desiaks
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दीपा ने आँख टेढ़ी करके मेरी और देखा और कटाक्ष में बोल पड़ी, "क्यों नहीं? भड़काओ अपने दोस्त को। और दोनों मिल कर मेरी बैंड बजा दो। क्यों भाई? क्या मैं तरुण की साली हूँ? तरुण तो मुझे भाभी कह रहा है, तो तरुण मेरा देवर हुआ की नहीं? अब यह मत कहिये की देवर आधा घरवाला होता है, या भाभी भी आधी घरवाली होती है।"
तरुण और मैं दीपा की बात सुनकर हंस पड़े। तरुण ने कहा, "भाभी, मैं ऐसा कुछ नहीं कह रहा हूँ। बस मैं तो अपनी तक़दीर को कोस रहा था और भाई की तक़दीर की तारीफ़ कर रहा था की उन्हें आप जैसी कंधे से कंधा मिला कर पूरा साथ देने वाली अक्लमंद, हिम्मतवाली, खूबसूरत और सेक्सी साथीदार पत्नी के रूप में मिली है।"
दीपा मेरी गोद मैं मेरी टाँगों के ऊपर बैठी हुई थी। उसका मुंह मेरी और था और पीठ तरुण की और। दीपा थोड़ी घूमी और उसने अपना एक हाथ तरुण की और लम्बाया और बोली, "अरे तुम मेरे दीपक पर क्यों जल रहे हो? अगर मैं दीपक की साथीदार हूँ तो क्या मैं तुम्हारी साथीदार नहीं हूँ? अगर टीना नहीं है तो दुखी मत होना। मैं तो हूँ ना?" ऐसा कह कर दीपा ने तरुण को अपनी दाँहिनी बाँह में लिया। कुछ पलों के लिए दीपा को ध्यान नहीं रहा की उसका ब्लाउज और ब्रा खुले हुए थे। अगर तरुण उसकी बाँहों में आया तो तरुण का हाथ और अगर वह झुक गया तो उसका मुंह दीपा की चूँचियों को जरूर छुएगा।
तरुण ने मौक़ा पाकर दीपा के एक बॉल को एक हाथ में पकड़ा और उसे सहलाने और मसलने लगा। तरुण का हाथ उसके स्तन को छूते ही दीपा मचल उठी।दीपा के पुरे बदन में एक झनझनाहट फ़ैल गयी जैसे उसे बिजली का करंट लगा हो। वह एकदम भड़क गयी जब उसे ध्यान आया की उसकी चोली और ब्रा खुले हुए थे। दीपा सावधान हो गयी। दीपा ने तरुण को एक हाथ से धक्का मारकर हटाया और अपनी ब्रा और ब्लाउज ठीक करने में जुट गयी।
दीपा ने तरुण पर दहाड़ते हुए कहा, "तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे। मैं आप लोगों के साथ इतना कोआपरेट कर रही हूँ फिर भी तुम मुझे सताने पर क्यों तुले हुए हो?"
