vasna story इंसान या भूखे भेड़िए - Page 15 - SexBaba
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vasna story इंसान या भूखे भेड़िए

श्रेया और सुकन्या.....


श्रेया.... मोम, मनु अपने भाई को ही नही हटा रहा है, बल्कि वो वंश को भी आज कंपनी से निकाल देगा,. अब उसके पास मानस का 12.5%
और वंश के 15% शेर के साथ वो कंपनी का सब से बड़ा शेयर होल्डर बन कर उभरेगा.....


सूकन्या..... वंश के शेयर वो कैसे हासिल कर सकता है....


श्रेया... ऑफीस जाओ, आज तो हाइ वोल्टेज ड्रामा होने वाला है....


सूकन्या जल्दी हे तैयार हो कर ऑफीस के लिए निकली.... ऑफीस मे पहले से ही एक बोर्ड मीटिंग बुलाई जा चुकी थी... सुकन्या के पहुँचते ही उसकी पीए ने उसे मीटिंग की सूचना दी, और सुकन्या भागी-भागी पहुँची कॉन्फ्रेंस रूम...


सुकन्या के पहुँचते ही मनु ने मीटिंग को इनिशियियेट किया..... "आप सब को आश्चर्य लग रहा होगा कि, जिसकी अपनी बिज़्नेस यूनिट डूब
गयी, वो भला पूरे एसएस ग्रूप का एमडी कैसे बना हुआ है.... तो पेश है घोसाल कंपनी के एमडी जो आगे की कहानी बातएँगे"


अश्यूर इंडिया कंपनी वालों के साथ पहले से ही मनु का पूरा कांट्रॅक्ट हो चुका था. अश्यूर इंडिया वालों ने सारे सरकारी महकमे को मॅनेज करते घोसाल ग्रूप वालों पर प्रेशर बनाया और मनु ने आगे की कार्यवाही करते हुए घोसाल वालों को "सो कॉस" का एक लीगल नोटीस भेजा था
जिसमे अश्यूर इंडिया की सर्टिफिकेशन और घोसाल ग्रूप का एल्लिगल आलिगेशन दोनो अटॅच थे.


अंत मे घोसाल वालों को घुटने टेकना पड़ा मनु के आगे, और मनु के इशारे पर वो लोग वंश का नाम अब मीटिंग मे लेने वाले थे..... सचिन घोषाल भरे मीटिंग मे वंश का नाम लेते कहने लगा.... "प्रोडक्षन यूनिट को इनकेपबल साबित करने के लिए वंश ने प्लान किया था, और फाक्टोर्ट के अंदर फर्जी पुर्ज़े इसी के इशारों पर लगे थे".... वंश अपना रिक्षन देते हुए कहने लगा....


"मैं अकेला नही था, इस साज़िश के पिछे रौनक, हर्षवर्धन और बाकी के पार्टनर का भी हाथ था".

एक ओर जहाँ वंश इनडाइरेक्ट्ली इस आलिगेशन को स्वीकार किया वहीं दूसरे ओर बाकी के पार्ट्नर्स ने उसके इल्ज़ाम को बेबुनियाद बताते प्रूफ मागे, जो की वंश के पास नही था....


मनु अपना फाइनल डिसीजन सुनाते कहने लगा.... "एस.एस ग्रूप के एमडी होने के नाते 100 टाइम्स नुकसान की भरपाई का मैं ऑर्डर देता हूँ, यदि ऐसा नही हुआ तो मजबूरन लीगल आक्षन लेना होगा"


सब प्लान के मुताबिक ही हुआ.... वंश के सारे शेयर मनु के नाम हो गये...
 
ईव्निंग... अट मूलचंदानी हाउस....


सभी लोग बैठे थे. अमृता अपने प्यारे बेटे के गले लगती कहने लगी.... "वाह मेरे शेर हमे बदनाम करने वालों को अच्छा सबक सिखाया".....


मनु.... कोई मेरी बेज़्जती कर दे और उसे मैं छोड़ दूं, ऐसा भला हो सकता है क्या. आप सब का सुक्रिया जिसने मुझे पूरा पवर दिया, वरना ये
आस्तीन का साँप कभी ट्रेस नही हो पाता....


तभी गुसे मे तमतमाया मानस वहाँ पहुँच गया...... "कमीने तुझे मैं भाई समझता था, और तू दगाबाज निकला"


सभी लोग मानस के रिक्षन देख चौंक गये.... मनु ने बड़े प्यार से जबाव दिया..... "आप को ही तो अपना काम शुरू करना था ना, इसलिए तो
मैने आप के अकाउंट मे 50 करोड़ डलवा दिए बदले मे आप ने पेपर पर साइन कर दिया".....


मानस.... कमीना कहीं का. मैने कब पेपर्स पर साइन किया था. 2500 करोड़ के शेयर तुझे मैं 50 करोड़ मे दे दूँगा...


तभी स्टाइलिश एंट्री के साथ नताली पहुँची..... "तुम सब मेरे पापा को बर्बाद कर यहाँ जश्न मना रहे हो, क्या सब मे और अकेले मेरे पापा को फसाया गया. ये सब तुम लोगों की मिली भगत से हुआ है... मैं तुम सब को एक्सपोज़्ड कर दूँगी....


