hotaks444
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मैने देखा कि प्रीतम के बाडे का बल्व जल रहा था मैने सोचा कि कौन होगा यहाँ पर उसकी माँ फिर सोचा छोड़ कोई भी हो पर थोड़ी से उत्सुकता हो गयी थी मैने सोचा सुबह सुबह चान्स लिया जाए मैं निकला और उधर चला अंदर घुसा तो देखा कि ये तो ज्योति है वो भैंसो को चारा डाल रही थी मैने उसे पीछे से पकड़ लिया वो घबरा गयी पर जब मुझे देखा तो शांत हुई मैने कहा चलो एक चान्स हो जाय तो वो बोली अभी मर्वाओगे क्या मेरी भाभी आने वाली है यहाँ मामी के साथ पर मैं जल्दी ही टाइम सेट करूँगी और तुम्हे बता दूँगी अभी तुम वापिस जाओ तो मैं निकल आया अब कुछ होना तो था नही तो घर पहुँच गया जाते ही एक चाइ पी तो मम्मी बोली तेरे कपड़े कितने गंदे हुए पड़े है इन्हे धो भी ले आज कल पता नही तेरा ध्यान कहाँ रहता है
ये बात उन्होने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर कही थी पापा ने मुझे घूरा पर फिर अपनी नज़र हटा ली मैने कहा आज ही धो लूँगा और चाची के पास चला गया चाची भी आजकल मेरे फुल मज़े लेती थी वो बोली क्या बात है बेटा कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है प्रीतम जा रही है तो दुखी है मैने कहा क्या चाची एक बात को पकड़ के बैठी हो उसके सिवा और भी कई काम है मुझे अब वो जा रही है तो आप ही कुछ मेहरबानी कर दो ना वो बोली जितनी करती हूँ उतना ही ठीक है ज़्यादा सपने मत ले जा दुकान जा और ये समान ले के आ मैने पर्ची ली और दुकान पे चल पड़ा किस्मत से ज्योति दुकान पे टकरा गयी उसने जल्दी से कहा कि प्रीतम तुमसे मिलना चाहती है आज दोपहर मे हम तुम्हारे प्लॉट मे मिलेंगे तुम मॅनेज करना अब प्रीतम का क्या पंगा लग गया
घर पे समान रखा और कपड़े धोने लगा काफ़ी टाइम लग गया उनको धोने मे मैने कहा मम्मी कपड़े सूख जाए तो अलमारी मे रख देना और प्लॉट मे पहुँच गया थोड़ी ही देर मे वो दोनो भी आ गयी मैने कुण्डी लगाई प्रीतम दौड़ के मेरे सीने से लग गयी बोली कल मेरी शादी है मैने कहा हाँ मुझे पता है वो बोली जाने से पहले वो एक बार मेरे साथ थोड़ा टाइम बिताना चाहती है मैने कहा पर अगर कोई आ गया तो वो बोली डरता है क्या मैने कहा नही तेरे लिए कुछ भी डार्लिंग तो उसने कहा चल कुछ करते है उसने ज्योति को कहा तू थोड़ी देर इधर ही बैठ और प्रीतम मेरा हाथ पकड़ के अंदर कमरे मे आ गयी मैने कहा प्रीतम कल तेरी शादी है फिर पति के साथ ही कर लियो तो वो बोली मुझे गिफ्ट नही देगा क्या और मुझे किस करने लगी ना जाने कितने दिनो बाद उसके होंठो को छुआ था कितने प्यासे थे वो ,
प्रीतम पागलो की तरह मुझे चूमने लगी मैने कहा पगली सांस तो लेने दे पर उसने जैसे सुना ही नही बिल्कुल बेकाबू हो गयी थी वो काफ़ी देर तक बस किस ही चलती रही फिर वो हटी और अपनी सलवार और कच्छि को निकाल के नीचे से नंगी हो गयी पर उसने सूट नही निकाला पहले से बहुत ही ज़्यादा मोटी हो गयी थी वो मैने उसकी चूत को अपने हाथ से मसल दिया कुछ देर तक बस उसे मसलता ही रहा फिर उसे चारपाई पे लिटाया और उसकी टाँगो को चौड़ा कर दिया बिना बालो की चूत को देखने का ये लास्ट मौका था मैं अपने होंठो पे जीभ फेरी और प्रीतम की चूत की मस्त पंखुड़ियो को अपने मुँह मे ले लिया आज तो कयामत होनी थी प्रीतम बहुत ही ज़ोर से मोन करने लगी तो मैने कहा जान थोड़ा कंट्रोल कर पर आज वो बिल्कुल अलग ही मूड मे थी आज वो सब बंधन तोड़ने को बेताब थी