दीपा की जब तगड़ी डाँट पड़ी तब घबड़ा कर तरुण फ़ौरन दरवाजा खोल कर कार से बाहर निकला। वह घूम कर मैं जिस तरफ बैठा था उस दरवाजे के पास आ गया। कार का मेरी तरफ वाला दरवाजा खोलते ही मैं तरुण की सीट (ड्राइवर सीट की ) और थोड़ा सरक गया। दीपा ने तब कुछ राहत अनुभव करते हुए अपनी टांगें सीट पर लम्बी कर दीं। दीपा की टाँगें दरवाजे के बाहर निकल पड़ीं। उस समय दीपा मेरी गोद में मेरी पतलून में छिपे हुए मेरे लण्ड से उसकी साडी, घाघरा और पैंटी में छिपी हुई अपनी चूत सटाकर मेरी जाँघों पर अपने कूल्हों को टिका कर बैठी थी। मेरी कमर की दोनों और उसकी टाँगें फैली हुई थीं। मैं दीपा की और घुमा हुआ था। दीपा का घाघरा उसकी जाँघों को नंगा करता हुआ काफी ऊपर लगभग दीपा की पैंटी तक चढ़ा हुआ था।
कार के दरवाजे को खोलते ही जब तरुण की आँखो को मेरी बीबी की नंगीं जाँघों के दर्शन हुए तो वह पागल सा होगया। वह झुक कर दीपा के पाँव के तलेटी के सोल को चूमने और चाटने लगा। तरुण दीपा के पाँव पकड़ कर बोला, "भाभीजी मुझे माफ़ कीजिये। मैंने कहा नहीं, की मैं एक बन्दर हूँ। भाभी सच मानिये मैं आपकी बहोत रीस्पेक्ट करता हूँ। पर मैं जब आपका सेक्सी बदन देखता हूँ ना, तो पता नहीं मुझे क्या हो जाता है। मैं अपने आपको कण्ट्रोल ही नहीं कर पाता हूँ। आप तो जानते ही हो।" फिर अपने दोनों अंगूठों को दोनों कान पर रख कर तरुण उठक बैठक करने लगा।
मैंने प्यार से दीपा का हाथ थामा और धीरे से दबाया और दीपा के कानों के पास मेरे होँठ ले जाकर उसके कानों में प्यार भरी आवाज में धीरे से बोला, "यार डार्लिंग, गुस्सा क्यों करती हो? तुम्ही ने कहा था की आज तुम गुस्सा नहीं करोगी और हमारा साथ दोगी। फिर गुस्सा क्यों? तुम्हारे इतने खूबसूरत बूब्स खुले देख कर तरुण से रहा नहीं गया और उसने उन्हें मसल दिए, तो कौनसा आसमान टूट पड़ा यार? तुम ही सोचो अगर तुम उसकी जगह होती तो क्या तुम्हारा मन नहीं करता? उसने तुम्हारे बूब्स ही दबाये है ना? तो क्या हुआ? पहले नहीं दबाये क्या? डार्लिंग गुस्सा मत करो। मैंने कहा ना था की वह तुम्हें छेड़ेगा? बेचारा क्या करे? वह टीना के बगैर तड़प रहा है। जब से तुम उसके पास बैठी हो ना, तबसे उसका लण्ड उसकी पतलून में बड़ा टेंट बना रहा है। तुमने देखा नहीं? मुझे तो डर था की कहीं अँधेरे में उसने अपना लण्ड तुम्हारे हाथ में पकड़ा कर अपना माल निकलवाने के लिए उसने तुम्हें मजबूर ना किया हो। क्यूंकि तुम्ही देखो ना अभी भी वह अपना लण्ड कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा है। जानेमन तुम समझो। प्लीज अब तुम शांत हो जाओ और एन्जॉय करो। प्लीज?"