मनु.... एक्सपोज़ तो तेरा बाप हो गया.... उसने खुद कबूल किया है कि सारी साज़िश उसी की रची हुई थी...


नताली.... जी नही, उन्होने बहुतों का नाम लिया था, पर आक्षन केवल मेरे पापा पर. जानती हूँ मैं, कि तुम सब ने मिल कर उन्हे फसाया है...
कोई बात नही आज खुश हो लो, पर मैने भी एसएस ग्रूप को बर्बाद ना किया तो मेरा भी नाम भी नताली नही...


मानस.... तुम जो कुछ भी करने वाली हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ... इन सब को इनकी औकात दिखा देना....


एक हाइ वोल्टेज ड्रामा क्रियेट करते नताली और मानस वहाँ से निकल गये. मनु स्ट्रॉंग पोज़िशन को देख कर सब के सब अब उस की ओर झुक गये..... अब हर किसी को मनु का फेवर चाहिए था, क्योंकि अब तो वो एसएस ग्रूप का सब से स्ट्रॉंग प्लेयर था 40% मालिकाना हक़ के साथ ......



मनु के सारे मोहरे बिच्छ चुके थे, अब तो बस अपनी चाल से सब को फसाना था. काम आसान नही था, पर एक दाँव जिस पर अब पूरा खेल टीका था......
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तीन दिन बाद...


न्यूज़ पेपर की एक खबर देख कर तनु ने मनु से कॉंटॅक्ट किया. मनु, पहुँच गया तनु के घर..... "ओह्ह्ह माइ ओल्ड गर्लफ्रेंड, आज इतनी परेशान हो कर क्यों बुलाई"....


राजीव... ओल्ड गर्लफ्रेंड... हा हा हा ...


मनु... यस सर मैं इनका छोटा बाय्फ्रेंड और ये मेरी ओल्ड गर्लफ्रेंड....


तनु.... मनु ये सब छोड़ो, और ज़रा मुझे बताओगे कि ये तुम्हारे भाई को हुआ क्या है....


मनु.... क्यों क्या हो गया....


तनु.... कल मुझ से वो मिला था और कहने लगा, "मैं पूरे ग्रूप मे सेंध लगाने वाला हूँ, तुम लोग चाहो तो अभी हट सकते हो". और आज न्यूज़
पेपर मे उसके शिप्पिंग कंपनी का एड, को-पार्ट्नर बाइ नताली.


मनु..... ओह माइ गॉड... मुझ से इतनी बड़ी भूल कैसे हो सकती है.....

राजीव... क्या हो गया....


मनु.... एक्सपोर्ट & इम्पोर्ट का गूव्ट. शिप्पिंग टेंडर की हेड नताली थी, और उसने पूरा वर्क किया था इस पर.... माइ गुडनेस.... लगता है उन
लोगों ने वो टेंडर भर दिया... वेट आ मोमेंट मुझे नेगी से बात करने दो....


मनु नेगी को कॉल लगते..... नेगी जी शिप्पिंग कांट्रॅक्ट का क्या हुआ...


नेगी..... सर टेंडर फिल अप की डेट तो निकल भी गयी... नताली को आप ने ही तो अपायंट किया था....


मनु.... ह्म ! ठीक है


मनु फिर दोनो से कहने लगा..... "यदि ये सच है कि टेंडर उन लोगों ने भरा है, तो समझो उन्हे मिल भी गया. यदि ऐसा हुआ तो वो लोग रातों रात हमारे टक्कर के हो जाएँगे.... यू नो व्हाट, 20000 करोड़ का टेंडर है और प्रॉफिट ऑलमोस्ट 5000 करोड़.... जस्ट वन फोर्त ऑफ और इंडस्ट्री...


राजीव.... इतनी बड़ी ग़लती आख़िर तुम से कैसे हो सकती है मनु. 5000 करोड़ ले कर यदि कोई बदला लेने निकले तो एक चिंता का विषय है.....


मनु.... अब मैं भी क्या करूँ... शिप्पिंग कार्पोरेशन डॅड के अंडर था, मेरा तो था नही... मुझे ध्यान नही रहा...


तनु.... तुम भी ना... जो बाप तुम्हारे लिए गड्ढे खोद'ता रहा, उसे ही प्रॉफिट देने जा रहे थे....

मनु.... हां तो अकेले उनको प्रॉफिट होता क्या... 50% के अलावा बाकी प्रॉफिट तो ग्रूप मे ही एड होता ना. और सोचो टर्न ओवर डबल होता तो
हमारे शेर्स वॅल्यू कितने स्ट्रॉंग होते... मैं तो सब के फ़ायदे की सोच रहा था....


तनु.... हां सो तो है, लेकिन अब हम क्या करे....


मनु.... देखो मैं तो उनके पास जा नही सकता क्योंकि उनका मेन टारगेट तो मैं ही हूँ. लेकिन तुम और रौनक तो जा ही सकते हो उन से हाथ
मिलाने...


तनु... रौनक क्यों, उसे क्यों साथ कर रहे हो.....


मनु..... अकेले हॅंडल नही कर पाओगे... जो मैं बता रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो...