बस वो मुझमे खो जाना चाहती थी उसने कहा चूसो मेरी मुनिया को तो मैं ईक बार फिर अपना मुँह उसकी टाँगो के जोड़ मे घूँसा दिया और उसकी रस से भरी चूत को पीने लगा प्रीतम बहुत ही ज़ोर से आहे भर रही थी उसकी पूरी चूत मेरे मुँह मे थी प्रीतम की सिसकारिया लगातार बढ़ती ही जा रही थी इतने दिनो बाद उसका साथ पाकर मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसकी चूत को अपने दांतो से काट ते हुए मैं चाटे जा राहा था प्रीतम ने अपनी टाँगो को टाइट कर लिया और पूरा मज़ा लेने लगी 15 मिनट तक चाटने के बाद उसने अपना पानी मेरे मुँह मे ही छोड़ा दिया मैने उसे पूरा चाट लिया प्रीतम जल्दी से उठी और मेरी पॅंट को खोल के लंड को बाहर निकाल लिया और जल्दी से अपने मुँह मे लेके चुँसने लगी
लंड चुँसने मे तो उसका डिप्लोमा ही था तभी ज्योति बाहर से बोली दीदी जल्दी करो काफ़ी देर लग रही है तो मैने अपने लंड को उसके मुँह से निकाला और उसे वही पे घोड़ी बना दिया उसके उभरे हुए चुतडो के बीच चूत को देख के मेरी लार टपक गयी मैने लंड पे थोड़ा थूक लगा के उसे चिकना किया और प्रीतम की कमर को थामते हुए अपने लंड को उसकी चूत मे डाल दिया और बस फिर फ़च पच की आवाज़ ही कमरे मे गूँज रही थी क्या गजब की चुदासी थी वो घोड़ी बनी चुद रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था मैं पूरी ताक़त लगा के उसे चोद रहा था उसने अपने हाथ मजबूती से फर्श पे टिका लिए थे और अपनी चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी 10-12 मिनट तक ऐसे ही वो चुदती रही फर्श पे होने के कारण मेरे घुटने मे दर्द होने लगा था
ये बात उन्होने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर कही थी पापा ने मुझे घूरा पर फिर अपनी नज़र हटा ली मैने कहा आज ही धो लूँगा और चाची के पास चला गया चाची भी आजकल मेरे फुल मज़े लेती थी वो बोली क्या बात है बेटा कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है प्रीतम जा रही है तो दुखी है मैने कहा क्या चाची एक बात को पकड़ के बैठी हो उसके सिवा और भी कई काम है मुझे अब वो जा रही है तो आप ही कुछ मेहरबानी कर दो ना वो बोली जितनी करती हूँ उतना ही ठीक है ज़्यादा सपने मत ले जा दुकान जा और ये समान ले के आ मैने पर्ची ली और दुकान पे चल पड़ा किस्मत से ज्योति दुकान पे टकरा गयी उसने जल्दी से कहा कि प्रीतम तुमसे मिलना चाहती है आज दोपहर मे हम तुम्हारे प्लॉट मे मिलेंगे तुम मॅनेज करना अब प्रीतम का क्या पंगा लग गया
