गयी । फिर वो आनन-फानन दरवाजा खोलकर बाहर निकली और बेपनाह फुर्ती से राज के घर की तरफ लपकी ।
उसके घर का दरवाजा खुला था ।
डॉली दनदनाती हुई अंदर घुसी ।
और !
अंदर घुसते ही डॉली के कंठ से भी तेज चीख खारिज होते-होते बची ।
फर्श के बिल्कुल बीचों-बीच एक लम्बे कड़ियल आदमी की लाश पड़ी थी, उसकी बरसाती आधी से ज्यादा खून में लथपथ थी । अजनबी की मौत दो गोलियां लगने से हुई थी, जो उसकी पीठ में धंसी थीं ।
इसके अलावा जो सबसे ज्यादा चौंका देने वाली बात थी, वो यह थी कि अजनबी ने काले रंग के ब्रीफकेस को मरने के बाद भी कसकर अपने सीने से चिपटा रखा था ।
“य...यह तुमने क्या किया ?” लाश को देखते ही डॉली के जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।
“म...मैंने !” थर्रा उठा राज ।
“क्या तुमने इसकी हत्या नहीं की ?”
“म...मैं भला इसकी हत्या क्यों करने लगा ?” राज कंपकंपाये स्वर में बोला- “म...मैं तो यह भी नहीं जानता कि ये कौन है ?”
“फिर इसकी लाश यहाँ कैसे आ गयी ?”
राज ने बड़ी तेजी से पूरी घटना सुना दी ।
सन्न रह गयी डॉली !
एकदम सन्न ।
घटना वाकई सनसनीखेज थी ।
“अ...अगर इसके पीछे पुलिस लगी थी ।” डॉली का सकपकाया स्वर- “तब तो संभव है कि पुलिस ने ही इसे गोली मारी हो ?”
“मुझे भी यही लगता है कि जरूर इसे पुलिस ने गोली मारी है ।” राज बोला- “यह कोई अपराधी है, जो पुलिस से बचकर भाग रहा था । इसके अलावा एक बात और मुमकिन है ।”
“क्या ?”
“मौके का फायदा उठाकर क्या पता इसके किसी सहयोगी ने ही इसे गोली मार दी हो ।”
“ओह !”
“क्या सोचने लगी डॉली ।”
“तुझसे भयंकर गलती हो चुकी है राज- त...तू फंस गया ।”
“य...यह क्या कह रही है तू ?” राज के होश फना हुए ।
“म...मैं सच कह रही हूँ, तू वाकई फंस गया, अब इस आदमी की हत्या का इल्जाम तेरे सिर पर आने वाला है ।”
“लेकिन मैं हत्यारा नहीं हूँ ।”
“सिर्फ तेरे कहने से कुछ नहीं होगा राज ।”
“कैसे कुछ नहीं होगा ।” राज झल्ला उठा- “अगर मैंने इसकी हत्या की होती, तो क्या मैं यूं ही इसकी लाश की नुमाइश करता ? इसे लेकर अपने घर में ही आता ? फिर इसकी हत्या गोली लगने से हुई है, जरा सोच मेरे जैसे मामूली आदमी के पास रिवॉल्वर जितना खतरनाक हथियार कहाँ से आ सकता है ? और अगर रिवॉल्वर जैसा हथियार आ भी गया, तो क्या उसे चलाना मेरे बसका है ?”
डॉली चुप ।
“फिर क्या मैं तुझे इतना ही बड़ा पागल नजर आता हूँ ।” राज बोला- “कि तेरी उधारी चुकाने के चक्कर में, मैं किसी की हत्या तक करने पर आमादा हो जाऊं ?”
“गया तो इसी तरह था ।” डॉली बोली- “जैसे आज कहीं से भी लायेगा । किसी का भी गला काटकर लायेगा । लेकिन मेरी उधारी जरूर चुकता करेगा ।”
“उस समय मैं गुस्से में था । मुझे खुद मालूम नहीं, मैं क्या-क्या बक गया ।” राज बोला- “फिर चंद रुपयों के लिये मैं किसी की भी हत्या कैसे कर सकता हूँ- इतना ही दिलेर दिखाई देता हूँ मैं तुझे ? अगर मैं इतना ही दिलेर होता, तो आज शाम रंगीला सेठ और उसके गुण्डों की ठेके में ऐसी-तैसी न कर देता ।”
“तू कहना क्या चाहता है ?”
“मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ, यह हत्या मैंने नहीं की । मैं हत्यारा नहीं ।” राज ने लगभग आर्तनाद करते हुए कहा ।
“मत भूल राज !” डॉली एक-एक शब्द चबाते हुए बोली- “हर हत्या करने वाला यही कहता है, जो तू कह रहा है, ऐसी हालत में कौन तेरी बात पर यकीन करेगा ?”
“तू तो करेगी ?”
“मेरे यकीन करने या न करने से कुछ नहीं होने वाला ।” डॉली बोली- “असली बात यह है कि पुलिस तेरी बात पर यकीन करती है या नहीं ।”
“प...पुलिस !”
“लाश तेरे घर में पड़ी है ।” डॉली विचलित मुद्रा में बोली- “फिर तेरे कपड़े भी खून में सने हुए हैं, पुलिस को तुझे हत्यारा साबित करने के लिये इससे बड़ा सबूत और क्या चाहिए ?”
