hotaks444
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रात को 11 के करीब मिथ्लेश का फोन आया तो मैने कहा मिल गया फ़ुर्सत हम से मिलने की वो बोली क्या करू टाइम ही नही मिला काफ़ी कम लोग आए थे मैने कहा अब सुन परसो मेरे गाँव मे मेला है तो तुझे आना है काफ़ी दिन हुए मेला नही देखा तो वो बोली ठीक है मैं आ जाउन्गी मैने कहा धन्यवाद, फिर मैने कहा तूने अपने पेरेंट्स से बात की
तो वो बोली नही एक दो दिन मे कर ही लूँगी मैने कहा यार डिले ना कर मेरी छुट्टी बीत गयी तो फिर तुझे पता ही है ना तो वो बोली मैं जल्दी ही कर लूँगी फिर हमारी प्यार भरी बाते शुरू हो गयी तो पता ही ना चला कि रात कब कट गयी सुबह 5 बजे मैं सोने गया उस रात तो जाहिर था कि फिर दोपहर तक ही उठना था जिंदगी भी हम से अपने तरीके से खेल रही थी
अगले दिन मेरी आँख तब खुली जब चाची मुझे जगाने आई वो बोली देखो दिन कितना चढ़ आया आया है और तुम पड़े हो अभी तक मैं आँखे मलते हुए उठा और कहा कि थोड़ा सा पानी पिला दो तो वो मेरे लिए पानी लाने चली गयी मैं अपने होश सही करने लगा पानी पीने के बाद उनके पीछे पीछे नीचे आया तो घर मे कोई नही दिखा मैने कहा मम्मी कहाँ है तो पता चला कि वो खेत मे गयी है
ये सुनते ही मैने चाची को बाहों मे भर लिया और उनसे छेड़खानी करने लगा तो वो मुझे दूर हटा ते हुए बोली कमिने छोड़ मुझे तेरे चाचा आज घर पर ही है नहा रहे है मरवाएगा क्या तो मैने तुरंत ही उनको खुद से अलग कर दिया और पूछा आज किस खुशी मे वो ऑफीस नही गये तो पता चला कि कल वो चंडीगढ़ जाएँगे तो फिर छुट्टी ले ली मैने कहा ठीक है आप लोग फिर आज पूरा एंजाय करो मैं चला बाहर घूमने
वो मुझे बुलाती रह गयी पर मैं बाहर आ गया आज बिना नहाए धोए ही , बाइक बाहर ही खड़ी थी तो मैने उसे स्टार्ट किया और खेतो की ओर चल पड़ा आख़िर उधर भी तो जाना ही था तो आज उधर ही सही मैने बाइक स्टॅंड पर लगाई तो देखा कि मम्मी और गीता दोनो ही उधर खड़ी थी और बाते कर रही थी मैने पूछा क्या हुआ तो वो बोली कि सरसो को पानी देना पड़ेगा
और तेरे चाचा आज रात चंडीगढ़ जाएँगे फिर दो दिन लाइट का नंबर नही रहेगा मैने कहा आप क्यो फिकर करते हो मैं हूँ ना मैं पानी दे दूँगा और गीता की तरफ देख कर मुस्कुराया अब खेतो पर आया था तो मम्मी ने इधर उधर लगाए रखा तो कमर दर्द से अकड़ गयी पर मना भी नही कर सकता था मैने मन मे सोचा कि चाची को भी रगड़ने का मोका है और इधर गीता भी है अब पानी देने को बोल दिया था तो फिर इधर ही आना था
फिर हम घर गये अब पता तो था ही रात को फिर से खेत मे जाना है तो जल्दी से खाना वाना खाया वैसे भी सुबह से आज भूखा ही था बस फिर अपना कुछ समान लिया और फिर से हो लिए कुँए की ओर…
वहाँ गया पानी की मोटर को ऑन किया और खेतो मे पानी छोड़ दिया अब ठंड मे पानी देना भी किसी सज़ा से कम थोड़ी ना है फिर मैं गीता के घर गया और उसको कहा कि तू कुँए पर आ जाना आज की रात उधर ही रहना तू तो वो बोली ठीक है थोड़ी देर मे आती हू अब गीता को तो पता ही था कि आज उसकी चुदाई होने वाली है तो वो तो खुद ही आतुर थी