राजीव.... हां बोलो...


मनु..... "मानस और नताली ने टेंडर भर तो दिया है, लेकिन उनको सेक़ुरिटी मनी भी डेपॉज़िट करनी होगी, और साथ मे शिप्पिंग के लिए शिप
भी चाहिए होगा.... इसका मतलब है कि उसे इस वक़्त केवल टेंडर सिक्योर करने के लिए ही उसे 2/3000 हज़ार करोड़ की ज़रूरत होगी"....

"उसके पास एक ही उपाय होगा, यदि उसके पास टेंडर है तो वो किसी शिप्पिंग कंपनी वालों से हाथ मिला कर प्रॉफिट मे अपना हिस्सा लेगा और पैसे बना कर निकल लेगा. तुम दोनो मिल कर यदि अपना पैसा वहाँ लगा दो और इस टेंडर को टेक ओवर कर लो तो हग प्रॉफिट कमाया जा सकता है. उसके अलावा कंपनी के बाहर का पैसा तुम्हारा अपना होगा... उन पैसों से तुम दूसरे पार्ट्नर्स के शेर खरीद सकते हो"


राजीव... बात मे तो दम है, पर हम अपने पैसे उधर कैसे लगाएँगे.....


मनु.... सिंपल है. एक लीगल रिक्वेस्ट लेटर बनाओ.... "मैं अपने सारे शेर्स कंपनी को देता हूँ, उसके बदले मे कंपनी मेरे प्रॉजेक्ट मे पैसे लगाए... प्रॉजेक्ट डूबा तो पूरा नुकसान हमारा, यदि प्रॉजेक्ट से प्रॉफिट हुआ तो कंपनी को 25% प्रॉफिट".


राजीव.... पैसा हमारा, रिस्क हमारा और हम क्यों दे 25% अपने प्रॉफिट से...


मनु.... हद है अकल घास चरने गयी है क्या.... प्रॉफिट दे किसे रहे हो खुद को और मुझे ही ना... तीसरा कोई थोड़े ना टिकने वाला है कंपनी
मे.... अभी मौका है पैसे बना कर दूसरे पार्ट्नर्स के शेर खरीदने का, बाकी आगे तुम सब की मर्ज़ी....


तनु.... मनु आइडिया बेस्ट है... मैं रौनक के साथ पॅच-अप कर के कंपनी मे एक लीगल नोटीस देती हूँ.....
 
मूलचंदानी हाउस......


शम्षेर कुछ भाँपते हुए बहुत दिन बाद आक्टिव लाइफ मे वापस आया था... उसने हर्षवर्धन और अमृता दोनो को बुलाया....


शम्शेर.... क्या सब हो रहा है. कंपनी कैसा चल रहा है...


हर्ष... पापा, आप का पोता उसे कमाल का चला रहा है.... लास्ट एअर के कॉंप्रेटिव्ली हमारा प्रॉफिट 20% बढ़ा है और टर्नोवर मे 40% इज़ाफा है... ओवरॉल हम मार्केट से ज़्यादा ग्रो कर रहे हैं...


संशेर.... ह्म ! तुम ने कभी ये सोचा है कि दो जान से प्यार करने वाले भाई आख़िर अचानक से अलग क्यों हो गये....


हर्ष.... हां पता है ना, मानस, मनु से अपना हिस्सा अलग करने कह रहा था, और बदले मे मनु ने उसे डिसपोज़िशन कर दिया. एक तरह से
तो ठीक हे किया ना, पूरी मेहनत तो मनु की ही थी...


शम्शेर.... इस हिसाब से तो तुम्हे भी वो निकाल देगा कंपनी से तो भी जायज़ होगा.... क्योंकि उसके ही काम का प्रॉफिट तो तुम भी ले रहे हो...


हर्ष.... सॉरी डॅड, मैने ये कभी नही सोचा....


शम्शेर.... ग़लत-ग़लत होता है... और धोका, धोका होता है. तुम सब पवर ऑफ अटर्नी वितड्रॉ करो और अपनी-अपनी कंपनी खुद देखो....


हर्ष.... ह्म ! जैसा आप ठीक समझे पापा....


शम्शेर.... और हां मानस से कॉंटॅक्ट करो, देखो वो क्या कर रहा है... यदि उसके पास कोई बिज़्नेस प्लान है तो तुम उसे सपोर्ट करो.... यहाँ से मनु तुम्हे प्रॉफिट दे रहा है, वहाँ से मानस तुम्हे देगा... दोनो भाई खुद भी कमाई करते रहे और तुम्हे भी मजबूत करते रहे ये देखना तुम्हारा काम है....


अमृता.... पापा मनु के एमडी की पोस्ट....


शम्शेर.... उसके एमडी के पोस्ट को क्या होगा. कंपनी के साथ उसका ट्रॅक रेकॉर्ड हमेशा अच्छा रहा है... उसे एमडी बने रहने दो.. तुम सब से काफ़ी अच्छा बिज़्नेस कर रहा है... हां अमृता यदि तुम कुछ कर सकती हो तो इतना करो कि मनु को समझाओ कि अपने भाई को धोका से हटाना ठीक नही ... परिवार टूटना कोई अच्छी बात नही है.....