राज की जान हलक में आ फंसी ।
राज की चीख सुनते ही डॉली एकदम उछलकर खड़ी हो गयी । फिर वो आनन-फानन दरवाजा खोलकर बाहर निकली और बेपनाह फुर्ती से राज के घर की तरफ लपकी ।
उसके घर का दरवाजा खुला था ।
डॉली दनदनाती हुई अंदर घुसी ।
और !
अंदर घुसते ही डॉली के कंठ से भी तेज चीख खारिज होते-होते बची ।
फर्श के बिल्कुल बीचों-बीच एक लम्बे कड़ियल आदमी की लाश पड़ी थी, उसकी बरसाती आधी से ज्यादा खून में लथपथ थी । अजनबी की मौत दो गोलियां लगने से हुई थी, जो उसकी पीठ में धंसी थीं ।
इसके अलावा जो सबसे ज्यादा चौंका देने वाली बात थी, वो यह थी कि अजनबी ने काले रंग के ब्रीफकेस को मरने के बाद भी कसकर अपने सीने से चिपटा रखा था ।
“य...यह तुमने क्या किया ?” लाश को देखते ही डॉली के जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।
“म...मैंने !” थर्रा उठा राज ।
“क्या तुमने इसकी हत्या नहीं की ?”
“म...मैं भला इसकी हत्या क्यों करने लगा ?” राज कंपकंपाये स्वर में बोला- “म...मैं तो यह भी नहीं जानता कि ये कौन है ?”
“फिर इसकी लाश यहाँ कैसे आ गयी ?”
राज ने बड़ी तेजी से पूरी घटना सुना दी ।
सन्न रह गयी डॉली !
एकदम सन्न ।
घटना वाकई सनसनीखेज थी ।
“अ...अगर इसके पीछे पुलिस लगी थी ।” डॉली का सकपकाया स्वर- “तब तो संभव है कि पुलिस ने ही इसे गोली मारी हो ?”
“मुझे भी यही लगता है कि जरूर इसे पुलिस ने गोली मारी है ।” राज बोला- “यह कोई अपराधी है, जो पुलिस से बचकर भाग रहा था । इसके अलावा एक बात और मुमकिन है ।”
“क्या ?”
“मौके का फायदा उठाकर क्या पता इसके किसी सहयोगी ने ही इसे गोली मार दी हो ।”
“ओह !”
“क्या सोचने लगी डॉली ।”
“तुझसे भयंकर गलती हो चुकी है राज- त...तू फंस गया ।”
“य...यह क्या कह रही है तू ?” राज के होश फना हुए ।
“म...मैं सच कह रही हूँ, तू वाकई फंस गया, अब इस आदमी की हत्या का इल्जाम तेरे सिर पर आने वाला है ।”
“लेकिन मैं हत्यारा नहीं हूँ ।”
“सिर्फ तेरे कहने से कुछ नहीं होगा राज ।”
“कैसे कुछ नहीं होगा ।” राज झल्ला उठा- “अगर मैंने इसकी हत्या की होती, तो क्या मैं यूं ही इसकी लाश की नुमाइश करता ? इसे लेकर अपने घर में ही आता ? फिर इसकी हत्या गोली लगने से हुई है, जरा सोच मेरे जैसे मामूली आदमी के पास रिवॉल्वर जितना खतरनाक हथियार कहाँ से आ सकता है ? और अगर रिवॉल्वर जैसा हथियार आ भी गया, तो क्या उसे चलाना मेरे बसका है ?”
डॉली चुप ।
“फिर क्या मैं तुझे इतना ही बड़ा पागल नजर आता हूँ ।” राज बोला- “कि तेरी उधारी चुकाने के चक्कर में, मैं किसी की हत्या तक करने पर आमादा हो जाऊं ?”
“गया तो इसी तरह था ।” डॉली बोली- “जैसे आज कहीं से भी लायेगा । किसी का भी गला काटकर लायेगा । लेकिन मेरी उधारी जरूर चुकता करेगा ।”
“उस समय मैं गुस्से में था । मुझे खुद मालूम नहीं, मैं क्या-क्या बक गया ।” राज बोला- “फिर चंद रुपयों के लिये मैं किसी की भी हत्या कैसे कर सकता हूँ- इतना ही दिलेर दिखाई देता हूँ मैं तुझे ? अगर मैं इतना ही दिलेर होता, तो आज शाम रंगीला सेठ और उसके गुण्डों की ठेके में ऐसी-तैसी न कर देता ।”
“तू कहना क्या चाहता है ?”
“मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ, यह हत्या मैंने नहीं की । मैं हत्यारा नहीं ।” राज ने लगभग आर्तनाद करते हुए कहा ।
“मत भूल राज !” डॉली एक-एक शब्द चबाते हुए बोली- “हर हत्या करने वाला यही कहता है, जो तू कह रहा है, ऐसी हालत में कौन तेरी बात पर यकीन करेगा ?”
“तू तो करेगी ?”
“मेरे यकीन करने या न करने से कुछ नहीं होने वाला ।” डॉली बोली- “असली बात यह है कि पुलिस तेरी बात पर यकीन करती है या नहीं ।”
“प...पुलिस !”
“लाश तेरे घर में पड़ी है ।” डॉली विचलित मुद्रा में बोली- “फिर तेरे कपड़े भी खून में सने हुए हैं, पुलिस को तुझे हत्यारा साबित करने के लिये इससे बड़ा सबूत और क्या चाहिए ?”
राज की जान हलक में आ फंसी ।