मेरे इतना कहने पर दीपा मेरी और बड़ी तिरस्कार भरी आँखों से देखने लगी और चुप हो गयी। फिर कुछ देर बाद कुछ सहम कर थोड़ी शर्माती हुई अपने आप पर कुछ नियंत्रण रखते हुए मेरे कानों में फुसफुसाती हुई बोली, " क्या तुमने देख लिया था? दीपक मुझे माफ़ करना। मैं कबुल करती हूँ की उसने कार में जब हम कवितायें सुन रहे थे तब मेरा हाथ उसकी टाँगों के बिच में उसके पतलून की जीप पर रख दिया था और ऊपर से मेरे हाथ को दबा रहा था। तुम सही कह रहे थे। बापरे! उसका लण्ड उसकी पतलून में लोहे की तरह खड़ा होगया था। हालांकि उसका लण्ड उसकी पतलून में ही था, मुझे ऐसा फील हुआ जैसे उसका लण्ड उसकी पतलून फाड़ कर बाहर आ जाएगा। पतलून के ऊपर से ही मुझे लग रहा था जैसे वह बड़ा मोटा और लंबा है। तरुण वाकई चाहता था की मैं उसकी जीप खोल कर उसके लण्ड को पकड़ कर सेहलाऊं। उसने मेरा हाथ भी उसकी जीप पर दबा कर रख दिया था। पर मैंने उसकी जीप नहीं खोली और कुछ देर बाद मेरा हाथ वहाँ से हटा दिया। मैंने उसका माल वाल नहीं निकाला।" मेरी बीबी के यह स्वीकार करने से मेरा लण्ड भी मेरी पतलून में खड़ा हो कर फुंफकारने लगा।
तरुण और मैं दीपा की बात सुनकर हंस पड़े। तरुण ने कहा, "भाभी, मैं ऐसा कुछ नहीं कह रहा हूँ। बस मैं तो अपनी तक़दीर को कोस रहा था और भाई की तक़दीर की तारीफ़ कर रहा था की उन्हें आप जैसी कंधे से कंधा मिला कर पूरा साथ देने वाली अक्लमंद, हिम्मतवाली, खूबसूरत और सेक्सी साथीदार पत्नी के रूप में मिली है।"
दीपा मेरी गोद मैं मेरी टाँगों के ऊपर बैठी हुई थी। उसका मुंह मेरी और था और पीठ तरुण की और। दीपा थोड़ी घूमी और उसने अपना एक हाथ तरुण की और लम्बाया और बोली, "अरे तुम मेरे दीपक पर क्यों जल रहे हो? अगर मैं दीपक की साथीदार हूँ तो क्या मैं तुम्हारी साथीदार नहीं हूँ? अगर टीना नहीं है तो दुखी मत होना। मैं तो हूँ ना?" ऐसा कह कर दीपा ने तरुण को अपनी दाँहिनी बाँह में लिया। कुछ पलों के लिए दीपा को ध्यान नहीं रहा की उसका ब्लाउज और ब्रा खुले हुए थे। अगर तरुण उसकी बाँहों में आया तो तरुण का हाथ और अगर वह झुक गया तो उसका मुंह दीपा की चूँचियों को जरूर छुएगा।
तरुण ने मौक़ा पाकर दीपा के एक बॉल को एक हाथ में पकड़ा और उसे सहलाने और मसलने लगा। तरुण का हाथ उसके स्तन को छूते ही दीपा मचल उठी।दीपा के पुरे बदन में एक झनझनाहट फ़ैल गयी जैसे उसे बिजली का करंट लगा हो। वह एकदम भड़क गयी जब उसे ध्यान आया की उसकी चोली और ब्रा खुले हुए थे। दीपा सावधान हो गयी। दीपा ने तरुण को एक हाथ से धक्का मारकर हटाया और अपनी ब्रा और ब्लाउज ठीक करने में जुट गयी।
दीपा ने तरुण पर दहाड़ते हुए कहा, "तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे। मैं आप लोगों के साथ इतना कोआपरेट कर रही हूँ फिर भी तुम मुझे सताने पर क्यों तुले हुए हो?"
दीपा की जब तगड़ी डाँट पड़ी तब घबड़ा कर तरुण फ़ौरन दरवाजा खोल कर कार से बाहर निकला। वह घूम कर मैं जिस तरफ बैठा था उस दरवाजे के पास आ गया। कार का मेरी तरफ वाला दरवाजा खोलते ही मैं तरुण की सीट (ड्राइवर सीट की ) और थोड़ा सरक गया। दीपा ने तब कुछ राहत अनुभव करते हुए अपनी टांगें सीट पर लम्बी कर दीं। दीपा की टाँगें दरवाजे के बाहर निकल पड़ीं। उस समय दीपा मेरी गोद में मेरी पतलून में छिपे हुए मेरे लण्ड से उसकी साडी, घाघरा और पैंटी में छिपी हुई अपनी चूत सटाकर मेरी जाँघों पर अपने कूल्हों को टिका कर बैठी थी। मेरी कमर की दोनों और उसकी टाँगें फैली हुई थीं। मैं दीपा की और घुमा हुआ था। दीपा का घाघरा उसकी जाँघों को नंगा करता हुआ काफी ऊपर लगभग दीपा की पैंटी तक चढ़ा हुआ था।