अमृता.... ह्म ! ठीक है पापा मैं समझाउन्गी.....
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नेक्स्ट डे...


मानस अपने नये ऑफीस मे बैठा नताली के साथ गप्पे लड़ा रहा था, और उधर वंश ऑफीस स्टाफ के लिए इंटरव्यू ले रहा था. तभी मानस के
कॅबिन का दरवाजा नॉक हुआ.... और ड्रस्टी अंदर घुसी....


मानस, खड़ा हो कर बस ड्रस्टी को ही देखता रहा.... तभी नताली बीच मे बोल पड़ी.... "हां कहो क्या काम है"....


ड्रस्टी.... सुना है इस ऑफीस मे एमडी की पोस्ट खाली है, मैं उसी के लिए अप्लाइ करने आई हूँ....


नताली.... "व्हाट"... मानस, नताली को हाथ दिखाता कहने लगा..... "नताली ये हैं मिस ड्रस्टी"....


नताली..... ओह्ह्ह्ह ! तो ये वही है जिसका नाम तुम रात दिन जपते हो मानस.... वैसे क्या आइटम सेलेक्ट किए हो बिल्कुल मस्त है....


ड्रस्टी..... ये कैसे बात करती हो तुम. लड़कों का तो समझ मे आता है... लड़की हो कर मुझे आइटम बोली... पागल हो क्या....


नताली.... हद है, तुम्हारी तारीफ की हूँ मैं. तुम्हारे लिए तो इस ने मुझे छोड़ दिया... वो बात अलग है कि लड़के सेक्स के बाद लड़कियों से बस
ब्रेक-अप ही करना चाहते हैं....


मानस.... क्या बकवास है ये नताली....


ड्रस्टी.... क्य्ाआअ... सॉरी मैं शायद ग़लत जगह पर आ गयी हूँ.... जा रही हूँ मैं....


इतना कह कर ड्रस्टी तेज़ी से भर निकल गयी... मानस नाक सिकोडते कहने लगा..... "ये कैसा मज़ाक था नताली... हद होती है किसी भी बात की"

इतना कह कर ड्रस्टी तेज़ी से भर निकल गयी... मानस नाक सिकोडते कहने लगा..... "ये कैसा मज़ाक था नताली... हद होती है किसी भी बात की"


नताली.... जाओ पकडो उसे पागल.... तुम ही तो कहे थे कि "तुम्हे पता नही ड्रस्टी के दिल मे क्या है"..... उसके गुस्से ने क्लियर कर दिया कि
वो भी तुम से प्यार करती है... अब जाओ जा कर उसे प्रपोज भी कर दो...


मानस जो गुस्से मे पागल था मुस्कुराता हुआ बाहर निकला .... और सीधा जा कर ड्रस्टी की कलाई पकड्ते उसे रोक दिया.... ड्रस्टी एक स्टेप
आगे, मानस पिछे से उसके कलाई पकड़े.....


ड्रस्टी... हाथ छोड़ो मेरा, और जाओ अपनी रस लीला कंटिन्यू करो....


मानस..... मेडम जी आप अपनी नाराज़गी की वजह बता सकती हैं क्या....


ड्रस्टी.... हुहह ! मुझे कोई बात नही करनी... जाओ तुम अपनी उस छिपकलि के पास....


मानस..... उफफफ्फ़ ये गुस्सा.... ड्रस्टी तुम अपने पास तो मुझे रहने नही दी. एक बार कुछ इशारों मे भी तो नही कही.... और अब जब मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ तो तुम मुझे दूर भेज रही हो....


ड्रस्टी.... मैं लड़की हूँ... मैं कैसे कह देती पहले... और क्या मैं सब से इतना घुलती मिलती हूँ जो कह रहे हो कि कोई इशारे भी नही की. अब क्या हवा मे फ्लाइयिंग किस देती तो वो इशारे होते क्या. यू नो व्हाट, आइ थिंक यू आर हॅपी इन युवर वर्ल्ड... जहाँ एक लड़की को देखा,
उसके साथ मज़े किए फिर आगे बढ़ गये.... पर मैं उन सब से अलग हूँ... मेरे छोटे-छोटे सपने हैं... परी कथा सुनते आई हूँ और तुम मे मैं
अपने हीरो को देखती हूँ.... मुझे छोड़ा तो मुझ से बर्दास्त नही होगा... इसलिए अच्छा यही है कि तुम तुम्हारी दुनिया मे खुश रहो.....
 
पीछे से नताली की आवाज़ आई..... "अरे मिस ड्रस्टी पहले उसे पकड़ने तो दो फिर ना बाद मे तुम्हे छोड़ने का डर सताना चाहिए.... प्यार होने से पहले ही सारी शर्तें लाद दी बेचारे पर.... व्हेन यू लव सम वन... इट ईज़ युवर लव... तुम अपनी भावनाएँ अपने प्यार पर थोपो उस से अच्छा
है की उसे अपने भावनाओ के साथ जुड़ने दो.