घर पे समान रखा और कपड़े धोने लगा काफ़ी टाइम लग गया उनको धोने मे मैने कहा मम्मी कपड़े सूख जाए तो अलमारी मे रख देना और प्लॉट मे पहुँच गया थोड़ी ही देर मे वो दोनो भी आ गयी मैने कुण्डी लगाई प्रीतम दौड़ के मेरे सीने से लग गयी बोली कल मेरी शादी है मैने कहा हाँ मुझे पता है वो बोली जाने से पहले वो एक बार मेरे साथ थोड़ा टाइम बिताना चाहती है मैने कहा पर अगर कोई आ गया तो वो बोली डरता है क्या मैने कहा नही तेरे लिए कुछ भी डार्लिंग तो उसने कहा चल कुछ करते है उसने ज्योति को कहा तू थोड़ी देर इधर ही बैठ और प्रीतम मेरा हाथ पकड़ के अंदर कमरे मे आ गयी मैने कहा प्रीतम कल तेरी शादी है फिर पति के साथ ही कर लियो तो वो बोली मुझे गिफ्ट नही देगा क्या और मुझे किस करने लगी ना जाने कितने दिनो बाद उसके होंठो को छुआ था कितने प्यासे थे वो ,
प्रीतम पागलो की तरह मुझे चूमने लगी मैने कहा पगली सांस तो लेने दे पर उसने जैसे सुना ही नही बिल्कुल बेकाबू हो गयी थी वो काफ़ी देर तक बस किस ही चलती रही फिर वो हटी और अपनी सलवार और कच्छि को निकाल के नीचे से नंगी हो गयी पर उसने सूट नही निकाला पहले से बहुत ही ज़्यादा मोटी हो गयी थी वो मैने उसकी चूत को अपने हाथ से मसल दिया कुछ देर तक बस उसे मसलता ही रहा फिर उसे चारपाई पे लिटाया और उसकी टाँगो को चौड़ा कर दिया बिना बालो की चूत को देखने का ये लास्ट मौका था मैं अपने होंठो पे जीभ फेरी और प्रीतम की चूत की मस्त पंखुड़ियो को अपने मुँह मे ले लिया आज तो कयामत होनी थी प्रीतम बहुत ही ज़ोर से मोन करने लगी तो मैने कहा जान थोड़ा कंट्रोल कर पर आज वो बिल्कुल अलग ही मूड मे थी आज वो सब बंधन तोड़ने को बेताब थी
बस वो मुझमे खो जाना चाहती थी उसने कहा चूसो मेरी मुनिया को तो मैं ईक बार फिर अपना मुँह उसकी टाँगो के जोड़ मे घूँसा दिया और उसकी रस से भरी चूत को पीने लगा प्रीतम बहुत ही ज़ोर से आहे भर रही थी उसकी पूरी चूत मेरे मुँह मे थी प्रीतम की सिसकारिया लगातार बढ़ती ही जा रही थी इतने दिनो बाद उसका साथ पाकर मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसकी चूत को अपने दांतो से काट ते हुए मैं चाटे जा राहा था प्रीतम ने अपनी टाँगो को टाइट कर लिया और पूरा मज़ा लेने लगी 15 मिनट तक चाटने के बाद उसने अपना पानी मेरे मुँह मे ही छोड़ा दिया मैने उसे पूरा चाट लिया प्रीतम जल्दी से उठी और मेरी पॅंट को खोल के लंड को बाहर निकाल लिया और जल्दी से अपने मुँह मे लेके चुँसने लगी
लंड चुँसने मे तो उसका डिप्लोमा ही था तभी ज्योति बाहर से बोली दीदी जल्दी करो काफ़ी देर लग रही है तो मैने अपने लंड को उसके मुँह से निकाला और उसे वही पे घोड़ी बना दिया उसके उभरे हुए चुतडो के बीच चूत को देख के मेरी लार टपक गयी मैने लंड पे थोड़ा थूक लगा के उसे चिकना किया और प्रीतम की कमर को थामते हुए अपने लंड को उसकी चूत मे डाल दिया और बस फिर फ़च पच की आवाज़ ही कमरे मे गूँज रही थी क्या गजब की चुदासी थी वो घोड़ी बनी चुद रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था मैं पूरी ताक़त लगा के उसे चोद रहा था उसने अपने हाथ मजबूती से फर्श पे टिका लिए थे और अपनी चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी 10-12 मिनट तक ऐसे ही वो चुदती रही फर्श पे होने के कारण मेरे घुटने मे दर्द होने लगा था