कार के दरवाजे को खोलते ही जब तरुण की आँखो को मेरी बीबी की नंगीं जाँघों के दर्शन हुए तो वह पागल सा होगया। वह झुक कर दीपा के पाँव के तलेटी के सोल को चूमने और चाटने लगा। तरुण दीपा के पाँव पकड़ कर बोला, "भाभीजी मुझे माफ़ कीजिये। मैंने कहा नहीं, की मैं एक बन्दर हूँ। भाभी सच मानिये मैं आपकी बहोत रीस्पेक्ट करता हूँ। पर मैं जब आपका सेक्सी बदन देखता हूँ ना, तो पता नहीं मुझे क्या हो जाता है। मैं अपने आपको कण्ट्रोल ही नहीं कर पाता हूँ। आप तो जानते ही हो।" फिर अपने दोनों अंगूठों को दोनों कान पर रख कर तरुण उठक बैठक करने लगा।
मैंने प्यार से दीपा का हाथ थामा और धीरे से दबाया और दीपा के कानों के पास मेरे होँठ ले जाकर उसके कानों में प्यार भरी आवाज में धीरे से बोला, "यार डार्लिंग, गुस्सा क्यों करती हो? तुम्ही ने कहा था की आज तुम गुस्सा नहीं करोगी और हमारा साथ दोगी। फिर गुस्सा क्यों? तुम्हारे इतने खूबसूरत बूब्स खुले देख कर तरुण से रहा नहीं गया और उसने उन्हें मसल दिए, तो कौनसा आसमान टूट पड़ा यार? तुम ही सोचो अगर तुम उसकी जगह होती तो क्या तुम्हारा मन नहीं करता? उसने तुम्हारे बूब्स ही दबाये है ना? तो क्या हुआ? पहले नहीं दबाये क्या? डार्लिंग गुस्सा मत करो। मैंने कहा ना था की वह तुम्हें छेड़ेगा? बेचारा क्या करे? वह टीना के बगैर तड़प रहा है। जब से तुम उसके पास बैठी हो ना, तबसे उसका लण्ड उसकी पतलून में बड़ा टेंट बना रहा है। तुमने देखा नहीं? मुझे तो डर था की कहीं अँधेरे में उसने अपना लण्ड तुम्हारे हाथ में पकड़ा कर अपना माल निकलवाने के लिए उसने तुम्हें मजबूर ना किया हो। क्यूंकि तुम्ही देखो ना अभी भी वह अपना लण्ड कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा है। जानेमन तुम समझो। प्लीज अब तुम शांत हो जाओ और एन्जॉय करो। प्लीज?"
मेरे इतना कहने पर दीपा मेरी और बड़ी तिरस्कार भरी आँखों से देखने लगी और चुप हो गयी। फिर कुछ देर बाद कुछ सहम कर थोड़ी शर्माती हुई अपने आप पर कुछ नियंत्रण रखते हुए मेरे कानों में फुसफुसाती हुई बोली, " क्या तुमने देख लिया था? दीपक मुझे माफ़ करना। मैं कबुल करती हूँ की उसने कार में जब हम कवितायें सुन रहे थे तब मेरा हाथ उसकी टाँगों के बिच में उसके पतलून की जीप पर रख दिया था और ऊपर से मेरे हाथ को दबा रहा था। तुम सही कह रहे थे। बापरे! उसका लण्ड उसकी पतलून में लोहे की तरह खड़ा होगया था। हालांकि उसका लण्ड उसकी पतलून में ही था, मुझे ऐसा फील हुआ जैसे उसका लण्ड उसकी पतलून फाड़ कर बाहर आ जाएगा। पतलून के ऊपर से ही मुझे लग रहा था जैसे वह बड़ा मोटा और लंबा है। तरुण वाकई चाहता था की मैं उसकी जीप खोल कर उसके लण्ड को पकड़ कर सेहलाऊं। उसने मेरा हाथ भी उसकी जीप पर दबा कर रख दिया था। पर मैंने उसकी जीप नहीं खोली और कुछ देर बाद मेरा हाथ वहाँ से हटा दिया। मैंने उसका माल वाल नहीं निकाला।" मेरी बीबी के यह स्वीकार करने से मेरा लण्ड भी मेरी पतलून में खड़ा हो कर फुंफकारने लगा।