कुछ पल खामोसी रही.... नताली ने फिर कहना शुरू किया..... "ओह्ह्ह कम-ऑन ड्रस्टी... ना तो तुम कह पा रही थी और ना ही ये मानस. और ये दिन भर ऑफीस मे तुम्हारी ही बातें कर के मेरा भेजा ख़ाता था. इसलिए दोनो के एमोशन्स एक दूसरे के प्रति दिखाने के लिए मुझे ये
सब करना पड़ा... अब इस से ज़्यादा क्लरिफिकेशन देना मुझ से ना होगा... प्यार करना है तो करो वरना भाड़ मे जाओ"..,,


नताली अपनी बात कह कर चली गयी. ड्रस्टी, मानस को देखती हल्की मुस्कुराने लगी, और मानस अपने हाथ झटकता उसे अपनी बाहों मे ले लिया...... ड्रस्टी, मानस की बाहों मे झूलती, अपने आँखें मूंद ली. मानस उसके चेहरे पर आए बाल को प्यार से हटा कर उसके चेहरे पर हाथ
फिराने लगा.....


"बिल्कुल किसी ख्वाब जैसी हो तुम, मेरी पड़ी".... आगे मानस इज़हार-ए-मोहब्बत करना चाहता था. वो ड्रस्टी से कह देना चाहता था कि वो उस से कितना प्यार करता है.... पर उफ़फ्फ़ ये बेबसी..... धड़कनें ऐसी तेज हुई कि मानस धड़कते दिल के साथ हिम्मत ही नही जुटा पाया कुछ कहने की....


वहीं, चेहरे पर अपने प्यारी सी मुस्कान बिखेरे, ड्रस्टी प्यार की हसीन दुनिया मे खो चुकी थी. थोड़ी देर ऐसा ही महॉल चलता रहा... ड्रस्टी मुस्कुराती हुई मानस की बाहों का अहसास कर रही थी, और मानस धड़कते हुए अरमानो के साथ ड्रस्टी को देखते हिम्मत नही जुटा पा रहा
था की उस से अपने दिल का हाल बोल दे.


तभी सामने से हर्षवर्धन और अमृता ऑफीस मे पहुँचे..... मानस उन्हे देख थोड़ा हड़बड़ा गया, और ड्रस्टी बाहों से छूट कर गिर गयी.....
"आऊओ, गिरा ही दिया मुझे"...


ड्रस्टी, मानस की ओर देख रही थी, तभी पिछे से अमृता बोल पड़ी..... "ये लड़की कौन है मानस"...


मानस.... मोम ये ड्रस्टी है....


ड्रस्टी, जैसे ही देखी "मानस की मोम" .... जल्दी से दुपट्टा अपने सिर पर डाली और वापस मानस के कॅबिन मे भाग गयी. उसका शरमाना देख कर अमृता हँसती हुई कहने लगी... "काफ़ी प्यारी बच्ची है मानस, कौन है... कहीं हमारी होने वाली बहू तो नही"


मानस, मुस्कुराते हुए..... "चलिए अंदर चल कर बात करते हैं"


हर्ष.... अच्छा ऑफीस है मानस. वैसे बताओगे मनु और तुम्हारे बीच हुआ क्या था....


मानस.... जाने दो डॅड हम इस पर बात ना करे तो अच्छा है...


अमृता.... सुनो मानस, यूँ अपने ही परिवार से टूट कर रहना अच्छी बात नही है. मैं मनु से भी बात करूँगी, तुम दोनो के बीच जो भी परेशानी
है शॉर्टाउट कर लो...


मानस...... मुझे इस बारे मे कोई बात नही करनी, आप लोग टी या कॉफी लेंगे....


हर्ष..... खैर जाने दो, और बहुत-बहुत बधाई हो तुम्हारे नये बिज़्नेस के लिए... कोई भी ज़रूरत हो बेहिचक कहना.....
 
रौनक हाउस...... मीटिंग.....



रौनक को कॉन्वियेन्स करने और उसे अपने साथ मिलने तनु पहुँच चुकी थी.


तनु.... रौनक जी यदि सोचिए तो इस प्लान मे हमारा फ़ायदा ही फ़ायदा है. मानस से डील सेट यदि हो गयी तो हम दोनो कम से कम 1000
करोड़ो का फ़ायदा होगा, और रिस्क कुछ भी नही है.


रौनक..... लेकिन इतनी सियोर्टी कैसे की ये टेंडर उन्ही को मिलेगा.....


तनु.... क्यों नही मिलेगा, मैं जानती हूँ नताली ने इस टेंडर पर पूरा रिसर्च किया था. मेरी नेगी से बात हुई थी, और वो बता रहा था कि नताली ने पूरा परिवहन मंत्रालय को ही मॅनेज कर लिया था....


रौनक..... पैसे बुरे किसे लगते हैं, तो ठीक है हम सब मिल कर ये डील सेट करेंगे और क्या....
 
रात के वक़्त.... मनु....



घर जैसे काटने को दौड़ रहा था. मानस वापस आ कर भी साथ नही था और घर पर लौट कर आने की भी कोई वजह नही. आज फिर मनु ने
शराब पिया, और लडखडाते हुए अपने घर वापस आया....