तीन खेतो मे पानी देना था मैने टॉर्च ली और चल पड़ा देखने की पानी की सप्लाइ मे कोई रुकावट तो नही है इस काम मे आधा घंटा से भी ज़्यादा समय लग गया और उपर से ठंड भी कड़ाके दार हालाँकि स्वेटर पहनी हुई थी पर पैर तो गीले ही थे बड़ा ही बुरा हाल हो गया मेरा कंपकंपी चढ़े वो अलग से, पर काम तो करना ही था
जब मैं वापिस आया तो देखा कि गीता आ चुकी थी उसके हाथ मे एक थर्मस था बोली मुझे पता था तुम्हे ठंड लगेगी तो चाइ ले आई और कप मे चाइ डाल के मुझे पकड़ा दी मैने कहा यार मेरी ठंड इस चाइ से दूर नही होगी अब तो वो हँसते हुए बोली तो क्या सेवा करू मेरे जानू की मैने कहा सेवा नही मुझे तो मेवा खाना है तो वो इठलाते हुए बोली तो फिर आ जाओ किसने रोका है
चाइ की चुस्किया लेते हुए मैने कहा की ऐसी नही ज़रा अपने कपड़े उतार कर अपने मस्ताने रूप का दीदार तो करवाओ मुझे तो वो बोली हम क्यो नही अभी लो और फिर खड़ी खड़ी ही उसने अपनी चोली की डोरी को खीच दिया तो वो उतर गयी काली ब्रा मे क़ैद उसके पुष्ट उभार बड़े ही सुंदर लग रहे थे उस पर ब्रा इतनी टाइट कसी हुई थी कि लग रहा था कि ये ब्रा ज़्यादा देर उनको क़ैद नही रख सकती है
फिर वो अपना हाथ घाघरे के नाडे पर ले गयी और एक सेकेंड मे ही घाघरा उसके पाँवो मे पड़ा था पेंटी भी काली मशाल्लाह गीता तो आज पूरी तैयारी करके आई थी उसकी ठोस, मस्त जंघे और मोटे मोटे कुल्हो पर कसी हुई वो छोटी सी कच्छि बड़ी ही सुंदर लग रही थी गीता अपने हाथ अपने बालो पर ले गयी और अपनी छोटी के रिब्बन को खोल कर अपनी रेशमी ज़ुल्फो को आज़ाद कर दिया
उसे अच्छी तरह से पता था कि मुझे खुले बालो वाली औरते बड़ी पसंद थी और फिर वो खुद भी तो मेरी दीवानी थी फिर वो अपने हाथो से अपने बोबो को दबाती हुई मुझे देखते हुए बोली कैसी लग रही हूँ मैं मैने चाइ का कप नीचे रखा और उसके पास जाते हुए कहा हमेशा की तरह लाजवाब लग रही हो और उसको अपने से चिपका लिया तो गीता एक मीठी सी आह भरते हुवे मुझसे लिपट गयी
तो वो बोली नही एक दो दिन मे कर ही लूँगी मैने कहा यार डिले ना कर मेरी छुट्टी बीत गयी तो फिर तुझे पता ही है ना तो वो बोली मैं जल्दी ही कर लूँगी फिर हमारी प्यार भरी बाते शुरू हो गयी तो पता ही ना चला कि रात कब कट गयी सुबह 5 बजे मैं सोने गया उस रात तो जाहिर था कि फिर दोपहर तक ही उठना था जिंदगी भी हम से अपने तरीके से खेल रही थी
अगले दिन मेरी आँख तब खुली जब चाची मुझे जगाने आई वो बोली देखो दिन कितना चढ़ आया आया है और तुम पड़े हो अभी तक मैं आँखे मलते हुए उठा और कहा कि थोड़ा सा पानी पिला दो तो वो मेरे लिए पानी लाने चली गयी मैं अपने होश सही करने लगा पानी पीने के बाद उनके पीछे पीछे नीचे आया तो घर मे कोई नही दिखा मैने कहा मम्मी कहाँ है तो पता चला कि वो खेत मे गयी है
ये सुनते ही मैने चाची को बाहों मे भर लिया और उनसे छेड़खानी करने लगा तो वो मुझे दूर हटा ते हुए बोली कमिने छोड़ मुझे तेरे चाचा आज घर पर ही है नहा रहे है मरवाएगा क्या तो मैने तुरंत ही उनको खुद से अलग कर दिया और पूछा आज किस खुशी मे वो ऑफीस नही गये तो पता चला कि कल वो चंडीगढ़ जाएँगे तो फिर छुट्टी ले ली मैने कहा ठीक है आप लोग फिर आज पूरा एंजाय करो मैं चला बाहर घूमने
