hotaks444
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मैंने अम्मी को अपने वाले मकान से 3 घर छोड़कर एक मकान में जाते देखा और साथ ही सिर घुमाकर फरी और निदा की तरफ देखा तो वो दोनों अपने ध्यान में थीं। यानी बाजी फरी तो पांव के दर्द की वजह से इधरउधर कोई ध्यान नहीं दे पा रही थी, लेकिन निदा जो कि बाजी को मेरे साथ मिलकर दूसरी तरफ से सहारा दिए हुये थी, उसका भी सारा ध्यान बाजी की तरफ ही लगा हुआ था।
मैंने उन दोनों को कुछ ना बताने का फैसला किया और बाजी को घर ले गया, जहाँ लाक हमारा मुँह चिढ़ा रहा था। निदा ने लाक की तरफ देखते हुये कहा- “यार अब अम्मी कहाँ चली गई लाक लगाकर?”
बाजी ने कहा- “यार जहाँ भी होंगी आ ही जायेंगी तुम क्यों टेन्शन ले रही हो?” और अपने पर्स में से चाबी निकालकर उसकी तरफ बढ़ा दी और बोली- “लो लाक खोलो...”
निदा ने बाजी से चाबी ली और लाक खोल दिया। हम सब घर में इन हो गये और बाजी को रूम में ले जाकर लिटा दिया। मैंने कहा- “बाजी आप यहाँ आराम करो, निदा यहाँ ही है। अगर किसी चीज की जरूरत हुई तो ये यहाँ आपके पास ही है। मैं जरा बाहर जा रहा हूँ अभी आ जाऊँगा...” और मैं इतना बोलकर बाहर निकलने लगा।
बाजी ने कहा- “क्यों भाई जाना जरूरी है क्या?”
मैंने हाँ में सिर हिला दिया और बोला- “जी बाजी जरूरी है। बस अभी थोड़ी ही देर में आ जाऊँगा मैं”
बाजी ने ओके कहा और बेड पे आराम से लेट गई। मैं घर से निकला और मकान के पिछली तरफ चल दिया जिस तरफ सारा जंगल था और मकान के पीछे चलते हुये उस जगह पे पहुँच गया, जहाँ मैंने अम्मी को जाते हुये देखा था। लेकिन अब समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं? तभी मेरी नजर किचेन की खिड़की पे पड़ी जो कि हल्की सी खुली हुई थी। मैंने इधर-उधर देखा तो मुझे जंगल के इलावा कुछ भी दिखाई ना दिया तो मैंने । खिड़की को थोड़ा सा पुश किया तो वो बिना आवाज के खुल गई। मैं झट से खिड़की को पकड़कर ऊपर उठा और अंदर घुस गया।
मैंने उन दोनों को कुछ ना बताने का फैसला किया और बाजी को घर ले गया, जहाँ लाक हमारा मुँह चिढ़ा रहा था। निदा ने लाक की तरफ देखते हुये कहा- “यार अब अम्मी कहाँ चली गई लाक लगाकर?”
बाजी ने कहा- “यार जहाँ भी होंगी आ ही जायेंगी तुम क्यों टेन्शन ले रही हो?” और अपने पर्स में से चाबी निकालकर उसकी तरफ बढ़ा दी और बोली- “लो लाक खोलो...”
निदा ने बाजी से चाबी ली और लाक खोल दिया। हम सब घर में इन हो गये और बाजी को रूम में ले जाकर लिटा दिया। मैंने कहा- “बाजी आप यहाँ आराम करो, निदा यहाँ ही है। अगर किसी चीज की जरूरत हुई तो ये यहाँ आपके पास ही है। मैं जरा बाहर जा रहा हूँ अभी आ जाऊँगा...” और मैं इतना बोलकर बाहर निकलने लगा।
बाजी ने कहा- “क्यों भाई जाना जरूरी है क्या?”
मैंने हाँ में सिर हिला दिया और बोला- “जी बाजी जरूरी है। बस अभी थोड़ी ही देर में आ जाऊँगा मैं”
बाजी ने ओके कहा और बेड पे आराम से लेट गई। मैं घर से निकला और मकान के पिछली तरफ चल दिया जिस तरफ सारा जंगल था और मकान के पीछे चलते हुये उस जगह पे पहुँच गया, जहाँ मैंने अम्मी को जाते हुये देखा था। लेकिन अब समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं? तभी मेरी नजर किचेन की खिड़की पे पड़ी जो कि हल्की सी खुली हुई थी। मैंने इधर-उधर देखा तो मुझे जंगल के इलावा कुछ भी दिखाई ना दिया तो मैंने । खिड़की को थोड़ा सा पुश किया तो वो बिना आवाज के खुल गई। मैं झट से खिड़की को पकड़कर ऊपर उठा और अंदर घुस गया।