वापस आते ही सब से पहले अपने वफ़ादार श्रमण को याद किया..... "श्रमण... श्रमण"... दो बार पुकारा... लेकिन श्रमण सुने तब ना.... झल्लाता
हुआ मनु उसे इधर उधर ढूँढने लगा. आस्चर्य था घर के सारे नौकर गायब..... "आज क्या मैने सब को छुट्टी दी थी, साला सब के सब फरार हैं"


तभी हॉल मे सामने सोफे पर...... मनु ने अपने आँख दो बार मिजे.... "आअन्ह्ह्ह ये पीने की लत, सामने तो मुझे जानेमन नज़र आ रही है"


मनु को ऐसा लगा जैसे सामने सोफे पर स्नेहा बैठी हो. लडखडाता वो वहाँ तक पहुँचा... और घुटनो पर बैठ कर...... "आहह कितनी प्यारी लग
रही हो स्नेहा, देखो मैं कितना प्यार करता हूँ तुम से हर जगह बस तुम ही तुम नज़र आ रही हो. जी करता है इस प्यारे से मुखड़े को चूम लूँ"


तभी सामने पड़े जग के पानी को स्नेहा ने मनु के सिर पर उडेल दिया, और ज़ोर से चिल्लाती हुई कहने लगी..... "नशा उतरा या अभी और चढ़ि है"


मनु ने सिर को झटका, और हाथ बढ़ा कर स्नेहा के चेहरे को छुते...... "वूऊओ हूऊ... स्नेहा सच मे... मुझे तो यकीन नही हो रहा"


स्नेहा.... और मुझे भी यकीन नही हो रहा.... अब आज तुम ने किस खुशी मे पी है. और ये कोई वक़्त है घर आने का, मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ".


मनु..... एक कॉल तो करना था ना..... मैं यहाँ तुम बिन मरा जा रहा हूँ, और तुम्हे सर्प्राइज़ देने की पड़ी थी...


स्नेहा, मनु के पॉकेट से फोन निकालती...... "हुहह झूठे, पीने ऐसे बैठे थे कि तुम्हे तो कॉल का भी ख्याल नही रहा, ये देखो कितने कॉल किए है मैने".


स्नेहा, मनु को फोन दिखाती कहने लगी. मनु आश्चर्य मे उन मिस कॉल्स को देखते कहने लगा...... "सॉली, फोन साइलेंट मे था".


स्नेहा ने तुरंत मनु के मोबाइल पर कॉल लगा दिया, उसकी रिंग बजने लगी..... मनु रिंग को सुन कर...... "अब छोड़ो भी इसे स्नेहा, भूल हो गयी
लो कान पकड़ता हूँ".


स्नेहा.... मनु, बेबी कम से कम झूठ तो ना बोलो. और इतना भी क्या पीना की उसमे मुझे ही भूल जाओ.... क्या ड्रिंक मुझ से ज़्यादा प्यारी है....


मनु.... बिल्कुल नही.... ठीक है आज से पीना बंद. बिल्कुल बंद....


स्नेहा.... मैने कब मना किया मत पियो. पर हर चीज़ की लिमिट होती है, तुम तो ओवर लिमिट कर देते हो इसी बात पर गुस्सा आता है.


मनु, आगे बढ़ता स्नेहा के चेहरे पर प्यार से हाथ फेरते कहने लगा...... "आइ लव यू स्नेहा, अब आगे से ऐसा बिल्कुल भी नही होगा, प्रॉमिस".
 
स्नेहा, मुस्कुराती हुई मनु के गले लगती कहने लगी..... "थॅंक्स आ लॉट, बस अब अपने बात पर कायम रहना"


मनु..... बहुत प्यारी लग रही हो, बिल्कुल मासूम सी. और तुम्हारी स्माइल कितनी क्यूट है. इस स्माइल के लिए तो कुछ भी करूँगा.


स्नेहा.... ओहो, तारीफें.... क्या बात है मनु सिर आज कल आप के सायराना अंदाज़....


मनु... अर्रे नही रे साची बाबा. तुम वाकई आज बहुत प्यारी लग रही हो... मुझ से इतने दूर क्यों हो. आ गले लग जाओ, तुम्हे बाहों मे भरने का
मन कर रहा है.....


स्नेहा प्यारी सी मुस्कान के साथ मनु के गले लग गयी..... "अच्छा बाहों मे भरने का दिल कर रहा था, और क्या"


मनु.... और.... तुम्हारे इन गुलाबी होंठो को चूम कर इनके रस चुराने का दिल कर रहा है....


स्नेहा.... क्या बात है, रोमॅंटिक से हुए जा रहे हैं... बात क्या है....


मनु.... खो कर तुम्हे पाया है स्नेहा, ये अहसास ही अलग है. अब मैं तुम्हे कहीं नही जाने दूँगा, और कोई भी बीच मे आया तो उसे मैं सॉफ कर दूँगा....


स्नेहा धीमे से मुस्कुराती..... "अब तो कोई नही है ना बस मैं और तुम.... और अपनी एक प्यारी सी दुनिया".....


दोनो के लिए प्यार भरे पल. चेहरे की प्यारी मुस्कान ये बता रही थी कि दोनो कितने खुश थे..... मनु चेहरे पर आई लातों को अपने हाथों से
हटा कर, स्नेहा के होंठो पर अपनी उंगलियाँ फिरा दिया. स्नेहा तेज सांस अंदर खींचती अपना पूरा भार मनु की बाहों पर डाल दी.....