वो मुझे बुलाती रह गयी पर मैं बाहर आ गया आज बिना नहाए धोए ही , बाइक बाहर ही खड़ी थी तो मैने उसे स्टार्ट किया और खेतो की ओर चल पड़ा आख़िर उधर भी तो जाना ही था तो आज उधर ही सही मैने बाइक स्टॅंड पर लगाई तो देखा कि मम्मी और गीता दोनो ही उधर खड़ी थी और बाते कर रही थी मैने पूछा क्या हुआ तो वो बोली कि सरसो को पानी देना पड़ेगा
और तेरे चाचा आज रात चंडीगढ़ जाएँगे फिर दो दिन लाइट का नंबर नही रहेगा मैने कहा आप क्यो फिकर करते हो मैं हूँ ना मैं पानी दे दूँगा और गीता की तरफ देख कर मुस्कुराया अब खेतो पर आया था तो मम्मी ने इधर उधर लगाए रखा तो कमर दर्द से अकड़ गयी पर मना भी नही कर सकता था मैने मन मे सोचा कि चाची को भी रगड़ने का मोका है और इधर गीता भी है अब पानी देने को बोल दिया था तो फिर इधर ही आना था
फिर हम घर गये अब पता तो था ही रात को फिर से खेत मे जाना है तो जल्दी से खाना वाना खाया वैसे भी सुबह से आज भूखा ही था बस फिर अपना कुछ समान लिया और फिर से हो लिए कुँए की ओर…
वहाँ गया पानी की मोटर को ऑन किया और खेतो मे पानी छोड़ दिया अब ठंड मे पानी देना भी किसी सज़ा से कम थोड़ी ना है फिर मैं गीता के घर गया और उसको कहा कि तू कुँए पर आ जाना आज की रात उधर ही रहना तू तो वो बोली ठीक है थोड़ी देर मे आती हू अब गीता को तो पता ही था कि आज उसकी चुदाई होने वाली है तो वो तो खुद ही आतुर थी
तीन खेतो मे पानी देना था मैने टॉर्च ली और चल पड़ा देखने की पानी की सप्लाइ मे कोई रुकावट तो नही है इस काम मे आधा घंटा से भी ज़्यादा समय लग गया और उपर से ठंड भी कड़ाके दार हालाँकि स्वेटर पहनी हुई थी पर पैर तो गीले ही थे बड़ा ही बुरा हाल हो गया मेरा कंपकंपी चढ़े वो अलग से, पर काम तो करना ही था
जब मैं वापिस आया तो देखा कि गीता आ चुकी थी उसके हाथ मे एक थर्मस था बोली मुझे पता था तुम्हे ठंड लगेगी तो चाइ ले आई और कप मे चाइ डाल के मुझे पकड़ा दी मैने कहा यार मेरी ठंड इस चाइ से दूर नही होगी अब तो वो हँसते हुए बोली तो क्या सेवा करू मेरे जानू की मैने कहा सेवा नही मुझे तो मेवा खाना है तो वो इठलाते हुए बोली तो फिर आ जाओ किसने रोका है
चाइ की चुस्किया लेते हुए मैने कहा की ऐसी नही ज़रा अपने कपड़े उतार कर अपने मस्ताने रूप का दीदार तो करवाओ मुझे तो वो बोली हम क्यो नही अभी लो और फिर खड़ी खड़ी ही उसने अपनी चोली की डोरी को खीच दिया तो वो उतर गयी काली ब्रा मे क़ैद उसके पुष्ट उभार बड़े ही सुंदर लग रहे थे उस पर ब्रा इतनी टाइट कसी हुई थी कि लग रहा था कि ये ब्रा ज़्यादा देर उनको क़ैद नही रख सकती है
फिर वो अपना हाथ घाघरे के नाडे पर ले गयी और एक सेकेंड मे ही घाघरा उसके पाँवो मे पड़ा था पेंटी भी काली मशाल्लाह गीता तो आज पूरी तैयारी करके आई थी उसकी ठोस, मस्त जंघे और मोटे मोटे कुल्हो पर कसी हुई वो छोटी सी कच्छि बड़ी ही सुंदर लग रही थी गीता अपने हाथ अपने बालो पर ले गयी और अपनी छोटी के रिब्बन को खोल कर अपनी रेशमी ज़ुल्फो को आज़ाद कर दिया
उसे अच्छी तरह से पता था कि मुझे खुले बालो वाली औरते बड़ी पसंद थी और फिर वो खुद भी तो मेरी दीवानी थी फिर वो अपने हाथो से अपने बोबो को दबाती हुई मुझे देखते हुए बोली कैसी लग रही हूँ मैं मैने चाइ का कप नीचे रखा और उसके पास जाते हुए कहा हमेशा की तरह लाजवाब लग रही हो और उसको अपने से चिपका लिया तो गीता एक मीठी सी आह भरते हुवे मुझसे लिपट गयी