धीरे-धीरे मनु के होंठ का झुकाव स्नेहा के होंठो की ओर बढ़ रहा था, साँसे एक दूसरे के चेहरे से टकराने लगे थे. और जैसे-जैसे वो आगे बढ़ रहा था, स्नेहा की पलकें धीमे-धीमे बंद होने लगी....

धीरे-धीरे मनु के होंठ का झुकाव स्नेहा के होंठ की ओर बढ़ रहा था, साँसे एक दूसरे के चेहरे से टकराने लगे थे. और जैसे-जैसे वो आगे बढ़ रहा था, स्नेहा की पलकें धीमे-धीमे बंद होने लगी....


स्नेहा और मनु मदहोश होकर एक दूसरे के होंठ चूमना शुरू कर दिए. स्नेहा खुद को रोक नही पाई और अपने हाथ मनु के सिर पर रखती, मनु के जीभ को अपने होठ के बीच दबा कर, ज़ोर से चूसने लगी... मनु ने भी अपना मुँह खोलते हुए, स्नेहा के जीभ को अपने होठों के बीच लेकर उसे चूसने लगा...


स्नेहा पर हल्का नशा सा छाने लगा .. और वो बहताशा मनु के पीठ पर हाथ फेरती उसे चूमने लगी.... मनु किस को तोड़ते स्नेहा की आँखों मे
देखने लगा.... किस टूट'ते ही स्नेहा आँखें खोलती धीमी आवाज़ मे मनु से पूछी.... "क्या हुआ मनु"


मनु थोड़ा मायूस होते..... "इसी सेक्स की वजह से तुम्हे एक जलील भरा दिन देखना पड़ा था. रोने से तुम्हारी वो सूज़ी आखें, वो तुम्हारा दर्द"....


"जो होना था वो हो गया, उसे याद कर के अब क्यों मायूस होना"... कहते हुए स्नेहा ने एक छोटा सा वेट किस मनु के होंठो पर की, और उसके हाथ को अपने स्तनों से टिका दी. मनु के हाथ के उपर अपने हाथ रख कर स्नेहा धीरे-धीरे गोल-गोल फिराने लगी और अपनी आखें बंद कर ली.


प्यार की मदहोशी की कामुकता ही अजीब सी होती है.... आज से पहले स्तनों को छुने से मनु इतना बेकाबू नही हुआ, जितना इस वक़्त वो
स्नेहा की छातियों पर बस हाथ टिकाए हो गया था.


अपनी छाती पर प्यार भारी छुअन स्नेहा को भी दीवाना बना रही थी, उसकी साँसे चढ़ने लगी थी, पर मनु की ओर से कोई प्रतिक्रिया ना होता
देख, स्नेहा एक बार फिर अपने हाथ मनु के हाथों के उपर रखी... और अपने स्तनों पर फिराने लगी.
 
उफ़फ्फ़ ये पल.... प्यार मे जैसे सब स्लो मोशन मे हो जाता है. मनु स्नेहा के गर्दन पर बारे प्यार से, आहिस्ते जीभ चलाता .. उसके स्तनों को धीरे-धीरे सहलाने लगा....


स्नेहा.. अपनी गर्दन उपर किए .. तेज तेज साँसे ले रही थी... और स्तन पर इन प्यार भरे स्पर्श के जादू को वो महसूस कर रही थी.


गले को चूमते हुए मनु ने स्नेहा के कमीज़ को कमर से पकड़ा और धीरे-धीरे उपर उठाने लगा. जब कमीज़ उपर सीने तक आई, स्नेहा होंठ
छोड़ती अपने दोनो हाथ उपर की. मनु उसे आहिस्ते उपर खींचते उसके बदन से निकाल दिया.


खुला गोरा बदन, और ब्रा मे क्या कमाल की लग रही थी. मनु छाती पर नाक लगा कर, तेज साँसें खींचते हुए धीरे-धीरे नीचे कमर तक आया और अपने घुटनो पर बैठ गया. मनु कमर से अपना चेहरा टिकाए, उसे धीरे-धीरे चूमने लगा.


स्नेहा, मनु के बाल पर धीरे-धीरे हाथ फेरती तेज-तेज साँसे ले रही थी. कमर को चूमते हुए मनु ने सलवार की डोरी को अपने दांतो मे दबाया
और उसे धीरे से खींच दिया. डोरी खींचते ही स्लावार पाँव मे आ गयी और स्नेहा के खूबसूरत बदन पर सिर्फ़ ब्रा-पैंटी बचा रह गया था.


मनु उसके घुटनो से नाक लगा कर उसके बदन की खुबहू लेता धीरे-धीरे उपर तक आया.... उसके सीने के बीच मे अपना मुँह लगा दिया.
स्नेहा एक धीमी आग पर जल रही थी. ये प्यार भरा एहसास कामुकता की अलग उँचाइयों पर ले जा रहा था.


मनु अपने हाथ पिछे ले जाता, ब्रा के हुक को खोल दिया, और उसकी पैंटी मे उंगली फसा कर धीरे से सरकाते हुए उसके बदन से अलग कर दिया. स्नेहा का नंगे खूबसूरत बदन देख कर ... मनु के खून की रफ़्तार ज़ोर पकड़ ली... उसके लिंग मे ऐसी हरकत थी जिसे वो काबू ना कर सका....
 
मनु बहताशा उसकी गर्दन को चूमते हुए... उसके खुले स्तनों को मुट्ठी मे भर कर दबाता रहा.... "आहह...... उम्म्म्ममममम" की सिसकारी स्नेहा अपने होटो से निकालती, बस मनु के बालों पर वो अपने हाथ फेर रही थी.


मनु ने स्नेहा को अपने गोद मे उठाया और बेड पर ले आया .... प्यार मे डूब कर सेक्स का ऐसा पहला अनुभव था.. और दोनो जोश के साथ इससे बारे प्यार से कर रहे थे...


मनु, स्नेहा को बिस्तर पर लिटा कर ... उसके उपर आ गया... स्नेहा बस आँखें मुन्दे तेज-तेज साँसें ले रही थी... स्नेहा के होंठो को चूमते हुए धीरे से जीभ पहले उसके कानो, फिर कानो से नीचे गर्दन पर फिराने लगा.... दोनो अपने अंदर अजीब सी कंपन महसूस कर रहे थे....


जीभ फिराते मनु को इतना आनद मिल रहा था कि वो जल्दी से अपनी जीभ को वहाँ से हटा कर आनंद के और बड़े सागर मे डूबने को बेकरार था... उसने अपना जीब स्नेहा के स्तनों पर रखा और उसके चारो ओर फिराने लगा.... स्नेहा मारे उत्तेजना के ... ज़ोर से 'इष्ह" करती...... एक हाथ को अपने बदन पर फिराने लगी और दूसरे हाथ को मनु की गर्दन पर....


मनु, स्नेहा की कामुक आवाज़ सुनकर और जोश मे आ गया.... पूरा मुँह खोल कर, स्तन को मुँह मे भरा और दाँतों तले निपल दबा कर काट'ते हुए खिचने लगा... दूसरे स्तन को अपने हाथो मे भर कर कर आहिस्ते पर बड़े जोरों दबा रहा था.


स्तनों पर ऐसे प्यार, स्नेहा का बदन उत्तेजना मे सिहर रहा था..... होंठो को दाँतों से काट'ती..... "ओह मानूनन्ञनणणन्" करने लगी ... मनु धीरे-धीरे उसके पेट पर जीभ फिराता नीचे आया.... और जब स्नेहा को एहस्सास हुआ कि मनु की जीभ योनि के आस-पास चल रही है... तो योनि से हज़ार चिंगारियाँ भड़क उठी....


उसका बदन मचल गया.... और जैसे ही जीभ योनि पर गयी.... स्नेहा अपनी छाती को अपने हाथों से मसलती लंबी "इसस्स्शह" की सिसकारी ली.... मनु बारे प्यारे से, स्नेहा के योनि पर अपनी जीभ टिका कर बिल्कुल धीमे, नीचे से उपर, और उपर से नीचे फिरा रहा था.....


स्नेहा मुट्ठी मे बिस्तर को भींच रही थी. उसकी कमर खुद ही उपर नीचे हो रही थी.... सिसकारियाँ भरती वो उत्तेजना से पानी-पानी हुई जा रही थी. मनु ने अब अपनी जीभ को योनि के क्लिट से लगा कर उपर किया और अपने होटो मे भर कर उसे चूसने लगा....


जैसे ही मनु ने क्लिट को चूसा.... स्नेहा अपने दोनो पाँव से मनु के सिर को जकड कर अपनी योनि की ओर दबाव डालने लगी. वो बेकाबू होकर पूरे पाँव का ज़ोर मनु के सिर पर लगा दी, और अपनी कमर हिला कर उसके मुँह से योनि घिसने लगी. अंदर की उत्तेजना उस चरम पर थी, कि सारी इंद्रियाँ बेकाबू हो गयी थी... "अहह.. मनुउऊउ..... उफफफफफफफफ्फ़.... ये दीवानगी भडका रही है मुझे..... हााहह"



बेकाबू स्नेहा, मनु के बाल पकड़ कर उसे बिठाई, और धक्के देती उसे नीचे लिटा'ती हुई खुद उसके उपर आ गयी... अपने होंठो से मनु के होठ को चूसने लगी... काफ़ी लंबा वेट और लस्टी किस चला... मनु तो पागल हो गया...


स्नेहा उत्तेजना मे आकर ... मनु की छाती पर अपना चेहरा घिसती उसे चूमने लगी, और अपने एक हाथ से मनु के निपल को खिचने लगी.... उफफफफ्फ़... स्नेहा का आक्षन और आग भड़कने लगी थी अब तो.


सीने को चूमती हुई स्नेहा अपना दूसरा हाथ मनु की पैंट के अंदर डाल दी, और उसके लिंग को अपनी मुट्ठी मे दबाने लगी... बिकुल ठंडे हाथ जब लिंग पर गये... तो लिंग जैसे किसी साँप की तरह फुंफ़कार मारता खड़ा हो गया हो....
 
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